Current Affairs – 2 July, 2021
भारतीय इतिहास में किसी एक तिमाही में अब तक का सबसे अधिक निर्यात
वाणिज्य एवं उद्योग, रेल और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने 2021-22 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की उपलब्धियों की जानकारी साझा करने के लिए आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे 2021-22 के लिए 400 अरब अमरीकी डॉलर निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया है।
भारत के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक निर्यात
भारत के इतिहास में 2021-22 की पहली तिमाही में अब तक का सबसे अधिक 95 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया गया है। यह 2020-21 की पहली तिमाही के निर्यात से 85 फीसदी और 2019-20 की पहली तिमाही के निर्यात से 18 फीसदी अधिक है। जो कि वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में हुए पिछले अधिकतम निर्यात (82 अरब अमेरिकी डॉलर) की तुलना में 16 फीसदी अधिक है और 2020-21 की चौथी तिमाही (90 अरब अमेरिकी डॉलर) के अधिकतम निर्यात के रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।
श्रमिक आधारित क्षेत्रों के निर्यात में तेज बढ़ोतरी देखी जा रही है
ज्यादा श्रमिक आधारित कई क्षेत्रों के निर्यात में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इंजीनियरिंग उत्पाद क्षेत्र में निर्यात 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में 5.2 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़ा है। इसी तरह चावल के निर्यात में मई 2020 से लगातार बढ़ोतरी बनी हुई है और 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में 2021-22 की पहली तिमाही में 37 फीसदी बढ़ोतरी हुई है।
अप्रैल 2021 में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का निर्यात प्रदर्शन
भारत ने दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अप्रैल 2020 में निर्यात क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया था। अप्रैल 2019 की तुलना में, अप्रैल 2021 के दौरान भारत के निर्यात में बढ़ोतरी, यूरोपीय संघ, जापान, अमेरिका, कोरिया गणराज्य और यूनाइटेड किंगडम जैसी अन्य प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अधिक थी।
रिकॉर्ड एफडीआई प्रवाह
भारत में 2020-21 में 81.72 अरब अमरीकी डॉलर का अब तक का सबसे अधिक एफडीआई प्रवाह हुआ है। यह 2019-20 में प्राप्त 74.39 अरब अमरीकी डालर की तुलना में 10 फीसदी अधिक है। अप्रैल 2021 के दौरान 6.24 अरब अमरीकी डालर के एफडीआई प्रवाह के साथ लगातार बढ़ोतरी जारी है, जो अप्रैल 2020 की तुलना में 38 फीसदी अधिक है।
स्टार्टअप इंडिया
डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या 50,000 से ज्यादा हो गई है और यह स्टार्ट अप भारत के 623 जिलों में मौजूद हैं। वर्ष 2020-21 में 16,000 से ज्यादा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप के जरिए लगभग 1.8 लाख औपचारिक नौकरियां पैदा हुई हैं। स्टार्टअप इकोसिस्टम से कई गुना ज्यादा लाभ पहुंचा है।
कंप्लायंस बोझ को कम करना
बिजनेस करना आसान करने और कंप्लायंस बोझ को कम करने के लिए पहले चरण में 6,426 कंप्लायंस कम किए गए हैं। दूसरे चरण में 3,177 कंप्लायंस कम किए जा रहे हैं। पहले चरण की समय सीमा 31 मार्च 2021 थी और दूसरे चरण की समय सीमा 15 अगस्त 2021 है।
इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल
क्लीयरेंस और अनुमोदन प्राप्त करने के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली एक वन-स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म है। एकीकरण के पहले चरण में 43 विभागों/मंत्रालयों और 14 राज्यों के एकल खिड़की प्रणाली को शामिल किया जा रहा है। इसके प्री-लॉन्च संस्करण का व्यापक परीक्षण किया जा रहा है और हम एक सॉफ्ट लॉन्च की तैयारी कर रहे हैं।
माननीय मंत्री ने अपनी बात यह कहते हुए समाप्त किया, कि दुनिया भारत को एक भरोसेमंद और विश्वसनीय साझीदार के रूप में देख रही है। और वह तय समय पर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद और सेवाएं देने की भारत की क्षमता पर अधिक भरोसा करती है। वस्तुओं और सेवाओं का विस्तार होने से बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा होंगे, अर्थव्यवस्था मजबूत होगी, राजस्व में वृद्धि होगी और सरकार वंचित वर्ग के लोगों की कहीं बेहतर तरीके से मदद कर सकेंगी।
