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Current Affair 15 June 2021

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CURRENT AFFAIRS – 15th JUNE 2021

विवा टेक आयोजन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 16 जून को शाम लगभग 4 बजे 5वें विवा टेक आयोजन में मुख्य भाषण देंगे। प्रधानमंत्री को विवा टेक 2021में मुख्य भाषण देने के लिए सम्मानित अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

आयोजन के अन्य प्रमुख वक्ताओं में फ्रांस के राष्ट्रपति श्री इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के प्रधानमंत्री श्री पेड्रो सांचेज और विभिन्न यूरोपीय देशों के मंत्री/सांसद शामिल हैं। इस कार्यक्रम में एप्पल के सीईओ श्री टिम कुक, फेसबुक के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मार्क जुकरबर्ग, और माइक्रोसॉफ्ट के अध्यक्ष श्री ब्रैड स्मिथ जैसे कॉरपोरेट नेताओं की भागीदारी भी होगी।

विवा टेक

विवा टेक यूरोप में सबसे बड़ी डिजिटल और स्टार्टअप आयोजनों में एक है। इसका आयोजन 2016 के बाद से हर वर्ष पेरिस में किया जाता है। इसका आयोजन संयुक्त रूप एक प्रमुख विज्ञापन और विपणन समूह पब्लिसिज ग्रुप और अग्रणी फ्रांसीसी मीडिया समूहलेस इकोसद्वारा किया जाता है। यह प्रौद्योगिकी नवाचार और स्टार्टअप इकोसिस्टम के हितधारकों को एक साथ लाता है। इस आयोजन में प्रदर्शनियां, पुरस्कार, पैनल चर्चा और स्टार्टअप प्रतियोगिताएं शामिल की जाती हैं।विवाटेक का 5वां संस्करण 16-19 जून 2021 को आयोजित किया जाना है।

SOURCE-PIB

 

फोर्टिफाइड ब्रैन राइस तेल

नेफेड के फोर्टिफाइड ब्रैन राइस तेल (पुष्टिकारक चावल की भूसी का तेल) का ई-लॉन्च किया।

राइस ब्रैन तेल के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, जिनमें इसके कम ट्रांस-फैट सामग्री और उच्च मोनो असंतृप्त और पॉली असंतृप्त वसा सामग्री के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना शामिल है। यह बूस्टर (वर्धक) का काम भी करता है और इसमें शामिल विटामिन ई की अधिक मात्रा के कारण कैंसर के खतरे को कम करता है। इस तेल की सिफारिश अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अन्य खाद्य तेलों के लिए सबसे अच्छे विकल्प में से एक के रूप में की जाती है। नेफेड के राइस ब्रैन आयल को पुष्टिकारक बनाया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इसमें अतिरिक्त पौष्टिक तत्व और विटामिन शामिल होंगे। एफएसएसएआई के अनुसार फोर्टिफाइड तेल एक व्यक्ति को विटामिन ए और डी के लिए अनुशंसित आहार सेवन का 25-30 प्रतिशत पूरा करने में मदद कर सकता है। नेफेड का फोर्टिफाइड राइस ब्रैन तेल सभी नेफेड स्टोर्स पर और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर भी उपलब्ध होगा।

राइस ब्रैन ऑयल एक सेहतमंद तेल के रूप में पहचान बना रहा है. यह तेल चावल की भूसी से तैयार किया जाता है. यह चावल के अंदर के छिलकों से निकाला गया तेल होता है. इसके गुणों के कारण बहुत से एशियाई देशों में इसका प्रयोग कुकिंग ऑयल के तौर पर किया जाने लगा है.राइस ब्रैन ऑयल में विटामिन-ई, प्रोटीन और फैटी एसिड शामिल होते हैं.

देखने में ये बिल्कुल मूंगफली के तेल जैसा होता है, लेकिन उससे कई गुना ज्यादा फायदेमंद होता है.ऐसा माना जाता है कि राइस ब्रैन ऑयल का सेवन करने से ह्रदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है इस तेल में ओरिजेनॉन नामक पदार्थ होता है जो दिल से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाता है.

