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Current Affair 13 August 2021

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Current Affairs – 13 August, 2021

वाहन स्क्रैप नीति की शुरुआत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि आज वाहन स्क्रैप नीति की शुरुआत भारत की विकास यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है।

अपने कई ट्वीटों में प्रधानमंत्री ने कहा है :

“आज वाहन स्क्रैप नीति की शुरुआतभारत की विकास यात्रा का एक अहम पड़ाव है। वाहन स्क्रैपिंग अवसंरचना स्थापित करने के लिये गुजरात में हुये निवेशक सम्मेलन से संभावनाओं की नई दिशायें खुलती हैं। मैं देश के नौजवानों और स्टार्ट-अप कंपनियों से आग्रह करता हूं कि वे इस कार्यक्रम में शामिल हों।

वाहन स्क्रैपिंग से धीरे-धीरे तथा पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाये प्रदूषण फैलाने वाले और अनुपयुक्त वाहनों को हटाने में मदद मिलेगी। हमारा लक्ष्य है पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुये सभी हितधारकों के लिये एक कारगर #circulareconomy की रचना और मूल्य-संवर्धन करना।

वाहन स्क्रैपिंग नीति

इस नीति को केंद्रीय बजट 2021-22 में पहली बार घोषित किया गया था।

इस नीति के अंतर्गत 20 साल से अधिक पुराने 51 लाख और 15 साल से अधिक पुराने 34 लाख हल्के मोटर व्हीकल्स (LMV) को शामिल किया गया है।

भारत एक ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टम (Global Positioning System- GPS) आधारित टोल संग्रह प्रणाली को भी लागू करेगा और एक साल के अंदर सभी टोल बूथों को बंद कर दिया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

उद्देश्य :

  • पुराने और खराब वाहनों को कम कर इनसे होने वाले वायु प्रदूषकों को कम करना, सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार करना।

प्रावधान :

  • फिटनेस टेस्ट :
    • पुनः पंजीकरण कराने से पूर्व 15 वर्ष से अधिक पुराने वाणिज्यिक वाहनों और 20 वर्ष से अधिक पुराने निजी वाहनों को एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा।
    • पुराने वाहनों का परीक्षण स्वचालित फिटनेस केंद्र में किया जाएगा, यहाँ वाहनों का फिटनेस टेस्ट अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर किया जाएगा।
      • इन फिटनेस केंद्रों में वाहनों का उत्सर्जन परीक्षण, ब्रेकिंग सिस्टम, सुरक्षा घटकों आदि का परीक्षण किया जाएगा और इस टेस्ट में विफल रहने वाले वाहनों को हटा (Scrap) दिया जाएगा।
      • मंत्रालय ने पंजीकरण प्रक्रिया के लिये स्क्रैपिंग सुविधाओं हेतु नियम भी जारी किये हैं।
  • रोड टैक्स से छूट :
    • राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि वे निजी वाहनों के लिये 25% तक और व्यावसायिक वाहनों हेतु 15% तक रोड-टैक्स में छूट प्रदान करें ताकि पुराने वाहनों के मालिकों को पुराने तथा अनफिट वाहनों को हटाने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
  • वाहन में छूट :
    • वाहन निर्माताओं द्वारा ‘स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट’ दिखाने वालों को नई गाड़ी लेने पर 5% की छूट दी जाएगी, साथ ही नए वाहन के पंजीकरण शुल्क में भी छूट दी जाएगी।
  • हतोत्साहित करना :
    • 15 वर्ष या इससे पुराने वाहनों के पुनः पंजीकरण शुल्क को बढ़ाकर ऐसे वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित किया जाएगा।

महत्त्व :

  • स्क्रैप यार्ड का निर्माण :
    • यह देश में अधिक स्क्रैप यार्ड बनाने और पुराने वाहनों के कचरे से प्रभावी रूप से निपटने में मदद करेगा।
  • रोज़गार :
    • नए फिटनेस सेंटरों से लगभग 35 हज़ार लोगों को रोज़गार मिलेगा और 10,000 करोड़ रुपए का निवेश प्राप्त होगा।
  • राजस्व में सुधार :
    • यह भारी और मध्यम वाणिज्यिक वाहनों जो कि IL&FS संकट (Infrastructure Leasing & Financial Services) और कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थितियों के कारण आर्थिक मंदी में थे, की बिक्री को बढ़ावा देगा।
    • इस नीति से सरकारी खजाने को वस्तु और सेवा कर (GST) के माध्यम से लगभग 30,000 से 40,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने की उम्मीद है।
  • कीमतों में कमी :
    • पुराने वाहनों से प्राप्त धातु और प्लास्टिक के पुनर्चक्रण से ऑटो कंपोनेंट (Auto Component) की कीमतें काफी हद तक कम हो जाएगी।
    • स्क्रैप सामग्री सस्ती होने से वाहन निर्माताओं की उत्पादन लागत कम हो जाएगी।
  • प्रदूषण में कमी :
    • यह ईंधन दक्षता में सुधार और प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा।
      • नए वाहनों की तुलना में पुराने वाहन पर्यावरण को 10 से 12 गुना अधिक प्रदूषित करते हैं। एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में 15 वर्ष से अधिक पुराने लगभग 17 लाख मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहन मौजूद हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

