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Current Affair 11 November 2021

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Current Affairs – 11 November, 2021

भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहलों का शुभारंभ

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 12 नवंबर, 2021 को 11 बजे पूर्वाह्न में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहलों का शुभारंभ करेंगे। ये पहलें हैं – भारतीय रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना और रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना।

भारतीय रिजर्व बैंक खुदरा प्रत्यक्ष योजना का उद्देश्य है कि सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों की पहुंच बढ़ाई जाये। इसके तहत खुदरा निवेशकों के लिये भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा जारी प्रतिभूतियों में सीधे निवेश करने का रास्ता खुल जायेगा। निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से ऑनलाइन सरकारी प्रतिभूति खाते आसानी से खोल सकते हैं और उन प्रतिभूतियों का रख-रखाव कर सकते हैं। यह सेवा निशुल्क होगी।

भारतीय रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य है कि शिकायतों को दूर करने वाली प्रणाली में और सुधार लाया जाये, ताकि संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक नियम बना सके। इस योजना की केंद्रीय विषयवस्तु ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा पर आधारित है। इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं। ग्राहक एक ही स्थान पर अपनी शिकायतें दे सकते हैं, दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं और फीडबैक दे सकते हैं। बहुभाषी टोल-फ्री नंबर भी दिया जायेगा, जो शिकायतों का समाधान करने तथा शिकायतें दायर करने के बारे में सभी जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी उपस्थित रहेंगे।

भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिजर्व बैंक (अंग्रेज़ी: Reserve Bank of India, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया) भारत का केन्द्रीय बैंक है। यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है। रिज़र्व बैक भारत की अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करता है। इस बैंक के संस्थापकों में डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर भी थे।

इसकी स्थापना 1 अप्रैल सन् 1935 को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई। भारत के अर्थतज्ञ बाबासाहेब आम्बेडकर ने भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना में अहम भूमिका निभाई हैं, उनके द्वारा प्रदान किये गए दिशा-निर्देशों या निर्देशक सिद्धान्त के आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक बनाई गई थी। बैंक कि कार्यपद्धती या काम करने शैली और उसका दृष्टिकोण बाबासाहेब ने हिल्टन यंग कमीशन के सामने रखा था, जब 1926 में ये कमीशन भारत में रॉयल कमीशन ऑन इण्डियन करेंसी एण्ड फाइनेंस के नाम से आया था तब इसके सभी सदस्यों ने बाबासाहेब ने लिखे हुए ग्रन्थ दी प्राब्लम ऑफ़ दी रुपी – इट्स ओरीजन एण्ड इट्स सोल्यूशन (रुपया की समस्या – इसके मूल और इसके समाधान) की जोरदार वकालात की, उसकी पृष्टि की। ब्रिटिशों की वैधानिक सभा (लेसिजलेटिव असेम्बली) ने इसे कानून का स्वरूप देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 का नाम दिया गया प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन् 1937 में मुम्बई आ गया। पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है। शक्तिकांत दास भारतीय रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर हैं, जिन्होंने 4 सितम्बर 2016 को पदभार ग्रहण किया।

पूरे भारत में रिज़र्व बैंक के कुल 29 क्षेत्रीय कार्यालय हैं जिनमें से अधिकांश राज्यों की राजधानियों में स्थित हैं। मुद्रा परिचालन एवं काले धन की दोषपूर्ण अर्थव्यवस्था को नियन्त्रित करने के लिये रिज़र्व बैंक ऑफ़ इण्डिया ने 31 मार्च 2014 तक सन् 2005 से पूर्व जारी किये गये सभी सरकारी नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

आचार्य कृपलानी की जयंती

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिए आचार्य कृपलानी का स्मरण किया। आचार्य कृपलानी की जयंती के अवसर पर आज प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के प्रति उनके महान दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में किए गए योगदान के लिए उनकी सराहना की।

