Current Affair 16 June 2021

Current Affairs 16th June 2021

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। उर्वरक विभाग ने प्रस्ताव किया था कि वर्ष 2021-22 (मौजूदा मौसम तक) के लिये पी-एंड-के उर्वरकों पर पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी तय कर दी जाये।

भारत सरकार उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है, खासतौर से यूरिया और 22 ग्रेड वाले पी-एंड-के उर्वरकों की, जिसमें डीएपी भी शामिल है। ये उर्वरक किसानों को सब्सिडी के आधार पर उर्वरक निर्माताओं/आयातकों से मिलेंगे।

पी-एंड-के उर्वरकों पर सब्सिडी एनबीएस योजना के आधार पर दी जा रही है, जो एक अप्रैल, 2010 से प्रभावी है। किसान-समर्थक भावना के साथ सरकार इस बात के लिये प्रतिबद्ध है कि पी-एंड-के उर्वरक की उपलब्धता किसानों को सस्ती दरों पर सुनिश्चित की जाये। यह सब्सिडी एनबीएस दरों पर उर्वरक कंपनियों को जारी की जायेगी, ताकि किसानों को सस्ती कीमत पर उर्वरक मिल सके।

पिछले कुछ महीनों में डीएपी और अन्य पी-एंड-के उर्वरकों के कच्चे माल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तैयार डीएपी आदि की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। कीमतें तेजी से बढ़ने के बावजूद भारत में डीएपी की कीमतें शुरूआत में कंपनियों ने नहीं बढ़ाई थीं, हालांकि कुछ कंपनियों ने इस वित्त वर्ष की शुरूआत में डीएपी की कीमत में इजाफा किया था।

किसानों की चिंताओं से सरकार पूरी तरह अवगत है और उन चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। सरकार हालात से निपटने के लिये कदम उठा रही है, ताकि किसान समुदाय को पी-एंड-के उर्वरकों (डीएपी सहित) की बढ़ती कीमतों के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। इस सिलसिले में पहले कदम के तहत सरकार ने सभी उर्वरक कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे किसानों के लिये बाजार में इन उर्वरकों की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करें। सरकार देश में उर्वरकों की उपलब्धता की निगरानी कर रही है।

डीएपी की कीमतों के हवाले से, सरकार पहले ही उर्वरक कंपनियों को आदेश दे चुकी है कि वे डीएपी आदि के अपने पुराने स्टॉक को पुरानी कीमतों पर ही बेचें। इसके अलावा सरकार ने यह भी गौर किया था कि देश और उसके नागरिक (किसानों सहित) ऐसे अप्रत्याशित दौर से गुजर रहे हैं, जब अचानक देश में कोविड महामारी की दूसरी लहर का कहर बरस रहा हो। भारत सरकार कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुये कई विशेष पैकेजों की घोषणा कर चुकी है। इसी तरह, भारत में डीएपी की कीमतों का संकट भी असाधारण है और किसान दबाव में आ गया है। भारत सरकार ने किसानों के लिये विशेष पैकेज के रूप में एनबीएस योजना के तहत सब्सिडी की दरें बढ़ा दी हैं। ये दरें इस तरह बढ़ाई गई हैं कि डीएपी (अन्य पी-एंड-के उर्वरकों सहित) की खुदरा कीमतों को मौजूदा खरीफ मौसम तक पिछले वर्ष के स्तर पर ही रखा जाये। कोविड-19 पैकेज की तरह यह भी एकबारगी उपाय है, ताकि किसानों की कठिनाइयों को कम किया जा सके। चंद महीनों में अंतर्राष्ट्रीय कीमतों के नीचे आने की संभावना को देखते हुये भारत सरकार हालात का जायजा लेगी और उसके अनुसार स्थिति को देखते हुये सब्सिडी दरों के सम्बंध में फैसला करेगी। अतिरिक्त सब्सिडी की इस व्यवस्था से लगभग 14,775 करोड़ रुपये के बोझ का अनुमान है।

