Current Affairs – 11 September, 2021
पूर्वोत्तर राज्यों के पर्यटन और संस्कृति मंत्रियों का दो दिवसीय सम्मेलन
- सम्मेलन में पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन के विकास और सम्पर्क से सम्बंधित मुद्दों पर चर्चा होगी।
- 14 सितंबर को तकनीकी सत्र के दौरान पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन और प्रशाद योजनाओं के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए स्वीकृत विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री, श्री जी. किशन रेड्डी और असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्वा सरमा 13 सितंबर, 2021 को गुवाहाटी में पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के पर्यटन और संस्कृति मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन के विकास और सम्पर्क से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री की अध्यक्षता में 13 और 14 सितंबर 2021 को भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय, इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
दो दिवसीय सम्मेलन में क्षेत्र के विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। प्रतिभागियों को क्षेत्र के विकास के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही कई परियोजनाओं और पहलों से अवगत कराया जाएगा।
पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनईआर) के राज्य अपार प्राकृतिक सुंदरता, विविध पर्यटक आकर्षणों, विशिष्ट जातीय परंपराओं से संपन्न हैं और प्रत्येक राज्य की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन का विकास और बढ़ावा देना पर्यटन मंत्रालय के प्रमुख ध्यान देने वाले क्षेत्रों में से एक है। पर्यटन मंत्रालय क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, प्रचार और प्रसार, कौशल विकास आदि जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों पर लगातार काम कर रहा है।
पर्यटन मंत्रालय प्रतिभागियों को 13 सितंबर को पूर्ण सत्र में अपनी प्रस्तुति के दौरान, पूर्वोत्तर में पर्यटन बुनियादी ढांचे, प्रोत्साहन और कौशल विकास कार्यक्रमों के निर्माण के लिए कई परियोजनाओं और पहलों के बारे में जानकारी देगा। पर्यटन के विकास के लिए स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रस्तुतियां भी दी जाएंगी। नागरिक विमानन, रेलवे, सड़क परिवहन और राजमार्ग और दूरसंचार विभाग जैसे केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालय भी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और सम्पर्क के विकास और वृद्धि के लिए उनके द्वारा की गई विभिन्न पहलों पर प्रस्तुति देंगे।
पर्यटन मंत्रालय अपनी बुनियादी ढांचा विकास योजनाओं के तहत, ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रशाद’ (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान पर राष्ट्रीय मिशन) राज्यों को विभिन्न पर्यटन स्थलों पर पर्यटन बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत विभिन्न विषयों के तहत टियर II और टियर III के गंतव्यों पर पर्यटन विकास किया जाता है। पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र में 1300 करोड़ रुपये से अधिक की 16 परियोजनाओं जैसे पूर्वोत्तर, विरासत, इको सर्किट, आध्यात्मिक, आदिवासी आदि को मंजूरी दी है।
प्रशाद योजना के अंतर्गत चिन्हित तीर्थ और विरासत स्थलों का एकीकृत विकास किया जाता है। पूर्वोत्तर में इस योजना के तहत 193.61 करोड़ रुपये की कुल 06 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जिसमें 29.99 करोड़ रुपये की राशि के लिए “गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर और तीर्थ स्थल का विकास” शामिल है।
14 सितंबर को तकनीकी सत्र में स्वदेश दर्शन और प्रशाद योजनाओं के तहत स्वीकृत विभिन्न परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।
पर्यटन मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन को और अधिक उत्साह के साथ बढ़ावा देने के लिए, पर्यटन मंत्रालय में अपर महानिदेशक की अध्यक्षता में पूर्वोत्तर क्षेत्र में सक्रिय हितधारकों के साथ एक समिति का गठन किया है, जिसमें नए स्थलों की पहचान करने, उनके आसपास यात्रा कार्यक्रम विकसित करने, स्थानों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जागरूकता पैदा करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा सकने वाले स्थानों की पहचान की जा सकती है और स्थानीय हितधारकों के लिए उन्हें आवश्यक कौशल प्रदान करने के लिए कार्यशालाओं/सेमिनारों का आयोजन किया जा सकता है।
प्रसाद योजना
PRASHAD Scheme
स्वदेश दर्शन योजना :
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2014-15 में पर्यटन स्थलों के थीम आधारित एकीकृत विकास के लिये ‘स्वदेश दर्शन योजना’ की शुरूआत की थी।
