Current Affair 18 September 2021

Current Affairs – 18 September, 2021

कॉफी अधिनियम

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने बेंगलूरु के कॉफी बोर्ड मुख्यालय में कॉफी उत्पादकों, रोस्टरों, निर्यातकों एवं अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत की। बैठक के महत्वपूर्ण नतीजे इस प्रकार हैं :

I. कॉफी अधिनियम का सरलीकरण :

वर्तमान कॉफी अधिनियम 1942 में अधिनियमित किया गया था और अब इसके कई प्रावधान अप्रासंगिक हो गए हैं जो कॉफी व्यापार में बाधा डाल रहे हैं। इसलिए बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इस अधिनियम के प्रावधानों पर व्‍यापक तौर पर पुनर्विचार किया जाएगा और उन प्रावधानों को हटाया जाएगा जो प्रतिबंधात्मक अथवा नियामकीय प्रकृति के हैं ताकि एक सरल अधिनियम लाया जा सके जो कॉफी क्षेत्र की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप हो और उसके विकास के लिए अनुकूल हो।

II. सरफेसी अधिनियम :

कॉफी उत्पादकों ने सरफेसी अधिनियम के तहत बैंकों द्वारा जारी नोटिस के मद्देनजर अपनी जमीन खोने की चिंता जताई। माननीय मंत्री ने विस्तृत बातचीत के बाद उत्पादक समुदाय को आश्वासन दिया कि इस मुद्दे पर अन्य संबंधित मंत्रालयों के साथ अनुकूल चर्चा की जाएगी और जल्द से जल्द एक उपयुक्त समाधान निकाला जाएगा।

III. परिवहन एवं विपणन सहायता योजना (टीएमए) के तहत अधिक मदद :

कई निर्यातकों ने चिंता जताई कि अंतरराष्ट्रीय फ्रेट दरों में वृद्धि के कारण भारतीय कृषि निर्यात कई जगहों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी हो गया है। यदि सरकार परिवहन एवं विपणन सहायता योजना (टीएमए) के तहत कृषि निर्यातकों को अधिक मदद नहीं करेगी तो भारत को कृषि निर्यात के लिए कई बाजार हमेशा के लिए खोना पड़ सकता है। माननीय मंत्री ने निर्यातकों को आश्‍वस्‍त किया कि मौजूदा संकट से निपटने के लिए टीएमए योजना के तहत कम से कम एक वर्ष तक कृषि निर्यात सहायता के लिए एक विशेष पैकेज पर विचार किया जाएगा।

IV. कॉफी का मुद्दा

मंत्री ने कॉफी में व्हाइट स्टेम बोरर यानी सफेद तना छेदक कीट से कॉफी उत्पादकों से होने वाले नुकसान की गंभीरता को समझने और कॉफी बोर्ड की अनुसंधान शाखा के पास सीमित संसाधन होने के तथ्य पर विचार करते हुए उत्पादकों को आश्‍वस्‍त किया कि कॉफी व्हाइट स्टेम बोरर पर एक उन्नत शोध शुरू करने के लिए कृषि विभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से अनुरोध किया जाएगा।

V. कॉफी ऋण के पुनर्गठन एवं ब्याज राहत के लिए विशेष पैकेज :

बैठक में कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष ने मंत्री से अनुरोध किया कि वे सभी मौजूदा ऋणों को लंबी अदायगी अवधि के साथ एकल सावधि ऋण में पुनर्गठित करने की घोषणा करें। साथ ही उन्‍होंने कम ब्याज दर पर नई कार्यशील पूंजी उपलब्‍ध कराने का भी आग्रह किया।

मंत्री ने संकट के इस दौर में कॉफी उत्पादकों के साथ खड़े होने की बात कही। उन्‍होंने संबंधित मंत्रालयों के साथ चर्चा में एक व्यवहार्य पैकेज तैयार करने का आश्वासन दिया।

VI. कॉफी बोर्ड की विस्तार गतिविधियों को सुदृढ़ करना :

मंत्री ने कॉफी बोर्ड को किसानों के खेतों में विस्तार कर्मियों द्वारा किए जाने वाले दौरे, कार्यशालाओं, प्रदर्शनों, सेमिनारों आदि सहित विस्तार गतिविधियों को रियल टाइम में अद्यतन करने के लिए एक डैशबोर्ड तैयार करने और उसकी प्रभावी निगरानी करने का निर्देश दिया।