  1. कोलेस्ट्रॉल कम करता है
    राइस ब्रान तेल में पॉलीअनसैच्युरेटेड फैट पाया जाता है, साथ ही इसमें विटामिन्स, एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
  2. हॉर्मोन
    राइस ब्रैन ऑयल में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो हॉर्मोन को संतुलित रखने में मदद करते हैं अगर हॉर्मोन संतुलित न हो तो कई बीमारियां जैसे मोटापा, पीरियड्स में अनियमिता पाचन क्रिया में गड़बड़ी जैसी शारीरिक समस्या होने की संभावना बनी रहती है जिसमें आपकी मदद राइस ब्रैन ऑयल कर सकता है.
  3. हार्ट
    ऐसा माना जाता है कि राइस ब्रैन ऑयल का सेवन करने से ह्रदय रोग के खतरे को कम किया जा सकता है इस तेल में ओरिजेनॉन नामक पदार्थ होता है जो दिल से संबंधित परेशानियों से राहत दिलाता है. दरअसल इसके सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल भी ठीक रहता है इसलिए ये हार्ट के लिए फायदेमंद माना जाता है.
  4. कैंसर
    कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए आपको सही डाइट लेना चाहिए राइस ब्रैन तेल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट कैंसर से बचाने में मददगार है ऐसा माना जाता है कि ये ब्रेस्ट कैंसर, लग्स कैंसर ब्रेन कैंसर आदि से बचाने में भी मददगार हो सकता है.
  5. त्‍वचा को स्‍वस्‍थ बनाए
    यह झुर्रियों को मिटा कर उम्र को कम दिखाने मे सहायक है. यह सूरज से होने वाली समस्‍या को दूर करता है और स्‍किन को टोन बनाता है.यह एक्‍जिमा रोग को भी ठीक करने में सहायक है.

हमारे शरीर का सबसे जरूरी भाग है इम्यूनिटी का मजबूत होना क्योंकि इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग नहीं होगा तो बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. और इम्यूनिटी को बढाने में राइस ब्रैन ऑयल आपकी मदद कर सकता है.

नफेड

भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India / NAFED / नेफेड) भारत की बहु-राज्य सहकारी सोसायटीज अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत सहकार। सहकारी संस्था है। इसकी स्थापना गांधी जयंती के पावन अवसर पर 2 अक्तुबर, 1958 को की गई थी। नेफेड की स्थापना कृषि उत्पादों के सहकारी विपणन को बढ़ाने के लिए की गई थी ताकि किसानों को लाभ मिल सके। नेफेड के सदस्य प्रमुख रूप में किसान है जिन्हें नेफेड के क्रियाकलापों में सामान्य निकाय के सदस्यों के रूप में विचार प्रकट करने तथा नेफेड के संचालन कार्यो में सुझाव देने का अधिकार है एंव उनका बहुत महत्व है। नेफेड के प्रमुख उद्देश्यों मॆं कृषि, उद्यान कृषि एवं वन उत्पाद का विपणन, संसाधन, भण्डारण की व्यवस्था करना, उन्नयन और विकास करना, कृषि यंत्रों, उपकरणों एवं अन्य प्रकार के उपकरणों का वितरण करना, अंतर्राज्यीय, राज्यांतर्गत, यथास्थिति थोक या खुदरा आयात-निर्यात व्यापार करना, भारत में इसके सदस्यों एवं सह्कारी विपणन, संसाधन एवं संभरण समितियों के उन्नयन एवं कृषि के लिए कृषि उत्पादन में सहायता और तकनीकी परामर्श देने का कार्य करना है।

नेफेड “आपरेशन ग्रीन्स” के अंतर्गत मूल्य स्थिरीकरण उपायों को क्रियान्वित करने के लिए नोडल एजेंसी है।

SOURCE-PIB

 

पोस्ट-कोविड-19 सिंड्रोम

कोविड रोगी अधिकतर 2 – 4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं। फिर भी कुछ रोगियों में कोविड के लक्षण चार सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं। ऐसी स्थिति को “एक्यूट पोस्ट कोविड सिंड्रोम” के रूप में जाना जाता है। यदि लक्षण 12 महीने के बाद भी बने रहते हैं, तो इसे “पोस्ट कोविड सिंड्रोम” के रूप में जाना जाता है।

पोस्ट- कोविड​​​​-19 के सबसे आम लक्षण :

  1. कमजोरी / थकान
  2. सांस लेने में दिक्कत
  3. घबराहट
  4. अधिक पसीना आना
  5. जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द
  6. स्वाद और गंध अनुभव न होना
  7. निद्रा संबंधी परेशानियां

कोविड के बाद के मनोवैज्ञानिक लक्षण :

  1. अवसाद
  2. चिंता

पोस्ट कोविड-19 लक्षणों के कारण ?

