18TH APRIL CURRENT AFFAIRS
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम
भारतीय उद्योग की जरूरतों के समाधान के लिए एक सक्रिय और संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने आज आठ विनियमित चिकित्सा उपकरण की निर्बाध पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक अहम फैसला लिया है।
मंत्रालय ने पूर्व में औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत निम्नलिखित चिकित्सा सामानों को अधिसूचित किया था, जो 1 अप्रैल, 2021 (चिकित्सा उपकरण नियम 2017 के तहत दिनांक 8 फरवरी, 2019 के एस.ओ. 775 (ई) के मुताबिक) से प्रभावी हो गया थाः
सभी प्रत्योरोपित होने वाले चिकित्सा उपकरण;
सीटी स्कैन उपकरण;
एमआरआई उपकरण;
डेफिब्रिलेटर;
पीईटी उपकरण;
डायलिसिस मशीन;
एक्स-रे मशीन; और
बोन मैरो (अस्थि मज्जा)सेल सेपरेटर।
इस क्रम में संबंधित आदेश के मुताबिक, आयातकों/ विनिर्माताओं को 1 अप्रैल, 2021 से उक्त उपकरणों के आयात/ विनिर्माण के लिए, जैसी स्थिति हो, केन्द्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण या राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से आयात/विनिर्माण लाइसेंस लेने की जरूरत है।
नई विनियामकीय व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने के दौरान, इन चिकित्सा उपकरणओं की आपूर्ति श्रृंखला को बनाए रखने और पहुंच सुनिश्चित करने के क्रम में, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अब फैसला किया है कि इन उपकरणों के आयात/ विनिर्माण में लगे मौजूदा आयातक/ विनिर्माता ने अगर पहले ही एमडीआर, 2017 के प्रावधानों के तहत, जैसी स्थिति हो, उपकरण (या उपकरणों) के संबंध में आयात/ विनिर्माण लाइसेंस के लिए आवेदन जमा कर दिया है, तो आवेदन को वैध माना जाएगा और आयातक/ विनिर्माता इस आदेश के जारी होने के 6 महीने तक या, स्थिति के आधार पर केन्द्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण या राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा संबंधित आवेदन पर फैसला लेने तक, जो भी पहले हो, आयात/ विनिर्माण जारी रख सकता है।
Source –PIB
प्रवासी प्रजातियों का संरक्षण
रत ने प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं।
पिछले साल फरवरी में, भारत मे 13th कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज़ टु द कन्वेंशन ऑन माइग्रेटरी स्पीशीज (CMS) का आयोजन किया गया।भारत इन प्रजातियों के रेंज देशों से सहकारी कार्रवाई के लिए एशियाई हाथी, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और बंगाल फ्लोरिकन को सीएमएस के परिशिष्ट I में सफलतापूर्वक सूचीबद्ध करने में सक्षम था।भारत वर्तमान में पार्टियों के सीएमएस सम्मेलन का अध्यक्ष है। पहली बार, भारत को सीएमएस स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
‘द मरीन मेगा फॉना स्ट्रैंडिंग मैनेजमेंट गाइडलाइन्स’ को लॉन्च किया गया है जो देश में अपनी तरह का पहला है।2021 से 2026 तक की अवधि के लिए राष्ट्रीय समुद्री कछुआ कार्य योजना भी शुरू की गई है।एक नया राष्ट्रीय कार्यक्रम, ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन’ की घोषणा पिछले साल नदी और समुद्री डॉल्फिन दोनों के अधिक संरक्षित संरक्षण के लिए की गई थी।सरकार ने भारत में गिद्ध संरक्षण के लिए पंचवर्षीय कार्य योजना भी शुरू की है।
पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुए दिवस पर, हिमालक्ष्मी समुदाय के स्वयंसेवक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया था।
