Current Affairs – 26 November, 2021
एक्स शक्ति 2021
द्विवार्षिक भारत-फ्रांस सैन्य अभ्यास ‘एक्स शक्ति 2021’ का छठा संस्करण 12 दिनों के गहन संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण के बाद 25 नवंबर, 2021 को संपन्न हुआ। इस सैन्य अभ्यास में कृत्रिम इंसर्जेंसी का मुकाबला करने/आतंकवाद विरोधी माहौल से निपटने में चरमपंथी समूहों पर अपनी युद्ध शक्ति और प्रभुत्व का प्रदर्शन किया गया। इस सैन्य अभ्यास ने दोनों सैन्य टुकड़ियों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत संयुक्त माहौल में आतंकवाद विरोधी अभियानों में प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर प्रदान किया।
यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया, जिसमें मुकाबले की तैयारी और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए सामरिक प्रशिक्षण सहित अर्ध शहरी वातावरण में प्रशिक्षण की वैधता भी शामिल थी। दोनों टुकड़ियों ने अपनी सर्वोत्तम परिचालन प्रक्रियाओं और अनुभवों को साझा किया। दोनों सेनाओं की टुकड़ियों ने न केवल सामरिक अभ्यासों में बल्कि खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भी कंधे से कंधा मिलाकर सद्भाव की भावना को विकसित किया।
दोनों ही सैन्य टुकड़ियों ने इस अभ्यास के दौरान हासिल किए गए मानकों के संदर्भ में इस अभ्यास से अर्जित परिणामों पर संतोष व्यक्त किया। यह अभ्यास विश्व को आतंकवाद से मुक्त करने की शपथ की दिशा में एक और उल्लेखनीय मील का पत्थर साबित हुआ है। इस अभ्यास ने निश्चित रूप से दोनों भागीदार देशों के बीच सैन्य कूटनीति को आगे बढ़ाने में एक अन्य आयाम भी जोड़ा है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
‘स्वच्छ कार्यालय’ अभियान
“स्वच्छ कार्यालय” स्वस्थ और स्वच्छ कार्य वातावरण को बढ़ावा देता है। स्वच्छता की भावना को अतिरिक्त प्रोत्साहन देते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने एक विशेष कार्यालय स्वच्छता अभियान चलाया जिसमें पुरानी फाइलों और अनुपयोगी वस्तुओं के संग्रह का नीलामी द्वारा निपटान शामिल था।
स्वच्छता अभियान के तहत केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, श्री राजीव चंद्रशेखर ने एमईआईटीवाई कार्यालय परिसर का निरीक्षण किया। एमईआईटीवाई के सचिव श्री अजय साहनी ने भी बाद में दिन में एक निरीक्षण किया, जिसके बाद भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) द्वारा अंतिम निरीक्षण किया गया।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआर एंड पीजी) द्वारा “लंबित मामलों के निपटान के लिए स्वच्छता आकलन विशेष अभियान” शीर्षक वाली मूल्यांकन रिपोर्ट में, एमईआईटीवाई द्वारा चार पहलों को “सर्वोत्तम अभ्यास – उल्लेखनीय पहल” सूची में शामिल किया गया था। इनमें शामिल है:
- पानी का पुन: उपयोग (आरओ द्वारा अपशिष्ट जल एकत्र किया जाता है और पौधों को पानी देने तथा सफाई के काम के लिए उपयोग किया जाता है)
- तहखाने में जल उपचार संयंत्र स्थापित करने से पानी की शून्य बर्बादी और पुनर्चक्रण सुनिश्चित किया जाता है।
- ऊर्जा संरक्षण के लिए सोलर पैनल लगाए गए।
- कम्पोस्ट मशीन जो प्रतिदिन 100 किलोग्राम जैविक कचरे से खाद बना सकती है। कम्पोस्ट मशीन से प्राप्त खाद का उपयोग दोनों परिसरों के बगीचों में किया गया है।
इस अभियान के पीछे के आदर्शों तथा सिद्धांतों के अनुरूप और स्वच्छ भारत मिशन के बड़े लक्ष्यों के साथ, एमईआईटीवाई के सभी कर्मचारियों ने कार्यालय में स्वच्छता और साफ-सफाई के आदर्शों का पालन करने और बेहतर कार्य संस्कृति के लिए स्वच्छ कार्यालय तथा स्वच्छ कार्य वातावरण बनाए रखने का संकल्प लिया। इस “संकल्प” का संचालन श्री अजय साहनी, सचिव, एमईआईटीवाई द्वारा किया गया था।