कोविड-19 के बाद के लक्षणों के यह दो प्रमुख कारण हैं:

  1. वायरस से संबंधित : कोरोना वायरस न केवल हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि लीवर, मस्तिष्क और किडनी सहित सभी अंगों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमारे शरीर को संक्रमण से उबरने में समय लगता है।
  2. रोग-प्रतिरोधक क्षमता से संबन्धित : वायरस के प्रवेश से हमारा इम्यून सिस्टम हाइपरएक्टिव (अति सक्रिय) हो जाता है। शरीर और वायरस के बीच लड़ाई में विभिन्न रसायन निकलते हैं जो हमारे अंगों में सूजन पैदा करते हैं। कुछ रोगियों में यह सूजन लंबे समय तक बनी रहती है।

कुछ सामान्य पोस्ट-कोविड सिंड्रोम

थ्रोम्बोएम्बोलिज़्म सबसे अधिक आशंका वाली पोस्ट-कोविड​​​​-19 स्थिति है। इसमें रक्त के थक्के रक्त वाहिका में रुकावट डालते हैं। इससे दिल का दौरा या स्ट्रोक भी हो सकता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि थक्के कहां हैं। हालांकि, कोविड-19 से ठीक होने वाले 5 प्रतिशत से कम रोगियों में ही थ्रोम्बोएम्बोलिज़्म पाया जा रहा है।

पल्मोनरी एम्बोलिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों में रक्त के थक्के के शुरुआती लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई और रक्तचाप में गिरावट शामिल है। ऐसे रोगियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती करने और आगे पता लगाने की आवश्यकता होती है।

उच्च डी-डिमर स्तर:

तीव्र से गंभीर रोगियों और उच्च डी-डिमर स्तर वाले लोगों को अस्पताल में भर्ती होने के साथ-साथ पोस्ट कोविड-19 अवधि में 2-4 सप्ताह के लिए चिकित्सीय एंटी-कोगुलेंट (थक्के गलाने) की आवश्यकता हो सकती है। परंतु एंटी-कोगुलेंट्स को चिकित्सक के की राय पर सुरक्षित तरीके से लिया जाना चाहिए।

पुरानी खांसी:

एक अन्य प्रमुख पोस्ट-कोविड​​​​-19 संक्रमण का लक्षण ठीक न हो रही पुरानी खांसी या संक्रमण के बाद की खांसी है। हमारे श्वासमार्ग में संक्रमण और सूजन के कारण ठीक होने के बाद भी मरीज में सूखी खांसी बनी रह सकती है। ठीक होने की प्रक्रिया शुरू होने पर भी फेफड़ों में सूजन के कारण भी खांसी बनी रह सकती है। सूखी खांसी का अनुभव करने वाले रोगियों के लिए गहरी सांस लेने के व्यायाम की सलाह दी जाती है।

खांसी से थकान:

कोविड के बाद के मरीज़ अक्सर खांसी के फ्रैक्चर की शिकायत करते हैं। पुरानी खांसी के कारण उन्हें छाती के निचले हिस्से में पसलियों में दर्द महसूस हो सकता है। इस स्थिति का मूल्यांकन करना भी महत्वपूर्ण है। कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस या रिब-केज में दर्द कोविड के दौरान सूजन के कारण ठीक होने के बाद भी हो सकता है।

फेफड़े में फाइब्रोसिस:

एक अन्य पोस्ट-कोविड ​​​​सिंड्रोम का भय रहता है। ऐसा फेफड़ों में रह गए उन निशानों के कारण होता है जो कोविड से ठीक हो जाने पर रह जाते हैं। करीब 90 प्रतिशत रोगियों में स्कारिंग चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण नहीं होते है। हालांकि ऐसे 10 प्रतिशत रोगियों को दीर्घकालिक पूरक ऑक्सीजन की आवश्यकता हो सकती है। “यह उन कोविड-19 रोगियों में होने की अधिक संभावना होती है जिनके फेफड़े 70 प्रतिशत से अधिक तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं। ऐसे रोगियों में भी फेफड़े की फाइब्रोसिस उनमें से लगभग 1 प्रतिशत में ही पाई जाती है।