SOURCE-PIB
17वीं विश्व कांग्रेस
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कल रात वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सर्वाइकल पैथोलॉजी और कोलपोस्कोपी के लिए 17वीं विश्व कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में प्रख्यात डॉक्टरों, चिकित्सा विज्ञान के प्रोफेसरों और सर्वाइकल पैथोलॉजी और कोलपोस्कोपी में विशेषज्ञता हासिल करने वाले चिकित्सा समुदाय के दिग्गजों को संबोधित किया।
कोल्पोस्कोपी और सर्वाइकल पैथोलॉजी और (सर्विक्स) गर्भाशय ग्रीवा पूर्व कैंसर के घावों के उपचार में अग्रणी प्रशिक्षण तथा एशिया में पहली बार प्रतिष्ठित विश्व कांग्रेस लाने के लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ कोलपोस्कोपी और सर्वाइकल पैथोलॉजी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि विश्व कांग्रेस का मुख्य विषय “सर्वाइकल कैंसर का उन्मूलनः कार्रवाई का आह्वान” 2030 तक सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन के लिए विश्व संगठन के आह्वान के अनुरूप है।
सर्वाइकल कैंसर के विषय पर बोलते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “यह महिलाओं में आमतौर पर पाया जाने वाला चौथा कैंसर है। इससे दुनिया में हर साल 50 लाख से अधिक महिलाएं प्रभावित होती हैं और यह 25 लाख महिलाओं की जान लेता है। यह बड़े दुख की बात है कि हर दो मिनट में एक महिला की सर्वाइकल कैंसर से मौत हो जाती है, जिसके कारण यह महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक सबसे बड़ा खतरा बन गया है। एक दुखद बात यह भी है कि इस तथ्य के बावजूद महिलाएं सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हो रही हैं और मर रही हैं जबकि सर्वाइकल कैंसर का सबसे अधिक सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, क्योंकि इसका जल्दी पता लगाया जा सकता है और प्रभावी रूप से इलाज भी किया जा सकता है। बाद के चरणों में पता लगाए जाने वाले कैंसरों को भी उचित उपचार और उपशामक देखभाल के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम, जांच और उपचार के लिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाने से इसे एक पीढ़ी के भीतर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त किया जा सकता है।
सर्वाइकल कैंसर
क्या है सर्वाइकल कैंसर
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) तब होता है जब कोशिकाएं गर्भाशय ग्रीवा (प्रवेश द्वार) के अस्तर में असामान्य रूप से विकसित होती हैं जो निचले गर्भाशय की गर्दन या संकीर्ण हिस्सा होता है। कम उम्र में कई यौन संबंध होने या यौन सक्रिय होने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के विकास की संभावना बढ़ जाती है। कैंसर के लक्षण जल्दी सामने आने पर जीवित रहने की संभावना ज़्यादा होती है
क्या हैं लक्षण
सामान्य ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों में पैल्विक दर्द, योनि से बदबूदार निर्वहन, पीरियड से पहले और बाद में रक्तस्राव और यौन गतिविधि के दौरान असुविधा का अनुभव होता है। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लक्षणों के साथ संक्रमण हो सकता है, और उपलब्ध ग्रीवा कैंसर उपचार के विकल्प सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी हैं।
कैसे होता है सर्वाइकल कैंसर?
गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर यानी सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले ह्यूमन पैपीलोमावायरस (HPV) की वजह से होते हैं। ये एक आम वायरस है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संभोग के दौरान जा सकता है।
ह्यूमन पैपीलोमावायरस इतना आम है कि ज़्यादातर लोग अपनी ज़िंदगी में इससे ज़रूर संक्रमित होते हैं, हालांकि HPV से किसी तरह के लक्षण नज़र नहीं आते हैं, इसलिए आप इससे कब संक्रमित हो जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा। आमतौर पर महिलाओं में ये वायरस अपने आप चला भी जाता है, हालांकि, अगर नहीं गया तो ये समय के साथ सर्वाइकल कैंसर का रूप ले लेता है। लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे कारक है जिसकी वजह से महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
कोल्पोस्कोपी क्या होता हैं ?