भारत और बांग्लादेश ने ट्रांस-सीमा हाथी संरक्षण पर एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य हाथियों के संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर उनके सुरक्षित प्राकृतिक प्रवास के साथ-साथ मानव-हाथी संघर्ष का शमन करना है।
SOURCE-THE HINDU
शरणार्थियों पर लगाईं गयी सीमा को समाप्त करेगा अमेरिका
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाईडेन ने मई 2021 तक शरणार्थियों पर लगाई गयी सीमा को हटाने की योजना बनाई है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शरणार्थियों पर सीमा निश्चित की थी। ट्रम्प ने पहले शरणार्थियों पर सीमा को 15,000 पर सेट किया था। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे कम था।
मुख्य बिंदु
राष्ट्रपति जो बाईडेन ने हाल ही में शरणार्थियों की सीमा को 15,000 तक रखने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह वही संख्या है जो ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित है। यह अमेरिका में विवाद पैदा कर रहा है क्योंकि ट्रम्प प्रशासन की तुलना में बाईडेन ने शरणार्थियों की सीमा को चार गुना बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था। बाईडेन को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है कि वह अपने वादों को स्थगित कर रहे हैं।
बाईडेन के प्रस्ताव
बाईडेन ने पहले अमेरिकी कांग्रेस को प्रस्ताव दिया था कि वह शरणार्थियों की सीमा को बढ़ाकर 62,500 कर देंगे। उनके प्रस्ताव के तहत, अफ्रीका से शरणार्थियों के लिए 7,000, यूरोप और मध्य एशिया से 1,500, पूर्वी एशिया से 1,000, लैटिन अमेरिका से 3,000, दक्षिण एशिया से 1,500, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन से 3,000 स्थान आरक्षित किए गए।
शरणार्थी संकट
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (United Nations Refugee Agency) के अनुसार, दुनिया में 5 मिलियन लोग जबरन विस्थापित हैं।इसमें 26 मिलियन शरणार्थी, 4.2 मिलियन शरण चाहने वाले, 3.6 मिलियन विदेश में विस्थापित वेनेजुएला के नागरिक, 45.7 मिलियन आंतरिक रूप से विस्थापित लोग शामिल हैं।
शरणार्थियों के शीर्ष स्रोत देशों में सीरिया, वेनेजुएला, अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान और म्यांमार हैं।
लगभग 1% शरणार्थी संघर्ष या उत्पीड़न के कारण अपने घरों से भाग गए हैं।
SOURCE-GK TODAY
सरोगेट सेक्स थेरेपी
निया की कई देशों में सरोगेट सेक्स थेरेपी को लेकर विवाद है. इसलिए इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं होता है. लेकिन इसराइल में सैनिकों को सरोगेट सेक्स थेरेपी मुहैया कराने का खर्चा खुद सरकार उठाती है. बुरी तरह घायल और यौन पुनर्वास की जरूरत वाले सैनिकों को यह सुविधा मुहैया कराई जाती है. सरोगेट सेक्स थेरेपी के तहत मरीज के लिए किसी ऐसे शख्स को हायर किया जाता है, जो उसके सेक्स पार्टनर जैसा व्यवहार करे.
इसराइली सेक्स थेरेपिस्ट रोनित अलोनी का तेल अवीव का कंस्लटेशन रूम वैसा ही दिखता है, जैसा आपने सोच रखा है. कमरे में छोटा आरामदेह काउच है और दीवारों पर महिला और पुरुष जननांगों के रेखाचित्र लगे हैं. रोनित इनका इस्तेमाल अपने क्लाइंट्स को समझाने में करती हैं.
इस कमरे में पेड सरोगेट पार्टनर अलोनी के क्लाइंट्स को अंतरंग संबंध कायम करना सिखाते हैं, जो आखिरकार इसमें बदल जाता है कि सेक्स कैसे करें.
अलोनी कहती हैं, ” यह कमरा होटल के कमरे की तरह नहीं है. यह घर जैसा दिखता है. किसी अपार्टमेंट की तरह. यहां बिस्तर है. सीडी प्लेयर है. कमरे से सटे बाथरूम में शावर है. कमरे की दीवारों पर कामुक पेटिंग्स हैं.
सरोगेट सेक्स थेरेपी को वेश्यावृति मानना क्यों गलत है?
अलोनी बताती हैं कि सेक्स थेरेपी कई मायनों में एक कपल थेरेपी है. पार्टनर के बगैर यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकती.
सरोगेट महिला या पुरुष, यहां पार्टनर की भूमिका निभाने के लिए रखे जाते हैं.
हालांकि आलोचक इसे वेश्यावृति की तरह ही देखते हैं. लेकिन इसराइल में इसे इस हद तक मंजूरी मिली हुई है कि सरकार उन घायल सैनिकों के लिए सरोगेट सेक्स थेरेपी का पूरा खर्चा उठाती है, जिनकी यौन क्षमताओं पर चोट का असर पड़ा है.
अलोनी सरोगेट सेक्स थेरेपी की पैरवी करते हुए कहती हैं, “लोगों को यह समझना चाहिए कि वे किसी को आनंद दे सकते हैं और किसी से आनंद ले सकते हैं. ”
अलोनी सेक्सुअल रिहैबिलिटेशन में पीएचडी हैं. वह बड़े विश्वास से कहती हैं , “लोग यहां थेरेपी के लिए आते हैं. आनंद लेने के लिए नहीं. इसमें वेश्यावृति जैसा कुछ भी नहीं है.”
SOURCE-BBC NEWS
भारत–चीन सीमा विवाद
लद्दाख में लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर जारी तनाव को सुलझाने के लिए हाल में हुए कमांडर स्तरीय बातचीत के बाद चीन ने हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट से पीछे हटने से इनकार कर दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को जारी तनाव को एक साल पूरा हो जाएगा. तनाव सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारियों का बीच में अब तक 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मामला पूरी तरह सुलझ नहीं पाया है.
अख़बार कहता है कि अप्रैल की 9 तारीख को दोनों देशों के बीच कमांडर स्तरीय बातचीत हुई थी जिसके बाद चीन ने हॉट स्प्रिंग और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिक पीछे हटाने से मना कर दिया है. देपसांग प्लेन समेत इन इलाक़े सैनिकों की तेनाती दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बनी हुई है.
पैंगॉन्ग त्सो लेक और कैलाश के उत्तर और दक्षिण के नज़दीक से दोनों देशों ने अपने सैनिक पीछे हटा लिए थे.
साल 2020 में दोनों देशों के बीच हुई बातचीत में शामिल एक सूत्र के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि चीन हॉट स्प्रिंग के पट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 और गोगरा पोस्ट से अपने सैनिक पीछे हटाने के लिए राज़ी हो गया था लेकिन अब उसने ऐसा करने से मना कर दिया है.
अख़बार के अनुसार हाल में संपन्न हुई बातचीत में चीन ने कहा कि “अब तक भारत को जो मिला है उसे उसी में खुश होना चाहिए.”
सूत्र के अनुसार अब वहां चीनी सेना की एक कंपनी नहीं बल्कि एक प्लाटून तैनात है. भारतीय सेना की एक कंपनी में 100 से लेकर 120 सैनिक होते हैं जबकि एक प्लाटून में 30-32 सैनिक होते हैं.
अख़बार के अनुसार पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी तट पर फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच दोनों पक्षों की तरफ से पेट्रोलिंग पर अस्थायी रोक लगाई गई थी. सूत्र के अनुसार दोनों देशों के बीच तनाव शुरू होने के दो-तीन साल पहले से भारत फिंगर 8 पहुंच नहीं पाया है जो लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल को दर्शाती है
SOURCE-BBC NEWS
जिम्मी लाई
चीन की मुख्य भूमि के कई लोग उन्हें ‘गद्दार’ मानते हैं, जबकि हांगकांग में लोग उन्हें नायक के रूप में देखते हैं.सच चाहे जो हो लेकिन ये तो तय है कि जिम्मी लाई आसानी से झुकने वाले शख़्स नहीं हैं.
