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Current Affair 23 September 2021

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Current Affairs – 23 September, 2021

एक सींग वाले गैंडों

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने एक सींग वाले गैंडों के कल्याण की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए टीम असम की सराहना की है। उन्होंने यह भी कहा कि एक सींग वाला गैंडा भारत का गौरव है और इसके कल्याण के लिए सभी कदम उठाए जायेंगे।

एक-सींग वाले गैंडे के विषय में :

  • यह गैंडा की पाँच विभिन्न प्रजातियों में से एक है। अन्य चार हैं :
    • ब्लैक राइनो : अफ्रीका की दो छोटी प्रजातियों
    • व्हाइट राइनो : हाल ही में शोधकर्त्ताओं ने इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (In vitro Fertilization) प्रक्रिया का उपयोग करके इस राइनो का एक भ्रूण बनाया है।
    • जावा राइनो : यह IUCN की रेड लिस्ट में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically endangered) की श्रेणी में शामिल है।
    • सुमात्रन राइनो : यह हाल ही में मलेशिया से विलुप्त हो गई।
  • एशिया में राइनो की तीन प्रजातियाँ पाई जाती हैं – एक-सींग वाला गैंडा, जावा और सुमात्रन।
  • भारत में केवल एक-सींग वाला गेंडा पाया जाता है।
  • एक-सींग वाला गैंडा (भारतीय गैंडा) राइनो प्रजाति में सबसे बड़ा है।
  • इस गैंडे की पहचान एकल काले सींग और त्वचा के सिलवटों के साथ भूरे-भूरे रंग से होती है।
  • ये मुख्य रूप से घास, पत्तियों, झाड़ियों और पेड़ों की शाखाओं, फल तथा जलीय पौधे की चराई (Graze) करते हैं।

आवास :

  • यह प्रजाति इंडो-नेपाल तराई क्षेत्र , उत्तरी पश्चिम बंगाल और असम तक सीमित है।
  • भारत में गैंडे मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।
  • असम में चार संरक्षित क्षेत्रों (पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य, राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क, काजीरंगा नेशनल पार्क और मानस राष्ट्रीय उद्यान) में 2,640 गैंडे हैं।
    • इनमें से लगभग 2,400 गैंडे काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिज़र्व (Kaziranga National Park and Tiger Reserve) में हैं।

संरक्षण की स्थिति :

  • IUCN की रेड लिस्ट : सुभेद्य (Vulnerable)।
  • CITES : परिशिष्ट I (इसमें ‘लुप्तप्राय’ प्रजातियों को शामिल किया जाता है, जिनका व्यापार किये जाने के कारण और अधिक खतरा हो सकता है।)
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची-I

खतरा :

  • सींगों के लिये अवैध शिकार
  • पर्यावास की हानि
  • जनसंख्या घनत्व
  • घटती जेनेटिक विविधता

भारत द्वारा संरक्षण के प्रयास :

  • राइनो रेंज़ के पाँच देशों (भारत, भूटान, नेपाल, इंडोनेशिया और मलेशिया) ने इन प्रजातियों के संरक्षण और सुरक्षा के लिये न्यू डेल्ही डिक्लेरेशन ऑन एशियन राइनोज़ (The New Delhi Declaration on Asian Rhinos), 2019 पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • हाल ही में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment Forest and Climate Change) ने देश में सभी गैंडों के डीएनए प्रोफाइल बनाने के लिये एक परियोजना शुरू की है।
  • राष्ट्रीय राइनो संरक्षण रणनीति: इस रणनीति को वर्ष 2019 में बड़े सींग वाले गैंडों के संरक्षण के लिये शुरू किया गया था।
  • भारतीय राइनो विज़न 2020: इसे वर्ष 2005 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य एक सींग वाले गैंडों की आबादी को वर्ष 2020 तक भारतीय राज्य असम के सात संरक्षित क्षेत्रों में 3,000 से अधिक करना था।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

अवस्थिति :

  • यह असम राज्य में स्थित है जो लगभग 42,996 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह ब्रह्मपुत्र घाटी के प्रमुख बाढ़ क्षेत्र में स्थित है।

कानूनी दर्जा :

  • इस उद्यान को वर्ष 1974 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
  • इसे वर्ष 2007 से बाघ आरक्षित घोषित किया गया है। इसमें 430 वर्ग किमी. के कोर के साथ 1,030 वर्ग किमी. का कुल बाघ आरक्षित क्षेत्र है।

