Current Affairs – 24 December, 2021
राष्ट्रीय आयुष मिशन
आयुष मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए आज बड़ी संख्या में प्रमुख पहलों की घोषणा की है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत उत्तर प्रदेश को विभिन्न गतिविधियों के लिए कुल 553.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। केंद्रीय आयुष और पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में ये प्रमुख घोषणाएं कीं।
- राज्य के आठ शहरों में 50 बिस्तरों वाले आठ आयुष एकीकृत अस्पतालों का उद्घाटन
- 500 आयुष स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों का उद्घाटन
- अयोध्या में 83 करोड़ रुपये की लागत से आयुष शैक्षणिक संस्थान (आयुर्वेद) की स्थापना की जाएगी
- छह शहरों में 50 बिस्तरों वाले छह नए एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना की जाएगी
- राज्य के विभिन्न जिलों में 250 नए आयुष औषधालय खोले जाएंगे
- भारत सरकार ने राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) के तहत विभिन्न गतिविधियों के लिए उत्तर प्रदेश को कुल 36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है
शुरुआत:
- इस मिशन को सितंबर 2014 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आयुष विभाग द्वारा 12वीं योजना के दौरान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के माध्यम से कार्यान्वयन के लिये शुरू किया गया था।
- वर्तमान में इसे आयुष मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है।
इसके संबंध में:
- इस योजना में भारतीयों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिये आयुष क्षेत्र का विस्तार शामिल है।
- यह मिशन देश में विशेष रूप से कमज़ोर और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में आयुष स्वास्थ्य सेवाएँ/शिक्षा प्रदान करने के लिये राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के प्रयासों का समर्थन कर स्वास्थ्य सेवाओं में अंतराल को संबोधित करता है।
राष्ट्रीय आयुष मिशन के घटक
- अनिवार्य घटक:
- आयुष (AYUSH) सेवाएँ
- आयुष शैक्षणिक संस्थान
- आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी तथा होमियोपैथी (ASU&H) औषधों का गुणवत्ता नियंत्रण
- औषधीय पादप/पौधे
- नम्य घटक:
- योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा सहित आयुष स्वास्थ्य केंद्र
- टेली-मेडिसिन
- सार्वजनिक निजी भागीदारी सहित आयुष में नवाचार
- सूचना, शिक्षा तथा संचार (Information, Education and Communication- IEC) कार्यकलाप
- स्वैच्छिक प्रमाणन स्कीम: परियोजना आधारित
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
कला कुंभ-आजादी का अमृत महोत्सव
राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा (एनजीएमए), नई दिल्ली 25 दिसंबर, 2021 से 2 जनवरी, 2022 तक चंडीगढ़ में स्क्रॉल की पेंटिंग हेतु कला कुंभ कलाकार कार्यशालाओं के आयोजन के साथ आजादी का अमृत महोत्सव मनाएगा। यह उत्सव भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों की वीरता की कहानियों के प्रतिनिधित्व पर आधारित है। ये राष्ट्रीय गौरव तथा उत्कृष्टता को व्यक्त करने के माध्यम के रूप में कला की क्षमता का विश्लेषण करते हुए गणतंत्र दिवस समारोह 2022 का एक अभिन्न अंग होंगे।
