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Current Affair 12 December 2021

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Current Affairs – 12 December, 2021

पहला नवाचार सप्ताह

आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रम “सेलिब्रेटिंग इनोवेशन इकोसिस्टम” का आयोजन करेगा जो जनवरी 2022 में प्रस्तावित है। डीपीआईआईटी के सचिव श्री अनुराग जैन ने उच्च स्तरीय बैठक में परियोजना की समीक्षा की। यह आयोजन स्टार्टअप इंडिया पहल के शुभारंभ की छठी वर्षगांठ के अवसर पर होगा।

इस नवाचार सप्ताह का मुख्य उद्देश्य देश के प्रमुख स्टार्टअप, उद्यमियों, निवेशकों, नीति-निर्माताओं और अन्य राष्ट्रीय / अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को नवाचार और उद्यमिता पर विशेष रूप से आयोजित कार्यक्रम के लिए एक साथ लाना और स्टार्टअप परितंत्र के विकास के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं पर ज्ञान का आदान-प्रदान करना होगा।

इस पहल से युवाओं को नवाचार और उद्यमिता के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित करने और उद्यमशीलता परितंत्र की क्षमता विकसित करने में बल मिलेगा। नवाचार सप्ताह स्टार्टअप्स को बाजार पहुंच के अवसर प्रदान करने में मदद करेगा और स्टार्टअप्स में निवेश के लिए वैश्विक और घरेलू पूंजी जुटाने में मदद करेगा। इस आयोजन में भारत के उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रौद्योगिकी और कम खर्चीले नवाचारों को प्रदर्शित किया जाएगा।

दुनिया भर के सर्वोत्तम स्टार्टअप्स तंत्रों से अच्छी प्रथाओं पर विचार-विमर्श करने के अलावा सत्रों को भारत में नवाचार के आधार पर उद्यमिता के प्रसार और गहराई को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा।

सप्ताह भर चलने वाले प्रस्तावित कार्यक्रम में विशिष्ट विषयों के साथ आयोजित गतिविधियां शामिल होंगी। इसमें संभावित विषय अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव, बाजार पहुंच और इनक्यूबेशन सपोर्ट, स्टार्ट-अप को वित्त पोषण सहायता आदि हैं और ये नवाचार जीवन चक्र के विभिन्न क्षेत्रों को कवर करेंगे।

सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम में स्टार्टअप, इनक्यूबेटर, एक्सेलेरेटर, मेंटर्स, वेंचर कैपिटल (वीसी) फंड, निवेशक, सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जीईएम), कॉरपोरेट्स, छात्र, उद्यमी, इकोसिस्टम एनेबलर्स, सरकारी अधिकारी आदि शामिल होंगे।

इस आयोजन में चुनिंदा स्टार्टअप्स (डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स, नेशनल स्टार्टअप अवार्ड्स फाइनलिस्ट, स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स द्वारा समर्थित स्टार्टअप्स, भारत सरकार के मंत्रालयों / राज्यों के लाभार्थी स्टार्टअप्स सहित) के लिए एक समर्पित प्रदर्शनी क्षेत्र होगा। एआईएम नीति आयोग, डीएसटी, डीबीटी, एमईआईटीवाई, डीपीआईआईटी, इन्वेस्ट इंडिया और अन्य जैसी साझेदार एजेंसियों के सहयोग से कार्यक्रम में सलाह और इन्क्यूबेशन सपोर्ट भी प्रदान किया जाएगा।

विभिन्न क्षेत्रों और चरणों में स्टार्टअप्स (एनएसए फाइनलिस्ट और स्टार्टअप इंडिया शोकेस से चुनिंदा स्टार्टअप) के लिए कई पिचिंग सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें उन्हें कुछ प्रमुख निवेशकों और कॉरपोरेट्स के सामने अपने नवाचार पेश करने का अवसर मिलेगा।

नवाचार सप्ताह के दौरान विभिन्न सत्रों का प्रस्ताव है ताकि अंतर्राष्ट्रीय जुड़ाव और बाजार पहुंच के लिए हितधारकों को और सक्षम बनाया जा सके। अपने स्टार्टअप परिदृश्य को विश्व पटल पर लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्टार्टअप्स द्वारा किए जा रहे सर्वोत्तम अभ्यासों को उजागर करने वाली प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इसके अतिरिक्त, निवेश और इसमें तेजी लाने वाले माहौल के भीतर के दिग्गजों के साथ कार्यशालाओं में उनकी वैश्विक यात्रा, उस दौरान सीखी गई प्रमुख बातें और अंतरराष्ट्रीय बाजार पर उनकी अंतर्दृष्टि पर चर्चा होगी। वैश्विक बाजार में प्रवेश करने के लिए रणनीतियों और तरीकों पर बल देते हुए एक फायरसाइड चैट भी आयोजित की जाएगी।