जिन लोगों को मध्यम से गंभीर कोविड​​​​-19 था और वे ऑक्सीजन थेरेपी पर थे, ठीक होने के एक महीने बाद फेफड़ों की जांच करवा सकते हैं। वक्ष विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा यह समझने के लिए जरूरी है कि क्या फेफड़ों की क्षमता पूरी तरह से बहाल हो गई है और ऑक्सीजन निकालने की क्षमता पूरी तरह से पिछले स्तरों पर बहाल हो गई है। उन्होंने यह भी बताया कि कोविड-19 से ठीक होने वाले कई रोगियों को सीने में दर्द का अनुभव होता है और उन्हें दिल का दौरा पड़ने का डर लगता है। लेकिन कोविड से ठीक होने वाले 3 प्रतिशत से कम रोगियों में ही दिल का दौरा देखा गया है।

पोस्ट-कोविड पोषण प्रबंधन :

क्लिनिकल न्यूट्रिशनिस्ट ईशा खोसला ने कहा कि कोविड​​​​-19 के कारण मरने वाले 94 प्रतिशत लोगों ने सह-रुग्णता के कारण दम तोडा जिसमें सूजन का एक सामान्य कारण है। उन्होंने सुझाव दिया कि इसलिए हमारा आहार सूजन-रोधी होना चाहिए और हमें सही खाने, अपने शरीर को फिट रखने और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बरकरार रखने की जरूरत है।

आहार में प्रोटीन की पर्याप्तता

खोसला ने कहा कि हमारे आहार में प्रोटीन एक केंद्रित तरीके से और दिन के कम से कम दो भोजन में मौजूद होना चाहिए। इसके अलावा, हमें सब्जियों को प्रोटीन के साथ रखना चाहिए, जिससे भोजन का पाचन संतुलित तरीके से हो सके।

पूरक पोषक तत्व

क्लिनिकल न्यूट्रीशनिस्ट ने पोषक तत्वों की खुराक के उपयोग के बारे में आगाह किया और इसे विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि “जस्ता, विटामिन सी और विटामिन डी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स ने इस काल में जबरदस्त महत्व हासिल किया है। इन्हें विवेकपूर्ण तरीके से लिया जाना चाहिए और इसमें अति नहीं होनी चाहिए। ये पूरक तत्व शरीर के पुनर्जनन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।”

सुरक्षात्मक भोजन

ये भोजन शरीर के रक्षा तंत्र को मदद करते हैं। इसमें फाइटो-पोषक तत्व और फाइबर होते हैं, जो शरीर के ठीक होने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसलिए, सुरक्षात्मक भोजन भी पर्याप्त रूप से लिया जाना चाहिए। हमारी आंतों में जीवित जीवाणु पाए जाते हैं जो हमारे स्वास्थ्य और बीमारी से ठीक होने को निर्धारित करते हैं। यदि उन जीवाणुओं (माइक्रोब्स) को कोई नुकसान हुआ है तो रेशे वाला भोजन दिया जाना चाहिए ताकि उन जीवाणुओं को विकसित किया जा सके।

फाइटो-पोषक तत्व, जो विभिन्न रंगों में आते हैं और इन्द्रधनुष आहार के रूप में भी जाने जाते हैं, उन्हें इस बारे में जानकारी होती है कि कौन से जीन काम करते हैं, कौन सी दूर की कोशिकाओं को सक्रिय करना है और कौन ही को दबाना है। ये विटामिन और खनिजों से भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ईशी खोसला ने सलाह दी कि “इसलिए, रंगीन भोजन का सेवन करें और ऐसा सुरक्षात्मक भोजन कम से कम एक बार जरूर करें।”

सुरक्षात्मक भोजन में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी फूड, कोल्ड-प्रेस्ड ऑयल, हल्दी, अदरक, चाय आदि शामिल हैं।