कोलपोस्कोपी एक तरह की जांच प्रक्रिया है, इसमें रोग के संकेतों व लक्षण के बारे में जानने के लिए आपके गर्भाशय ग्रीवा, योनि से जांच की जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान चिकिस्तक एक विशेष उपकरण का उपयोग करते है जिसे कोलपोस्कोप कहा जाता है। यदि मरीज के पैप परीक्षण का परिणाम असामान्य आता है, तो चिकिस्तक कोल्पोस्कोपी करवाने की सलाह दे सकता है। इसके अलावा चिकिस्तक कोल्पोस्कोपी प्रक्रिया के दौरान कोशिकाओं में एक असामान्य क्षेत्र पाते है, तो मरीज के ऊतक का एक नमूना लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण (बायोप्सी) के लिए भेज सकते है। ताकि परिणाम आने पर अन्य उपचार किया जा सके।
कोल्पोस्कोपी क्यों किया जाता हैं ?
महिलाओं के कुछ मामलो व लक्षणो के आधार पर कोलपोस्कोपी करवाने की सलाह दी जा सकती है।
- जैसे – जननांग मस्सा।
- गर्भाशयग्रीवाशोथ (Cervicitis)।
- ग्रीवा कैंसर हो।
- सरवाइकल का दर्द।
- योनि से असामान्य पानी बहना।
- वुल्वर कैंसर।
कोल्पोस्कोपी कैसे किया जाता हैं ?
योनी और गर्भाशय ग्रीवा के कई तरह के रोगों के लिए कोलपोस्कोपी जांच की जाती है।
- कोल्पोस्कोपी करवाने से पहले, मरीज को कम से कम 2 दिन पहले योनि की कोई दवा नहीं लेनी चाहिए। लेकिन यह अनुशंसा की जाती है कि मरीज प्रक्रिया के कई दिनों पहले संभोग या टैम्पोन का उपयोग तो नहीं किया है।
- कोल्पोस्कोपी करने के लिए मरीज को कुर्सी पर बैठाकर योनि तक पहुंचने के लिए चौड़े पैर का समर्थन करते है। गर्भाशय ग्रीवा को देखने के लिए योनि की दीवारें खुली रहती हैं।
- कोल्पोसोप, एक आवर्धक उपकरण है जिसका उपयोग गर्भाशय ग्रीवा की जांच करने के लिए किया जाता है। हालांकि इस जांच प्रक्रिया में कम से कम 10 से 20 मिनट का समय लग जाता है।
SOURCE-PIB
क्लाउड-बेस्ड स्वास्थ्य परियोजना
दिल्ली सरकार ने सूचित किया है कि मार्च 2022 तक क्लाउड-आधारित स्वास्थ्य देखभाल सूचना प्रबंधन प्रणाली (Health Care Information Management System – HISM) शुरू होने की संभावना है। यह घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने दिल्ली में स्वास्थ्य परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए की थी।
मुख्य बिंदु
- HIMS के साथ ही एक हेल्थ हेल्पलाइन जारी की जाएगी और दिल्ली के निवासियों के लिए ई-हेल्थ कार्ड जारी करने के लिए विशेष सर्वेक्षण किया जाएगा।
- दिल्ली क्लाउड-बेस्ड हेल्थकेयर इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (HIMS) वाला भारत का एकमात्र राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन जाएगा।
- निजी अस्पतालों में जल्द ही HIMS परियोजना लागू की जाएगी।
स्वास्थ्य देखभाल सूचना प्रबंधन प्रणाली (Health care Information Management System)
11 नवंबर, 2020 को दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान HIMS की घोषणा की गई। इस दौरान सभी राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में ई-हेल्थ कार्ड जारी करने की भी घोषणा की गयी। HIMS के तहत, राज्य के प्रत्येक नागरिक को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के लाभों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ई-स्वास्थ्य कार्ड जारी किए जाएंगे। HIMS स्वास्थ्य देखभाल वितरण प्रक्रिया जैसे रोगी देखभाल, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, अस्पताल प्रशासन, योजना और बजट, और बैकएंड सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस सिस्टम में एक स्वास्थ्य हेल्पलाइन और एक 24×7 कॉल सेंटर शामिल है, यह रोगियों को परामर्श और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी प्रदान करेगा।
HIMS कैसे काम करता है?
