Register For UPSC IAS New Batch

Current Affair 25 March 2021

For Latest Updates, Current Affairs & Knowledgeable Content.

25 March Current Affairs

मीट इन इण्डिया

केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पहलाद सिंह पटेल और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान कल खजुराहो में पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत तैयार छत्रसाल सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन करेंगे। इसके साथ ही वे मध्य प्रदेश के खजुराहो में एमआईसीई गंतव्य के रूप में भारत ब्रांड के लिए बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां -एमआईसीई रोड शो – ‘मीट इन इण्डिया’ की शुरुआत भी करेंगे। इस दौरान मध्य प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर और मध्य प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी इस समारोह में उपस्थित रहेंगे। इस समारोह में उत्तरदायी पर्यटन, प्रमुख गन्तव्य, एमआईसीई गंतव्य के रूप में भारत विषयों पर मध्य प्रदेश शासन के वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा प्रमुख सत्रों और समिति बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

भारत को बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां – एमआईसीई गंतव्य के रूप में भारत को आगे लाने के लिए भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय मध्य प्रदेश सरकार और भारत सम्मेलन संवर्धन ब्यूरो के साथ संयुक्त रूप से अतुल्य भारत के केंद्र छत्रसाल सम्मेलन केंद्र में 25 से 27 मार्च की अवधि में एमआईसीई रोड शो – ‘मीट इन इण्डिया’ का आयोजन कर रहे हैं। यह आयोजन भारत की एमआईसीई सम्भावनाओं को आत्म निर्भर भारत के अंतर्गत साकार करने का एक प्रयास है। यह रोडशो विकासोन्मुख भारत में आवश्यक आधारभूत अवसंरचनाओं के साथ अखिल भारतीय स्तर पर अनुकूल परिवेश की उपलब्धता के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को उजागर करने का एक ऐसा अवसर है जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के बीच भारत की स्थिति और बेहतर हो जाएगी।

पर्यटन मंत्रालय ने अपने ‘मीट इन इण्डिया’ अभियान को इस अवसर पर खजुराहो से शुरू करने की योजना बनाई है जो अपने आप में ही भारत का एक चिरपरिचित प्रमुख पर्यटन केंद्र है। एमआईसीई गंतव्य के रूप में भारत की अपार सम्भावनाओं को देखते हुए उसे अतुल्य भारत के अंतर्गत एक ब्रांड के रूप में आगे बढाने के लिए ‘मीट इन इण्डिया’ की भी विशिष्ट भूमिका होगी।

इस आयोजन के दौरान खजुराहो को एक विशिष्ट पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा बनाए गए  मसौदा मास्टर प्लान पर भी विचार विमर्श होगा। इसके लिए कई प्रस्ताव बनाए गए हैं। इस आयोजन से खजुराहो को एक विशिष्ट एमआईसीई गंतव्य के रूप में आगे बढाने में बहुत सहायता मिलेगी और अन्य पर्यटन स्थलों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगाI एक समग्र विचार के रूप में पर्यटन मंत्रालय ने देश के 19 चिन्हित विशिष्ट पर्यटन केन्द्रों के विकास हेतु  केंद्रीय क्षेत्र की एक योजना ‘विशिष्ट पर्यटन गंतव्य विकास योजना‘  योजना बनाई है। इस योजना के अंतर्गत ताज महल और फतेहपुर सीकरी (उत्तर  प्रदेश), अजन्ता और एलोरा गुफाएं (महाराष्ट्र), हुमायूं का मकबरा, लाल किला और क़ुतुब मीनार (दिल्ली), कोल्वा बीच (गोवा), आमेर किला (राजस्थान), सोमनाथ, धौलावीरा और स्टेच्यु ऑफ़ यूनिटी(गुजरात), खजुराहो (मध्य प्रदेश), हम्पी (कर्नाटक), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), काजीरंगा(असम), कुमाराकोम (केरल), कोणार्क (ओडिशा ) और महाबोधि मन्दिर (बिहार) शामिल हैं।

खजुराहो में हो रहे इस आयोजन के दौरान योग, साईकिल यात्रा, विरासत पदयात्रा, वृक्षारोपण जैसे फिटनेस कार्यक्रमों  के अतिरिक्त विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे।

SOURCE-PIB

 