मंत्रिमंडल आर्थिक समिति

भारत की मंत्रिमण्डलीय आर्थिक समिति या केंद्रीय आर्थिक समिति, भारत सरकार के आर्थिक मामलों में निर्णय लेने वाली मंत्रिमण्डलीय समिति है। इस समिति में भारत के प्रधानमन्त्री की अध्यक्षता में गृहमन्त्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और विदेश मंत्री शामिल होते हैं। यह समिति भारत की आर्थिक नीतियों के मामलों में अंतिम निर्णय लेने और आर्थिक नीति को दिशा प्रदान करने हेतु ज़िम्मेदार है।

SOURCE-PIB

  

आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंगप्लस

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 16 जून, 2021 को आठवीं आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक (एडीएमएम) प्लस को संबोधित करते हुए राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के आधार पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक खुली और समावेशी व्यवस्था का आह्वान किया। एडीएमएम प्लस 10 आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ) देशों और उसके आठ वार्ता सहयोगियों – ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस और अमेरिका के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक है। ब्रुनेई इस वर्ष एडीएमएम प्लस फोरम की अध्यक्षता कर रहा है।

रक्षा मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस) के अनुसार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में सभी के लिए नौवहन की स्वतंत्रता, समुद्री क्षेत्र में उड़ान और बेरोकटोक व्यापार की आजादी सुनिश्चित करने की जरूरत पर जोर दिया। समुद्री सुरक्षा संबंधी चुनौतियां भारत के लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए संचार के समुद्री क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। रक्षा मंत्री ने आशा व्यक्त की कि कोड ऑफ कंडक्ट वार्ता से अंतर्राष्ट्रीय कानून को ध्यान में रखते हुए परिणाम सामने आएंगे और उन राष्ट्रों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जो इन चर्चाओं के पक्षधर नहीं हैं।

आतंकवाद और कट्टरता को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने आतंकी संगठनों और उनके नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने के लिए सामूहिक सहयोग का आह्वान किया। सामूहिक सहयोग अपराधियों की पहचान करने और उन्हें जवाबदेह ठहराने और यह सुनिश्चित करने कि आतंकवाद का समर्थन करने और वित्तपोषण करने वालों, आतंकवादियों को आश्रय प्रदान करने वालों के खिलाफ मजबूत कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के सदस्य के तौर पर भारत वित्तीय आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

साइबर खतरों से निपटने के लिए रक्षा मंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों द्वारा निर्देशित बहु-हितधारक दृष्टिकोण का आह्वान किया, जिसमें एक शासन ढांचा हो जो खुला और समावेशी हो तथा देशों की संप्रभुता का सम्मान करते हुए एक सुरक्षित, खुले और स्थिर इंटरनेट वाला हो, यही साइबर स्पेस के भविष्य का संचालन करेगा ।

दुनिया के सामने सबसे हालिया चुनौती कोविड-19 के बारे में श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि महामारी का प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है और इसलिए चुनौती यह है कि विश्व अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर बढ़े और यह सुनिश्चित हो कि इसमें कोई भी पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब पूरे मानव समुदाय को टीका लगाया जाए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विश्व स्तर पर पेटेंट मुक्त टीके उपलब्ध कराने, निर्बाध आपूर्ति श्रृंखलाएं और अधिक वैश्विक चिकित्सा क्षमताएं कुछ ऐसे प्रयास हैं जिनका सुझाव भारत ने संयुक्त प्रयास के तौर पर दिया है।

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन

दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (अंग्रेज़ी:एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस, लघु:आसियान) दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह है, जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं। इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है। आसियान की स्थापना ८ अगस्त, १९६७ को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में की गई थी। इसके संस्थापक सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर थे। ब्रूनेई इस संगठन में १९८४ में शामिल हुआ और १९९५ में वियतनाम। इनके बाद १९९७ में लाओस और बर्मा इसके सदस्य बने। १९७६ में आसियान की पहली बैठक में बंधुत्व और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए गए। १९९४ में आसियान ने एशियाई क्षेत्रीय फोरम (एशियन रीजनल फोरम) (एआरएफ) की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था। अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित एआरएफ के २३ सदस्य हैं।