HIMS एक क्लाउड-बेस्ड और डिजीटल प्रणाली है जो नागरिकों को एकल मंच पर जानकारी तक पहुंचने में सक्षम बनाएगी। यह ई-हेल्थ कार्ड को HIMS में एकीकृत करेगा। अस्पताल HIMS का उपयोग करके मरीजों के पिछले स्वास्थ्य रिकॉर्ड और प्रासंगिक जानकारी तक भी पहुंच सकते हैं।
स्वास्थ्य हेल्पलाइन
हेल्थ हेल्पलाइन के दो घटक होंगे- हेल्थ हेल्पलाइन कॉल सेंटर पर ऑपरेटर जो आवश्यक जानकारी के साथ लोगों की कॉल और संदेश लेगा और डॉक्टर और विशेषज्ञ जो आपातकालीन मामलों में तत्काल समाधान की पेशकश करने के लिए ऑपरेटरों द्वारा दर्ज मुद्दों पर अपॉइंटमेंट की पेशकश करेंगे।
SOURCE-GK TODAY
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों पर ILO ने रिपोर्ट जारी की
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों पर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की। COVID-19 महामारी और बढ़े हुए वैश्विक औद्योगीकरण के बीच यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, जिसने रोजगार की तलाश में सीमा पार करने वाले श्रमिकों में बदलाव से दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।
रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
- ILO की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों की संख्या बढ़कर 169 मिलियन हो गई है। 2017 से इसमें 3% की वृद्धि हुई है।
- 2017 के बाद से युवा प्रवासी कामगारों (15-24 आयु वर्ग के) की हिस्सेदारी में भी लगभग 2% (3.2 मिलियन) की वृद्धि हुई है।
- COVID-19 महामारी ने अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों की आधारहीन स्थिति को उजागर कर दिया है क्योंकि संख्या 164 से बढ़कर 169 मिलियन हो गई है।
- महिलाओं को कम वेतन वाली और कम कुशल नौकरियों में अधिक प्रतिनिधित्व दिया जाता है।
- महिला प्रवासी कामगारों की सामाजिक सुरक्षा तक सीमित पहुंच है और सहायता सेवाओं के लिए कम विकल्प उपलब्ध हैं।
- यूरोप, मध्य एशिया और अमेरिका में सभी प्रवासी श्रमिकों का 3% मौजूद है।
- 2017 में प्रवासी श्रमिकों ने दुनिया की अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी आबादी का लगभग 59% कवर किया था।
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा कैसे की जाती है?