बैठक में मंत्री ने हितधारकों की आशंकाओं को दमदार तरीके से दूर किया और उन्हें आश्‍वस्‍त किया कि भारत सरकार का कॉफी बोर्ड को बंद करने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि, कॉफी उत्पादकों, विशेष रूप से छोटे उत्पादकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए कॉफी बोर्ड को वाणिज्य मंत्रालय से कृषि मंत्रालय में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है। इससे कृषि संबंधी सभी योजनाओं का लाभ कॉफी उत्पादकों को मिलना सुनिश्चित होगा।

कुल मिलाकर सभी कॉफी हितधारकों ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री को उनकी समस्‍याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने और जवाब देने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने मंत्री को भी आश्‍वस्‍त किया कि वे कॉफी का उत्पादन और निर्यात को बढ़ाने के लिए साथ मिलकर काम करेंगे और कॉफी उत्पादकों को बेहतर रिटर्न दिलाने की दिशा में काम करेंगे।

कॉफी उत्पादन में भारत का विश्व में छठवां स्थान है। भारत में कुल 8200 टन कॉफ़ी का उत्पादन होता है जिसमें से कर्नाटक राज्य में अधिकतम 53 प्रतिशत, केरल में 28 प्रतिशत और तमिलनाडु में 11 प्रतिशत उत्पादन होता है। कॉफी का मूल स्थान यमन देश है। कॉफी का जन्मस्थान लाल सागर के दक्षिणी छोर पर स्थित यमन और इथियोपिया की पहाड़ियां हैं। ऐसा माना जाता है कि इथियोपिया के पठार में एक गडे़रिए ने जंगली कॉफी के पौधे से बने एक पेय पदार्थ की सबसे पहले चुस्की ली थी। शुरुआत में इसकी खेती यमन में होती थी और यमन के लोगों ने ही अरबी में इसका नाम कहवा रख दिया जिससे कॉफी और कैफे जैसे शब्द बने हैं। मूलतः कहवा शब्द का अर्थ शराब है और यमन के सूफी संत भगवान को याद करते वक्त ध्यान लगाने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे।

कॉफी उत्पादन द्वारा देशों की सूची

ब्राजील प्रति वर्ष 3,019,051 टन उत्पादन की मात्रा के साथ दुनिया में सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है। वियतनाम 1,460,800 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

प्रधानमंत्री उज्ज्वला-2.0 योजना

गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज जबलपुर में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना-2.0 के मध्य प्रदेश चरण का शुभारंभ किया, जिसके अंतर्गत एक करोड़ और ज़रूरतमंद महिलाओं को मुफ़्त रसोई गैस कनेक्शन दिए जाएंगे जिनमें से आज पांच लाख महिलाओं को मुफ़्त रसोई गैस कनेक्शन, चूल्हा, रेग्युलेटर दिए गए।

जब 2014 में देश में 30 साल के बाद किसी एक दल की पूर्ण बहुमत की सरकार आई और श्री नरेन्द्र मोदी सर्वसम्मति से देश के प्रधानमंत्री चुने गए तब उन्होंने जनता का आभार प्रकट करते हुए कहा था कि हमारी सरकार देश के ग़रीबों, पिछड़ों, आदिवासियों, दलितों और बहनों के लिए है। श्री शाह ने कहा कि जब 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की प्राथमिकता ग़रीब, पिछड़े, आदिवासी, दलित और महिलाएं है, तो कई लोगों ने कहा कि जो भी प्रधानमंत्री बनता है वो यही कहता है। लेकिन, वर्ष 2014 से 2019 तक की पहली टर्म में श्री नरेन्द्र मोदी ने जो कहा था वो करके दिखाया और उसे ज़मीन पर उतारने का काम किया।

उज्ज्वला 1.0 के तहत मार्च 2020 तक गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के परिवारों की 50 मिलियन महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य था। हालाँकि अगस्त 2018 में सात अन्य श्रेणियों की महिलाओं को योजना के दायरे में लाया गया था, इनमें शामिल हैं :

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत, अंत्योदय अन्न योजना (AAY) के लाभार्थी, वनवासी, सबसे पिछड़े वर्ग, चाय बागान और द्वीप समूह।

उज्जवला 2.0 के तहत लाभार्थियों को अतिरिक्त 10 मिलियन एलपीजी कनेक्शन प्रदान किये जाएंगे।

सरकार ने 50 ज़िलों के 21 लाख घरों में पाइप से गैस पहुँचाने का भी लक्ष्य रखा है।

नोडल मंत्रालय :

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG)।

उपलब्धियाँ :

