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Current Affair 16 March 2021

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Current Affairs – 16 March, 2021

पांच सालों में 33% कम हुआ भारत का हथियारों का आयात

कभी दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक देश रहे भारत के लिए एक अच्छी खबर है। पिछले पांच सालों में विदेशों से हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आई है। स्टॉकहोम के रक्षा थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी सिपरी (Stockholm International Peace Research Institute, Sipri) की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2011-15 और 2016-20 के बीच हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आई है और इसका सबसे ज्यादा असर रूस पर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की जटिल खरीद प्रक्रिया और रूसी हथियारों पर निर्भरता कम करने की कोशिशों के तहत भारतीय हथियार आयात में कमी आई है।

पिछले कुछ सालों में भारत ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं ताकि सैन्य साजो-सामान के आयात पर निर्भरता कम हो सके। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में रक्षा राज्यमंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2018-19 और 2020-21 के बीच करीब 1.99 लाख करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।

Sipri की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2011-15 और 2016-20 के बीच हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आई। रूस सर्वाधिक प्रभावित आपूर्तिकर्ता रहा, हालांकि अमेरिका से भी भारत में हथियारों के आयात में 46 फीसदी की कमी आई। सरकार घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के रक्षा कारोबार का लक्ष्य रखा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस और चीन दोनों के हथियार निर्यात में कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन द्वारा हथियारों के निर्यात में 2016-20 के दौरान 7.8 फीसदी की कमी आई है। चीनी हथियारों के बड़े खरीदारों में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया थे। सिपरी ने कहा कि अमेरिका हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक है और 2011-15 और 2016-20 के दौरान उसका हथियारों का निर्यात 32 फीसदी से बढ़कर 37 फीसदी हो गया।

Source-https://hindi.moneycontrol.com/

 

दिल्ली सरकार का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2021

लोकसभा में सोमवार को एक विधेयक पेश किया गया है जिसमें उप-राज्यपाल को ज्यादा अधिकार दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया है कि राज्य कैबिनेट या सरकार के किसी भी फैसले को लागू करने से पहले एलजी की ‘राय’ जरूरी होगी।

बिल में किन प्रमुख बदलावों का प्रस्ताव?

सरकार को केाई भी फैसला लागू करने से पहले एलजी की ‘राय’ लेनी होगी, इनमें वह फैसले भी शामिल हैं जो मंत्रिमंडल करेगा।

एलजी उन मामलों को तय कर सकेंगे जिनमें उनकी ‘राय’ मांगी जानी चाहिए।

विधानसभा के बनाए किसी भी कानून में ‘सरकार’ का मतलब एलजी होगा।

विधानसभा या उसकी कोई समिति प्रशासनिक फैसलों की जांच नहीं कर सकती और उल्लंघन में बने सभी नियम रद्द हो जाएंगे।

केंद्र सरकार वर्तमान अधिनियम की धारा 44 में एक नया प्रावधान जोड़ना चाहती है। प्रस्तावित संशोधन कहता है कि दिल्ली में लागू किसी भी कानून के तहत ‘सरकार, राज्य सरकार, उचित सरकार, उप राज्यपाल, प्रशासक या मुख्य आयुक्त या किसी के फैसले’ को लागू करने से पहले संविधान के अनुच्छेद 239AA के क्लॉज 4 के तहत, ऐसे सभी विषयों के लिए उपराजयपाल की राय लेनी होगी। यह विषय एलजी एक सामान्य या विशेष आदेश के जरिए स्पष्ट कर सकते हैं। अनुच्छेद 239AA में दिल्ली से जुड़े विशेष प्रावधानों का जिक्र है। सूत्रों के अनुसार, इस प्रावधान के बाद प्रस्तावों को एलजी तक भेजने या न भेजने को लेकर दिल्ली सरकार कोई फैसला नहीं कर सकेगी।

एक और प्रस्ताव में केंद्र ने कहा है कि एलजी विधानसभा से पारित किसी ऐसे बिल को मंजूरी नहीं देंगे जो विधायिका के शक्ति-क्षेत्र से बाहर हैं। वह इसे राष्ट्रपति के विचार करने के लिए रिजर्व रख सकते हैं।

संशोधन बिल के अनुसार, विधानसभा का कामकाज लोकसभा के नियमों के हिसाब से चलेगा। यानी विधानसभा में जो व्यक्ति मौजूद नहीं है या उसका सदस्य नहीं है, उसकी आलोचना नहीं हो सकेगी। सूत्रों ने कहा कि पहले कई मौकों पर ऐसा हुआ जब विधानसभा में शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों के नाम लिए गए थे।

एक और प्रावधान ये है कि विधानसभा खुद या उसकी कोई कमिटी ऐसा नियम नहीं बनाएगी जो उसे दैनिक प्रशासन की गतिविधियों पर विचार करने या किसी प्रशासनिक फैसले की जांच करने का अधिकार देता हो। यह उन अधिकारियों की ढाल बनेगा जिन्हें अक्सर विधानसभा या उसकी समितियों द्वारा तलब किए जाने का डर होता है।

NOTE-दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और यह एक संविधान अधिनियम, 1991 द्वारा सम्मिलित संविधान के अनुच्छेद 239AA के तहत 1991 में अस्तित्व में आया।

मौजूदा अधिनियम के अनुसार, विधान सभा को सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को छोड़कर सभी मामलों में कानून बनाने की शक्ति है।

SOURCE-Navbharattimes

 

NOTA

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और भारत के चुनाव आयोग से एक दलील का जवाब देने के लिए कहा कि नए चुनाव उन निर्वाचन क्षेत्रों में आयोजित किए जाने चाहिए जहां सबसे अधिक मतदान NOTA (उपरोक्त में से कोई नहीं) का हुआ है।

याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं द्वारा ‘अस्वीकार’ किए गए उम्मीदवारों को नए चुनाव में दोबारा नहीं चुना जाना चाहिए।

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद ए बोबडे ने शुरू में मतदाताओं को “अस्वीकार करने का अधिकार” और राजनीतिक दलों को वोट देने के लिए उम्मीदवारों की बेहतर पसंद के साथ मतदाताओं को पेश करने के लिए नग्न करने के लिए याचिका की व्यवहार्यता पर संदेह व्यक्त किया।

मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने कहा कि यदि मतदाता उम्मीदवारों को खारिज करते रहे, तो संसद/विधानसभा सीटें खाली रह जाएंगी, जिससे विधायी कामकाज प्रभावित होगा।

लेकिन याचिका में तर्क दिया गया कि “यदि मतदाताओं को अस्वीकार करने की शक्ति दी जाती है, तो राजनीतिक दल पहले योग्य उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का ध्यान रखेंगे।”

उपरोक्त में से कोई नहीं (NOTA)?

पीयूसीएल बनाम भारत संघ (2013) में सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई को निर्देश दिया कि मतदाताओं को उनका विरोध दर्ज करने की अनुमति देने के लिए सीधे चुनावों में NOTA की शुरुआत करें।

NOTA का प्रत्यक्ष चुनाव में केवल प्रतीकात्मक मूल्य है। NOTA संख्याओं के बावजूद, सबसे अधिक वोट लेने वाले उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है।

हालांकि, यह राजनीतिक दलों को ईमानदारी के साथ उम्मीदवार बनाने के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में एक कदम।

SOURCE-THE HINDU

 

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण

सुप्रीम कोर्ट ने कम वोल्टेज वाले ट्रांसमिशन लाइनों को अंडर-ग्राउंड करने का आदेश दिया।

वैज्ञानिक नाम : Ardeotis nigriceps

शारीरिक विवरण : इसके माथे पर काले रंग का मुकुट होता है और गर्दन और सिर फीके रंग के होते हैं। शरीर भूरा होता है और पंख काले, भूरे और ग्रे रंग से चिह्नित होते हैं। यह घास के बीज,ग्रासहॉपर और बीटल जैसे कीड़े और कभी-कभी छोटे कृन्तकों और सरीसृपों को खाते हैं।

भारत, प्रभावी रूप से बस्टर्ड का एकमात्र घर है, यह अब पांच राज्यों में 150 से कम रह गए हैं। आज, इसकी आबादी ज्यादातर राजस्थान और गुजरात तक ही सीमित है। छोटी आबादी महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी पाई जाती है। यह राजस्थान का राज्य पक्षी है।

बस्टर्ड आमतौर पर न्यूनतम दृश्य बाधा और न्यूनतम अशांति के साथ समतल खुले परिदृश्य में रहते हैं, इसलिए वे घास के मैदान में अच्छी तरह से अनुकूल होते हैं।वे अपने से लंबी घास में रहना पसंद नहीं करते है।

भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में सूचीबद्धCITES के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध,आईयूसीएन रेड सूची में गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद ए बोबडे के नेतृत्व में एक बेंच प्राथमिकता के आधार पर जांच करेगी कि क्या ग्रह पर सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक को बचाने के लिए भूमि के ऊपर बिजली के तारों को भूमिगत तारों से बदला जा सकता है या नहीं। अदालत ने यह भी पाया कि उड़ान पक्षी डायवर्टर स्थापित करना, जो कि एक वैकल्पिक तंत्र है, महंगा होता है। यह पक्षियों को बिजली की लाइनों से दूर रखने का काम करता है।

SOURCE- hindi.livelaw.in

 

भारत-फिनलैंड वर्चुअल सम्मेलन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और फिनलैंड गणराज्य के प्रधानमंत्री एच.ई. सुश्री सना मारिन ने आज एक वर्चुअन सम्मेलन में भाग लिया। इस मौके पर दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों के साथ-साथ आपसी हित के अन्य क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

दोनों नेताओं ने कहा कि भारत और फिनलैंड के बीच घनिष्ठ संबंध, लोकतंत्र के साझा मूल्यों, कानून के शासन, समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के सम्मान पर आधारित हैं। उन्होंने बहुलवाद, कानून आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए काम करने की अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की फिर से दोहराया।

नेताओं ने दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय कार्यों की समीक्षा की। और इस बात की उम्मीद जताई कि दोनों देशव्यापार और निवेश, इन्नोवेशन, शिक्षा, नईतकनीकी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5 जी /6 जी, और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में संबंधों का और विस्तार करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ और ग्रीन प्रौद्योगिकी में फिनलैंड की अग्रणी भूमिका की सराहना की, और फिनलैंड की कंपनियों को टिकाऊ विकास की दिशा में भारत के चलाए जा रहे अभियान में सहयोग बढ़ाने का आह्वाहन भी किया। इस संदर्भ में, उन्होंने नवीकरणीय और जैव-ऊर्जा, टिकाऊ तकनीकी, शिक्षा, दवा और डिजिटलीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया।

इस मौके पर दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें भारत-यूरोपीय संघ साझेदारी, आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग, विश्व व्यापार संगठन और संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे मुद्दे शामिल हैं। दोनों पक्षों ने अफ्रीका में विकास संबंधी गतिविधियों में सहयोग करने के लिए भारत और फिनलैंड की भागीदारी की संभावनाओं पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने फिनलैंड को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) और आपदा प्रतिरोधकआधारभूत संरचना गठबंधन (सीडीआरआई) में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

दोनों नेताओं ने कोविड-19 की स्थिति और टीकाकरण अभियान पर भी चर्चा की, और सभी देशों में टीकों के लिए तत्काल और सस्ती पहुंच के लिए वैश्विक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया।

