20 March Current Affairs
नवरोज
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नवरोज के अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं।
प्रतिवर्ष 21 मार्च को पारसी नववर्ष ‘नवरोज’ मनाया जाता है। असल में पारसियों का केवल एक पंथ-फासली-ही नववर्ष मानता है, मगर सभी पारसी इस त्योहार में सम्मिलित होकर इसे बड़े उल्लास से मनाते हैं, एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और अग्नि मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं। नवरोज को ईरान में ऐदे-नवरोज कहते हैं।
शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन। पारसी धर्मावलंबियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। नवरोज के दिन पारसी परिवारों में बच्चे, बड़े सभी सुबह जल्दी तैयार होकर, नए साल के स्वागत की तैयारियों में लग जाते हैं।
इस दिन पारसी लोग अपने घर की सी़ढ़ियों पर रंगोली सजाते हैं। चंदन की लकडियों से घर को महकाया जाता है। यह सबकुछ सिर्फ नए साल के स्वागत में ही नहीं, बल्कि हवा को शुद्ध करने के उद्देश्य से भी किया जाता है।
इस दिन पारसी मंदिर अगियारी में विशेष प्रार्थनाएं संपन्न होती हैं। इन प्रार्थनाओं में बीते वर्ष की सभी उपलब्धियों के लिए ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। मंदिर में प्रार्थना का सत्र समाप्त होने के बाद समुदाय के सभी लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं।
हालांकि पारसी समुदाय के लोगों की जीवन-शैली में आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव स्पष्टतया देखा जा सकता है। लेकिन पारसी समाज में आज भी त्योहार उतने ही पारंपरिक तरीके से मनाए जाते हैं, जैसे कि वर्षों पहले मनाए जाते थे।
यूं तो भारत के हर त्योहार में घर सजाने से लेकर, मंदिरों में पूजा-पाठ करना और लोगों का एक-दूसरे को बधाई देना शामिल है। जो बात इस पारसी नववर्ष को खास बनाती है, वह यह कि ‘नवरोज’समानता की पैरवी करता है। इंसानियत के धरातल पर देखा जाए तो नवरोज की सारी परंपराएं महिलाएं और पुरुष मिलकर निभाते हैं। त्योहार की तैयारियां करने से लेकर त्योहार की खुशियां मनाने में दोनों एक-दूसरे के पूरक बने रहते हैं।
नवरोज के दिन घर में मेहमानों के आने-जाने और बधाइयों का सिलसिला चलता रहता है। इस दिन पारसी घरों में सुबह के नाश्ते में ‘रावो’नामक व्यंजन बनाया जाता है। इसे सूजी, दूध और शक्कर मिलाकर तैयार किया जाता है।
नवरोज के दिन घर आने वाले मेहमानों पर गुलाब जल छिड़ककर उनका स्वागत किया जाता है। बाद में उन्हें नए वर्ष की लजीज शुरुआत के लिए ‘फालूदा’ खिलाया जाता है। ‘फालूदा’ सेंवइयों से तैयार किया गया एक मीठा व्यंजन होता है। नवरोज के दिन पारसी परिवारों में विभिन्न शाकहारी और मांसाहारी व्यंजनों के साथ मूंग की दाल और चावल अनिवार्य रूप से बनाए जाते हैं। विभिन्न स्वादिष्ट पकवानों के बीच मूंग की दाल और चावल उस सादगी का प्रतीक है, जिसे पारसी समुदाय के लोग जीवनपर्यंत अपनाते हैं।
2011 की भारत की जनगणना के अनुसार, भारत में 57,264 पारसी हैं, और 2014 के आंकड़े बताते हैं कि अब 69,000 हैं। प्रवासी भारतीयों में, और 1981 की भारतीय जनगणना के परिणामों पर, जो कि 71,630 Zoroastrians गिने जाते हैं, के पिछले आंकड़े। स्वतंत्र अनुमान है कि भारत में कम से कम 100,000 जोरास्ट्रियन हैं। पारसी मातृभाषा गुजराती है।महाराष्ट्र में पारसी आबादी 44,854 है, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है, इसके बाद गुजरात है।
