भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाया गया
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के 22वें विधि आयोग के कार्यकाल को 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ाने की मंजूरी दी है।
- 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने हाल ही में कार्यालय में कार्यभार ग्रहण किया है तथा कार्य प्रगति पर होने के कारण जांच और रिपोर्ट की कई लंबित परियोजनाओं पर काम शुरू किया है। इसलिए, 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
भारत के विधि आयोग के बारे में:
- भारत का विधि आयोग एक गैर–सांविधिक निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार द्वारा समय–समय पर किया जाता है।
- विधि आयोग को मूल रूप से 1955 में गठित किया गया था और समय–समय पर इसका पुनर्गठन किया जाता है।
- भारत के वर्तमान 22वें विधि आयोग का कार्यकाल 20 फरवरी, 2023 को समाप्त हुआ।
- विभिन्न विधि आयोग, देश के कानून के प्रगतिशील विकास और संहिताकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम रहे हैं।
- इसकी संरचना निम्नानुसार है:
- एक पूर्णकालिक अध्यक्ष
- चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य–सचिव सहित)
- पदेन सदस्य के रूप में विधि कार्य विभाग के सचिव
- पदेन सदस्य के रूप में विधायी विभाग के सचिव और
- अंशकालिक सदस्य पांच से अधिक नहीं।
- 22वें विधि आयोग, विस्तारित अवधि के दौरान अपनी मौजूदा जिम्मेदारी का निर्वहन करना जारी रखेगा, जिसमें अन्य बातों के अलावा, निम्न शामिल हैं:
- उन कानूनों की पहचान करना, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं और अप्रचलित तथा अनावश्यक अधिनियमों को निरस्त करने की सिफारिश करना;
- नीति–निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने और संविधान की प्रस्तावना में निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक नए कानूनों को बनाने का सुझाव देना;
- कानून और न्यायिक प्रशासन से संबंधित किसी भी विषय पर विचार करना और सरकार को अपने विचारों से अवगत कराना, जिसे विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा विशेष रूप से संदर्भित किया गया हो;
- विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा किसी भी विदेशी देश के बारे में शोध प्रदान करने के अनुरोध पर विचार करना;
- समय–समय पर सभी मुद्दों, मामलों, अध्ययनों और आयोग द्वारा किए गए शोधों पर रिपोर्ट तैयार करना और केंद्र सरकार को प्रस्तुत करना और संघ या किसी राज्य द्वारा किए जाने वाले प्रभावी उपायों के लिए ऐसी रिपोर्टों की सिफारिश करना;
- केंद्र सरकार द्वारा समय–समय पर सौंपे गए ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करना।