जीवतराम भगवानदास कृपलानी (अंग्रेज़ी: Jivatram Bhagwandas Kripalani, जन्म- 11 नवम्बर, 1888 ; मृत्यु- 19 मार्च, 1982) भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन प्रारम्भ किया था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी से उनका निकट सम्पर्क था। वे ‘गुजरात विद्यापीठ’ के प्राचार्य भी रहे थे, तभी से उन्हें ‘आचार्य कृपलानी’ पुकारा जाने लगा था। हरिजन उद्धार के लिए कृपलानी जी निरंतर गाँधीजी के सहयोगी रहे। वे ‘अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के महामंत्री तथा वर्ष 1946 की मेरठ कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे। उनकी पत्नी सुचेता कृपलानी भी उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही थीं।

जे. बी. कृपलानी का जन्म 11 नवम्बर, 1888 को हैदराबाद (सिंध) में हुआ था। वे क्षत्रिय परिवार से सम्बन्ध रखते थे। उनके पिता काका भगवान दास तहसीलदार के पद पर नियुक्त थे। कृपलानी जी की शिक्षा सिंध और मुंबई के ‘विल्सन कॉलेज’ में आरंभ हुई। उन्होंने एम. ए. तक की शिक्षा पुणे के ‘फ़र्ग्यूसन कॉलेज’ से प्राप्त की थी, जिसकी स्थापना लोकमान्य तिलक और उनके साथियों ने की थी। कृपलानी जी ने एक शिक्षक के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन आंरभ किया था। सन 1912 से 1917 तक वे बिहार के मुजफ़्फ़रपुर कॉलेज में अंग्रेज़ी और इतिहास के प्रोफेसर रहे।

SOURCE-bharatdiscovery.org

PAPER-G.S.1

 

मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। प्रधानमंत्री ने उन्हें एक पथप्रदर्शक विचारक और प्रखर बुद्धिजीवी बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में इनकी भूमिका अत्‍यंत प्रेरणादायक रही है।

अबुल कलाम आज़ाद

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन (11 नवंबर, 1888 – 22 फरवरी, 1958) एक प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान थे। वे कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की आजादी के बाद वे एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक पद पर रहे। वे महात्मा गांधी के सिद्धांतों का समर्थन करते थे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए कार्य किया, तथा वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओं में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 1923 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे 1940 और 1945 के बीच कांग्रेस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के बाद वे भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने।

वे धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे। वे 1940-45 के बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष रहे जिस दौरान भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ था। कांग्रेस के अन्य प्रमुख नेताओं की तरह उन्हें भी तीन साल जेल में बिताने पड़े थे। स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की स्थापना उनके सबसे अविस्मरणीय कार्यों में से एक था। स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान’ अर्थात ‘आई.आई.टी.’ और ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग’ की स्थापना का श्रेय है। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को विकसित करने के लिए उत्कृष्ट संस्थानों की स्थापना की

  1. संगीत नाटक अकादमी (1953)
  2. साहित्य अकादमी (1954)
  3. ललितकला अकादमी (1954)

केंद्रीय सलाहकार शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष होने पर सरकार से केंद्र और राज्यों दोनों के अतिरिक्त विश्वविद्यालयों में सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा, कन्याओं की शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण, कृषि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसे सुधारों की वकालत की।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

मधुमक्खी पालक सम्मेलन

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में नागालैंड स्थित केंद्रीय बागवानी संस्थान में किसान भवन का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर मधुमक्खी पालकों का सम्मेलन भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में वर्चुअल जुड़े श्री तोमर ने कहा कि छोटे व मझौले किसानों के जीवन में बदलाव लाना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार का एक प्रमुख लक्ष्य है।

