CURRENTS AFFAIRS – 4th MAY 2021
यूरेनियम-214
वैज्ञानिकों ने हाल ही में यूरेनियम का सबसे हल्का रूप बनाया है। इसे यूरेनियम -214 (Uranium-214) कहा जाता है। इस खोज से एक अल्फा कण (alpha particle) के बारे में अधिक जानकारी का पता चलता है। अल्फा कण वे कण होते हैं जो रेडियोधर्मी तत्वों से अलग हो जाते हैं जैसे उनका क्षय (decay) होता है।
यूरेनियम -214 (Uranium-214)
यूरेनियम के इस आइसोटोप में प्रोटॉन की तुलना में अधिक संख्या में न्यूट्रॉन होते हैं। न्यूट्रॉन में द्रव्यमान होता है। हालाँकि, हाल ही में पाया गया यूरेनियम -214 अन्य सामान्य यूरेनियम समस्थानिकों की तुलना में बहुत हल्का है। इसमें यूरेनियम-235 भी शामिल है। यूरेनियम -235 सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला आइसोटोप है। इसमें 51 अतिरिक्त न्यूट्रॉन होते हैं।
यूरेनियम -214 में अल्फा क्षय (Alpha Decay in Uranium-214)
नए आइसोटोप में पाया गया कि इसके क्षय के दौरान अद्वितीय व्यवहार भी दिखाई दिए। यह नई खोज वैज्ञानिकों को अल्फा क्षय नामक रेडियोधर्मी प्रक्रिया को समझने में मदद करेगी।
अल्फा क्षय में, परमाणु नाभिक दो प्रोटॉन और दो न्यूट्रॉन खो देता है। उन्हें सामूहिक रूप से अल्फा कण (alpha particle) कहा जाता है। वैज्ञानिकों को अभी तक इस बात का जवाब नहीं मिल पाया है कि इन अल्फा कणों को कैसे निकाला जाता है।
यूरेनियम -214 कैसे बनाया गया?
आर्गन की एक बीम को गैस से भरे रिकॉइल सेपरेटर (recoil separator) के अंदर टंगस्टन पर प्रक्षेपित किया गया था। उसके बाद, शोधकर्ताओं ने यूरेनियम-214 बनाने के लिए एक लेज़र बीम के माध्यम से सामग्री में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन जोड़े।
यूरेनियम -214 में परमाणु बल
वैज्ञानिकों ने पाया कि यूरेनियम -214 के प्रोटॉन और न्यूट्रॉन ने समान रूप से न्यूट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या वाले समस्थानिकों की तुलना में अधिक मजबूती से आपस में क्रिया की। दूसरे शब्दों में, यूरेनियम -214 में परमाणु बल अन्य समस्थानिकों से अधिक था।
भारत–ब्रिटेन वर्चुअल शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री माननीय बोरिस जॉनसन के बीच आज एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया।
भारत और ब्रिटेन के बीच काफी लंबे समय से मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं और दोनों देश लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता एवं कानून के शासन, मजबूत पारस्परिकताओं और निरंतर बढ़ते सामंजस्य के लिए आपसी प्रतिबद्धता पर आधारित रणनीतिक साझेदारी को साझा करते हैं।
शिखर सम्मेलन में एक महत्वाकांक्षी ‘रोडमैप 2030’ को अपनाया गया, ताकि ‘द्विपक्षीय संबंधों’ का दर्जा बढ़ाकर उन्हें ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ का रूप दिया जा सके। यह रोडमैप अगले दस वर्षों में दोनों देशों के लोगों के बीच पारस्परिक संपर्कों, व्यापार एवं अर्थव्यवस्था, रक्षा व सुरक्षा, जलवायु कार्रवाई और स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में गहन व मजबूत जुड़ाव का मार्ग प्रशस्त करेगा।
दोनों राजनेताओं ने कोविड-19 की मौजूदा स्थिति के साथ-साथ टीकों पर सफल साझेदारी सहित महामारी के खिलाफ लड़ाई में फिलहाल जारी आपसी सहयोग पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में कोविड-19 की अत्यंत संक्रामक दूसरी लहर के मद्देनजर ब्रिटेन द्वारा प्रदान की गई त्वरित चिकित्सा सहायता के लिए प्रधानमंत्री जॉनसन का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री जॉनसन ने पिछले साल ब्रिटेन और अन्य देशों को दी गई सहायता में भारत की अहम भूमिका की सराहना की जिसमें फार्मास्यूटिकल्स और टीकों की आपूर्ति के जरिए दी गई सहायता भी शामिल है।