Current Affair 10 July 2021

Current Affairs – 10 July, 2021

फाम मिन्ह चिन

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज वियतनाम के प्रधानमंत्री महामहिम फाम मिन्ह चिन से टेलीफोन पर वार्ता की।

प्रधानमंत्री मोदी ने फाम मिन्ह चिन को वियतनाम के प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने पर उन्हें बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि उनके सक्षम मार्गदर्शन में भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी आगे भी  मजबूत होती रहेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस तथ्य का स्वागत किया कि दोनों देश एक खुले, समावेशी, शांतिपूर्ण और नियम-आधारित हिंद महासागर क्षेत्र पर समान दृष्टिकोण साझा करते हैं और इसलिए भारत और वियतनाम के बीच की यह  व्यापक रणनीतिक साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता, समृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में अपना योगदान कर सकती है। इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि वर्तमान समय में भारत और वियतनाम दोनों ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में साथी सदस्य हैं।

प्रधानमंत्री ने भारत में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान वियतनाम की सरकार और लोगों द्वारा प्रदान किए गए बहुमूल्य समर्थन के लिए प्रधानमंत्री चिन को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों को इस वैश्विक महामारी के खिलाफ किए जा रहे  प्रयासों का समर्थन करने के लिए आपस में परामर्श और सहयोग जारी रखना चाहिए।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की और सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों पर अपने विचार साझा किए। यह देखते हुए कि वर्ष 2022 दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थाना की 50वीं वर्षगांठ के रूप में चिह्नित है, दोनों नेता इस बात के लिए भी सहमत हुए कि इस शुभ अवसर को अविस्मरणीय बनाने के लिए भव्य तरीके से विभिन्न समारोहों का आयोजन किया जाएगा।

वियतनाम

वियतनाम (आधिकारिक तौर पर वियतनाम समाजवादी गणराज्य) दक्षिणपूर्व एशिया के हिन्दचीन प्रायद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित एक देश है। इसके उत्तर में चीन, उत्तर पश्चिम में लाओस, दक्षिण पश्चिम में कंबोडिया और पूर्व में दक्षिण चीन सागर स्थित है। २००८ में ८ करोड़ ६१ लाख की जनसंख्या के साथ वियतनाम दुनिया में १३वाँ सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। बौद्ध धर्म यहां का प्रमुख धर्म है जो देश जनसंख्या का ८५% हिस्सा है। और बौद्ध जनसंख्या में ये दुनिया का तीसरा बड़ा देश है (चीन और जापान के बाद)। वियतनाम में आज करीब ७.५ करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयायी है।

वियतनाम भारत से कब अलग हुआ?

२० वीं शताब्दी के मध्य में फ्रेंच नेतृत्व का विरोध करने के प्रयास का नतीजा लोगों के देश से निकाले जाने के रूप में सामने आया, आखिरकार देश राजनीतिक रूप से दो हिस्सों में विभाजित हो गया। वियतनाम युद्ध के दौरान दोनों पक्षों के बीच लड़ाई जारी रही, जो १९७५ में उत्तर वियतनामी विजय के साथ समाप्त हुई।

वियतनाम का पुराना नाम क्या है?

वियतनाम का इतिहास, २७०० वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। वियतनाम का प्राचीन नाम चम्पा था। चम्पा के नागरिक चाम कहलाते थे, इनके राजा शैव थे।

वियतनाम में कौन सा धर्म है?

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान समय में अधिकांश वियतनामी बौद्ध एवं देशी धर्म को मानते हैं जिसमें स्थानीय आत्माओं, देवताओं एवं देवी माँ की पूजा की जाती है। १९८० के बाद से देशी धर्म पुनर्जीवित हो चले हैं। यहां सर्वाधिक संख्या बौद्ध धर्म को मानने वालों की है जो लगभग ८५% है। लगभग ८ प्रतिशत लोग ईसाई हैं।

SOURCE-PIB

  