Source-PIB
एल्युमीनियम-एयर बैटरी
शीर्ष ऑटोमेकर, जिसमें मारुति सुजुकी और अशोक लीलैंड शामिल हैं, ने पहले ही नव गठित संयुक्त उद्यम के साथ लेटर ओफ इंटेंट पर हस्ताक्षर किए हैं, जो आईओसी फीनर्जी द्वारा निर्मित बैटरी को व्यावसायिक रूप से उपयोग करने के लिए है।
एल्यूमीनियम-हवा की बैटरी हवा में ऑक्सीजन का उपयोग करती है जो एल्यूमीनियम को ऑक्सीकरण करने और बिजली का उत्पादन करने के लिए एक एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड समाधान के साथ प्रतिक्रिया करती है।
एल्युमीनियम-एयर बैटरियों को लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में कम लागत और अधिक ऊर्जा-सघन का विकल्प कहा जाता है। लिथियम-आयन बैटरियां वर्तमान में भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए व्यापक उपयोग में हैं।
एल्यूमीनियम-एयर बैटरी हवा में मौजूद ऑक्सीजन का उपयोग करती है जो एल्यूमीनियम हाइड्रॉक्साइड सलूशन के साथ प्रतिक्रिया करके एल्यूमीनियम का ऑक्सीकरण करती है और बिजली का उत्पादन करती है।
लाभ
एल्यूमीनियम-एयर बैटरी-आधारित इलेक्ट्रिक वाहन, लिथियम-आयन बैटरी वाहनों (जो वर्तमान में 150-200 किलोमीटर प्रति पूर्ण चार्ज की सीमा प्रदान करती हैं) की तुलना में 400 किमी या अधिक प्रति बैटरी की रेंज देते हैं।
एल्यूमीनियम-एयर बैटरी में एल्यूमीनियम प्लेट समय के साथ एल्यूमीनियम ट्राइहाइड्रोक्साइड में बदल जाती है और एल्यूमीनियम को एल्यूमीनियम ट्राइहाइड्रोक्साइड से पुनः प्राप्त किया जा सकता है।
एल्यूमीनियम-एयर आधारित बैटरी लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में काफी सस्ती होने की उम्मीद है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहन की लागत कम हो जाएगी।
SOURCE-INDIAN EXPRESS
ग्लोबल हंगर इंडेक्स
केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्यसभा में ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) की कार्यप्रणाली और डेटा सटीकता पर सवाल उठाया, जिसने 2020 में भारत को 107 देशों में 94 वें स्थान पर रखा है।
Global Hunger Index in hindi : ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट-2020 हाल ही में जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में अब भी काफी भुखमरी मौजूद है। आपकों बता दें की 107 देशों के लिए की गई रैंकिंग में भारत 94वें पायदान पर आया है। रिपोर्ट के अनुसार 27.2 के स्कोर के साथ भारत भूख के मामले में ‘गंभीर’ स्थिति में है।
यह रिपोर्ट किसी देश में कुपोषित बच्चों के अनुपात, पांच साल से कम आयु वाले बच्चे जिनका वजन या लंबाई उम्र के हिसाब से कम है और पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में मृत्यु दर के आधार पर तैयार की जाती है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2020 में कुल 107 देशों को शामिल किया गया जिसमें भारत 94वें पायदान पर है।
नेपाल से भी पीछे है भारत
भारत कई सारे पड़ोसी देशों से भी पीछे चल रहा है। इन देशों में नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग कुछ सुधरी है, लेकिन अब भी भारत कई पड़ोसी देशों से पीछे चल रहा है।
सिर्फ 13 देश ऐसे हैं जो हंगर इंडेक्स में भारत से पीछे
रिपोर्ट के अनुसार केवल 13 देश ऐसे हैं जो हंगर इंडेक्स में भारत से पीछे हैं। इनमें रवांडा (97), नाइजीरिया (98), अफगानिस्तान (99), लीबिया (102), मोजाम्बिक (103), चाड (107) जैसे देश शामिल हैं।