TOPIC-ENVIRONMENT

 

बाहरीन को सेब की अनोखी किस्में निर्यात

नित नये स्थानों को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात कोप्रोत्साहन देते हुये कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (अपेडा) ने हिमाचल प्रदेश उद्यान-विज्ञान उत्पाद विपरण और प्रसंस्करण निगम लिमिटेड (एचपीएमसी) के सहयोग से आज बाहरीन को पांच अनोखी किस्म के सेबों की पहली खेप रवाना की। इनमें रॉयल डिलिशस, डार्क ब्राउन गाला, स्कार्लेट स्पर, रेड वेलॉक्स और गोल्डन डिलिशस किस्मों वाले सेब शामिल हैं।

इन सेबों को हिमाचल प्रदेश के किसानों से प्राप्त किया गया था और अपेडा में पंजीकृत डीएम एंटरप्राइसेज ने इनका निर्यात किया। बाहरीन के अग्रणी खुदरा विक्रेता अल-जज़ीरा ग्रुप द्वारा आयोजित सेब संवर्धन कार्यक्रम के तहत इन सेबों को पेश किया जायेगा। यह प्रदर्शनी 15 अगस्त 2021 से शुरू होगी। इसी दिन से भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न की भी शुरूआत होगी, जिसकी थीम ‘भारत की आजादी का अमृत महोत्सव’ है।

सेब संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन इसलिये भी किया जा रहा है, ताकि बाहरीन के उपभोक्ता भारत में पैदा होने वाले सेबों की किस्मों से परिचित हो सकें।

यह पहल ऐसे समय में हो रही है, जब भारत कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद नये-नये देशों को आम के निर्यात में अपनी पैठ बढ़ा रहा है।

जुलाई 2021 में पूर्वी इलाकों, खासतौर से मध्यपूर्व के देशों को आम का निर्यात बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण पहलें की गई। इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के भौगोलिक संकेतक (जीआई) प्राप्त फ़ाज़िल आम की खेप बाहरीन को निर्यात की गई थी। फ़ाज़िल आम की यह खेप अपेडा पंजीकृत डीएम एंटरप्राइसेज, कोलकाता ने निर्यात की थी तथा बाहरीन के अल-जज़ीरा ग्रुप ने इसे मंगवाया था।

अपेडा गैर-पारंपरिक इलाकों और राज्यों से फलों और सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने के कदम उठाता रहा है। वह आम के निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिये वर्चुअल माध्यम से क्रेता-विक्रेता सम्मेलनों तथा उत्सवों का आयोजन करता रहा है।

बाहरीन को आम की खेप भेजने के पहले अपेडा ने कतर के दोहा में आम संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम में आम की नौ किस्में पेश की गई थीं, जिनमें पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के जीआई प्रमाणपत्र प्राप्त आमों को शामिल किया गया था। इन आमों को आयातकों ने फैमिली फूड सेंटर के स्टोरों में रखा था।

एपीडा के बारे में

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण(एपीडा) की स्थापना दिसंबर, 1985 में संसद द्वारा पारित कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा की।

निर्दिष्ट कार्य

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम 1985, (1986 का 2) के अनुसार प्राधिकरण को निम्नलिखित कार्य सौंपे गए हैं :