मधुमक्खी पालन को किसानों की आय वृद्धि के लिए एक सहायक क्षेत्र बताते हुए कहा कि मीठी क्रांति लाने के लिए हनी मिशन प्रारंभ किया गया है और केंद्र सरकार ने इसमें 500 करोड़ रू. का प्रावधान आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किया है। भारत सरकार की 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की योजना के अंतर्गत शहद उत्पादक किसानों के एफपीओ भी बनाए जा रहे हैं। शहद की ठीक से जांच हो, इसलिए देश में अनेक जगह लैब बनाई गई है, साथ ही प्रोसेसिंग सुविधाएं भी बढ़ाई जा रही है।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मधुमक्खी पालकों व सरकार के सामूहिक प्रयासों से वर्ष 2020-21 में देश में शहद का उत्पादन वर्ष 2013-14 के 76150 मीट्रिक टन से बढ़कर अब सवा लाख मीट्रिक टन हो गया है। वहीं, मधुमक्खी पालन क्षेत्र से जुड़े हितधारकों की मदद से वर्ष 2020-21 में शहद का निर्यात वर्ष 2013-14 के सवा 28 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर लगभग 60 हजार मीट्रिक टन हो गया है। श्री तोमर ने राज्य सरकारों से अपेक्षा व्यक्त की कि सारी सुविधाओं का लाभ उठाते हुए मधुमक्खीपालक किसानों को उनके उत्पाद के अच्छे दाम दिलाए जाएं। उन्होंने कहा कि हम सबका एक ही लक्ष्य होना चाहिए कि छोटे किसानों को उनके उत्पादों का अधिक से अधिक दाम मिले। उन्होंने कहा कि शहद उत्पादक किसान राज्य सरकार के साथ मिलकर आगे बढ़े, केंद्र सरकार उनके साथ कंधे से कंधा और कदम से कदम मिलाकर खड़ी हुई है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1 PRE

 

पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में कृषि क्षेत्र में अनुसंधान का अभूतपूर्व कार्य हुआ है, जो तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में कृषि की प्रधानता है जो हमारे मन में भी है। इसकी प्रगति के लिए इस क्षेत्र को नए आयामों से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है, जिसके लिए सरकार सारे प्रयत्न कर रही है। अनेक योजनाएं व कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है।

श्री तोमर ने यह बात आज पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा आयोजित पादप जीनोम संरक्षक समुदाय पुरस्कार, कृषक पुरस्कार व कृषक मान्यता पुरस्कार वितरित करते हुए कही। ये पुरस्कार किसानों और किसानों के समुदायों को दिए जाने वाले सर्वोच्च पुरस्कारों में से एक है, जो उन्हें प्रदान किए जाते है जिन्होंने पौधों के आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण किया है और चयन की गई व परिरक्षित सामग्री का पंजीकरण किए जाने योग्य किस्मों में जीन के दाता के रूप में उपयोग किया हो।

पादप जीनोम संरक्षक समुदाय पुरस्कार वर्ष 2016-17 से वर्ष 2019-20 के लिए दिए गए। प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और दस लाख रुपये नकद दिए गए। पुरस्कार निम्नलिखित कृषक समुदाय को प्रदान किए गए हैं- कलसुबाई परिसर बियाने संवर्धन सामाजिक संस्था (अकोले, महाराष्ट्र), नट्टू मंचोटिल एजुकेशनल एंड इंडिजिनियस फ्रूट प्लांट्स कंजर्वेशन एंड रिसर्च ट्रस्ट (कन्नूर, केरल), लाल चावल किसान रोहड़ू (शिमला, हिमाचल प्रदेश), दंसुरी अग्रिल फ़ार्मिंग को-आपरेटिव सोसाइटी (असम), भूमि सस्टेनेबल डेवलपमेंट सोसायटी (कर्नाटक)।

पादप जीनोम संरक्षक कृषक पुरस्कार (वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20): प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और डेढ़ लाख रुपये नकद दिए गए, जो इन्हें मिले- श्री बंधन उराव (झारखंड), श्रीमती ममताबाई देवराम भांगरे व श्री दतात्रेय नानासाहेब (महाराष्ट्र), श्री दीनदयाल यादव, श्री संजय प्रकाश चौधरी, श्री लिंगूराम ठाकुर व श्री हेत्रम देवांगन (छत्तीसगढ़), श्री एस. बोरेगौड़ा व श्री एम.वी. प्रकाश राव मंचले, श्री मोहम्मद इदरीस अहमद कादरी, श्री कटराहल्ली कलप्पा व श्री पूनाचा एन. (कर्नाटक), श्री सत्यनारायण बेलेरी (केरल), श्री वल्लभभाई वासरामभाई मरवानिया (मरणोपरांत) (गुजरात), श्री प्रेम सिंह चौहान (हिमाचल प्रदेश)।