जीआई प्रमाणित फजली आम

भारत ने कोविड-19 महामारी की वजह से पैदा हुई ढुलाई संबंधी चुनौतियों के बावजूद इस सीजन में नए देशों तक आम के अपने निर्यात का विस्तार किया है। एक प्रमुख पहल, जोकिदेश के पूर्वी क्षेत्र से मध्य-पूर्व के देशों में खासतौर पर आम निर्यात क्षमता को बढ़ावा देगा, के रूप में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से प्राप्त जियोग्राफिकल आइडेंटिफिकेशन (जीआई) प्रमाणित फजली नाम के आम की किस्म की एक खेप आज बहरीन निर्यात की गई। फजली आम की खेप को एपीडा द्वारा पंजीकृत डीएम इंटरप्राइजेज, कोलकाता द्वारा निर्यात और अल जजीरा समूह, बहरीन द्वारा आयात किया गया।

एपीडा गैर-पारंपरिक क्षेत्रों और राज्यों से आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रहा है। वह आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच आभासी बैठकें और फेस्टिवल आयोजित करता रहा है। बहरीन को भेजी गई इस खेप का सौदा एपीडा द्वारा कतर के दोहा में आम से संबंधित प्रचार कार्यक्रम आयोजित करने के कुछ दिनों बाद हुआ। इस प्रचार कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के जीआई प्रमाणित किस्म सहित नौ किस्मों के आम आयातक फैमिली फ़ूड सेंटर के स्टोर मेंप्रदर्शित किए गए थे।

जिन नौ किस्मों का निर्यात किया गया उनमें जीआई प्रमाणित खिरसापति (मालदा, पश्चिम बंगाल), लखनभोग (मालदा, पश्चिम बंगाल), फजली (मालदा, पश्चिम बंगाल), दशहरी (मलीहाबाद, उत्तर प्रदेश), आम्रपाली एवं चौसा (मालदा, पश्चिम बंगाल) और लंगड़ा (नदिया, पश्चिम बंगाल) शामिल हैं।

जून 2021 में, बहरीन में एक सप्ताह तक चलने वाले भारतीय आम प्रचार कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें तीन जीआई प्रमाणित खिरसापति एवं लक्ष्मणभोग (पश्चिम बंगाल), जर्दालू (बिहार) सहित आम की 16 किस्मों को प्रदर्शित किया गया था।

बहरीन में इस समूह के 13 स्टोरों के जरिए आम की इन किस्मों का बेचा गया। इन आमों को एपीडा में पंजीकृत निर्यातक द्वारा बंगाल और बिहार के किसानों से प्राप्त किया गया था।

एपीडा आम के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए खरीदारों और विक्रेताओं के बीच आभासी बैठकें और फेस्टिवल आयोजित करता रहा है। इसने हाल ही में जर्मनी के बर्लिनमें ‘मैंगो फेस्टिवल’ का आयोजन किया था।

इस सीजन में पहली बार, भारत ने हाल ही में आंध्र प्रदेश के कृष्णा और चित्तूर जिले के किसानों से प्राप्त जीआई प्रमाणित बंगनपल्ली और सुरवर्णरेखा नाम के आम की एक अन्य किस्म के 2.5 मीट्रिक टन (एमटी) की एक खेप भेजी है।

भारत में आम को ‘फलों का राजा’ भी कहा जाता है और प्राचीन शास्त्रों में इसे कल्पवृक्ष (इच्छा पूरी करने वाला पेड़) कहा जाता था। भारत के अधिकांश राज्यों में आम के बागान हैं, लेकिन इस फल के कुल उत्पादन में बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना औरकर्नाटक का है। अलफांसो, केसर, तोतापुरी और बंगनपल्ली भारत से निर्यात की जाने वाली आम की प्रमुख किस्में हैं। आम का निर्यात मुख्य रूप से तीन रूपों – ताजा आम, आम का गूदा और आम का टुकड़ा – में होता है।

SOURCE-PIB

 

सीपीडब्ल्यूडी

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के तहत केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) 12 जुलाई, 2021 को राष्ट्र के लिए अपनी शानदार सेवा के 167वें वर्ष का उत्सव मनाएगा। कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस कार्यक्रम को डिजिटल रूप में आयोजित किया जाएगा।

सीपीडब्ल्यूडी जुलाई 1854 में सार्वजनिक कार्यों के कार्यान्वयन के लिए एक केंद्रीय एजेंसी के रूप में अस्तित्व में आया था। यह अब एक व्यापक निर्माण प्रबंधन विभाग के रूप में विकसित हो गया है, जो परियोजना की अवधारणा से लेकरइसके पूरा होने और रखरखाव प्रबंधन तक की सेवाएं प्रदान करता है।