प्रदर्शनी क्षेत्र में इनोवेशन लैब स्थापित करने के लिए कॉरपोरेट्स को आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के लिए कुछ प्रौद्योगिकियों के कार्यशील-मॉडल प्रदर्शित करने का प्रस्ताव है। वहां मौजूद लोगों के लिए संवर्धित वास्तविकता, आभासी वास्तविकता, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आदि जैसी नवीन तकनीकों का अनुभव करने के लिए कार्यक्रम में क्षेत्रों / सत्रों को आवंटित किया जाएगा।

कार्यशालाओं, प्रस्तुतियों, पिचिंग और रिवर्स पिचिंग, पैनल चर्चा, फायरसाइड चैट, अनुभव साझा करने आदि जैसे विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे। ये कार्यक्रम पहचाने गए विषयों पर आधारित होंगे और इनका संचालन एक या एक से अधिक प्रमुख वक्ताओं से कराया जाएगा। सत्र वर्चुअल और/या भौतिक मोड में आयोजित किए जाएंगे और स्टार्टअप इंडिया सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से लाइवस्ट्रीम किए जाएंगे।

कॉरपोरेट कनेक्ट प्रोग्राम का उद्देश्य स्टार्टअप्स को विशिष्ट समस्याओं के लिए नवीन समाधान प्रदान करने के लिए 5 प्रमुख कॉरपोरेट्स के साथ काम करने का अवसर प्रदान करना है। उच्च स्तरीय डोमेन विशेषज्ञों, इनक्यूबेटर और निवेशक नेटवर्क आदि से युक्त एक पैनल एक मजबूत प्रक्रिया के माध्यम से स्टार्टअप्स के सबसे बेहतरीन सेट को शॉर्टलिस्ट करेगा।

वाणिज्य और उद्योग मंत्री की अध्यक्षता में एक नियामक गोलमेज सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों और सरकारी विभागों, कोषों, अन्य नियामकों और स्टार्टअप्स के दिग्गजों को महत्वपूर्ण नियामक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा जो स्टार्टअप तंत्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस

प्रतिवर्ष 12 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस ( International Universal Health Coverage Day) मनाया जाता है, इस दिवस को मुख्य रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मनाया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस (International Universal Health Coverage Day)

इस दिवस का उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की आवश्यकता तथा मज़बूत स्वास्थ्य प्रणाली की उपलब्धता पर बल देना है। संयुक्त राष्ट्र ने 12 दिसम्बर, 2017 को प्रस्ताव 72/138 के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस की स्थापना की थी।

इस दिवस के द्वारा उन लाखों लोगों के लिए आवाज़ उठायी जाती है, जिनके पास अभी तक स्वास्थ्य सुरक्षा कवरेज नहीं है। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों में भी शामिल है।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत)

भारत सरकार ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना शुरू की है। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एक सरकारी स्वास्थ्य योजना है, इसके तहत एक परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जायेगा। इसका लाभ किसी सरकारी व कुछ एक निजी अस्पतालों में लिया जा सकता है।

इस योजना के लिए 60% योगदान केंद्र द्वारा दिया जायेगा, जबकि शेष राशी राज्यों द्वारा दी जाएगी। इस योजना के सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए नीति आयोग भी साथ में कार्य करेगा।

इस योजना का लाभ लेने के लिए परिवार के सदस्यों की संख्या व आयु पर कोई सीमा नहीं है। इसके तहत अस्पताल में भर्ती होने से पहले व बाद के खर्च को भी शामिल किया जायेगा। इस योजना में हॉस्पिटलाईजेशन के दो दिन पहले की दवा, डायग्नोसिस और बेड चार्जेज शामिल हैं। इसके अलावा हॉस्पिटलाईजेशन की अवधि तथा उसके बाद के 15 दिन के खर्च को इसमें कवर किया जायेगा। हॉस्पिटलाईजेशन के लिए रोगी को परिवहन व्यय भी दिया जायेगा।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

e-Sawari India E-Bus Coalition

कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विस लिमिटेड (CESL) और वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के सहयोग से नीति आयोग ने “ई-सवारी इंडिया इलेक्ट्रिक बस गठबंधन” (e-Sawari India E-Bus Coalition) लॉन्च किया। इस गठबंधन को Transformative Urban Mobility Initiative (TUMI) का भी समर्थन प्राप्त है।