- देश में बौद्ध स्थलों की पहचान स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयगत सर्किटों में से एक के रूप में की गई है।
- स्वदेश दर्शन योजना के तहत बौद्ध स्थलों के विकास के लिये 73 करोड़ रुपए की कुल 5 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
प्रसाद (PRASHAD) योजना :
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2014-2015 में तीर्थस्थल संरक्षण एवं आध्यात्मिक विकास के लिये ‘प्रसाद’ (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual, Heritage Augmentation Drive- PRASHAD) परियोजना की शुरूआत की है।
- बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये विभिन्न परियोजनाओं को भी प्रसाद योजना के तहत शुरू किया गया है।
- प्रसाद (PRASHAD) योजना के तहत 92 करोड़ रुपए की कुल 30 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
आइकॉनिक टूरिस्ट साइट्स :
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने बोधगया, अजंता एवं एलोरा में बौद्ध स्थलों को आइकॉनिक टूरिस्ट साइट्स (Iconic Tourist Sites) के रूप में विकसित करने के लिये भी पहचान की है।
बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने के लिये किये जा रहे आधिकारिक प्रयास :
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत पर्यटन संबंधी बुनियादी ढाँचे के विकास के अतिरिक्त भारत एवं विदेशी पर्यटन बाज़ारों में विभिन्न बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
- ‘भारतीय पर्यटन कार्यालय’ नियमित रूप से विदेशी पर्यटन बाज़ारों में कई यात्राओं एवं पर्यटन मेलों के साथ-साथ भारत के बौद्ध स्थलों को बढ़ावा देने वाली प्रदर्शनियों में भाग लेता है।
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने अतुल्य भारत वेबसाइट पर बौद्ध स्थलों का प्रदर्शन किया है और एक वेबसाइट indiathelandofbuddha.in भी विकसित की है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय भारत के बौद्ध गंतव्य एवं दुनिया भर के प्रमुख पर्यटन बाज़ारों के रूप में प्रचार करने के उद्देश्य से क्रमिक वर्ष में बौद्ध कॉन्क्लेव का आयोजन करता है।
बौद्ध सर्किट में स्वदेश दर्शन के तहत स्वीकृत परियोजनाएँ :
- बौद्ध सर्किट में स्वदेश दर्शन के तहत स्वीकृत परियोजनाओं की मुख्य सूची निम्नलिखित है :
- लखनऊ सर्किल के शाक्य पिपरावा (Sakyas Piprahwa) के मठ, साइट एवं स्तूप
- लखनऊ सर्किल में श्रावस्ती (Sravasti)
- सारनाथ सर्किल का प्राचीन बौद्ध स्थल
- सारनाथ सर्किल का चौखंडी स्तूप (Chaukhandi Stupa)
- सारनाथ सर्किल के बौद्ध अवशेष एवं कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण मंदिर
आध्यात्मिक पर्यटन :
- स्वदेश दर्शन एवं प्रसाद (PRASAD) योजनाओं के तहत केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है।
- आध्यात्मिक सर्किट की पहचान स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयगत सर्किटों में से एक के रूप में की गई है।
- स्वदेश दर्शन योजना के तहत आध्यात्मिक सर्किट के विकास के लिये 85 करोड़ रुपए की कुल 13 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
- इसके अलावा धार्मिक एवं आध्यात्मिक स्थलों पर बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये भी परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा फूड प्रोसेसिंग सप्ताह का आयोजन
देश की आज़ादी के 75 वर्षों के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की एक कड़ी के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 6 सिंतबर 2021 से 12 सिंतबर 2021 तक फूड प्रोसेसिंग सप्ताह मनाया जा रहा है। जिसके तहत मंत्रालय द्वारा कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
मंत्रालय द्वारा इसी क्रम में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्षेत्र में उद्यमियों के सशक्तिकरण के लिए उत्तर प्रदेश राज्य में स्वयं सहायता समूह के 135 सदस्यों के लिए एसआरएलएम की जिला परियोजना प्रबंधन इकाई (डीपीएमयू) को 43.20 लाख रुपये की सीड कैपिटल की राशि आज हस्तांतरित की गई।
साथ ही, ‘एक जिला एक उत्पाद’ के तहत मंत्रालय व पशुपालन एवं डेयरी विभाग (भारत सरकार) द्वारा दूध प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन पर आधारित राष्ट्रीय वेबिनार का आज आयोजन किया गया। ‘आत्मनिर्भर उद्यम की कहानी’ श्रृंखला में पीएमएफएमई योजना के लाभार्थी और गजानन एग्रो इंडस्ट्रीज़ के उद्यमी ‘गौरव अशोक महेत्तर’ की सफलता की कहानी को मंत्रालय के सोशल मीडिया मंचों पर प्रकाशित किया गया।
इसके अतिरिक्त, फूड प्रोसेसिंग सप्ताह के तहत मंत्रालय के तमाम सोशल मीडिया मंचों पर मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे प्रसंस्कृत उत्पाद पर आधारित जागरूकता अभियान के अंतर्गत खाने की बर्बादी से बचने से संबंधित वीडियो को भी जारी किया गया।
खाद्य प्रसंस्करण क्या है?