हाइड्रेशन: पोषण विशेषज्ञ विशेष रूप से पर्याप्त पानी पीने के महत्व के बारे में भी बताया। बीमारी के दौरान और बीमारी के बाद भी हाइड्रेशन का स्तर अच्छी तरह से बनाए रखा जाना चाहिए।

मानसिक स्वास्थ्य का संबंध हमारी आंत से भी होता है जिसका हमारे शरीर पर इतना गहरा प्रभाव पड़ता है कि वैज्ञानिक अब इसे “दूसरा मस्तिष्क” कह रहे हैं। इसलिए, यदि हमारा भोजन शरीर के लिए अच्छा नहीं है, तो यह हमारी प्रतिरक्षा के अलावा हमारे मूड को भी खराब करता है।

संक्षेप में उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि स्वस्थ आहार बनाए रखें तथा मौसमी भोजन और जैविक भोजन लें।

SOURCE-PIB

 

दुनिया का पहला लकड़ी से बना उपग्रह

यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) 2021 के अंत तक दुनिया का पहला लकड़ी का उपग्रह WISA Woodsat पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च करेगी।

विसा वुडसैट (WISA Woodsat)

अंतरिक्ष यान संरचनाओं में प्लाईवुड जैसी लकड़ी की सामग्री के उपयोग का परीक्षण करने के लिए इसे लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन लकड़ी की सामग्री को चरम अंतरिक्ष स्थितियों जैसे गर्मी, ठंड, वैक्यूम और विकिरण के संपर्क में लाएगा। रॉकेट लैब इलेक्ट्रॉन रॉकेट के साथ 2021 के अंत तक लकड़ी के उपग्रह को अंतरिक्ष में लांच किया जाएगा। इसे न्यूजीलैंड के माहिया पेनिनसुला लॉन्च कॉम्प्लेक्स से लॉन्च किया जाएगा। इस सैटेलाइट को फिनलैंड में डिजाइन और निर्मित किया गया है।

उपग्रह की विशेषताएं

यह उपग्रह ध्रुवीय सूर्य-समकालिक कक्षा (polar sun-synchronous orbit) में लगभग 500-600 किमी की ऊंचाई पर परिक्रमा करेगा। यह एक 10x10x10 सेमी नैनो उपग्रह है जिसे प्लाईवुड के मानकीकृत बक्से और सतह पैनलों का उपयोग करके बनाया गया था, जो आमतौर पर हार्डवेयर स्टोर में पाए जाते हैं और फर्नीचर बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। लकड़ी से आने वाली वाष्प को कम करने और परमाणु ऑक्सीजन के क्षरणकारी प्रभावों से बचाने के लिए इसमें एल्यूमीनियम ऑक्साइड की पतली परत लगाई गई है।

SOURCE-GK TODAY

 

नाटो शिखर सम्मेलन 2021

नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) के शासनाध्यक्षों की 31वीं औपचारिक बैठक 14 जून, 2021 को ब्रुसेल्स, बेल्जियम में आयोजित की गई

बैठक का एजेंडा

नाटो नेताओं ने प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की, नाटो के भविष्य के बारे में निर्णय लिए और नाटो 2030 एजेंडा के अनुसार नाटो को अनुकूलित करने के लिए ठोस उपायों पर सहमति व्यक्त की। चर्चा के विषयों में भू-रणनीतिक वातावरण, उभरती प्रौद्योगिकियों, सामूहिक रक्षा, जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा को बदलने में नाटो की भूमिका शामिल है।

उत्तरी ऍटलाण्टिक सन्धि संगठन (अंग्रेज़ी: North Atlantic Treaty Organization, NATO; देवनागरी: नॉर्थ ऍटलाण्टिक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन, नाटो) एक सैन्य गठबन्धन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है। संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत सदस्य राज्य बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे।

गठन के शुरुआत के कुछ वर्षों में यह संगठन एक राजनीतिक संगठन से अधिक नहीं था। लेकिन कोरियाई युद्ध ने सदस्य देशों को प्रेरक का काम किया और दो अमरीकी सर्वोच्च कमाण्डरों के दिशानिर्देशन में एक एकीकृत सैन्य संरचना निर्मित की गई। लॉर्ड इश्मे पहले नाटो महासचिव बने, जिनकी संगठन के उद्देश्य पर की गई टिप्पणी, “रुसियों को बाहर रखने, अमरीकियों को अंदर और जर्मनों को नीचे रखने” (के लिए गई है।) खासी चर्चित रही। यूरोपीय और अमरीका के बीच रिश्तों की तरह ही संगठन की ताकत घटती-बढ़ती रही। इन्हीं परिस्थितियों में फ्रांस स्वतंत्र परमाणु निवारक बनाते हुए नाटो की सैनिक संरचना से 1966 से अलग हो गया। मैसिडोनिया 6 फरवरी 2019 को नाटो का 30वाँ सदस्य देश बना।