“स्वच्छ कार्यालय” पहल, पहली बार 2015 में सरकारी कार्यालयों और इमारतों की सफाई के लिए विषयगत अभियान के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी, जिसमें सरकारी कार्यालयों के लोगों की व्यापक भागीदारी देखी गई थी। इसने इस अभियान को “जन आंदोलन” बनने के लिए प्रेरित किया। एक स्वच्छ और साफ कार्य वातावरण बनाए रखना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि एक स्वच्छ और साफ घर को बनाए रखना। “स्वच्छ कार्यालय” के लिए मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप, यह अभियान एक क्रांतिकारी अभियान को चिह्नित करता है जो न केवल स्वस्थ कार्यालयों में योगदान देगा बल्कि वास्तव में “स्वच्छ भारत” की शुरुआत करेगा। एसओपी बुनियादी ढांचे के मानदंडों, मूल्यांकन और निरीक्षण प्रक्रियाओं, जांच सूची, स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन कार्यालयों में पालन की जाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं को निर्धारित करता है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
जनजातीय उद्यमशीलता
जनजातीय उद्यमशीलता की एक और मिसाल के रूप में नगालैंड उभरकर सामने आया है, जिसने पूरे देश के सामने यह दिखा दिया है कि कैसे समूह विकास तथा मूल्य संवर्धन सदस्यों को ज्यादा आय अर्जित करने में मदद करते हैं। ये समूह वन धन योजना के तहत विकसित किये गये हैं। उल्लेखनीय है कि वन धन योजना की शुरूआत जनजातीय मंत्रालय के भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास महासंघ (ट्राइफेड) ने राज्य विभागों के सहयोग से की है। योजना का लक्ष्य है कि वित्तीय पूंजी, प्रशिक्षण, सलाह आदि प्रदान करके जनजातियों को शक्तिसम्पन्न बनाना, ताकि वे अपने कारोबार तथा अपनी आय को बढ़ा सकें।
नगालैंड मधुमक्खी पालन और शहद मिशन, राज्य में शहद उत्पादन की नोडल एजेंसी है। यह उपरोक्त समूहों के लिये क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में काम करती है। मिशन ने केवल मधुमक्खी पालन के लिये वन धन योजना का क्रियान्वयन किया है। पहले चरण में यह अकेला लघु वन्य उत्पाद है, जिसे शुरू में चार जिलों के पांच वन धन विकास केंद्र समूहों ने लागू किया था। चूंकि शहद उत्पादन मौसमी गतिविधि है और मौसम खत्म होने के दौरान या उसका अभाव हो जाने पर वन धन स्वसहायता समूह के सदस्यों के पास कोई काम नहीं रहता। इसलिये वन धन विकास केंद्र समूह की गतिविधियां साल भर चलाये रखने के लिये राज्य क्रियान्वयन एजेंसी ने विचार किया कि पहाड़ी घास (झाड़ू बनाने के काम आने वाली घास), ढींगरी खुम्बी (ऑयस्टर मशरूम), अदरक और माजूफल (गॉल-नट) जैसे अन्य लघु वन्य उत्पादों के लिये कोशिश की जाये।
ढींगरी मशरूम की खेती की शुरूआत कुछ चुने हुये स्वसहायता समूहों ने महामारी के दौरान किया था। आगे चलकर राज्य क्रियान्वयन एजेंसी ने इसके भारी उत्पादन, बाजार में इसकी खपत की अपार संभावनाओं तथा इसके सकारात्मक स्वास्थ्य पक्षों को देखते हुये इसके उत्पादन में जुट गयी। वन धन विकास केंद्र समूह अब बड़े पैमाने पर ढींगरी मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि आने वाले महीनों में लगभग पांच मीट्रिक टन कच्ची खुम्बी पैदा की जाये, जो “गुलाबी और सफेद” किस्मों की होंगी।
ट्राइफेड की कोशिशों से ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य और लघु वन्य उत्पाद के लिये मूल्य श्रृंखला के विकास के माध्यम से लघु वन्य उत्पादों की विपणन प्रणाली’ ने जनजातीय इको-सिस्टम को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। इसकी खरीद 30 करोड़ रुपये से बढ़कर 1853 करोड़ रुपये जा पहुंची है, जिसके लिये भारत सरकार तथा देश की राज्य सरकारों की निधियों का इस्तेमाल किया गया है। वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप इसी योजना का घटक हैं, जो वन्य उत्पाद जमा करने वाली और जंगल में निवास करने वाली जनजातियों तथा मकानों में रहने वाले जनजातीय शिल्पकारों के लिये रोजगार पैदा करने के स्रोत के रूप में सामने आये हैं।
अकेले नगालैंड राज्य के लिये, 285 वन धन स्वसहायता समूहों को मंजूरी दी गई है, जिन्हें 19 वन धन विकास केंद्र समूहों में शामिल किया गया है। इनमें से नौ वन धन विकास केंद्र समूहों (135 वन धन स्वसहायता समूह) को संचालित कर दिया गया है। इनमें जुन्हेबोटो, वोखा, तुएनसांग, फेक और मोकोकचुंग जिले शामिल हैं। वन धन विकास केंद्र समूह मौजूदा समय में जंगली शहद, अमला, माजूफल, पहाड़ी नीम, बेलचंडा, हल्दी, पहाड़ी घास, ढींगरी खुम्बी का उत्पादन कर रहे हैं। इसके लिये अतिरिक्त लघु वन्य उत्पादों का मूल्य संवर्धन किया गया है, जिसके कारण लगभग 5700 सदस्यों को फायदा मिल रहा है। अब तक वन धन विकास केंद्र समूहों द्वारा 35.32 लाख रुपये की बिक्री हो चुकी है, जिसके आधार पर नगालैंड के जनजातीय समुदायों की आर्थिक उन्नति भी हुई है और वे शक्तिसम्पन्न भी हुये हैं।