चंडीगढ़ में 25 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी 2022 तक 75 मीटर के पांच स्क्रॉल तथा भारत की स्वदेशी कलाओं को चित्रित करने वाले अन्य महत्वपूर्ण चित्रों को तैयार करने के लिए कलाकार कार्यशालाओं के साथ ये समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। इसी तरह की कार्यशालाओं का आयोजन देश के अन्य हिस्सों में भी किया जा रहा है। कलाकृतियाँ विविध कला रूपों का प्रतिबिंब होंगी जो पारंपरिक तथा आधुनिक का एक अनूठा सम्मिश्रण बनाती हैं। भारत के संविधान में रचनात्मक दृष्टांतों से भी प्रेरणा ली जाएगी, जिसमें नंदलाल बोस तथा उनकी टीम द्वारा चित्रित कलात्मक घटकों का एक विशिष्ट स्थान है। देश के विभिन्न स्थानों के लगभग 250 कलाकार भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायकों के वीरतापूर्ण जीवन और संघर्षों को चित्रित करेंगे। राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय के महानिदेशक के साथ-साथ प्रख्यात वरिष्ठ कलाकारों द्वारा कलाकारों का भरपूर मार्गदर्शन किया जाएगा।
पूरा कार्यक्रम एक सामूहिक शक्ति पर केंद्रित है और राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा, नई दिल्ली ने इस कार्यशाला के लिए चंडीगढ़ में चितकारा विश्वविद्यालय से सहयोग प्राप्त किया है। आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रगतिशील भारत के 75 साल और इसके लोगों, संस्कृति एवं उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का उत्सव मनाने के लिए भारत सरकार की एक पहल है। यह भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक तथा आर्थिक पहचान के बारे में प्रगति का चित्रण है। इसका उद्देश्य एनजीएमए के महानिदेशक श्री अद्वैत गरनायक की कलात्मक दृष्टि के अनुसार बड़े पैमाने पर स्क्रॉल पर प्रमुखता देना है।
चंडीगढ़ में, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान आदि की वीरता की गाथाओं को कलात्मक अभिव्यक्तियों के साथ दर्शायी जाएंगी, जो फड़, पिचवई, मिनियेचर, कलमकारी, मंदाना तथा वार्लिटो आदि जैसे स्वदेशी रूपों में हैं। स्क्रॉल समकालीन अभिव्यक्तियों को भी प्रतिबिंबित करेंगे जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक तथा कलात्मक विरासत के सार को प्रदर्शित करेंगे, साथ ही हमारे गुमनाम नायकों के सर्वोच्च बलिदान एवं योगदान का विश्लेषण भी करेंगे।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE
‘अल्पोना’
पहली प्रदर्शनी घरे बैरे के सफल प्रदर्शन के बाद, भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय, राष्ट्रीय आधुनिक कलादीर्घा तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 25 मार्च, 2022 को कोलकाता में ओल्ड करेंसी बिल्डिंग में अल्पोना नामक एक प्रदर्शनी आयोजित करेंगे।