इस अवसर परकेंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी बतौर’मुख्य अतिथि’ उपस्थित होंगेव आवास और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ के रूप में इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

इस कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह के दौरान गणमान्य व्यक्ति चार तकनीकी प्रकाशनों का विमोचन करेंगे। इनमें सीपीडब्ल्यूडी फ्लोरल टेबलॉक्स : ए ट्रेशर क्लेक्शन, ईआरपी ई-मॉड्यूल्स, निर्माण भारत – सीपीडब्ल्यूडी का इन हाउस प्रकाशन और सीपीडब्ल्यूडी टेलीफोन निर्देशिका 2021 हैं। इस समारोह के दौरान विभाग की गतिविधियों और उपलब्धियों को दिखाने वाली सीपीडब्ल्यूडी पर एक लघु फिल्म भी दिखाई जाएगी।

केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग केन्द्र सरकार के तहत आता है इसे सीपीडब्ल्यूडी भी कहते हैं। पब्लिक सैक्टर से जुड़े काम सीपीडब्ल्यूडी देखती है। यह विभाग केन्द्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय के तहत काम करता है। सीपीडब्ल्यूडी मुख्य रुप से इमारत, सड़क, फ्लाईओवर, स्टेडियम, ऑडिटॉरियम, लैबोरेट्रीज, बंकर, सीमा की बाड़, सीमा के पहाड़ी रोड बनाने का काम करती है। सीपीडब्ल्यूडी की स्थापना जुलाई 1854 में लॉर्ड डलहौजी ने की थी।

सीपीडब्ल्यूडी का मुखिया डायरेक्टर जनरल होता है जो भारत सरकार का मुख्य तकनीकी सलाहकार भी होता है। राज्यों की राजधानी के जिलों के मुखिया चीफ इंजीनियर होते हैं। सीपीडब्ल्यूडी पूरे भारत में काम करता है और पूरे भारत में इसके ऑफिस हैं। 1982 के एशियन गेम्स और 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में सीपीडब्ल्यूडी ने स्टेडियम और ऑडिटोरियम में बनाए थे। फिलहाल सीपीडब्ल्यूडी देश के बाहर भी निर्माण कार्यों में लगा है और इस समय अफगानिस्तान की संसद के निर्माण का जिम्मा सीपीडब्ल्यूडी के पास है।

SOURCE-PIB

 

इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (India Industrial Land Bank) दिसंबर 2021 तक अखिल भारतीय एकीकरण हासिल कर लेगा।

  • इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक सिस्टम (IILB) को 17 राज्यों के उद्योग-आधारित GIS सिस्टम के साथ एकीकृत किया गया है।
  • इस सिस्टम को एकीकृत किया गया था ताकि वास्तविक समय के आधार पर विवरण को पोर्टल पर अपडेट किया जा सके।

इंडिया इंडस्ट्रियल लैंड बैंक (IILB)

IILB एक GIS-आधारित पोर्टल है और सभी औद्योगिक बुनियादी ढांचे से संबंधित सूचनाओं के वन-स्टॉप रिपोजिटरी के रूप में कार्य करता है। लैंड बैंक सिस्टम को राज्य GIS (Geographic Information System) के साथ औद्योगिक सूचना प्रणाली (Industrial Information System – IIS) को एकीकृत करके विकसित किया गया था। इसमें वर्तमान में 5.5 लाख हेक्टेयर भूमि के क्षेत्र में मैप किए गए 4,000 औद्योगिक पार्क शामिल हैं। यह पोर्टल उन निवेशकों के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करता है जो दूर से जमीन की तलाश करते हैं।

पोर्टल पर कौन सी सूचनाएं साझा की जाती हैं?