वन धन जनजातीय स्टार्ट-अप इसी योजना का घटक हैं, जो वन्य उत्पाद जमा करने वाली और जंगल में निवास करने वाली जनजातियों तथा घरों में रहने वाले जनजातीय शिल्पकारों के लिये रोजगार पैदा करने के स्रोत के रूप में सामने आये हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल, 2018 को बीजापुर, छत्तीसगढ़ में पहले वन धन केंद्र का उद्घाटन किया था। यह जनजातीय उत्पदों के लिये मूल्य संवर्धन केंद्र के रूप में शुरू हुआ था और दो वर्ष से भी कम समय में 37,362 वन धन स्वसहायता समूहों को 2240 वन धन विकास केंद्र समूहों में समेटा गया था। इनमें से प्रत्येक में 300 वनवासी शामिल थे। इसे ट्राइफेड ने मंजूरी दी थी। वन धन योजना की शुरूआत से ही ट्राइफेड के पास यह दायित्व था कि वह इस साल मिशन मोड में कार्यक्रम के शुरू होने के बाद 50 हजार वन धन स्वसहायता समूहों को स्थापित कर दे। ट्राइफेड ने 50 हजार वन धन स्वसहायता समूहों को मंजूरी देने का कारनामा 15 अक्टूबर, 2021 को कर दिखाया। अब 52,976 वन धन स्वसहायता समूह हो गये हैं, जिन्हें 3110 वन धन विकास केंद्र समूहों में बांट दिया गया है।यह योजना परिवर्तन के प्रकाश-स्तंभ के रूप में सामने आयी है, जिसने जनजातीय इको-सिस्टम पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है, क्योंकि यह जनजातियों के लिये रोजगार का स्रोत बनी है। कार्यक्रम की खूबी इस तथ्य में निहित है कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि मूल्यसंवर्धित उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय सीधे जनजातियों को प्राप्त होती है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1
COVID वेरिएंट्स
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने COVID-19 के दक्षिण अफ्रीकी संस्करण से उत्पन्न जोखिम पर अलर्ट जारी किया है।
मुख्य बिंदु
- नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) ने बताया है कि हाल के दिनों में “COVID-19 वेरिएंट 1.1529” के कई मामले सामने आए हैं।
- बोत्सवाना ने 3 मामले दर्ज किए, दक्षिण अफ्रीका ने 6 मामले दर्ज किए जबकि हांगकांग ने 1 मामले की सूचना दी है।
- इस वेरिएंट में काफी अधिक संख्या में उत्परिवर्तन (mutation) होने की सूचना मिली थी। इस प्रकार, वीजा प्रतिबंधों में ढील और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को खोलने के बाद इसके गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य निहितार्थ हैं।
अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए नए मानदंड
ये देश भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की ‘जोखिम में’ देश श्रेणी का हिस्सा हैं। इन यात्रियों की कड़ी जांच की जाएगी। इस श्रेणी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार उनके संपर्कों पर बारीकी से नज़र रखी जाएगी और उनका परीक्षण किया जाएगा। यदि वे सकारात्मक परीक्षण करते हैं, तो उनके नमूने भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) को भेजे जाने चाहिए।
INSACOG
25 दिसंबर, 2020 को स्वास्थ्य INSACOG और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित किया गया मंच है। इसे भारत में COVID-19 के विभिन्न उपभेदों के जीनोम अनुक्रमण और वायरस भिन्नता का अध्ययन और निगरानी करने के लिए स्थापित किया गया था। प्रारंभिक चरण में, इसे यूनाइटेड किंगडम में पाए जाने वाले वायरस प्रकार बी.1.1.7 का अध्ययन करने का काम सौंपा गया था।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3
मैसूर घोषणा
22 नवंबर, 2021 को आयोजित ‘नागरिक चार्टर और पंचायतों द्वारा सेवाओं की डिलीवरी’ पर एक राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला के दौरान, 16 राज्यों के प्रतिभागियों ने “मैसूर घोषणा” (Mysuru Declaration) पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत, इन राज्यों ने 1 अप्रैल, 2022 से भारत में पंचायतों द्वारा सामान्य न्यूनतम सेवा वितरण शुरू करने का संकल्प लिया।
मैसूर घोषणा (Mysuru Declaration) क्या है?
