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Current Affair 28 August 2021

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Current Affairs – 28 August, 2021

जन धन योजना के सात साल पूर्ण होने

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पीएम जन धन योजना के सात वर्ष पूरा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों के अथक प्रयासों की भी सराहना की, जिन्होंने पीएम जन धन योजना को सफल बनाने के लिए काम किया है।

प्रधानमंत्री ने कई ट्वीट के माध्यम से कहा;

“आज भारत के विकास की दिशा को हमेशा के लिए बदलने वाली एक पहल #PMJanDhan के सात साल पूरे हो रहे हैं। इसने वित्तीय समावेशन और गरिमापूर्ण जीवन के साथ अनगिनत भारतीयों का सशक्तिकरण सुनिश्चित किया है। जन धन योजना से पारदर्शिता बढ़ाने में भी सहायता मिली है।

मैं उन सभी लोगों के अथक प्रयासों की सराहना करता हूं, जिन्होंने #PMJanDhan को सफल बनाने के लिए काम किया है। उनके प्रयासों ने भारतीयों के जीवन को ज्यादा गुणवत्तापूर्ण बनाना सुनिश्चित किया है।

गरीबी दूर करने के लिए भारत सरकार ने वित्तीय समावेशन को बेहद महत्वपूर्ण बताया है। यदि लोग बड़ी संख्या में वित्तीय सेवाओं से वंचित रहेंगे तो यह हमारे देश के विकास में बाधा बनेगा। नागरिकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इस योजना की आवश्यकता थी जिससे सभी इससे होने वाले लाभ और विकास का हिस्सा बन सकें।

विश्व की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन योजना प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को ऐतिहासिक लाल किले से की थी जिसका शुभारम्भ 28 अगस्त 2014 को पूरे देश में किया गया। योजना के शुभारम्भ के समय माननीय प्रधानमंत्री जी ने इसे गरीबों की इस दुष्चक्र से मुक्ति के त्योहार के रूप में मनाने का अवसर बताया।

माननीय प्रधानमंत्री जी ने एक प्राचीन संस्कृत श्लोक – सुखस्य मूलम धर्मः, धर्मस्य मूलम अर्थः, अर्थस्य मूलम राज्यम का सन्दर्भ दिया जिसके अनुसार आर्थिक गतिविधियों में लोगों को शामिल करने की ज़िम्मेदारी राज्य की है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि “सरकार ने यह ज़िम्मेदारी उठा ली है”। प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए तक़रीबन 7.25 लाख बैंक कर्मचारियों को ईमेल भेजा था जिसमें उन्होंने 7.5 करोड़ बैंक खातों को खोलने के लक्ष्य को प्राप्त करने और वित्तीय अस्पृश्यता को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया था।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना क्या है?

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है जिसका उद्देश्य बैंकिंग/बचत, जमा खाता, प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन इत्यादि वित्तीय सेवाओं को प्रभावी ढंग से सभी तक पहुँचाना है।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पीएमजेडीवाईगिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में पीएमजेडीवाई

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है ने भी प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) के तहत प्राप्त उपलब्धियों को सराहा है। इसमें यह कहते हुए प्रमाण-पत्र जारी किया गया “वित्तीय समावेशन अभियान” के एक भाग के रूप में एक सप्ताह में जो सबसे अधिक बैंक खाते खोले गए, उसकी संख्या है – 18,096,130 और भारत सरकार के वित्तीय सेवा विभाग ने 23 से 29 अगस्त 2014 के बीच यह उपलब्धि हासिल की। केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाय) को अर्थव्यवस्था का एक जबर्दस्त परिवर्तन बताया एवं कहा कि इससे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिए एक मंच मिला है जिससे सब्सिडी में आ रही खामियों को दूर करने में मदद मिलेगी एवं राजकोष में बचत को बल मिलेगा।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

भारत छोड़ो आंदोलनकी 79वीं वर्षगांठ

मुख्य आकर्षणः

यह प्रदर्शनी भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार, नई दिल्ली में आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के एक अंग के रूप में लगाई गई है।

यह प्रदर्शनी 9 अगस्त से 8 नवंबर, 2021 को सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक जनता के लिए खुली है।

प्रदर्शनी भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान की घटनाओं के चित्र, आधिकारिक दस्तावेज, एलईडी मानचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित करती है।

आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ पर इस प्रदर्शनी को राष्ट्रीय अभिलेखागार में लगाया गया है। इस प्रदर्शनी में सार्वजनिक अभिलेखों, निजी पत्रों, मानचित्रों, तस्वीरों और अन्य प्रासंगिक सामग्री के माध्यम से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन के महत्व को दर्शाने का प्रयास किया गया है। यह प्रदर्शनी 9 अगस्त से 8 नवंबर, 2021 तक सुबह 10 बजे से शाम 5:30 बजे तक आम जनता के लिए खुली है।

भारत छोड़ो आंदोलन की यात्रा को दर्शाने वाली कुछ झलकियां और विभिन्न रोचक खंडों को नीचे दर्शाया गया है।

भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख परिस्थितियां :

अंग्रेजों ने भारतीय नेताओं की सहमति के बिना 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भागीदारी की घोषणा की, जिसके कारण ब्रिटिश भारत के प्रांतों के मंत्रालयों ने इस्तीफा दे दिया। दाईं ओर भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि दिखाई गई है।

द ब्रेकडाउन : क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद की स्थिति को प्रदर्शनी में सही तरीके से दर्शाया गया है। क्रिप्स मिशन की विफलता ही भारत छोड़ो आंदोलन का तात्कालिक कारण बनी। गांधी जी ने मिशन को पोस्ट डेटेड चेक बताया।

22 अप्रैल, 1942 को एक पत्र के माध्यम से क्रिप्स मिशन पर श्री महादेव देसाई की राय को प्रदर्शनी में दर्शाया गया है।

द सीक्रेट : प्रदर्शनी उस समय के गुप्त दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए कुछ अज्ञात और रोचक तथ्यों पर प्रकाश डालती है। क्रिप्स मिशन पर मुस्लिम लीग की स्थिति को दर्शाने वाला ब्रिटिश भारत का इंटेलिजेंस ब्यूरो दस्तावेज़ यहां दिया गया है।

द पोइट्री : प्रदर्शित कविताएँ साहित्य प्रेमियों के लिए प्रमुख आकर्षण हैं। कविता क्या चाहते हैं शीर्षक से भारतीयों की ब्रिटिश गुलामी से मुक्त होने की आकांक्षाओं पर प्रकाश डालती है।

द कॉल : महात्मा गांधी ने करो या मरो का आह्वान किया था। प्रदर्शनी में दर्शाए गए दस्तावेज दर्शकों को हमारे नेताओं द्वारा किए गए बलिदानों के प्रति श्रद्धा भाव से भर देते हैं। करो या मरो के आह्वान ने भारत छोड़ो आंदोलन का शुभारंभ किया और अगले दिन महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदर्शनी आंदोलन के दौरान समाचार पत्रों द्वारा निभाई गई भूमिका पर प्रकाश डालती है।

द रेवलूशन : कई महत्वपूर्ण नेताओं की गिरफ्तारी के कारण ऊषा मेहता और राम मनोहर लोहिया द्वारा गुप्त और भूमिगत रेडियो स्टेशन की शुरुआत हुई। प्रदर्शनी इस कथन को सही तरीके से दर्शाती है कि क्रांति को कारावास में कैद नहीं किया जा सकता।

द सैक्रफाइस : प्रदर्शनी सैन्य और पुलिस कार्रवाई में मारे गए और घायल लोगों की संख्या के रिकॉर्ड को दिखाते हुए आंदोलन के दौरान बलिदान और संघर्ष को दर्शाती है।

द पैरलेल गवर्नमेंट : उत्तर प्रदेश में बलिया सहित देश के विभिन्न हिस्सों में स्वतंत्रता की घोषणा को दर्शाने वाली प्रस्तुति प्रदर्शनी का प्रमुख आकर्षण है।

कुछ अन्य विशेषताएं

अखबार की रिपोर्ट एक दिलचस्प घटना दिखाती है जहां विंस्टन चर्चिल के नाम से गधों को शहर में छोड़ दिया गया था। प्रदर्शनी में दर्शायी गई प्रबुद्ध प्रस्तुतियाँ अभिनव स्वरूप है जिन्हें तीन आयामी घटनाओं के रूप में दिखाया गया है।

भारत छोड़ो आन्दोलन

भारत छोड़ो आन्दोलन, द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को आरम्भ किया गया था।[1] यह एक आन्दोलन था जिसका लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई अधिवेशन में शुरू किया गया था। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विश्वविख्यात काकोरी काण्ड के ठीक सत्रह साल बाद ९ अगस्त सन १९४२ को गांधीजी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ आरम्भ हुआ। यह भारत को तुरन्त आजाद करने के लिये अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक सविनय अवज्ञा आन्दोलन था।

