Current Affairs – 25 October, 2021
पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का शुभारंभ किया। उन्होंने वाराणसी के लिए लगभग 5,200 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि देश ने कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोविड-19 टीके की 100 करोड़ खुराक का एक अहम पड़ाव हासिल किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से, मां गंगा के अविरल प्रताप से, काशीवासियों के अखंड विश्वास से, सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन का अभियान सफलता से आगे बढ़ रहा है।”
प्रधानमंत्री ने इस बात को लेकर दुःख व्यक्त किया कि आजादी के बाद के लंबे कालखंड में आरोग्य पर, स्वास्थ्य सुविधाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितनी देश को जरूरत थी, और नागरिकों को उचित इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता था जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती थी और वित्तीय बोझ पड़ता था। इससे मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के दिलों में इलाज को लेकर लगातार चिंता बनी हुई है। जिनकी सरकारें लंबे समय तक देश में रहीं, उन्होंने देश की स्वास्थ्य प्रणाली के सर्वांगीण विकास के बजाय इसे सुविधाओं से वंचित रखा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य इस कमी को दूर करना है। इसका उद्देश्य अगले चार-पांच वर्षों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य नेटवर्क को गांव से लेकर प्रखंड, जिले से लेकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर तक मजबूत करना है। नए मिशन के तहत सरकार द्वारा की गई पहल का वर्णन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की अलग-अलग खामियों से निपटने के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तीन बड़े पहलू हैं। पहला, डायग्नोस्टिक और ट्रीटमेंट के लिए विस्तृत सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। इसके तहत गांवों और शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने की सुविधा होगी। इन सेंटरों में फ्री मेडिकल कंसलटेशन, फ्री टेस्ट, फ्री दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। गंभीर बीमारी के लिए 600 जिलों में 35 हजार नए क्रिटिकल केयर संबंधी बेड जोड़े जा रहे हैं और 125 जिलों में रेफरल सुविधाएं दी जाएंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना का दूसरा पहलू, रोगों की जांच के लिए टेस्टिंग नेटवर्क से जुड़ा है। इस मिशन के तहत, बीमारियों की जांच, उनकी निगरानी कैसे हो, इसके लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। देश के 730 जिलों को इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब और तीन हजार प्रखंडों को ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट मिलेगी। इसके अलावा, पांच क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, 20 मेट्रोपोलिटन यूनिट और 15 बीएसएल प्रयोगशालाएं इस नेटवर्क को और मजबूत करेंगी।
प्रधानमंत्री के अनुसार तीसरा पहलू, महामारी का अध्ययन करने वाले मौजूदा शोध संस्थानों के विस्तार से जुड़ा है। मौजूदा 80 वायरल डायग्नोस्टिक और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को मजबूत किया जाएगा, जैव सुरक्षा स्तर की 15 प्रयोगशालाएं संचालित की जाएंगी, चार नए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना की जा रही है। दक्षिण एशिया स्थित डब्ल्यूएचओ क्षेत्रीय अनुसंधान मंच भी इस नेटवर्क को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, “इसका मतलब है, पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के माध्यम से देश के हर कोने में उपचार से लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधान तक सेवाओं के लिए एक समग्र इकोसिस्टम का निर्माण किया जाएगा।”
क्या है सरकार की यह नई स्कीम?