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने दुनिया की पांचवीं और छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार की संभावनाओं को उन्मुक्त करने के साथ-साथ वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से भी अधिक करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करते हुए एक ‘उन्नत व्यापार साझेदारी (ईटीपी)’ का शुभारंभ किया। ‘ईटीपी’ के एक हिस्से के रूप में भारत और ब्रिटेन ने एक व्यापक एवं संतुलित एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) पर बातचीत करने के लिए एक रोडमैप पर सहमति जताई जिसमें जल्द-से-जल्द लाभ मिलना सुनिश्चित करने के लिए एक ‘अंतरिम व्यापार समझौते’ पर विचार करना भी शामिल है। भारत और ब्रिटेन के बीच उन्नत व्यापार साझेदारी से दोनों देशों में हजारों प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे।
ब्रिटेन अनुसंधान और नवाचार संबंधी सहयोग के क्षेत्र में भारत का दूसरा सबसे बड़ा साझेदार है। वर्चुअल शिखर सम्मेलन में एक नई भारत-ब्रिटेन ‘वैश्विक नवाचार साझेदारी’ की घोषणा की गई जिसका उद्देश्य चुनिंदा विकासशील देशों को समावेशी भारतीय नवाचारों का हस्तांतरण करने में आवश्यक सहयोग प्रदान करना है। इस दिशा में शुरुआत अफ्रीका से होगी। दोनों ही पक्षों ने डिजिटल एवं आईसीटी उत्पादों सहित नई व उभरती प्रौद्योगिकियों पर आपसी सहयोग बढ़ाने, और आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने की दिशा में काम करने पर सहमति जताई। दोनों ही पक्षों ने रक्षा और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने पर भी सहमति व्यक्त की जिनमें समुद्री क्षेत्र, आतंकवाद का मुकाबला करना और साइबरस्पेस क्षेत्र भी शामिल हैं।
दोनों प्रधानमंत्रियों ने इसके साथ ही आपसी हितों वाले क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया, जिसमें हिंद-प्रशांत और जी7 में सहयोग करना भी शामिल है। उन्होंने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी कटिबद्धता दोहराई और इसके साथ ही इस वर्ष के उत्तरार्द्ध में ब्रिटेन द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘सीओपी26’ से पहले आपस में सहभागिता करने पर सहमति जताई।
भारत और ब्रिटेन ने ‘प्रवासन एवं आवाजाही पर एक व्यापक साझेदारी’ का शुभारंभ किया है जिससे दोनों देशों के बीच विद्यार्थियों एवं प्रोफेशनलों की आवाजाही के लिए और भी अधिक अवसर सुलभ होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने हालात बेहतर हो जाने के बाद भारत में प्रधानमंत्री जॉनसन की सुविधा के अनुसार उनका आगमन होने पर उनका स्वागत करने की इच्छा व्यक्त की। प्रधानमंत्री जॉनसन ने भी जी-7 शिखर सम्मेलन में शिरकत करने हेतु ब्रिटेन आगमन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया अपना निमंत्रण दोहराया।
SOURCE-PIB
स्वामित्व योजना
केंद्रीय पंचायती राज मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज स्वामित्व योजना के राष्ट्रव्यापी स्तर पर लागू करने के लिए फ्रेमवर्क और कॉफी टेबल बुक को जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने राज्यों और अन्य हितधारकों को भी संबोधित किया।
चायती राज मंत्रालय द्वारा विकसित किए गए स्वामित्व योजना के फ्रेमवर्क कवरेज में विभिन्न राज्यों के लिए योजना के तहत दिशानिर्देश और रोडमैप को शामिल किया गया है। जिसमें विभिन्न घटक शामिल किए गए हैं। जिसके तहत योजना का उद्देश्य, वर्ष के आधार पर वित्तीय पोषण के तरीके, सर्वेक्षण तरीके और कार्यप्रणाली, हितधारक, जिम्मेदारी, निगरानी और मूल्यांकन आदि को शामिल किया गया है।
स्वामित्व योजना पर कॉफी टेबल बुक एक प्रयास है जो विभिन्न चुनौतियों और सफलता की कहानियों की झलक दिखाता है और आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान करता है। जिसके जरिए योजना के क्रियान्वन, उसके अनुभव और अच्छे प्रयासों में शामिल विभिन्न हितधारकों के विशाल प्रयासों का संकलन करने का प्रयास किया गया है।
