Current Affairs – 17 March, 2021
आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आपदा अनुकूल अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। इस अवसर पर फिजी, इटली और यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में सरकारों की ओर से प्रतिभागियों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने भी भाग लिया।
23 सितंबर, 2019 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन UN Climate Action Summit के दौरान CDRI की शुरुआत किये जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा आयोजित यह शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसके परिणामस्वरूप होने वाली आपदाओं से निपटने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिये बड़ी संख्या में राष्ट्राध्यक्षों को एक साथ लाएगा तथा CDRI के लिये आवश्यक उच्च स्तर पर ध्यान देने योग्य बनाएगा।
अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित पहलों को मंजूरी दी गईः
नई दिल्ली में सहायक सचिवालय कार्यालय सहित आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन CDRI की स्थापना।
सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (Societies Registration Act) 1860 के अंतर्गत संस्था के रूप में CDRI के सचिवालय की नई दिल्ली में स्थापना ‘CDRI संस्था’ अथवा इससे मिलते-जुलते नाम से उपलब्धता के आधार पर की जाएगी।
संस्था का ज्ञापन और ‘CDRI संस्था’ के उपनियमों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा यथासमय तैयार किया जाएगा और इन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा।
CDRI को तकनीकी सहायता और अनुसंधान परियोजनाओं का निरंतर आधार पर वित्त पोषण करने, सचिवालय कार्यालय की स्थापना करने तथा बार-बार होने वाले खर्चों के लिये वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये आवश्यक राशि हेतु भारत सरकार की ओर से 480 करोड़ रुपए (लगभग 70 मिलियन डॉलर) की सहायता को सैद्धांतिक मंजूरी देना।
चार्टर दस्तावेज का समर्थित स्वरूप CDRI के लिये संस्थापक दस्तावेज का कार्य करेगा। NDMA द्वारा विदेश मंत्रालय के परामर्श से संभावित सदस्य देशों से जानकारी लेने के बाद इस चार्टर को अंतिम रूप दिया जाएगा।
प्रमुख प्रभावः
CDRI एक ऐसे मंच के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा, जहाँ आपदा और जलवायु के अनुकूल अवसंरचना के विविध पहलुओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी और उसका आदान-प्रदान किया जाएगा।
यह विविध हितधारकों की तकनीकी विशेषज्ञता को एक स्थान पर एकत्र करेगा। इसी क्रम में यह एक ऐसी व्यवस्था का सृजन करेगा, जो देशों को उनके जोखिमों के संदर्भ तथा आर्थिक जरूरतों के अनुसार अवसंरचनात्मक विकास करने के लिये उनकी क्षमताओं और कार्यपद्धतियों को उन्नत बनाने में सहायता करेगी।
इस पहल से समाज के सभी वर्ग लाभांवित होंगे।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, महिलाएँ और बच्चे आपदाओं के प्रभाव की दृष्टि से समाज का सबसे असुरक्षित वर्ग होते हैं तथा ऐसे में आपदा के अनुकूल अवसंरचना तैयार करने के संबंध में ज्ञान और कार्यपद्धतियों में सुधार होने से उन्हें लाभ पहुँचेगा। भारत में पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र भूकंप के खतरे, तटवर्ती क्षेत्र चक्रवाती तूफानों एवं सुनामी के खतरे तथा मध्य प्रायद्वीपीय क्षेत्र सूखे के खतरे वाले क्षेत्र हैं।
नवाचारः
विभिन्न प्रकार की आपदा के जोखिम तथा विकास के संदर्भों वाले विभिन्न देशों में आपदा के जोखिम में कमी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अनेक तरह की पहल तथा अवसंरचना विकास से संबंधित अनेक तरह की पहल मौजूद है।
आपदा के अनुकूल अवसंरचना के लिये वैश्विक संगठन उन चिंताओं को दूर करेगा, जो विकासशील और विकसित देशों, छोटी और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अवसंरचना विकास की आरंभिक एवंर उन्नत अवस्था वाले देशों तथा मध्यम या उच्च आपदा जोखिम वाले देशों में समान रूप से विद्यमान हैं।
अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Frameworkसतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDGsऔर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन Climate Change Adaptation के मिलन-बिंदु पर ठोस पहल से संबंधित कुछ कार्य हैं।
