Register For UPSC IAS New Batch

Current Affair 2 December 2021

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

Current Affairs – 2 December, 2021

चक्रवात जवाद

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने चक्रवात जवाद की संभावित स्थिति से निपटने के लिए राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों तथा संबंधित एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा के लिए आज एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव उपाय करने का निर्देश दिया कि लोगों को सुरक्षित रूप से निकाला जाए और सभी आवश्यक सेवाओं जैसे बिजली, दूरसंचार, स्वास्थ्य, पेयजल आदि का रखरखाव सुनिश्चित किया जाए तथा किसी भी व्यवधान की स्थिति में उन्हें तुरंत बहाल किया जाए। उन्होंने आवश्यक दवाओं और आपूर्ति का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करने तथा निर्बाध आवाजाही की योजना बनाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने नियंत्रण कक्ष को चौबीसों घंटे चालू रखने के भी निर्देश दिए।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव के क्षेत्र में चक्रवात जवाद के रूप में जोर पकड़ने की उम्मीद है और शनिवार, 4 दिसंबर, 2021 की सुबह हवा की गति अधिकतम 100 किमी/घंटा के साथ इसके आंध्र प्रदेश – ओडिशा के उत्तर तट तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे आंध्र प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में भारी वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी सभी संबंधित राज्यों को नवीनतम पूर्वानुमान के साथ नियमित बुलेटिन जारी करता है।

चक्रवात तूफान का नाम ‘जवाद’ कैसे पड़ा?

जवाद नाम सऊदी अरब के सुझाव के अनुसार है और अरबी में इसका अर्थ उदार या दयालु होता है। अपने नाम की तरह, सिस्टम के अपने पूर्ववर्तियों की तरह विनाशकारी होने की संभावना नहीं है।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (भा॰मौ॰वि॰वि॰) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रक्षेण, मौसम पूर्वानुमान और भूकम्प विज्ञान का कार्यभार सँभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इस विभाग के द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं। वर्तमान में मौसम विभाग के महानिदेशक मृतुन्जय महापात्रा है मौसम विभाग की स्थापना सर्वप्रथम 1844 में पुणे में हुई 1875 में नाम बदलकर मौसम सर्वेक्षण अनुसंधान रखा गया। 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 और 1871 के अकाल के बाद, मौसम संबंधी विश्लेषण और संग्रह कार्य एक ढ़ांचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया। नतीजतन, 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई। हेनरी फ्रांसिस ब्लैनफर्ड विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता नियुक्त किया गए। मई 1889 में, सर जॉन एलियट तत्कालीन राजधानी कलकत्ता में वेधशालाओं के पहले महानिदेशक नियुक्त किया गए। मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय 1905 में शिमला, फिर 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया भारतीय मौसम विज्ञान विभाग स्वतंत्रता के बाद 27 अप्रैल 1949 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना।

चक्रवात

चक्रवात (साइक्लोन) घूमती हुई वायुराशि का नाम है। उत्पत्ति के क्षेत्र के आधार पर चक्रवात के दो भेद हैं :

  1. उष्ण कटिबंधीय चक्रवात या वलकियक चक्रवात (Tropical cyclone), तथा
  2. बाह्योष्णकटिबंधीय चक्रवात या शीतोष्णकटिबंधीय चक्रवात या उष्णवलयपार चक्रवात (Extratropical cyclone या Temperate cyclones)

उष्णवलयिक चक्रवात – ये वायु संगठन या तूफान हैं, जो उष्ण कटिबंध में तीव्र और अन्य स्थानों पर साधारण होते हैं। इनसे प्रचुर वर्षा होती है। इनका व्यास 50 से लेकर 1,000 मील तक का तथा अपेक्षाकृत निम्न वायुदाब वाला क्षेत्र होता है। ये 20 से लेकर 30 मील प्रति घण्टा तक के वेग से चलते हैं। इनमें वायुघूर्णन 90 से लेकर 130 मील प्रति घण्टे तक का होता है। ये वेस्ट इंडीज में प्रभंजन (hurricane) तथा चीनसागर एवं फिलिपिन में बवंडर (typhoon) और अमेरिका में टोर्नेडो तथा ऑस्ट्रेलिया में विल्ली विलिज कहे जाते हैं।

उष्णवलयपार चक्रवात – यह मध्य एवं उच्च अक्षांशों का निम्न वायुदाब वाला तूफान है। इसका वेग 20 से लेकर 30 मील प्रति घण्टे के वेग से सर्पिल रूप से चलती है। प्राय: इससे हिमपात एवं वर्षा होती है।दोनों प्रकार के चक्रवात उत्तरी गोलार्ध में वामावर्त (counter-clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (clockwise) रूप में संचारित होते हैं। उष्णवलयपार चक्रवात में साधरणतया वायु-विचनल-रेखा होती है, जो विषुवत की ओर निम्न वायुकेन्द्र में सैकड़ों मील तक बढ़ी रहती है तथा गरम एवं नम वायु को ठण्डी और शुष्क वायु से पृथक् करती है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

गोलमेज सम्मेलन

केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) द्वारा 4 दिसंबर, 2021 को गोवा में आयोजित होने वाले गोलमेज सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगे। सम्मेलन में राज्यों के परिवहन मंत्री और मुख्य सचिव/वरिष्ठ अधिकारियों, मोटर वाहन क्षेत्र के उद्योग के अग्रणीकारोबारियों, स्टार्ट अप्स और तकनीकी विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। भारी उद्योग राज्यमंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर बतौर विशिष्ट अतिथि सम्मेलन में मौजूद रहेंगे। नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत मुख्य भाषण देंगे। सम्मेलन का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की पसंद को प्रोत्साहन देने के लिए रणनीति तैयार करना और भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी तथा उच्च प्रौद्योगिकी ऑटोमोटिव कंपोनेंट के विनिर्माण के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करना है।

ऑटोमोबाइल का क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का मुख्य संचालक है और विनिर्माण क्षेत्र में इसका सबसे ज्यादा योगदान है। ऑटोमोबाइल उद्योग का योगदान भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में करीब 6.4 प्रतिशत और विनिर्माण क्षेत्र की जीडीपी में 35 प्रतिशत है। यह अग्रणी रोजगार प्रदाता भी है।

दुपहिया, तिपहिया और ट्रैक्टर विनिर्माण में भारत का स्थान दुनिया में अव्वल है और यात्री व वाणिज्यिक वाहन विनिर्माण में यह पांचवें नंबर 5 पर है। देश में मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) का विस्‍तार 11.7 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ 80.8 अरब अमेरिकी डॉलर है। ऑटो कंपोनेंट कारोबार का विस्‍तार 57 अरब डॉलर का है जिसमें 15 अरब डॉलर का निर्यात होता है और 17.7 अरब अमेरिकी डॉलर का आयात।

मूल्य के मदों में भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग का दर्जा विश्व में 11वें स्थान पर है। क्योंकि भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों में नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर, कम मूल्य, कम प्रौद्योगिकी उत्पादों में सफल रहा है। भारत का स्थान 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक ऑटोमोटिव व्यापार में 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल निर्यात के साथ भारत का हिस्सा 2 प्रतिशत से भी कम है। उन्नत ऑटोमोटिव घटकों में भारत की हिस्सेदारी वैश्विक स्तर पर 18 प्रतिशत की तुलना में सिर्फ 3 प्रतिशत है। वैश्विक हिस्सेदारी 2030 तक 30 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।

महामारी के बाद की दुनिया में, जलवायु परिवर्तन पर नए सिरे से जोर देने के साथ, वैश्विक ऑटोमोटिव परिदृश्य में एक व्यापक बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसमें भविष्य की प्रौद्योगिकी यानी शून्य उत्सर्जन वाले इलेक्ट्रिक वाहन को बड़ा प्रोत्साहन मिल रहा है। ईवी घटकों में नवाचार और तकनीकी उपलब्धियां इस बदलाव में मददगार रही हैं। भारत सरकार ने हाल ही में संपन्न सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में कार्बन उत्सर्जन को कम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। भारत सरकार जलवायु परिवर्तन की चिंताओं के मद्देनजर और आयातित तेल पर निर्भरता को कम करने के लिए ईवी में परिवर्तन की दिशा में तेजी लाने के कार्य को प्रोत्साहन दे रही है तथा इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए कई नीतिगत फैसले लिए गए हैं।

ईवी की पैठ बढ़ाने के लिए नीतिगत पहल

इलेक्ट्रिक वाहनों और उच्च-प्रौद्योगिकी के ऑटोमोटिव के विनिर्माण और लोगों की पसंद को प्रोत्साहन देने के लिए, भारी उद्योग मंत्रालय 54,038 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 3 प्रमुख योजनाओं को क्रियान्वित कर रहा है।

  1. इलेक्ट्रिक वाहनों को स्वीकारने और इसके विनिर्माण में तेजी लाने के लिए भारत-2 (फेम इंडिया-2) योजना का खर्च 10,000 करोड़ रुपये रखा गया है जिससे अग्रिम सब्सिडी प्रदान करके और ईवी चार्जिंग के बुनियादी ढांचे का निर्माण करके ईवी की मांग को प्रोत्साहित किया जाएगा। फेम-2 के तहत सब्सिडी के जरिए 10 लाख इलेक्ट्रिक टू व्हीलर, 5 लाख इलेक्ट्रिक थ्रीव्हीलर, 55,000 इलेक्ट्रिक कार और 7,090 इलेक्ट्रिक बसों को सहायता दी जाएगी।
  2. एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) के 50 गीगावाट घंटे और ‘नीश’ एसीसी के 5 गीगावॉट घंटे के लिए देश में विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए 18,100 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एसीसी पर राष्ट्रीय कार्यक्रम। इस योजना के तहत कुल 45,000 करोड़ रुपये के निवेश की परिकल्पना की गई है। इस योजना से एसीसी के आयात बिल में 1,50,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। भारत में एसीसी बैटरी स्टोरेज के लिए विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विनिर्माताओं से प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिए 22 अक्टूबर, 2021 को प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किया गया है। प्रस्ताव पूर्व सम्मेलन 12 नवंबर, 2021 को आयोजित किया गया था जिसमें 20 से अधिक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। बोलियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2021 है।
  3. भारत में उच्च प्रौद्योगिकी ऑटोमोबाइल और ऑटोमोटिव कंपोनेंट के विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए 25,938 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए उत्पादकता लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना। अनुमान है कि पांच वर्षों की अवधि में, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स उद्योग के लिए पीएलआई योजना से 42,500 करोड़ रुपये से अधिक का नया निवेश होगा, उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि होगी और 7.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे। इससे आगे वैश्विक ऑटोमोटिव व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट के लिए पीएलआई योजना और दिशानिर्देश 23 सितंबर, 2021 को अधिसूचित किए गए। पीएलआई योजना के लिए आवेदन पत्र, उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी उत्पादों की सूची और आवेदन आमंत्रित करने के लिए विंडो 9 नवंबर, 2021 को अधिसूचित की गई है और 10 नवंबर 2021 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की गई है। आवेदन आमंत्रित करने की सूचना के लिए विंडो 11 नवंबर, 2021 से 9 जनवरी, 2022 तक 60 दिनों के लिए खुली है।

अन्य नीतिगत हस्तक्षेप

ईवी को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अन्य प्रमुख हस्तक्षेपों में ईवी पर जीएसटी को 12 से घटाकर 5 प्रतिशत करना, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए लिए जाने वाले कर्ज के ब्याज के भुगतान पर आयकर कटौती, ईवी चार्जिंग को सेवा के रूप में घोषित करके इसके लिए लाइसेंस समाप्त करना, ईवी चार्जिंग स्टेशनों के प्रावधानों के लिए बिल्डिंग बायलॉज कोड और टाउन प्लानिंग नियमों में संशोधन, ईवी के लिए ग्रीन लाइसेंस प्लेट आदि शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य में ईवी की पसंद को प्रोत्साहित करने और इसके निर्माण के लिए निवेश आकर्षित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारें नीतियां बनाई हैं।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

वर्ल्ड एथलेटिक्स से वुमन ऑफ द ईयर का पुरस्कार

भारतीय एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज (Anju Bobby George) ने वर्ल्ड एथलेटिक्स से वूमन ऑफ द ईयर (Woman of the Year Award) का पुरस्कार जीता है। उन्होंने युवा लड़कियों को खेल के लिए तैयार करने के लिए पुरस्कार जीता है।

अंजू की उपलब्धियां

  • वह 2005 IAAF वर्ल्ड एथलेटिक्स फ़ाइनल में स्वर्ण पदक विजेता हैं।
  • वह 2013 में पेरिस में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद में कांस्य पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट थीं।
  • 2004 के ओलंपिक में, वह छठे स्थान पर रही।

पुरस्कार

  • अंजू को 2002 में अर्जुन पुरस्कार, 2004 में पद्मश्री, 2003 में खेल रत्न से सम्मानित किया गया था।
  • 2021 में, उन्होंने सर्वश्रेष्ठ एथलीट की श्रेणी में बीबीसी लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार जीता।

वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड

2016 में, उन्होंने युवा लड़कियों के लिए एक खेल अकादमी बनाई। इसके माध्यम से उन्होंने भारत को खेलों में आगे बढ़ने में मदद की है और अधिक महिलाओं को भी उनके नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रेरित किया है। उन्हें लैंगिक समानता की वकालत करने के लिए पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

अंजू बॉबी जॉर्ज (Anju Bobby George)

अंजू का जन्म केरल के कोट्टायम के चीरांचिरा गांव में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत हेप्टाथलॉन से की थी। बाद में उन्होंने दिल्ली जूनियर एशियाई चैम्पियनशिप, दक्षिण एशियाई संघ खेलों (नेपाल में आयोजित), मैनचेस्टर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीते और बुसान में आयोजित एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता। वर्तमान में, अंजू TOPS (टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम) की चेयरपर्सन हैं और खेलो इंडिया प्रोजेक्ट की कार्यकारी सदस्य भी हैं।

SOURCE-DANIK JAGRAN

PAPER-G.S.1 PRE

 

G20 ट्रोइका में शामिल हुआ भारत

भारत हाल ही में G20 ट्रोइका में शामिल हुआ। G20 ट्रोइका इंडोनेशिया, भारत और इटली से बना है। यानी ट्रोइका वर्तमान अध्यक्ष इंडोनेशिया; पिछले अध्यक्ष इटली और भविष्य के अध्यक्ष भारत से बना है।

ट्रोइका क्या है?

ट्रोइका का अर्थ है एक साथ काम करने वाले तीन लोगों का समूह। यह एक अंग्रेजी शब्द है। G20 का ट्रोइका वर्तमान, अगले और तत्काल अतीत के मेजबान देशों से बना है। ट्रोइका निरंतरता सुनिश्चित करता है और अध्यक्ष पद का समर्थन प्रदान करता है।

G20 में ट्रोइकाकी क्या जरूरत है?

G20 स्थायी कर्मचारी या सचिवालय के बिना काम करता है। वर्तमान अध्यक्ष अस्थायी रूप से सचिवालय की स्थापना करता है। यह सचिवालय बैठकें आयोजित करता है और समूह के कामकाज का समन्वय करता है। इस प्रकार, सचिवालय के साथ मदद करने के लिए ट्रोइका की आवश्यकता है ताकि G20 के कार्यों में निरंतरता बनी रहे।

ट्रोइका कौन बनाता है?

2019 में, G20 की मेजबानी जापान द्वारा की गई थी। 2020 में, इटली ने G20 की मेजबानी की। 2022, 2023 और 2024 में इसकी मेजबानी इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील करेंगे। इस प्रकार, निम्नलिखित देशों ने G20 में ट्रोइका का गठन किया

  • 2020 : जापान, इटली और इंडोनेशिया
  • 2021 : इटली, इंडोनेशिया और भारत
  • 2022 : इंडोनेशिया, भारत और ब्राजील

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

 

Cost of Living Index 2021

इकोनॉमिक इंटेलिजेंस यूनिट (Economic Intelligence Unit) ने हाल ही में कॉस्ट ऑफ लिविंग इंडेक्स 2021 जारी किया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल का तेल अवीव दुनिया का सबसे महंगा शहर है।

मुख्य निष्कर्ष

  • तेल अवीव दुनिया का सबसे महंगा शहर है। इसके बाद पेरिस दूसरे और सिंगापुर तीसरे स्थान पर रहे।
  • 2020 में, पेरिस सबसे महंगा शहर था।
  • 2021 में ज्यूरिख और हांगकांग क्रमशः चौथे और पांचवें स्थान पर थे।
  • कुल मिलाकर, ऊपरी रैंकिंग में विकसित एशियाई शहरों और यूरोपीय शहरों का दबदबा था।
  • सबसे कम रैंकिंग पर अफ्रीका, मध्य पूर्व के शहरों और एशिया के कम धनी हिस्सों का कब्जा था।

अनुमान

इस सूचकांक से पता चलता है कि दुनिया में वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमतों में 3.5% की वृद्धि हुई है। 2020 में यह 1.9% थी।

मूल्य वृद्धि में वृद्धि के कारण

  • COVID-19 महामारी और इसके प्रतिबंधों के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बहुत प्रभावित हुई थी। इससे पूरी दुनिया में उत्पादन और व्यापार प्रभावित हुआ। और अंततः मूल्य वृद्धि का कारण बना।
  • तेल की कीमतों में वृद्धि ने मूल्य वृद्धि में एक प्रमुख भूमिका निभाई। अनलेडेड पेट्रोल की कीमतों में 21% की वृद्धि हुई।
  • तेल के अलावा, मनोरंजन, व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों और तंबाकू उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि हुई।

उल्लेखनीय मूल्य वृद्धि शहर

  • ईरान के शहर तेहरान में कीमतों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह 2020 में 79वीं रैंक से उछलकर 2021 में 29वीं रैंक पर आ गया। यह मुख्य रूप से अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण था। अमेरिकी प्रतिबंधों ने कमी और उच्च कीमतों को जन्म दिया।
  • सीरिया के शहर दमिश्क को सबसे निचले स्थान पर रखा गया। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी युद्धग्रस्त अर्थव्यवस्था अभी भी उबरने के लिए संघर्ष कर रही है।
  • दमिश्क और तेहरान दोनों ही उच्च मुद्रास्फीति से पीड़ित हैं।
  • अन्य शहर जो उच्च मुद्रास्फीति से पीड़ित हैं, वे अर्जेंटीना में ब्यूनस और वेनेजुएला में कराकस हैं।

Cost of Living Index

  • Cost of Living Index दुनिया के 173 शहरों के रहने की लागत को ट्रैक करता है। यह प्रतिदिन 200 से अधिक उत्पादों और सेवाओं की तुलना करता है।
  • यह इंडेक्स न्यूयॉर्क में कीमतों के मुकाबले कीमतों को चिह्नित करता है। इस प्रकार, अमेरिकी डॉलर से अधिक मजबूत मुद्राओं वाले शहर रैंकिंग में उच्च दिखाई देते हैं।

सूचकांक में भारतीय शहर

भारतीय शहरों में से कोई भी पहले 20 रैंक में शामिल नहीं है। हालांकि, जापान का टोक्यो, चीन का शंघाई पहले बीस रैंक में शामिल हैं।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button