Current Affairs – 11 August, 2021
प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक 2021 को संबोधित किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की वार्षिक बैठक 2021 को संबोधित किया। बैठक के दौरान उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने विभिन्न क्षेत्रों में सुधारों के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता की सराहना की, जो 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। बैठक का विषय था – ‘भारत@75: आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार और व्यापार जगत का साथ मिलकर आगे बढ़ना’। उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने कई इनपुट और सुझाव दिए, जिनमें प्रमुख हैं – ढांचागत चुनौतियों को दूर करना, विनिर्माण क्षमता बढ़ाना, वित्तीय क्षेत्र को और अधिक जीवंत बनाना, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अग्रणी स्थिति प्राप्त करने के लिए देश के तकनीकी कौशल को बढ़ावा देना आदि।
इस अवसर पर उपस्थित उद्योग हस्तियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीआईआई की यह बैठक इस बार 75वें स्वतंत्रता दिवस के माहौल में ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के बीच हो रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत के नए संकल्पों के लिए, नए लक्ष्यों के लिए यह बहुत बड़ा अवसर है। उन्होंने यह भी कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का बहुत बड़ा दायित्व भारतीय उद्योगों पर है। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान उद्योग जगत की सुदृढ़ता के लिए उसकी सराहना की।
श्री मोदी ने उद्योग जगत से भारत के विकास और उत्कृष्ट क्षमताओं के लिए देश में लंबे समय से कायम भरोसे के माहौल से पूरी तरह लाभान्वित होने को कहा। वर्तमान सरकार के नजरिए में बदलाव के साथ-साथ वर्तमान व्यवस्था या सरकार के काम करने के तौर-तरीकों में बदलाव को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आज का नया भारत, नई दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार है, तत्पर है। जो भारत कभी विदेशी निवेश से आशंकित था, आज वह हर प्रकार के निवेश का स्वागत कर रहा है। इसी तरह देश में जहां एक समय निवेशकों के मन में निराशा पैदा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कर नीतियां थीं, वही भारत आज अपने यहां दुनिया का सर्वाधिक प्रतिस्पर्धी कॉरपोरेट टैक्स और फेसलेस कर प्रणाली होने का दावा कर सकता है। अतीत की लालफीताशाही अब ‘कारोबार में सुगमता सूचकांक’ में भारत के अनेक पायदान ऊपर चढ़ जाने के रूप में बदल गई है। इसी तरह अनेक श्रम कानूनों के जाल को अब 4 श्रम संहिताओं के रूप में युक्तिसंगत बना दिया गया है; कृषि, जिसे केवल आजीविका का साधन माना जाता था, को सुधारों के माध्यम से बाजारों से जोड़ा जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप भारत में रिकॉर्ड एफडीआई और एफपीआई हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार भी सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब हमें लगता था कि जो कुछ भी विदेशी है, वही बेहतर है। इस मानसिकता का परिणाम क्या हुआ, ये आप जैसे उद्योग के दिग्गज भलीभांति समझते हैं। स्थिति इतनी खराब थी कि हमारे अपने ब्रांड भी, जो हमने सालों की मेहनत के बाद खड़े किए थे, उनको विदेशी नामों से ही प्रचारित किया जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज स्थिति तेजी से बदल रही है। आज देशवासियों की भावना भारत में बने उत्पादों के साथ है। उन्होंने कहा कि कंपनी भारतीय हो, यह जरूरी नहीं, लेकिन आज हर भारतीय, भारत में बने उत्पादों को ही अपनाना चाहता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारतीय युवा मैदान में उतरते हैं तो उनके मन में वह हिचक नहीं होती। वे कड़ी मेहनत करना, जोखिम उठाना और परिणाम लाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि युवा महसूस कर रहे हैं कि वह जहां पर हैं, वह उसके हकदार हैं। ऐसा ही आत्मविश्वास