सरकार के मुताबिक, इस योजना के तहत हर जिले में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाएगा। इसके साथ बढ़े हुए निवेश के जरिए संपूर्ण क्षमता को विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार 5 सालों के दौरान 64,180 करोड़ रुपये खर्च होगी।
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, इसमें विश्वस्तरीय सुविधाओं को विकसित किए जाने की योजना है। इसके तहत, ICMR और NCDC की 15 BSL III लैबोरेटरीज को बनाया जाएगा। 33 बीमारियों के विश्लेषण और पूर्वानुमान के लिए बेहतर क्षमता को विकसित करना है। इसके साथ नेशनल सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल की पांच क्षेत्रीय ब्रांचों और 20 मेट्रोपॉलिटन यूनिट्स को विकसित किया जाएगा।
आम आदमी को ऐसे मिलेगा फायदा
सरकार ने बताया कि योजना के तहत 12 केंद्रीय अस्पतालों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक बनाए जाएंगे, जिसमें 1800 अतिरिक्त बेड दिए होंगे। इसके साथ 602 जिलों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक बनाए जाएंगे। इसके अलावा एम्स दिल्ली में 150 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक बनाए जाने का लक्ष्य है। इस स्कीम में, उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में क्रिटिकल केयर ब्लॉक बनाया जाएगा।
ग्रामीण हेल्थ और वेलनेस सेंटर बनाए जाएंगे
पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत, वन हेल्थ के लिए नई संस्था का कामकाज शुरू किया जाएगा। इसके अलावा 17,788 नए ग्रामीण हेल्थ और वेलनेस सेंटर बनाए जाएंगे। स्कीम में, 11,024 नए अर्बन हेल्थ और वेलनेस सेंटर को भी विकसित किया जाएगा। योजना के तहत, 80 वायरल डायग्नोस्टिक्स और रिसर्च लैब को भी मजबूत करने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार की इस नई योजना के तहत, चार नए क्षेत्रीय रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को भी शुरू करने का प्लान है।
आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तीन बड़े पहलू
- बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज के लिए विस्तृत सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। इसके तहत गांवों और शहरों में ‘हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर’ खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों की शुरुआत में ही पता लगाने की सुविधा होगी।
- रोगों की जांच के लिए टेस्टिंग नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
- देश में मौजूद लैब्स को और बेहतर बनाने से जुड़ा है। महामारियों के दौरान जांच के लिये बायोसेफ्टी लेवल—तीन की लैब चाहिए। ऐसी 15 नई लैब को क्रियाशील किया जाएगा।
रोजगार का भी एक पूरा वातावरण विकसित होगा
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब ऐसा हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर बनता है तो उससे रोजगार का भी एक पूरा वातावरण विकसित होता है। डॉक्टर, पैरामेडिक्स, लैब, फार्मेसी, साफ-सफाई, कार्यालय, ट्रैवल ट्रांसपोर्ट जैसे अनेक प्रकार के रोजगार उत्पन्न होंगे। हमसे पहले वर्षों तक जो सरकार में रहे, उनके लिए स्वास्थ्य सेवा पैसा कमाने और घोटालों का जरिया रही है। गरीबों की परेशानी देखकर भी वे दूर भागते रहे हैं। आज केंद्र और राज्य में वह सरकार है, जो दलित गरीब शोषित वंचित पिछड़े मध्यम वर्ग सभी का दर्द समझती है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिए
राष्ट्रीय संचालन समिति की स्थापना
स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने 5 जुलाई 2021 को बेहतर समझ तथा संख्यात्मक ज्ञान के साथ शिक्षा में प्रवीणता के लिये राष्ट्रीय पहल- निपुण भारत मिशन शुरू किया था, जिसका उद्देश्य ग्रेड 3 तक हर बच्चे के लिए मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में सार्वभौमिक दक्षता के लक्ष्य को प्राप्त करना है, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परिकल्पित किया गया है। दिशा-निर्देशों में निर्धारित मानदंड के अनुसार निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससी) का गठन 25 अक्टूबर 2021 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता और शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी की सह-अध्यक्षता में किया गया है।
