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Current Affair 10 August 2021

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Current Affairs – 10 August, 2021

पूर्व राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरी

राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री वी.वी. गिरि को आज (10 अगस्त, 2021) राष्ट्रपति भवन में उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन के पदाधिकारियों ने श्री वी.वी. गिरि के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की।

वराहगिरी वेंकट गिरी या वी वी गिरी (10 अगस्त 1894 – 24 जून 1980) भारत के राजनेता एवं देश के तीसरे उपराष्ट्रपति तथा चौथे राष्ट्रपति थे। उनका जन्म ब्रह्मपुर, ओड़िशा में हुआ था। उन्हें 1975 में भारत के सर्वोच्च नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

भारत लौटने के बाद वह श्रम आंदोलन से जुड़े और साथ में कांग्रेस से भी जुड़ गए। उन्होंने मद्रास और नागपुर का रेलवे मजदूर ट्रेड यूनियन गठित की जो आगे चलकर अखिल भारतीय रेल कर्मचारी संघ के नाम से जाना जाने लगा उन्होंने जिनेवा में 1927 में हुई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर कांफ्रेंस में मजदूरों के तरफ से हिस्सा लिया।

1937-39 और 1946-47 के बीच वो मद्रास सरकार में श्रम, उद्योग, सहकारिता और वाणिज्य विभागों के मंत्री रहे उसके बाद दूसरे विश्वयुद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वो जेल भी गये।

1947-51 के बीच वो सीलोन में भारत के उच्चायुक्त के रूप में नियुक्त रहे। 1952 के पहले आम चुनाव में सांसद चुने गए एवं कांग्रेस पार्टी की सरकार में वो पहले श्रम मंत्री बनाये गए। वी.वी. गिरि की समाजवादी राजनैतिक विचारधारा मजदूरों पर केंद्रित थी। उन्होंने श्रम मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया परंतु 1957 का चुनाव वो हार गए।

भारतीय सोसायटी श्रम अर्थशास्त्र (Isle) के 1957 में शिक्षाविदों के एक विशिष्ट समूह और सार्वजनिक पुरुषों श्रम और औद्योगिक संबंधों के अध्ययन को बढ़ावा देने में लगे द्वारा स्थापित किया गया। इस टीम में श्री गिरि के नेतृत्व में किया गया।

वह सफलतापूर्वक उत्तर प्रदेश (1957-1960), केरल (1960-1965) और मैसूर (1965-1967) के राज्यपाल के रूप में सेवा की। वह 1967 में भारत के उप राष्ट्रपति के रूप में चुने गए।

जाकिर हुसैन का 1969 में कार्यालय में निधन होने पर राष्ट्रपति चुनाव हुए। राष्ट्रपति के चुनाव और चुनाव परिणाम के मध्य कुछ दिनों के लिए भारत के तत्कालीन मुख्या न्यायाधीश मुहम्मद हिदायतुल्लाह कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे। कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए नीलिमा संजीव रेड्डी को नामांकित किया और वी वी गिरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा। भारतीय इतिहास में पहली बार वी वी गिरी कांग्रेस उमीदवार को हरा कर राष्ट्रपति चुनाव जीते।

SOURCE-PIB

 

विश्व शेर दिवस

विश्व शेर दिवस हर साल 10 अगस्त को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य शेरों के शिकार को रोकने और उसके संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। विश्व शेर दिवस के दिन लोगों को शेरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनकी घटती आबादी और संरक्षण के लिए कार्यक्रम किए जाते हैं।

एशिया में सबसे ज्यादा शेर भारत में पाए जाते हैं। एशियाई शेर भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी प्रजाति है। इसके अतिरिक्त अन्य चार रॉयल बंगाल टाइगर, इंडियन लेपर्ड, क्लाउडेड लेपर्ड और स्नो लेपर्ड हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खास दिन की सभी देशवासियों को बधाई दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘विश्व शेर दिवस’ पर इस वन्यजीव के संरक्षण में जुटे लोगों को बधाई दी और कहा कि देश को यह जानकर खुशी होगी कि पिछले कुछ साल में भारत में शेरों की आबादी में धीमे-धीमे वृद्धि आई है।

प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि शेर राजसी और साहसी होते हैं। भारत को एशियाई शेरों का घर होने पर गर्व है। विश्व शेर दिवस पर मैं उन सभी को बधाई देता हूं जो इसके संरक्षण को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने कहा कि आपको यह जानकर खुशी होगी कि पिछले कुछ सालों में भारत में शेरों की आबादी में धीमे-धीमे वृद्धि देखी गई है।