राष्ट्रीय आधुनिक कलादीर्घा (एनजीएमए) ने प्रसिद्ध कलाकार तथा असाधारण शिल्पकार रामकिंकर बैज की कलाकृतियों का जश्न मनाते हुए एक प्रदर्शनी लगाने का प्रस्ताव किया है। प्रदर्शनी का मूल विषय ग्रामीण बंगाल के दैनिक जीवन पर आधारित है, जैसे दिनभर के कठिन कार्य के बाद घर लौटते हुए किसान अथवा घर की ओर लौटते हुए मवेशियों के कारण उड़ती हुई धूल अथवा आपस में हल्की-फुल्की बातचीत करते हुए आराम की मुद्रा में कारखाने के कर्मचारी अथवा प्लास्टर में मूर्तिमान यक्ष एवं यक्षी जैसे ग्राम के संरक्षक देवी-देवता। प्रदर्शनी में मूर्तियां, कैनवस पर उकेरे गए रेखाचित्र, वाटरकलर और बड़े तैलचित्र शामिल होंगे।
मुख्य विषय की पुष्टि के लिए, प्रमुख कलाकारों और शिल्पकारों की कला-कृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा, जो एनजीएमए के मुख्य संग्रह का हिस्सा हैं। राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा अपने प्रतिष्ठित संग्रह से इस प्रदर्शनी को इन-हाउस बनाएगी। संग्रहित प्रदर्शनी में बंगाल के कलाकारों की कलाकृतियों को भी दिखाया जाएगा, जो पटुआ तथा कालीघाट की छवियों की अपनी स्वदेशी जड़ों से शुरू होकर बंगाल स्कूल की शांत वॉश शैलियों एवं शांतिनिकेतन की अंतिम खोज तक है। इसमें बंगाल की स्वदेशी कला को प्रस्तुत करने वाले स्थल-विशिष्ट के प्रतिष्ठान भी शामिल होंगे।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1PRE
आईवीएफ तकनीक से पहली बार बन्नी भैंस के बच्चे ने जन्म लिया
मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री परशोत्तम रूपाला ने आज पुणे के जेके ट्रस्ट बोवाजेनिक्स का दौरा किया। इस आईवीएफ केंद्र में देश में पहली बार आईवीएफ तकनीक से बन्नी भैंस के बच्चे को जन्म दिया गया है। उन्होंने आईवीएफ प्रौद्योगिकी के जरिये गाय-भैंस के बच्चों को जन्म देने के तरीके और उससे होने वाली आय की भरपूर संभावनाओं को रेखांकित किया।
जेके बोवाजेनिक्स, जेके ट्रस्ट की पहल है। ट्रस्ट ने नस्ली रूप से उन्नत गायों और भैंसों की तादाद बढ़ाने के लिये आईवीएफ और ईटी प्रौद्योगिकी की शुरुआत की है। इसके लिये स्वदेशी नस्ल की गायों और भैंसों को चुनने पर ध्यान दिया जाता है।
मंत्रालय ने बताया है कि गुजरात के कच्छ क्षेत्र में गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के धनेज गांव रहने वाले एक किसान विनय एल वाला के यहां भैंस बन्नी’ की प्रमुख प्रजाति की एक भैंस ने (आईवीएफ) के माध्यम से एक बच्चे (काफ) को जन्म दिया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि हमें आईवीएफ के माध्यम से देश में पहले बनी नामक भैंस की नस्ल के बच्चे के जन्म की घोषणा करते हुए बेहद खुशी हो रही है। सुशीला एग्रो फार्म के किसान विनय एल. वाला के यहा जन्म देने वाली यह पहली भैंस है। मंत्रालय के अनुसार भैंस के बच्चे का जन्म शुक्रवार की सुबह हुआ है और अगले कुछ दिनों में और बच्चे भी पैदा होंगे।
इस तकनीक के जरिए भैंस के बच्चे को जन्म देने का मकसद आनुवंशिक रूप से अच्छी मानी जाने वाली इन भैंसों की संख्या को बढ़ाना है,ताकि दूध का उत्पादन भी बढ़ सके। बन्नी भैंस शुष्क जलवायु में भी अधिक दूध उत्पादन करने की क्षमता के लिए जानी जाती है।