पादप जीनोम संरक्षक कृषक मान्यता (वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20): प्रत्येक पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह और एक लाख रुपये नकद प्रदान किए गए, इनके विजेता है- श्री एस.एस. परमेश, श्री श्रीनिवास मूर्ति, श्री शिवगौड़ा एम. पाटिल व श्री के.टी. वेदमूर्ति (कर्नाटक), श्री आलोक कुमार दास (पश्चिम बंगाल), श्री कल्लुवेलिलवेर्की जॉर्ज व श्री रेजी जोसेफ (केरल) तथा श्री बोलोराम सरोंगसा (असम)।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

दिल्ली घोषणा

10 नवंबर, 2021 को भारत द्वारा एक क्षेत्रीय सुरक्षा शिखर सम्मेलन की मेजबानी की गई। इस शिखर सम्मेलन में ईरान और रूस सहित आठ देशों ने भाग लिया।

मुख्य बिंदु

  • इस सम्मेलन का प्रतिनिधित्व प्रत्येक देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों द्वारा किया गया था।
  • इस सम्मेलन के दौरान, यह घोषणा की गई थी कि अफगानिस्तान और उसके क्षेत्रों का उपयोग आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने या आतंकवाद के किसी भी कार्य को वित्तपोषित करने के लिए नहीं किया जा सकता है।
  • देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसे “अफगानिस्तान पर दिल्ली घोषणा” कहा जा रहा है। बयान के अनुसार, भाग लेने वाले आठ देशों ने तालिबान के कब्ज़े के बाद वैश्विक प्रभाव सहित अफगान स्थिति पर चर्चा की।
  • उन्होंने आतंकवाद से खतरे, अफगानिस्तान में वर्तमान राजनीतिक स्थिति, कट्टरता और मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया।

भाग लेने वाले देश

इस सम्मेलन में भाग लेने वाले आठ देशों में भारत, रूस, ईरान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान शामिल हैं।

देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं

  • भाग लेने वाले देशों ने अफगानिस्तान को हर संभव मानवीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
  • उन्होंने सभी रूपों में आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • उन्होंने बच्चों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर दिया।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.2

 

Like Minded Developing Countries

हाल ही में चीन, भारत और अफ्रीकी देशों जैसे अधिकांश विकासशील देशों ने जलवायु वित्त में धनी देशों से प्रति वर्ष लगभग 1.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मांगे हैं।

मुख्य बिंदु

  • 24 देशों के समूह, खुद को Like Minded Developing Countries (LMDCs) कहते हैं, और अफ्रीका के देशों ने वित्त प्रवाह को बढ़ाने के प्रस्ताव में इस मांग को आगे रखा है।
  • भारत चीन, इंडोनेशिया, ईरान, मलेशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और फिलीपींस जैसे देशों के साथ LMDC समूह का हिस्सा है।

Like Minded Developing Countries (LMDC)

LMDC विकासशील देशों का एक समूह है, जो संयुक्त राष्ट्र और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में एक ब्लॉक वार्ताकार के रूप में संगठित है। LMDC दुनिया की लगभग 50% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। समान विचारधारा वाले समूह के सदस्य देशों में बांग्लादेश, अल्जीरिया, भूटान, बेलारूस, क्यूबा, चीन, भारत, मिस्र, ईरान, इंडोनेशिया, मलेशिया, नेपाल, म्यांमार, श्रीलंका, पाकिस्तान, फिलीपींस, सीरिया, सूडान, वियतनाम और जिम्बाब्वे शामिल हैं।

COP26

COP26 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन है। यह यूनाइटेड किंगडम की अध्यक्षता में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित किया जा रहा है। यह 31 अक्टूबर को शुरू हुआ और 12 नवंबर को समाप्त होगा। COP संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के तहत आता है। UNFCCC की स्थापना 1994 में हुई थी।

COP26 के लक्ष्य क्या हैं?

  • सदी के मध्य तक वैश्विक नेट-शून्य को सुरक्षित करना और 5 डिग्री की सीमा के भीतर रखना।
  • समुदायों और प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना।
  • वित्त जुटाना।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

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