श्री तोमर को यह भी बताया गया कि 7400 से अधिक गांवों में संपत्ति कार्ड वितरित किए गए हैं और देश भर में 7,00,000 से अधिक लाभार्थियों को योजना से लाभान्वित किया गया है। इस योजना से ग्रामीण निवासियों को वे संपत्ति कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे जिनका उपयोग ऋण लेने और ग्रामीण नियोजन के लिए सटीक भूमि रिकॉर्ड बनाने के लिए किया जा सकता है।
श्री तोमर ने महामारी के बावजूद योजना के सफल कार्यान्वयन के लिए विभिन्न हितधारकों और समाज द्वारा प्रदान किए गए समर्थन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा यह देखा गया है कि लाभार्थियों ने भी योजना का लाभ लेना शुरू कर दिया है और कई लाभार्थियों ने घर बनाने या व्यवसायों का विस्तार करने के लिए बैंक ऋण और अन्य वित्तीय लाभों को प्राप्त किया है।
इस आयोजन में वर्चुअल माध्यम सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के राजस्व और पंचायती राज सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए), भारत के सर्वेक्षण (एसओआई), भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के अधिकारी शामिल हुए।
पृष्ठभूमि:
स्वामित्व योजना पंचायती राज मंत्रालय की केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है। जिसे 9 राज्यों में योजना के पायलट चरण के सफल समापन के बाद 24 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर लांच किया गया था। स्वामित्व योजना का उद्देश्य ड्रोन सर्वेक्षण और कोर नेटवर्क का उपयोग करके भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बसे हुए निवासियों को संपत्ति का अधिकार प्रदान करना है। जो 5 सेमी तक की मैपिंग सटीकता प्रदान करता है।
पंचायती राज मंत्रालय (एमओपीआर) स्वामित्व योजना के कार्यान्वयन के लिए एक नोडल मंत्रालय है। राज्यों में राजस्व विभाग/भूमि अभिलेख विभाग नोडल विभाग होगा और राज्य पंचायती राज विभागों के सहयोग से इस योजना को आगे बढ़ाएगा।
SOURCE-PIB
बायोडिग्रेडेबल मैट झीलों
असम के मछुआरे समुदाय की छह युवा लड़कियों द्वारा विकसित बायोडिग्रेडेबल तथा कंपोस्टेबल मैट (चटाई) इस जलीय पौधे को समस्या से संपदा में बदल सकती है।
ये लड़कियां मछुआरे समुदाय की हैं जो गुवाहाटी शहर के दक्षिण पश्चिम में एक स्थायी मीठे पानी की झील दीपोर बील, जो रामसार स्थल (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की एक दलदली भूमि) और एक पक्षी वन्यजीव अभ्यारण्य के नाम से विख्यात है, के बाहरी हिस्से में रहती हैं। यह झील मछुआरे समुदाय के 9 गांवों के लिए आजीविका का एक स्रोत बनी हुई है जिन्होंने सदियों से इस बायोम को साझा किया है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे जलकुंभियों की अत्यधिक बढोतरी तथा जमाव से पीड़ित हैं।
इन लड़कियों का परिवार प्रत्यक्ष रूप से अपने जीवित रहने के लिए इस दलदली जमीन पर निर्भर है और उनका यह नवोन्मेषण पर्यावरण संरक्षण तथा डीपोर बील की निरंतरता की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है तथा स्थानीय आजीविका भी सुनिश्चित कर सकता है। इस मैट को ‘मूरहेन योगा मैट‘ के नाम से जाना जाता है और इसे जल्द ही एक अनूठे उत्पाद के रूप में विश्व बाजार के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
इस कदम की शुरुआत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुंच केंद्र (एनईसीटीएआर) की एक पहल के जरिये हुई जिससे कि जल कुंभी से संपदा बनाने के लिए छह लड़कियों के नेतृत्व में एक सामूहिक ‘सिमांग‘ अर्थात स्वप्न से जुड़े समस्त महिला समुदाय को इसमें शामिल किया जा सके।
