Current Affairs – 19 September, 2021
जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत सरकार द्वारा बाजरा सहित अन्य पोषक-अनाज, फल-सब्जियों, मछली, डेयरी व जैविक उत्पादों सहित हमारे पारंपरिक खाद्य पदार्थों को फिर से लोगों के आहार में शामिल करने पर जोर दिया जा रहा है। हाल के वर्षों में इनका उत्पादन भारत में अभूतपूर्व रहा है व भारत स्वास्थ्यवर्धक भोज्य पदार्थ का डेस्टिनेशन कंट्री बन रहा है।
श्री तोमर ने यह बात इतालवी प्रेसीडेंसी द्वारा आयोजित, जी-20 के कृषि मंत्रियों की बैठक के दूसरे दिन के सत्र में कही। इस सत्र का विषय था – “भूख विहीनता के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सहयोग : कृषि मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित सफल परियोजनाएं”।
बैठक में वर्चुअल संबोधन में श्री तोमर ने बताया कि पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। उन्होंने राष्ट्रों से पोषण व सतत कृषि को बढ़ावा देने के लिए इस पोषक-अनाज वर्ष का समर्थन करने की अपील की। श्री तोमर ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद भारत में कृषि क्षेत्र ने काफी सफलता हासिल की है। कोविड महामारी के दौरान भी भारतीय कृषि क्षेत्र अप्रभावित रहा, जिससे एक बार फिर इसने अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि कोविड के दौरान कृषि-आदान सप्लाय चैन के साथ-साथ कृषि-बाजार गतिशील रखने के लिए भारत सरकार के विभिन्न कार्यकलापों से कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन में सहायता मिली है और वर्ष 2020-2021 के दौरान खाद्यान्नों के उत्पादन के साथ निर्यात में भी महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज हुई है। इससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी योगदान हुआ है।
श्री तोमर ने कहा कि जैव-किस्में सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर मुख्य आहार का स्रोत हैं, कुपोषण दूर करने के लिए इन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है। भारत सरकार इस दिशा में सतत प्रयास कर रही है। विभिन्न फसलों की 17 ऐसी किस्मों को खेती के लिए विकसित और जारी किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जल संसाधनों का अनुकूल उपयोग बढ़ाने, सिंचाई के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण, उर्वरकों के संतुलित उपयोग के साथ मिट्टी की उर्वरता संरक्षित करने, खेतों से बाजार तक कनेक्टिविटी प्रदान करने, प्रयोगशाला से लेकर भूमि तक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का लिंकेज प्रदान करने के लिए अनेक कार्यक्रम शुरू किए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत सरकार छोटे किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये की आय सहायता प्रदान कर रही है। इस स्कीम में अभी तक 11.37 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 1.58 लाख करोड़ रुपये जमा कराए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत पूरी तरह सजग हैं और कृषि को टिकाऊ बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। सिंचाई के लिए ‘प्रति बूंद- अधिक फसल’ योजना और जैविक खेती के लिए ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ सफलतापूर्वक चलाई जा रही है। प्रतिकूल मौसम किसानों के उत्पादन व आय को प्रभावित करता हैं, ऐसे में भारत सरकार ने किसानों के लिए बीमा कवर प्रदान करने हेतु प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना लागू की हुई है। कुपोषण समस्या के समाधान के लिए, भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य-आधारित सुरक्षा नेट कार्यक्रम चला रहा है, जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली व मध्याह्न भोजन योजना शामिल है।
श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि के क्षेत्र में अपनी विकास श्रृंखला के साथ, सर्वोत्तम पद्धतियों को साझा और अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करेगा। उन्होंने “गरीबी कम करने” और “जीरो हंगर गोल” को पूरा करने के लिए एक साथ काम करते रहने के भारत के संकल्प को दोहराया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुसंधान तथा विकास और सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान में सहयोग करने के भारत के संकल्प की पुनःपुष्टि की।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने जी-20 मंत्रिस्तरीय बैठक में चार सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह बैठक हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई।
G 20 की स्थापना
विश्व के प्रमुख देशो के संगठन G7 ने एक नए संगठन की शुरुआत की जिसका नाम G20 रखा गया, इसकी स्थापना 25 सितम्बर 1999 में अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में की गयी थी, एशिया के वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने इस बैठक का आयोजन किया था, पहला शिखर सम्मेलन 2008 में 14-15 नवंबर को आयोजित किया गया था एशिया में आये वित्तीय संकट को देखते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन का आरम्भ किया था।
तभी से प्रतिवर्ष G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन होने लगा था। G20 के अध्यक्ष प्रत्येक वर्ष कई अतिथि देशों को भी इस शिखर सम्मेलन की बैठक में सम्मिलित करने के लिए आमंत्रित करते है। G20 के अध्यक्षों द्वारा 2008 के बाद से शिखर सम्मलेन की कई बार बैठके हो चुकी है।
G20 के अंतिम शिखर सम्मलेन की बैठक जापान के ओसाका शहर में आयोजित की गयी थी, भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इस शिखर सम्मलेन में किया था जापान देश में पहली बार यह सम्मलेन आयोजित किया गया था, तथा ओसाका में इस सम्मेलन की अध्यक्षता शिंजो अबे द्वारा की गई थी। इस वर्ष 2020 में शिखर सम्मेलन की बैठक का आयोजन सऊदी अरब के रियाद शहर में 21–22 नवंबर तक आयोजित की जाएगी तथा इसके लिए भारत को मेजबानी करने का अवसर 2022 में प्रदान होगा, जिसका आयोजन भारत की राजधानी नई दिल्ली में किया जायेगा।
बीस वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नर्स का समूह (जी20,जी -20 और बीस का समूह के रूप में भी जाना जाता है), जो कि विश्व की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रीयों और केंद्रीय बैंक के गवर्नर्स का एक संगठन है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जिसका प्रतिनिधित्व यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष और यूरोपीय केंद्रीय बैंक द्वारा किया है।
समूह के 20 सदस्य हैं: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका। स्पेन एक स्थायी अतिथि है जो, हर वर्ष आमंत्रित होता है।
जी20 सम्मेलन में प्रतिनिधि के तौर पर 19 देशों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं और एक यूरोपीय संघ शामिल होता है। नेताओं के शिखर सम्मेलन में, 19 देशों के नेताओं और यूरोपीय संघ के नेता शामिल होते हैं और मंत्री स्तर की बैठकों में, 19 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर और यूरोपीय संघ के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर शामिल होते हैं।
प्रत्येक वर्ष स्पेन के अलावा, जी20 के मेहमानों में आसियान देशों के अध्यक्ष; दो अफ्रीकी देश (अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष और अफ्रीका के विकास के लिए नई साझेदारी के प्रतिनिधि) और एक देश (कभी-कभी एक से अधिक) जी20 के अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किया जाता है, आमतौर पर वे अपने ही क्षेत्र से होते हैं
जी 20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख बीस ही देश है, इसका कोई मुख्यालय नहीं बनाया गया है, क्योंकि प्रतिवर्ष इसका आयोजन अलग–अलग देशों में होता है। इसमें अन्य देशों को भी अतिथि के रूप में बुलाया जाता है, जो इसकी बैठक में अपनी राय रखते है, और सबकी सहमति से निर्णय लिए जाते है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
वाणिज्य विभाग वाणिज्य सप्ताह मनाएगा