क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का नाम दिया गया था। हालांकि गाँधी जी को फ़ौरन गिरफ़्तार कर लिया गया था लेकिन देश भर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फ़ोड़ की कार्रवाइयों के जरिए आंदोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत प्रतिरोधि गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय थे। पश्चिम में सतारा और पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार, प्रतिसरकार की स्थापना कर दी गई थी। अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

स्वदेश निर्मित जहाज़ विग्रह

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिनांक 28 अगस्त, 2021 को चेन्नई में स्वदेश निर्मित तटरक्षक पोत ‘विग्रह’ राष्ट्र को समर्पित किया। इसे ‘आत्मनिर्भर भारत’ की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह जहाज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सफल साझेदारी का एक आदर्श उदाहरण है और भारत की तटीय रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार का प्रतिबिंब भी है। यह कहते हुए कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी ‘आत्मनिर्भर भारत’ को प्राप्त करने का मार्ग है, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय रक्षा के इतिहास में पहली बार एक या दो नहीं बल्कि सात जहाजों के अनुबंधों पर एक निजी क्षेत्र की कंपनी के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि 2015 में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के सात वर्षों के भीतर न केवल लॉन्च बल्कि इन सभी सात जहाजों की कमीशनिंग भी आज पूरी हो गई है।

बदलते वैश्विक सुरक्षा परिवेश पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया भर के देश अपनी सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहे हैं और सरकार विभिन्न सुधारों के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि भारत पीछे न रहे। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम एक मजबूत और शक्तिशाली सेना और आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग विकसित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। “उन्होंने रक्षा क्षेत्र में लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सरल बनाने, एओएन और आरएफपी प्रक्रियाओं को तेज करने, निर्यात पर जोर देने, निजी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने, रक्षा गलियारों की स्थापना, नई रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 की घोषणा समेत कुछ सुधारों का उदाहरण दिया।

रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इन सुधारों के कारण भारत जल्द ही एक रक्षा विनिर्माण केंद्र बन जाएगा जो न केवल घरेलू जरूरतों कोबल्कि पूरी दुनिया की जरूरतों को भी पूरा करेगा। उन्होंने देश भर में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में मनाए जा रही स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर इस दिशा में आगे बढ़ने के सरकार के संकल्प को दोहराया।

यह कहते हुए कि देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और व्यापारिक संबंध लगातार उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं, रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत इन घटनाओं से अछूता नहीं रह सकता क्योंकि “हमारे हित सीधे हिंद महासागर से जुड़े हुए हैं”। उन्होंने हिंद महासागर क्षेत्र को न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग बताया क्योंकि यह दो-तिहाई से अधिक तेल शिपमेंट, एक तिहाई थोक माल और आधे से अधिक कंटेनर यातायात का केंद्र है। लगातार बदलते क्षेत्रीय परिदृश्य के साथ श्री राजनाथ सिंह ने हर समय सतर्क रहने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें, एक राष्ट्र के रूप में, दुनिया भर में अनिश्चितताओं और उथल-पुथल के इस समय में अपनी सतर्कता का स्तर ऊंचा रखना चाहिए।”

रक्षा मंत्री ने मित्रता, खुलेपन, संवाद और पड़ोसियों के साथ सह-अस्तित्व की भावना पर ध्यान केंद्रित रखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन) के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में अपने कर्तव्य का विशेष ध्यान रखने वाले तटरक्षक के प्रयासों की सराहना की।

श्री राजनाथ सिंह ने समावेश की भावना के अनुरूप पड़ोसी देशों को सहायता प्रदान करने में भारतीय तटरक्षक की भूमिका को याद किया। उन्होंने पिछले साल वेरी लार्ज क्रूड कैरियर एमटी ‘न्यू डायमंड’ और मालवाहक जहाज एमवी ‘एक्स-प्रेस पर्ल’ को बचाने में सक्रिय सहायता प्रदान करने में तटरक्षक की भूमिका की सराहना की। उन्होंने ‘वाकाशियो’ मोटर पोत से तेल रिसाव के दौरान मॉरीशस को प्रदान की गई सहायता के लिए तटरक्षक बल के प्रयासों को भी सराहा।

आईसीजीएस ‘विग्रह’ विशाखापत्तनम में स्थित होगा और कमांडर, तटरक्षक क्षेत्र (पूर्व) के संचालनतथा प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत के पूर्वी समुद्र तट पर संचालित होगा। आईसीजीएस विग्रह की कमान कमांडेंट पीएन अनूप के पास है और इसमें 11 अधिकारी तथा 110 जवान हैं।