अपने चार्टर में आसियान के उद्देश्य के बारे में बताया गया है। पहला उद्देश्य सदस्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को कायम रखा जाए, इसके साथ ही झगड़ों का शांतिपूर्ण निपटारा हो। सेक्रेट्री जनरल, आसियान द्वारा पारित किए प्रस्तावों को लागू करवाने और कार्य में सहयोग प्रदान करने का काम करता है। इसका कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। वर्तमान में थाईलैंड के सूरिन पिट्स्वान इसके सेक्रेट्री जनरल है। आसियान की निर्णायक बॉडी में राज्यों के प्रमुख होते हैं, इसकी वर्ष में एक बार बैठक होती है।

भारत आसियान देशों से सहयोग करने और संपर्क रखने का सदा ही इच्छुक रहा है। हाल ही में १३ अगस्त,२००९को भारत ने आसियन के संग बैंगकॉक में सम्मेलन किया, जिसमें कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए थे। भारतीय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2008, नई दिल्ली में आसियान मुख्य केन्द्र बिन्दु रहा था। नई व्यापार ब्लॉक के तहत दस देशों की कंपनियों और कारोबारियों ने मेले में भाग लिया था। थाइलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, वियतनाम, फिलिपींस, ब्रुनेई, कंबोडिया और लाओस आसियान के सदस्य देश हैं, जिनके उत्पाद व्यापार मेले में खूब दिखे थे। आसियान भारत का चौथा सबसे बडा व्यापारिक भागीदार है।

संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि

UNCLOS (United Nations Convention on the Law of the Sea)

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार एवं ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है तथा समुद्री साधनों के प्रयोग के लिये नियमों की स्थापना करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने इस कानून को वर्ष 1982 में अपनाया था लेकिन यह नवंबर 1994 में प्रभाव में आया।
  • भारत ने वर्ष 1995 में UNCLOS को अपनाया, इसके तहत समुद्र के संसाधनों को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है- आंतरिक जल (IW), प्रादेशिक सागर (TS) और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)।

आंतरिक जल (Internal Waters-IW) : यह बेसलाइन की भूमि के किनारे पर होता है तथा इसमें खाड़ी और छोटे खंड शामिल हैं।

प्रादेशिक सागर (Territorial Sea-TS) : यह बेसलाइन से 12 समुद्री मील की दूरी तक फैला हुआ होता है। इसके हवाई क्षेत्र, समुद्र, सीबेड और सबसॉइल पर तटीय देशों की संप्रभुता होती है एवं इसमें सभी जीवित और गैर-जीवित संसाधन शामिल हैं।

अनन्य आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone-EEZ) : EEZ बेसलाइन से 200 नॉटिकल मील की दूरी तक फैला होता है। इसमें तटीय देशों को सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन का संप्रभु अधिकार प्राप्त होता है।

SOURCE-PIB

 

गहरे समुद्र अभियान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने गहरे समुद्र में संसाधनों का पता लगाने और महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग के लिए गहरे समुद्र प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के उद्देश्य से “गहरे समुद्र अभियान” पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

इस अभियान को चरणबद्ध तरीके से लागू करने के लिए 5 वर्ष की अवधि की अनुमानित लागत 4,077 करोड़ रुपए होगी। 3 वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2823.4 करोड़ रुपये होगी। गहरे समुद्र परियोजना भारत सरकार की नील अर्थव्यवस्था पहल का समर्थन करने के लिए एक मिशन आधारित परियोजना होगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओइएस) इस बहु-संस्थागत महत्वाकांक्षी अभियान को लागू करने वाला नोडल मंत्रालय होगा।

इस गहरे समुद्र अभियान में निम्नलिखित छह प्रमुख घटक शामिल हैं:

  1.   गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास: तीन लोगों को समुद्र में 6,000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। बहुत कम देशों ने यह क्षमता हासिल की है। मध्य हिंद महासागर में 6,000 मीटर गहराई से पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के खनन के लिए एक एकीकृत खनन प्रणाली भी विकसित की जाएगी। भविष्य में संयुक्त राष्ट्र के संगठन इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी के द्वारा वाणिज्यिक खनन कोड तैयार किए जाने की स्थिति में, खनिजों के अन्वेषण अध्ययन से निकट भविष्य में वाणिज्यिक दोहन का मार्ग प्रशस्त होगा। यह घटक नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों गहरे समुद्र में खनिजों और ऊर्जा की खोज और दोहन में मदद करेगा।
  2. महासागर जलवायु परिवर्तन सलाहकार सेवाओं का विकास: अवधारणा घटक के इस तथ्य के तहत मौसम से लेकर दशकीय समय के आधार पर महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तनों के भविष्यगत अनुमानों को समझने और उसी के अनुरूप सहायता प्रदान करने वाले अवलोकनों और मॉडलों के एक समूह का विकास किया जाएगा। यह घटक के नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र तटीय पर्यटन में मदद करेगा।
  3. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार: सूक्ष्म जीवों सहित गहरे समुद्र की वनस्पतियों और जीवों की जैव-पूर्वेक्षण और गहरे समुद्र में जैव-संसाधनों के सतत उपयोग पर अध्ययन इसका मुख्य केन्द्र होगा। यह घटक नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र समुद्री मात्स्यिकी और संबद्ध सेवाओं को मदद प्रदान करेगा।
  4. गहरे समुद्र में सर्वेक्षण और अन्वेषण: इस घटक का प्राथमिक उद्देश्य हिंद महासागर के मध्य-महासागरीय भागों के साथ बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड खनिज के संभावित स्थलों का पता लगाना और उनकी पहचान करना है। यह घटक नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र गहरे समुद्र में महासागर संसाधनों का अन्वेषण में मदद करेगा।
  5. महासागर से ऊर्जा और मीठा पानी: अपतटीय महासागर थर्मल ऊर्जा रूपांतरण (ओटीईसी) विलवणीकरण संयंत्र के लिए अध्ययन और विस्तृत इंजीनियरिंग डिजाइन इस अवधारणा प्रस्ताव का प्रमाण हैं । यह घटक नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्र अपतटीय ऊर्जा विकास में मदद करेगा।
  6. महासागर जीवविज्ञान के लिए उन्नत समुद्री स्टेशनः इस घटक का उद्देश्य महासागरीय जीव विज्ञान और इंजीनियरिंग में मानव क्षमता और उद्यम का विकास करना है। यह घटक ऑन-साइट बिजनेस इन्क्यूबेटर सुविधाओं के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक अनुप्रयोग और उत्पाद विकास में परिवर्तित करेगा। यह घटक नील अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे महासागर जीव विज्ञान, नील व्यापार और नील विनिर्माण में मदद प्रदान करेगा।

गहरे समुद्र में खनन के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों का रणनीतिक महत्व है लेकिन ये वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए, अग्रणी संस्थानों और निजी उद्योगों के सहयोग से प्रौद्योगिकियों को स्वदेश में ही निर्मित करने का प्रयास किया जाएगा। एक भारतीय शिपयार्ड में गहरे समुद्र में खोज के लिए एक शोध पोत बनाया जाएगा जो रोजगार के अवसर पैदा करेगा। यह मिशन समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता विकास की दिशा में भी निर्देशित है, जो भारतीय उद्योगों में रोजगार के अवसर प्रदान करेगा। इसके अलावा, विशेष उपकरणों, जहाजों के डिजाइन, विकास और निर्माण और आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना से भारतीय उद्योग, विशेष रूप से एमएसएमई और स्टार्ट-अप के विकास को गति मिलने की उम्मीद है।

विश्व के लगभग 70 प्रतिशत भाग में मौजूद महासागर, हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बने हुए हैं। गहरे समुद्र का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा अभी तक खोजा नहीं जा सका है। भारत के लिए, इसकी तीन किनारे महासागरों से घिरे हैं और देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी तटीय क्षेत्रों में रहती है।  महासागर मत्स्य पालन और जलीय कृषि, पर्यटन, आजीविका और नील व्यापार का समर्थन करने वाला एक प्रमुख आर्थिक कारक है। महासागर न सिर्फ भोजन, ऊर्जा, खनिजों, औषधियों, मौसम और जलवायु के भंडार हैं बल्कि पृथ्वी पर जीवन का आधार भी हैं। दीर्घकालिक रूप से महासागरों के महत्व को ध्यान में रखते हुए, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने 2021-2030  के दशक को सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान के दशक के रूप में घोषित किया है। भारत की समुद्री स्थिति अद्वितीय है। इसकी 7,517 किमी लंबी तटरेखा नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का आवास है। फरवरी 2019 में प्रतिपादित किए गए भारत सरकार के 2030 तक के नए भारत के विकास की अवधारणा के दस प्रमुख आयामों में से नील अर्थव्यवस्था भी एक प्रमुख आयाम है।