आज भारत के स्टार्टअप में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि छह-सात साल पहले भारत में तीन-चार यूनिकॉर्न ही थे, लेकिन आज उनकी संख्या 60 है। इनमें से 21 यूनिकॉर्न तो बीते कुछ महीनों मंन ही बने हैं और ये बात गौरतलब है कि ये यूनिकॉर्न अलग-अलग क्षेत्र में आ रहे हैं। ये यूनिकॉर्न भारत में हर स्तर पर हो रहे बदलाव को दिखाते हैं। उन स्टार्टअप के लिए निवेशकों की प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है और यह संकेत देता है कि भारत के पास विकास के असाधारण अवसर हैं। हमारे उद्योगों पर देश के विश्वास का परिणाम यह है कि कारोबार में आसानी (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) और जीवन जीने में आसानी (ईज ऑफ लिविंग) में सुधार हो रहा है, कंपनी अधिनियम में किए गए बदलाव इसकी पुष्टि करते हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार कठिन सुधार करने में सक्षम है क्योंकि इस सरकार के लिए सरकारी सुधार मजबूरी नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास का विषय है। उन्होंने संसद सत्र के दौरान की गयी पहलों जैसे फैक्टर विनियमन संशोधन विधेयक का उल्लेख किया जिससे छोटे कारोबारियों को कर्ज हासिल करने में मदद मिलेगी। वहीं जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम संशोधन विधेयक छोटे जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के उपायों से सरकार के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (अंग्रेज़ी : Confederation of Indian Industry हिंदी : भारतीय उद्योग परिसंघ), 1895 में स्थापित, भारत की एक गैर-सरकारी, गैर-लाभ, उद्योग नेतृत्व तथा उद्योग प्रबंधित संगठन है। यह भारत की औद्योगिक विकास प्रक्रिया में एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इस संघ का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
भारतीय उद्योग परिसंघ वैश्विक, क्षेत्रीय और उद्योग को आकार देने के लिए व्यापारिक, राजनीतिक, शैक्षणिक और समाज के अन्य नेताओं के साथ में सलाहकार और सलाहकार प्रक्रियाओं के माध्यम से भारत के विकास, उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के अनुकूल माहौल बनाने और बनाए रखने के लिए काम करता है। यह एक सदस्यता-आधारित संगठन है, और सदस्यता निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों से मिलकर बनी है, जिसमें भारत में एसएमई और बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ और क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं।
इतिहास
भारतीय उद्योग परिसंघ की यात्रा, 1895 में 125 साल पहले शुरू हुई, जब 5 इंजीनियरिंग फर्मों ने भारत में स्थित कंपनियों के लिए तत्कालीन सरकार से आदेश प्राप्त करने के लिए इंजीनियरिंग और आयरन ट्रेड एसोसिएशन (EITA) का गठन किया।
1912 में EITA भारतीय इंजीनियरिंग एसोसिएशन (IEA) बन गया, जो भारतीय निर्माताओं के कारण को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।
इंजीनियरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ईएआई) की स्थापना 1942 में की गई थी, जो कि छोटी और मझोली इंजीनियरिंग फर्मों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
1974 में भारतीय इंजीनियरिंग उद्योग संघ (AIEI) के गठन के लिए IEA और EAI के विलय ने एसोसिएशन को मजबूत किया, जो 1986 में कन्फेडरेशन ऑफ़ इंजीनियरिंग इंडस्ट्री (CEI) बन गया। 1991 में भारत के उदारीकरण के बाद, CEI भारतीय उद्योग परिसंघ बन गया।
सदस्यता
भारतीय उद्योग परिसंघ में 9000 से अधिक संगठनों की प्रत्यक्ष सदस्यता है तथा लगभग 265 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों से 3,00,000 से अधिक की अप्रत्यक्ष सदस्यता है।
नेतृत्व
2020-21 के लिये, इसके अध्यक्ष कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ उदय कोटक हैं; टी. वी. नरेन्द्रन, टाटा स्टील के एमडी और सीईओ अध्यक्ष-नामित हैं; और संजीव बजाज उपाध्यक्ष हैं। चंद्रजीत बनर्जी महासचिव हैं।
SOURCE-PIB
आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 अगस्त, 2021 को ‘आत्मनिर्भर नारी-शक्ति से संवाद’ में हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये 12.30 बजे अपराह्न दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़े महिला स्व-सहायता समूहों की महिला सदस्यों के साथ बातचीत करेंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की सफलता की कहानी का संक्षिप्त विवरण तथा कम व छोटी जोत वाली खेती से पैदा होने वाली आजीविका पर एक पुस्तिका भी जारी करेंगे।
प्रधानमंत्री चार लाख स्व-सहायता समूहों को 1,625 करोड़ रुपये की नई सहायता राशि भी जारी करेंगे। इसके अलावा वे पीएमएफएमई (पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइसेज) के तहत आने वाले 7,500 स्व-सहायता समूहों को 25 करोड़ रुपये की आरंभिक धनराशि भी जारी करेंगे। यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की योजना है। इसी तरह मिशन के तहत आने वाले 75 एफपीओ (किसान उत्पादक संगठनों) को 4.13 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान करेंगे।
इस अवसर पर ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री श्री गिरिराज सिंह, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री पशुपति कुमार पारस, ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, पंचायत राज राज्यमंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री श्री प्रह्लाद सिंह पटेल भी उपस्थित रहेंगे।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बारे में:
ग्रामीण विकास मंत्रालय (ग्रामीण विकास मंत्रालय), भारत सरकार ने 01 अप्रैल, 2013 से प्रभावी स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) के पुनर्गठन से राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरूआत की है।
29 मार्च, 2016 से एनआरएलएम का नाम बदल कर डीएवाई-एनआरएलएम (दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) कर दिया गया हैं एवं उक्त कार्यक्रम, सरकार का गरीब, विशेष रूप से महिलाओं हेतु मजबूत संस्थानों के निर्माण एवं वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं से इन्हे जोड़ने का प्रमुख कार्यक्रम है।
इस मिशन का उद्देश्य है कि ग्रामीण इलाकों के गरीब ग्रामीण परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ना। यह क्रमबद्ध तरीके से किया जाता है और गांव के गरीबों को लंबे समय तक सहायता दी जाती है, ताकि वे अन्य तरह से भी अपनी आजीविका प्राप्त कर सकें, अपनी आय और जीवन के स्तर में सुधार ला सकें। मिशन की कई पहलों को कार्यान्वित किया जा रहा है। स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलायें प्रशिक्षित होकर अपने समुदाय की अगुआ बन गई हैं, जैसे कृषि सखी, पशु सखी, बैंक सखी, बीमा सखी, बैंक संवाद सखी, आदि। मिशन स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को शक्तिसम्पन्न भी बना रहा है। मिशन घरेलू हिंसा, महिला शिक्षा और लैंगिक मुद्दों, पोषण, स्वच्छता, स्वास्थ्य आदि से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूक बना रहा है और उनकी समझ व व्यवहार को विकसित कर रहा है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। मेक इन इंडिया, कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक बेहतरी के लिए कौशल विकास आवश्यक है। दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था। भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) को दीन दयाल अंत्योदय योजना – (डी.ए.वाई.-एन.यू.एल.एम.) और हिन्दी में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नाम दिया गया है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर कर पूरे शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा। वर्तमान में, सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों मंल केवल 790 कस्बों और शहरों को कवर किया गया है।
SOURCE-PIB
इसरो द्वारा एक नवीनतम और अत्याधुनिक अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट का प्रक्षेपण
अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट ईओएस-03 एक उत्कृष्ट व कुशल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है, जिसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया जा रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि, इसे जीएसएलवी-एफ10 द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसके बाद, उपग्रह अपने ऑन-बोर्ड प्रपल्शन प्रणाली का इस्तेमाल करके भूस्थिर कक्षा में पहुंच जाएगा।
अर्थ ऑब्ज़र्वेशन सैटेलाइट (ईओएस) की मुख्य विशेषता यह है कि, यह चिन्हित किये गए किसी बड़े क्षेत्र क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियां लगातार अंतराल पर भेजता रहेगा। उन्होंने कहा कि, यह प्राकृतिक आपदाओं, प्रासंगिक घटनाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करेगा।
आम आदमी के लाभ के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए और “जीवन में आसानी” के साथ-साथ “व्यापार में आसानी” लाने पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, नया उपग्रह कृषि, वानिकी, जल निकायों के साथ-साथ आपदा चेतावनी, चक्रवात निगरानी, बादल फटने या आंधी – तूफान की निगरानी आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग लाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होगा।
यह सैटेलाइट एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जिसकी नजर अंतरिक्ष से भारत की सीमाओं पर रहेगी। यही वजह है कि इसे ‘आई इन द स्काई’ कहा जा रहा था। सीमा सुरक्षा के काम में भी यह सैटेलाइट बेहद मददगार साबित होने वाली थी। अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS) की मुख्य विशेषता यह है कि यह चिन्हित किये गए किसी बड़े क्षेत्र क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियां लगातार अंतराल पर भेजनी थी। यह प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करने वाला था।
फरवरी के बाद इसरो की दूसरी लॉन्चिंग
फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद 2021 में इसरो का यह दूसरा प्रक्षेपण है। आज होने वाला यह प्रक्षेपण मूल रूप से इस साल अप्रैल या मई में ही होना था लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया था।
SOURCE-PIB
बुजुर्गों के लिए जीवन का गुणवत्ता सूचकांक
राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम और चंडीगढ़ क्रमशः बुजुर्ग आबादी वाले राज्य, अपेक्षाकृत बुजुर्ग आबादी वाले राज्य, पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणियों की रैंकिंग में शीर्ष पर हैं।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष डॉ. बिबेक देबरॉय ने बुजुर्गों के लिए जीवन का गुणवत्ता सूचकांक जारी किया। ईएसी-पीएम के अनुरोध पर इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस द्वारा यह सूचकांक तैयार किया गया है, जो ऐसे मुद्दों पर प्रकाश डालता है जिनका अक्सर बुजुर्गों के सामने आने वाली समस्याओं में उल्लेख नहीं किया जाता है।
यह रिपोर्ट भारतीय राज्यों में उम्र बढ़ने के क्षेत्रीय पैटर्न की पहचान करने के साथ-साथ देश मंस उम्र बढ़ने की समग्र स्थिति का भी आकलन करती है। यह रिपोर्ट इस बात का भी गहराई से आकलन करती है कि भारत अपनी बुजुर्ग आबादी के कल्याण के लिए किस प्रकार अच्छा काम कर रहा है।
इस सूचकांक के ढांचे में चार स्तंभ- वित्तीय कल्याण, सामाजिक कल्याण, स्वास्थ्य प्रणाली और आय सुरक्षा तथा आठ उप-स्तंभ- आर्थिक सशक्तिकरण, शैक्षिक अर्जन और रोजगार, सामाजिक स्थिति, शारीरिक सुरक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य, मनोवैज्ञानिक कल्याण, सामाजिक सुरक्षा और पर्यावरण के अनुरूप बनाना शामिल हैं।
यह सूचकांक भारत में बुजुर्ग आबादी की जरूरतों और अवसरों को समझने के तौर-तरीकों को विस्तृत बनाता है। यह पेंशन की पर्याप्तता और आय के अन्य स्रोतों के लिए बहुत आगे जाकर काम करता है, जो हालांकि महत्वपूर्ण हैं लेकिन अक्सर इस आयु समूह की जरूरतों के बारे में नीतिगत सोच और बहस को संकुचित करते हैं। यह सूचकांक इस बारे में भी प्रकाश डालता है कि मौजूदा और भविष्य की बुजुर्ग आबादी के जीवन को बेहतर बनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आज की युवा आबादी के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार में निवेश किया जाए।
इस रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
- स्वास्थ्य प्रणाली स्तंभ का अखिल भारतीय स्तर पर उच्चतम राष्ट्रीय औसत 97 होने तथा समाज कल्याण में यह औसत 62.34 होने का पता चला है। वित्तीय कल्याण में यह स्कोर 44.7 रहा है, जो शिक्षा प्राप्ति और रोजगार स्तंभ में 21 राज्यों के कमजोर प्रदर्शन के कारण कम रहा है और यह सुधार की संभावना को दर्शाता है।
- राज्यों ने विशेष रूप से आय सुरक्षा स्तंभ में बहुत खराब प्रदर्शन किया है, क्योंकि आधे से अधिक राज्यों में आय सुरक्षा में राष्ट्रीय औसत यानी 03 से भी कम प्रदर्शन किया है, जो सभी स्तंभों में सबसे कम है। ये स्तंभ-वार विश्लेषण राज्यों को बुजुर्ग आबादी की स्थिति का आकलन करने और उनकी प्रगति में बाधा डालने वाले मौजूदा अंतरालों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं।
- राजस्थान और हिमाचल प्रदेश क्रमशः बुजुर्ग और अपेक्षाकृत बुजुर्ग आबादी वाले राज्यों में सर्वाधिक स्कोर हासिल करने वाले क्षेत्र हैं। जबकि चंडीगढ़ और मिजोरम केंद्र शासित प्रदेश और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य श्रेणी में सर्वाधिक स्कोर हासिल करने वाले क्षेत्र हैं। बुजुर्ग आबादी वाले राज्य ऐसे राज्य हैं, जहां बुजुर्ग आबादी 5 मिलियन से अधिक है, जबकि अपेक्षाकृत बुजुर्ग आबादी वाले राज्य ऐसे राज्य हैं जहां बुजुर्ग आबादी 5 मिलियन से कम है।
बुजुर्गों के लिए जीवन की गुणवत्ता की श्रेणी-वार रैंकिंग :
बुजुर्ग आबादी वाले राज्य
राज्य | स्कोर | समग्र रैंकिंग |
राजस्थान | 54.61 | 1 |
महाराष्ट्र | 53.31 | 2 |
बिहार | 51.82 | 3 |
तमिलनाडु | 47.93 | 4 |
मध्य प्रदेश | 47.11 | 5 |
कर्नाटक | 46.92 | 6 |
अपेक्षाकृत बुजुर्ग आबादी वाले राज्य
राज्य | स्कोर | समग्र रैंकिंग |
हिमाचल प्रदेश | 61.04 | 1 |
उत्तराखंड | 59.47 | 2 |
हरियाणा | 58.16 | 3 |
ओडिशा | 53.95 | 4 |
झारखंड | 53.40 | 5 |
गोवा | 52.56 | 6 |
केरल | 51.49 | 7 |
पंजाब | 50.87 | 8 |
छत्तीसगढ़ | 49.78 | 9 |
गुजरात | 49.00 | 10 |
पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य
राज्य | स्कोर | समग्र रैंकिंग |
मिजोरम | 59.79 | 1 |
मेघालय | 56.00 | 2 |
मणिपुर | 55.71 | 3 |
असम | 53.13 | 4 |
सिक्किम | 50.82 | 5 |
नगालैंड | 50.77 | 6 |
त्रिपुरा | 49.18 | 7 |
अरुणाचल प्रदेश | 39.28 | 8 |
केन्द्र शासित प्रदेश
राज्य | स्कोर | समग्र रैंकिंग |
चंडीगढ़ | 63.78 | 1 |
दादरा और नगर हवेली | 58.58 | 2 |
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह | 55.54 | 3 |
दिल्ली | 54.39 | 4 |
लक्षद्वीप | 53.79 | 5 |
दमन और दीव | 53.28 | 6 |
पुडुचेरी | 53.03 | 7 |
जम्मू और कश्मीर | 46.16 | 8 |
SOURCE-PIB
अल-मोहद अल-हिंदी 2021
भारत और सऊदी अरब ने “अल-मोहद अल-हिंदी 2021” (AL-MOHED AL-HINDI 2021) नामक अपना पहला नौसैनिक अभ्यास आयोजित किया।
मुख्य बिंदु
- इस अभ्यास में भाग लेने के लिए भारत का निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस कोच्चि सऊदी अरब पहुंचा है।
- संयुक्त नौसैनिक अभ्यास भारत और सऊदी अरब के बीच बढ़ते रक्षा और सैन्य सहयोग का प्रतिबिंब प्रदर्शित करेगा।
- आईएनएस कोच्चि अबू धाबी के तट पर संयुक्त अरब अमीरात की नौसेना के साथ नौसैनिक अभ्यास करने के बाद सऊदी अरब पहुंचा है।
अभ्यास का हार्बर चरण
अल-मोहद अल-हिंदी 2021 अभ्यास का हार्बर चरण 9 अगस्त, 2021 को शुरू हुआ। 11 अगस्त से समुद्र आधारित अभ्यास शुरू हुआ। आईएनएस कोच्चि के जुबैल बंदरगाह पर पहुंचने के बाद, रॉयल सऊदी नौसैनिक बलों के अधिकारियों द्वारा इसका गर्मजोशी से स्वागत किया गया।
अभ्यास का महत्व