पाकिस्तान की रैंकिंग
हंगर इंडेक्स 2020 में इंडोनेशिया 70वें, नेपाल 73वें, बांग्लादेश 75वें और पाकिस्तान 88 वें स्थान पर है. रिपोर्ट के अनुसार, भुखमरी के लिहाज से एशिया में भारत की स्थिति अपने कई पड़ोसी देशों से खराब है। भारत का स्कोर इसमें 27.2 है जबकि पाकिस्तान का 24.6, बांग्लादेश का 20.4 और नेपाल का 19.5 स्कोर है।
भारत में कुपोषण
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 14% जनसंख्या कुपोषण का शिकार है। भारत में बच्चों में कुपोषण की स्थिति भयावह है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स किसी देश में कुपोषित बच्चों के अनुपात, पांच साल से कम उम्र वाले बच्चे जिनका वजन या लंबाई उम्र के हिसाब से कम है और पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों में मृत्यु दर के आधार पर तैयार की जाती है।
भारत की रैंकिंग 2015 से अब तक : एक नजर में
भारत साल 2015 में 93वें, 2016 में 97वें, 2017 में 100वें, 2018 में 103वें और 2019 में 102वें स्थान पर रहा था। रिकॉर्ड दिखाते हैं कि भुखमरी को लेकर भारत में संकट बरकरार है।
भारत में भूख की ‘गंभीर समस्या‘
इस रिपोर्ट में भूख की स्थिति के आधार पर देशों को 0 से 100 अंक दिये गये है। इस रिपोर्ट में 0 अंक सबसे अच्छा अर्थात भूख की स्थिति नहीं होना है। रिपोर्ट में 10 से कम अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत कम समस्या है। इसी तरह, रिपोर्ट में 20 से 34.9 अंक का मतलब भूख का गंभीर संकट है। रिपोर्ट में 35 से 49.9 अंक का मतलब हालत बहुत ही चुनौतीपूर्ण है और 50 या इससे ज्यादा अंक का मतलब है कि देश में भूख की बहुत ही भयावह स्थिति है। इस रिपोर्ट में भारत को 30.3 अंक मिला है। इस अंक का मतलब है कि भारत में भूख का गंभीर संकट है।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है?
ग्लोबल हंगर इंडेक्स में विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में खानपान की स्थिति का विस्तृत जानकारी दिया जाता है। इस इंडेक्स में यह देखा जाता है कि लोगों को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिल रहा है तथा उसकी गुणवत्ता और मात्रा कितनी है और उसमें कमियां क्या हैं।
यह रिपोर्ट प्रत्येक साल अक्टूबर महीने में जारी की जाती है। इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ की शुरुआत साल 2006 में की थी। वेल्ट हंगरलाइफ नाम के एक जर्मन संस्था ने साल 2006 में पहली बार ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ जारी किया था।
SOURCE-DANIK JAGARAN
डायटम टेस्ट
मुंबई का एंटीलिया केस। वही जिसमें मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के बाहर स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक मिला था। मामला सामने आने के बाद ठाणे के व्यापारी मनसुख हिरेन की लाश बरामद हुई। लाश की फ़रेंसिक जांच हुई। और फ़रेंसिक जांच में एक ऐसा टेस्ट हुआ, जिसके बाद कहा जा रहा है कि मनसुख हिरेन जिस समय डूबे, उस समय वह ज़िंदा थे।
किस टेस्ट की बिना पर ये बातें हो रही हैं? डायटम टेस्ट. अंग्रेज़ी में लिखें तो DIATOM। इस टेस्ट के नतीजे के आधार पर ये संभावना जताई जा रही है। ये टेस्ट क्या होता है, और इसकी कितनी अहमियत है आज इस ख़बर में हम इसी बारे में बतायेंगे।
डायटम क्या होता है?
