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Current Affair 18 March 2021

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Current Affairs – 18 March, 2021

प्रधानमंत्री ने फसल बीमा योजना पर किसान को पत्र लिखा

प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र में लिखा है, ‘कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे सतत प्रयासों पर अपने बहुमूल्य विचार साझा करने के लिए आपका आभार। ऐसे आत्मीय सन्देश मुझे देश की सेवा में जी-जान से जुटे रहने की नई ऊर्जा देते हैं।’

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की सफलता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया, ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम की अनिश्चितता से जुड़े जोखिम को कम कर मेहनती किसान भाई बहनों के आर्थिक हितों की रक्षा करने में लगातार अहम् भूमिका निभा रही है। किसान हितैषी बीमा योजना का लाभ आज करोड़ों किसान ले रहे हैं।’

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की है। इसे 13 जनवरी 2016 को शुरू किया गया था। इसके तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता।

पीएमएफबीवाई में प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है। इससे पीएमएफबीवाई तक हर किसान की पहुंच बनाने में मदद मिली है।

योजना के उद्देश्य

प्राकृतिक आपदा, कीड़े और रोग की वजह से सरकार द्वारा अधिसूचित फसल में से किसी नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवर और वित्तीय सहायता देना।

किसानों की खेती में रुचि बनाये रखने के प्रयास एवं उन्हें स्थायी आमदनी उपलब्ध कराना। किसानों को कृषि में इन्नोवेशन एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना। कृषि क्षेत्र में ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

SOURCE-PIB

 

पोस्टल बैलेट सुविधा

माननीय मद्रास उच्च न्यायालय ने अनुपस्थित मतदाताओं के लिए निर्वाचन आयोग की पोस्टल बैलेट सुविधा को वैध ठहराया।

माननीय मद्रास उच्च न्यायालय, ने 17.03.2021 को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 60 (सी) तथा तदनुरूप बने नियमों को चुनौती देने वाली याचिका (2020 की डब्ल्यूपीनंबर 20027) को खारिज कर दिया। सेक्शन 60(सी) तथा तदनुरूप नियमों में 80 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों, कोविड-19 प्रभावित/संदिग्ध तथा आवश्यक सेवाओँ में शामिल मतदाताओं को डाक मतपत्र से मतदान की सुविधा दी गई है।

डाक मतदान (Postal Ballot) क्या होता है?

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि Postal ballot एक डाक मत पत्र होता है। यह 1980 के दशक में चलने वाले पेपर्स बैलेट पेपर की तरह ही होता है। चुनावों में इसका इस्तेमाल उन लोगों के द्वारा किया जाता है जो कि अपनी नौकरी के कारण अपने चुनाव क्षेत्र में मतदान नहीं कर पाते हैं। जब ये लोग Postal Ballot की मदद से वोट डालते हैं तो इन्हें Service voters या absentee voters भी कहा जाता है।

पोस्टल बैलट का उपयोग कौन कर सकता है (Who can avail Postal Ballot?)

इस नई व्यवस्था के तहत खाली पोस्टल बैलट को सेना और सुरक्षा बलों को इलेक्ट्रिक तौर पर भेजा जाता है। जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक तरीके से पोस्टल बैलट नहीं भेजा जा सकता है वहां पर डाक के माध्यम से पोस्टल बैलट भेजा जाता है।

Postal Ballot का इस्तेमाल करने वाले लोगों में शामिल हैं;

  1. सैनिक
  2. चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी
  3. देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी
  4. प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग (कैदियों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है)
  5. 80 वर्ष से अधिक की उम्र के वोटर (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)
  6. दिव्यांग व्यक्ति (रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है)

नोट: वोटर, जिस चुनाव क्षेत्र में वोट डालने के लिए योग्य है उसका वोट उसी क्षेत्र की मतगणना में गिना।

कब से हुई शुरूआत  (When Postal ballot Started in India)