शेर : एक नजर में

एक शेर का वजन 190 किलो तक और शेरनी का वजन 130 किलो तक होता है। जहां पर शेर होता है, वहां से आठ किलोमीटर की दूरी तक आप शेर की दहाड़ सुन सकते हैं।

एक शेर की उम्र लगभग 16 से 20 साल की होती है। आपको बता दें की 90 प्रतिशत से ज्यादा शिकार शेर नहीं बल्कि शेरनियाँ करती हैं। लगभग दो हजार साल पहले पृथ्वी पर 10 लाख से ज्यादा शेर पाए जाते थे।

शेर के पसंदीदा शिकारों में हिरण, नीलगाय जैसे पशु आते हैं। शेर बारहसिंगा, गाय और अपने से छोटे मांसाहारी पशु को भी चाव से खाते हैं। शेर की सुनने की क्षमता भी बहुत होती है।

भारत का राष्ट्रीय चिन्ह जो कि अशोक स्तम्भ है, उसमें शेर का चित्र अंकित है। नर शेर की गर्दन पर बाल होते हैं, लेकिन मादा की गर्दन पर बाल नहीं होते हैं। शेर बिल्ली की प्रजाति में आता है। इन्हें बिग कैट कहा जाता है।

इस दिन की शुरुआत?

विश्व शेर दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2013 में की गई, ताकि शेरों की दुर्दशा और इन मुद्दों के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके और जो लोग जंगली शेरों के पास रहते हैं, उन्हें शिक्षित किया जा सके। साल 2013 से लेकर अब तक हर साल इस दिन को 10 अगस्त के दिन मनाया जाता है।

SOURCE-DANIK JAGARAN

 

विश्व जैव ईंधन दिवस

परंपरागत जीवाश्म ईंधन के एक विकल्प के रूप में गैर-जीवाश्म ईंधनों के महत्त्व के बारे में जागरूकता पैदा करने और जैव ईंधन के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा किये गये विभिन्न प्रयासों को उजागर करने के लिये प्रत्येक वर्ष 10 अगस्त को विश्व जैव ईंधन दिवस (World Biofuel Day) मनाया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • विश्व जैव ईंधन दिवस के अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक वेबिनार का आयोजन किया गया जिसका विषय था- ‘जैव ईंधन की ओर आत्मनिर्भर भारत’ (Biofuels Towards Atmanirbhar Bharat)।
  • केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय वर्ष 2015 से विश्व जैव ईंधन दिवस मना रहा है।
  • भारत सरकार का जैव ईंधन कार्यक्रम ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल से संबंधित है और इसके अनुसार।

सर रूडोल्फ डीज़ल (Sir Rudolf Diesel) :

  • 10 अगस्त की तारीख सर रूडोल्फ डीज़ल द्वारा किये गये अनुसंधान प्रयोगों को भी सम्मान प्रदान करती है जिन्होंने वर्ष 1893 में मूंगफली के तेल से मशीन इंजन चलाया था।
  • सर रूडोल्फ डीज़ल ने अपने अनुसंधान प्रयोगों के आधार पर कहा था कि वनस्पति तेल अगली शताब्दी में विभिन्न मशीनी इंजनों के ईंधन के लिये जीवाश्म ईंधनों का स्थान लेगा।

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018

  • इस नीति के द्वारा गन्ने का रस, चीनी युक्त सामग्री, स्टार्च युक्त सामग्री तथा क्षतिग्रस्त अनाज, जैसे- गेहूँ, टूटे चावल और सड़े हुए आलू का उपयोग करके एथेनॉल उत्पादन हेतु कच्चे माल के दायरे का विस्तार किया गया है।
  • इस नीति में जैव ईंधनों को ‘आधारभूत जैव ईंधनों’ यानी पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल और बायोडीज़ल तथा ‘विकसित जैव ईंधनों’ यानी दूसरी पीढ़ी (2G) के एथेनॉल, निगम के ठोस कचरे (एमएसडब्ल्यू) से लेकर ड्रॉप-इन ईंधन, तीसरी पीढ़ी (3G) के जैव ईंधन, बायो सीएनजी आदि को श्रेणीबद्ध किया गया है, ताकि प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उचित वित्तीय और आर्थिक प्रोत्साहन बढ़ाया जा सके।