हांगकांग के 73 साल के यह अरबपति व्यवसायी वहां के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की मुख्य आवाज़ों में शामिल रहे हैं.पिछले साल के इस आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्हें शुक्रवार को 14 महीने की जेल की सजा सुनाई गई है. जिम्मी लाई के लिए जीवन में हालांकि ऐसी समस्या न तो पहली बार आई है और न ही यह सबसे गंभीर है.
विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून
असल में चीन की सरकार के प्रति आलोचना का रुख रखने वाले इस व्यवसायी को पहले भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
फरवरी से हिरासत में बंद लाई पर छह और आरोप लगाए गए हैं. इनमें से दो हांगकांग के नए और विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से जुड़े हैं.
इसके तहत इन पर आरोप है कि वे तख़्तापलट और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल हुए थे.
यदि ये आरोप साबित हो गए तो इस अरबपति को उम्रक़ैद तक की सजा हो सकती है.
इस मामले के पहले, कुछ सालों के दौरान लाई की हत्या की कई नाकाम कोशिशें हो चुकी हैं. उनके घर और कंपनी मुख्यालय पर नक़ाबपोशों द्वारा बम भी फेंके गए हैं.
फरवरी से हिरासत में बंद लाई पर छह और आरोप लगाए गए हैं. इनमें से दो हांगकांग के नए और विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून से जुड़े हैं
इसके बाद भी कोई उन्हें हांगकांग की सीमित आजादी का बचाव करने से नहीं रोक पाया.
क्योंकि जिम्मी लाई का मानना है कि चीन की मुख्य भूमि से हांगकांग की सीमित आज़ादी को ख़तरा है.
इस तरह के अपने व्यवहार के लिए वे अपनी सोच को जिम्मेदार मानते हैं.
हिरासत में जाने के पहले बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में पिछले साल उन्होंने कहा था, “मैं पैदाइशी विद्रोही हूं. मेरा चरित्र बहुत ही विद्रोही किस्म का है.”
सिफर से शिखर तक का सफर
वैसे जिम्मी लाई का जन्म दक्षिण चीन के कैंटन में एक रईस परिवार में हुआ था.
लेकिन उनके जन्म के कुछ महीनों बाद यानी 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आते ही उनके परिवार का सारा वैभव ख़त्म हो गया.
ऐसे में 12 साल की उम्र में वे भागकर हांगकांग आ गए. इसके लिए उन्होंने मछली पकड़ने की नाव का सहारा लिया. उस पर छिपकर वे हांगकांग पहुंच गए.
वहां उन्होंने कढ़ाई-बुनाई जैसे कई छोटे-छोटे काम किए. उन्होंने अंग्रेजी भी सीखी और एक दिन कपड़ों के अंतरराष्ट्रीय ब्रांड जियोर्डानो की स्थापना करने में सफल रहे.
इस तरह हांगकांग के कई मशहूर रईसों की तरह छोटी नौकरी करते हुए करोड़ों डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने में वे भी सफल रहे.
हांगकांग में मशहूर
उनकी निजी संपत्ति के एक अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. जियोर्डानो एक बड़ी कामयाबी थी.
लेकिन 1989 में जब चीन ने तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मांग करने वालों को कुचलने के लिए अपने टैंक भेजे तब लाई लोकतंत्र के मुखर समर्थक के रूप में खुलकर सामने आए.
इसके बाद उन्होंने चीन की सरकार के ख़िलाफ़ एक कॉलम लिखा जिसमें नरसंहार की आलोचना की गई.
इसके साथ उन्होंने एक प्रकाशन कंपनी की भी नींव रखी जो जल्द ही हांगकांग में मशहूर हो गई.
बीजिंग ने मुख्य भूमि में मौज़ूद उसके सभी स्टोर को बंद करने की धमकी दी.