पोस्टल बैलेट की शुरुआत 1877 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में हुई थी। इसे कई देशों जैसे इटली, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, स्विट्ज़रलैंड और यूनाइटेड किंगडम में भी इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि इन देशों में इसके अलग अलग नाम जरूर हैं।

भारतीय चुनाव आयोग ने चुनाव नियामावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन करके इन लोगों को चुनावों में Postal ballot या डाक मत पत्र की सहायता से वोट डालने की सुविधा के लिए 21 अक्टूबर 2016 को नोटिफिकेशन जारी किया गया था।

जब भी किसी चुनाव में वोटों की गणना शुरू होती है तो सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती शुरू होगी। इसके बाद ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती होगी। पोस्टल बैलेट की संख्या कम होती है और ये पेपर वाले मत पत्र होते हैं इसलिए इन्हें गिना जाना आसान होता है तो अब आपको Postal ballot के बारे में ज्ञात हो गया होगा।

SOURCE-PIB

 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री श्री संतोष कुमार गंगवार ने आज औद्योगिकी श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जुड़ा संकलन (खंड I-IV, 1945 से 2020) जारी किया। इस अवसर पर श्री संतोष गंगवार ने कहा कि सात दशकों से अधिक समय तक के सीपीआई-आईडब्ल्यू पर ऐतिहासिक आकड़ों के डिजिटलीकरण और संकलन के रूप में प्रस्तुति इस विषय पर आकड़ों की कमी को दूर करेगी और यह मूल्य सूचकांक या अन्य आंकड़ों का संकलन करने वाली अन्य एजेंसियों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि संकलन अपने तरह का पहला प्रकाशन है और यह ऐसे समय में जारी किया जा रहा है, जब श्रम ब्यूरो अपनी स्थापना का शताब्दी वर्ष मना रहा है। श्रम ब्यूरो, सूचकांक संकलन और श्रम आँकड़ों पर इस देश का अग्रणी सार्वजनिक संस्थान है। इसमें उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के संकलन पर विस्तृत व व्यापक जानकारी के साथ स्पष्टीकरण शामिल हैं। श्रम ब्यूरो ने 1945 से सूचकांक का संकलन करना शुरू किया। विभिन्न संस्थागत और अन्य हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी स्थापना के बाद से सभी सूचकांक संग्रह को क्रमवार एक संकलन के रूप में प्रकाशित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

देश में विशिष्ट उद्देश्यों के लिए कई उपभोक्ता मूल्य सूचकांक श्रृंखलाएं उपलब्ध थीं, और लगभग हर श्रृंखला में समय के साथ संशोधन किये गए थे। पुराने समय में, प्रकाशित श्रृंखला की पहुंच संबंधित एजेंसियों तक सीमित थी और केवल पूर्ण योग के स्तर पर ही उपलब्ध थी। उपयोगकर्ताओं की मांग को पूरा करने के उद्देश्य से, श्रम ब्यूरो ने 1995 से औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करना शुरू किया, जिसमें प्रत्येक केंद्र के लिए उपसमूह सूचकांक का विवरण भी उपलब्ध था। इसे आगे बढ़ाते हुए, आधार-वर्ष 1944, 1949, 1960, 1982 और 2001 के लिए औद्योगिक श्रमिकों के सन्दर्भ में सीपीआई पर सभी सूचनाओं को एक साथ, संकलन के रूप में एक स्थान पर लाया गया है, जो शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)

Consumer Price Index-CPI – उपभोक्ता मूल्य सूचकांक एक व्यापक उपाय है जिसका उपयोग वस्तुओं और सेवाओं के औसत मूल्य के माप के लिए एक सूचकांक है। जिसकी गणना सामानों एवं सेवाओं (goods and services) के एक मानक समूह के औसत मूल्य की गणना करके की जाती है। आमतौर पर इसका उपयोग अर्थव्यवस्था में खुदरा मुद्रास्फीति को मापने के लिए किया जाता है।