वैज्ञानिकों ने विनय एल. की तीन भैंसों को गर्भाधान के लिए तैयार किया गया था। वैज्ञानिकों ने (आईवीसी) का उपयोग करके भैंस के अंडाशय से 20 अंडे निकाले। आईवीसी प्रक्रिया से तीन भैंसों में से एक के कुल 20 अंडे निकाले गए।
दरअसल, एक डोनर से निकाले गए 20 अंडाशय में से 11 भ्रूण बन गए। तीन आईवीएफ निषेचन को जन्म देते हुए नौ भ्रूण स्थापित किए गए। दूसरे डोनर से पांच अंडाशय निकाले गए, जिसमें से पांच भ्रूण पैदा हुए। पांच में से चार भ्रूण को प्लेसमेंट के लिए चुना गया और इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप दो निषेचन हुए। तीसरे दाता से चार अंडाशय निकाले गए, दो भ्रूण विकसित किए गए और उन्हें स्थापित करके एक निषेचन हुआ।
उन्नत नस्लों विकसित करने मिलेगी मदद
कुल मिलाकर, 29 अंडाशय से 18 भ्रूण विकसित हुए। इसका बीएल रेट 62 फीसदी था। पंद्रह भ्रूण स्थापित किए गए और छह को जन्म दिया। निषेचन दर 40 प्रतिशत थी। इन छह गर्भधारण में से आज पहले आईवीएफ बछड़े का जन्म हुआ। कृत्रिम गर्भाधान की आईवीएफ तकनीक का उपयोग करके पैदा होने वाला यह देश का पहला बन्नी बछड़ा है। सरकार और वैज्ञानिक समुदाय भैंसों की आईवीएफ प्रक्रिया में अपार संभावनाएं देखते हैं और देश की पशु संपदा में सुधार के लिए काम कर रहे हैं।
भारत की सामान्य नस्लों जैसे ‘मुर्रा’ या ‘जफ़राबादी’ के विपरीत ‘बन्नी’ नस्ल को हर जलवायु में असानी से पाला जा सकता है। इस नस्ल की भैंस कम पानी सहित कठोर जलवायु परिस्थितियों में जीवित रह सकती हैं।
पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने कहा कि बन्नी भैंसों के आईवीएफ के लिए ओवम पिक-अप (ओपीयू) जैसी प्रक्रिया की योजना पिछले साल दिसंबर में बनाई गई थी।
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) प्रौद्योगिकी
इसे ओवम पिक-अप और इन विट्रो भ्रूण उत्पादन (ओपीयू-आईवीईपी) प्रौद्योगिकी भी कहा जाता है, श्रेष्ठ मादा जर्मप्लाज्म की अधिक शीघ्र गुणन की यह एक आधुनिक प्रजनन प्रौद्योगिकी है। एमओईटी प्रौद्योगिकी के उपयोग से एक वर्ष में एक श्रेष्ठ मादा डेरी पशु से 10-20 बछड़ों/बछियों का उत्पादन किया जा सकता है। परंतु, ओपीयू-आईवीईपी तकनीक का इस्तेमाल करके गाय/भैंस से वर्ष में 20-40 बछड़ों/बछियों का उत्पादन किया जा सकता है। एनडीडीबी ने भारतीय डेरी किसानों के लिए इस प्रौद्योगिकी को किफायती बनाने के एक अंतिम लक्ष्य मद्देनज़र मार्च 2018 में अनुसंधान और विकास और प्रशिक्षण प्रयोजनों के लिए आणंद में एक अत्याधुनिक ओपीयू-आईवीईपी की सुविधा स्थापित की है। इस प्रौद्योगिकी की जानकारी प्राप्त करने के लिए, एनडीडीबी ने एम्ब्रापा डेरी कैटल, ब्राजील के साथ सहयोग किया है। अब, यह सुविधा तकनीक का फायदा उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
एनडीडीबी ने अब तक सेक्सड वीर्य अथवा पारंपरिक वीर्य का उपयोग करके 800 से अधिक पशु के आईवीएफ भ्रूण का उत्पादन किया है और ताजा और हिमिकृत आईवीएफ भ्रूण से 50 से अधिक पशु गाभिन हुए हैं और आईवीएफ से कई बछड़ों/बछड़ियों का उत्पादन किया गया है। 22 ओपीयू से एक गिर गाय ने 135 भ्रूणों का उत्पादन किया, जिनमें से औसतन 26.7 अंडाणु/सेशन और 6.13 जीवनक्षम भ्रूण/सेशन उत्पादित हुए थे। 16 गर्भधारण की पुष्टि हुई हैं और उससे 10 बछड़ों/बछड़ियों अब तक पैदा हो चुके हैं।
एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य, भैंसों के लिए इस प्रौद्योगिकी का मानकीकरण और अनुकूलन करना है क्योंकि भैंसों पर इसमें प्रौद्योगिकी में बहुत कम काम हुआ है।
इस तकनीक का उपयोग करके इन विट्रो पद्धति से अर्थात् गर्भ/गर्भाशय के बजाय प्रयोगशाला के अंदर भ्रूणों का उत्पादन किया जाता है। ओपीयू-आईवीईपी की प्रक्रिया के दौरान, अल्ट्रासाउंड की मदद से एस्पीरेशन उपकरण के द्वारा सर्जिकल तरीका अपनाए बिना ओवरियन फॉलिकल से भ्रूणों को एकत्रित किया जाता है। फॉलिकल कंटेंट को एकत्र करने के लिए एक वैक्यूम सिस्टम का उपयोग किया जाता है। अंडाशय से फॉलिकल एकत्रित होने के बाद, एकत्रित फॉलिकल तरल पदार्थ और अंडाणु पिक-अप मीडियम को अतिरिक्त तरल पदार्थ, रक्त और सेल डेब्रिस को निकालने के लिए उसे एक उपयुक्त फिल्टर के माध्यम से प्रवाहित किया जाता है। फिर उस तरल पदार्थ को पेट्री डिश में डाला जाता है और माइक्रोस्कोप की सहायता से अंडो की खोज की जाती है। आगे की प्रक्रिया के लिए क्यूमुलस सेल की परतों के आधार पर अंडो का चयन किया जाता है। चयनित अंडाणुओं को 20-22 घंटे के लिए विट्रो मेचुरेशन माध्यम में विशेष CO2 इनक्यूबेटर के अंदर धो कर इनक्यूबेटेड किया जाता है। इस प्रक्रिया को इन विट्रो मेचुरेशन (आईवीएम) कहा जाता है। 20-22 घंटे के बाद, मेचुरेशन की गुणवत्ता के लिए माइक्रोस्कोप की मदद से फिर से अंडाणुओं का मूल्यांकन किया जाता है। फिर परिपक्व अंडाणुओं को एक ही इनक्यूबेटर में 18 घंटे के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन माध्यम में प्रोसेस्ड जाइगोट्स के साथ इनक्यूबेटेड किया जाता है। इस प्रक्रिया को इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) कहा जाता है। आईवीएफ करने के बाद सात दिनों तक एक विशेष मिश्रण के गैस इनक्यूबेटर में इन विट्रो कल्चर मीडिया में इनक्यूबेशन करते है और उसे धोने के बाद संभावित जाइगोट का विकास हुआ। इस प्रक्रिया को इन विट्रो कल्चर (आईवीसी) कहा जाता है। पारंपरिक भ्रूण प्रत्यारोपण कार्यक्रमों के समान, माइक्रोस्कोप की मदद से भ्रूण की गुणवत्ता का आकलन किया जाता है और उत्तम गुणवत्ता के भ्रूण हिमिकृत किए जाते हैं या उपयुक्त प्राप्तकर्ता/सरोगेट पशुओं में प्रत्यारोपित किए जाते हैं जो सात दिन पहले गर्मी में आए थे।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
सिल्वरलाइन परियोजना
कई राजनीतिक दल और नागरिक संगठन जैसे के-रेल सिल्वरलाइन विरुद्ध जनकीय समिति “केरल की सिल्वरलाइन परियोजना” का विरोध कर रहे हैं।
इस परियोजना का विरोध क्यों किया जा रहा है?
सांसदों ने परियोजना के खिलाफ याचिका पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि, “इसमें बड़ा घोटाला हो रहा है” और यह राज्य को और कर्ज में खींच लेगा। इसके अलावा, पर्यावरणविदों का विचार है कि इस परियोजना से पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा क्योंकि इसका मार्ग आर्द्रभूमि, धान के खेतों और पहाड़ियों से होकर गुजरता है।
सिल्वरलाइन प्रोजेक्ट क्या है?