गठबंधन का उद्देश्य

“e-Sawari India E-Bus Coalition” के लांच के साथ, केंद्र सरकार की एजेंसियां, राज्य सरकार की एजेंसियां, शहर-स्तरीय सरकारी एजेंसियां, मूल उपकरण निर्माता (OEM), ट्रांजिट सेवा प्रदाता, वित्तीय संस्थान और सहायक सेवा प्रदाता सक्षम होंगे।

लॉन्च का महत्व

भारत में, विशेष रूप से बस क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण डीकार्बोनाइजेशन रणनीति की कुंजी है। “e-Sawari India E-Bus Coalition” का शुभारंभ देश में बस परिवहन प्रणाली के सतत और तेज विद्युतीकरण को सुनिश्चित करने का एक कदम है। यह शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए ई-बस परिनियोजन की खरीद, संचालन और वित्तपोषण की चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगा।

भारत में इलेक्ट्रिक बसें

इलेक्ट्रिक बस को अपनाने ने भारत में काफी तेज़ी आ रही है। कई शहरों और सरकारों ने अपनी बस-आधारित परिवहन प्रणाली का विद्युतीकरण करने की शुरुआत की है। सरकार भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाने और विनिर्माण (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles in India – FAME) योजना के तहत नौ सबसे बड़े भारतीय शहरों से ई-बस की मांग को एकत्रित कर रही है।

नीति आयोग

नीति आयोग भारत में सर्वोच्च सार्वजनिक नीति थिंक टैंक और नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। इसे योजना आयोग की जगह 2015 में स्थापित किया गया था। इसे भारत की राज्य सरकारों को शामिल करके आर्थिक विकास को उत्प्रेरित करने और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है। इसकी कुछ पहलों में शामिल हैं:

  1. 15 साल का रोड मैप
  2. 7 साल का विज़न, रणनीति और कार्य योजना
  3. AMRUT
  4. डिजिटल इंडिया
  5. अटल इनोवेशन मिशन
  6. चिकित्सा शिक्षा सुधार
  7. कृषि सुधार आदि

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.3

 

डिजिटल भुगतान उत्सव

‘आज़ादी का डिजिटल महोत्सव’ के एक भाग के रूप में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने 10 दिसंबर, 2021 को ‘डिजिटल भुगतान उत्सव’ नामक एक  कार्यक्रम की मेजबानी की।

मुख्य बिंदु

  • डिजिटल भुगतान उत्सव के तहत, भारत में डिजिटल भुगतान की यात्रा और उदय का जश्न मनाया गया।
  • इसने सरकार, फिनटेक कंपनियों, बैंकिंग क्षेत्र और स्टार्ट-अप के नेताओं को एक साथ लाया।

डिजिटल भुगतान उत्सव (Digital Payment Utsav)

  • डिजिटल भुगतान उत्सव कार्यक्रम में निम्नलिखित कार्य किये गये :
    1. डिजीधन लोगो का अनावरण,
    2. डिजिटल भुगतान संदेश यात्रा नामक एक जागरूकता अभियान का लांच
  • इस इवेंट के दौरान, शीर्ष बैंकों और फिनटेक को वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में उनकी उपलब्धियों के लिए कई श्रेणियों में सम्मानित किया गया।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पीएम स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को ऑनबोर्ड करने के लिए चार भुगतान प्रणाली एग्रीगेटर्स द्वारा निभाई गई भूमिका को भी मान्यता दी।

अभिनव समाधानों का लांच

डिजिटल भुगतान उत्सव में अभिनव समाधानों (innovative solutions) का लांच हुआ जैसे:

  1. Payments On the Go : सिटी यूनियन बैंक द्वारा “Payments On the Go” लॉन्च किया गया था क्योंकि वियरेबल्स ने पेपरलेस कॉन्टैक्टलेस भुगतानों को फिर से परिभाषित किया है।
  2. Inclusive Credit for All : फिनटेक क्षेत्र में क्रेडिट कार्ड एक अति महत्वपूर्ण इंस्ट्रूमेंट है। इसको अगले स्तर तक ले जाने के लिए, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक-पंजाब नेशनल बैंक, यस बैंक, कोटक बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन बैंक और सिटी यूनियन बैंक ने रुपे नेटवर्क पर कॉन्टैक्टलेस क्रेडिट कार्ड लॉन्च किए।
  3. SOFTPOS-Empowering Small Merchants : भारत में लगभग 5 करोड़ खुदरा स्टोर या किरयाना स्टोर हैं। SOFTPOS एंड्राइड-आधारित मोबाइल एप्प यूनियन बैंक द्वारा पॉइंट ऑफ़ सेल्स के लिए लॉन्च किया गया है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

भारत-बांग्लादेश के बीच रिश्तों में क्यों है कभी नफ़रत कभी प्यार

भारत ने अपने पड़ोसी देश बांग्लादेश को 6 दिसंबर, 1971 को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी थी। उस मान्यता के 50 साल पूरे होने के मौक़े पर दोनों देश मैत्री दिवसमनाया जाता है।

बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने एक करोड़ से अधिक शरणार्थियों को अपने यहां ठिकाना देने के साथ युद्ध में उसकी मदद भी की थी।

लेकिन 50 साल बाद भी दोनों देशों के बीच ‘प्यार-नफ़रत’ का रिश्ता क़ायम है, मतलब एक ही साथ प्रेम और नफ़रत दोनों तरह के रिश्ते बने हुए हैं। दोनों देशों के नागरिकों में कई लोग ऐसे हैं जो दूसरे देश को पसंद करते हैं तो बाक़ी लोग पसंद नहीं करते। आख़िर इसकी वजह क्या है?

बीबीसी बांग्ला ने अपने फ़ेसबुक पेज पर एक पोस्ट डाला था। उसमें बताया था कि भारत के बांग्लादेश को मान्यता देने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर ‘मैत्री दिवस’ मनाया जा रहा है।

इस पोस्ट पर दोनों देशों के नागरिकों ने कमेंट किए हैं। इसमें कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने बांग्लादेश को मान्यता देने और उसकी आज़ादी की लड़ाई में मदद देने के लिए भारत के प्रति आभार और सद्भाव जताया, तो कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने भारत के प्रति बेहद नफ़रत भरे कमेंट किए हैं।

पांच दशक बाद भी दोनों ओर अलग नज़रिया क्यों?

ढाका विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग में प्रोफ़ेसर अमीना मोहसिन ने इस बारे मे बीबीसी बांग्ला से बात की।

उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के एक तबक़े में भारत विरोधी नकारात्मक सोच पैदा करने के पीछे कुछ मनोवैज्ञानिक और अनसुलझे मुद्दे हैं। उनका कहना है कि इसके पीछे फरक्का और तीस्ता के पानी का बंटवारा एक प्रमुख मुद्दा है।

अमीना मोहसिन ने कहा, “इन्हें लेकर जो समस्या पैदा हुई है, उसकी याद तो लोगों के जेहन में रह ही जाती है। बांग्लादेश के आम लोगों के मन में शायद यह बात रह गई होगी कि यह उनका जायज़ मुद्दा था, जो हमें नहीं मिल पाया या इसे पाने में इतनी परेशानी हुई।”

वो आगे कहती हैं, “दूसरी बात यह कि सीमा पर होने वाली हत्याएं हमारे लिये एक बड़ा मुद्दा है। उस मामले में भारत जो सफ़ाई देता है, लोग उसे स्वीकार नहीं कर पाते।”

उनके मुताबिक़, “एक और बड़ी वजह यह है कि भारत की वर्तमान सरकार जिस हिन्दूवादी नीति को अपना रही है, उससे यहां मुस्लिम विरोधी भावना बढ़ रही है। चूंकि बांग्लादेश मुस्लिम बहुल देश है, इसलिए यहां वहां की गतिविधियों का सीधा असर पड़ रहा है।”

उनका मानना है कि इन सब वजहों से बांग्लादेश के बहुत से लोगों में भारत विरोधी भावना पनप रही है। हालांकि बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त बीना सीकरी को नहीं लगता कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच कोई बड़ा मसला है।

पिछले एक दशक में दोनों के रिश्ते काफ़ी सुधरे

हालांकि एक समय था भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में एक दूरी कुछ अधिक थी। लेकिन पिछले एक दशक में दोनों देशों के संबंध काफ़ी गहरे हुए हैं।

दोनों देशों की सरकारों के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई और समस्याओं पर ध्यान दिया गया। हालांकि नौकरशाही की समस्याओं के चलते उठाए गए क़दमों के कार्यान्वयन में समय लग रहा हो।

इस पर बीना सीकरी कहती हैं, “बांग्लादेश और भारत के बीच क़रीब 4,000 किमी की सीमा है। भारत कभी भी बांग्लादेश को एक छोटे देश के रूप में नहीं देखता। वह इसे एक बड़े देश के रूप में ही देखता है, जिसकी अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और जहां विकास हो रहा है।”

वो कहती हैं, “दोनों देशों के बीच कई अनसुलझे मुद्दे हो सकते हैं, लेकिन उन पर भी चर्चा हो रही है। उन्हें भी हल करने की कोशिश हो रही है। वास्तव में, मुझे दोनों देशों के बीच ऐसी कोई समस्या नहीं दिख रही, जिसे हल न किया जा सके।”

हालांकि, इस बारे में प्रोफ़ेसर अमीना मोहसिन का कहना है कि 1975 के बाद की सरकारों की गतिविधियों और बांग्लादेश के नागरिकों के बीच इतिहास की विकृति ने भी भारत के बारे में नकारात्मक भावना पैदा करने में मदद की है।

उनका कहना है कि बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई में भारत ने जिस तरह से मदद की और बांग्लादेश के लोगों को अपने यहां पनाह दी, वास्तव में उसके लिए बांग्लादेश के लोग बहुत आभारी हैं। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता। लेकिन उसके बाद कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिनसे बहुत लोगों के मन में भारत विरोधी भावना पैदा हुई।

वो कहती हैं, “1975 के बाद बांग्लादेश में इतिहास के विषय को बदल दिया गया। उसके बाद भारत की मदद से जुड़े तथ्य बदल दिए गए और उसे बहुत ग़लत तरीक़े से दर्शाया गया। ये सब ब्योरे सालों से लोगों के मन में रह गए। एक पूरी पीढ़ी के दिमाग़ में ये विचार घर कर गए।”

क्या भारत का बढ़ता प्रभाव कोई वजह है?

बीना सीकरी और अमीना मोहसिन, दोनों का मानना है कि पिछले एक दशक में बांग्लादेश के साथ भारत के संबंध काफ़ी मज़बूत हुए हैं।

2009 में अवामी लीग की सरकार बनने के बाद भारत के साथ बांग्लादेश के संबंधों में तेज़ी से सुधार हुआ। ऐसे कई मुद्दों पर समझौते हुए जो दशकों से लंबित पड़े थे। इन मुद्दों में माल की आवाजाही, बंदरगाह के उपयोग और सीमा पर चरमपंथ के मामलों में कमी लाना आदि शामिल हैं।

हालांकि, पानी का बंटवारा, सीमा पर होने वाली हत्याओं जैसे बांग्लादेश के उठाए मुद्दों का अभी तक समाधान नहीं हो पाया है। वहीं बांग्लादेश के कई विश्लेषक शिक़ायत करते हैं कि बांग्लादेश में पिछले एक दशक में भारत का प्रभाव कुछ ज़्यादा ही बढ़ा है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जानकार लैलुफ़र यास्मीन इस बारे में कहती हैं, “केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों में ये एक सवाल है कि क्या भारत अधिकार जमाने वाला देश है या नहीं। यहां मैं कहूंगी कि अपने बड़े आकार और प्रभाव के लिहाज से कोई देश जैसा व्यवहार करता है, भारत वैसा ही कर रहा है। ऐसी स्थिति में, पाया जाता है कि आकार में छोटे देशों के बीच यह धारणा पनपती है कि बड़ा देश छोटे देशों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।”

वो कहती हैं, “इसका परिणाम यह है कि न केवल बांग्लादेश बल्कि दक्षिण एशिया के अन्य देशों में भी कुछ हद तक ऐसी नकारात्मक धारणा पाई जाती है।”

प्रोफ़ेसर यास्मीन का कहना है, “इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत, बांग्लादेश का बड़ा पड़ोसी देश है। किसी यूरोपीय देश के साथ बांग्लादेश के जैसे संबंध होंगे, भारत के साथ संबंध उससे अलग होंगे। इसे ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश को आगे बढ़ने की ज़रूरत है।”

साथ ही उनका मानना है कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच के नकारात्मक रवैये को ख़त्म करने में बड़े देश को ही अहम भूमिका निभाने की ज़रूरत है।

वो कहती हैं, “अर्थव्यवस्था और राजनीति के मामले में दो दशक पहले बांग्लादेश की जो स्थिति थी, अब उसमें बहुत सुधार हुआ है। पड़ोसी देश होने के नाते भारत को भी इसका ध्यान रखना होगा। यहां बड़े देश की जिम्मेदारी अधिक है।”

SOURCE-BBC

PAPER-G.S.2

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