कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) युद्ध और बहुआयामी युद्ध संचालन के युग में भारत के लिए चुनौतियाँ और अवसर:
परिचय:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उदय के साथ युद्ध आयामों में भूचाल आ गया है, चीन जैसे देश बहुआयामी सैन्य अभियानों में तेज़ी से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एकीकृत कर रहे हैं, जिससे भारत जैसे देशों के लिए रणनीतिक चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
- इस संदर्भ में यह जानना ज़रूरी है कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधुनिक युद्धक्षेत्रों को नया रूप दे रही है—स्वायत्त हथियारों और डेटा-संचालित निर्णय लेने से लेकर विद्युत चुम्बकीय और साइबर युद्ध तक—और यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता-संचालित रक्षा परिदृश्य, भविष्य को बनाए रखने में ऊर्जा अवसंरचना, विशेष रूप से परमाणु ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
- यह बात युद्ध के इस उभरते हुए युग में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत के लिए अपनी तकनीकी और ऊर्जा संबंधी कमियों को पाटने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालता है।
सैन्य क्षेत्र में एआई तैनाती में चीन की शुरुआती बढ़त
- डीपसीक (DeepSeek) एआई मॉडल के लॉन्च से पहले ही, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने “बुद्धिमत्तापूर्ण युद्ध” की अवधारणा के तहत अपने मुख्य सैन्य कार्यों में एआई को एकीकृत करना शुरू कर दिया था।
- वह फायरिंग अंतराल को कम करके और सटीकता बढ़ाकर, युद्ध के मैदान में परिचालन दक्षता को बढ़ाकर तोपखाने प्रणालियों को बेहतर बनाने के लिए एआई का उपयोग कर रहा है।
- पीपुल्स लिबरेशन आर्मी उच्च परिशुद्धता के साथ दुश्मन के रडार सिस्टम का स्वायत्त रूप से पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए ड्रोन में जनरेटिव एआई को एकीकृत कर रहा है।
- ऐसे में डीपसीक की तकनीकी प्रगति से चीन के अपने सशस्त्र बलों में एआई क्षमताओं का विस्तार करने के प्रयासों को और बल मिलने की उम्मीद है।
चीन-पाकिस्तान का रक्षा क्षेत्र में एआई सहयोग:
- विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटिंग केंद्र (2020 में स्थापित) को चीन की सक्रिय सहायता एक रणनीतिक खतरा है, जिसका मुख्य उद्देश्य संज्ञानात्मक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और एआई-सक्षम निर्णय लेने पर केंद्रित है।
भारत की सुरक्षा चिंताएँ:
- विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को चिंतित होना चाहिए, क्योंकि चीन, पाकिस्तान वायु सेना के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कंप्यूटिंग केंद्र के माध्यम से एआई और रक्षा प्रौद्योगिकी में भी पाकिस्तान की सहायता कर रहा है।
- इसमें संज्ञानात्मक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएँ शामिल हैं, जिनका संभावित रूप से ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लाइव चीनी उपग्रह समर्थन और रीयल-टाइम डेटा प्रोसेसिंग के साथ उपयोग किया जा सकता है।
भारत में रणनीतिक कमियाँ:
- भारत के सैन्य नेता आधुनिक युद्ध की बढ़ती जटिलता और तीव्रता को समझते हैं, और नागरिक-सैन्य एकीकरण और C4ISR (कमांड, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, खुफिया जानकारी, निगरानी और टोही) में प्रगति की आवश्यकता पर बल देते हैं। साइबरस्पेस और विद्युत चुम्बकीय संचालन सहित आभासी और बहु-क्षेत्रीय युद्ध में भारत चीन से पीछे है।
एआई आधारित तकनीकों के विकास में ऊर्जा की भूमिका:
- एआई और डेटा-आधारित तकनीकों के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है, खासकर डेटा केंद्रों और उन्नत विश्लेषण के संचालन के लिए। भारत, जिसकी परमाणु ऊर्जा क्षमता केवल 7.5 गीगावाट है, दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में ऊर्जा की कमी से जूझ रहा है।
- विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि विश्वसनीय बिजली उत्पादन—खासकर परमाणु ऊर्जा—के बिना भारत की एआई महत्वाकांक्षाएँ और रक्षा स्थिति गंभीर रूप से सीमित हो जाएँगी।
प्रस्तावित समाधान:
- भारत ऊर्जा की कमी को दूर करने और स्थिर बेसलोड बिजली उपलब्ध कराने के लिए छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) परमाणु परियोजनाओं पर विचार कर रहा है। होल्टेक इंटरनेशनल जैसी कंपनियाँ इस क्षेत्र में सहयोग की संभावनाएँ तलाश रही हैं।
भारत की युद्ध आयाम में एआई क्षमताएँ:
- DRDO के CAIR (कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं रोबोटिक्स केंद्र) के माध्यम से भारत सैन्य एआई के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, जो युद्ध और रसद के लिए स्वायत्त तकनीकों पर काम करता है।
- आकाशतीर:
- आकाशतीर एक पूर्णतः स्वदेशी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई)-सक्षम, मोबाइल वायु रक्षा नेटवर्क है जिसने युद्ध की परिस्थितियों में भी त्रुटिहीन प्रदर्शन किया है। यह भारत की सामरिक स्वायत्तता, बहु-क्षेत्रीय निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया C4ISR क्षमता में एक महत्वपूर्ण छलांग है।
- आकाशतीर ने आने वाले पाकिस्तानी ड्रोनों और मिसाइलों, जिनमें बायरकटर टीबी2 भी शामिल है, को 100% इंटरसेप्शन में सफलता प्राप्त की।
- सेना के अधिकारियों ने पुष्टि की कि हमले को विफल करने में इसने “सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई”।
- इसकी सफलता स्वायत्त रक्षा प्रौद्योगिकियों में एक प्रमुख नवप्रवर्तक के रूप में भारत की उभरती भूमिका को रेखांकित करती है और प्रोजेक्ट कुशा जैसी भविष्य की प्रगति के लिए एक मज़बूत आधार प्रदान करती है।
- उल्लेखनीय है कि भारत में रक्षा क्षेत्र में AI एकीकरण में प्रगति हो रही है, लेकिन चीन का तेज़ी से एआई विस्तार और पाकिस्तान को उसका समर्थन एक रणनीतिक चुनौती पेश कर रहा है।
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