जैव ईंधन के लाभ :

  • खनिज तेल के आयात में कमी।
  • स्वच्छ वातावरण।
  • किसानों की आय में वृद्धि।
  • रोज़गार का सृजन।

SOURCE-PIB

 

127वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया गया

केंद्र सरकार ने 9 अगस्त, 2021 को लोकसभा में 127वां संविधान (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। यह विधेयक राज्य की अपनी ओबीसी सूची बनाने की शक्ति को बहाल करने का प्रयास करता है।

मुख्य बिंदु

  • केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने यह विधेयक पेश किया।
  • इसे 102वें संविधान संशोधन विधेयक के कुछ प्रावधानों को स्पष्ट करने के लिए संसद में पेश किया गया था, जिसमें पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को बहाल किया गया था।

संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 (4), 15 (5), और 16 (4) राज्य सरकार को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की सूची घोषित करने और उनकी पहचान करने की शक्ति प्रदान करते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें एक अभ्यास के रूप में अलग-अलग ओबीसी सूची तैयार करती हैं।

127वें विधेयक की पृष्ठभूमि

मई 2021 के मराठा आरक्षण के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम को बरकरार रखने के बाद नवीनतम संशोधन की आवश्यकता पैदा हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की सिफारिशों पर, राष्ट्रपति यह निर्धारित करेंगे कि राज्य OBC सूची में किन समुदायों को शामिल किया जाएगा।

127वें संविधान संशोधन विधेयक के बारे में

  • 127वां संविधान संशोधन विधेयक अनुच्छेद 342A के खंड 1 और 2 में संशोधन करेगा।
  • यह एक नया खंड 3 पेश करेगा।
  • यह अनुच्छेद 366 (26c) और 338B में भी संशोधन करेगा।
  • इस विधेयक को यह स्पष्ट करने के लिए तैयार किया गया है कि राज्य सरकारें ओबीसी की राज्य सूची बनाए रख सकती हैं।
  • संशोधन के तहत नवीनतम ‘राज्य सूची’ को पूरी तरह से राष्ट्रपति के दायरे से बाहर कर दिया जाएगा और इसे राज्य विधानसभा द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

 

काकोरी ट्रेन षडयंत्र (Kakori Train Conspiracy) का नाम बदलकर काकोरी ट्रेन कार्यवाही

उत्तर प्रदेश सरकार ने “काकोरी ट्रेन षड्यंत्र” (Kakori Train Conspiracy) नामक एक ऐतिहासिक स्वतंत्रता आंदोलन का नाम बदलकर “काकोरी ट्रेन एक्शन” (Kakori Train Action) कर दिया है और उत्तर प्रदेश के काकोरी में एक ट्रेन को लूटने के लिए फांसी पर लटकाए गए क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि दी।

मुख्य बिंदु

  • क्रांतिकारियों ने 1925 में हथियार खरीदने के लिए ट्रेन को लूट लिया था।
  • इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया।
  • वे क्रांतिकारी कुछ जोशीले लोग थे, जिनका एक ही लक्ष्य ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता था। इसलिए, यह सोचकर नाम बदल दिया गया कि उन्होंने कोई साजिश नहीं की क्योंकि वे आजादी के लिए लड़ रहे थे।
  • स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और रोशन सिंह को 19 दिसंबर, 1927 को काकोरी डकैती में शामिल होने के लिए फांसी पर लटका दिया गया था।

काकोरी ट्रेन एक्शन (Kakori Train Action)

यह एक ट्रेन डकैती थी जो 9 अगस्त, 1925 को लखनऊ के पास काकोरी नामक गाँव में ब्रिटिश राज के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई थी। इस डकैती का आयोजन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) द्वारा किया गया था। इसकी योजना राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाकउल्लाह खान ने बनाई थी। स्वतंत्रता प्राप्त करने के उद्देश्य से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए HRA की स्थापना की गई थी।

बिस्मिल और उनकी पार्टी के क्रांतिकारियों को HRA के लिए हथियार खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता थी। इसलिए, उन्होंने उत्तर रेलवे लाइन पर एक ट्रेन को लूटने का फैसला किया। लूट की योजना राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी, केशव चक्रवर्ती, मुकुंदी लाल, बनवारी लाल आदि ने अंजाम दी थी।