1989 में बर्लिन की दीवार के गिरने के बाद संगठन का पूर्व की तरफ बाल्कन हिस्सों में हुआ और वारसा संधि से जुड़े हुए अनेक देश 1999 और 2004 में इस गठबन्धन में शामिल हुए। 1 अप्रैल 2009 को
अल्बानिया और क्रोएशिया के प्रवेश के साथ गठबंधन की सदस्य संख्या बढ़कर २८ हो गई। संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद नाटो नई चुनौतियों का सामना करने के लिए नए सिरे से तैयारी कर रहा है, जिसके तहत अफ़गानिस्तान में सैनिकों की और इराक में प्रशिक्षकों की तैनाती की गई है।

बर्लिन प्लस समझौता नाटो और यूरोपीय संघ के बीच 16 दिसम्बर 2002 को बनाया का एक व्यापक पैकेज है, जिसमें यूरोपीय संघ को किसी अन्तरराष्ट्रीय विवाद की स्थिति में कार्रवाई के लिए नाटो परिसम्पत्तियों का उपयोग करने की छूट दी गई है, बशर्ते नाटो इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं करना चाहता हो। नाटो के सभी सदस्यों की संयुक्त सैन्य खर्च दुनिया के रक्षा व्यय का 70% से अधिक है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका अकेले दुनिया का कुल सैन्य खर्च का आधा हिस्सा खर्च करता है और ब्रिटेनफ्रांसजर्मनी और इटली 15% खर्च करते हैं।

नाटो में कितने देश है?

स्थापना        4 अप्रैल 1949

मुख्यालय       ब्रुसेल्स, बेल्जियम

सदस्यता        30 राज्य [दिखाएँ] मैंसीडोनिया मॉन्टेनीग्रो

आधिकारिक भाषा    अंग्रेज़ी फ्रांसीसी

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO)

वर्तमान में इस संगठन में 29 सदस्य देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है। 1949 में इसके 12 संस्थापक सदस्य थे जिसमें बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं

उद्देश्य

  1. यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक की भूमिका निभाना
  2. सोवियत संघ के पश्चिम यूरोप में तथाकथित विस्तार को रोकना तथा युद्ध की स्थिति में लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना।
  3. सैन्य तथा आर्थिक विकास के लिए अपने कार्यक्रमों द्वारा यूरोपीय राष्ट्रों के लिए सुरक्षा छत्र प्रदान करना।
  4. पश्चिम यूरोप के देशों को एक सूत्र में संगठित करना।
  5. इस प्रकार नाटों का उद्देश्य “स्वतंत्र विश्व” की रक्षा के लिए साम्यवाद के लिए और यदि संभव हो तो साम्यवाद को पराजित करने के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता माना गया।

नाटो के 6 सदस्य देश एक दूसरे देशों के मध्य सुरक्षा प्रधान करता हैं ।

SOURCE-THE HINDU

 

World Giving Index 2021

World Giving Index 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया भर में 14वां सबसे अधिक दानी देश है।

मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 महामारी ने दुनिया भर में दान देन’ के चलन को और बढ़ा दिया है।
  • यह रिपोर्ट Charities Aid Foundation (CAF) द्वारा जारी की गई है।
  • 2021 का सर्वेक्षण पर लॉकडाउन के प्रभाव पर प्रकाश डालता है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत दुनिया भर के शीर्ष 20 सबसे उदार देशों में शामिल है।
  • भारत की रैंक में पहले के 10 साल के वैश्विक रैंक 82 से सुधार हुआ है।
  • ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अपनी शीर्ष 10 रैंकिंग बरकरार रखी है।
  • इस रिपोर्ट पर प्रकाश डाला गया, दुनिया भर के समुदाय कोविड-19 महामारी के दौरान साथी नागरिकों की मदद करने के लिए एकजुट हुए। इसके परिणामस्वरूप 2009 के बाद से ‘अजनबी की मदद’ की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई।
  • लगभग 3 अरब लोगों ने 2020 में किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करने की सूचना दी जिसे वे नहीं जानते थे।
  • 2017 और 2019 के बीच भारत के स्कोर में तेजी से सुधार हुआ है और 2020 के दौरान इसमें सुधार जारी है।
  • इस रिपोर्ट के मुताबिक, 61 फीसदी भारतीयों ने अजनबियों की मदद की, 34 फीसदी ने स्वेच्छा से अच्छे काम के लिए श्रम दान दिया जबकि 36% ने पैसे दान किए।