इस पोर्टल के माध्यम से कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे, प्राकृतिक संसाधनों और इलाके के बारे में जानकारी साझा की जाती है। यह पोर्टल खाली प्लॉट, गतिविधि और संपर्क विवरण के संबंध में प्लॉट-स्तरीय जानकारी भी साझा करता है। यह पोर्टल जल निकासी, वन कच्चे माल और कनेक्टिविटी की बहुस्तरीय जानकारी भी प्रदान करता है।

SOURCE-GK TODAY

 

हिमालयी याक

अरुणाचल प्रदेश के दिरांग में याक पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Yak – NRCY) ने ऊंचाई वाले याक का बीमा करने के लिए नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ भागीदारी की है।

चिंताएं

ऊंचाई वाले याक हिमालयी बेल्ट में जलवायु परिवर्तन की गर्मी को महसूस कर रहे हैं। पूरे भारत में याक पालन क्षेत्रों से जलवायु परिवर्तन और मौसम के मिजाज में अकथनीय परिवर्तन (inexplicable changes) की सूचना मिली है। नतीजतन, देश भर में याक की आबादी खतरनाक दर से घट रही है। 2019 में, उत्तरी सिक्किम में भारी बारिश के एक दौर में लगभग 500 याक की मौत हो गई थी। इससे मालिकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा था। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2012 और 2019 के बीच भारत में याक की संख्या में 24.7% की गिरावट आई है।

बीमा पॉलिसी कैसे मदद करेगी?

  • बीमा पॉलिसी याक मालिकों को मौसम की आपदाओं, पारगमन दुर्घटनाओं, बीमारियों, दंगों, सर्जिकल ऑपरेशन और हड़ताल से उत्पन्न जोखिमों से बचाएगी। इस प्रकार, यह नीति सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में याक पालन करने वाले समुदायों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करेगी।
  • इस बीमा पॉलिसी के तहत, मालिकों को अपने याक को कान पर टैग लगाना होगा और अपने पशुओं का बीमा कराने के लिए उचित विवरण देना होगा।
  • दावा प्राप्त करने के लिए मालिकों को फॉर्म, पशु चिकित्सक से मृत्यु प्रमाण पत्र, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और ईयर टैग जमा करना होगा।
  • इस राशि का दावा करने के लिए 15 दिनों की प्रतीक्षा अवधि होगी।

भारत में याक की आबादी (Yak Population in India)

भारत में याक की कुल जनसंख्या 58,000 है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू व  कश्मीर में 26,000 याक हैं, इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में 24,000, सिक्किम में 5,000 और हिमाचल प्रदेश में 2,000 हैं। पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में करीब 1,000 याक हैं।

याक

चमरी गाय या याक (वैज्ञानिक नाम : Bos Grunniens) एक पशु है जो तिब्बत के ठण्डे तथा वीरान पठार, नेपाल और भारत के उत्तरी क्षेत्रों में पाया जाता है। यह काला, भूरा, सफेद या धब्बेदार रंग का होता है।[1] इसका शरीर घने, लम्बे और खुरदरे बालों से ढँका हुआ होता है। इसे कुछ लोग तिब्बत का बैल भी कहते हैं। इसे ‘चमरी’ या ‘चँवरी’ या ‘सुरागाय’ भी कहते हैं।

परिचय

याक अंग्युलेटा (Ungulata) गण के बोविडी (Bovidae) कुल का शाकाहारी स्तनपोषी जीव है, जिसका निवास तिब्बत के ऊँचे पठार हैं। यह एक प्रकार की गाय जाति का जंगली पशु है, जिसकी कुछ जातियाँ तो पालतू कर ली गई हैं, लेकिन कुछ अभी तक जंगली अवस्था में ही जंगलों में रहती हैं। भारत में यह उत्तरी लद्दाख के आसपास १५-२० हजार फुट की ऊँचाई पर पाया जाता है। भारत और तिब्बत के बीच सामान ढोने और सवारी के काम में ये ही जानवर आते हैं।

चमरी को सुरागाय और याक भी कहा जाता है, जिसमें बड़ा याक कद में सबसे बड़ा होता है। याक का कंधा ऊँचा, पीठ चौरस, पैर छोटे और गठीले होते हैं। इसकी पीठ और शरीर की बगल के बाल छोटे रहते हैं, लेकिन सीने के निचले और पैर के ऊपरी हिस्से पर के बाल लंबे होते हैं। इसकी दुम काफी घनी, गोल और झबरी रहती है, जो चमर बनाने के काम आती है।