सिल्वरलाइन परियोजना एक सेमी हाई स्पीड रेलवे परियोजना है। इसमें केरल के उत्तरी और दक्षिणी छोर के बीच 200 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 63,940 करोड़ रुपये है। यह प्रस्तावित रेल-लिंक लगभग 529.45 किलोमीटर का है और तिरुवनंतपुरम को कासरगोड से जोड़ेगा। यह 11 स्टेशनों के माध्यम से 11 जिलों को कवर करेगा। कासरगोड से तिरुवनंतपुरम के बीच यात्रा का समय 12 घंटे से घटकर चार घंटे से भी कम हो जाएगा।
कार्यकारी प्राधिकरण और समय सीमा
यह परियोजना “केरल रेल विकास निगम लिमिटेड (KRDCL)” द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। यह परियोजना केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय का एक संयुक्त उद्यम है। इस परियोजना के कार्यान्वयन की समय सीमा 2025 है।
सिल्वरलाइन परियोजना का महत्व
कई शहरी नीति विशेषज्ञ चिंता जताते हैं कि केरल में मौजूदा रेलवे बुनियादी ढांचा भविष्य की मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा। मौजूदा खंड पर वक्र और मोड़ के कारण अधिकतर ट्रेनें 45 किमी/घंटा की औसत गति से चलती हैं। इसलिए सरकार सिल्वरलाइन परियोजना पर काम कर रही है, जो मौजूदा खंड से यातायात का एक महत्वपूर्ण भार उठा सकती है और यात्रियों के लिए यात्रा को तेज कर सकती है। इसके अलावा, परियोजना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को भी कम करेगी, रोजगार के अवसर पैदा करेगी और रो-रो सेवाओं के विस्तार में मदद करेगी, हवाई अड्डों और आईटी कॉरिडोर को एकीकृत करेगी और साथ ही उन शहरों में तेजी से विकास को सक्षम करेगी जहां से यह गुजरती है।
परियोजना की विशेषताएं
- प्रोजेक्ट इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (EMU) टाइप की ट्रेनें चलाएगा। प्रत्येक ट्रेन में 9 डिब्बे होंगे जिन्हें 12 तक बढ़ाया जा सकता है।
- व्यापार और मानक वर्ग सेटिंग्स में 9 डिब्बों में 675 यात्री यात्रा कर सकते हैं।
- मानक गेज ट्रैक पर ट्रेनें 220 किमी/घंटा की अधिकतम गति से चलेंगी।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस
प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस (National Consumer Day) के रूप में मनाया जाता है। 24 दिसम्बर, 1986 को उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 को राष्ट्रपति ने मंज़ूरी दी थी। इस दिवस के द्वारा उपभोक्ता के अधिकारों व उत्तरदायित्व पर प्रकाश डाला जाता है।
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986
भारत में उपभोक्ता के अधिकारों की सुरक्षा के लिए यह अधिनियम काफी महत्वपूर्ण था। इस अधिनियम के द्वारा ख़राब वस्तु व सेवा तथा असंगत व्यापार इत्यादि से उपभोक्ता की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकी। इस अधिनियम के द्वारा उपभोक्ता की शिकायतों के निवारण के लिए तीव्र व्यवस्था बनाई गयी है। इस अधिनियम में संयुक्त राष्ट्र चार्टर में वर्णित उपभोक्ता के 8 में से 6 अधिकारों को शामिल किया गया है। यह अधिकार हैं:-
- सुरक्षा का अधिकार
- सूचना का अधिकार
- चुनने का अधिकार
- सुनने का अधिकार
- शिकायत का अधिकार
- शिक्षा का अधिकार
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस
World Consumer Rights Day – Consumers International ने 24 साल पहले 1983 में उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाने की शुरूआत की। दुनिया में 15 मार्च को यह दिन मनाया जाता हैं। इस दिन को मनाने का एक ही कारण था कि ग्राहकों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी हो बहुत से ग्राहकों को अधिकारों की जानकारी न होने के कारण परेशानी उढानी पड़ती हैं। ग्राहकों को यह जानकारी होनी चाहिए कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए उनका क्या अधिकार हैं, दुनिया भर की सरकारें उपभोक्ताओं के अधिकारों का ख्याल रखें।
उपभोक्ता आंदोलन की शुरूआत अमेरिका में रल्प नाडेर द्वारा की गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप 15 मार्च 1962 को अमेरिकी कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के द्वारा उपभोक्ता संरक्षण का विधेयक पेश किया गया।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1PRE