कुल 98 मीटर लंबाई वाले ओपीवी को मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो शिप बिल्डिंग लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है, और यह उन्नत प्रौद्योगिकी रडार, नेविगेशन तथा संचार उपकरण, सेंसर और मशीनरी से सुसज्जित है जो उष्णकटिबंधीय समुद्री परिस्थितियों में काम करने में सक्षम है। पोत 40/60 बोफोर्स तोप से लैस है और अग्नि नियंत्रण प्रणाली के साथ दो 12.7 मिमी स्थिर रिमोट कंट्रोल गन (एसआरसीजी) से सुसज्जित है। जहाज इंटीग्रेटेड ब्रिज सिस्टम (आईबीएस), इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (आईपीएमएस), ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम (एपीएमएस) और हाई-पावर एक्सटर्नल फायरफाइटिंग (ईएफएफ) सिस्टम से भी लैस है। जहाज को बोर्डिंग ऑपरेशन, खोज और बचाव, कानून प्रवर्तन और समुद्री गश्त के लिए एक ट्विन इंजन हेलीकॉप्टर और चार हाई स्पीड नौकाएं ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जहाज समुद्र में तेल रिसाव को रोकने के लिए सीमित प्रदूषण प्रतिक्रिया उपकरण ले जाने में भी सक्षम है। जहाज लगभग 2200 टन वज़न विस्थापित करने में सक्षम है और 9100 किलोवाट के दो डीजल इंजनों द्वारा संचालित किया जाता है ताकि किफायती गति पर 5000 नॉटिकल माइल की एंड्योरेंस के साथ 26 समुद्री मील प्रति घंटे की अधिकतम गति प्राप्त की जा सके।

तटरक्षक बल के पूर्वी बेड़े में शामिल होने पर तटरक्षक चार्टर में निहित ईईजेड निगरानी और अन्य कर्तव्यों के लिए बड़े पैमाने पर भारत के सामुद्रिक हितों की रक्षा के लिये जहाज को तैनात किया जाएगा। इस जहाज के बेड़े में शामिल होने पर भारतीय तटरक्षक की सूची में 157 जहाज और 66 विमान होंगे।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

Forum for Decarbonising Transport

भारत के नीति आयोग और World Resources Institute (WRI) ने मिलकर 23 अगस्त, 2021 को भारत में ‘Forum for Decarbonizing Transport’ लॉन्च किया।

मुख्य बिंदु

  • यह फोरम वर्चुअली NDC-Transport Initiative for Asia (NDC-TIA) परियोजना के हिस्से के रूप में लांच किया गया था।
  • इसका उद्देश्य एशिया में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (परिवहन क्षेत्र) के चरम स्तर को कम करना है जो वायु प्रदूषण और भीड़भाड़ जैसी समस्याओं के कारण बढ़ रहा है।
  • इसे 2-डिग्री से नीचे के मार्ग के अनुरूप लॉन्च किया गया था।

भारत में CO2 उत्सर्जन

भारत में एक विशाल और विविध परिवहन क्षेत्र शामिल है। यह तीसरा सबसे अधिक CO2 उत्सर्जक क्षेत्र भी है। IEA 2020 और पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय 2018 के आंकड़ों के अनुसार, परिवहन क्षेत्र के भीतर, सड़क परिवहन कुल CO2 उत्सर्जन में 90% से अधिक का योगदान देता है।

भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

भारत सरकार विभिन्न नीतियों और पहलों की मदद से सड़क परिवहन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए काम कर रही है। सरकार का प्राथमिक ध्यान भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाने पर है। नीति आयोग ट्रांसफॉर्मेटिव मोबिलिटी और बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय मिशन (National Mission on Transformative Mobility & Battery Storage) की मदद से इलेक्ट्रिक वाहनों और सतत गतिशीलता (sustainable mobility) को बढ़ावा दे रहा है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

भारत-जर्मनी ने अदन की खाड़ी में संयुक्त अभ्यास किया

भारत और जर्मनी की नौसेनाओं ने 26 अगस्त, 2021 को अदन की खाड़ी (Gulf of Aden) में एक संयुक्त अभ्यास किया।