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Socialist Republican Association – HSRA)

HSRA एक क्रांतिकारी संगठन था जिसकी स्थापना राम प्रसाद बिस्मिल, सचिंद्र नाथ सान्याल, सचिंद्र नाथ बख्शी और जोगेश चंद्र चटर्जी ने की थी। पहले इसे हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के नाम से जाना जाता था।

SOURCE-GK TODAY

 

आईपीसीसी रिपोर्ट

9 अगस्त को जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल यानी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने जलवायु परिवर्तन पर अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसे आईपीसीसी वर्किंग ग्रुप। रिपोर्ट ऑन द फिजिकल साइंस बेसिस नाम दिया गया है। हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट (AR6) का पहला भाग क्लाइमेट चेंज 2021 : द फिजिकल साइंस बेसिस शीर्षक से जारी किया।

  • इसे वर्किंग ग्रुप-I के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। शेष दो भाग वर्ष 2022 में जारी किये जाएंगे।
  • यह नोट किया गया कि वर्ष 2050 तक वैश्विक शुद्ध-शून्य तापमान वृद्धि को 5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने के लिये न्यूनतम आवश्यकता है।
  • यह नवंबर 2021 में कॉप (COP) 26 सम्मेलन के लिये मंच तैयार करता है।
  1. अगले 20 बरस में वैश्विक तापमान 5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर जाएगा। पिछला दशक बीते 1.25 लाख वर्षों के मुकाबले काफी गर्म था, जो 1850 से लेकर 1900 के बीच के मुकाबले 2011 से 2020 के दौरान 1.09 डिग्री तापमान अधिक दर्ज किया गया।
  2. यदि वर्तमान की तरह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रहा तो 21 वीं सदी के मध्य में ही वैश्विक तापमान 2 डिग्री सेल्सियस सीमा को पार कर जाएगा।
  3. तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि भारी से भारी बारिश की घटनाओं की तीव्रता को 7 फीसदी बढ़ा देगी।
  4. कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता (कान्सन्ट्रेशन) 20 लाख वर्षों में सबसे अधिक है।
  5. समुद्री जलस्तर में वृद्धि 3,000 वर्षों में सबसे तेज है।
  6. आर्कटिक समुद्री बर्फ 1,000 वर्षों में सबसे कम है।
  7. कुछ बदलावों को हम और भी पलट सकते हैं, कम से कम आने वाले हजारों वर्षों तक।
  8. अगर हम अपने ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को नियंत्रित कर भी दें, तब भी अगले 1,000 वर्षों तक बर्फ का पिघलना जारी रहेगा।
  9. महासागरों का गर्म होना जारी रहेगा, यह 1970 के दशक से 2 से 8 गुना बढ़ गया है।
  10. समुद्र के स्तर में वृद्धि सैकड़ों वर्षों तक जारी रहेगी।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल

यह जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।

IPCC की स्थापना संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) द्वारा वर्ष 1988 में की गई थी। यह जलवायु परिवर्तन पर नियमित वैज्ञानिक आकलन, इसके निहितार्थ और भविष्य के संभावित जोखिमों के साथ-साथ अनुकूलन तथा शमन के विकल्प भी उपलब्ध कराता है।

IPCC आकलन जलवायु संबंधी नीतियों को विकसित करने हेतु सभी स्तरों पर सरकारों के लिये एक वैज्ञानिक आधार प्रदान करते हैं और वे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) में इस पर बातचीत करते हैं।

IPCC आकलन रिपोर्ट

हर कुछ वर्षों (लगभग 7 वर्ष) की IPCC मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करता है जो पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का सबसे व्यापक वैज्ञानिक मूल्यांकन है।

अब तक पाँच मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार की गई हैं, पहली वर्ष 1990 में जारी की गई है। पाँचवीं मूल्यांकन रिपोर्ट 2014 में पेरिस में जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के लिये जारी की गई थी।

वैज्ञानिकों के तीन कार्य समूहों द्वारा मूल्यांकन रिपोर्ट।

कार्यकारी समूह-I : जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक आधार से संबंधित है।

कार्यकारी समूह-II : संभावित प्रभावों, कमज़ोरियों और अनुकूलन मुद्दों को देखता है।

कार्यकारी समूह-III : जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये की जा सकने वाली कार्रवाइयों से संबंधित है।

SOURCE-THE HINDU

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