वर्ल्ड गिविंग इंडेक्स (WGI)

WGI एक वैश्विक सर्वेक्षण है। 2009 के बाद से इसने 1.6 मिलियन से अधिक लोगों का साक्षात्कार लिया है। यह तीन प्रश्न पूछकर सर्वेक्षण करता है: क्या उन्होंने हाल के महीने में किसी अजनबी की मदद की, पैसे दिए, या अच्छे कारण के लिए स्वेच्छा से काम किया।

SOURCE-GK TODAY

 

शोधकर्ताओं ने धुंध में वस्तुओं की इमेजिंग की बेहतर विधि विकसित की

रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (Raman Research Institute – RRI), Space Applications Centre, गौतम बुद्ध नगर में शिव नादर विश्वविद्यालय और फ्रांस की Université Rennes & Université Paris-Saclay के शोधकर्ताओं ने प्रकाश स्रोत को संशोधित किया है और तेज छवियों को प्राप्त करने के लिए पर्यवेक्षक की छोर पर उन्हें डिमोडुलेट किया है।

मुख्य बिंदु

  • इस तकनीक के साथ, धुंध के मौसम में वस्तुओं की इमेजिंग अब स्पष्ट हो सकती है, क्योंकि यह विधि धूमिल दिनों में कैप्चर की गई छवियों को बेहतर बना सकती है।
  • इस तकनीक में प्रेक्षक के पास प्रकाश स्रोत का मॉड्यूलेशन और डिमॉड्यूलेशन शामिल है।

पृष्ठभूमि

शोधकर्ताओं ने लंबे समय से परिणामी डेटा को संसाधित करने और छवियों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए बिखरने की भौतिकी (physics of scattering) और कंप्यूटर एल्गोरिदम का उपयोग करने का प्रयास किया है। लेकिन कंप्यूटर एल्गोरिदम को भंडारण और प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है, जिससे डेटा की बड़ी मात्रा में प्रोसेसिंग के लिए समय में वृद्धि होती है।

तकनीक के बारे में

शोधकर्ताओं ने प्रकाश के स्रोत के रूप में 10 लाल एलईडी लाइटों का चयन किया। उन्होंने लगभग 15 चक्र प्रति सेकंड की दर से LED के माध्यम से प्रवाहित होने वाली धारा को बदलकर प्रकाश के इस स्रोत को संशोधित किया। LED से 150 मीटर की दूरी पर एक कैमरा लगाया गया था, जो छवि को कैप्चर करता था और इसे डेस्कटॉप कंप्यूटर पर प्रसारित करता था। फिर, कंप्यूटर एल्गोरिदम ने स्रोत की विशेषताओं को निकालने के लिए मॉड्यूलेशन आवृत्ति के ज्ञान का उपयोग किया। इस प्रक्रिया को ‘डिमॉड्यूलेशन’ कहा जाता है।

तकनीक का महत्व

यह तकनीक लागत प्रभावी है क्योंकि इसके लिए केवल कुछ LED और एक साधारण डेस्कटॉप कंप्यूटर की आवश्यकता होती है। यह पायलट को रनवे पर बीकन का अच्छा दृश्य प्रदान करके हवाई जहाज की लैंडिंग तकनीक में सुधार कर सकती है। यह केवल परावर्तित रेडियो तरंगों पर निर्भर रहने से बेहतर है। यह विधि मार्ग में बाधाओं को भी प्रकट कर सकती है जो अन्यथा रेल, समुद्र और सड़क परिवहन में कोहरे से छिपी होती हैं

SOURCE-PIB

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