आपदा के अनुकूल अवसंरचना पर फोकस करने से एक ही समय पर सेंदाई फ्रेमवर्क के अंतर्गत हानि में कमी लाने से संबंधित लक्ष्यों पर ध्यान दिया जाएगा, अनेक SDGs पर ध्यान दिया जा सकेगा तथा जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुकूलन में भी योगदान मिलेगा। इसलिये आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के लिये स्पष्ट अवसर है।
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक जोखिम के खतरे से संबंधित सूचना का प्रकाशन होने से लोगों को अपने क्षेत्रों के जोखिम के बारे में समझने का अवसर मिलेगा तथा वे स्थानीय और राज्य सरकारों से जोखिम में कमी लाने तथा उससे निपटने के उपायों की मांग कर सकेंगे।
Source-PIB
बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान रहमान
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान रहमान को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मानवाधिकार और स्वतंत्रता के शूरवीर, बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान रहमान को उनकी जयंती पर हार्दिक श्रद्धांजलि। वह सभी भारतीयों के लिए भी एक नायक हैं। ऐतिहासिक #मुजीबबोर्शो समारोह के लिए इस महीने बांग्लादेश की यात्रा करना मेरे लिए गौरव का विषय होगा’’।
शेख़ मुजीबुर रहमान १७ मार्च १९२० – १५ अगस्त १९७५) बांग्लादेश के संस्थापक नेता, महान अगुआ एवं प्रथम राष्ट्रपति थे। उन्हें सामान्यत: बंगलादेश का जनक कहा जाता है। वे अवामी लीग के अध्यक्ष थे। उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ सशस्त्र संग्राम की अगुवाई करते हुए बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई। वे बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति बने और बाद में प्रधानमंत्री भी बने। वे ‘शेख़ मुजीब’ के नाम से भी प्रसिद्ध थे। उन्हें ‘बंगबन्धु’ की पदवी से सम्मानित किया गया।
बांग्लादेश की मुक्ति के तीन वर्ष के भीतर ही १५ अगस्त १९७५ को सैनिक तख़्तापलट के द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। उनकी दो बेटियों में एक शेख हसीना तख़्तापलट के बाद जर्मनी से दिल्ली आईं और १९८१ तक दिल्ली रही तथा १९८१ के बाद बांग्लादेश जाकार पिता की राजनैतिक विरासत को संभाला।
SOURCE-PIB
डॉ हर्ष वर्धन को ‘स्टॉप टीबी पार्टनर्शिप बोर्ड’ का अध्यक्ष बनाया गया
भारत से 2025 तक ट्यूबरकुलोसिस यानी क्षय रोग को समाप्त किए जाने के अभियान में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्ष वर्धन के अतुलनीय योगदान को महत्व देते हुए ‘स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड’ यानी ‘टीबी रोको साझेदारी बोर्ड’ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
स्टॉप टीबी पार्टनरशिप एक विशिष्ट अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो दुनिया भर के विभिन्न पक्षों के साथ मिलकर टीबी के विरुद्ध संघर्ष का अभियान चलती है। दुनिया के विभिन्न भागों में साझेदारी के चलते इस वैश्विक संगठन की विशिष्ट मान्यता है और इसे टीबी को खत्म करने के लिए चिकित्सा, सामाजिक और वित्तीय विशेषज्ञता की आवश्यकता पड़ती है। इस बोर्ड का विजन है ‘टीबी मुक्त विश्व’। डॉक्टर हर्षवर्धन को इस संस्था का अध्यक्ष बनाया जाना दुनिया से टीबी को खत्म करने के लिए भारतीय राजनीतिक इच्छाशक्ति की गौरवशाली मान्यता का प्रतीक है। स्टॉप टीबी पार्टनरशिप बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर हर्षवर्धन जुलाई 2021 को अपना पद संभालेंगे और उनका कार्यकाल 3 वर्षों का होगा।
स्टॉप टीबी पार्टनरशिप का गठन वर्ष 2000 में किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य जन स्वास्थ्य की समस्या बन चुके ट्यूबरकुलोसिस को जड़ से खत्म करना था। इस संस्था का गठन मार्च 1998 में लंदन में ट्यूबरकुलोसिस महामारी पर आपातकालीन समिति की बैठक के पहले सत्र के बाद हुआ। गठन के बाद अपने पहले वर्ष में ही स्टॉप टीबी पार्टनरशिप ने एमस्टरडम घोषणा पत्र में 20 देशों के मंत्रीस्तरीय प्रतिनिधिमडल के सहयोग से साझा कार्यक्रम का आह्वान किया गया, जिन देशों में टीबी के सबसे ज्यादा मामले थे। इस संगठन के साथ 1500 साझेदार संगठन जुड़े हुए हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय, गैर सरकारी, सरकारी और मरीज समूह शामिल हैं। संगठन का सचिवालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित है।