भारत की टीबी रिपोर्ट

जनवरी और फरवरी 2020 के बीच, नोटिफिकेशन /सूचनाएं ऊपर की ओर थीं। 2019 में इसी अवधि की तुलना में 6% अधिक मामले सामने आए थे।

लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, अप्रैल और मई में सार्वजनिक क्षेत्र में सूचनाएं 38% और निजी क्षेत्र में 44% से गिर गई थी।

2019 में रिपोर्ट किए गए 04 लाख टीबी के मामलों में से, उपचार की सफलता 82% थी, मृत्यु दर 4% थी, 4% रोगियों ने उपचार का पालन नहीं किया और उपचार शुरू करने के बाद उपचार की विफलता तथा दवा का बदलाव 3% था।

भारत में 2018 में टीबी के मरीजों की संख्या में पिछले साल की तुलना में लगभग 50,000 की कमी आई है.

वर्ष 2017 में भारत में टीबी के 27.4 लाख मरीज थे जो साल 2018 में घटकर 26.9 लाख हो गये. प्रति 100,000 लोगों पर टीबी मरीजों की संख्या साल 2017 के 204 से घटकर साल 2018 में 199 हो गई.

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दुनियाभर में टीबी के 30 लाख मामले राष्ट्रीय टीबी कार्यक्रम में दर्ज नहीं हो पाते हैं. भारत में 2018 में टीबी के करीब 26.9 लाख मामले सामने आए और 21.5 लाख मामले भारत सरकार के राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत दर्ज किए गए यानी 5,40,000 मरीजों के मामले इस कार्यक्रम में दर्ज नहीं हुए.’

जिन रोगियों पर टीबी रोधी महत्वपूर्ण दवा रिफैमपिसिन निष्प्रभावी रही उनकी संख्या 2017 में 32 फीसदी से बढ़कर 2018 में 46 फीसदी हो गई.

नए मरीजों और उपचार के बाद फिर इस बीमारी के गिरफ्त में आने वाले मरीजों की उपचार सफलता दर 2016 के 69 फीसदी से बढ़कर 2017 में 81 फीसदी हुई.

रिपोर्ट के मुताबिक, तकनीक में सुधार और इलाज की वजह से पहले के वर्षों की तुलना में 2018 में टीबी के मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है, जिनसे उनकी जिंदगी भी बच रही है.

SOURCE-THE HINDU

 

शिग्मो

गोवा में कोविड -19 मामलों में वृद्धि के साथ, वार्षिक शिग्मोत्सव के उत्सवों के पैमाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

न्दुओं के यह त्योहार शिगमोत्सव पर इस बार भी अपार उत्साह देखा जा रहा है। शिगमोत्सव या शिगमो तटीय राज्य के कई सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है और यह रंग, वेशभूषा, संगीत, नृत्य और परेड के माध्यम से मनाया जाता है।

शिगमो परेड स्थानीय निवासियों द्वारा लोक नृत्य और संगीत प्रदर्शनों के माध्यम से ग्रामीण जीवन की झलक दिखाते हैं। इसके साथ ही अप्रेल के पहले सप्ताह से ‘गोवा खाद्य एवं सांस्कृतिक महोत्सव 2016’ भी शुरू होने जा रहा है।

योद्धाओं की घर वापसी का जश्‍न

पर्यटन विभाग द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि गोवा में शिग्मो वसंत के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह उत्सव आक्रमणकारियों से लड़ने के लिए दशहरा के अंत में अपने घरों और परिवारों को छोड़कर जाने वाले योद्धाओं की घर वापसी का जश्न मनाता है।

रंगों की छटा से घिर जाता है शहर

शिग्मो उत्सव के दौरान, पूरे राज्य में परेड के माध्यम से पारंपरिक लोक नृत्य और पौराणिक दृश्यों का चित्रण आकर्षण का प्रमुख केंद्र होता है। विभाग ने बताया कि उत्सव के दौरान लोग रंग-बिरंगी पोशाक पहनते हैं, रंगीन झंडे लहराते हैं और ढोल ताशा, बांसुरी जैसे संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं।

धार्मिक झलक से परिपूर्ण

शिग्मो मे भी परेड निकाली जाती है। इसमे भी लोग नाचते-गाते है और फ्लोट निकालते हैं। इसके अलावा कुछ लोग फैंसी ड्रेस में भी रहते है। शिगमोत्सव की फ्लोट में ज्यादातर धार्मिक झलक मिलती है। परेड के शुरू करने के पहले पूजा की जाती है और फ़िर पटाखे चलाए जाते हैं।और बाकायदा बिगुल सा बजाया जाता है। और परेड की शुरुआत बैंड-बाजे के साथ होती है। इस फेस्टिवल की शुरुआत होली के दिन से होती है इसीलिए इसे होली के त्यौहार के रूप मे भी मनाया जाता है। यानी लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

 

नेशनल कमिशन फॉर एलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स बिल, 2021

नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स बिल-2021 लोकसभा व राज्यसभा में पास होने पर अलाइड हेल्थ प्रोफेशनल्स की अनेक एसोसिएशनों के राष्ट्रीय महासंघ जॉइंट फोरम ऑफ़ मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट्स ऑफ़ इंडिया (JFMTI) ने खुशी जाहिर की है. लंबे समय से इस बिल के लिए संघर्षरत JFMTI ने बिल के दोनों सदनों में पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन एवं सभी संसद सदस्‍यों का आभार जाहिर किया है.

JFMTI केंद्र व राज्य सरकारों के अधीन सभी महत्वपूर्ण सरकारी एवं प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थानों की विभिन व्यवसायों जैसे मेडिकल लैब साइंसेज, रेडियोलोजी टेक्नोलॉजी, रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी, डायलिसिस टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी से जुड़े लाखों अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स का राष्ट्रीय प्रतिनिधि संगठन है, जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी संगठन सदस्य है. वह 2008 में अपनी शुरुआत से ही इस कानून के लिए मांग करता रहा है .

संगठन के महासचिव कप्‍तान सिंह सहरावत कहते हैं कि बीमारियों के निदान एवं इलाज में एवं मेडिकल साइंस की अद्भुत उन्नति में अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स का अहम योगदान रहा है और इस कारण से दुनिया भर के छोटे-बड़े बहुत से देशों द्वारा इनके महत्व को समझते हुए इस प्रोफेशन एवं प्रोफेशनल्स के विकास के लिए सुव्यवस्थित क़ानूनी ढांचा स्थापित किया गया, लेकिन भारत में स्वास्थ्य के इतने महत्वपूर्ण क्षेत्र एवं इससे जुड़े लाखों प्रोफेशनल्स के प्रति लगातार अनदेखी की गई. आजादी के 74 साल बीत जाने के बावजूद देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में अहम योगदान देने वाले इन लाखों प्रोफेशनल्स की व्यवसायिक शिक्षा व्यवस्था एवं सेवाओं के नियमन के लिए कोई व्यापक केंद्रीय कानून/संस्था/कौंसिल मौजूद नहीं थी.

सेंट्रल काउंसिल के न होने से थीं ये दिक्‍कतें…

उनका कहना है कि इस विषय में कोई भी केंद्रीय कानून या संस्था के न होने से पूरे देश में हजारों शिक्षण संस्थान बेलगाम तरीके से खोले जा रहे थे, जिन्हें व्यवसाय के तौर पर केवल मुनाफा कमाने के लिए खोला जाता था और जिनके पास किसी भी तरह की आधारभूत सुविधाएं नहीं होती थीं. आवश्यक कानून के न होने से सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में कार्यरत प्रोफेशनल्स के लिए भी अनेक समस्याएं थीं, जैसे कि आवश्यक व्यवसायिक शिक्षा योग्यता होने के बावजूद भी कार्य के अधिकार (लाइसेंस) से वंचित होना एवं सरकारी संस्थानों में समान कार्य के लिए अलग-अलग विभागों में अलग-अलग पदों, वेतन, भत्तों व भर्ती नियमों एवं सेवा शर्तों का होना आदि. सेंट्रल काउंसिल के न होने से जहां एक तरफ अनेक अप्रशिक्षित लोगों का शिक्षा व्यवस्था एवं प्रयोगशाला सेवाओं में व्यवसायिक अधिपत्य है, वहीं दूसरी तरफ बहुत ही शिक्षित एवं प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स भी अपने कार्य के अधिकार से वंचित थे.

अलाइड हेल्थ प्रोफेशनल्स की शिक्षा व सेवा व्यवस्था में व्यापक सुधारों की उम्मीद

सहरावत ने बताया क‍ि पिछली सरकारों की इस विषय के प्रति लगातार अनदेखी, असंवेदनशीलता की वजह से सेंट्रल पैरामैडिकल काउंसिल बनाने का प्रयास विफल रहा. सेंट्रल पैरामैडिकल बिल 2007 को केंद्र सरकार ने पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक ही संस्था NCHRH बनाने की नई योजना के नाम पर रोक दिया था और तीन साल से अधिक की बहस के बाद NCHRH बिल 2011 को भी संसदीय समिति द्वारा सिरे से नकार दिया गया. अंतत: लाखों अलाइड हेल्थ साइंसेज कर्मियों की शिक्षा व्यवस्था एवं व्यवसायिक नियमन के लिए सालों पुरानी मांग फिर अधर में लटक गई थी. इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2014 में नेशनल बोर्ड फॉर अलाइड हेल्थ साइंसेज को बनाने का निर्णय लिया था, जो प्रशासनिक कारणों के चलते आगे नहीं बढाया जा सका. इसके बाद 2015 में फिर से अलाइड हेल्थ प्रोफेशनल्स काउंसिल ड्राफ्ट बिल पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने संबंधित कर्मिंयों से 25 अक्टूबर, 2015 तक सुझाव मांगे थे और उसके तीन साल बाद दिसंबर 2018 में इसे संसद में प्रस्तावित किया गया था और इस विषय को संसद की स्थाई समिति के पास विस्तृत जांच के लिए भेजा गया था. समिति के सुझावों के अनुसार अब नेशनल कमीशन फॉर अलाइड एंड हेल्थकेयर प्रोफेशन्स बिल-2021 लोकसभा व राज्यसभा में पेश किया गया, जिसे दोनों सदनों ने अपनी मंजूरी दे दी है. इस क़ानूनी संस्था के स्थापित होने पर देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत अलाइड हेल्थ प्रोफेशनल्स की शिक्षा व सेवाओं की व्यवस्था में व्यापक सुधारों की उम्मीद है. इसके अतिरिक्त इनके पंजीकरण होने से प्रस्तावित स्वास्थ्य की सभी ढांचागत योजनाओं में इनकी जरुरत, कमी व संख्या आदि का अनुमान भी सही सही लगाया जा सकेगा.

ये होंगे कानून बनने के फायदे…

-इस बिल के पास होकर कानून बनने से अलाइड एंड हेल्‍थ केयर प्रोफेशनल्‍स, जिनमें 56 कैटेगरी आती हैं, के प्रोफेशनल एजुकेशन स्‍टैंडर्ड में सुधार होगा.

-अलाइड एंड हेल्‍थ केयर प्रोफेशनल्‍स का पंजीकरण एवं लाइसेंसिंग शुरू हो जाएगा, जैसे की डॉक्‍टरों का हेाता है.

-प्रैक्टिस और क्‍वालिटी ऑफ सर्विस सुधरेगी.

-कानून आने से देशभर में खुले हजारों पैरामेडिकल इंस्‍टीट्यूट कंट्रोल में होंगे, ताकि उनमें आवश्‍यकत स्‍टैंडर्ड का पालन किया जा सके.

SOURCE-hindi.news18

 

भारत के मुख्य न्यायाधीश

सीजेआई (CJI) एसए बोबडे (SA Bobde) ने भारत के अगले मुख्‍य न्यायाधीश के लिए न्यायमूर्ति नथालपति वेंकट रमण ( Justice NV Ramana) के नाम की सिफारिश की है. दरअसल, एक माह बाद 23 अप्रैल को न्यायमूर्ति बोबडे सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. सीजेआई बोबडे के बाद न्यायमूर्ति एन वी रमण शीर्ष न्यायालय (Supreme Court) के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं. जस्टिस रमण का सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश के तौर पर कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक है

केंद्र सरकार ने बीते दिनों कुछ दिन पहले नए सीजेआई की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की थी और प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे से अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने को कहा है. बीते 19 मार्च को कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त होने जा रहे न्यायमूर्ति बोबडे को शुक्रवार को एक पत्र भेज कर नए प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) के नाम की सिफारिश करने को कहा था.

अब प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे के सेवानिवृत्त होने में एक महीने से भी कम समय बचा है, ऐसे में उन्‍होंने सरकार के प्रस्‍ताव पर नए सीजेआई की नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश कर दी है.

नियमों के मुताबिक, मौजूदा सीजेआई अपनी सेवानिवृत्ति के एक महीने पहले, अपने उत्तराधिकारी को लेकर एक सिफारिश भेजते हैं. अगर सरकार सिफारिश मंजूर कर लेती है तो न्यायमूर्ति रमणा 24 अप्रैल को भारत के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर पदभार संभाल सकते हैं. वह 26 अगस्त 2022 में सेवानिवृत्त होंगे. सरकार सीजेआई बोबडे की सिफारिश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजेगी. सीजेआई की सिफारिश के साथ ही भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

उच्चतर न्यायपालिका के सदस्यों की नियुक्ति के लिए मानक प्रक्रिया के तहत, ”प्रधान न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की होनी चाहिए, जो इस पद के लिए उपयुक्त माने जाएं.” प्रधान न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत नाम की सिफारिश मिलने के बाद कानून मंत्री उसे प्रधानमंत्री के समक्ष रखते हैं, जो राष्ट्रपति को नियुक्ति के विषय में सलाह देते हैं.

आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के पुन्नावरम गांव में 27 अगस्त 1957 में जन्मे न्यायाधीश रमणा ने 10 फरवरी 1983 को वकील के तौर पर करियर की शुरूआत की. वह 27 जून 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए और उन्होंने 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के तौर पर काम किया.

SOURCE-DANIK JAGARAN

 

अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक

अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा’ (International Intellectual Property) का वार्षिक संस्करण 23 मार्च, 2021 को जारी किया गया था। भारत नौवें बौद्धिक संपदा सूचकांक में 53 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 40वें स्थान पर था।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक (International Intellectual Property Index)

यह सूचकांक ‘यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर’ (US Chamber of Commerce Global Innovation Policy Centre – GIPC) द्वारा प्रतिवर्ष जारी किया जाता है। यह पेटेंट के आधार पर 53 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बौद्धिक संपदा अधिकारों, आईपी संपत्तियों के व्यावसायीकरण, कॉपीराइट नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारों के अनुसमर्थन का मूल्यांकन करता है।

मुख्य निष्कर्ष

इस सूचकांक के अनुसार, समग्र वैश्विक बौद्धिक संपदा वातावरण 2020 में सुधरा था। 53 अर्थव्यवस्थाओं में से 32 अर्थव्यवस्थाओं में सकारात्मक स्कोर बढ़ा था।

2020 में भारत 40वें स्थान पर था। इसने 50 बौद्धिक संपदा से संबंधित संकेतकों में 100 में से 4 स्कोर हासिल किया है।

भारत का समग्र स्कोर सातवें संस्करण में 04 प्रतिशत से बढ़कर आठवें संस्करण में 38.46 प्रतिशत हो गया है।

ब्रिक्स देशों में, भारत ने नौ संस्करणों में 13 प्रतिशत से अधिक के समग्र सुधार के साथ दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की।

भारत का प्रदर्शन

पिछले कुछ वर्षों में सूचकांक में भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। भारत ने कई सकारात्मक प्रयास किए हैं, जिन्होंने कॉपीराइट और ट्रेडमार्क उल्लंघन के मजबूत प्रवर्तन प्रयासों और मिसाल कायम करने वाले अदालती मामलों के कारण स्कोर में वृद्धि की है।

बौद्धिक संपदा (Intellectual Property – IP)

यह संपत्ति की एक श्रेणी है जिसमें मानव बुद्धि की अमूर्त रचनाएं शामिल हैं। प्रसिद्ध प्रकार के आईपी में पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क और व्यापार रहस्य शामिल हैं। 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान इंग्लैंड में बौद्धिक संपदा की आधुनिक अवधारणा विकसित हुई थी। 20वीं शताब्दी में बौद्धिक संपदा दुनिया की कानूनी प्रणालियों में एक आम बात बन गई। विभिन्न प्रकार के बौद्धिक वस्तुओं के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए बौद्धिक संपदा कानून लागू किया जाता है।

SOURCE-G.K.TODAY

 

फिच रेटिंग्स

अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने अपना ‘ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक (GEO)’ प्रकाशित किया है। फिच ने वित्त वर्ष 2021-2022 के लिए भारत के जीडीपी विकास अनुमान को 11% संशोधित कर 12.8% कर दिया है। यह रेटिंग ढीले राजकोषीय रुख, मजबूत कैरीओवर प्रभाव और बेहतर वायरस रोकथाम की पृष्ठभूमि में संशोधित की गई है।

मुख्य बिंदु

रेटिंग एजेंसी ने पाया कि भारत की जीडीपी का स्तर अपने पूर्व-महामारी पूर्वानुमान अनुमान से काफी नीचे रहेगा। यह बताता है कि वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 5.8% तक कम हो जाएगी। अपनी रिपोर्ट में, फिच ने यह भी बताया कि 2020 की दूसरी तिमाही में “लॉकडाउन-प्रेरित मंदी” से भारत की रिकवरी उम्मीद से अधिक तेज रही है। वित्त वर्ष 2020-2021 की चौथी तिमाही में जीडीपी अपने पूर्व महामारी स्तर से आगे निकल गयी है। विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक पीएमआई फरवरी, 2021 में ऊंचा रहा।

फिच रेटिंग्स

यह प्रमुख रेटिंग एजेंसियों मूडीज और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स के साथ एक अमेरिकी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। फिच तीन राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सांख्यिकीय रेटिंग संगठनों (NRSRO) में से एक है जिसे 1975 में अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग द्वारा नामित किया गया था। इसका मुख्यालय न्यूयॉर्क और लंदन में है। इसकी स्थापना जॉन नोल्स फिच ने 1914 में न्यूयॉर्क में फिच पब्लिशिंग कंपनी के रूप में की थी।

SOURCE-G.K.TODAY

 

भगत सिंह स्मारक

शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने नई दिल्ली में शहीद भगत सिंह स्मारक का उद्घाटन 23 मार्च, 2021 को किया गया।

मुख्य बिंदु

दिल्ली विश्वविद्यालय के वाईसरीगल लॉज के बेसमेंट में स्थित कक्ष में शिक्षा मंत्री ने भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी। इस कक्ष में भगत सिंह को कैद कर लिया गया था। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत के 90 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस अवसर पर, स्वतंत्रता सेनानियों पर पुस्तकों का एक मौजूदा संग्रह, जिसे “शहीद स्मृति पुस्तकालय” में परिवर्तित किया गया है। भगत सिंह स्मारक छात्रों और विश्वविद्यालय समुदाय के लिए स्वतंत्रता और बलिदान के मूल्यों को स्थापित करने के लिए खुला रहेगा।

भगत सिंह

वह एक भारतीय क्रांतिकारी और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दो नायक थे, जो 23 साल की उम्र में शहीद हो गये थे। भगत सिंह और उनके सहयोगी शिवराम राजगुरु ने दिसंबर 1928 में एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स को गोली मार दी थी। इसके बाद, भगत सिंह (23 वर्ष की आयु) को दोषी ठहराया गया और 23 मार्च, 1931 को उन्हें फांसी दे दी गई।

पृष्ठभूमि

भगत सिंह का जन्म 1907 में ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था। उनके जन्म के समय, उनके पिता किशन सिंह और दो चाचा, अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह जेल से रिहा हुए। उनके पिता और चाचा ग़दर पार्टी के सदस्य थे जिनका नेतृत्व करतार सिंह सराभा और हर दयाल ने किया था।

शिवराम हरि राजगुरु (Shivaram Hari Rajguru)

वह महाराष्ट्र से एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उन्हें ब्रिटिश राज पुलिस अधिकारी की हत्या में शामिल होने के लिए जाना जाता था। उन्हें भगत सिंह और सुखदेव थापर के साथ 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी।

सुखदेव थापर (Sukhdev Thapar)

वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य थे। उन्होंने भगत सिंह और शिवराम राजगुरु के साथ कई कार्यों में भाग लिया। सुखदेव को 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और राजगुरु के साथ हत्या के मामले में फांसी दी गई थी।

Any Doubts ? Connect With Us.

Join Our Channels

For Latest Updates & Daily Current Affairs

Related Links

Connect With US Socially

Request Callback

Fill out the form, and we will be in touch shortly.

Call Now Button