एनएससी के अन्य सदस्यों में शामिल हैं: स्कूल शिक्षा और साक्षरता सचिव; एनसीईआरटी के निदेशक; एनआईईपीए के कुलपति; एनसीटीई के अध्यक्ष; उत्तर प्रदेश के शिक्षा सचिव; कर्नाटक के शिक्षा सचिव; गुजरात एससीईआरटी में निदेशक; सिक्किम एससीईआरटी में निदेशक; 7 केंद्रीय मंत्रालयों यानी महिला एवं बाल विकास, जनजातीय मामले, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वित्त, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी तथा पंचायती राज के प्रतिनिधि; एनसीईआरटी और आरआईई अजमेर के दो विशेषज्ञ; और बाहर के तीन विशेषज्ञ। संयुक्त सचिव और निपुण भारत मिशन के मिशन निदेशक एनएससी के संयोजक हैं।
निपुण भारत मिशन के लिए एनएससी की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निम्नलिखित हैं:
- मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर राष्ट्रीय मिशन की प्रगति की निगरानी करना और नीतिगत मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान करना।
- 2026-27 में राष्ट्रीय स्तर पर हासिल किए जाने वाले लक्ष्य पर पहुंचने के लिए कार्य करना।
- दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्यक्रम में वार्षिक प्रगति के मापन के लिए उपकरणों का प्रसार करना।
- प्रत्येक राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए केआरए के साथ एक राष्ट्रीय कार्य योजना (राज्य की कार्य योजनाओं के आधार पर) तैयार करना और अनुमोदन करना, अंतराल के लिए जिम्मेदार कारकों (यानी फंड की कमी, रिक्तियों, शिक्षकों, जनसांख्यिकी, स्थानीय मुद्दों, शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण आवश्यकता, पाठ्यचर्या और शिक्षाशास्त्र संबंधी कार्य) को देखना।
- कार्यक्रम संबंधी और वित्तीय मानदंडों की समय-समय पर समीक्षा करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे हासिल किए जाने वाले लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं।
- प्रगति का विश्लेषण करने और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को फीडबैक प्रदान करने के लिए मूल्यांकन की पद्धति विकसित करना।
निपुण भारत मिशन
शिक्षा मंत्रालय ने ‘बेहतर समझ और संख्यात्मक ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता के लिये राष्ट्रीय पहल- निपुण’ (National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy- NIPUN) भारत मिशन की शुरुआत की है।
- इसका उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की आवश्यकताओं को पूरा करना है।
- यह पहल NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के एक भाग के रूप में शुरू की जा रही है।
- इस नीति का उद्देश्य देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना है। इस नीति ने 34 वर्षीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE), 1986 को प्रतिस्थापित किया।
उद्देश्य:
- आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता के सार्वभौमिक अधिग्रहण को सुनिश्चित करने के लिये एक सक्षम वातावरण बनाना ताकि ग्रेड 3 का प्रत्येक बच्चा वर्ष 2026-27 तक पढ़ने, लिखने और अंकगणित में वांछित सीखने की क्षमता प्राप्त कर सके।
केंद्रबिंदु के क्षेत्र:
- यह स्कूली शिक्षा के मूलभूत वर्षों में बच्चों तक शिक्षा की पहुँच प्रदान करने और उन्हें बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करेगा जैसे- शिक्षक क्षमता निर्माण, उच्च गुणवत्ता और छात्र एवं शिक्षक संसाधनों/शिक्षण सामग्री का विकास तथा सीखने के परिणामों को लेकर प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नज़र रखना।
कार्यान्वयन:
- स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा NIPUN को भारत में कार्यान्वित किया जाएगा।