CPI की मदद से मुद्रास्फीति की गणना करने के लिए एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। Goods and services की कई विभिन्न श्रेणियों और उपश्रेणियों का उपयोग वस्तुओं को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, CPI  ग्रामीण या शहरी जैसे उपभोक्ता श्रेणियों के आधार को भी ध्यान में रखता है। और फिर, अंतिम आंकड़ों के आधार पर, राष्ट्रीय सांख्यिकीय एजेंसियां मूल्य के समग्र सूचकांक को जारी करती हैं। सीधे शब्दों में कहें तो सीपीआई हमें जीवन यापन की लागत का अनुमान लगाने में मदद करता है।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI)

यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है।

यह चयनित वस्तुओं और सेवाओं के खुदरा मूल्यों के स्तर में समय के साथ बदलाव को मापता है, जिस पर एक परिभाषित समूह के उपभोक्ता अपनी आय खर्च करते हैं।

CPI के चार प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers-IW) के लिये CPI
  2. कृषि मज़दूर (Agricultural Labourer-AL) के लिये CPI
  3. ग्रामीण मज़दूर (Rural Labourer-RL) के लिये CPI
  4. CPI (ग्रामीण/शहरी/संयुक्त)

SOURCE-PIB

 

वाहन स्क्रैपिंग नीति

भारत में 20 साल से पुराने 51 लाख हल्के मोटर वाहन हैं और 15 साल से पुराने 34 लाख हल्के मोटर वाहन हैं। इसके अलावा लगभग 17 लाख मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहन हैं, जो 15 साल से अधिक पुराने हैं और उनके पास वैध फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं हैं। पुराने वाहन फिट वाहनों की तुलना में पर्यावरण को 10 से 12 गुना अधिक प्रदूषित करते हैं और सड़क सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करते हैं।

सड़कों पर वाहनों से चलने वाले और पैदल चलने वाले लोगों की सुरक्षा और स्वच्छ वातावरण के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय “वाहन स्क्रैपिंग नीति” की शुरुआत कर रहा है। जो कि स्वैच्छिक रुप से वाहनों के आधुनिकीकरण का एक कार्यक्रम होगा। जिसका उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले अनफिट वाहनों को सड़क से हटाने के लिए एक इको सिस्टम बनाना है।

नीति का उद्देश्य पुराने और प्रदूषण फैलाने वाहनों की संख्या को कम करना है। जिसके जरिए भारत में वायु प्रदूषण को कम किया जा सके और भारत की जलवायु प्रतिबद्धताओं को हासिल किया जा सके। साथ ही सड़क और वाहनों की सुरक्षा में सुधार किया जाय। जिसके जरिए बेहतर ईंधन दक्षता प्राप्त की जा सके और , मौजूदा असंगठित वाहन स्क्रैपिंग उद्योग को संगठित उद्योग के रूप में स्थापित किया जा सके। ऐसा होने से ऑटोमोटिव , स्टील और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को सस्ता कच्चा माल भी उपलब्ध हो सकेगा।

वाहनों को दो तरीके से स्क्रैप किया जा सकेगा। जो वाणिज्यिक वाहन के लिए, स्वचालित फिटनेस सेंटर के फिटनेस सर्टिफिकेट और निजी वाहन के मामले में उसके पंजीकरण के नवीनीकरण के आधार पर तय होगा। यह मानक जर्मनी, ब्रिटेन, अमेरिका और जापान जैसे विभिन्न देशों के मानकों के तुलनात्मक अध्ययन के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर बनाए गए हैं। फिटनेस परीक्षण में विफल रहने वाले या अपने पंजीकरण प्रमाण पत्र का नवीनीकरण कराने में विफल रहने वाले वाहन की आयु खत्म घोषित कर दी जाएगी। वाहन के फिटनेस का निर्धारण मुख्य रूप से उत्सर्जन परीक्षण, ब्रेकिंग, सुरक्षा उपकरण सहित कई अन्य मानकों पर परीक्षणों के आधार पर होगा। जो कि केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के आधार पर बनाया गया है।