  • वित्तीय सहायता प्रदान कर या सर्वेक्षण तथा संभाव्यता अध्ययनों, संयुक्त उद्यमों के माध्यम से साम्या पूंजी लगाकर तथा अन्य राहतों व आर्थिक सहायता योजनाओं के द्वारा अनुसूचित उत्पादों के निर्यात से संबंद्ध उद्योगों का विकास करना;
  • निर्धारित शुल्क के भुगतान पर अनुसूचित उत्पादों के निर्यातकों के रूप में व्यक्तियोंका पंजीकरण करना;
  • निर्यात उद्देश्य के लिए अनुसूचित उत्पादों के लिए मानक और विनिर्देश तय करना।
  • बूचड़खानों, प्रसंस्करण संयंत्रों, भंडारण परिसर, वाहनों या अन्य स्थानों में जहाँ ऐसे उत्पाद रखे जाते हैं या उन पर कार्य किया जाता है, उन उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से निरीक्षण करना;
  • अनुसूचित उत्पादों की पैकेजिंग में सुधार लाना।
  • भारत से बाहर अनुसूचित उत्पादों के विपणन में सुधार लाना।
  • निर्यातोन्मुख उत्पादन का प्रोत्साहन और अनुसूचित उत्पादों का विकास।
  • उत्पादन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, विपणन या अनुसूचित उत्पादों के निर्यात में लगे संगठनों या कारखानों के मालिकों या अनुसूचित उत्पादों से सम्बद्ध मामलों के लिए निर्धारित ऐसे अन्य व्यक्तियों से आंकड़े एकत्र करना तथा इस प्रकार एकत्रित किए गए आंकड़ों या उनके किसी एक भाग या उनके उद्धरण प्रकाशित करना।
  • अनुसूचित उत्पादों से जुड़े उद्योगों के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण देना।
  • निर्धारित किए गए अन्य मामले।

एपीडा को निम्नलिखित उत्पादों के निर्यात एवं संवर्धन एवं विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है :

फल, सब्जी तथा उनके उत्पाद

मांस तथा मांस उत्पाद

कुक्कुट तथा कुक्कुट उत्पाद

डेरी उत्पाद

कन्फेक्शनरी, बिस्कुट तथा बेकरी उत्पाद

शहद, गुड़ तथा चीनी उत्पाद

कोको तथा उसके उत्पाद, सभी प्रकार के चौकलेट

मादक तथा गैर मादक पेय

अनाज तथा अनाज उत्पाद

गाउंडनट्स, मूंगफली और अखरोट

अचार, पापड़ और चटनी

ग्वार गम

पुष्पकृषि तथा पुष्पकृषि उत्पाद

जडी बूटी तथा औषधीय पौधे

एपीडा अधिनियम की दूसरी अनुसूची में बासमती चावल को भी शामिल किया गया है।

इसके अतिरिक्त एपीडा को चीनी के आयात की निगरानी करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

एपीडा जैविक निर्यात के लिए राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के अंतर्गत प्रमाणन निकायों की मान्यता के कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनएबी) के सचिवालय के रूप में भी कार्य करता है। निर्यात के लिए “जैविक उत्पाद” को केवल तभी प्रमाणित किया जाता है जब उन्हें दस्तावेज़- “जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीओपी) में निर्धारित मानकों के अनुसार उत्पादित, संसाधित और पैक किया गया हो।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

TOPIC-ECONOMY

 

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2022 तक एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के आह्वान के अनुरूप, भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्थलीय एवं जलीय इकोसिस्टम पर बिखरे हुए प्लास्टिक के कचरे के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित कर दिया है। यह नियम वर्ष 2022 तक कम उपयोगिता और कचरे के रूप में बिखरने की अधिक क्षमता रखने वाली एकल उपयोग की प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है।

एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं की वजह से होने वाला प्रदूषण सभी देशों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौती बन गया है। भारत एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने की दिशा में कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2019 में आयोजित चौथे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में, वैश्विक समुदाय के सामने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से जुड़े बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केन्द्रित करने की तत्काल जरूरत को स्वीकार करते हुए भारत ने इस प्रदूषण से निपटने से संबंधित एक प्रस्ताव पेश किया था। यूएनईए-4 में इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाना एक महत्वपूर्ण कदम था।

1 जुलाई, 2022 से पॉलीस्टीरीन और विस्तारित पॉलीस्टीरीन समेत निम्नलिखित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक वस्तुओं के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग को प्रतिबंधित किया जाएगा :-

  • प्लास्टिक की छड़ियों से लैस ईयर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ियां, आइसक्रीम की छड़ियां, सजावट के लिए पॉलीस्टीरीन [थर्मोकोल];
  • प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलरी, मिठाई के डिब्बों के चारों ओर लपेटी जाने या पैकिंग करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, स्टिरर।

हल्के वजन वाले प्लास्टिक कैरी बैग की वजह से फैलने वाले कचरे को रोकने के लिए 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन कर दी गई है। मोटाई में इस वृद्धि के कारण प्लास्टिक कैरी का दोबारा उपयोग भी संभव होगा।