चमरी की जंगली जाति काले रंग की होती है, लेकिन पालतू याक काले, सफेद और चितकबरे भी होते हैं। इनके थूथन के पास का कुछ हिस्सा सफेद रहता है और पुराने हो जाने पर नरों की पीठ का कुछ भाग ललछौंह हो जाता है।

याक पालतू गाय बैल से बड़े नहीं होते, लेकिन ऊँचे कंधे तथा बड़े बालों के कारण ये उनसे अधिक रोबीले दिखाई पड़ते हैं। जंगली याक, जो पालतू याकों से बड़े होते हैं, छह फुट ऊँचे और लगभग सात फुट लंबे होते हैं। मादा नर से कुछ छोटी होती है।

याक वैसे तो सीधे और डरपोक जानवर हैं, लेकिन घायल होने पर बहुत भंयकर हमला करते हैं। इनका मुख्य भोजन घास पात है। ये पानी बहुत पीते हैं और जाड़ों में बरफ खा खाकर अपनी प्यास बुझाते रहते हैं।

[याक तिब्बत के निवासियों के लिये बहुत ही उपयोगी जीव है। वहाँ के लोग इसका दूध और मांस तो खाते ही हैं, साथ ही साथ ये इस पर सवारी भी करते हैं और सामान ढोने में भी इसका उपयोग करते हैं।]

याक की मादा 257 और 270 दिनों पर एक बच्चे को जन्म देती है।मादा जन्म देने के लिए एक सुनसान जगह ढूँढती है, लेकिन बछड़ा जन्म के दस मिनट के भीतर चलने में सक्षम होता है और दोनों जल्द ही झुंड में पुन: शामिल हो जाते है।

SOURCE-THE HINDU

 

DBT-NIBMG

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (National Institute of Biomedical Genomics – NIBMG) ने मुंह के कैंसर में जीनोमिक भिन्नता का अपना पहला डेटाबेस बनाया है। NIBMG ने इस डेटाबेस को जनता के लिए सुलभ बनाया है। इस डेटाबेस को dbGENVOC कहा जा रहा है।

dbGENVOC

  • यह एक मुफ़्त संसाधन है और ओरल कैंसर के जीनोमिक वेरिएंट का ब्राउज़ करने योग्य ऑनलाइन डेटाबेस है। dbGENVOC की पहली रिलीज में शामिल हैं :
  1. 24 मिलियन सोमैटिक और जर्मलाइन वेरिएंट जो 100 ओरल कैंसर रोगियों के पूरे एक्सोम सीक्वेंस (exome sequences) और 5 ओरल कैंसर रोगियों के पूरे जीनोम सीक्वेंस से प्राप्त हुए हैं।
  2. 220 रोगी नमूनों से दैहिक भिन्नता डेटा अमेरिका से एकत्र किया गया था और TCGA-HNSCC परियोजना द्वारा विश्लेषण किया गया था।
  3. समुदाय द्वारा अनुमोदित सर्वोत्तम अभ्यास प्रोटोकॉल द्वारा वेरिएंट की पहचान की गई थी।
  • dbGENVOC जीनोमिक वेरिएंट की एक सूची के साथ-साथ एक बिल्ट-इन सर्च इंजन है।
  • इसे भारत के नए ओरल कैंसर के रोगियों के भिन्नता डेटा (variation data) के साथ सालाना अपडेट किया जाएगा।
  • यह मुंह के कैंसर अनुसंधान में प्रगति का समर्थन करेगा।

भारत में मुंह का कैंसर (Oral Cancer in India)

तंबाकू चबाने के कारण पूरे भारत में पुरुषों में मुंह का कैंसर, कैंसर का सबसे प्रचलित रूप है। तंबाकू चबाने से मौखिक गुहा (oral cavity) में कोशिकाओं की आनुवंशिक सामग्री बदल जाती है, जो बदले में मुंह के कैंसर का कारण बनती है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत काम करता है। यह पूरे भारत में जैव प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देता है।

NIBMG

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG) को जैव प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था। बायोमेडिकल जीनोमिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण, अनुवाद और सेवा और क्षमता निर्माण करने वाला यह भारत का पहला संस्थान है। यह पश्चिम बंगाल के कल्याणी में स्थित है।

SOURCE-GK TODAY

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