दुनिया में टीबी को खत्म करने की समय सीमा 2030 तय की गई है जबकि भारत ने इससे 5 वर्ष पहले 2025 तक देश से टीबी को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत सरकार की टीबी को खत्म करने की राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-2025 एक महत्वाकांक्षी एजेंडा है, जो विश्व विश्व स्वास्थ्य संगठन की विश्व से टीबी खत्म करने की रणनीति से ज्यादा प्रभावी है, जिसके अंतर्गत भारत में राष्ट्रीय रणनीतिक योजना के तहत उन्नत चिकित्सा पद्धतियों और प्रयासों को चलाया जा रहा है और जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित किया कि किस तरह भारत की कार्यशैली से वह लाभान्वित हो सकते हैं और सीख सकते हैं।
SOURCE-PIB
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021
ज्यसभा ने गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 में संशोधन करने के उद्देश्य से 16 मार्च 2021 को गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी। इस विधेयक को लोकसभा द्वारा 17 मार्च 2020 को मंजूरी दी गई थी।
इन संशोधनों की मुख्य विशेषताएं:
विशेष श्रेणी की महिलाओं, जिनके बारे में एमटीपी नियमों में किये जाने वाले संशोधनों में परिभाषित किया जाएगा, के लिए गर्भ काल की ऊपरी सीमा को 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक करना और इसके दायरे में बलात्कार से पीड़ित, अनाचार की शिकार और अन्य कमजोर महिलाओं (जैसे दिव्यांग महिलाओं, नाबालिग) आदि को शामिल किया जायेगा।
गर्भधारण के 20 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए एक प्रदाता (चिकित्सक) की राय और गर्भधारण के 20-24 सप्ताह तक के गर्भ की समाप्ति के लिए दो प्रदाताओं (चिकित्सकों) की राय की जरूरत होगी।
मेडिकल बोर्ड द्वारा निदान के क्रम में बताए गए भ्रूण से संबंधित गंभीर असामान्यता के मामलों में गर्भ काल की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड की संरचना, उसके कार्य और उससे संबंधित अन्य विवरणों का निर्धारण इस अधिनियम के तहत आने वाले नियमों में किया जायेगा।
गर्भ समाप्त कराने वाली महिला का नाम और उससे जुड़े अन्य विवरणों का खुलासा किसी कानून में प्राधिकृत व्यक्ति को छोड़कर अन्य किसी व्यक्ति के समक्ष नहीं किया जाएगा।
गर्भनिरोधक की विफलता के आधार को महिलाओं और उनके साथी के लिए बढ़ा दिया गया है।
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (संशोधन) विधेयक, 2021 का उद्देश्य चिकित्सीय, सुजनन, मानवीय या सामाजिक आधार पर गर्भपात की सुरक्षित और वैधानिकरूप से मान्य सेवाओं तक महिलाओं कीपहुंच का विस्तार करना है। कुछ खास परिस्थितियों में गर्भ की समाप्ति के लिए गर्भकाल की ऊपरी सीमा को बढ़ाने और सुरक्षित गर्भपात की सेवा और गुणवत्ता से समझौता किए बिना सख्त शर्तों के तहत गर्भपात के दौरान गहन देखभाल की सुविधाओं तक पहुंच को मजबूत करने के उद्देश्य से इन संशोधनों में कुछ खास उप-धाराओं को प्रतिस्थापित और मौजूदा गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971 की कुछ धाराओं के तहत कुछ नई शर्तों को शामिल किया गया है।
यह विधेयक महिलाओं की सुरक्षा एवं कल्याण की दिशा में एक कदम है और इससे कई महिलाएं लाभान्वित होंगी। हाल ही में विभिन्न महिलाओं की ओर से भ्रूण की असामान्यताओं या यौन हिंसा के कारण हुए गर्भधारण के तर्क के आधार पर गर्भ काल की वर्तमान मान्य सीमा से परे जाकर गर्भपात की अनुमति के लिए न्यायालयों में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन संशोधनों से सुरक्षित गर्भपात सेवाओं तक महिलाओं के दायरे एवं पहुंच में वृद्धि होगी और यह उन महिलाओं के लिए गरिमा, स्वायत्तता, गोपनीयता और न्याय सुनिश्चित करेगा, जिन्हें गर्भ को समाप्त करने की जरूरत है।
SOURCE-PIB
वायु प्रदूषण
आईक्यू एयर ने वैश्विक वायु प्रदूषण पर एक रिपोर्ट जारी की है। आईक्यू एयर एक स्विस वायु गुणवत्ता प्रौद्योगिकी कंपनी है, जो वायु प्रदूषक के खिलाफ सुरक्षा में विशेषज्ञता और वायु गुणवत्ता निगरानी तथा वायु सफाई उत्पादों का विकास कर रही है।
मुख्य निष्कर्ष:
दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित राजधानी शहर बना रहा, लेकिन पूरे भारत में, 2019 की तुलना में 2020 में औसत वार्षिक PM2.5 (पार्टिकुलेट मैटर) के स्तर में सुधार हुआ है।