PMUY के पहले चरण में दलित और आदिवासी समुदायों सहित 8 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन दिये गए।

देश में रसोई गैस के बुनियादी ढाँचे का कई गुना विस्तार हुआ है। पिछले छह वर्षों में देश भर में 11,000 से अधिक नए एलपीजी वितरण केंद्र खोले गए हैं।

चुनौतियाँ :

रिफिल की कम खपत :

एलपीजी के निरंतर उपयोग को प्रोत्साहित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, और रिफिल की कम खपत ने योजना के तहत वितरित बकाया ऋण की वसूली में बाधा उत्पन्न की।

31 दिसंबर, 2018 को वार्षिक औसत प्रति उपभोक्ता सिर्फ 3.21 रिफिल थी।

प्रणाली संबंधित विसंगतियाँ :

अनपेक्षित लाभार्थियों को कनेक्शन जारी करने जैसी कमियाँ तथा राज्य संचालित तेल विपणन कंपनियों के सॉफ्टवेयर के साथ समस्याएँ देखी गई हैं, जो कि लाभार्थियों की पहचान करने के लिये डिडुप्लीकेशन प्रक्रिया में अपर्याप्तता को दर्शाता है।

आगे की राह :

इस योजना को शहरी और अर्द्ध-शहरी स्लम क्षेत्रों के गरीब परिवारों तक विस्तारित किया जाना चाहिये।

जिन घरों में एलपीजी नहीं है, उन्हें कनेक्शन प्रदान करके अधिक जनसंख्या तक उच्च एलपीजी कवरेज की आवश्यकता है।

अपात्र लाभार्थियों को कनेक्शन हेतु प्रतिबंधित करने के लिये वितरकों के सॉफ्टवेयर में डिडुप्लीकेशन (Deduplication) के प्रभावी और उचित उपाय करने हेतु मौजूदा एवं नए लाभार्थियों के परिवार के सभी वयस्क सदस्यों के आधार नंबर दर्ज करना।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

प्लेनेटेरियम इनोवेशन चैलेंज

MyGov India ने भारतीय स्टार्ट-अप और तकनीकी उद्यमियों के लिए “प्लैनेटेरियम इनोवेशन चैलेंज” (Planetarium Innovation Challenge) लॉन्च किया है।

मुख्य बिंदु

  • इस प्लैनेटेरियम चैलेंज को भारत से बाहर स्थित टेक फर्मों और स्टार्ट-अप्स को एक साथ लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, जिसमें एक स्वदेशी प्लैनेटेरियम प्रणाली सॉफ्टवेयर बनाने की क्षमता है।
  • यह सिस्टम सॉफ्टवेयर नवीनतम तकनीकों जैसे कि ऑगमेंटेड रियलिटी (AR), वर्चुअल रियलिटी (VR) और मर्ज्ड रियलिटी (MR) का उपयोग करके बनाया जाना चाहिए।

पृष्ठभूमि

यह चुनौती चंद्रयान लॉन्च से प्रेरित है। लॉन्च से पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने MyGov के सहयोग से ISRO प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता-2019 का आयोजन किया था। इस प्रश्नोत्तरी में, कई स्कूलों, अभिभावकों और उत्साही आकाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

Planetarium Innovation Challenge

  • यह चैलेंज MyGov भारत द्वारा शुरू किया गया था, इसके लिए पंजीकरण तक 10 अक्टूबर तक खुला है।
  • यह प्लैनेटेरियम के लिए अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने के लिए स्टार्ट-अप और तकनीकी उद्यमियों से आवेदन आमंत्रित करता है।
  • यह भारत में प्लैनेटेरियम को छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित नई तकनीकों को तैनात करने का अवसर प्रदान करता है।
  • यह चुनौती आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत के प्रगतिशील डिजिटल परिवर्तन के उद्देश्य के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

नक़द पुरस्कार

इस प्रतियोगिता के तहत प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता को क्रमश: 5 लाख, 3 लाख और 2 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा।

MyGov

MyGov भारत के शासन और विकास में भारतीय नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए 26 जुलाई, 2014 को केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया एक नागरिक जुड़ाव मंच है। इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों के लिए “नागरिकों से शासन के विचारों को क्राउडसोर्स” करने के लिए एक साझा मंच बनाना है।

SOURCE-G.K TODAY

PAPER-G.S.2

 

एशिया-प्रशांत मुक्त व्यापार

चीन ने अंतर्राष्ट्रीय नीतियों पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए 11 देशों के एशिया-प्रशांत मुक्त व्यापार समूह (Asia-Pacific Free Trade) में शामिल होने के लिए आवेदन किया है।