दोनों नेताओं ने पोर्टो में भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक और भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान एक बार फिर से मिलने की प्रतिबद्धता जताई।

फ़िनलैंड

(फ़िनिश : Suomen tasavalta सुओमेन तासावाल्ता या Suomi सुओमी) आधिकारिक तौर पर फ़िनलैंड गणराज्य उत्तरी यूरोप के फेनोस्केनेडियन क्षेत्र में स्थित एक नॉर्डिक देश है। इसकी सीमा पश्चिम में स्वीडन, पूर्व में रूस और उत्तर में नॉर्वे स्थित है, जबकि फिनलैंड खाड़ी के पार दक्षिण में एस्टोनिया स्थित है। देश की राजधानी हेलसिंकी है।

लगभग 53 लाख की आबादी वाले इस देश के ज्यादातर लोग दक्षिणी क्षेत्र में रहते हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से यह यूरोप का आठवां सबसे बड़ा और जनघनत्व के आधार पर यूरोपीय संघ में सबसे कम आबादी वाला देश हैं। देश में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की मातृभाषा फ़िनिश है, वहीं देश की ५.५ प्रतिशत आबादी की मातृभाषा स्वीडिश है।

फिनलैंड ऐतिहासिक रूप से स्वीडन का एक हिस्सा था और १८०९ से रूसी साम्राज्य के अंतर्गत एक स्वायत्त ग्रैंड डची था। रूस से गृहयुद्ध के बाद १९१७ में फ़िनलैंड ने स्वतंत्रता की घोषणा की। फिनलैंड १९५५ में संयुक्त राष्ट्र संघ में, १९६९ में ओईसीडी और १९९५ में यूरोपीय संघ और यूरोजोन में शामिल हुआ। एक सर्वेक्षण में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संकेतकों के आधार पर फिनलैंड को दुनिया का दूसरा सबसे अधिक स्थिर देश करार दिया गया है।

SOURCE-PIB

 

मंत्रिमंडल ने हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम्स एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को बंद करने की मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्त्र मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन हैंडीक्राफ्ट एंड हैंडलूम्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एचएचईसी) को बंद करने की स्वीकृति दे दी है। यह कॉरपोरेशन भारत सरकार के उपक्रम के तहत कपड़ा मंत्रालय के नियंत्रण में कार्य कर रहा था।

कॉरपोरेशन में 59 स्थायी कर्मचारी हैं और 6 मैनेजमेंट प्रशिक्षु हैं। सभी स्थायी कर्मचारियों और मैनेजमेंट प्रशिक्षुओं को सार्वजनिक उद्यम विभाग द्वारा निर्धारित तौर-तरीकों के अनुसार स्वैच्छिक अवकाश प्राप्ति योजना (वीआरएस) का लाभ उठाने का अवसर दिया जाएगा।

इस मंजूरी से नहीं चलने और आय नहीं अर्जित करने वाले केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के बीमार उद्यमों के वेतन मद में बढ़ते जा रहे खर्च को घटाने में सरकारी खजाने को लाभ होगा।

वित्त वर्ष 2015-16 से कॉरपोरेशन लगातार घाटे में चल रहा है और अपने संचालन खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आय अर्जित नहीं कर रहा। इसको पुनर्जीवित करने की संभावना बहुत ही कम है, इसलिए कंपनी को बंद करना आवश्यक है।

SOURCE-PIB

 

आणविक सेंसर

शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक आणविक सेंसर विकसित किया है, जो कैंसर की दवाओं की पहचान करके पता लगा सकता है कि इस तरह के रसायन जीवित कोशिकाओं के अंदर सूक्ष्म नलिकाएं कैसे बदलाव करते हैं।

सूक्ष्म नलिकाएं कोशिका के कोशिका द्रव्य के भीतर एक संरचनात्मक नेटवर्क साइटोस्केलेटन का हिस्सा हैं, और वे कई रसायनों की प्रतिक्रिया में बदल जाते हैं।

ट्यूबलिन संशोधनों को समझना आज तक एक चुनौती बना हुआ है क्योंकि ऐसे उपकरणों की अनुपलब्धता है जो उन्हें जीवित कोशिकाओं में चिह्नित कर सकते हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा समर्थित एक द्विपक्षीय संगठन, इंडो-फ्रेंच सेंटर फॉर द प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च यानी, भारत-फ्रांस उन्नत अनुसंधान विकास केंद्र (आईएफसीपीएआर / सीईएएफआईपीआरए) द्वारा वित्त पोषित क्युरी इंस्टीट्यूट, ऑर्से, फ्रांस के सहयोग से इनस्टेम, बैंगलोर, भारत के शोधकर्ताओं के साथ भारत सरकार और फ्रांस की सरकार ने इस कमी को दूर करने का निर्णय लिया। इन शोधकर्ताओं ने जीवित कोशिकाओं में सूक्ष्मनलिका संशोधनों की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए पहला ट्यूबुलिन नैनोबॉडी-या सेंसर विकसित किया और इसका उपयोग नई कैंसर उपचार की दवाओं की पहचान के लिए किया। यह काम हाल ही में जर्नल ऑफ सेल बायोलॉजी में हाल ही में प्रकाशित हुआ है।

बैंगलोर और ऑर्से के शोधकर्ताओं ने सिंथेटिक प्रोटीन को डिजाइन करने के लिए एक विधि तैयार की, जिसे नैनोबॉडी के रूप में जाना जाता है, जो विशेष रूप से संशोधित माइक्रोट्युबल्स से बांध सकता है। ये नैनोबॉडी रोगाणुओं के खिलाफ रक्षा तंत्र के रूप में हमारे शरीर में बनी एंटीबॉडी के समान हैं। हालांकि, एंटीबॉडी के विपरीत, नैनोबॉडी आकार में छोटे होते हैं और प्रोटीन इंजीनियरिंग के लिए आसानी से उपलब्ध हैं। इसके बाद नैनोबॉडी को एक फ्लोरोसेंट अणु के साथ जोड दिया जाता है, जिसे पता लगाने वाले उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है और इसे सेंसर कहते हैं। उन्होंने एक अद्वितीय सूक्ष्मनलिका संशोधन के खिलाफ एक जीवित सेल सेंसर को विकसित किया और मान्यता प्रदान की, जिसे सूक्ष्मनलिकाएं का टायोसीनेटेड रूप कहा जाता है जो पहले से ही कोशिका विभाजन और इंट्रासेल्युलर संगठन के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

टायरोसिनेशन सेंसर पहला ट्यूबुलिन नैनो-बॉडी या सेंसर है – जिसका उपयोग जीवित कोशिकाओं में सूक्ष्मनलिका परिवर्तन की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। सीईएफआईपीआरए शोधकर्ताओं ने सूक्ष्म सेंसर को लक्षित करने वाले छोटे-अणु यौगिकों के प्रभाव का अध्ययन करने में इस सेंसर के उपयोग को दिखाया है। इन रसायनों को अक्सर कैंसर-रोधी दवाओं के रूप में उपयोग किया जाता है। इस प्रकार, टाइरोसिनेशन सेंसर कई शोधकर्ताओं के लिए सूक्ष्मनलिका कार्यों का अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करेगा और चिकित्सीय मूल्य की नई दवाओं की पहचान करने में सहायता करेगा।

SOURCE-PIB

 

राज्यसभा ने राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी विधेयक 2019 पारित किया

राज्य सभा ने 15 मार्च, 2021 को “राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी विधेयक, 2019” (National Institute of Food Technology Bill, 2019) को मंजूरी दे दी है।