- मैसूर घोषणा का उद्देश्य नागरिक केंद्रित सेवाओं को “शासन के केंद्र” के रूप में मान्यता देना है।
- यह घोषणापत्र सेवा वितरण के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, जो या तो सीधे पंचायतों द्वारा प्रदान की जाती हैं या पंचायतों द्वारा सुगम अन्य विभागों की सेवाओं द्वारा प्रदान की जाती हैं।
भाग लेने वाले राज्यों द्वारा की गई प्रतिबद्धताएं
इस घोषणा के एक भाग के रूप में, भाग लेने वाले राज्यों ने निम्नलिखित के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है:
- प्रभावी और समयबद्ध तरीके से जमीनी स्तर पर नागरिक सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाना।
- लोक सेवाओं को समय पर प्रदान करने के लिए पेशेवर सत्यनिष्ठा और जवाबदेही के उच्चतम मानकों को लागू करना।
कार्यशाला के बारे में
पंचायत राज मंत्रालय द्वारा अब्दुल नज़ीर राज्य ग्रामीण विकास और पंचायत राज संस्थान, मैसूर और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायत राज संस्थान, हैदराबाद के सहयोग से नागरिक चार्टर और पंचायतों द्वारा सेवाओं के वितरण पर राष्ट्रीय परामर्श कार्यशाला का आयोजन किया गया।
SOURCE-THE HINDU
PAPER-G.S.1
‘Supporting Andhra’s Learning Transformation (SALT)’ परियोजना
आंध्र प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार और विश्व बैंक ने “Supporting Andhra’s Learning Transformation (SALT) प्रोजेक्ट” के लिए $250 मिलियन के ऋण के लिए कानूनी समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
SALT प्रोजेक्ट
- SALT परियोजना का उद्देश्य आंध्र प्रदेश राज्य में 50 लाख से अधिक छात्रों के लिए सीखने की गुणवत्ता में सुधार करना है।
- इस परियोजना को निम्नलिखित को कवर करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था:
- 45,000 सरकारी स्कूलों में 6 से 14 वर्ष की आयु के 40 लाख छात्र
- आंगनवाड़ियों में नामांकित तीन से छह साल के 10 लाख बच्चे
- 1,90,000 शिक्षक
- 50,000 से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
- इस परियोजना के तहत आदिवासी प्रखंडों के 3,500 स्कूलों में एक वर्षीय प्रीस्कूल स्तर का पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।
- इस परियोजना को 5 साल की सीमा के साथ शुरू किया गया है, जो 2021-22 से शुरू होगा।
परियोजना का महत्व
SALT शिक्षकों को प्रशिक्षित करने, राज्य-स्तरीय मूल्यांकन की सुविधा और एक प्रभावी शिक्षा प्रबंधन और सूचना प्रणाली स्थापित करने के लिए अपनी तरह की पहली अभिनव परियोजना है। यह राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सार्वभौमिक पहुंच प्रदान करने में मदद करेगी। यह परियोजना सरकारी स्कूलों को जीवंत संस्थानों में बदलने के अपने दृष्टिकोण को पूरा करने में आंध्र प्रदेश का समर्थन करेगी जो बच्चों के लिए मूलभूत शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करेगा।
परियोजना की विशेषताएं
- यह पांच साल का परिणामोन्मुखी कार्यक्रम है, जिसके लिए विश्व बैंक प्रमुख लक्ष्यों को हासिल करने के बाद फंड जारी कर रहा है।
- इस परियोजना के तहत, सरकार ने राज्य में सभी आंगनवाड़ियों को प्री-प्राइमरी स्कूलों में बदल दिया है और उन्हें नजदीकी स्कूलों से जोड़ दिया है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE