Current Affairs – 11 July, 2021
पल्लेकु पट्टाभिषेकम
हैदराबाद में डॉ. मैरी चन्ना रेड्डी मानव संसाधन विकास संस्थान में पूर्व सांसद श्री येलामंचिली सिवाजी की पुस्तक ‘पल्लेकु पट्टाभिषेकम’ का विमोचन करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि गांव और कृषि सहज रूप से आपस में जुड़े हुए हैं और हमें अपने गांवों में ‘ग्राम स्वराज्य’ लाने के लिए उनसे जुड़े मुद्दों को समग्र रूप में हल करना चाहिए।
पराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज कहा कि देश में कृषि को बनाये रखने के लिए कृषि उपज के बेहतर मूल्य और किसानों को समय पर, किफायती कर्ज उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है।
वैश्विक खाद्य संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होने कहा कि अगर हम अपने किसानों को समय पर सहायता प्रदान करते हैं, तो भारत न केवल आत्मनिर्भर बना रहेगा साथ ही आने वाले वर्षों में दुनिया की जरूरतें भी पूरा करेगी।
महामारी के कारण हुई भारी तकलीफों के बावजूद पिछले साल खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के लिए देश के किसानों की प्रशंसा करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि कृषि को अधिक लाभकारी बनाने के लिए इस समय भंडारण क्षमता बढ़ाने, फसल परिवहन पर प्रतिबंध हटाने और खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
“किसानों को उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ लागत में कटौती पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें अपने संसाधनों जैसे पानी और बिजली का अधिक विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की भी आवश्यकता है।
उन्होंने किसानों को लाभकारी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशाला और खेतों के बीच मजबूत संबंध बनाने का भी सुझाव दिया। उन्होंने वैज्ञानिकों से जलवायु और सूखे का सामना करने में सक्षम बीज किस्मों को विकसित करने का आग्रह किया।
शहरों और गांवों के बीच बढते विभाजन का उल्लेख करते हुए, श्री नायडु ने कहा कि गांवों को सिर्फ ‘शहरों को भोजन की आपूर्ति करने वाले कारखानों’ के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये। गांधीजी के ‘ग्राम स्वराज्य’ के सपने को साकार करने के लिये, उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने और गांवों को बढ़ते हुए आर्थिक केंद्र बनाने के लिए समाज, कृषि के जानकारों, कृषि-अर्थशास्त्रियों, छात्रों और शोधकर्ताओं के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर नये प्रयास करने का आह्वान किया।
वह चाहते थे कि लोग अपनी जड़ों की तरफ वापस लौटें और लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को सुलझाने के लिए साथी ग्रामीणों के साथ काम करें।
कृषि में बढ़ती लागत को देखते हुए, श्री नायडु ने सुझाव दिया कि प्राकृतिक और जैविक खेती लागत को कम करने और किसानों के लिए एक स्थिर आय उत्पन्न करने में काफी संभावनाएं प्रदान करती है। साथ ही उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग ने किसानों को प्राकृतिक खेती को बड़े पैमाने पर अपनाने का अवसर प्रदान किया है।
ग्राम स्वराज
भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था आम नागरिक के अधिकारों का अतिक्रमण करती है। भारतीय संसद और विधानसभा को केवल विधाई शक्तियां ही मिलनी चाहिए थी लेकिन संविधान में इन दोनों को प्रशासनिक शक्ति से विभूषित करके भारतीय जनमानस के साथ धोखा किया गया है। लोकतंत्र की विशेषता ही जनता को स्वनिर्णय की शक्ति प्रदान करना है। लेकिन भारतीय समाज की विडंबना है कि सभी लोकतांत्रिक शक्तियां संविधान के माध्यम से संसद और विधानसभाओं ने अपहृत कर ली है। इन दोनों की मूर्खता कहो अथवा लालच कि भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था दोनों को बाईपास करके आम आदमी के लिए पीड़ा का कारण बन चुकी है। जहाँ राजनीतिक व्यवस्था ने भारतीय समाज को पूरी तरह विघटित तथा बर्बाद कर दिया है वही प्रशासनिक व्यवस्था ने विकास की राह में अड़ंगा लगाया है। यह सर्वविदित है कि किसी भी देश के लिए सामाजिक, वैयक्तिक एवं चारित्रिक विकास के लिए व्यक्ति के अंदर जिम्मेदारी का भाव होना अति आवश्यक है। व्यक्ति का जिम्मेदार होना उसके निर्णय लेने की स्वतंत्रता की सीमा पर निर्भर करता है। आदर्श लोकतंत्र की स्थापना के लिए जनता का शासन व्यवस्था में सहभागी होना अनिवार्य होना चाहिए। शासन व्यवस्था में समाज की सहभागिता जनमानस के अंदर विकासपरक जिम्मेदारी लेकर आती है। जब आमजन शासन व्यवस्था में सहभागी होकर स्वविकास के निर्णय स्वयं करने लगता है उस स्थिति में राजनैतिक व्यवस्था उच्च प्रतिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर होने लगती है। सहभागी शासन व्यवस्था एक नई सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था को जन्म देती है जिसमें समाज को शासनिक और प्रशासनिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग होने का अधिकार प्राप्त होता है। जिस व्यवस्था में समाज का उत्तरदायित्व पूर्ण स्थान होता है वह एक आदर्श व्यवस्था कही जाती है। इस व्यवस्था में राजनीति समाज के प्रति उत्तरदायी होती है। समाज व्यक्तियों से मिलकर बनता है और व्यक्ति के निर्णय लेने की स्वतंत्रता की सीमा देश की राजनीतिक व्यवस्था संविधान के माध्यम से निर्धारित करती है। राजनीति को संविधान पर राज करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। संविधान समाज का चेहरा होता है जो समाज की प्रकृति को प्रतिबिंबित करता है। क्योंकि संविधान समाज की परिपक्वता को प्रदर्शित करता है इसलिए संविधान पर समाज का अधिकार होना चाहिए ना कि राजनीति का। व्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा का निर्धारण करना समाज का प्राकृतिक अधिकार है। यदि इस अधिकार को राजनीति अपहृत करती है तो यह अव्यवस्था और अराजकता का ही कारण बनता है। ग्राम स्वराज्य की अवधारणा समाज को शासनिक एवम प्रशासनिक व्यवस्था में सहभागी बनाने पर जोर देती है। शासन की ग्राम स्वराज्य परिकल्पना एक ऐसी व्यवस्था है जो राजनैतिक अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, अराजकता अथवा तानाशाही जैसी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करती है। इस परिकल्पना को आदर्श लोकतंत्र भी कहा जा सकता है। ऐसे व्यक्ति की आदर्श स्वतंत्रता के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है। ग्राम स्वराज राम राज्य व्यवस्था कीं पहली सीढ़ी है़। राम राज्य मतलब सभी सुखों से परिपूर्ण समाज। परिपूर्ण समाज में स्व निणर्य वाली व्यवस्था ग्राम स्वराज से हि आ सकती है। ग्राम स्वराज का स्वरूप कैसे होगा? ग्राम स्वराज शासन कि सबसे छोटी इकाई होगी यह वर्तमान ग्राम सभा कि तरह क्षेत्र पंचायत ब्लॉक जिला पंचायत और DM के अधीन नही होगी यह प्रशासनिक व्यवस्था राज्य सरकार कि तरह स्वतंत्र होगी। यह व्यवस्था हर नागरिक कि भागीदारी पर चलेगी इस व्यवस्था में आम जन के सभी सुख दुख में ग्राम स्वराज कि पूर्ण भागीदारी होगी। यह व्यवस्था शिक्षा स्वास्थ्य आवास से जुड़ी सभी समस्या हल करेगी। कानून व्यवस्था से जुड़ें सभी मसले और विवाद ग्राम स्तर पर हल होंगें।
भारत में कृषि
- भारत एक कृषि प्रधान देश है। चूँकि भारत में कुल श्रमशक्ति का लगभग 54% भाग कृषि क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करता है, इसलिए भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है।
- भारत में 15 कृषि जलवायुविक प्रदेश पाये जाते हैं।
- कोई भी पौधा एक विशेष जलवायुविक दशाओं में ही उग सकता है और अपना विकास कर सकता है। अगर विशेष जलवायुविक दशाओं की स्थिति न हो तो पौधों का उगना और विकास करना संभव नहीं होगा। उदाहरण के लिए-धान एक उष्णकटिबंधीय फसल है, अर्थात् विषुवत् रेखा के आस-पास के क्षेत्रों में ही धान की खेती करना संभव है।
- धान एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, जबकि दूसरी तरफ गेहूँ एक शीतोष्ण कटिबंधीय पौधा है। यही कारण है कि भारत में गेहूँ की खेती जाड़े के मौसम में और धान की खेती मानसून के आगमन के साथ होती है।
गेहूँ तीन कटिबंधीय प्रदेशों में उगाया जाता है – (i) उष्णकटिबंध (ii) शीत कटिबंध (iii) शीतोष्ण कटिबंध भारत में तीन प्रकार कीफसल ऋतुएँ पायी जाती है। (i) खरीफ की फसल (ii) रबी की फसल (iii) जायद की फसल।
खरीफ की फसल
- खरीफ की फसल मुख्य रूप से मानसून काल की फसल है।
- खरीफ की फसल को जून-जुलाई में बोया जाता है तथा अक्टूबर-नवम्बर में काट लिया जाता है।
- इस फसल के अन्तर्गत निम्नलिखित खाद्यान्नों को शामिल किया जाता है। जैसे–
खाद्यान्न | धान, ज्वार, बाजरा और मक्का |
दलहन | मूंग, उड़द, सोयाबीन, लोबिया और अरहर |
तिलहन | सोयाबीन, मूँगफली, सूरजमुखी, तिल औरअंडी |
नकदी | कपास, जूट और तम्बाकू |
रबी की फसल
- रबी की फसल मुख्य रूप से शीत ऋतु की फसल है।
- इसे अक्टूबर-नवम्बर में बोया जाता है तथा अप्रैल-मई में काट लिया जाता है।
- इस फसल के अन्तर्गत निम्नलिखित खाद्यान्नों को शामिल किया जाता है। जैसे–
खाद्यान्न | गेहूँ और जौ |
दलहन | मटर और चना |
तिलहन | सरसों |
नकदी | गन्ना और बरसीम |
जायद की फसल
- रबी की फसल ऋतु और खरीफ की फसल ऋतु के बीच बोई जाने वाली फसल को जायद की फसल कहा जाता है।
- ग्रीष्म ऋतु में मौसम के शुष्क होने के कारण इस समय मुख्य रूप से ऐसे फसल उगाये जाते हैं, जो पानी का अधिक से अधिक संचय करते हैं।
- इस फसल के अन्तर्गत निम्नलिखित खाद्यान्नों को शामिल किया जाता है। जैसे- खरबूज, तरबूज, खीरा, ककड़ी और जहाँ थोड़ी सिंचाई की सुविधा होती है ऐसे क्षेत्रों में मूँग और उड़द भी उगा दिया जाता है।
- मूंग और उड़द खरीफ तथा जायद दोनों फसल ऋतु की फसल है।
कंटूर खेती (समोच्च कृषि)
- पर्वतीय ढाल वाले क्षेत्रों में जल तेजी से ढाल की ओर प्रवाहित हो जाता है। इस प्रवाह के कारण जल अपने साथ मिट्टी को बहा ले जाती है। दूसरी तरफ जल का प्रवाह इतना तीव्र होता है कि यहाँ मिट्टी जल को सोख नहीं पाती है। अत: यहाँ मिट्टी में नमी की मात्रा बहुत कम होती है। इस समस्या का समाधान करने के लिए कंटूर कृषि अथवा समोच्च कृषि का विकास किया गया है।
- पहाडी ढ़ालों को काट-काटकर सीढ़ीदार खेतों के रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है, इसे कंटूर कृषि कहते हैं। इसकी मुख्य विशेषता यह है कि प्रत्येक सीढी पर अलग-अलग प्रकार की फसल उगाई जाती है। इस प्रकार से कृषि करने पर भूमि को जल सोखने का मौका मिल जाता है तथा मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बनी रहती है।
- कृषि ऋण किसानों की ऋण जरूरतों को पूरा करने के लिए यह सुविधा देश भर में फैले वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी ऋण संस्थाओं के विशाल नेटवर्क के जरिए उपलब्ध हैं। बैंक ऋण की समय पर अदायगी सुनिश्चित करें।
- किसानों को अपने ऋण का समुचित ब्यौरा रखना चाहिये।
- बैंक ऋण का उपयोग उसी उद्देश्य के लिये करें, जिसके लिये ऋण लिया गया है।
क्या पायें?
ऋण सुविधा | सहायता का पैमाना |
ब्याज सहायता प्रतिभूति की आवश्यकता | प्रति वर्ष 7 प्रतिशत ब्याज दर तक फसल ऋण। समय पर ऋण चुकता करने पर 3 लाख तक के फसल ऋण पर 3 प्रतिशत ब्याज दर की छूट। समय पर ऋण चुकता करने पर 1.5 लाख रु.तक 0 प्रतिशत ब्याज दर। एक लाख रूपये तक के कृषि ऋण के लिए किसी प्रतिभूति की आवश्यकता नहीं है। |
किसान क्रेडिट कार्ड | किसानों को फसल ऋण सुविधा किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से उपलब्ध है। ऋण सीमा किसान द्वारा जोती गई जमीन के आधार पर निर्धारित की जाती है तथा किसान क्रेडिट कार्ड 3 से 5 वर्ष के लिए मान्य है। किसानों की दुर्घटना में मृत्यु/अशक्तता पर कवर किया जाता है। फसल बीमा योजना के अनतर्गत फसल ऋण को भी कवरेज दिया जाता है। |
निवेश ऋण | किसानों को उनके निवेदन उद्देश्य जैसे – सिंचाई, कृषि मशीनीकरण, भूमि विकास, पौध रोपण, बागवानी एवं कटाई उपरांत प्रबंधन इत्यादि के लिये भी बैंक ऋण की सुविधा उपलब्ध है। |
SOURCE-PIB
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 13 जुलाई को टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले एथलीटों से बातचीत करेंगे
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मंगलवार 13 जुलाई को शाम 5 बजे टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले भारतीय एथलीटों के दल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत करेंगे।
प्रधानमंत्री द्वारा एथलीटों से यह बातचीत खेलों में उनकी भागीदारी से पहले उन्हें प्रेरित करने का एक प्रयास है। प्रधानमंत्री ने हाल ही में टोक्यो-2020 में भारत के दल की सुविधा के लिए की गई तैयारियों की समीक्षा की थी। उन्होंने मन की बात कार्यक्रम में कुछ एथलीटों की प्रेरणादायक यात्रा पर भी चर्चा करने के साथ ही देश से आगे आने और पूरे दिल से उनका समर्थन करने का आग्रह किया था।
इस कार्यक्रम के दौरान युवा मामले और खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, युवा मामले और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री निसिथ प्रमाणिक तथा विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू उपस्थित रहेंगे।
भारतीय दल के बारे में :
भारत से 18 खेलों के लिए कुल 126 एथलीट टोक्यो जाएंगे। किसी भी ओलंपिक में भारत से भेजे जाने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा दल है। इस बार भारत 18 खेलों की 69 प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेगा। यह पहला मौका होगा जब भारत इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न खेलों की अलग-अलग प्रतिस्पर्धा में भाग लेगा।
इस बार भारत की ओर से विभिन्न खेलों में पहली बार भाग लिया जा रहा है। अपने खेल इतिहास में पहली बार, भारत की एक फ़ेंसर (भवानी देवी) ने ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई किया है। नेत्रा कुमानन ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली महिला नाविक हैं। साजन प्रकाश और श्रीहरि नटराज तैराकी में ‘ए’ योग्यता मानक हासिल करके ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के पहले तैराक हैं।
ओलम्पिक खेल
ओलम्पिक खेल प्रतियोगिताओं में अग्रणी खेल प्रतियोगिता है जिसमे हज़ारों एथेलीट कई प्रकार के खेलों में भाग लेते हैं। ओलम्पिक की शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं में २०० (200) से ज्यादा देश प्रतिभाग के रूपमें शामिल होते हैं। ओलम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष करती है।
ओलम्पिक खेलों (१८९६-२०१६) (1896-2016) का इतिहास बहुत ही पुराना है। प्राचीन ओलम्पिक खेलों का आयोजन १२०० (1200) साल पूर्व योद्धा-खिलाड़ियों के बीच हुआ था। पुराने समय में शांतिपूर्ण समय अंतराल के दौरान योद्धाओं के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ खेलों का विकास हुआ। शुरुआती दौर में दौड़, मुक्केबाजी, कुश्ती और रथों की दौड़ सैनिक प्रशिक्षण का हिस्सा हुआ करते थे। इनमें से सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाले योद्धा प्रतिस्पर्धी को खेलों में अपना दमखम दिखाने का मौका मिलता था।
प्राचीन काल में यह ग्रीस यानी यूनान की राजधानी एथेंस में १८९६ (1896) में आयोजित किया गया था। ओलंपिया पर्वत पर खेले जाने के कारण इसका नाम ओलम्पिक पड़ा। ओलम्पिक में राज्यों और शहरों के खिलाड़ी भाग लेते थे। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ओलम्पिक खेलों के दौरान शहरों और राज्यों के बीच लड़ाई तक स्थगित कर दिए जाते थे। इस खेलों में लड़ाई और घुड़सवारी काफी लोकप्रिय खेल थे। लेकिन उसके बाद भी सालों तक ओलम्पिक आंदोलन का स्वरूप नहीं ले पाया। तमाम सुविधाओं की कमी, आयोजन की मेजबानी की समस्या और खिलाड़ियों की कम भागीदारी-इन सभी समस्याओं के बावजूद धीरे-धीरे ओलम्पिक अपने मक़सद में क़ामयाब होता गया। प्राचीन ओलम्पिक की शुरुआत ७७६ बीसी में हुई मानी जाती है।
प्राचीन ओलम्पिक में बाक्सिंग, कुश्ती, घुड़सवारी के खेल खेले जाते थे। खेल के विजेता को कविता और मूर्तियों के जरिए प्रशंसित किया जाता था। हर चार साल पर होने वाले ओलम्पिक खेल के वर्ष को ओलंपियाड के नाम से भी जाना जाता था। ओलम्पिक खेल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु-खेल प्रतियोगिता है। इन खेलोमे भारत गोल्ड मेड्ल प्राप्त कर चूका है। एक अन्य दंतकथा के अनुसार हरक्यूलिस ने ज्यूस के सम्मान में ओलम्पिक स्टेडियम बनवाया गया। छठवीं और पांचवीं शताब्दी में ओलम्पिक खेलों की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी। लेकिन बाद में रोमन साम्राज्य की बढ़ती शक्ति से ग्रीस खास प्रभावित हुआ और धीरे-धीरे ओलम्पिक खेलों का महत्व गिरने लगा।
३९३ (393) ईस्वी के आसपास ओलम्पिक खेल ग्रीस यानी यूनान में बंद हो गया। 1896 के बाद वर्ष 1900 में पेरिस को ओलम्पिक की मेजबानी का इंतज़ार नहीं करना पड़ा और संस्करण लोकप्रिय नहीं हो सके क्योंकि इस दौरान भव्य आयोजनों की कमी रही। 2008 में चीन की राजधानी बीजिंग ओलम्पिक में अब तक का सबसे अच्छा आयोजन माना गया है। पंद्रह दिन तक चले ओलम्पिक खेलों के दौरान चीन ने ना सिर्फ़ अपनी शानदार मेज़बानी से लोगों का दिल जीता बल्कि सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीत कर भी इतिहास रचा। भारत ने भी ओलम्पिक के इतिहास में पहली बार १९२८ में स्वर्ण पदक जीता और उसे पहली बार एक साथ तीन पदक भी मिले। विश्व के प्राचीनतम अंतरराष्ट्रीय खेल समारोह ओलम्पिक का आयोजन 2016 का ब्राजील के शहर रिओ डी जेनेरियो में 5 अगस्त से 21 तक चला! इस बार के रिओ डी जेनेरियो ओलम्पिक में 26 खेलों में 204 देशों के लगभग 10500 खिलाड़ीयों ने भाग लीया था। इस बार भारत ने ओलम्पिक में रजत, कांस्य पदक जीता था।
ओलम्पिक के आदर्श- 1. ओलम्पिक ध्वज – बेरोंन पियरे डी कोबर्टीन के सुझाव पर 1913 में ओलम्पिक ध्वज का सृजन हुआ जून 1914 को इसका विधिवत उद्घाटन पेरिस में हुआ इस ध्वज को सर्वप्रथम 1920 के एंटवर्प ओलम्पिक में फहराया गया। ध्वज की पृष्टभूमि सफेद है सिल्क के बने ध्वज के मध्य में ओलम्पिक प्रतीक के रूप में पांच रंगीन एक दूसरे से मिले हुए दर्शाये गए है जो विश्व के 5 महाद्वीपो के प्रतिनिधित्व करने के सांथ ही निष्पक्ष एवं मुक्त स्पर्धा का प्रतीक है नीला चक्र – यूरोप पीला चक्र – एशिया काला चक्र – अफ्रीका हरा चक्र – ऑस्ट्रेलिया लाल चक्र – उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका।
ओलम्पिक का उद्देश्य- सन 1897 में फादर डिडोन द्वारा रचित सिटियस, अल्टीयस, फोर्टियस लेटिन में ओलम्पिक के उद्देश्य है जिनका अर्थ है तेज़, ऊंचा, बलवान। इसको पहली बार 1920 में ओलम्पिक के उद्देश्य के रूप में एंटवर्प (बेल्जियम) ओलम्पिक खेलो में प्रस्तुत किया गया।
ओलम्पिक मशाल- इसे जलाने की शुरुआत 1928 से एम्स्टर्डम ओलम्पिक से हुई। 1936 में बर्लिन ओलम्पिक में मशाल के वर्तमान स्वरूप को अपनाया गया। इसी समय से मशाल को आयोजित स्थल तक लाने का प्रचलन शुरू हुआ। इस मशाल को खेल शुरू होने के कुछ दिन पूर्व यूनान के ओलम्पिया में हेरा मन्दिर के सामने सूर्य की किरणों से प्रज्वलित किया जाता है विभिन्न खिलाड़ियों द्वारा वहाँ से आयोजन स्थल तक लाया जाता है इसी मशाल से खेल समारोह विशेष की मशाल प्रज्वलित की जाती है।
ओलम्पिक पदक- ओलम्पिक खेलो में तीन प्रकार के पदक दिए जाते है 1. स्वर्ण पदक 2. रजक पदक 3. कांस्य पदक। महिलाओं की ओलम्पिक में भागीदारी सबसे पहले किस वर्ष में हुई थी? 1896 में पहले ओलंपिक एथेंस में हुए थे। इनमे महिलाओं ने हिस्सा नहीं लिया था। दूसरे ओलंपिक खेल जो की पेरिस में हुए थे 1900 में तब पहली बार महिलाओं ने खेलो के महा कुंभ में भाग लिया।
ओलंपिक 2021 का शुभंकर क्या है?
2021 में होने वाले टोक्यो 2020 ओलंपिक के लिए शुभंकर (Mascot) के तौर पर ‘MIRAITOWA’ (मिराइतोवा) को चुना गया है जिसे ख़ास जापानी इंडिगो ब्लू रंग का पैटर्न दिया गया है। तथा टोक्यो 2020 पैरालंपिक खेल के शुभंकर को ‘SOMEITY’ (सोमाइटी) नाम दिया गया है। यह जापान की परंपरा और आधुनिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं।
टोक्यो 2020 ओलंपिक खेल शुभंकर
टोक्यो 2020 ओलंपिक खेलों के शुभंकर को एई (इंडिगो ब्लू) Ichimatsu पैटर्न के साथ टोक्यो 2020 खेलों के प्रतीक के रूप में स्टाइल किया गया है – दोनों सम्मानित परंपरा और जापानी संस्कृति के आधुनिक नवाचार के लिए एक श्रद्धांजलि।
टोक्यो
टोक्यो (जापानी : 東京, उच्चारणः तोउक्योउ) जापान की राजधानी और सबसे बड़ा नगर है। यह जापान के होन्शू द्वीप पर बसा हुआ है और इसकी जनसंख्या लगभग ८६ लाख है, जबकि टोक्यो क्षेत्र में १.२८ करोड़ और उपनगरीय क्षेत्रों को मिलाकर यहाँ अनुमानित ३.७ करोड़ लोग रहते हैं जो इसे दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला महानगरीय क्षेत्र बनाता है। टोक्यो लगभग ८० किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और यह क्षेत्रफल की दृष्टि से भी विश्व का सबसे बड़ा नगरीय क्षेत्र है।
टोक्यो को अक्सर एक शहर के रूप में जाना जाता हैं, लेकिन आधिकारिक तौर पर यह “महानगरीय प्रान्त” के रूप में जाना जाता हैं। टोक्यो महानगरीय प्रशासन, टोक्यो के 23 विशेष वार्डों (प्रत्येक वार्ड़ एक अलग शहर के रूप में शासित) का संचालन करती हैं। महानगरीय सरकार, प्रान्त के पश्चिमी भाग और दो बाहरी द्वीप श्रृंखलाएं के 39 नगरपालिका का भी प्रशासन करती हैं। विशेष वार्ड की आबादी 90 लाख मिलाकर, प्रान्त की कुल जनसंख्या 130 लाख से अधिक हैं। यह प्रान्त दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले महानगरीय क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें 37.8 मिलियन लोग और विश्व के सबसे बड़े शहरी ढांचे की अर्थव्यवस्था शामिल हैं। शहर की 51 कंपनी, फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनियों में आती हैं, जोकि दुनिया के किसी भी शहर की सबसे बड़ी संख्या हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र विकास सूचकांक में टोक्यो का तीसरा स्थान हैं। यह शहर फ़ुजी टीवी, टोक्यो एमएक्स, टीवी टोक्यो, टीवी असाही, निप्पॉन टेलीविजन, एनएचके और टोक्यो ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम जैसे विभिन्न टेलीविजन नेटवर्कों का घर भी हैं।
ग्लोबल इकनॉमिक पावर इंडेक्स में टोक्यो पहले स्थान पर और ग्लोबल सिटीज इंडेक्स में चौथा स्थान पर हैं। जीएडब्ल्युसी की 2008 की सूची में इसे वैश्विक शहर बताया गया और 2014 में ट्रिपएडवियर्स के विश्व शहर सर्वेक्षण, टोक्यो को सबसे “सर्वश्रेष्ठ समग्र अनुभव” के रूप में सूचीबद्ध किया गया। मर्सर कंसल्टेंसी फर्म और अर्थशास्त्री इंटेलिजेंस यूनिट के क्रय शक्ति के आधार पर, 2015 में टोक्यो को 11वें सबसे महंगे शहर के रूप में स्थान दिया गया था।2015 में, टोक्यो को मोनोकले पत्रिका द्वारा दुनिया में सर्वाधिक जीवंत शहर कहा गया। सुरक्षित शहर सूचकांक में टोक्यो दुनिया में सबसे पहले स्थान पर है। टोक्यो ने 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक, 1979 जी-7 शिखर सम्मेलन, 1986 जी-7 शिखर सम्मेलन और 1993 जी-7 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की, और यह 2020 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक और 2020 ग्रीष्मकालीन पैराएलिंपिक की मेजबानी करेगा।
SOURCE-PIB
11 जुलाई : विश्व जनसंख्या दिवस
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई को मनाया जाता है।
पृष्ठभूमि
- इस दिवस की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की गवर्निंग काउंसिल द्वारा की गई थी।
- यह 11 जुलाई, 1987 को ‘फाइव बिलियन डे’ में जनहित से प्रेरित था। इस तारीख को दुनिया की अनुमानित आबादी पांच अरब लोगों तक पहुंच गई थी।
- इस दिन के पालन का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों जैसे परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, गरीबी और मानवाधिकारों के महत्व पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है।
उत्तर प्रदेश की जनसँख्या नियंत्रण नीति
उत्तर प्रदेश सरकार 2021-30 के लिए जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी नई नीति जारी करने जा रही है। इसे विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day) के मौके पर 11 जुलाई को रिलीज किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लोगों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के लिए समुदाय केंद्रित दृष्टिकोण का आग्रह किया है। कुछ समुदायों में जनसंख्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सामुदायिक केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। गरीबी और निरक्षरता जनसंख्या विस्तार के प्रमुख कारक हैं। इसलिए सतत विकास लक्ष्यों की भावना में निहित उद्देश्यों के अनुरूप नई नीति जारी की जाएगी।
SOURCE-GK TODAY