प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट, जिसे चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के चरण के तहत कवर नहीं किया गया है, को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुरूप निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक (पीआईबीओ) की विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व के जरिए पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके से एकत्र और प्रबंधित किया जाएगा। विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व के कारगर कार्यान्वयन के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व से संबंधित दिशानिर्देशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के जरिए कानूनी शक्ति प्रदान की गई है।

स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से राज्यों/केन्द्र – शासित प्रदेशों में अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है। प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कार्यान्वयन को मजबूत करने और चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के उपयोग को कम करने के लिए भी निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं : (i) राज्यों/केन्द्र – शासित प्रदेशों से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के लिए एक विशेष कार्यबल गठित करने का आग्रह किया गया है। मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर भी एक कार्यबल गठित किया गया है, जोकि चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के लिए समन्वित प्रयास करता है।

राज्यों/केन्द्र – शासित प्रदेशों की सरकारों और संबंधित केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक के उन्मूलन और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन और इस कार्यान्वयन को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना बनाने का अनुरोध किया गया है। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत सभी राज्यों/केन्द्र – शासित प्रदेशों को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (पीडब्लूएम) नियम, 2016 के प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए संस्थागत तंत्र स्थापित करने के निर्देश जारी किए गए हैं।

सरकार एकल उपयोग वाले प्लास्टिक का उन्मूलन करने और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के कारगर कार्यान्वयन के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए भी कदम उठा रही है। दो महीने की अवधि वाला एकल उपयोग वाले प्लास्टिक से संबंधित जागरूकता अभियान 2021 आयोजित किया गया है। मंत्रालय ने देश में स्कूली छात्रों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए इस विषय पर अखिल भारतीय निबंध लेखन प्रतियोगिता भी आयोजित की है।

एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के विकल्प के विकास और प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े डिजिटल समाधानों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए, स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षण संस्थानों और स्टार्टअप के छात्रों के लिए इंडिया प्लास्टिक चैलेंज – हैकाथॉन 2021 का आयोजन किया गया है।

SOURCE-PIB

TOPIC-ENVIRONMENT

PAPER-G.S. 3

 

सोनचिरैया

आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने शहरी स्वयं- सहायता समूह (एसएचजी) उत्पादों के विपणन के लिए ‘सोनचिरैया’- (एक ब्रांड और लोगो) को आज लॉन्च किया। ब्रांड और लोगो की लॉन्चिंग के दौरान, उन्होंने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और एक गरिमापूर्ण जीवन जीने में सहायता करना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है।

एमओएचयूए के तत्वावधान में, डीएवाई-एनयूएलएम ने शहरी गरीब महिलाओं को पर्याप्त कौशल और अवसर उपलब्ध कराने और टिकाऊ सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहन देने में सक्षम बनाने पर जोर दिया है। यह इन महिलाओं को प्रोत्साहन देने वाली व्यवस्था तैयार करने के लिए शहरी गरीब परिवारों की महिलाओं को एसएचजी और उनके संगठनों में एकजुट करती हैं। विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 60 लाख सदस्यों के साथ 5.7 लाख से ज्यादा एसएचजी बनाए गए हैं। इनमें से कई एसएचजी आजीविका गतिविधियों, हस्तशिल्प, कपड़े, खिलौने, खाने के सामान आदि में लगे हुए हैं। इन्हें मुख्य रूप से पड़ोस के बाजारों में बेचा जा रहा है और इन्हें अक्सर दृश्यता व व्यापक बाजार पहुंच में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इन चुनौतियों से पार पाने के लिए, मंत्रालय ने अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे अग्रणी ई-कॉमर्स पोर्टलों के साथ समझौता (एमओयू) किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिला सशक्तिकरण है।

कोविड-19 महामारी से पैदा चुनौतियों के बावजूद, इस साझेदारी में ई-कॉमर्स पोर्टल पर 25 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 5,000 एसएचजी सदस्यों के 2,000 से ज्यादा उत्पादों को सफलतापूर्वक जगह मिल चुकी है। एसएचजी के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण के नए तरीकों ने उन्हें ई-पोर्टलों पर सुगम परिचालन में सक्षम बनाना सुनिश्चित किया है। खाता पंजीकरण, मूल्य निर्धारण, पैकेजिंग, री-ब्रांडिंग आदि का सजीव प्रदर्शन भी ई-पोर्टलों और राज्य शहरी आजीविका मिशनों के साथ भागीदारी में आयोजित किए गए हैं।