प्रवासी श्रमिक अपने देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करते हैं और अपने पारिश्रमिक को घर भेजते हैं जो उनके मूल देश की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। हालांकि, कुछ अकुशल प्रवासी कामगार मानव तस्करी की हिंसा की चपेट में हैं। प्रवासी श्रमिकों के प्रवाह की सुरक्षा और प्रबंधन प्रदान करने के लिए, प्रवास पर ILO Migrant Workers (Supplementary Provisions) Convention, 1975 और Migration for Employment Convention (Revised), 1949.जैसे उपकरण प्रदान करता है।
SOURCE-PIB
नासिक के सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता
चना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों के 8वें संस्करण में नासिक, महाराष्ट्र के एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन ‘रेडियो विश्वास’ ने दो पुरस्कार हासिल किए हैं।
रेडियो विश्वास 90.8 एफएम ने “सस्टेनेबिलिटी मॉडल अवार्ड्स” श्रेणी में पहला पुरस्कार और “थीमैटिक अवार्ड्स” श्रेणी में अपने कार्यक्रम कोविड-19 के काल में ‘एजुकेशन फॉर ऑल’ के लिए दूसरा पुरस्कार जीता है।
रेडियो विश्वास, विश्वास ध्यान प्रबोधिनी और अनुसंधान संस्थान, नासिक, महाराष्ट्र द्वारा चलाया जाता है। इस संस्थान की शुरुआत से ही इस रेडियो स्टेशन से प्रसारण किया जा रहा है। स्टेशन प्रतिदिन 14 घंटे का प्रसारण करता है।
‘शिक्षा श्रवणसाथी’ (सभी के लिए शिक्षा)
थीमैटिक अवार्ड्स श्रेणी के तहत ‘शिक्षण सर्वांसाठी‘ (सभी के लिए शिक्षा) के लिए पुरस्कार जीतने वाला यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन जून 2020 में कोविड-19 के कठिन समय के दौरान तीसरी से 10वीं कक्षा के छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था।
इस रेडियो स्टेशन से जिला परिषद और नासिक नगरपालिका स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के लिए ऑडियो व्याख्यान प्रसारित किए गए। कार्यक्रम का प्रसारण विभिन्न भाषाओं अर्थात हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, संस्कृत में किया गया।
सामुदायिक रेडियो स्टेशन के कामकाज और दृष्टिकोण के बारे में पत्र सूचना कार्यालय से बात करते हुए इसके स्टेशन निदेशक, डॉ हरि विनायक कुलकर्णी ने कहा कि कार्यक्रम को बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली है। “ये वे गरीब छात्र हैं जो डिजिटल शिक्षा के लिए स्मार्ट फोन नहीं खरीद सकते थे।
‘शिक्षण सर्वांसाठी‘ कार्यक्रम 150 शिक्षकों की मदद से लागू किया गया जिसके तहत उन्होंने हमारे स्टूडियो में व्याख्यान रिकॉर्ड किए। बाद में व्याख्यान प्रत्येक विषय के लिए आवंटित स्लॉट के अनुसार प्रसारित किए गए। कार्यक्रम को लक्षित समुदाय से जबर्दस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली और इससे नगर निगम और जिला परिषद विद्यालयों के पचास – साठ हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए।”
डॉ. कुलकर्णी ने यह भी बताया कि व्याख्यानों को महाराष्ट्र के छह अन्य सामुदायिक रेडियो के साथ भी साझा किया गया, ताकि वे भी अपने रेडियो चैनलों के माध्यम से उन्हें प्रसारित कर सकें। “हमें खुशी है कि हम पूरे महाराष्ट्र के छात्रों की मदद कर सके क्योंकि छह सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने इस सामग्री को अपने-अपने शहरों में प्रसारित करने के लिए हमसे संपर्क किया है”।
डॉ. कुलकर्णी ने छात्रों को एफएम उपकरण वितरित करने में शिक्षकों द्वारा की जा रही पहलों के बारे में भी बताया। “नासिक के इगतपुरी तालुका में शिक्षकों के एक समूह ने छात्रों को 451 एफएम डिवाइस (हाई-एंड स्पीकर सहित यूएसबी, ब्लूटूथ,) वितरित किए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वर्तमान पाठ्यक्रम उनसे छूट न जाये। शिक्षक इसे यूट्यूब पर अपलोड करने की भी योजना बना रहे हैं, जिसका उपयोग सामान्य स्कूली शिक्षा शुरू होने के बाद भी किया जा सकता है।
“कार्यक्रम हमेशा लोगों के साथ रहेंगे”
डॉ. कुलकर्णी ने बताया कि कैसे सामुदायिक रेडियो स्टेशन ने अभिनव मॉडल अपनाते हुए चार प्रमुख क्षेत्रों – वित्तीय, मानव, तकनीकी और सामग्री उपलब्धता – में खुद को बनाए रखने में सक्षम बनाया है।
यह बताते हुए कि कोई 10 वर्षों की अवधि में यह स्टेशन लगभग 3 लाख लोगों के श्रोताओं के आधार को विकसित करने में सक्षम रहा है, उन्होंने कहा, “हमें पूरा विश्वास है कि हमारे कार्यक्रमों के माध्यम से उठाए गए मुद्दों के कारण परिवर्तन आएगा और सकारात्मक कदम उठाए जाएंगे।”
सामुदायिक रेडियो स्टेशन के माध्यम से प्रसारित किए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे ‘शहरी परसबाग’ (रसोई उद्यान) कार्यक्रम से पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने कहा, “इस कार्यक्रम में हमारे श्रोताओं को बीज की उपलब्धता से लेकर पौधे रोपने तक की प्रक्रिया की पूरी जानकारी प्रदान की जाती है।” ‘माला अवदलेला पुस्तक’ (पढ़ने के लिए पसंदीदा पुस्तकों के बारे में) और ‘जानीव समाजकची’ (वरिष्ठ नागरिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों पर केंद्रित) ऐसे कार्यक्रम हैं जो दर्शकों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने के लिए लक्षित हैं।
सामुदायिक रेडियो स्टेशन आमतौर पर 10-15 किलोमीटर के दायरे में स्थानीय समुदाय के लाभ के लिए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये स्टेशन ज्यादातर स्थानीय लोगों द्वारा संचालित किए जाते हैं जो ‘टॉक शो’ होस्ट करते हैं, स्थानीय संगीत बजाते हैं और स्थानीय गाने गाते हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सामुदायिक रेडियो स्टेशनों के बीच नवाचार और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय सामुदायिक रेडियो पुरस्कारों की स्थापना की थी। इन सामुदायिक रेडियो स्टेशनों ने कोविड-19 महामारी के दौरान संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज की तारीख में, भारत में विभिन्न राज्यों में 327 सामुदायिक रेडियो स्टेशन चल रहे हैं।
SOURCE-PIB
आंध्र प्रदेश ने 2021-24 के लिए आईटी नीति लांच की
आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 जून, 2021 को अपनी नई ‘AP Information Technology Policy 2021-24’ लॉन्च की है।
मुख्य बिंदु
- मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने नई नीति को मंजूरी दी।
- इस नीति से अगले तीन वर्षों में 55,000 से अधिक रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
- इस नीति को लागू करने के लिए एक मजबूत और समग्र कारोबारी माहौल तैयार किया जाएगा।
- आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार विभाग को भी आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए राजस्व केंद्र में तब्दील किया जाएगा।
- यह 65 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार भी पैदा करेगा और एक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र विकास सुनिश्चित करेगा।
- यह नीति 31 मार्च, 2024 तक लागू रहेगी।
राज्य का राजस्व
इस नीति के माध्यम से आंध्र प्रदेश को विभिन्न करों के रूप में 10 वर्षों में 783 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। प्रत्यक्ष रोजगार से भी सालाना 2,200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होने की उम्मीद है। इस प्रकार यह गुणक प्रभाव के माध्यम से अर्थव्यवस्था के समग्र विकास को बढ़ावा देगा।
नई आईटी नीति के प्रमुख प्रावधान
नई आईटी नीति प्रोत्साहन संवितरण (incentive disbursement) को प्रतिबद्ध प्रत्यक्ष रोजगार की प्राप्ति से जोड़ती है जो सार्वजनिक धन का पारदर्शी और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करता है। यह प्लग एंड प्ले ऑफिस स्पेस, निवेशकों और सलाहकारों तक पहुंच, उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी फर्मों के माध्यम से फंड्स जैसे स्टार्ट-अप के लिए एंड-टू-एंड समर्थन प्रदान करता है।
इसे कैसे लागू किया जाएगा?
इस नीति के तहत, सरकार ऊष्मायन केंद्र (incubation centers) स्थापित करेगी और स्टार्टअप के लिए हैकाथॉन और कार्यशालाओं का आयोजन करेगी। सरकार आईटी और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में राष्ट्रीय प्रतिभा पूल में अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में राज्य को विकसित करने के लिए विशाखापत्तनम में एक आईटी इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज रिसर्च यूनिवर्सिटी (IT Emerging Technologies Research University) भी स्थापित करेगी।
SOURCE-GK TODAY