यह प्रस्तावित किया गया है कि अगर कोई वाणिज्यिक वाहन फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करने में विफल हो जाता है तो उसका 15 साल बाद पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा। इसके अलावा ऐसे वाहनों को हतोत्साहित भी किया जाएगा, जिनके पंजीकरण को 15 साल पूरे हो चुके हैं। उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र पाने के लिए ज्यादा फीस देनी होगी। इस मामले में उनकी पंजीकरण तिथि पहली पंजीकरण तिथि से गणना की जाएगी।

इसी तरह निजी वाहनों के लिए यह प्रस्ताव किया गया है कि अनफिट पाए जाने वाले निजी वाहनों का 20 साल के बाद पंजीकरण रद्द हो जाएगा। इसी तरह पुराने वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए 15 साल के बाद बढ़ा हुआ पंजीकरण शुल्क लिया जाएगा। 15 साल की अवधि की गणना पहले पंजीकरण तिथि के आधार पर होगी।

यह भी प्रस्तावित किया जा रहा है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार, नगर निगम, पंचायत, राज्य परिवहन उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और केंद्र और राज्य सरकारों के साथ स्वायत्त निकायों के सभी वाहनों को पंजीकरण तिथि के 15 साल बाद स्क्रैप कर दिया जाएगा। साथ ही उनका पंजीकरण भी रद्द हो जाएगा। स्क्रैपिंग केंद्र वाहन मालिकों को स्क्रैप प्रमाण पत्र देंगे और साथ ही वाहन मालिकों को कई वित्तीय प्रोत्साहन भी मिलेंगे। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

(1)       स्क्रैपिंग सेंटर द्वारा पुराने वाहन के लिए दी गई स्क्रैप कीमत , एक नए वाहन की एक्स-शोरूम कीमत का लगभग 4-6% होगी।

(2)       राज्य सरकारों को सलाह दी जाती है कि वह स्क्रैप कराने वाले वाहनों मालिकों को पथ कर में निजी वाहनों पर 25 फीसदी तक और वाणिज्यिक वाहनों पर 15 फीसदी तक की छूट प्रदान करें।

(3)       वाहन निर्माताओं को स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के बदले में नए वाहन खरीदने पर 5% की छूट प्रदान करने का सुझाव दिया गया है।

(4)       इसके अलावा, स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट के बदले नए वाहन की खरीद के लिए पंजीकरण शुल्क भी माफ किया जा सकता है।

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय पूरे भारत में पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) की स्थापना को बढ़ावा देगा। और इस तरह के केंद्र खोलने के लिए सार्वजनिक और निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। पूरे भारत में एकीकृत स्क्रैपिंग सुविधाएं स्थापित करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। कुछ चिन्हित किए गए स्थानों में गुजरात का अलंग भी शामिल है। जहां कई अन्य संभावित केंद्रों के बीच स्क्रैपिंग के लिए एक अति विशिष्ट केंद्र विकसित करने की योजना बनाई जा रही है। वहां विभिन्न स्क्रैपिंग तकनीकों को एक साथ समन्वित किया जा सकेगा।

एक सरलीकृत पंजीकरण प्रक्रिया बनाने के लिए एकल खिड़की व्यवस्था को लागू किया जाएगा। जिसमें स्क्रैपिंग सुविधाओं को पर्यावरण और प्रदूषण मानदंडों के कानून और अन्य नियमों का पालन करना होगा। इस बात की भी व्यवस्था की जाएगी कि स्क्रैपिंग केंद्रों में पर्याप्त पार्किंग की सुविधा, वायु, पानी और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए उपकरण और खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन और उनके निपटारे की पर्याप्त सुविधाएं मौजूद रहें।

इसी तरह मंत्रालय, राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र, ऑटोमोबाइल कंपनियों आदि को पीपीपी मॉडल पर स्वचालित स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित करेगा।