SOURCE-PIB

 

सौर मंडल और इंटरस्टेलर स्पेस

वैज्ञानिकों ने सौर मंडल और इंटरस्टेलर स्पेस के बीच हेलियोस्फीयर (Heliosphere) नामक सीमा का पहला 3D मानचित्र बनाया है। नासा के IBEX उपग्रह के डेटा का उपयोग करके यह 3D मानचित्र बनाया गया है।

मुख्य बिंदु

हेलिओस्फीयर की सीमा को पहली बार मैप किया गया है।

यह वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करेगा कि सौर और अंतर-तारकीय हवाएं कैसे परस्पर क्रिया करती हैं।

इससे पहले, इस सीमा का उल्लेख भौतिकी मॉडल के सिद्धांतों में किया गया था।

यह पहली बार है जब वैज्ञानिक इसे मापने और इसका त्रि-आयामी नक्शा बनाने में सक्षम हुए।

हेलियोस्फीयर क्या है?

सूर्य द्वारा निर्मित हेलियोस्फीयर (Heliosphere), सूर्य के चारों ओर अंतरिक्ष का एक विशाल बुलबुले जैसा क्षेत्र है। यह आसपास के तारे के बीच के माध्यम में सूर्य द्वारा गठित एक कैविटी है।  सौर प्लाज़्मा हेलिओस्फीयर के बाहर, आकाशगंगा में प्रवेश करते हुए, इंटरस्टेलर प्लाज्मा को एक रास्ता प्रदान करता है। हेलियोस्फीयर के अंदर और बाहर विकिरण का स्तर अलग-अलग होता है। गेलेक्टिक कॉस्मिक किरणें इसमें कम मात्रा में होती हैं। इस प्रकार, अंदर के ग्रह आंशिक रूप से उनके प्रभाव से परिरक्षित होते हैं। हेलियोस्फीयर सूर्य के प्रभाव वाला क्षेत्र है। इसका किनारा (edge) सूर्य से आने वाली सौरमंडलीय चुंबकीय क्षेत्र और सौर हवा से तय होती है।हेलियोस्फीयर की खोज अलेक्जेंडर जे. डेसलर ने की थी। उन्होंने 1967 में हेलियोफिजिक्स नामक अपने वैज्ञानिक साहित्य में इस शब्द का इस्तेमाल किया था। हेलियोफिजिक्स में अंतरिक्ष मौसम और अंतरिक्ष जलवायु शामिल हैं।

SOURCE-GK TODAY

 

UNESCO Science Report

UNESCO Science Report (USR) का नवीनतम संस्करण 11 जून, 2021 को प्रकाशित किया गया था।

UNESCO Science Report (USR)

USR यूनेस्को का एक प्रमुख प्रकाशन है जो हर पांच साल में एक बार प्रकाशित होता है।

यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर एक रिपोर्ट है।

प्रत्येक संस्करण में भारत पर एक अध्याय शामिल होता है।

इस नवीनतम संस्करण में भारत पर अध्याय Centre for Development Studies, तिरुवनंतपुरम के निदेशक प्रोफेसर सुनील मणि द्वारा लिखा गया था।

यह अध्याय सुझावों और सिफारिशों के साथ भारत में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के विकास का एक सिंहावलोकन प्रदान करता है।

सिफारिशें और सुझाव

COVID-19 के कारण नवाचार को बढ़ावा देने की पहल के संबंध में, USR वित्त अनुसंधान परियोजनाओं के लिए नए तरीके खोजने और मौजूदा आईपी नियमों में संशोधन करने का सुझाव देता है ताकि टीकों और दवाओं पर अनिवार्य लाइसेंस समाप्त किया जा सके।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने उद्योग 0 प्रौद्योगिकियों को नहीं अपनाया है और स्वचालन के कारण नौकरी छूटना अब कोई गंभीर खतरा नहीं है।

इस रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है, कुछ प्रयासों के बावजूद केवल कुछ भारतीय राज्यों ने अक्षय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में प्रगति की है। USR इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन का सुझाव देती है।