भारत 2020 में तीसरा सबसे प्रदूषित देश रहा, जबकि 2019 में भारत वायु प्रदूषण के मामले में पांचवें स्थान पर था।
बांग्लादेश और पाकिस्तान 2020 में भारत की तुलना में खराब औसत PM2.5 स्तरों वाले देश थे।
नवीनतम रिपोर्ट में चीन 11 वें स्थान पर है, रिपोर्ट के पिछले संस्करण में यह 14 वें स्थान पर था।
जब शहरों को रैंक किया गया, तो चीन का होटन 110.2 μg / m³ की औसत सांद्रता के साथ सबसे प्रदूषित था, इसके बाद उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद 106 पर था। 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में थे।
2020 की रिपोर्ट में, 106 देशों का मूल्यांकन किया गया था। प्रदूषण का स्तर औसत भारित होता है, जिसका अर्थ है कि किसी देश की जनसंख्या रिपोर्ट किए गए प्रदूषण मूल्यों को प्रभावित करती है।
2020 में, सभी मॉनिटर किए गए देशों में से 84% ने वायु गुणवत्ता में सुधार देखा।
हालांकि, 106 निगरानी वाले देशों में, केवल 24 ने पीएम 2.5 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक दिशानिर्देशों को पूरा किया।
SOURCE-THE HINDU
ओरुनुदोई योजना
असम विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी द्वारा घोषित अपने प्राथमिक लक्ष्य समूह के रूप में महिलाओं के साथ ओरुनुदोई योजना शायद सबसे लोकप्रिय है।
असम सरकार, महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए महत्वाकांक्षी “ओरुनोदोई” (Orunodoi) योजना के तहत प्रत्येक महीने 1730 गरीब परिवारों को 830 रुपये प्रति माह प्रदान करेगी। यह योजना असम की सबसे बड़ी योजना होगी। नई योजना के लिए 280 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है।
“ओरुनोडोई” योजना के बारे में:
“ओरुनोदोई” योजना के तहत, लाभार्थियों का चयन करते समय, आर्थिक मापदंड होंगे और “जिनके पास भूमि, बड़े घर, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, और अधिकांश सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारियों सहित कुछ चल और अचल संपत्ति हैं, उन्हें इस लाभ से बाहर रखा जाएगा।”
“ओरुनोदोई” योजना के तहत, 830 रुपये प्रति माह की सहायता का मतलब गरीब परिवारों को 10,000 रुपये की अतिरिक्त वार्षिक आय, उनकी चिकित्सा, पोषण, और शैक्षणिक आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा विभिन्न त्योहारों के दौरान अतिरिक्त खर्च को पूरा करना होगा।
“ओरुनोदोई” योजना के तहत, विधवाओं, तलाकशुदा, अविवाहित या अलग-अलग महिलाओं, और विकलांग व्यक्तियों के साथ परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए, लाभार्थी असम का स्थायी निवासी होना चाहिए और उनकी समग्र घरेलू आय 2 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
हुरुन इंडिया वेल्थ रिपोर्ट 2020
हुरुन इंडिया वेल्थ रिपोर्ट, 2020 को 16 मार्च, 2020 को जारी किया गया। इस रिपोर्ट में भारत में ‘न्यू मिडिल क्लास’ नामक नई घरेलू श्रेणी की पहचान की गई है, जिसमें औसतन 20 लाख रुपये प्रतिवर्ष की बचत होती है।
न्यू मिडिल क्लास
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन घरों में प्राथमिक आवासीय संपत्ति और ऑटोमोबाइल जैसी भौतिक संपत्ति की ओर बड़ा आवंटन है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में इस तरह कुल परिवारों की कुल संख्या 6,33,000 है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, पूरे भारत में लगभग 4,12,000 डॉलर-मिलियनेयर घर हैं, जिनकी कुल संपत्ति 7 करोड़ रुपये है। इस रिपोर्ट के अनुसार, हुरुन रिच लिस्टर्स में 1,000 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है। ‘भारतीय मध्यम वर्ग’ की सालाना आय 2.5 लाख रुपये से अधिक है, जबकि उनकी कुल संपत्ति 7 करोड़ रुपये से कम है। भारत में 5,64,000 परिवार ‘भारतीय मध्य वर्ग’ श्रेणी में है।
अमीर घराने
हुरून की रिपोर्ट भारत में अमीर घरों के दो व्यापक खंडों को वर्गीकृत करती है। पहला “निचला भाग” है जिसमें आय के प्राथमिक स्रोत के रूप में कार्य क्षतिपूर्ति आय, सावधि जमा, अचल संपत्ति और इक्विटी निवेश वाले परिवारों का समावेश है। दूसरा खंड “ऊपरी भाग” है जिसमें आय के स्रोत में विरासत में मिली संपत्ति, प्राथमिक व्यावसायिक आय, अचल संपत्ति संपत्ति और एक इक्विटी निवेश पोर्टफोलियो शामिल हैं।
SOURCE-G.K.TODAY