अंतर्राष्ट्रीय स्थिति :

  • इसे वर्ष 1985 में यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया था।
  • इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।

प्रमुख प्रजातियाँ :

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान पाँच बड़े जीवधारियों के लिये प्रसिद्ध है, जिनमें गैंडा, बाघ, हाथी, एशियाई जंगली भैंस तथा पूर्वी बारहसिंघा शामिल हैं|
  • वर्ष 2014 में हुई बाघ जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, काजीरंगा में अनुमानित 103 बाघ थे, जो उत्तराखंड में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (215) और कर्नाटक में बांदीपुर नेशनल पार्क (120) के बाद भारत में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।
  • काजीरंगा, भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्राइमेट्स (Primates) की 14 प्रजातियों में से 9 का घर है।

असम के अन्य राष्ट्रीय उद्यान :

  • डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान,मानस नेशनल पार्क,
  • नमेरी नेशनल पार्क,
  • राजीव गांधी ओरंग नेशनल पार्क,
  • देहिंग पटकाई नेशनल पार्क

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

आयुष्मान भारत

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन साल पूरे होने पर दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य देखभाल योजना -आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई की सराहना की है।

माईगॉवइंडिया को दिए एक जवाब में, प्रधानमंत्री ने कहा;

“पिछले वर्ष, स्वास्थ्य सेवा के महत्व को और भी स्पष्ट रूप से समझा गया है।

देश के नागरिकों के लिए उच्च गुणवत्ता और किफायती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करना हमारी प्रतिबद्धता है। आयुष्मान भारत पीएम-जेएवाईइस विजन को पूरा करने का माध्यम है। #3YearsofPMJAY”

आयुष्मान भारत योजना या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, भारत सरकार की एक स्वास्थ्य योजना है, जिसे १ अप्रैल, २०१८ को पूरे भारत में लागू किया गया था। २०१८ के बजट सत्र में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने इस योजना की घोषणा की। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (बीपीएल धारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अन्तर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जायेगा। १० करोड़ बीपीएल धारक परिवार (लगभग ५० करोड़ लोग) इस योजना का प्रत्यक्ष लाभ उठा सकेगें। इसके अलावा बाकी बची आबादी को भी इस योजना के अन्तर्गत लाने की योजना है।

इस योजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल 2018 को भीम राव अम्बेडकर की जयन्ती के दिन झारखंड के राँची जिले से आरम्भ किया।

आयुष्मान भारत में दो प्रमुख तत्व शामिल हैं।

१) राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना

आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, जो 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों (लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों) को कवर करेगी। वह हर परिवार के लिये, प्रति वर्ष 5 लाख रुपये के मूल्य के लिए माध्यमिक और तृतीयक स्थर पर अस्पताल में देखभाल के लिये कवरेज प्रदान करती है।

योजना के लाभ पूरे देश में कहीं भी लागू करे जा सकते है, और इस योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थी को देश भर के किसी भी सार्वजनिक या निजी अन्तर्गत अस्पताल से कैशलेस (बिना पैसे दिये) लाभ लेने की अनुमति होगी।

एस.ई.सी.सी डेटाबेस में दिए गए मानदंड के आधार पर तय होगा की किसे इस योजना का लाभ उठाने का हक है। यह लगभग 10.74 करोड़ गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों और विस्तृत शहरी कर्मचारियों के परिवारों को लक्षित करेगा।

यह परिवार एस.ई.सी.सी डेटाबेस, जिसमें गांवों और शहरों दोनों के ङेटा शामिल हैं, के मुताबिक तय होंगे।

यह लगभग सभी माध्यमिक और कई तृतीयक अस्पतालों को कवर करता है (एक नकारात्मक सूची को छोड

२) कल्याण केंद्र

स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र में प्रदान की जाने वाली सेवाओं की सूची में शामिल हैं:

गर्भावस्था देखभाल और मातृ स्वास्थ्य सेवाएँ, नवजात और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं,बाल स्वास्थ्य

जीर्ण संक्रामक रोग

गैर संक्रामक रोग

मानसिक बीमारी का प्रबंधन

दांतों की देखभाल

बुजुर्ग के लिए आपातकालीन चिकित्सा

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

एयर गन सरेंडर अभियान

केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने लोगों से पशु-पक्षियों का शिकार न करने की अपील करते हुए आज कहा कि देश भर में एयर गन सरेंडर अभियान चलाया जाएगा। उन्‍होंने यह भी कहा कि इस अभियान में सेवानिवृत्त वनकर्मियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, इत्‍यादि को जोड़ कर इसे तेज गति प्रदान की जाएगी।

श्री चौबे ने अरुणाचल सरकार के एयर गन सरेंडर अभियान को पशुओं एवं पक्षियों को अवैध शिकार से बचाने और उनके संरक्षण की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए इस अभियान के लिए अरुणाचल प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री मामा नटुंग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस अभियान के परिणाम अत्‍यंत सकारात्मक रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि देश भर में यह अभियान शुरू किया जाएगा और इसके लिए राज्यों से भी अनुरोध किया जाएगा। मंत्री महोदय ईटानगर में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे, जहां अरुणाचल प्रदेश के कुछ लोगों ने केंद्रीय मंत्री के समक्ष अपने एयर गन सरेंडर किए।

एयर गन के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है। अत: ऐसी स्थिति में हमारे देश में हर जिले और गांव में अनगिनत लोग एयर गन के जरिए पक्षियों का शिकार करते रहते हैं। इस वजह से अनेक पक्षियों की संख्या बड़ी तेजी से घट रही है।

श्री चौबे ने ईटानगर जैविक उद्यान का भी निरीक्षण किया जो दुनिया का पहला हूलोक गिब्बन प्रजनन केंद्र है और इसके साथ ही इस प्रजाति को बचाने के लिए किए जा रहे ठोस कार्यों की समीक्षा की।

क्या है एयर गन सरेंडर अभियान ?

अरुणाचल प्रदेश के पर्यावरण एवं वन मंत्री मामा नटुंग ने इस बारे में बताया कि एयर गन में कोई लाइसेंस नहीं लगता है। ऐसे में हमारे देश में काफी लोग हर जिले और गांव में एयर गन के जरिए पक्षियों का शिकार करते हैं। इसके चलते बहुत से पक्षियों की तादाद तेजी से कम होती जा रही है। इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए पेमा खांडू सरकार के नेतृत्व में यह फैसला लिया गया है कि पक्षियों को एयर गन से बचाने के लिए कोई अहम कदम उठाना आवश्यक है।

केवल अरुणाचल में 500 से भी ज्यादा पशु-पक्षी हमारे बेहतर जीवन का अंग

आगे जोड़ते हुए वे कहते हैं कि अरुणाचल प्रदेश में कुल 83,746 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है, जिसमें 500 से भी ज्यादा पशु-पक्षी हमारे बेहतर जीवन का अंग है। अरुणाचल प्रदेश में आने वाले पर्यटक इन पशु-पक्षियों की अहमियत न समझकर इनका शिकार करते हैं, जिसके कारण यह तेजी से कम होते जा रहा हैं। इस समय यदि कोई अपने प्रदेश के पशु-पक्षियों को नहीं बचाएगा तो सिर्फ जंगल ही खाली नजर आएंगे।

प्रदेश में पक्षियों की कई दुर्लभ प्रजातियां भी मौजूद

इसके आगे उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में पक्षियों की ऐसी-ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं जो पूरी दुनिया में और कहीं नहीं है। इनका क्या महत्व है लोगों को इसके बारे में पता नहीं है। यदि हम पशु-पक्षियों के शिकार को नहीं रोकेंगे तो पर्यटकों के लिए राज्य की खूबसूरती खत्म हो जाएगी, साथ ही साथ वैज्ञानिकों की रिसर्च भी इससे काफी प्रभावित होगी।

सभी राज्यों से ऐसी पहल शुरू करने की अपील की

अरुणाचल प्रदेश के पर्यावरण एवं वन मंत्री ने कहा, मैं सभी राज्य के लोगों से और उनकी सरकारों से यह अनुरोध करना चाहूंगा कि अरुणाचल प्रदेश में शुरू की गई इस पहल की तरह ही वे भी अपने राज्यों में ऐसी पहल शुरू करें और पशु-पक्षियों की सुरक्षा करें ताकि प्रकृति की सुरक्षा की जा सके।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

2022 तक ट्रांस फैट मुक्त

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के अध्ययन के अनुसार, भारत 2022 तक औद्योगिक ट्रांस फैट-फ्री बन जायेगा।

मुख्य बिंदु

  • भारत में, नए परीक्षण किए गए संसाधित खाद्य नमूनों में से केवल 34% सामग्री के अनुमेय स्तर (permissible levels) से अधिक दिखाते हैं।
  • FSSAI ने अखिल भारतीय सर्वेक्षण परिणामों का हवाला दिया और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों में औद्योगिक ट्रांस वसा के अत्यधिक उपयोग की धारणा को खारिज कर दिया।
  • भारत ने WHO के दिशानिर्देशों से एक साल पहले, 2022 तक औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा से भारत को मुक्त करने के लिए औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा की सीमा को 2% तक कम करने का आदेश दिया है।

FSSAI सर्वेक्षण

उद्योग द्वारा अनुपालन का परीक्षण करने के लिए, FSSAI ने भारतीय गुणवत्ता परिषद के सहयोग से प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के 6,245 नमूने एकत्र किए। 419 शहरों में 6 पूर्वनिर्धारित श्रेणियों से नमूने एकत्र किए गए थे। इस सर्वेक्षण के अनुसार :

  • 6,000 प्रसंस्कृत खाद्य नमूनों में से 34% वसा में उच्च थे।
  • डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों के 3% नमूनों में 2% से अधिक ट्रांस वसा होता है।

ट्रांस फैट पर WHO के दिशानिर्देश

WHO के अनुसार ट्रांस वसा का सेवन, जो कुल ऊर्जा सेवन का 1% से अधिक है, कोरोनरी हृदय रोग मृत्यु दर के जोखिम को बढ़ाता है।

ट्रांस फैट

ट्रांस फैट को सबसे खराब प्रकार का वसा माना जाता है। अन्य आहार वसा के विपरीत, ट्रांस वसा या ट्रांस-फैटी एसिड खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। ट्रांस फैट वाले आहार से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1 PRE

 

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली

केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग और उपभोक्ता मामले व वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने 22 सितंबर, 2021 को निवेशकों और व्यवसायों के लिए राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (National Single Window System for Investors and Businesses) लांच की।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (National Single Window System) भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
  • यह प्रणाली अनुमोदन और पंजीकरण के लिए सरकारी कार्यालयों की ओर दौड़ने की विरासत से मुक्ति दिलाएगी।
  • यह ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ और ‘ईज ऑफ लिविंग’ को भी बढ़ावा देगी।
  • अनुमोदन और मंजूरी के उद्देश्य से यह पोर्टल निवेशकों के लिए वन-स्टॉप-शॉप बन जाएगा।
  • अब तक, यह पोर्टल 18 केंद्रीय विभागों और 9 राज्यों में स्वीकृतियों की मेजबानी करता है। दिसंबर 2021 तक 14 केंद्रीय विभागों और 5 राज्यों को पोर्टल से जोड़ा जाएगा।

राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (National Single Window System)

  • इस पोर्टल में सभी समाधान शामिल हैं और यह ‘एंड टू एंड’ सुविधा के माध्यम से माउस के एक क्लिक पर सभी के लिए उपलब्ध होगा।
  • इसमें एक आवेदक डैशबोर्ड शामिल है जो प्रश्नों को ट्रैक करने और जवाब हासिल करने में मदद करेगा।

पोर्टल का महत्व

  • यह पोर्टल पारिस्थितिकी तंत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और जवाबदेही लाने में मदद करेगा।
  • सभी जानकारी एक ही डैशबोर्ड पर उपलब्ध होगी।
  • यह मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, PLI योजना आदि जैसी अन्य योजनाओं को भी मजबूती प्रदान करेगा।

पृष्ठभूमि

वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2020 में एक महत्वाकांक्षी “इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल (ICC) की घोषणा की थी जो निवेशकों को” एंड टू एंड “सुविधा और समर्थन, पूर्व-निवेश सलाह, भूमि बैंकों से संबंधित जानकारी और केंद्र और राज्य स्तर पर मंजूरी की सुविधा प्रदान करेगी। इस सेल को एक ऑनलाइन डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित करने का प्रस्ताव दिया गया था।

SOURCE-DANIK JAGARAN

PAPER-G.S.3

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