इस रिपोर्ट में रोजगार पर प्रकाश डाला गया है, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और चिकित्सा स्नातकों के लिए नौकरी के अवसर नहीं बढ़े हैं। हालांकि, इन स्नातकों की रोजगार योग्यता 2014 में 34% से बढ़कर 2019 में 49% हो गई है। यह गंभीर मुद्दा है क्योंकि हर दूसरा स्नातक बेरोजगार है।

यूनेस्को

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO) संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का  प्रयास करती है।

नेस्को संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (United Nations Sustainable Development Group- UNSDG) का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों के इस समूह का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करना है।

यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में अवस्थित है एवं विश्व में इसके 50 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय हैं।

इसके 193 सदस्य देश एवं 11 संबद्ध सदस्य (अप्रैल 2020 तक) हैं और यह सामान्य सम्मेलन एवं कार्यकारी बोर्ड के माध्यम से नियंत्रित होता है।

यूनेस्को के सदस्य देशों में शामिल तीन देश संयुक्त राष्ट्र के सदस्य नहीं हैं: कुक द्वीप (Cook Islands), निउए (Niue) एवं फिलिस्तीन, जबकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में से तीन देश इज़रायल, लिकटेंस्टीन, संयुक्त राज्य अमेरिका यूनेस्को के सदस्य देश नहीं हैं।

उद्देश्य:

यूनेस्को के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

सभी के लिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उन्हें उम्र भर सीखने हेतु प्रेरित करना।

सतत् विकास के लिये नीति एवं विज्ञान संबंधी ज्ञान का उपयोग करना।

उभरती सामाजिक और नैतिक चुनौतियों को संबोधित करना।

सांस्कृतिक विविधता,परस्पर संवाद एवं शांति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।

संचार एवं सूचना के माध्यम से समावेशी ज्ञान से युक्त समाज का निर्माण करना।

विश्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानता’ पर ध्यान केंद्रित करना।

यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफिक एंड कल्चरल आर्गेनाईजेशन

भारत में उपस्थिति: 1948 से

परिचय: संयुक्‍त राष्‍ट्र की विशेषज्ञ एजेंसी के नाते यूनेस्‍को का मिशन शिक्षा, विज्ञान, संस्‍कृति, संचार और सूचना क्षेत्रों में अपने काम के जरिए शांति स्‍थापना, गरीबी उन्‍मूलन, सतत् विकास और अंतर-सांस्‍कृतिक संवाद में योगदान करना है। यूनेस्‍को की शक्ति सरकारों, संयुक्‍त राष्‍ट्र एजेंसियों, विकास भागीदारों, प्रबुद्ध समाज के संगठनों, समुदायों और प्रोफेशनल कर्मियों के साथ नेटवर्किंग और सहयोग में है। यूनेस्‍को संयुक्‍त राष्‍ट्र की एकमात्र एजेंसी है जिसमें सदस्‍य और एसोसिएट देशों में राष्‍ट्रीय आयोगों की व्‍यवस्‍था है। यूनेस्‍को संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक मात्र संस्‍था है जिसे अभिव्‍यक्ति की स्‍वतंत्रता और प्रेस की स्‍वतंत्रता की रक्षा का दायित्‍व सौंपा गया है।

स्‍थान : नई दिल्‍ली, भारत

फोकस के क्षेत्र : संस्‍कृति; संचार एवं सूचना; शिक्षण; प्राकृतिक सेवाएं; सामाजिक एवं मानव विज्ञान

SOURCE-THE HINDU

 

Sustainable Development Report 2021

सतत विकास रिपोर्ट (Sustainable Development Report) को संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (SDSN) के विशेषज्ञों द्वारा तैयार और जारी किया गया है। यह सूचकांक तुलना करता है कि देश सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा को कैसे लागू करते हैं।

मुख्य बिंदु

  • इस वर्ष, फिनलैंड को इस सूचकांक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
  • एक नॉर्डिक देश पहली बार इस सूचकाक में शीर्ष पर है।

कैसे फिनलैंड इस सूचकांक में सबसे ऊपर है?