ओमान के मर्चेंट टैंकर पर ड्रोन हमले के बाद खाड़ी क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच यह संयुक्त नौसैनिक अभ्यास हो रहा है, जिसमें एक ब्रिटिश नागरिक और रोमानियाई नागरिक की मौत हो गई थी। यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका ने ईरान पर एमवी मर्सर स्ट्रीट पर हमले को अंजाम देने का आरोप लगाया था।
आईएनएस कोच्चि (INS Kochi)
यह कोलकाता-श्रेणी का दूसरा स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। इसे प्रोजेक्ट 15A कोड नाम के तहत भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया था। इस जहाज का निर्माण मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया था और सितंबर 2015 में भारतीय नौसेना सेवा के लिए कमीशन किया गया था। इस जहाज को ‘नेटवर्क के नेटवर्क’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है क्योंकि यह अत्याधुनिक डिजिटल नेटवर्क और अत्याधुनिक हथियारों से लैस है।
SOURCE-GK TODAY
वैश्विक युवा विकास सूचकांक 2020
वैश्विक युवा विकास सूचकांक, 2020 में भारत 181 देशों में 122वें स्थान पर है। राष्ट्रमंडल सचिवालय ने 181 देशों के लिए युवा विकास की यह त्रैवार्षिक रैंकिंग जारी की।
मुख्य बिंदु
- यह सूचकांक दुनिया भर के 181 देशों में युवाओं की स्थिति को मापता है।
- सिंगापुर पहली बार शीर्ष पर है।
- इसके बाद स्लोवेनिया, नॉर्वे, माल्टा और डेनमार्क का स्थान है।
- इस सूचकांक में नीचे के देशों में शामिल हैं- चाड, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, दक्षिण सूडान, अफगानिस्तान और नाइजर।
- यह सूचकांक बताता है कि 2010 और 2018 के बीच दुनिया भर में युवाओं की स्थिति में 1% का सुधार हुआ है। हालांकि, यह प्रगति काफी धीमी रही।
- इस सूचकांक में, 156 देशों ने अपने स्कोर में कम से कम मामूली सुधार दर्ज किया है।
- शीर्ष पांच सुधारकर्ताओं में शामिल हैं- भारत, अफगानिस्तान, रूस, इथियोपिया और बुर्किना फासो। उन्होंने अपने स्कोर में औसतन 74% की वृद्धि की।
- लीबिया, सीरिया, यूक्रेन, जॉर्डन और लेबनान जैसे देशों में 2010 और 2018 के बीच युवा विकास में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई।
यह सूचकांक देशों को कैसे रैंक करता है?
- वैश्विक युवा विकास सूचकांक शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, समानता और समावेश, राजनीतिक और नागरिक भागीदारी, शांति और सुरक्षा के संबंध में युवाओं में विकास के आधार पर 00 (निम्नतम) और 1.00 (उच्चतम) के स्कोर के बीच देशों को रैंक करता है।
- यह साक्षरता और मतदान सहित 27 संकेतकों के आधार पर स्कोर प्रदान करता है, जो दुनिया भर में 15 से 29 वर्ष की आयु के 8 बिलियन लोगों की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
SOURCE-DANIK JAGRAN
NMHC (National Maritime Heritage Complex) को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex – NMHC) को एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। यह गुजरात के लोथल में भारत की समुद्री विरासत को समर्पित होगा।
मुख्य बिंदु
- इसमें प्रत्येक तटीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, समुद्री अनुसंधान संस्थान, विरासत थीम पार्क, भूनिर्माण और मनोरंजन स्थल जैसी कई पर्यटक सुविधाएं शामिल होंगी।
- इस गंतव्य का उपयोग भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के लिए किया जाएगा।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex – NMHC)
NMHC को गुजरात के लोथल क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह प्राचीन से आधुनिक काल तक भारत की समुद्री विरासत को प्रदर्शित करेगा।यह 400 एकड़ के क्षेत्र को कवर करेगा जिसमें हेरिटेज थीम पार्क, राष्ट्रीय समुद्री विरासत संग्रहालय, समुद्री संस्थान, लाइटहाउस संग्रहालय, इको-रिसॉर्ट्स इत्यादि जैसी संरचनाएं शामिल हैं।
लोथल (Lothal)
लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिणी शहर था। इसका निर्माण 2400 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था। यह शहर में दुनिया की सबसे पुराना ज्ञात बंदरगाह था, जो शहर को साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ती थी।
SOURCE-GK TODAY