‘शहरी नक्सलवाद’ के खिलाफ विधेयक महाराष्ट्र विधानसभा में पेश:
परिचय:
- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 18 दिसंबर को महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के चल रहे शीतकालीन सत्र में महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक, 2024 पेश किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे संयुक्त चयन समिति को भेजा जाएगा और सभी विचारों और राय को ध्यान में रखते हुए मानसून सत्र में फिर से लाया जाएगा।
- इस विधेयक को सबसे पहले पिछले मानसून सत्र में पेश किया गया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका। इसमें “शहरी केंद्रों में नक्सलवाद की बढ़ती मौजूदगी” से निपटने के लिए एक व्यापक नए कानून का प्रस्ताव किया गया है।
महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक का उद्देश्य क्या है?
- महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा (MSPS) विधेयक, 2024 के उद्देश्यों और कारणों के कथन में कहा गया है कि “नक्सलवाद का खतरा केवल नक्सल प्रभावित राज्यों के दूरदराज के इलाकों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि नक्सली संगठनों के माध्यम से शहरी इलाकों में भी इसकी मौजूदगी बढ़ रही है”।
- महाराष्ट्र सरकार के अनुसार, ये “फ्रंटल संगठन” सशस्त्र नक्सली कैडरों को रसद और सुरक्षित शरण प्रदान करते हैं, और “नक्सलवाद के इस खतरे से निपटने के लिए मौजूदा कानून अप्रभावी और अपर्याप्त हैं”।
- उल्लेखनीय है कि नक्सलियों के जब्त साहित्य से पता चलता है कि महाराष्ट्र राज्य के शहरों में माओवादी नेटवर्क के ‘सुरक्षित घर’ और ‘शहरी ठिकाने’ हैं। नक्सली संगठन या उनके जैसे अन्य संगठनों की गतिविधियां उनके संयुक्त मोर्चे के (TUF) माध्यम से आम जनता के बीच अशांति पैदा कर रही हैं, ताकि संवैधानिक जनादेश के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की अपनी विचारधारा का प्रचार किया जा सके और सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित किया जा सके।
प्रस्तावित कानून के मुख्य प्रावधान क्या हैं?
- यह विधेयक सरकार को किसी भी संदिग्ध “संगठन” को “गैरकानूनी संगठन” घोषित करने की शक्ति देता है।
- इसमें चार अपराध निर्धारित किए गए हैं जिनके लिए किसी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है:
- किसी गैरकानूनी संगठन का सदस्य होने के लिए,
- सदस्य न होने पर, किसी गैरकानूनी संगठन के लिए धन जुटाने के लिए,
- किसी गैरकानूनी संगठन का प्रबंधन करने या प्रबंधन में सहायता करने के लिए और,
- कोई “गैरकानूनी गतिविधि” करने के लिए।
- इन चार अपराधों में दो साल से लेकर सात साल तक की जेल की सजा और 2 लाख रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गैरकानूनी गतिविधि करने से संबंधित अपराध के लिए सबसे कठोर सजा है: सात साल की कैद और 5 लाख रुपये का जुर्माना।
- प्रस्तावित कानून के तहत अपराध संज्ञेय हैं, जिसका अर्थ है कि बिना वारंट के गिरफ्तारी की जा सकती है और गैर-जमानती हैं।
MSPC, 2024 Vs UAPA, 1967:
- गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA), 1967 भारत का मुख्य आतंकवाद विरोधी कानून है जिसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा नक्सलवाद से जुड़े मामलों में किया जाता है।
- UAPA राज्य को संगठनों को “गैरकानूनी संगठन” के रूप में नामित करने की शक्ति देता है। UAPA और MSPC विधेयक दोनों ही ऐसी घोषणा करने के लिए समान प्रक्रियाएँ निर्धारित करते हैं।
- UAPA के तहत, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता वाला न्यायाधिकरण राज्य द्वारा की गई घोषणा की पुष्टि करता है।
- MSPC विधेयक में, एक सलाहकार बोर्ड जिसमें “तीन व्यक्ति जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रह चुके हैं या बनने के योग्य हैं” को पुष्टि प्रक्रिया को पूरा करने का काम सौंपा गया है।
नक्सलवाद या माओवाद क्या है?
- माओवाद या नक्सलवाद सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक उद्देश्यों के लिए किया जाने वाला, वामपंथी विचारधारा वाला, सशस्त्र हिंसक संघर्ष है जो भारत के पूर्वी राज्यों के अति पिछड़े क्षेत्रों में अल्प विकास एवं अन्य सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक वंचना के कारण पनपा है।
- वामपंथी उग्रवादी, माओ-त्से-तुंग की विचारधारा को अपनाकर, भारत की संसदीय एवं लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली के विपरीत एक नवीन साम्यवादी शासन प्रणाली को अपनाने की बात करते हैं।
नक्सलवाद का घोषित उद्देश्य क्या है?
- दीर्घकालीन, सशस्त्र विद्रोह के माध्यम से राजनीतिक सत्ता को प्राप्त कर वैकल्पिक राज्य संरचना के रूप में ‘नव जन लोकतंत्र’ की स्थापना करना है। इस क्रम में नक्सलवाद भारतीय संसदीय लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का विरोध करता है एवं इसे छलावा मानता है।
- इस राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के प्रति स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त करने हेतु नक्सलवादी लोगों के अधिकारों (जल, जंगल और जमीन) के लिए आंदोलन चलाते हैं एवं जन अदालत द्वारा पीड़ितों को न्याय प्रदान करते हैं।
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