जल कुंभी के गुणों तथा एक चटाई के प्रकार के उत्पाद की कार्यशील आवश्यकताओं के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, योग करने में उपयोग की जाने वाली हाथ से बुनी गई 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल तथा 100 प्रतिशत कंपोस्टेबल चटाई पर विविध इकोलोजिकल तथा सामाजिक लाभ उपलब्ध कराने वाले एक माध्यम के रूप में विचार किया गया। फाइबर प्रोसेसिंग तथा प्रौद्योगिकीय उपायों के जरिये यह मैट जल कुंभी को हटाने के जरिये दलदली भूमि की जलीय इकोसिस्टम में सुधार ला सकती है, सामुदायिक भागीदारी के जरिये उपयोगी उत्पादों के टिकाऊ उत्पादन में सहायता कर सकती है और पूर्ण रूप से ‘आत्म निर्भर’बनने हेतु स्वदेशी समुदायों के लिए आजीविका पैदा कर सकती है।
चूंकि बुनाई के लिए इसे उपयोग में लाने से पहले जल कुंभी का संग्रह, सूखाना तथा तैयार करना सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, ‘सोलर ड्रायर‘ के उपयोग जैसे प्रौद्योगिकी के छोटे उपाय किए गए जिससे सूखाने में लगने वाला समय घटकर लगभग तीन दिनों तक आ गया। यह देश के इस क्षेत्र में लगभग छह महीने लंबे चलने वाले वर्षा मौसम (मई से अक्तूबर) में अक्सर होने वाली भारी वर्षा के कारण समय के होने वाले नुकसान की भी क्षतिपूर्ति कर सकता है।
महिलाओं ने उच्च गुणवत्तापूर्ण, आरामदायक और पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल तथा कंपोस्टेबल योग मैट विकसित करने के लिए तकनीकों, सामग्रियों और टूल्स के विभिन्न संयोजनों की सहायता से पारंपरिक करघे का उपयोग करने के जरिये जलकुंभी की बुनाई की। इसका परिणाम दूरदराज के तीन गांवों (कियोत्पारा, नोतुन बस्ती और बोरबोरी) की 38 महिलाओं की भागीदारी के रूप में सामने आया है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से उत्पादन दर में बढोतरी भी की जा सकती है।
‘7 वीव्स’ (सिमांग कलेक्टिव्स की एक सहायक संस्था) टीम ने कामरूप जिले के लोहरघाट फॉरेस्ट रेंज के स्थानीय रूप से उपलब्ध प्राकृतिक सामग्रियों से प्राकृतिक डाइंग पर विशेषज्ञता उपलब्ध कराई जिससे कि एनईसीटीएआर मैट के लिए विभिन्न पैटर्नों में लाख, प्याज के छिलकों, लोहा तथा जैगरी से प्राकृतिक रूप से डाई किया हुआ कॉटन यार्न शामिल करने में सक्षम हो सका। मैट की बुनी हुई संरचना के अनुकूलन के लिए करघे के विभिन्न इक्विपमेंट में परिवर्तन किया गया।
काम सोरई (दीपोर बील वन्य जीवन अभ्यारण्य का एक निवासी पक्षी पर्पल मूरहेन) के नाम पर इसका नाम ‘मूरहेन योगा मैट रखा गया है जो एक कॉटन कैनवास के कपड़े के थैले में रखी जाती है जिसमें किसी जिप या मेटल क्लोजर का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें एडजस्ट करने वाला स्ट्रैप तथा क्लोजर्स हैं जिन्हें प्रभावी रूप से बायोडिग्रेडेबिलिटी के अनुरूप बनाया गया है।
SOURCE-PIB
गोपबंधु सम्बदिका स्वास्थ्य बीमा योजना
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) ने हाल ही में ओडिशा राज्य के कार्यरत पत्रकारों को अग्रिम पंक्ति के COVID-19 योद्धा घोषित किया है। यह घोषणा गोपबंधु सम्बदिका स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत की गई थी। इनके साथ राज्य में 6,500 से अधिक पत्रकारों को लाभ मिलेगा।
गोपबंधु सम्बदिका स्वास्थ्य बीमा योजना (Gopandhu Sambadika Swasthya Bima Yojana)
यह एक स्वास्थ्य बीमा योजना है जो ओडिशा सरकार द्वारा पत्रकारों के लिए शुरू की गई थी।यह योजना राज्य के सभी कार्यरत पत्रकारों को 2 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करती है।
इसे 2018 में लॉन्च किया गया था।
इस योजना में सरकारी और निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार शामिल है।
यह पत्रकारों को उनके कर्तव्यों का पालन करते हुए बीमारी और चोटों को भी कवर करती है।
गोपालबंधु दास (Gopalbandhu Das)
इस योजना का नाम गोपालबंधु दास के नाम पर रखा गया है।वे ओडिशा में एक लोकप्रिय सुधारक, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, राजनीतिक कार्यकर्ता, निबंधकार और कवि थे।
उन्होंने “सत्यवादी” नामक एक पत्रिका शुरू की थी।पत्रकारिता में उनका योगदान उल्लेखनीय था।
अन्य राज्य