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का तात्पर्य ऐसी गतिविधियों से है जिसमें प्राथमिक कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण कर उनका मूल्यवर्धन किया जाता है। उदाहरण के लिये डेयरी उत्पाद, दूध, फल तथा सब्ज़ियों का प्रसंस्करण, पैकेट बंद भोजन तथा पेय पदार्थ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के अंतर्गत आते हैं।
खाद्य प्रसंस्करण का महत्त्व
- दूध, मांस, समुद्री खाद्य पदार्थों में से हानिकारक कीटाणुओं को समाप्त कर, उनमें अन्य पोषक तत्त्व मिलाकर खाने योग्य बनाने के लिये।
- खाद्य पदार्थों की उत्तरजीविता को बढ़ाने के लिये।
- किसानों का अतिरिक्त लाभ सुनिश्चित करने के लिये।
- नई आर्थिक क्रियाओं को बढ़ावा देने के लिये।
- रोज़गार के नए अवसर सृजित करने हेतु।
- पोषण स्तर में सुधार करना।
- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- कृषि में विविधता को बढ़ावा देना।
- निर्यात आय को बढ़ावा देना।
भारत की स्थिति
- भारत बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों से खाद्य प्रसंस्कृत उत्पाद आयात करता है। वर्तमान में देश में लगभग 370 अरब डॉलर मूल्य के खाद्य पदार्थों की खपत होती है। वर्ष 2025 तक यह आँकड़ा 1 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच जाने की संभावना है।
- यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यापक स्तर पर कारोबारी निवेश की संभावनाएँ हैं। भारत की संपूर्ण खाद्य मूल्य श्रृंखला में व्यापक अवसर उपलब्ध हैं, जिनमें फसल कटाई के उपरांत सुविधाएँ, लॉजिस्टिक्स, कोल्ड स्टोरेज चेन श्रृंखला और विनिर्माण शामिल हैं।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विस्तार किया जाए तो इसमें रोज़गार की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। महिलाओं के लिये भी इस क्षेत्र में अपार संभावनाएँ हैं, विशेषकर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करके महिलाओं के लिये सूक्ष्म-उद्यमियों के रूप में उभरने की व्यापक संभावनाएँ हैं।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग विभिन्न आवश्यक सूचनाओं के ज़रिये किसानों की मदद कर सकता है और खेती करने के बेहतर तरीके भी बता सकता है, ताकि उद्योगों को उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल सुलभ हों और किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य मिल सके।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना
2016 से 2020 की अवधि के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा एक नई केंद्रीय क्षेत्रक योजना ‘संपदा’ (SAMPADA) स्कीम फॉर एग्रो-मरीन प्रोसेसिंग एंड डेवलपमेंट ऑफ एग्रो प्रोसेसिंग क्लस्टर्स के अंतर्गत अन्य योजनाओं को पुनर्संरचित करने का प्रयास किया गया है। विशेषताएँ –
- इस योजना का उद्देश्य कृषि को पूरक बनाना, संसाधनों का आधुनिकीकरण और कृषि उत्पादों के नुकसान को कम करना है।
- यह खाद्य संसाधन मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओं के लिये एक ‘अंब्रेला स्कीम’ है।
- मेगा फूड पार्क योजना का उद्देश्य देश में कृषि प्रसंस्करण इकाइयों हेतु आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना, डेयरी, मत्स्यन आदि कृषि उत्पादों का मूल्य संवर्द्धन सुनिश्चित करना है।
- इसमें शामिल शीत श्रृंखला और मूल्य संवर्द्धन योजना, परिरक्षण एवं आधारभूत संरचना सुविधाओं की स्थापना में वित्तीय सहायता के माध्यम से बागवानी एवं गैर-बागवानी कृषि उत्पाद की कटाई उपरांत हानि को रोकना है।
- खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के मुताबिक, इस योजना का उद्देश्य 31,400 करोड़ रुपए से अधिक निवेश अर्जित करना, लगभग एक ट्रिलियन रुपए से अधिक के धन से कृषि उपज को समर्थन प्रदान करना, करीबन 20 मिलियन किसानों को बेहतर कीमतें उपलब्ध कराना तथा 2019-20 तक आधे मिलियन से अधिक रोज़गार के अवसरों का सृजन करना है।
- हालाँकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के सांस्कृतिक क्रियाकलापों और भू-जल वायवीय स्थितियां यह स्पष्ट करती हैं कि इस देश का उपभोक्ता कब क्या खा सकता है (अर्थात् प्रत्येक मौसम के हिसाब से यहाँ भोजन की आदतें बदलती रहती हैं), जो कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की वृद्धि को सीमित करने का काम करती हैं।
- भारत में, पश्चिमी देशों के विपरीत 99% ताज़ा कृषि उत्पादों का उपभोग किया जाता है। इसलिये भारत में प्रसंस्करण उद्योग वैसी स्थिति हासिल नहीं कर सकता है जैसी कि पश्चिमी देशों में है। पश्चिमी देशों में सर्दियों का मौसम काफी लंबे समय तक बना रहता है, यही कारण है कि इन्हें अपनी खाद्य आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिये गहन प्रसंस्करण उद्योग की ज़रूरत है।
- वर्षभर किसान विभिन्न प्रकार की सब्ज़ियाँ उत्पादित करते हैं। भारत की जलवायु विविधता के कारण मौसमी सब्ज़ियों का उत्पादन उष्ण मैदानों से होते हुए ठंडे प्रदेशों तक पहुँच जाता है। यही कारण है कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारी मात्रा में निवेश करने के लिये सरकार पर किसी तरह की कोई अनिवार्य आर्थिक बाध्यता नहीं है।
शीतश्रृंखला, मूल्यवृद्धि तथा परिरक्षण अवसंरचना स्कीम
- इस स्कीम का उद्देश्य खेत से लेकर उपभोक्ता तक सतत् एकीकृत शीतश्रृंखला एवं परिरक्षण अवसंरचना सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।
- इनमें उत्पादन स्थलों पर प्री-शीतलन सुविधाएँ, रीफर वैनें, चल शीतलन यूनिटें तथा बागवानी, जैविक उत्पाद, समुद्री उत्पाद, डेयरी, माँस और पॉल्ट्री के लिये प्रसंस्करण/बहु-पद्धति प्रसंस्करण/संग्रहण केंद्रों जैसी अवसंरचना सुविधाओं से सज्जित मूल्यवृद्धि केंद्र शामिल हैं।
- व्यक्ति, उद्यमी समूह, सहकारी समितियाँ, स्व-सहायता समूह (एसएचजीज), कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओज), गैर-सरकारी संगठन, केंद्र/राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो शीतश्रृंखला समाधानों में व्यापारिक रुचि रखते हैं, स्कीम के अंतर्गत एकीकृत शीतश्रृंखला एवं परिरक्षण अवसंरचना की स्थापना करने के पात्र हैं, साथ ही ये अनुदान राशि का भी लाभ उठा सकते हैं।
- आपको बता दें कि कोल्ड चेन में निवेश को बढ़ावा देने की दृष्टि से वित्त मंत्रालय द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर श्रेणी के तहत कोल्ड चेन को कवर किया गया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने 9 सितंबर, 2021 को शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया।
मुख्य बिंदु
- 9 सितंबर, 2020 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहली बार ‘शिक्षा को हमले से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाया गया ।
- इस दिन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 74/275 को अंगीकार करके की गई थी।
- यह प्रस्ताव कतर और 62 सह-प्रायोजक देशों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
शिक्षा को संरक्षित करने और इसे किसी भी हमले से बचाने की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाने के महत्व को पहचानने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव ने यूनेस्को और यूनिसेफ को सालाना इस दिन के पालन के समन्वयक के रूप में कार्य करने के लिए नामित किया है।
यह दिन क्यों मनाया जाता है?