मुख्य बिंदु

यह विधेयक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान, कुंडली (हरियाणा) (National Institute of Food Technology Entrepreneurship and Management, Kundli) और भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान, तंजावुर (तमिलनाडु) (Indian Institute of Food Processing Technology, Thanjavur) को “राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान” घोषित करता है। यह विधेयक एक गवर्नर बोर्ड भी स्थापित करता है जो संस्थान में प्रमुख कार्यकारी निकाय के रूप में कार्य करेगा। यह बोर्ड संस्थानों में सामान्य दिशा, अधीक्षण और मामलों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होगा।

संस्थानों के कार्य

यह विधेयक संस्थानों के कार्यों का भी प्रावधान करता है। इन कार्यों में शामिल हैं :

खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और ज्ञान प्रसार प्रदान करना।

परीक्षा आयोजित करना और डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र और अन्य शैक्षणिक उपाधि प्रदान करना।

फीस और अन्य शुल्क निर्धारित करना।

निदेशक को छोड़कर शैक्षणिक और अन्य पदों के लिए नियुक्तियां करना।

सदस्यों की शंकाओं का समाधान करते हुए, कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि “आरक्षण नीति इन संस्थानों पर भी लागू होगी”। मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि जो लोग खाद्य प्रौद्योगिकी में काम कर रहे हैं, उन्हें इन संस्थानों में प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

भारत वर्तमान में खाद्य भंडारण, कोल्ड चेन और खाद्य प्रसंस्करण की चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 14 बिलियन अमरीकी डालर का भोजन बर्बाद होता है जबकि हर तीसरा बच्चा कुपोषण से पीड़ित है। खाद्य श्रृंखला, कौशल विकास और प्रशिक्षण के लिए ऐसे और संस्थानों की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह कानून नौकरियों का सृजन करेगा और किसानों को उद्यमी बनाएगा।

SOURCE-G.K.TODAY

 

आयुष निर्यात संवर्धन परिषद

वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद को सूचित किया कि आयुष मंत्रालय एक आयुष निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) की स्थापना का पता लगाने के लिए हितधारक के साथ परामर्श कर रहा है। सरकार उन प्रक्रियात्मक चरणों की भी खोज कर रही है जो परिषद की स्थापना में शामिल होंगे।

मुख्य बिंदु

एक उत्तर में, मंत्री ने कहा, “फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की)” को वाणिज्य विभाग और भारतीय उद्योग के सदस्यों के साथ समन्वय करने का काम सौंपा गया है। आयुष मंत्रालय ने भारतीय चिकित्सा प्रणाली और हर्बल उत्पादों के व्यापार वर्गीकरण, गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकरण का विस्तार करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स द्वारा प्रदान की गई सिफारिशों की वर्तमान सरकार द्वारा जांच की जा रही है।

एचएस कोड

मंत्री ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि आयुर्वेद, होम्योपैथिक, सिद्ध, यूनानी प्रणाली, सोवा रिग्पा, औषधीय पादप उत्पादों और हर्बल उत्पादों के अधिकांश उत्पादों की पहचान विशिष्ट एचएस कोड के तहत नहीं की जाती है। इस प्रकार, सरकार आयुष के लिए एचएस कोड के मानकीकरण के लिए कई कदम उठा रही है ताकि मूल्य और गुणवत्ता प्रतिस्पर्धा को प्राप्त किया जा सके जो बदले में निर्यात को बढ़ावा देगा। एचएस कोड ‘International Harmonised Commodity Description & Coding System’ है। यह कोड भाग लेने वाले देशों को सीमा शुल्क के प्रयोजनों के लिए सामान्य आधार पर व्यापार के सामान को वर्गीकृत करने की अनुमति देता है।

यह परिषद क्यों स्थापित की जा रही है?