इन केंद्रों में टेस्ट-लेन, आईटी सर्वर, पार्किंग और वाहनों की मुफ्त आवाजाही के लिए पर्याप्त जगह बनानी होगी। हितों के टकराव से बचने के लिए, फिटनेस सेंटर के संचालक केवल परीक्षण सुविधाएं ही प्रदान करेंगे और अतिरिक्त सेवाओं जैसे मरम्मत / उपकरणों की बिक्री का काम नहीं कर सकेंगे। फिटनेस सेंटर के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकेगी है और परीक्षण रिपोर्ट भी एक इलेक्ट्रॉनिक मोड में उपलब्ध कराई जाएगी।

Source-PIB

 

रेखीय अर्थव्यवस्था को वृत्तीय अर्थव्यवस्था

आत्मनिर्भर भारत की कुंजी सतत विकास है। समय की आवश्यकता ऐसे विकास मॉडल की है, जो संसाधनों के अधिकतम उपयोग की ओर ले जाए। बढ़ती आबादी, तेज शहरीकरण, जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि के साथ भारत को वृत्तीय अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ना होगा।

अपशिष्ट तथा संसाधनों के निरंतर उपयोग को समाप्त करने वाले आर्थिक दृष्टिकोण के रूप में वृत्तीय अर्थव्यवस्था एक नया प्रतिमान पेश करती है, जिसमें उत्पादों तथा प्रक्रियाओं को समग्र दृष्टि से देखने पर है। हमारी उत्पादन प्रणाली को वृत्तीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों के इर्दगिर्द काम कर रहे व्यवहारों को अपनाना होगा ताकि ये व्यवहार न केवल संसाधन निर्भरता में कमी लाएं बल्कि स्पर्धी भी बनें।

भारत द्वारा अपनाई गई वृत्तीय अर्थव्यवस्था से भीड़भाड़ तथा प्रदूषण में महत्वपूर्ण कमी के साथ भारत को काफी अधिक वार्षिक लाभ मिल सकता है। अपने संसाधन, दक्षता को अधिक से अधिक बढ़ाने, सीमित संसाधनों की खपत को कम करने और नए बिजनेस मॉडल तथा उद्यम को गति देने में हमारी कुशलता हमें आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाएगी।

सरकार देश को वृत्तीय अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए सक्रिय रूप से नीतियां बना रही है और परियोजनाओं को प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, ई अपशिष्ट प्रबंधन नियम, निर्माण तथा गिरावटअपशिष्टप्रबंधन नियम तथा धातु रिसाइक्लिंग नीति जैसे विभिन्न नियमों को अधिसूचित किया है।

नीति आयोग ने अपने गठन के बाद से सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के अनेक कदम उठाए हैं। अपशिष्ट को संसाधन के रूप में इस्तेमाल करने में आ रही चुनौतियों के समाधान और भारत में रिसाइक्लिंग उद्योग पर दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रत्यक्ष कदम उठाए गए। इस्पात उद्योग के उपयोग में आने वाली राख के कण तथा इस्पात के तलछट का उपयोग अन्य क्षेत्रों में करने के काम को प्रोत्साहित करने में प्रगति हुई है। “राष्ट्रीय रिसाइक्लिंग के माध्यम से सतत विकास” विषय पर नीति आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, भारत आए ईयू के शिष्टमंडल के साथ संसाधन सक्षमता पर रणनीति पत्र तैयार किया गया तथा इस्पात (इस्पात मंत्रालय के साथ), एल्यूमीनियम (खान मंत्रालय के साथ), निर्माण तथा गिरावट (आवास तथा शहरी कार्य मंत्रालय के साथ) और ई-अपशिष्ट (इलेक्ट्रॉनिकी तथा सूचना मंत्रालय के साथ) पर रणनीति पत्र तैयार किया।