यह दिन शिक्षा को हमले से बचाने की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि सशस्त्र संघर्ष वाले अधिकांश देशों में सेना स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों का उपयोग करती है। नतीजतन, छात्र गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं।
शिक्षा को हमले से बचाने के लिए वैश्विक गठबंधन (Global Coalition to Protect Education from Attack – GCPEA)
पिछले छह वर्षों में, GCPEA ने दुनिया भर में शिक्षा या शैक्षिक सुविधाओं के सैन्य उपयोग अथवा हमलों की 13,400 से अधिक रिपोर्टें एकत्र की हैं। ऐसे संघर्षों में, 25,000 से अधिक छात्र, शिक्षक और शिक्षाविद घायल हुए, मारे गए, या क्षतिग्रस्त हुए।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
विश्व ईवी दिवस
ई-मोबिलिटी के उत्सव को चिह्नित करने के लिए हर साल 9 सितंबर को विश्व ईवी दिवस (World EV Day) मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- इस अवसर पर, लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में शिक्षित करने के लिए दुनिया भर में विशेष जागरूकता अभियान आयोजित किए जाते हैं।
- यह एक सोशल मीडिया अभियान है जो ड्राइवरों को इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों को पहचानने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- यह ड्राइवरों को यह प्रतिबद्धता बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है कि वे जो अगली कार चलाएंगे वह इलेक्ट्रिक होगी न कि पारंपरिक ईंधन पर चलने वाली कार।
ईवी समिट (EV Summit)
ईवी समिट दुनिया भर के ई-मोबिलिटी लीडर्स को एक साथ लाता है और इस बात पर विचार-मंथन करता है कि वे विद्युतीकरण और टिकाऊ परिवहन को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। इसका आयोजन Green.TV द्वारा किया जाता है।
विश्व ईवी दिवस का इतिहास
विश्व ईवी दिवस की पहल सस्टेनेबिलिटी मीडिया कंपनी Green.TV द्वारा बनाई गई थी। विश्व ईवी दिवस का पहला संस्करण 2020 में मनाया गया।
दुनिया का सबसे बड़ा ईवी बाजार
चीन दुनिया भर में सबसे बड़ा ईवी बाजार है। चीन के अलावा, भारत ऑटोमोटिव कंपनियों के लिए अगले पसंदीदा गंतव्य के रूप में भी उभर रहा है। भारत सरकार ने भी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को आगे ले जाने के लिए हर संभव मदद देने का वादा किया है। वर्तमान में, भारत का ऑटोमोटिव उद्योग दुनिया भर में पांचवां सबसे बड़ा है और 2030 तक तीसरा सबसे बड़ा बनने के लिए तैयार है।
ईवी की ओर बदलाव के लिए भारत के प्रयास
भारत पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर शिफ्ट होने के प्रयास कर रहा है। हाल ही में, एक प्रमुख इलेक्ट्रिक वाहन और स्वच्छ ऊर्जा कंपनी, टेस्ला ने भारत में प्रवेश करने की घोषणा की। टेस्ला ने बेंगलुरु में अपनी सहायक कंपनी टेस्ला इंडिया मोटर्स एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को पहले ही गठित कर लिया है। जापान बेस्ड सुजुकी ने भी भारत में अपना पहला ईवी लॉन्च करने की घोषणा की, जबकि टाटा मोटर्स की योजना 2025 तक 10 इलेक्ट्रिक कारों को लॉन्च करने की है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1
सरकार ने नागा विद्रोही समूह NSCN के साथ शांति समझौते पर
हस्ताक्षर किए
गृह मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ने निक्की सुमी (Nikki Sumi) के नेतृत्व में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) खापलांग (K) के साथ संघर्ष विराम समझौता किया। इस शांति समझौते पर 8 सितंबर, 2021 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह एक साल तक लागू रहेगा।
मुख्य बिंदु
- मंत्रालय के अनुसार, शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, NSCN समूह के लगभग 200 कैडर 83 हथियारों के साथ शांति प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं।
- इस समझौते पर गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वोत्तर) पीयूष गोयल और NSCN (K) निकी के प्रतिनिधियों के साथ युद्धविराम पर्यवेक्षी बोर्ड के पर्यवेक्षक और एक CFSB सदस्य के बीच हस्ताक्षर किए गए।
पृष्ठभूमि
निक्की सूमी ने दिसंबर 2020 में सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर करने की इच्छा व्यक्त की थी। हालांकि, वह खराब स्वास्थ्य के कारण समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उपस्थित नहीं हो सके।
शांति समझौते की आवश्यकता क्यों पड़ी?
गृह मंत्रालय के अनुसार, इस शांति प्रक्रिया पर प्रधानमंत्री मोदी के ‘उग्रवाद मुक्त और समृद्ध उत्तर पूर्व’ के सपने को पूरा करने के उद्देश्य से हस्ताक्षर किए गए थे। यह नागा शांति प्रक्रिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
सरकार और NSCN के अन्य गुटों के बीच समझौता
केंद्र सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड – NSCN (NK), NSCN (R), और NSCN (K) – खांगो के अन्य गुटों के साथ भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
नागा शांति समझौता (Naga Peace Accord)
3 अगस्त, 2015 को केंद्र सरकार और NSCN (IM) समूह के बीच नागा शांति समझौते के लिए रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस रूपरेखा समझौते से पहले, NSCN (K) ने मार्च 2015 में सरकार के साथ शांति समझौते को रद्द कर दिया था।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3