गरीबी में कमी, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, जल, शांति, असमानता में कमी और कानून के शासन से संबंधित लक्ष्यों के संबंध में अपनी उपलब्धियों के आधार पर फिनलैंड ने सूचकांक में शीर्ष स्थान हासिल किया है।

फ़िनलैंड के लिए चुनौतियाँ

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई, सतत खपत, जैव विविधता के नुकसान का उन्मूलन, उत्पादन के तरीके आदि ऐसी चुनौतियां हैं जिनका फिनलैंड को सामना करना पड़ा। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी ने सतत विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है।

किन देशों ने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है?

सतत विकास सूचकांक 2021 में शीर्ष 10 देश हैं: फिनलैंड, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया, नॉर्वे, फ्रांस, स्लोवेनिया और एस्टोनिया।

सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDG)

सतत विकास लक्ष्यों को 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य राज्यों द्वारा अपनाया गया था। यह एक सार्वभौमिक एजेंडा का वर्णन करता है जो सभी देशों पर लागू होता है। यह मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (Millennium Development Goals) का उत्तराधिकारी है।SDG Index छह व्यापक श्रेणियों- शिक्षा, कौशल, स्वास्थ्य और कल्याण, स्वच्छ ऊर्जा और उद्योग, सतत भूमि उपयोग, सतत शहरों और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच 17 एसडीजी लक्ष्यों के कार्यान्वयन के आधार पर तैयार किया गया है।

SOURCE-GK TODAY

 

अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस

हर साल, संयुक्त राष्ट्र द्वारा 16 जून को अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस (International Day of Family Remittances) मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

यह दिन विदेशों में रहने वाले प्रवासियों के प्रयासों को सम्मानित करने और अपने देश में अपने परिवार के सदस्यों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए मनाया जाता है।

पहला अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक प्रेषण दिवस 2015 में मनाया गया था। यह दिन सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र को प्रवासियों की बेहतरी के लिए नीतियां बनाने और प्रेषण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

प्रेषण क्या है?

एक विदेशी कर्मचारी द्वारा अपने देश में अपने परिवार को धन के हस्तांतरण को प्रेषण (remittance) कहा जाता है। यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विकासशील देशों के लिए सबसे बड़े वित्तीय प्रवाहों में से एक है।

वैश्विक प्रेषण पर विश्व बैंक का डाटा

विश्व बैंक (World Bank) ने हाल ही में “Migration and Development Brief” रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय और मध्यम आय वाले देशों के लिए प्रेषण प्रवाह (remittance flows) 2019 की तुलना में 2020 में 1.9% कम था। यह 2020 में 540 बिलियन अमरीकी डालर और 2019 में 548 बिलियन अमरीकी डालर था।

  • प्रेषण प्रवाहों में कमी 2009 की वैश्विक वित्तीय संकट से छोटी थी।
  • हालांकि, चीन में प्रेषण प्रवाह 2020 में 30% कम हो गया।
  • कैरिबियन और लैटिन देशों की आमद 5% बढ़ी
  • दक्षिण एशिया में 2% की वृद्धि हुई
  • उत्तरी अफ्रीका में 3% की वृद्धि हुई
  • प्रशांत और पूर्वी एशिया में, यह 9% तक गिर गया
  • दक्षिण एशिया में 2% की गिरावट आई
  • उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व में 3% की गिरावट आई
  • मध्य एशिया और यूरोप में 7% की गिरावट आई
  • उप-सहारा अफ्रीका में 5% ​​की गिरावट आई
  • चीन के अलावा, नाइजीरिया में प्रेषण में भारी गिरावट आई है। इसमें 28% की गिरावट आई।

भारत और पड़ोसी

  • 2019 में, भारत को 3 बिलियन डॉलर का प्रेषण प्राप्त हुआ था। यह 2020 में 2% तक गिर गया। यह संयुक्त अरब अमीरात से प्रेषण में अधिकतम था। यूएई से भारत में प्रेषण 17% कम हो गया है।
  • पाकिस्तान में, प्रेषण में 17% की वृद्धि हुई। पाकिस्तान के लिए प्रेषण में सबसे बड़ी वृद्धि सऊदी अरब से हुई।
  • बांग्लादेश में प्रेषण 4% बढ़ा
  • श्रीलंका में, इसमें 8% की वृद्धि हुई
  • नेपाल में, यह 2% गिर गया

SOURCE-GK TODAY

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