चक्रीय अर्थव्यवस्था (circular economy) एक पुनर्सर्जक व्यवस्था है जिसमें निविष्ट संसाधन, बर्बादी, उत्सर्जन, ऊर्जा लीकेज आदि को न्यूनतम कर दिया जाता है। ऐसा पदार्थ तथा ऊर्जा के लूपों को धीमा करके, बन्द करके या संकरा करके किया जाता है। चक्रीय अर्थव्यवस्था, रैखिक अर्थव्यवस्था से उल्टी व्यवस्था है जिसमें लो, बनाओ, डिस्पोज करो मॉडल (‘take, make, dispose’ model) चलता है।

SOURCE-PIB

 

विनियोग विधेयक

लोकसभा ने विनियोग विधेयक 2021-22 को मंजूरी दे दी, जिससे केंद्र सरकार को अपनी परिचालन आवश्यकताओं और विभिन्न कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए भारत के समेकित कोष से धन खींचने की अनुमति मिली।

संविधान के अनुच्छेद 114 (3) के तहत संसद द्वारा इस तरह के कानून को लागू किए बिना समेकित निधि से कोई राशि नहीं निकाली जा सकती है।

लोकसभा द्वारा अनुदान की माँगों के बाद, संसद द्वारा संचित धन से राशी को लेने की स्वीकृति दी जाती है, अतः समेकित निधि पर लगाए गए व्यय को पूरा करने के लिए आवश्यक राशि और विनियोग विधेयक के माध्यम से मांगी जाती है।

वित्त विधेयक

लोक सभा अब वित्त विधेयक पर चर्चा करेगी, जिसमें अनिवार्य रूप से सरकार के कर प्रस्ताव शामिल हैं। वित्त विधेयक पारित होने के बाद, बजट की कवायद पूरी हो जाती है।

विनियोग और वित्त बिल दोनों को मनी बिल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिसे राज्य सभा की स्पष्ट सहमति की आवश्यकता नहीं होती है। उच्च सदन केवल उन पर चर्चा करता है और बिल लौटाता है।

वित्त विधेयक पारित होने के बाद, यह वित्त अधिनियम के रूप में क़ानून में प्रवेश करता है। इस प्रकार, अंतिम बजट स्वीकृत हो जाता है।

SOURCE-TIMES OF INDIA

 

इटली अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हुआ

भारत के विदेश मंत्रालय ने सूचित किया है कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance-ISA) में शामिल होने के लिए इटली ने 17 मार्च, 2021 को भारत के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

मुख्य बिंदु

इटली ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते में किए गए संशोधन के बाद आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो 8 जनवरी 2021 को प्रभावी हुआ। इस संशोधन ने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों के लिए सौर गठबंधन में सदस्यता खोली थी। ISA फ्रेमवर्क समझौते पर इटली के राजदूत विन्सेन्ज़ो डी लुका (Vincenzo De Luca) ने हस्ताक्षर किए थे।

पृष्ठभूमि

भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने 17 मार्च, 2021 को इटली के राजदूत विन्सेन्ज़ो डी लुका से मुलाकात की थी। इस बैठक के दौरान, भारतीय सचिव ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के लिए इटली का स्वागत किया। इस बैठक के दौरान, दोनों पक्षों ने इटली की G20 अध्यक्षता पर भी चर्चा की। इस दौरान दोनों देशों ने वैक्सीन मैत्री पहल पर भी चर्चा की।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक ऐसा गठबंधन है जिसकी शुरुआत भारत ने वर्ष 2015 में की थी। इस गठबंधन का प्रस्ताव पीएम मोदी ने दिया था। इस गठबंधन का उद्घाटन वर्ष 2016 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। वर्तमान में, आईएसए के 121 सदस्य देश हैं। इसका मुख्यालय हरियाणा के गुरुग्राम में है।

SOURCE-G.KTODAY

 

सिंगापुर में बनाया जा रहा है विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर फार्म

दुनिया का सबसे बड़ा तैरता हुआ सोलर फार्म सिंगापुर में बनाया जा रहा है। देश ने इस ऊर्जा संयंत्र को जलाशय पर स्थापित करने का निर्णय लिया है।