मुख्य बिंदु

  • संयुक्त अभ्यास में हेलीकॉप्टर लैंडिंग के साथ-साथ खोज और जब्ती अभियान शामिल थे।
  • भारतीय नौसेना के फ्रिगेट ‘त्रिकंद’ ने ‘बायर्न’ नामक जर्मन फ्रिगेट के साथ अभ्यास किया।
  • आईएनएस त्रिकंद को अदन की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी गश्त के लिए तैनात किया गया है।

अभ्यास का महत्व

इंडो-पैसिफिक डिप्लॉयमेंट 2021 के हिंद महासागर चरण में दोनों नौसेनाओं के बीच अभ्यास ने अंतर-क्षमता को बढ़ाया और समुद्री क्षेत्र में उनके बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की।

भारत-जर्मनी रक्षा संबंध

भारत और जर्मनी की नौसेनाओं ने 2008 में पहली बार संयुक्त अभ्यास का आयोजन किया, जब दोनों देशों ने 2006 में एक समुद्री डकैती-विरोधी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए।

जर्मनी की सेना

जर्मनी की सेना को मुख्य रूप से पूर्वी यूरोप की रक्षा के लिए और संचालन के पश्चिमी यूरोप में नाटो के ऑपरेशन का समर्थन करने के लिए संरचित किया गया है। जर्मनी के पास भारत-प्रशांत क्षेत्र में कोई संप्रभु क्षेत्र नहीं है और ब्रिटेन या फ्रांस के विपरीत, इस क्षेत्र में शक्ति प्रक्षेपण में भी असमर्थ है।

भारत-जर्मनी संबंध (India-Germany Relations)

यूरोप में जर्मनी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। जर्मनी को भारत का निर्यात मुख्य रूप से कपड़ा क्षेत्र, रासायनिक उत्पादों, धातु और चमड़े के सामान, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उत्पादों और खाद्य पदार्थों पर केंद्रित है। जर्मनी भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार वार्ता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जिसे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश समझौता (Bilateral Trade and Investment Agreement – BTIA) कहा जाता है। इसके अलावा, भारत मेक इन इंडिया कार्यक्रम में निवेश करने और योगदान करने के लिए जर्मनी की कंपनियों के लिए एक हॉट डेस्टिनेशन के रूप में कार्य कर सकता है।

SOURCE-GK TODAY

 

QSim

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने भारत का पहला ‘क्वांटम कंप्यूटर सिम्युलेटर (QSim) टूलकिट’ लॉन्च किया है।

प्रमुख बिंदु

  • QSim भारत में स्वदेशी रूप से विकसित अपनी तरह का पहला टूलकिट है।
  • यह क्वांटम कंप्यूटर की मदद से प्रोग्रामिंग के व्यावहारिक पहलुओं को सीखने और समझने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस प्रकार यह भारत में क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान का एक नया युग लाएगा।
  • इस टूलकिट को IIT रुड़की, C-DAC और IISc बैंगलोर के वैज्ञानिकों ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
  • इसे MeitY के समर्थन और वित्त पोषण के साथ विकसित किया गया था।

टूलकिट

  • इस टूलकिट को शोधकर्ताओं और छात्रों को क्वांटम कंप्यूटिंग में लागत प्रभावी तरीके से शोध करने में सक्षम बनाने के लिए लॉन्च किया गया है।
  • यह शोधकर्ताओं और छात्रों को क्वांटम कोड लिखने और डिबग करने की अनुमति देता है जो क्वांटम एल्गोरिदम विकसित करने के लिए आवश्यक है।
  • QSim एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनाता है जो छात्रों और यूजर्स को वास्तविक क्वांटम हार्डवेयर की प्रोग्रामिंग और डिजाइनिंग का कौशल हासिल करने में मदद करेगा।

QSim की मुख्य विशेषताएं

QSim की सबसे अनूठी विशेषता इसका सहज यूजर इंटरफ़ेस है। यह इंटरफ़ेस एक मजबूत क्वांटम कंप्यूटर सिम्युलेटर के साथ-साथ एक ग्राफिकल यूजर इंटरफेस आधारित वर्कबेंच के साथ एक एकीकृत तरीके से क्वांटम प्रोग्राम बनाने में मदद करता है।

क्वांटम कम्प्यूटिंग

क्वांटम कम्प्यूटिंग क्वांटम यांत्रिकी की शक्ति का उपयोग करके वर्तमान समय के कंप्यूटरों की तुलना में तेजी से और कुशलता से विभिन्न प्रकार के कार्य करता है। इसका उपयोग क्रिप्टोग्राफी, मशीन लर्निंग और कम्प्यूटेशनल केमिस्ट्री के क्षेत्र में किया जाता है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.1

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