पहले समझें कि डायटम होता क्या है। डायटम मतलब एक शैवाल. एल्गी (Algae). अब आप पूछेंगे कि शैवाल क्या होता है तो आपको सबसे नज़दीकी उदाहरण से समझाते हैं। बारिश होती है तो दीवारों और ज़मीनों पर हरे रंग की काई जम जाती है। जहां-जहां नमी होती है, वहां. वही शैवाल होता है। समुद्र के अंदर तो बहुत सारे शैवाल होते हैं। पेड़ जितने बड़े-बड़े और बहुत छोटे-छोटे भी इतने छोटे कि नंगी आंख से दिखाई नहीं देते। पानी की बूंदों को माइक्रोस्कोप में रखना पड़ता है, तब दिखाई देते हैं ये छोटे शैवाल। ये भी पेड़ों और पौधों की तरह सूर्य की रोशनी से खाना और ऑक्सीजन बनाते हैं। इनकी ही वजह से पानी के भीतर भी ऑक्सीजन मौजूद रहती है। कहने का मतलब ये कि ये डायटम ऐसे ही नन्हें, बहुत नन्हें शैवाल ही हैं।
अब मान लीजिए किसी व्यक्ति की डूबने से मौत हो गयी। उस व्यक्ति के शरीर के कई हिस्सों में ये डायटम मिलेंगे। और डायटम फ़रेंसिक टेस्ट में इन्हीं की जांच की जाती है।
किस-किस हिस्से में मिल सकते हैं डायटम?
रिसर्च के मुताबिक, जब किसी व्यक्ति के अंदर डूबते समय जान होती है, तो वो व्यक्ति पानी के अंदर सांस लेने की कोशिश करता है। अगर बाक़ायदे सांस नहीं आयी, तो वो व्यक्ति ना चाहते हुए भी बहुत सारा पानी पी जाता है। ऐसे में ये डायटम पेट के कुछ हिस्से में तो मिलेंगे ही, साथ ही फेफड़ों में भी मिल सकते हैं।
अब डूबते समय व्यक्ति का जो शरीर है, वो ऑटोमैटिक तरीक़े से पानी को खांसकर निकालने की कोशिश करता है। ऐसे में फेफड़े की दीवारों में दरार आ जाती है। और ऐसे में ये डायटम फेफड़े से निकलकर ख़ून में मिल जाते हैं, और शरीर के दूसरे हिस्से तक पहुंच जाते हैं।
कई केसों में ये डायटम अस्थिमज्जा यानी Bone Marrow तक पहुंच जाते हैं। लिवर, किडनी और दिमाग के कई हिस्से तक भी पहुंच जाते हैं। पानी के साथ-साथ।
कैसे होता है डायटम टेस्ट?
व्यक्ति की लाश के कुछ हिस्सों, ख़ासकर अंदरूनी हिस्सों को, पोस्ट्मॉर्टम के वक़्त सुरक्षित रख लिया जाता है। इन हिस्सों को फ़रेंसिक लैब में ले जाया जाता है। वहां इन हिस्सों को ख़ास तरह के एसिड से गलाकर स्पेशल टेक्नीक से डायटम निकाला जाता है। और शरीर के इन अलग-अलग हिस्सों में डायटम की गिनती की जाती है।
अपनी प्रवृत्ति में डायटम बहुत दिनों तक बिना सड़े-गले बचे रहते हैं। ऐसे में डूबने से जल्दी ख़राब हुई लाशों में भी अच्छी स्थिति में डायटम मिल जाते हैं। कुछ रिसर्च में ये भी दावा किया गया है कि जिन केसों में लाशें गलकर बिल्कुल ख़त्म हो चुकी होती हैं और सिर्फ़ हड्डियां बची होती हैं, उनमें भी हड्डी के बीच में मौजूद बोन मैरो से डायटम टेस्ट किया जा सकता है।
रिज़ल्ट कैसे निकलता है?
शरीर के अलग-अलग हिस्सों में डायटम की मात्रा का आकलन किया जाता है। एक निश्चित संख्या या उससे ज़्यादा मात्रा में डायटम मिले, तो ये माना जा सकता है कि व्यक्ति की मौत डूबने से हुई है। कोई व्यक्ति डूबने से मरा है, तो ज़ाहिर है कि शरीर में ज़्यादा मात्रा में डायटम मिलेंगे क्योंकि वो व्यक्ति सांस लेने की कोशिश में बहुत सारा पानी अपने अंदर लेगा। किसी व्यक्ति की लाश को मौत के बाद यदि पानी में फेंका गया है, तो उसके शरीर में तुलनात्मक रूप से कम डायटम मिलेंगे।
क्या डायटम टेस्ट एकदम पक्की जांच है?
ऐसा नहीं कह सकते। मनसुख हिरेन के केस में भी अधिकारियों का कहना है कि इस डायटम टेस्ट के रिज़ल्ट के आधार पर आख़िरी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा जा सकता। मान लीजिए किसी व्यक्ति की मौत किसी चोट या घाव की वजह से हुई है, या उसकी मौत के पहले से ही उसके शरीर पर खुले घाव या चोट मौजूद हैं, तो उसके शरीर में भी डायटम मिलेंगे, लेकिन कम।
अब कोई व्यक्ति किसी दूसरी बीमारी से पीड़ित है, जैसे हृदय रोग या किसी दूसरी बीमारी की वजह से फेफड़े कमज़ोर हैं, तो पानी में डूबने से मौत तो होगी लेकिन व्यक्ति के शरीर में सामान्य परिस्थितियों की तुलना में कम पानी जाएगा, ऐसे में शरीर में डायटम की कम मात्रा मिलेगी।
कई वैज्ञानिक कहते हैं कि डायटम से आइडिया लग जाता है, लेकिन निष्कर्ष पर सीधे-सीधे पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है।
SOURCE-DANIK JAGARAN
World Happiness Report जारी की गयी
United Nation Sustainable Development Solutions Network’ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट “World Happiness Report, 2021″ जारी की है। COVID-19 महामारी के बीच इस रिपोर्ट को तैयार किया गया। यह रिपोर्ट तीन संकेतक जीवन मूल्यांकन (Life Evaluation), सकारात्मक मनोभाव (Positive Emotions) और नकारात्मक मनोभाव (Negative Emotions) पर निर्भर होकर व्यक्तिपरक कल्याण को मापती है। यह रिपोर्ट ” World Happiness Day” से पहले प्रस्तुत की गई थी, जिसे 20 मार्च को मनाया जाता है।
मुख्य बिंदु
जीवन मूल्यांकन को मापने के लिए, गैलप वर्ल्ड पोल (Gallup World Poll) ने लोगों को अपने वर्तमान जीवन का मूल्यांकन करने के लिए कहा। उनके लिए सबसे अच्छा संभव जीवन का मूल्यांकन 10 के रूप में किया गया था जबकि सबसे खराब संभव जीवन 0 के रूप में। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, “जीवन मूल्यांकन” अंतरराष्ट्रीय तुलनाओं को संचालित करने के लिए सबसे अधिक जानकारी प्रदान करता है क्योंकि यह संकेतक पूर्ण और स्थिर तरीके से जीवन की गुणवत्ता की जानकारी देता है।
मुख्य बिंदु
फ़िनलैंड को फिर से दुनिया के सबसे खुशहाल देश के रूप में नामित किया गया था क्योंकि इसकी समग्र रैंकिंग 2020 के सूचकांक के समान थी। डेनमार्क, आइसलैंड, स्विट्जरलैंड और नीदरलैंड ने रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया। संयुक्त राज्य अमेरिका को 19वें स्थान पर रखा गया था। भारत 149 देशों में से 139वें स्थान पर था। भारत पिछले वर्ष में 156 देशों में से 144वें स्थान पर था। वर्ष 2021 में भारत से पीछे रहने वाले दस देशों में बुरुंडी, यमन, तंजानिया, हैती, मलावी, लेसोथो, बोत्सवाना, रवांडा, जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान हैं।
SOURCE-G.K.TODAY
UNESCO जल संरक्षण कार्यक्रम के लिए USO India में शामिल हुआ
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) छात्रों के लिए जल संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम में USO India और Toonz Media Group में शामिल हो गया है।
मुख्य बिंदु
जल संरक्षण कार्यक्रम के लिए, छात्रों ने एनीमेशन वीडियो बनाए हैं जिनका अनावरण 22 मार्च 2021 को विश्व जल दिवस के अवसर पर किया जाएगा। इसका अनावरण “H2Ooooh! – Waterwise Program” के एक भाग के रूप में किया जाएगा। यह कार्यक्रम नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, वाटर डाइजेस्ट पत्रिका, यूनाइटेड स्कूल्स ऑर्गनाइजेशन इंडिया (USO India) और Toonz Media Group की साझेदारी में आयोजित किया गया है।
H2Ooooh! – Waterwise Program
यह जल संरक्षण कार्यक्रम सितंबर 2020 में यूनेस्को नई दिल्ली द्वारा शुरू किया गया था। यह कार्यक्रम भारत के स्कूली बच्चों के लिए शुरू किया गया था। यह कार्यक्रम 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के स्कूली बच्चों को भारत में बढ़ते जल संकट के संबंध में कहानी के विचारों और कार्टून प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस कार्यक्रम को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। इसका उद्देश्य रचनात्मकता को बढ़ावा देना और जल संरक्षण और स्कूली छात्रों के बीच सतत उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस कार्यक्रम के लांच के बाद से, भारत भर में 43 स्कूलों के लगभग 17,000 छात्र इस कार्यक्रम में संलग्न हुए हैं।
प्रथम चरण
इस मिशन के पहले चरण के तहत, स्कूलों ने अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में 24 एनीमेशन वीडियो की स्क्रीनिंग रखी। कक्षा एक से आठवीं के छात्रों के लिए अलग-अलग पानी के मुद्दों पर वीडियो बनाए गए थे। ये वीडियो मूल रूप से यूनेस्को वेनिस द्वारा विकसित किए गए थे। बाद में इसे यूनेस्को नई दिल्ली कार्यालय द्वारा हिंदी में अनुवाद किया गया।
दूसरा चरण
दूसरा चरण दिसंबर 2020 में लागू किया गया था। इस चरण के दौरान, शीर्ष विचारों को लेने के लिए स्कूलों में एक प्रतियोगिता शुरू की गई थी। क्वालीफायर राउंड में कुल 2000 छात्रों ने भाग लिया, जिसमें से 93 छात्रों को Toonz Media द्वारा प्रशिक्षण से गुजरने के लिए चुना गया था।
इच्छामृत्यु को वैध करने के लिए स्पेन ने कानून पारित किया
स्पेन की संसद ने 18 मार्च, 2021 को इच्छामृत्यु को वैध बनाने वाले कानून पारित किया। इस प्रकार, स्पेन उन कुछ राष्ट्रों में से एक बन गया है, जो गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति देते हैं।
मुख्य बिंदु
इस कानून को पारित करना समाजवादी प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ की सरकार के लिए प्राथमिकता थी। यह कानून जनता के दबाव के बाद तैयार किया गया था, जो कई हाई-प्रोफाइल मामलों के कारण उत्पन्न हुआ था। इसमें सबसे विशिष्ट मामला रेमन सेम्पेड्रो (Ramon Sampedro) का था, जिनकी स्थिति “द सी इनसाइड” (The Sea Inside) नामक ऑस्कर विजेता फिल्म में दर्शाई गयी थी। इस प्रकार, संसद ने कानून के पक्ष में मतदान किया। इस कानून को पक्ष में 202 मत और विरोध में 141 मतों के साथ पारित किया गया।
कानून के बारे में
स्पेनिश कानून निष्क्रिय इच्छामृत्यु की अनुमति देगा जिसमें चिकित्सा कर्मचारी जानबूझकर दुख को दूर करने के लिए जीवन समाप्त कर देंगे। यह कार्य चिकित्सा उपचार को रोककर किया जाएगा। इस कानून ने सहायता प्राप्त आत्महत्या (assisted suicide) की भी अनुमति दी है जिसमें रोगी जीवन को समाप्त करने की प्रक्रिया को अंजाम देगा। इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए, रोगी को एक स्पेनिश राष्ट्रीय या कानूनी निवासी होना चाहिए। अनुरोध करते समय रोगियों को “पूरी तरह से जागरूक और सचेत” भी होना चाहिए। अनुरोध को 15 दिनों के अंतराल के साथ दो बार लिखित रूप में प्रस्तुत करना होगा। आवश्यकताएं पूरी न होने पर डॉक्टर द्वारा मरीजों के अनुरोध को अस्वीकार किया जा सकता है। इसके अलावा, अनुरोध को दूसरे डॉक्टर और मूल्यांकन निकाय द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
SOURCE-G.K.TODAY