- समग्र शिक्षा की केंद्र प्रायोजित योजना के तहत सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में राष्ट्रीय, राज्य, ज़िला, ब्लॉक, स्कूल स्तर पर एक पाँच स्तरीय कार्यान्वयन तंत्र स्थापित किया जाएगा।
- ‘समग्र शिक्षा’ कार्यक्रम तीन मौजूदा योजनाओं- सर्व शिक्षा अभियान (SSA), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (RMSA) और शिक्षक शिक्षा (TE) को मिलाकर शुरू किया गया था।
- इस योजना का उद्देश्य पूर्व-विद्यालय से बारहवीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा को समग्र रूप से सुनिश्चित करना है।
- निष्ठा (National Initiative for School Heads and Teachers Holistic Advancement- NISHTHA) के तहत बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (Foundational Literacy and Numeracy- FLN) के लिये एक विशेष पैकेज NCERT द्वारा विकसित किया जा रहा है।
- इस वर्ष प्री-प्राइमरी से प्राइमरी कक्षा तक पढ़ाने वाले लगभग 25 लाख शिक्षकों को FLN का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
- निष्ठा “एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार” के लिये एक क्षमता निर्माण कार्यक्रम है।
- पूर्व-प्राथमिक या बालवाटिका कक्षाओं के क्रम में चरण-वार लक्ष्य निर्धारित किये जा रहे हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडु ने आज वर्ष 2019 के लिए विभिन्न श्रेणियों में 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। साथ ही उन्होंने प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार भी प्रदान किया। लोकप्रिय अभिनेता श्री रजनीकांत को प्रतिष्ठित दादासाहेब फाल्के पुरस्कार और विभिन्न भाषाओं की फिल्मों के अभिनेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करने के बाद अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि फिल्मों को एक उच्च उद्देश्य वाला एक सार्थक वाहक होना चाहिए। फिल्मों को सामाजिक, नैतिक संदेश का वाहक होना चाहिए। उन्होंने कहा, “इसके अलावा, फिल्मों को हिंसा को अधिक दिखाने से बचना चाहिए और सामाजिक बुराइयों की अस्वीकृति को आवाज देनी चाहिए।
फीचर फिल्म पुरस्कार
- सर्वश्रेष्ठ फ़ीचर फ़िल्म: मरक्कर: लायन ऑफ़ द अरेबियन सी (मलयालम)
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (साझा): भोंसले (हिंदी) के लिए मनोज बाजपेयी, और असुरन (तमिल) के लिए धनुष
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: पंगा (हिंदी) और मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झाँसी (हिंदी) के लिए कंगना रनौत
- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री: द ताशकंद फाइल (हिंदी) के लिए पल्लवी जोशी
- सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता: सुपर डीलक्स (तमिल) के लिए विजय सेतुपति
- सर्वश्रेष्ठ निर्देशक: बहत्तर हूरें (हिंदी) के लिए संजय पूरन सिंह चौहान
- एक निर्देशक की बेस्ट डेब्यू फिल्म: हेलन (मलयालम) के लिए मथुकुट्टी जेवियर
- सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार: केडीए (तमिल) के लिए नागा विशाल
- सर्वश्रेष्ठ एक्शन डायरेक्शन: अवने श्रीमन्नारायण (कन्नड़), विक्रम मोर
- सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी: महर्षि (तेलुगु), राजू सुंदरम
- सर्वश्रेष्ठ विशेष प्रभाव: मरक्कर: लायन ऑफ़ द अरेबियन सी (मलयालम), सिद्धार्थ प्रियदर्शन
- स्पेशल जूरी अवार्ड: ओर्था सेरुप्पु साइज़ 7 (तमिल), राधाकृष्णन पर्थिएपन
- सर्वश्रेष्ठ गीत: कोलांबी (मलयालम) के लिए प्रभा वर्मा
- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन: विश्वसम (तमिल) के लिए डी. इम्मान
- बेस्ट बैकग्राउंड म्यूजिक: ज्येष्ठपुत्रो (बंगाली) के लिए प्रबुद्ध बनर्जी
- सर्वश्रेष्ठ मेकअप आर्टिस्ट: हेलन (मलयालम) के लिए रंजीथ
- सर्वश्रेष्ठ वेशभूषा: मरक्कर: लायन ऑफ़ द अरेबियन सी (मलयालम) के लिए सुजीत सुधाकरन और वी. साई