यह पहल निश्चित रूप से एसएचजी महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों के लिए दृश्यता और वैश्विक पहुंच बढ़ाने की दिशा में उठाया गया कदम साबित होगी। मंत्रालय को व्यावसायिक रूप से पैक, हाथ से तैयार किए गए एथिनिक उत्पाद बनाने वाले कई अन्य एसएचजी सदस्यों के जुड़ने, वैश्विक स्तर के ग्राहकों तक पहुंच हासिल होने की उम्मीद है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

TOPIC-ECONOMY

 

इंडिगऊ

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज गिर, कंकरेज, साहीवाल, अंगोल आदि देशी पशुओं की नस्लों के शुद्ध किस्मों को संरक्षण प्रदान करने के लिए भारत की पहली एकल पॉलीमॉर्फिज्म (एसएनपी) आधारित चिप “इंडिगऊ” का शुभारंभ किया।

इंडिगऊ पूर्ण रूप से स्वदेशी और दुनिया की सबसे बड़ी पशु चिप है। इसमें 11,496 मार्कर (एसएनपी) हैं जो कि अमेरिका और ब्रिटेन की नस्लों के लिए रखे गए 777 के इलुमिना चिप की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। मंत्री ने कहा कि हमारी अपनी देशी गायों के लिए तैयार किया गया यह चिप आत्मनिर्भर भारत की दिशा के लिए एक शानदार उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह चिप बेहतर पात्रों के साथ हमारी अपनी नस्लों के संरक्षण के लक्ष्य की प्राप्ति करते हुए 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने में सहयोग प्रदान करने वाले सरकारी योजनाओं में व्यावहारिक रूप से उपयोगी साबित होगा।

एनडीडीबी फेनोटाइपिक रिकॉर्ड के संग्रह के क्षेत्र में अच्छे प्रकार से संगठित उपस्थिति प्रदान कर रही है, इसलिए एनआईएबी और एनडीडीबी किसी भी महत्वपूर्ण विशेषताओं का पता लगाने के लिए कम घनत्व वाले एसएनपी चिप के लिए जानकारी प्रदान करने हेतु इस शोध की शुरूआत करने जा रहा है जो कि एक दूसरे के पूरक हैं, जैसे कि उच्च दूध उपज या हीट टॉलरेंस आदि। अंततः इससे माध्यम से भारतीय मवेशियों की पात्र उत्पादकता वाले अभिजात वर्ग का चयन करने और उसमें सुधार करने में सहायता प्राप्त होगी।

एनआईएबी द्वारा अपने एसएनपी चिप्स को डिजाइन करने और निर्माण करने के लिए भारत के अंदर ही क्षमता विकसित करने के लिए निजी उद्योगों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया है। शुरुआती दिनों में यह हो सकता है कि ये बहुत कम घनत्व वाले एसएनपी चिप ही बन सकें, लेकिन धीरे-धीरे इस तकनीक को बड़े चिप के लिए और भी मजबूती प्रदान किया जा सकता है, जिसके माध्यम से इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

TOPIC-ECONOMY

 

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस

अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस (International Youth Day) हर साल 12 अगस्त को मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

  • इस अवसर पर, दुनिया भर की सरकारें और नागरिक युवाओं के सामने आने वाली समस्याओं को पहचानने और उनकी ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए एक साथ आते हैं।
  • इस दिन को कई जागरूकता अभियानों, सामुदायिक समारोहों और सामाजिक-आर्थिक और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को लाने वाले कार्यक्रमों द्वारा मनाया जाता है, जिनका सामना हर देश के युवा करते हैं।

पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1999 में हर साल 12 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस मनाने की घोषणा की। इसकी घोषणा लिस्बन में संयुक्त राष्ट्र महासभा में “युवाओं के लिए जिम्मेदार मंत्रियों के विश्व सम्मेलन” (World Conference of Ministers Responsible for Youth) द्वारा की गई सिफारिश के आधार पर की गई थी।

अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस 2021 के लिए थीम

संयुक्त राष्ट्र हर साल एक थीम तय करता है जो सभी वैश्विक समुदायों और नागरिकों के लिए प्रासंगिक है। इस वर्ष, यह दिवस “Transforming Food Systems : Youth Innovation for Human and Planetary Health” थीम के तहत मनाया गया।

थीम का महत्व

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस वर्ष की थीम समावेशी समर्थन तंत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है जो यह सुनिश्चित करता है कि युवा सामूहिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से प्रयासों को जारी रखें और खाद्य प्रणालियों को बदलने के लिए जैव विविधता को एकीकृत करने के अलावा जीवन की रक्षा की जा सके।

SOURCE-PIB

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