CURRENTS AFFAIRS – 19th MAY 2021
खाद सब्सिडी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज खाद कीमतों के मुद्दे पर एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। उन्हें खाद कीमतों के विषय पर विस्तृत जानकारी प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी गई।
मीटिंग में इस बात चर्चा हुई कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की बढ़ती कीमतों के कारण खाद की कीमतों में वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को पुरानी दरों पर ही खाद मिलनी चाहिए।
DAP खाद के लिए सब्सिडी 500 रुपये प्रति बैग से, 140% बढ़ाकर 1200 रुपये प्रति बैग, करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। इस प्रकार, DAP की अंतरराष्ट्रीय बाजार कीमतों में वृद्धि के बावजूद, इसे 1200 रुपये के पुराने मूल्य पर ही बेचे जाने का निर्णय लिया गया है, साथ ही मूल्य वृद्धि का सारा अतिभार केंद्र सरकार ने उठाने का फैसला किया है। प्रति बोरी सब्सिडी की राशि कभी भी एक बार में इतनी नहीं बढ़ाई गई है।
पिछले साल DAP की वास्तविक कीमत 1,700 रुपये प्रति बोरी थी। जिसमें केंद्र सरकार 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी दे रही थी। इसलिए कंपनियां किसानों को 1200 रुपये प्रति बोरी के हिसाब से खाद बेच रही थीं।
हाल ही में DAP में इस्तेमाल होने वाले फॉस्फोरिक एसिड, अमोनिया आदि की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60% से 70% तक बढ़ गई हैं। इसी कारणवश, एक DAP बैग की वास्तविक कीमत अब 2400 रुपये है, जिसे खाद कंपनियों द्वारा 500 रुपये की सब्सिडी घटा कर 1900 रुपये में बेचा जाता है। आज के फैसले से किसानों को 1200 रुपये में ही DAP का बैग मिलता रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करेगी कि किसानों को मूल्य वृद्धि का दुष्प्रभाव न भुगतना पड़े।
केंद्र सरकार हर साल रासायनिक खादों पर सब्सिडी पर करीब 80,000 करोड़ रुपये खर्च करती है। DAP में सब्सिडी बढ़ाने के साथ ही खरीफ सीजन में भारत सरकार 14,775 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करेगी|
अक्षय तृतीया के दिन PM-KISAN के तहत किसानों के खाते में 20,667 करोड़ रुपये की राशि सीधे ट्रांसफर करने के बाद, किसानों के हित में यह दूसरा बड़ा फैसला है।
SOURCE-PIB
‘फेक–बस्टर’
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़, पंजाब और मॉनाश यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया के अनुसंधानकर्ताओं ने ‘फेक-बस्टर’नामक एक ऐसा अनोखा डिटेक्टर ईजाद किया है, जो किसी भी ऑनलाइन फरेबी का पता लगा सकता है। विदित हो कि ऐसे फरेबी बिना किसी की जानकारी के वर्चुअल सम्मेलन में घुस जाते हैं। इस तकनीक के जरिये सोशल मीडिया में भी फरेबियों को पकड़ा जा सकता है, जो किसी को बदनाम करने या उसका मजाक उड़ाने के लिये उसके चेहरे की आड़ लेते हैं।
मौजूदा महामारी के दौर में ज्यादातर कामकाज और आधिकारिक बैठकें ऑनलाइन हो रही हैं। इस अनोखी तकनीक से पता लगाया जा सकता है कि किस व्यक्ति के वीडियो के साथ छेड़-छाड़ की जा रही है या वीडियों कॉन्फ्रेंस के दौरान कौन घुसपैठ कर रहा है। इस तकनीक से पता चल जायेगा कि कौन फरेबी वेबीनार या वर्चुअल बैठक में घुसा है। ऐसी घुसपैठ अक्सर आपके सहकर्मी या वाजिब सदस्य की फोटो के साथ खिलवाड़ करके की जाती है।
इस तकनीक पर एक पेपर ‘फेक-बस्टरः ए डीपफेक्स डिटेक्शन टूल फॉर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सीनेरियोज़’को पिछले महीने अमेरिका में आयोजित इंटेलीजेंट यूजर इंटरफेस के 26वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में पेश किया गया था।
डॉ. धाल का कहना है कि फेक-न्यूज के प्रसार में मीडिया विषयवस्तु में हेरफेर की जाती है। यही हेरफेर पोर्नोग्राफी और अन्य ऑनलाइन विषयवस्तु के साथ भी की जाती है, जिसका गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस तरह का हेरफेर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भी होने लगा है, जहां घुसपैठ करने वाले उपकरणों के जरिये चेहरे के हावभाव बदलकर घुसपैठ करते हैं। यह फरेब लोगों को सच्चा लगता है, जिसके गंभीर परिणाम होते हैं। वीडियो या विजुअल हेरफेर करने को ‘डीपफेक्स’कहा जाता है। ऑनलाइन परीक्षा या नौकरी के लिये होने वाले साक्षात्कार के दौरान भी इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।