मुख्य बिंदु

सिंगापुर दुनिया भर में सबसे छोटे देशों में से एक होने के बावजूद, यह विश्व में सबसे बड़ी प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जकों में से एक है। इस प्रकार, जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का समाधानं करने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करने के लिए इस तैरते हुए सोलर फार्म का निर्माण कर रहा है। यह प्रोजेक्ट Sembcorp Industries द्वारा बनाया जा रहा है।

सिंगापुर में नवीकरणीय ऊर्जा

सिंगापुर के लिए नवीकरणीय ऊर्जा एक चुनौती है क्योंकि देश के पास पनबिजली के लिए कोई नदियाँ नहीं हैं। टर्बाइनों को घुमाने देने के लिए पवन भी मजबूत नहीं है। इस प्रकार, तैरते हुए सोलर फार्म की स्थापना के साथ सिंगापुर नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहा है। चूंकि, सिंगापुर के पास बहुत कम भूमि है, इसलिए इसने अपने तटों और जलाशयों में ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का फैसला किया है।

सिंगापुर के लिए खतरा

जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप समुद्र के बढ़ते जल स्तर से सिंगापुर को खतरा है। इसलिए, देश को उत्सर्जन में कटौती की आवश्यकता के बारे में पता है। इसके लिए, सिंगापुर की सरकार ने कई “ग्रीन प्लान” का अनावरण किया, जिसमें इलेक्ट्रिक कारों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक चार्जिंग पॉइंट बनाने, लैंडफिल पर भेजे गए कचरे की मात्रा को कम करने और अधिक पेड़ लगाने जैसे कदम शामिल थे।

 

एलाइड व हेल्थकेयर प्रोफेशन के लिए राष्ट्रीय आयोग बिल, 2020

राज्यसभा ने 16 मार्च, 2021 को ध्वनि मत से “एलाइड व हेल्थकेयर प्रोफेशन के लिए राष्ट्रीय आयोग बिल, 2020” (National Commission for Allied and Healthcare Professional Bill, 2020) पारित किया है। यह विधेयक संबद्ध और स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों को विनियमित और बनाए रखने का प्रयास करता है।

मुख्य बिंदु

इस सेक्टर की लंबे समय से लंबित मांगों को पूरा करने के उद्देश्य से इस विधेयक पारित किया गया था। रोजगार बढ़ाने के लिए यह विधेयक एक संस्थागत संरचना का निर्माण करेगा। इसका लाभ लगभग 8 से 9 लाख मौजूदा संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को मिलेगा। इस बिल के कार्यान्वयन के साथ, ये पेशेवर 2030 तक वैश्विक कमी और 1.80 करोड़ पेशेवर की मांग को पूरा करने के लिए अधिक तैयार होंगे। यह संबद्ध और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों द्वारा शिक्षा और सेवाओं के मानकों के विनियमन और रखरखाव की व्यवस्था भी करता है।

एलाइड व हेल्थकेयर प्रोफेशनल

संबद्ध और स्वास्थ्य संबंधी व्यवसायों में तीव्र और पुरानी बीमारियों का निदान, मूल्यांकन और उपचार करने के लिए वर्कर्स की एक विशाल श्रृंखला शामिल है। ये स्वास्थ्य पेशे आगे रोगी परिणामों को अनुकूलित करने के लिए काम करते हैं। वे समग्र रोकथाम, संवर्धन, कल्याण और रोगों के प्रबंधन की देखभाल भी करते हैं।

पृष्ठभूमि

एलाइड व हेल्थकेयर प्रोफेशन बिल, 2018 को 2018 में राज्यसभा में पेश किया गया था। इसके बाद विभाग इसे संबंधित संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया। समिति ने कई संशोधनों की सिफारिश की। इस प्रकार, बिल को वापस ले लिया गया और एक नया विधेयक नेशनल एलायड फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन बिल, 2020 पेश गया, जिसमें पैनल द्वारा की गई सिफारिशों को शामिल किया गया है।

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