मुख्य बिंदु

  • ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए व्यापक और प्रगति समझौते (CPTPP) या एशिया-पैसिफिक फ्री ट्रेड ग्रुपिंग के प्रतिनिधि के रूप में, वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ द्वारा न्यूजीलैंड के व्यापार मंत्री को आवेदन प्रस्तुत किया गया था।
  • CPTPP मूल रूप से ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप थी। यह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा एशिया के साथ अपने संबंधों पर अमेरिका के हिस्से के रूप में प्रचारित एक समूह था।
  • चीन को इस शुरुआती समूह में शामिल नहीं किया गया था।
  • डोनाल्ड ट्रम्प ने 2017 में इस समूह को वापस ले लिया था और अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाईडेन अभी तक समूह में फिर से शामिल नहीं हुए हैं।

CPTPP

CPTPP 11 देशों, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, चिली, कनाडा, जापान, मैक्सिको, मलेशिया, पेरू, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और वियतनाम के बीच एक व्यापार समझौता है। यह समूह ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप (Trans-Pacific Partnership – TPP) से विकसित किया गया था। TPP पर 4 फरवरी, 2016 को हस्ताक्षर किए गए थे, जो अमेरिका की वापसी के कारण कभी भी लागू नहीं हुआ।

एशिया-प्रशांत व्यापार समझौता

एशिया-प्रशांत व्यापार समझौता (APTA), पहले के रूप में जाना जाता है बैंकॉक समझौता और 2 नवंबर 2005 को नाम बदला गया, 1975 में हस्ताक्षर किए गए थे। यह सबसे पुराना है तरजीही व्यापार समझौता एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच। सात भाग लेने वाले राज्य- बांग्लादेश, चीन, भारत, लाओ पीडीआर, मंगोलिया, कोरिया गणराज्य और श्रीलंका एपीटीए के पक्षकार हैं। APTA संधि 2921.2 मिलियन लोगों के लिए बाजार पर कब्जा करती है [2] और इस बड़े बाजार का आकार वित्त वर्ष (वित्तीय वर्ष) 2015-2016 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के संदर्भ में 14615.86 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।[3] APTA का प्रमुख उद्देश्य जल्दबाजी करना है आर्थिक विकास व्यापार और निवेश उदारीकरण उपायों का विरोध करने वाले सात भाग लेने वाले राज्यों के बीच, माल और सेवाओं की कवरेज के माध्यम से क्षेत्रीय व्यापार और आर्थिक सुदृढ़ीकरण में योगदान देगा, समन्वित निवेश व्यवस्था और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मुक्त प्रवाह सभी सहभागी राज्यों को समान रूप से तैयार करना होगा। परिस्थिति। इसका उद्देश्य गोद लेने के माध्यम से आर्थिक विकास और सहयोग को बढ़ावा देना है व्यापार उदारीकरण उपाय। APTA सभी सदस्यों के लिए खुला है एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग, जो एपीटीए सचिवालय के रूप में कार्य करता है। APTA के सदस्य वर्तमान में टैरिफ रियायतों के चौथे दौर में भाग ले रहे हैं, जिसके अक्टूबर 2009 में समाप्त होने की उम्मीद है

SOURCE-DANIK JAGARAN

PAPER-G.S.2

 

उत्तर प्रदेश मातृभूमि योजना

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में ‘उत्तर प्रदेश मातृ भूमि योजना’ (Uttar Pradesh Matri Bhumi Yojana) लांच करने की घोषणा की।

मुख्य बिंदु

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार इस योजना के द्वारा विकास कार्यों में आम जनता को शामिल किया जायेगा। इस योजना के तहत परियोजनाओं की 50% लागत का वहन राज्य सरकार करेगी तथा शेष 50% लागत का वहन इच्छुक लोगों द्वारा किया जायेगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस योजना को लांच करने के लिए ग्रामीण विकास व पंचायती राज विभाग को एक्शन प्लान बनाने के लिए कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केन्द्रों, आंगनवाड़ी केन्द्रों, लाइब्रेरी, स्कूल, ओपन जिम, स्टेडियम, फायर स्टेशन, सोलर स्ट्रीट लाइट इत्यादि का निर्माण किया जा सकता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पंचायतों को आत्मनिर्भर बनने में मदद करना है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

Any Doubts ? Connect With Us.

Related Links

Connect With US Socially

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.