यह सॉफ्टवेयर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन से अलग है और इसे ज़ूम और स्काइप एप्लीकेशन पर परखा जा चुका है।
डीपफेक डिटेक्शन टूल ‘फेक-बस्टर’ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों तरीके से काम करता है। इसेमौजूदा समय में लैपटॉप और डेस्कटॉप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके बारे में एसोशियेट प्रोफेसर सुब्रमण्यन का कहना है,“हमारा उद्देश्य है कि नेटवर्क को छोटा और हल्का रखा जाये, ताकि इसे मोबाइल फोन और अन्य डिवाइस पर इस्तेमाल किया जा सके।”उन्होंने कहा कि उनकी टीम इस वक्त फर्जी ऑडियो को पकड़ने की डिवाइस पर भी काम कर रही है।
टीम का दावा है कि ‘फेक-बस्टर’सॉफ्टवेयर ऐसा पहला टूल है, जो डीपफेक डिटेक्शन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके लाइव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान फरेबियों को पकड़ता है। इस डिवाइस का परीक्षण हो चुका है और जल्द ही इसे बाजार में उतार दिया जायेगा।
SOURCE-PIB
लार परीक्षण विधि
हाल ही में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक नई COVID-19 लार परीक्षण विधि (Saliva Testing Method) का आविष्कार किया है जिसे SPOT कहा जाता है। SPOT का अर्थ Scalable and Portable Testing है।
SPOT
SPOT का आविष्कार कार्ले इलिनोइस कॉलेज ऑफ मेडिसिन (Carle Illinois College of Medicine) के एक शोध दल ने किया था। SPOT तीस मिनट में COVID-19 परीक्षा परिणाम देता है। इस डिवाइस की कीमत 78 डॉलर है। इनके अलावा अभिकर्मकों (reagents) और अन्य परीक्षण उपकरणों की कीमत 6 से 7 अमरीकी डालर होने का अनुमान है। डिवाइस को न्यूनतम प्रशिक्षण वाला कोई भी व्यक्ति संचालित कर सकता है।
यह टेस्ट काफी हद तक RT-PCR से मिलता-जुलता है। लेकिन यह रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस लूप मेडियेटेड इज़ोटेर्मल एम्प्लीफिकेशन (Reverse Transcriptase Loop Mediated Isothermal Amplification – RT-LAMP) का उपयोग करता है। हालांकि, इसके लिए जटिल मशीनरी या विशेषज्ञता की जरूरत नहीं है। इसे जल्दी से पूरा किया जा सकता है और यह अधिक सटीक है।
RT-Loop Mediated Isothermal Amplification
RT-LAMP एक न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन विधि है। इसका उपयोग आरएनए के विशिष्ट अनुक्रमों को गुणा करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को RT-PCR के विकल्प के रूप में माना जाता है क्योंकि यह काफी सस्ता और आसान है। RT-LAMP टेस्ट पहले RNA सैंपल से DNA बनाता है। यह रूपांतरण रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस एंजाइम (reverse transcriptase enzyme) द्वारा किया जाता है। इस डीएनए को cDNA कहा जाता है। अब इस cDNA को वायरस डिटेक्शन के लिए बढ़ाया जाएगा।
RT-PCR और RT-LAMP के बीच एकमात्र अंतर यह है कि RT-LAMP चार LAMP प्राइमरों का उपयोग करता है। प्राइमर न्यूक्लिक एसिड के छोटे टुकड़े होते हैं।
परिणाम
शोधकर्ताओं ने SPOT का उपयोग करके 104 नैदानिक नमूनों का परीक्षण किया। इनमें से तीस COVID-19 सकारात्मक नमूनों में से 28 और 74 COVID-19 नकारात्मक नमूनों में से 73 की सही पहचान की गई।
नए COVID-19 परीक्षणों के बारे में
बाजार में हर दिन 10 से 15 नए COVID-19 परीक्षण लॉन्च किए जाते हैं। ये परीक्षण जल्दी होने का दावा करते हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी त्वरित एंटीजन परीक्षण RT-PCR की तरह विश्वसनीय नहीं है
SBRIS Geo-5 Missile
19 मई, 2021 को यूनाइटेड लॉन्च अलायंस (United Launch Alliance) ने केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन, फ्लोरिडा से एटलस वी रॉकेट (Atlas V Rocket) लॉन्च किया। इस एटलस वी रॉकेट में SBRIS जियो-5 मिसाइल चेतावनी उपग्रह (SBRIS Geo-5 Missile Warning Satellite) को ले जाया गया।
SBRIS Geo-5 Missile Warning Satellite
यह उपग्रह मिसाइल चेतावनी, युद्ध क्षेत्र, मिसाइल रक्षा में प्रमुख क्षमताएं प्रदान करेगा। इसका वजन 4,850 किलोग्राम है। 2018 तक, 10 SBRIS उपग्रह लॉन्च किए गए थे।