प्रगतिशील भारत और इसके गौरवशाली इतिहास के 75 वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाने के उपलक्ष में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के एक अंग के रूप में अगले सप्ताह विशेष कार्यक्रमों और उत्सवों का आयोजन कर रहा है।
वाणिज्य विभाग 20-26 सितंबर, 2021 की अवधि के दौरान ‘वाणिज्य सप्ताह’ (व्यापार और वाणिज्य सप्ताह) मनाएगा। इसके अंतर्गत देश भर में कई कार्यक्रमों और उत्सवों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें आत्मनिर्भर भारत की क्षमता का उल्लेख किया गया है। इन कार्यक्रमों के माध्यम से यह देश के सभी 739 जिलों को शामिल करते हुए ‘खेत से विदेशी भूमियों’, निर्यातक सम्मेलनों और ‘वाणिज्य उत्सव’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए आत्मनिर्भर भारत के रूप में एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति, हरित और स्वच्छ एसईजेड का प्रदर्शन किया जाएगा।
15 अगस्त, 2019 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रत्येक जिले को निर्यात केंद्र में बदलने के आह्वान से प्रेरणा लेते हुए, सितंबर, 2020 में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के निर्देशन में ‘एक जिला एक उत्पाद’ (ओडीओपी) योजना का अनावरण किया गया था। एक जिले की वास्तविक क्षमता को साकार करने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और रोजगार एवं ग्रामीण उद्यमिता का सृजन करने की दिशा में ओडीओपी को एक परिवर्तनकारी कदम के रूप में देखा जाता है, जो हमें आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य तक ले जाता है।
24-26 सितंबर, 2021 को होने वाले वणिज्य उत्सव के दौरान, निर्यात और निर्यात के साथ-साथ विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा बाजार विकास सहायता (ईएंडएमडीए) और संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से 100 जिलों में व्यापक स्तर के कार्यक्रमों सहित 700 से अधिक जिलों में निर्यातक सम्मेलनों/बैठकों का आयोजन किया जाएगा। संबंधित जिले के जिला आयुक्तों/कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला निर्यात संवर्धन समितियां (डीईपीसी) इन सम्मेलनों के आयोजन में प्रमुख हितधारक होंगी। इसमें अग्रणी बैंक, स्थानीय निर्यात संघों और निर्यात संवर्धन परिषदों (ईपीसी) जैसे हितधारकों से जुड़े विदेशी व्यापार के मुद्दों पर स्थानीय निर्यातकों/उद्यमियों के लिए 2-3 घंटे के महत्वपूर्ण सत्र शामिल होंगे।
साथ ही, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) द्वारा देश के पांच क्षेत्रों- उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और पूर्वोत्तर (स्थलों का विवरण आवश्यक) में “आज़ादी और निर्यात प्रोत्साहन/आयात प्रतिस्थापन-आत्मनिर्भरता की ओर” विषय पर पांच राष्ट्रीय संगोष्ठियों/ प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा।
इन आयोजनों के दौरान, सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) और ईपीसी में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की ऑनबोर्डिंग भी पूरी की जाएगी।
‘वाणिज्य सप्ताह’ के एक अन्य प्रमुख अभियान के तहत सभी 14 ईपीसी द्वारा 21-22 सितंबर, 2021 को आयोजित किए जा रहे 35 निर्यात संवर्धन कार्यक्रमों/प्रदर्शनियों में प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश में से कम से कम एक कार्यक्रम के माध्यम से भारत को एक उभरती आर्थिक शक्ति के रूप में प्रदर्शित किया जाएगा। निर्यात प्रोत्साहन को जन आंदोलन बनाने के लिए स्थानीय निर्यातकों, निर्माताओं और औद्योगिक इकाइयों को ईपीसी संगठित करेगी। कई केंद्रीय मंत्री और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री/मंत्री इन कार्यक्रमों के दौरान कार्यक्रमों को संबोधित करेंगे और प्रतिभागियों के साथ संवाद करेंगे।
इसके अलावा, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) भी राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली और औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली जैसे दो कार्यक्रमों का शुभारंभ कर रहा है। यह पहल डिजिटल प्लेटफॉर्म निवेशकों को भारत में व्यवसाय शुरू करने के लिए आवश्यक विभिन्न पूर्व-संचालन अनुमोदनों की पहचान करने और आवेदन करने की अनुमति देगी। इसके माध्यम से पूर्व-निवेश सलाह, भूमि बैंकों से संबंधित जानकारी और केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरी की सुविधा सहित अंतिम स्तर तक सुविधा और सहायता प्रदान की जाएगी। औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली (आईपीआरएस) सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले पार्कों की पहचान करते हुए निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के रूप में कार्य करती है। ‘औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली 2.0’ इसके दायरे का विस्तार करेगी और इसका उद्देश्य गुणात्मक मूल्यांकन को प्रायोगिक चरण में और आगे लाना है। आईपीआरएस 2.0 के तहत, इन पार्कों/क्षेत्रों के मूल्यांकन के लिए गुणात्मक संकेतकों की शुरूआत के साथ निजी औद्योगिक पार्कों और एसईजेड सहित औद्योगिक पार्कों का मूल्यांकन 4 स्तंभों अर्थात आंतरिक अवसंरचना और उपयोगिताओं, बाहरी बुनियादी ढांचे और संपर्क, कारोबार सहायता प्रणाली के तहत पहचाने गए मापदंडों और पर्यावरण एवं सुरक्षा प्रबंधन के अंतर्गत किया जा रहा है।
औद्योगिक गलियारा कार्यक्रम का उद्देश्य देश की विनिर्माण क्षमता और सकल घरेलू उत्पाद में इसके योगदान को बढ़ाने के प्रयासों को पूरा करना है। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्य अपने राज्य में औद्योगिक गलियारे में हुई प्रगति पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। इन कार्यक्रमों का आयोजन धोलेरा इंडस्ट्रियल सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड (डीआईसीडीएल), गुजरात, औरंगाबाद इंडस्ट्रियल टाउनशिप लिमिटेड (एआईटीएल), महाराष्ट्र, डीएमआईसी इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (आईआईटीजीएनएल), उत्तर प्रदेश, सीबीआईसी तुमकुरु इंडस्ट्रियल टाउनशिप लिमिटेड, कर्नाटक और एनआईसीडीआईटी कृष्णापट्टनम इंडस्ट्रियल सिटी डेवलपमेंट लिमिटेड, आंध्र प्रदेश और डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड (वीयूएल), मध्य प्रदेश द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
डीपीआईआईटी अनुपालन बोझ को कम करने के लिए किए गए कार्यों को प्रदर्शित करने हेतु सभी मंत्रालयों/विभागों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला भी आयोजित करेगा। इस कार्याभ्यास के दौरान तीन प्रमुख पहलुओं जैसे शासन में सभी प्रक्रियाओं, नियमों, अधिसूचनाओं, परिपत्रों, ओएम आदि पर ध्यान दिया जाएगा। कार्याभ्यास के तहत निरर्थक नियामक बोझ को समाप्त करना, निरर्थक कानूनों को निरस्त/संशोधित/समाप्त करना और गैर-अपराधीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसके अलावा इस कार्यशाला में तकनीकी और मामूली गैर-अनुपालन मुद्दों के संबंध में सभी कानूनों का, जबकि गंभीर धोखाधड़ी वाले अपराधों के लिए सख्त आपराधिक प्रवर्तन बनाए रखना जो सार्वजनिक हित को खतरे में डालते हैं और पूर्वाग्रह करते हैं, जैसे विषयों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
एनआईसीडीसी संपूर्ण पैन इंडिया और लॉजिस्टिक डेटा बैंक में निर्यात/आयात कंटेनर दृश्यता सेवा के आधार पर की गई प्रगति, रोजगार और व्यापार के अवसरों पर प्रकाश डालते हुए कोलकाता, चेन्नई और मुंबई के बंदरगाहों पर कार्यक्रमों का आयोजन करेगा। एनआईसीडीसी राजस्थान के नीमराना में एसपीवी द्वारा किए गए कार्यों और 6 मेगावाट मॉडल सौर ऊर्जा परियोजना में हुई प्रगति पर प्रकाश डालते हुए भी एक कार्यक्रम आयोजित करेगा।
पूर्वोत्तर में इन्वेस्ट इंडिया द्वारा वर्चुअल इन्वेस्टर समिट या इन्वेस्टर फोरम का आयोजन किया जाएगा और निजी औद्योगिक पार्कों के साथ वार्तालाप किया जाएगा।वाणिज्य विभाग के वृक्षारोपण प्रभाग द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘खेत से विदेशी भूमियों तक’ विषय के अंतर्गत 26 सितंबर को सभी केंद्रीय स्थानों पर आयोजित होने वाले विशेष कार्यक्रमों में लगभग दस लाख वृक्षारोपण कार्यकर्ता भाग लेंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विकास के प्राथमिक एजेंडे के अंतर्गत, 250 से अधिक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) 23 सितंबर को ‘हरित और स्वच्छ एसईजेड’ पर विशेष ध्यान देते हुए अपने-अपने क्षेत्र में एक स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण अभियान चलाएंगे।
20 सितंबर को इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) द्वारा वाणिज्य सप्ताह के शुभारंभ के साथ “आजादी और निर्यात संवर्धन/आयात प्रतिस्थापन-आत्मनिर्भरता की ओर” विषय पर एक राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। पांच क्षेत्रों, अर्थात् उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और पूर्वोत्तर में से प्रत्येक के लिए अलग-अलग प्रतिस्पर्धा का आयोजन होगा और शीर्ष पांच प्रविष्टियों को प्रत्येक क्षेत्र में पुरस्कार दिए जाएंगे। आजादी के अमृत महोत्सव का आयोजन हर राज्य, मंत्रालय और विभाग द्वारा विभिन्न तरीकों से किया जा रहा है। इसमें भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान से जुड़े प्रगतिशील कार्यक्रम शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 मार्च, 2021 को अहमदाबाद में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ से जुडी गतिविधियों का उद्घाटन किया था और यह 15 अगस्त, 2022 से पूर्व 75 सप्ताह और तत्पश्चात 15 अगस्त, 2023 तक जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने देश को विकास के पथ पर ले जाने और हमारे देश के लोगों को लाभान्वित करने के एकमात्र उद्देश्य के साथ इस महोत्सव को 75 सप्ताह तक मनाने का लोगों से आग्रह किया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
महिला सशक्तिकरण
भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति गहरे सम्मान की भावना है जो इस श्लोक में वर्णित है, जिसमें कहा गया है, “जहां एक महिला का सम्मान किया जाता है, वह स्थान दिव्य गुणों, अच्छे कर्मों, शांति और सद्भाव के साथ भगवान का निवास स्थल बन जाता है। हालांकि, अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो सभी कार्यकलाप निष्फल हो जाते हैं।
वर्तमान भारत आजादी के अमृत महोत्सव के 75वें वर्ष का समारोह मना रहा है, यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में हमारे देश में जारी प्रयासों का भी उत्सव है। महिलाओं ने आज राष्ट्र निर्माण और इसके सशक्तिकरण स्वरूप के लिए अग्रणी प्रतिनिधियों के तौर पर अपना उचित और समान स्थान ग्रहण करना प्रारंभ कर दिया है।
सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने भी पिछले कुछ वर्षों में अधिकारियों से लेकर वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस धारकों के स्तर तक बड़ी संख्या में महिलाओं को अपने कार्यबल में शामिल किया है। अधिकार, जिम्मेदारी और सम्मान के साधनों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाते हुए बीआरओ का दृढ़ विश्वास है कि राष्ट्र निर्माण के प्रयास में महिलाएं हमेशा सक्रिय भागीदार रहेंगी। इस विश्वास की पुष्टि करते हुए, संगठन का महिलाओं को उच्च नेतृत्व की भूमिकाएं सौंपना जारी है। इस संबंध में, एक जीआरईएफ अधिकारी ईई (सीआईवी) सुश्री वैशाली एस हिवासे ने 28 अप्रैल, 2021 को 83 रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी की बागडोर संभाली, वह मुनिसैरी-बगदियार-मिलम को जोड़ने वाले एक ऐसी महत्वपूर्ण भारत-चीन सड़क पर कार्यरत हैं, जो प्रतिकूलता और चुनौतियां से भरा एक क्षेत्र है। महिला अधिकारी इस कार्यभार को बखूबी अंजाम दे रही हैं और अपने कार्यों के सावधानीपूर्वक निष्पादन के साथ अपने प्रभार का नेतृत्व भी कर रही है।
बीआरओ ने 30 अगस्त 2021 को फिर से इतिहास रच दिया जब प्रोजेक्ट शिवालिक की मेजर आइना ने उत्तराखंड के चमोली जिले के पीपलकोटी में 75 आरसीसी की ऑफिसर कमांडिंग के रूप में कार्यभार संभाला। वह सड़क निर्माण कंपनी की कमान संभालने वाली पहली भारतीय सेना इंजीनियर अधिकारी हैं। इतना ही नहीं, उनके अधीन तीनों पलाटून कमांडर, कैप्टन अंजना, एईई (सिविल) सुश्री भावना जोशी और एईई (सिविल) सुश्री विष्णुमाया के. भी महिला अधिकारी हैं और इन्होंने मिलकर प्रथम महिला आरसीसी का निर्माण किया है। सीमा सड़क के माध्यम से इस प्रकार के सभी महिला नेतृत्व वाले दलों के द्वारा चार आरसीसी बनाने की योजना है, जिनमें से प्रत्येक में दो-दो पूर्वोत्तर और पश्चिमी क्षेत्रों से हैं।
पिछले छह दशकों में, धीरे-धीरे और स्थिर तरीके से बीआरओ ने सड़क निर्माण की विभिन्न भूमिकाओं और कर्तव्यों में नियोजित महिलाओं की संख्या में वृद्धि की है। उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार और उत्तरदायित्व देकर उन्हें सशक्त बनाने का एक समेकित प्रयास किया जा रहा है। ये महिलाएं अपने-अपने क्षेत्र में नारी शक्ति का प्रतीक बन चुकी हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में बीआरओ के बहुआयामी दृष्टिकोण में रोजगार भूमिकाओं में विविधता, उच्च शिक्षा के मार्ग, उचित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, साहसिक कार्य के अवसर, खेल और समग्र रूप से विकसित होने के लिए प्रोत्साहन देना शामिल हैं, क्योंकि वे जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
सही मायने में महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण में परिवर्तन करने के माध्यम से ही इस लक्ष्य को हासिल किया गया है। यह महिलाओं में आत्मविश्वास भरकर और उनके प्रति उचित सम्मान, गरिमा का भाव और निष्पक्षता एवं समानता का व्यवहार करके ही प्राप्त किया जाता है। कल्याणकारी पहलों के अंग के रूप में, पेशेवर क्षेत्रों के अलावा, महिलाओं को अपने स्वयं के वित्त और दस्तावेज़ीकरण के प्रबंधन के लिए भी शिक्षित किया जा रहा है।
एक समर्पित अभियान के अंतर्गत बीआरओ परियोजनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित शिक्षा कार्यक्रमों का शुभारंभ किया है। बालिकाओं के लिए समान अवसरों पर ध्यान केंद्रित करना भी बीआरओ की महत्वपूर्ण पहलों में से एक है। बीआरओ के अधिकारियों द्वारा कोविड महामारी के दौरान भी बच्चों, विशेषकर लड़कियों के लिए शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
आज की दुनिया में शिक्षा, संचार कौशल, व्यय योग्य आय और इंटरनेट तक पहुंच सशक्तिकरण के कुछ महत्वपूर्ण माध्यम हैं। इसके लिए सजग बीआरओ अपनी सेवारत महिला अधिकारियों को समान विकास अवसर प्रदान करता है जो सड़क निर्माण में एक अभिन्न शक्ति है। जैसे-जैसे समय में परिवर्तन होता है और आकांक्षाएं बढ़ती हैं, इन आकांक्षाओं के साथ बीआरओ निरंतर महिला सशक्तिकरण के अपने मूल विश्वास के लिए प्रतिबद्ध रहता है।
BRO (बीआरओ) का फुल फॉर्म Border Roads Organization है। हिंदी में इसे ‘सीमा सड़क संगठन’ के नाम से जाना जाता है। यह एक सड़क निर्माण कार्यकारी बल होनें के साथ ही भारतीय सेना का अभिन्न अंग है। इसके द्वारा भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क का विकास और रखरखाव का कार्य संपन्न किया जाता है।
यह भारत सरकार के आधीन एक सरकारी संगठन है। इसके द्वारा राष्ट्र के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने हेतु सड़कों का निर्माण किया जाता है। इस संगठन के द्वारा सशस्त्र बलों की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के साथ भारतीय सीमा में सड़कों का जाल बिछाया जाता है, जिससे भारतीय सेना को आपात स्थिति में बहुत ही कम समय में बॉर्डर तक पहुंचाया जा सके। युद्ध के समय सेना को रसद और साजों- सामान की पूर्ति की जा सके।
बीआरओ की स्थापना (Establishment)
बीआरओ की स्थापना 7 मई 1960 को हुई थी। स्थापना के समय इसके द्वारा केवल दो परियोजनाओं के साथ अपना परिचालन शुरू किया था। यह दोनों परियोजनाएं Project Tuskar और Project Beacon थी। कुछ समय के बाद Project Tuskar का नाम बदल कर Project Vartak कर दिया गया था। पूर्व के लिए Project Vartak और पश्चिम के लिए Project Beacon को निर्धारित किया गया था। वर्तमान समय इस संगठन के द्वारा 13 से अधिक प्रोजेक्ट पर कार्य किया जा रहा है।
इस संगठन के द्वारा सड़क निर्माण में मजबूत पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा जाता है। कुछ वर्षों में भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस संगठन का कार्य और अधिक उत्तरदायित्व का हो गया है। इसके द्वारा भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन बॉर्डर पर सेना की पहुंच आसान बनाने के लिए बड़े स्तर पर कार्य किया जा रहा है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1
सातोशी नाकामोतो
हंगरी ने 16 सितंबर, 2021 को बिटकॉइन (Bitcoin) के संस्थापक सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) की प्रतिमा का अनावरण किया।
मुख्य बिंदु
- हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में इस भव्य कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- बिटकॉइन डिजिटल मुद्रा के निर्माता को श्रद्धांजलि देने वाली यह दुनिया भर में पहली ऐसी प्रतिमा है।
- इसका निर्माण बुडापेस्ट में डेन्यूब नदी के पास एक बिजनेस पार्क में किया गया है।
मूर्ति की विशेषताएं
मूर्ति बस्ट का एक फीचर रहित चेहरा है और इसे एक कांस्य हुडी में लपेटा गया है जिसमें बिटकॉइन लोगो शामिल है। मूर्ति को दर्पण की तरह परावर्तक बनाने के लिए भारी पॉलिश की गई है। मूर्ति में दर्शक खुद को देख सकते हैं।
मूर्ति के निर्माता
स्टैच्यू का निर्माण रेका गेर्जली (Reka Gergely) और तमस गिल्ली (Tamas Gilly) ने किया है। उन्होंने एक मानवीय रूप को चित्रित किया है।
बिटकॉइन (Bitcoin)
बिटकॉइन को 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में बनाया गया था। इसका उद्देश्य पीयर-टू-पीयर ऑनलाइन लेनदेन के लिए सुरक्षित तकनीक विकसित करके पारंपरिक वित्तीय संस्थानों को दरकिनार करना था। इसमें बैंकों जैसे बिचौलियों को शामिल नहीं किया जाता है।
नाकामोतो
नाकामोतो एक छद्म (pseudonym) नाम है जिसे अज्ञात लिंग, आयु और राष्ट्रीय मूल के लोगों के समूह या समूह के लिए संदर्भित किया जा सकता है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE
नीति आयोग ने 500 ‘स्वस्थ शहर’ बनाने का सुझाव दिया
नीति आयोग ने 16 सितंबर, 2021 को अपनी “Building Urban Planning Capacity in India” रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट के बारे में
“Building Urban Planning Capacity in India” रिपोर्ट में शहरी नियोजन के कई पहलुओं पर सिफारिशों का एक समूह शामिल है जैसे :
- स्वस्थ शहरों की योजना बनाने के लिए हस्तक्षेप
- शहरी भूमि का इष्टतम उपयोग
- मानव-संसाधन क्षमताओं को बढ़ाना
- शहरी शासन को मजबूत बनाना
- स्थानीय नेतृत्व का निर्माण
- निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाना
- शहरी नियोजन शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाना।
रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशें
- इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अगले पांच वर्षों में 500 ‘स्वस्थ शहरों’ के निर्माण के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना की आवश्यकता है और साथ ही शहरीकरण की भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए राज्यों में नगर-नियोजन अधिनियमों में व्यापक सुधार की आवश्यकता है।
- नीति आयोग के अनुसार, 500 स्वस्थ शहरों के निर्माण के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को शुरू करना होगा।
- नीति आयोग ने शहरीकरण में कार्बन फुटप्रिंट को कम करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
- नीति आयोग के अनुसार, भारत में शहरी नियोजन क्षमता में कमियों को दूर करने की आवश्यकता है।
पृष्ठभूमि
अक्टूबर 2020 में, नीति आयोग ने ‘Reforms in Urban Planning Education in India’ पर एक सलाहकार समिति का गठन किया था। इस समिति ने “Building Urban Planning Capacity in India” रिपोर्ट के साथ अपने अधिदेश का समापन किया है।
नीति आयोग
यह भारत में सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है जिसे 2015 में सहकारी संघवाद के साथ सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। यह बॉटम-अप दृष्टिकोण का पालन करते हुए राज्य सरकारों को आर्थिक नीति-निर्माण प्रक्रिया में शामिल करने का प्रयास करता है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3