आयुष उत्पाद दुनिया भर में लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं जिसके कारण आयुष उत्पादों के निर्यात में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार, भारत और दुनिया से बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए आयुष क्षेत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इस प्रकार, आयुष उत्पादों के निर्यात संबंधी पहलुओं के प्रबंधन के लिए निर्यात संवर्धन परिषद की स्थापना की जा रही है।

 

शत्रुंजय हिल्स रिजर्व फॉरेस्ट

हाल ही में, गुजरात के शत्रुंजय हिल्स आरक्षित वन क्षेत्र (Shetrunjay Hills Reserve Forest Area) में आग लग गई है। यह वन क्षेत्र भावनगर क्षेत्रीय वन प्रभाग में एशियाई शेरों (Asiatic Lions) का निवास स्थान है।

मुख्य बिंदु

भावनगर क्षेत्रीय वन प्रभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह आग पलिताना तालुका के कंजार्डा गांव के राजस्व क्षेत्र में लगी। बाद में यह शत्रुंजय डूंगर रिजर्व फॉरेस्ट (Shetrunjay Dungar Reserve Forest) में फैल गयी।

शत्रुंजय (Shatrunjaya or Shetrunjaya)

यह पहाड़ियां गुजरात में भावनगर जिले के पालिताना शहर में स्थित हैं। यह पहाड़ियां शतरुंजी नदी (Shetrunji) के तट पर स्थित हैं और इसे जैन लोगों द्वारा पवित्र पहाड़ी माना जाता हैं। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1,616 फीट है। यह पहाड़ियाँ दक्षिण में खंभात की खाड़ी और उत्तर में भावनगर शहर से घिरी हुई हैं।

पृष्ठभूमि

शत्रुंजय की जैन की पवित्र पहाड़ी पर 865 मंदिर हैं। इन पहाड़ियों को तब पवित्र किया गया जब ऋषभ ने पहाड़ी पर अपना पहला उपदेश दिया। ऋषभ जैन धर्म के पहले तीर्थंकर थे।

शतरुंजी नदी

यह गुजरात में एक पूर्व की ओर बहने वाली नदी है। यह नदी गीर पहाड़ियों के उत्तर पूर्व से निकलती है। इस नदी की अधिकतम लंबाई 227 किलोमीटर है।

SOURCE-G.K.TODAY

 

अमेरिका बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता

सऊदी अरब को पछाड़ कर अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया है। ओपेक+ (OPEC+) आपूर्ति कटौती की भरपाई के लिए रिफाइनर ने सस्ते अमेरिकी कच्चे तेल खरीद को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ाया है।

मुख्य बिंदु

सऊदी अरब ने पेट्रोलियम निर्यातक देशों और उसके सहयोगियों (OPEC+) के समझौते के अनुरूप स्वैच्छिक अतिरिक्त 1 मिलियन बीपीडी आउटपुट कम करने का निर्णय लिया है।

भारत का तेल आयात

अमेरिका से भारत का तेल आयात फरवरी 2021 में 48% बढ़कर 5,45,300 बैरल प्रति दिन (bpd) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया था। फरवरी में भारत के कुल आयात का यह 14 प्रतिशत था। दूसरी ओर, जनवरी 2021 से सऊदी अरब से भारत का आयात 42 प्रतिशत घट गया है। यह घटकर 4,45,200 बीपीडी के दशक के निचले स्तर पर आ गया है।

पृष्ठभूमि

भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता है। भारत ने वैश्विक स्तर पर तेल की कीमत में वृद्धि में योगदान के लिए सऊदी अरब की स्वैच्छिक कटौती की ओर भी इशारा किया था।

शीर्ष विक्रेता

आंकड़ों के अनुसार, इराक भारत के लिए शीर्ष तेल विक्रेता बना रहा। हालाँकि तेल की खरीद पांच महीने के निचले स्तर तक 23% घटकर 8,67,500 बीपीडी रह गई है। इराक ने ओपेक के उत्पादन सौदे के तहत दायित्वों को पूरा करने के लिए 2021 में भारतीय रिफाइनर्स को तेल की वार्षिक आपूर्ति में 20 प्रतिशत की कटौती की है।

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