एटलस वी (Atlas V)
एटलस वी (Atlas V) दो चरणों वाला रॉकेट है। इसके पहले चरण में रॉकेट ग्रेड केरोसिन और तरल ऑक्सीजन और दूसरे चरण में हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है। रॉकेट ने SBRIS को 35,753 किलो मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया।
SBRIS
SBRIS का अर्थ Space Based Infrared System है। इसे मिसाइल चेतावनी, मिसाइल युद्धक्षेत्र और रक्षा लक्षण वर्णन (defence characterization) के लिए डिज़ाइन किया गया है। SBRIS मूल रूप से एक अंतरिक्ष ट्रैकिंग और निगरानी प्रणाली है। SBRIS को United States Space Force System के इन्फ्रारेड स्पेस सर्विलांस को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। केवल 2020 में ही, SBRIS उपग्रहों ने हजार से अधिक मिसाइलों का पता लगाया।
United States Space Force
यह अमेरिकी सशस्त्र बलों की एक शाखा है। यह पहला स्वतंत्र अंतरिक्ष बल है। साथ ही, यह दुनिया का एकमात्र अंतरिक्ष बल है। यह वायु सेना विभाग द्वारा संचालित है जो रक्षा विभाग में तीन नागरिक नेतृत्व वाले सैन्य विभागों में से एक है।
यूनाइटेड लॉन्च एलायंस (United Launch Alliance)
यह एक अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट कंपनी है जो कई रॉकेट वाहनों का निर्माण और संचालन करती है। यह लॉन्च सेवाएं भी प्रदान करतीहै। एटलस वी रॉकेट इस कंपनी द्वारा संचालित किया जाता है। वल्कन सेंटॉर (Vulcan Centaur) एटलस वी का उत्तराधिकारी है और अभी इसका डिजाइन तैयार किया जा रहा है।
भविष्य में, ULA बोइंग स्टारलाइनर क्रू कैप्सूल (Boeing Starliner Crew Capsule) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में लॉन्च करेगा। इस मिशन को OFT-2, यानी Orbital Flight Test कहा जाता है।
SOURCE-GK TODAY
पहला कृषि निर्यात सुविधा
महाराष्ट्र चैंबर ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्रीज एंड एग्रीकल्चर और नाबार्ड (National Bank for Agriculture and Rural Development) ने हाल ही में पहला कृषि निर्यात सुविधा केंद्र (Agricultural Export Facilitation Centre) लॉन्च किया।
केंद्र के बारे में
यह केंद्र महाराष्ट्र राज्य के कृषि और खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने में सहायता करेगा।
यह केंद्र कृषि खाद्य उत्पादन के निर्यात के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में कार्य करेगा।
केंद्र किसी के लिए भी खुला है जो कृषि निर्यात में शामिल है।
यह न्यूनतम अवशेष स्तर, बाग प्रबंधन, ब्रांडिंग और विपणन, देश-वार प्रोटोकॉल, विशेष निर्यात उपचार और सरकारी निर्यात योजनाओं जैसे क्षेत्रों में मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
साथ ही, यह केंद्र जागरूकता कार्यक्रम, कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेगा।
कृषि निर्यात सुविधा केंद्र क्यों महत्वपूर्ण है?
2018 में, भारत ने कृषि निर्यात नीति (Agri Export Policy) शुरू की थी। इस नीति का उद्देश्य कृषि निर्यात को दोगुना करना है, अर्थात 2022 तक कृषि निर्यात को 60 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ाना है। कृषि निर्यात सुविधा केंद्र (Agricultural Export Facilitation Centre) भारत को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगा।
यह केंद्र महाराष्ट्र में क्यों स्थापित किया गया है?
महाराष्ट्र कृषि के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों में से एक है।यह प्याज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। आज यह देश में एक महत्वपूर्ण बागवानी राज्य के रूप में उभर रहा है।
राज्य में मिट्टी और कृषि जलवायु की स्थिति विविध है।यह राज्य को चावल, गेहूं, अरहर, चना, बाजरा, ज्वार और केला, आम, अंगूर, संतरा, काजू जैसे फल व विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करने के लिए अनुकूल बनाता है।
राज्य दालों में अग्रणी उत्पादक है।
यह दूसरा सबसे बड़ा मोटा अनाज उत्पादक है।
यह सोयाबीन, गन्ना और कपास का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है।
यह सूरजमुखी की तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।