कई अन्य राज्यों ने भी पत्रकारों को अग्रिम पंक्ति का कार्यकर्ता घोषित किया है। इसमें मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
महत्व
पत्रकारों को फ्रंटलाइन कार्यकर्ता घोषित करने का महत्व यह है कि उन्हें भारत के COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम के चरण I में टीका लगाया जाएगा। COVID-19 टीकाकरण कार्यक्रम के चरण I के लाभार्थी स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता, फ्रंटलाइन वर्कर और 50 वर्ष से अधिक आयु की लोग हैं। वर्तमान फ्रंटलाइन वर्कर में होमगार्ड, सशस्त्र बल, जेल कर्मचारी, नगरपालिका कार्यकर्ता, नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक सहित आपदा प्रबंधन स्वयंसेवक हैं।
SOURCE-GK TODAY
अंतर्राष्ट्रीय अग्निशामक दिवस
हर साल 4 मई को अंतर्राष्ट्रीय अग्निशामक दिवस/अंतर्राष्ट्रीय अग्निशमन दिवस (International Firefighters Day) मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
अग्निशामकों के बलिदान को पहचानने के लिए यह दिन मनाया जाता है। इसके अलावा, यह दिवस यह सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता पैदा करता है कि पर्यावरण और समुदाय यथासंभव सुरक्षित हैं।
4 मई ही क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय अग्निशामक दिवस 4 मई को मनाया जाता है क्योंकि यह सेंट फ्लोरियन डे (Saint Florian’s Day) भी है। सेंट फ्लोरियन रोमन बटालियन के कमांडिंग फायरफाइटर्स में से एक था। उन्होंने कई लोगों की जान बचाई और उन्हें अग्निशामकों का संरक्षक संत माना जाता है। उन्होंने प्राचीन रोम में एक पूरा जलता हुआ गाँव बचा लिया था।
संत फ्लोरियन (Saint Florian)
संत फ्लोरियन का जन्म 250 ईस्वी में प्राचीन रोम में हुआ था। वह रोमन सेना में शामिल हुए थे और रोमन प्रांत में सेना के कमांडर बने। उन्होंने सैनिकों का एक समूह संगठित किया और जिसका कर्तव्य आग से लड़ना था।
अग्निशामक दिवस का प्रतीक
अग्निशामक दिवस के प्रतीक में लाल और नीले रंग के रिबन होते हैं। रिबन में लाल रंग आग का प्रतीक है और नीला रंग पानी का प्रतीक है।
टी. रबी शंकर
भारत सरकार ने हाल ही में टी. रबी शंकर को चौथे डिप्टी गवर्नर के रूप में नियुक्त किया।
टी. रबी शंकर (T. Rabi Shankar)
टी. रबी शंकर भारतीय रिज़र्व बैंक में फिनटेक, भुगतान प्रणाली, जोखिम प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रभारी हैं।उन्होंने बी.पी. कानूनगो का स्थान लिया है।
रबी शंकर के पास अर्थशास्त्र की डिग्री में एम. फिल है।
उन्हें बांग्लादेश के केंद्रीय बैंक और बांग्लादेश सरकार के अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
उन्होंने 2008 और 2014 के बीच वित्त मंत्रालय के साथ काम किया।
उन्हें RBI सब्सिडियरी Indian Financial Technology and Allied Services (IFTAS) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
संरचना
भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय निदेशक मंडल द्वारा शासित होता है।इन निदेशकों की नियुक्ति भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत भारत सरकार द्वारा की जाती है।
केंद्रीय बोर्ड में गवर्नर, चार डिप्टी गवर्नर, दो वित्त मंत्रालय के प्रतिनिधि और चार निदेशक स्थानीय बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होते हैं।इन स्थानीय बोर्डों का मुख्यालय कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और नई दिल्ली में है।
मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee)
मौद्रिक नीति समिति का गठन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया गया था।इसका नेतृत्व RBI के गवर्नर द्वारा किया जाता है।
यह समिति आमतौर पर साल में छह बार बैठक करती है।
इस समिति में छह सदस्य हैं। इन छह सदस्यों में से, भारत सरकार तीन व्यक्तियों की नियुक्ति करती है। मौद्रिक नीति समिति में किसी भी सरकारी अधिकारी को नामित नहीं किया जाता है।
SOURCE-GK TODAY