- सर्वश्रेष्ठ उत्पादन डिजाइन: आनंदी गोपाल (मराठी), सुनील निगवेकर और नीलेश वाघ
- सर्वश्रेष्ठ आत्मकथा (स्थान ध्वनि रिकॉर्डिस्ट): इवुध (खासी), देबजीत गायन
- सर्वश्रेष्ठ ऑडीोग्राफ़ी (अंतिम मिश्रित ट्रैक का पुनःरिकार्डर): ओर्था सेरुप्पु साइज़ 7 (तमिल), रेसुल पूकुट्टी
- सर्वश्रेष्ठ पटकथा (मूल): ज्येष्ठोपुत्रो (बंगाली), कौशिक गांगुली
- सर्वश्रेष्ठ पटकथा (अनुकूलित): गुमनामी (बंगाली), श्रीजीत मुखर्जी
- सर्वश्रेष्ठ पटकथा (संवाद लेखक): द ताशकंद फाइल्स (हिंदी), विवेक रंजन अग्निहोत्री
- सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफी: जल्लीकट्टू (मलयालम), गिरीश गंगाधरन
- सर्वश्रेष्ठ संपादन: जर्सी (तेलुगु), नवीन नूली
- सर्वश्रेष्ठ चिल्ड्रन फ़िल्म: कस्तूरी (हिंदी)
- पर्यावरण संरक्षण पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म: वाटर बुरिअल (मोनपा)
- सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म: आनंदी गोपाल (मराठी)
- राष्ट्रीय एकता पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म: ताजमहल (मराठी)
- सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ मनोरंजक: महर्षि (तेलुगु)
- सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका: बार्दो (मराठी) के लिए सावनी रवींद्र
- सर्वश्रेष्ठ पुरुष पार्श्व गायक: केसरी के लिए बी प्रैक (हिंदी)
प्रत्येक भाषा में सर्वश्रेष्ठ फिल्में:
- सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म: छिछोरे
- सर्वश्रेष्ठ तेलुगु फिल्म: जर्सी
- सर्वश्रेष्ठ मलयालम फिल्म: कल्ला नोतम
- सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्म: असुरन
- सर्वश्रेष्ठ पनिया फिल्म: केंजीरा
- सर्वश्रेष्ठ मिशिंग फिल्म: अनु रुवाद
- सर्वश्रेष्ठ खासी फिल्म: इवदु
- सर्वश्रेष्ठ छत्तीसगढ़ी फिल्म: भुल्लन द मेज़
- सर्वश्रेष्ठ हरियाणवी फिल्म: छोरीयां छोरों से काम नहीं होती
- सर्वश्रेष्ठ तुलु फिल्म: पिंगरा
- सर्वश्रेष्ठ पंजाबी फिल्म: रब दा रेडियो 2
- सर्वश्रेष्ठ ओडिया फिल्म: कलीरा अतीता और साला बुधर बदला (साझा)
- सर्वश्रेष्ठ मणिपुरी फिल्म: इगी कोना
- सर्वश्रेष्ठ मराठी फिल्म: बार्दो
- सर्वश्रेष्ठ कोंकणी फिल्म: काजरो
- सर्वश्रेष्ठ कन्नड़ फिल्म: अक्षी
- सर्वश्रेष्ठ बंगाली फिल्म: गुमनामी
- सर्वश्रेष्ठ असमिया फिल्म: रोनुवा – हू नेवर सरेंडर
- विशेष उल्लेख: बिरयानी (मलयालम), जोनाकी पोरुआ (असमिया), लता भगवान करे (मराठी) और पिकासो (मराठी)
नॉन-फीचर फिल्म पुरस्कार
- सर्वश्रेष्ठ वॉइस-ओवर / कथन: वाइल्ड कर्नाटक के लिए सर डेविड एटनबरो (अंग्रेजी)
- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन: क्रांति दर्शी गुरुजी-अहेड ऑफ़ टाइम्स के लिए बैशाखज्योति (हिंदी)
- सर्वश्रेष्ठ संपादन: शट अप सोना (हिंदी / अंग्रेजी) के लिए अर्जुन गौरीसरिया
- सर्वश्रेष्ठ आत्मकथा: राधा (संगीत), ऑलविन रेगो और संजय मौर्य
- सर्वश्रेष्ठ ऑन-लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट: रहस (हिंदी), सप्तर्षि सरकार
- सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी: सोंसी (हिंदी) के लिए सविता सिंह
- सर्वश्रेष्ठ निर्देशन: नॉक नॉक नॉक (अंग्रेजी / बंगाली) के लिए सुधांशु सरिया
- पारिवारिक मूल्यों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म: ओरु पाथिरा स्वप्न पोल (मलयालम)
- सर्वश्रेष्ठ शॉर्ट फिक्शन फिल्म: कस्टडी (हिंदी / अंग्रेजी)
- स्पेशल जूरी अवार्ड: स्माल स्केल सोसाइटीज (अंग्रेजी)
- सर्वश्रेष्ठ एनिमेशन फिल्म: राधा (संगीत)
- सर्वश्रेष्ठ खोजी फिल्म: जक्कल (मराठी)
- सर्वश्रेष्ठ अन्वेषण फिल्म: वाइल्ड कर्नाटक (अंग्रेजी)
- सर्वश्रेष्ठ शैक्षिक फिल्म: एपल्स एंड ऑरेंजेस (अंग्रेजी)
- सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म: होली राइट्स (हिंदी) और लाडली (हिंदी)
- सर्वश्रेष्ठ पर्यावरण फिल्म: द स्टोर्क सेवियर्स (हिंदी)
- सर्वश्रेष्ठ प्रचार फिल्म: द शॉवर (हिंदी)
- सर्वश्रेष्ठ कला और संस्कृति फिल्म: श्रीक्षेत्र-रू-सहिजता (ओडिया)