चीन की मुख्य भूमि के कई लोग उन्हें ‘गद्दार’ मानते हैं
नायक या गद्दार
इसके बाद उन्होंने प्रकाशन कंपनी को बेचकर लोकतंत्र समर्थक कई लोकप्रिय प्रकाशनों को शुरू किया.
इनमें डिजिटल पत्रिका ‘नेक्स्ट’ और ‘ऐप्पल डेली’ अख़बार भी शामिल हैं. ये हांगकांग के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले प्रकाशनों में शामिल हैं.
हांगकांग की स्थानीय मीडिया में चीन का भय लगातार बढ़ रहा है लेकिन लाई ने चीनी प्रशासन की आलोचना करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी.
इस वजह से हांगकांग के कई नागरिकों के लिए जिम्मी लाई एक हीरो बन गए.
लेकिन चीन की मुख्य भूमि के लोग उन्हें गद्दार समझते हुए इन्हें देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा मानते हैं.
हांगकांग में जारी प्रदर्शन को लेकर पुलिसवालों के परिवार ने जताई चिंता
हांगकांग की आज़ादी
बीजिंग ने जब जून 2020 में हांगकांग का नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया थो.
उस समय जिम्मी लाई ने बीबीसी को बताया था कि यह कानून हांगकांग के लिए ‘मौत की सजा’ जैसा है.
उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस कानून के लागू होने के बाद हांगकांग चीन जैसा भ्रष्ट हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि बिना कानून के शासन के दुनिया के वित्तीय केंद्र के रूप में हांगकांग का जो महत्व है, वह पूरी तरह से ख़त्म हो जाएगा.
अपने प्रशंसकों के लिए जिम्मी लाई एक बहादुर इंसान हैं जिसने हांगकांग की आज़ादी की रक्षा के लिए बहुत जोख़िम उठाए हैं.
बीजिंग ने जब जून 2020 में हांगकांग का नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पारित किया थो. उस समय जिम्मी लाई ने बीबीसी को बताया था कि यह कानून हांगकांग के लिए ‘मौत की सजा’ जैसा है.
कारोबारी हित
उनकी गिरफ़्तारी के बाद ट्विटर पर उनके एक प्रशंसक ने लिखा, “लाई के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. यह साहसी इंसान उन कुछ चुनिंदा लोगों में है जिन्होंने अपने सिद्धांतों को कमजोर किए बिना अपने कारोबारी हितों को बरकरार रखा है.”
अपने मुखर और स्टाइलिश स्वभाव के लिए मशहूर लाई ने इस साल के शुरू में तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हांगकांग की मदद करने का अनुरोध किया था.
उन्होंने कहा था कि केवल ट्रंप ही हांगकांग को चीन से बचा सकते हैं. उनके अख़बार ऐप्पल डेली ने एक फ्रंट पेज लेटर लिखा, “श्रीमान राष्ट्रपति, कृपया हमारी मदद करें.”
बहरहाल न तो उनका प्रभाव और न ही उनकी दौलत उन्हें सजा से बचा सका.
वीडियो कैप्शन
चीन ने हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर लगाया सत्ता को चुनौती देने का आरोप
बीते शुक्रवार को सजा सुनाते समय जज ने कहा, “हर किसी को अपने कामों का नतीजा भोगना होता है, चाहे कोई भी हो.”
यह फ़ैसला सुनकर भी जिम्मी लाई शांत दिख रहे थे.
ऐसा नहीं लगा कि वे सजा सुनकर आश्चर्यचकित हो गए हों. आख़िरकार वे बीजिंग को झुका पाने में सफल क्यों नहीं हुए?
इसका जवाब पिछले साल बीबीसी को दिए उनके इंटरव्यू में हो सकता है. तब उन्होंने कहा था, “अगर वे आप में डर पैदा कर सकते हैं तो यह आपको कंट्रोल करने का सबसे सस्ता और प्रभावी तरीका है. लेकिन वे जानते हैं कि डराने-धमकाने से अब लोग नहीं डरने वाले.”