- सर्वश्रेष्ठ बायोग्राफिकल फिल्म: एलेफन्ट्स डू रिमेम्बर (अंग्रेजी)
- सर्वश्रेष्ठ नृवंशविज्ञान फिल्म: चरन-अतवा द एस्सेन्स ऑफ बीइंग ए नोमड (गुजराती)
- एक निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ डेब्यू नॉन-फ़ीचर फ़िल्म: खिसा (मराठी) के लिए राज प्रीतम मोरे
- सर्वश्रेष्ठ नॉन-फीचर फिल्म: एन इंजीनियर्ड ड्रीम (हिंदी)
अन्य पुरस्कार
- मोस्ट फ़िल्म फ्रेंडली स्टेट: सिक्किम
- सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ पुस्तक: संजय सूरी द्वारा अ गांधियन अफेयर: इंडियाज़ क्यूरियस पोर्ट्रयल ऑफ़ लव इन सिनेमा
- (विशेष उल्लेख: अशोक राणे द्वारा सिनेमा पहराना मानुस और कन्नड़ सिनेमा : पीआर रामदासा नायडू द्वारा लिखित जगथिका सिनेमा विकास-प्रेरणा प्रभाव)
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PAPER-G.S.1PRE
संयुक्त राष्ट्र दिवस
1948 से हर साल 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस (United Nations Day) मनाया जाता है। यह दिन 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के लागू होने की वर्षगांठ का प्रतीक है।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर क्या है?
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक दस्तावेज है, जो वैश्विक समानता और शांति की दिशा में काम कर रहा है।
- सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों सहित इसके अधिकांश हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा इस संस्थापक दस्तावेज के अनुसमर्थन के साथ, संयुक्त राष्ट्र को आधिकारिक तौर पर वर्ष 1945 में स्थापित किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र का इतिहास
चीन, सोवियत संघ, फ्रांस, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के साथ-साथ अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा संयुक्त राष्ट्र चार्टर की पुष्टि के बाद, संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक तौर पर 24 अक्टूबर, 1945 को स्थापना की गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने “संयुक्त राष्ट्र” नाम गढ़ा था।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर कब हस्ताक्षर किए गए थे?
संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर 26 जून, 1945 को 50 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। पोलैंड, जिसे सम्मेलन में प्रतिनिधित्व नहीं किया गया था, ने बाद के चरण में चार्टर पर हस्ताक्षर किए और मूल 51 सदस्य राज्यों में से एक बन गया।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2
सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव फोरम
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 23 अक्टूबर, 2021 को “सऊदी ग्रीन इनिशिएटिव फोरम” शुरू किया।
मुख्य बिंदु
- इस फोरम को सऊदी अरब के नए “हरित” उद्देश्यों की घोषणा के साथ रियाद में लॉन्च किया गया।
- यह फोरम अंतर्राष्ट्रीय हस्तियों और हाई-प्रोफाइल सरकारी नेताओं के साथ सऊदी अरब द्वारा किए गए पर्यावरणीय प्रयासों पर चर्चा करेगा।
- इस मंच में, सऊदी अरब ने पर्यावरण की रक्षा और जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए सऊदी अरब के रोडमैप की भी घोषणा की।
ऊर्जा क्षेत्र में पहल
- सऊदी अरब ने भी ऊर्जा क्षेत्र में पहल शुरू की। इन पहलों से वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में सालाना 278 मिलियन टन की कमी आएगी।
- क्राउन प्रिंस ने सऊदी अरब के ग्लोबल मीथेन प्लेज (Global Methane Pledge) में शामिल होने की भी घोषणा की। यह प्रतिज्ञा दुनिया भर में मीथेन उत्सर्जन को 30% तक कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।
- उन्होंने सऊदी अरब के ग्लोबल ओशन एलायंस, स्पोर्ट्स फॉर क्लाइमेट एक्शन एग्रीमेंट, एलायंस टू एलिमिनेट प्लास्टिक वेस्ट इन ओशन्स एंड बीच्स के साथ-साथ सस्टेनेबल टूरिज्म के लिए एक वैश्विक केंद्र स्थापित करने के इरादे की भी घोषणा की।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE