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Current Affair 28 May 2021

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CURRENTS AFFAIRS – 28th MAY 2021

वीर सावरकर

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीर सावरकर को उनकी जयंती पर श्रद्धाजंलि अर्पित की है। एक ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा “आजादी की लड़ाई के महान सेनानी और प्रखर राष्ट्रभक्त वीर सावरकर को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन।”

विनायक दामोदर सावरकर (जन्म : 28 मई 1883 – मृत्यु: 26 फरवरी 1966) एक राष्ट्रवादी नेता थे। उन्हें प्रायः स्वातन्त्र्यवीर , वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा (‘हिन्दुत्व’) को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय सावरकर को जाता है। वे एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार भी थे। उन्होंने परिवर्तित हिन्दुओं के हिन्दू धर्म को वापस लौटाने हेतु सतत प्रयास किये एवं इसके लिए आन्दोलन चलाये। उन्होंने भारत की एक सामूहिक “हिन्दू” पहचान बनाने के लिए हिंदुत्व का शब्द गढ़ा। उनके राजनीतिक दर्शन में उपयोगितावाद, तर्कवाद, प्रत्यक्षवाद (positivism), मानवतावाद, सार्वभौमिकता, व्यावहारिकता और यथार्थवाद के तत्व थे। सावरकर एक कट्टर तर्कबुद्धिवादी व्यक्ति थे जो सभी धर्मों के रूढ़िवादी विश्वासों का विरोध करते थे आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। इस अवधि में विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठित करके मित्र मेलों का आयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी।

1904 में उन्हॊंने अभिनव भारत नामक एक क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की। 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद उन्होने पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे में भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। बाल गंगाधर तिलक के अनुमोदन पर 1906 में उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली। इंडियन सोशियोलाजिस्ट और तलवार नामक पत्रिकाओं में उनके अनेक लेख प्रकाशित हुए, जो बाद में कलकत्ता के युगान्तर पत्र में भी छपे। सावरकर रूसी क्रान्तिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे। [10 मई, 1907 को इन्होंने इंडिया हाउस, लन्दन में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयन्ती मनाई। इस अवसर पर विनायक सावरकर ने अपने ओजस्वी भाषण में प्रमाणों सहित 1857 के संग्राम को गदर नहीं अपितु भारत के स्वातन्त्र्य का प्रथम संग्राम सिद्ध किया। जून, 1908 में इनकी पुस्तक द इण्डियन वॉर ऑफ़ इण्डिपेण्डेंस : 1857 तैयार हो गयी परन्त्तु इसके मुद्रण की समस्या आयी। इसके लिये लन्दन से लेकर पेरिस और जर्मनी तक प्रयास किये गये किन्तु वे सभी प्रयास असफल रहे। बाद में यह पुस्तक किसी प्रकार गुप्त रूप से हॉलैण्ड से प्रकाशित हुई और इसकी प्रतियाँ फ्रांस पहुँचायी गयीं। इस पुस्तक में सावरकर ने 1857 के सिपाही विद्रोह को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई बताया। मई 1909 में इन्होंने लन्दन से बार एट ला (वकालत) की परीक्षा उत्तीर्ण की परन्तु उन्हें वहाँ वकालत करने की अनुमति नहीं मिली। इस पुस्तक को सावरकार जी ने पीक वीक पेपर्स व स्काउट्स पेपर्स के नाम से भारत पहुचाई थी सावरकर ने 1857 की क्रान्ति पर आधारित पुस्तकें पढ़ी और “द हिस्ट्री ऑफ़ द वॉर ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेण्डेन्स” (The History of the War of Indian Independence) नामक किताब लिखी।

1 जुलाई 1909 को मदनलाल ढींगरा द्वारा विलियम हट कर्जन वायली को गोली मार दिये जाने के बाद उन्होंने लन्दन टाइम्स में एक लेख भी लिखा था। 13 मई 1910 को पैरिस से लन्दन पहुँचने पर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया परन्तु 8 जुलाई 1910 को एम॰एस॰ मोरिया नामक जहाज से भारत ले जाते हुए सीवर होल के रास्ते ये भाग निकले। 24 दिसम्बर 1910 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गयी। इसके बाद 31 जनवरी 1911 को इन्हें दोबारा आजीवन कारावास दिया गया। इस प्रकार सावरकर को ब्रिटिश सरकार ने क्रान्ति कार्यों के लिए दो-दो आजन्म कारावास की सजा दी, जो विश्व के इतिहास की पहली एवं अनोखी सजा थी।

नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अन्तर्गत इन्हें 7 अप्रैल, 1911 को काला पानी की सजा पर सेलुलर जेल भेजा गया।सावरकर 4 जुलाई, 1911 से 21 मई, 1921 तक पोर्ट ब्लेयर की जेल में रहे।1920 में वल्लभ भाई पटेल और बाल गंगाधर तिलक के कहने पर ब्रिटिश कानून ना तोड़ने और विद्रोह ना करने की शर्त पर उनकी रिहाई हो गई। सावरकर जी जानते थे कि सालों जेल में रहने से बेहतर भूमिगत रह करके उन्हें काम करने का जितना मौका मिले, उतना अच्छा है। उनकी सोच ये थी कि अगर वो जेल के बाहर रहेंगे तो वो जो करना चाहेंगे, वो कर सकेंगे जोकि अण्डमान निकोबार की जेल से सम्भव नहीं था।

SOURCE-PIB

 

आइसोथर्मल फोर्जिंग टेक्नोलॉजी

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अपने अद्वितीय 2000 मीट्रिक टन आइसोथर्मल फोर्ज प्रेस का उपयोग करके कठिन-से-विकृत टाइटेनियम मिश्र धातु से उच्च दबाव कंप्रेसर (एचपीसी) डिस्क के सभी पांच चरणों का उत्पादन करने के लिए निकट आइसोथर्मल फोर्जिंग तकनीक विकसित की है। टेक्नोलॉजी का विकास हैदराबाद स्थित डीआरडीओ की प्रमुख धातुकर्म प्रयोगशाला रक्षा धातुकर्म अनुसंधान प्रयोगशाला (डीएमआरएल) द्वारा विकसित की गई है। एयरोइंजन प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण तकनीक है। इसके साथ ही भारत ऐसे महत्वपूर्ण एयरोइंजन घटकों की निर्माण क्षमता रखने के लिए सीमित वैश्विक इंजन विकास करने वालों की लीग में शामिल हो गया है।

भारत में एडोर इंजन को एचएएल (ई), बेंगलुरु द्वारा ओईएम के साथ लाइसेंस प्राप्त मैन्युफैक्चरिंग समझौते के तहत ओवरहाल किया गया है। किसी भी एयरोइंजन की तरह एचपीसी ड्रम एसेंबली को अनेक बार काम लिए जाने और क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में बदलना होता है। उच्च मूल्य के इन एचपीसी डिस्क की वार्षित जरूरतें काफी अधिक होती हैं। एचपीसी ड्रम एक अत्यधिक स्ट्रेस्ड सब-एसेंबली है और इसे कम चक्र थकान और ऊंचे तापमान पर धीरे-धीरे काम करना पड़ता है। एचपीसी ड्रम के लिए कच्ची सामग्री और फोर्जिंग उच्च गुणवत्ता की होनी चाहिए जो स्थिर और गतिशील यांत्रिक गुणों के निर्दिष्ट संयोजन को पूरा कर सके।

डीएमआरएल ने विभिन्न विज्ञान और ज्ञान-आधारित उपकरणों के एकीकरण से इस फोर्जिंग तकनीक को विकसित किया है। डीएमआरएल द्वारा अपनाई गई पद्धति साधारण प्रकृति की है और इसे अन्य समान एयरोइंजन घटकों को विकसित करने के लिए अनुकूल ट्यून किया जा सकता है। इस पद्धति के उपयोग से उत्पादित कंप्रेसर डिस्क वांछित कार्य के लिए उड़ान योग्य एजेंसियों द्वारा तय सभी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इसी के अनुसार इस टेक्नोलॉजी को प्रमाणित किया गया और तकनीकी स्वीति प्रदान की गई। संपूर्ण घटक स्तर और प्रदर्शन मूल्यांकन परीक्षण परिणामों के आधार पर, एचएएल (ई) और भारतीय वायु सेना ने इंजन फिटमेंट के लिए घटकों को मंजूरी दी। डीएमआरएल और एचएएल (ई) के अलावा, मिधानी, सेमिलैक और डीजीएक्यूए जैसी विभिन्न एजेंसियों ने इस महत्वपूर्ण तकनीक को स्थापित करने में एक होकर काम किया।

एमडीएम योजना

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने एक विशेष कल्याण उपाय के तौर पर मध्याह्न-भोजन योजना सभी पात्र बच्चों के लिए खाना पकाने की लागत घटक के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से 11.8 करोड़ छात्रों (118 मिलियन छात्रों) को मौद्रिक सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे मध्याह्न भोजन कार्यक्रम को गति मिलेगी। यह भारत सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम की दर से निःशुल्क खाद्यान्न वितरण की घोषणा के अतिरिक्त है।

यह निर्णय बच्चों के पोषण स्तर को सुरक्षित रखने में मदद करेगा और इस चुनौतीपूर्ण महामारी के समय में उनकी प्रतिरक्षा को बनाए रखने में मदद करेगा।

केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को लगभग 1200 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि प्रदान करेगी। केंद्र सरकार के इस एक बार के विशेष कल्याणकारी उपाय से देश भर के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चे लाभान्वित होंगे।

मध्याह्न भोजन योजना, भारत सरकार की एक योजना है जिसके अन्तर्गत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है। नामांकन बढ़ाने, प्रतिधारण  और उपस्थिति तथा इसके साथ-साथ बच्चों में पौषणिक स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से 15 अगस्त 1995 को केन्द्रीय प्रायोजित स्किम के रूप में प्रारंभिक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पौषणिक सहायता कार्यक्रम शुरू किया गया था। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कुल पहुँचते हैं, जो बच्चे स्कूल आने से पहले भोजन करते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग जाती है और वे अपना ध्यान पढाई पर केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मध्याह्न भोजन बच्चों के लिए “पूरक पोषण” के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह समतावादी मूल्यों के प्रसार में भी सहायता कर सकता है, क्योकि कक्षा में विभिन्न सामाजिक पृष्ठ्भूमि वाले बच्चे साथ में बैठते हैं और साथ – साथ खाना खाते हैं। विशेष रूप से मध्याह्न भोजन स्कूल में बच्चों के मध्य जाति व् वर्ग के अवरोध को मिटाने में सहायक हो सकता हैं। स्कूल की भागीदारी में लैंगिक अंतराल को भी यह कार्यक्रम कम कर सकता हैं, क्योकि यह बालिकाओं को स्कूल जाने से रोकने वाले अवरोधो को समाप्त करने में भी सहायता करता हैं। मध्याह्न भोजन स्किम छात्रों के ज्ञानात्मक, भावात्मक और सामाजिक विकास में सहायता करता हैं। सुनियोजित मध्याह्न भोजन को बच्चों में विभिन्न अच्छी आदतें डालने के अवसर के रूप में उपयोग में लाया जा सकता हैं। यह स्किम महिलाओं को रोजगार के उपयोगी स्त्रोत भी प्रदान करता हैं।

SOURCE-PIB

 

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस 2021

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (World Menstrual Hygiene Day) हर साल 28 मई को मनाया जाता है। इस दिन को दुनिया भर में सामाजिक कलंक को दूर करने और मासिक धर्म स्वच्छता बनाए रखने के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस (Menstrual Hygiene Day) एक वैश्विक आंदोलन है जो मासिक धर्म को सामान्य करने का प्रयास करता है। इसकी शुरुआत जर्मन गैर-लाभकारी संगठन “WASH United” द्वारा की गई थी जो इस दिन के लिए एक वैश्विक समन्वयक भी है। इसे पहली बार 2014 में लॉन्च किया गया था।

दिन का महत्व

मासिक धर्म स्वच्छता दिवस एक वैश्विक मंच है जो दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के लिए अच्छे मासिक धर्म स्वास्थ्य और मासिक धर्म स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए व्यक्तियों, सरकारी एजेंसियों, गैर-लाभकारी, निजी क्षेत्र और मीडिया की आवाज और कार्यों को एक साथ लाता है।

यह तारीख क्यों चुनी गई?

28 मई (28/5) को तिथि के रूप में चुना गया था क्योंकि यह औसत मासिक धर्म चक्र पर प्रकाश डालता है। महिलाओं को हर 28 दिनों के बाद मासिक धर्म शुरू होता है और यह औसतन 5 दिनों तक रहता है।

दिन का उद्देश्य

इस दिन का उद्देश्य मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं को दूर करना, चुप्पी को तोड़ना और नकारात्मक सामाजिक मानदंडों को बदलना है।

वर्ष 2021 की थीम

इस वर्ष यह दिवस “Action and Investment in Menstrual Hygiene and Health” थीम के तहत मनाया जा रहा है।

त्सांग यिनहंग

हांगकांग की पर्वतारोही त्सांग यिन-हंग (Tsang Yin-hung) ने केवल 26 घंटों में “एक महिला द्वारा दुनिया की सबसे तेज एवरेस्ट चढ़ाई” दर्ज की।

मुख्य बिंदु

त्सांग ने अपने तीसरे प्रयास में 25 घंटे 50 मिनट के रिकॉर्ड समय में 8,848.86 मीटर की चढ़ाई की।

इससे पहले 2017 में, त्सांग शीर्ष पर चढ़ने वाली पहली हांगकांग की महिला बनीं थीं।

उन्होंने नेपाली महिला फुंजो झांगमु लामा (Phunjo Jhangmu Lama) के 39 घंटे 6 मिनट में चढ़ाई पूरी करने का पिछला रिकॉर्ड तोड़ा।

माउंट एवरेस्ट (Mount Everest)

विश्व में समुद्र तल से सबसे ऊँचा पर्वत, हिमालय के महालंगुर हिमाल (Mahalangur Himal) उप-श्रेणी में स्थित है। चीन-नेपाल सीमा इसके शिखर बिंदु से होकर गुजरती है। इसकी बर्फ की ऊंचाई 8,848.86 मीटर है जो हाल ही में 2020 में नेपाली और चीनी अधिकारियों द्वारा दर्ज की गई थी।

माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई

माउंट एवरेस्ट एक प्रसिद्ध चढ़ाई स्थल है जो अनुभवी पर्वतारोहियों को आकर्षित करता है। इसके दो मुख्य चढ़ाई मार्ग हैं। एक नेपाल में दक्षिण-पूर्व से है जिसे “मानक मार्ग” कहा जाता है जबकि दूसरा तिब्बत में उत्तर से है। यह पर्वत मौसम, हवाएं, ऊंचाई की बीमारी (altitude sickness) और हिमस्खलन और खुंबू हिमपात सहित खतरे प्रस्तुत करता है। एवरेस्ट पर 2019 तक लगभग 300 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से कई शव पहाड़ पर ही पड़े हैं।

महालंगुर हिमाल (Mahalangur Himal)

यह पूर्वोत्तर नेपाल और चीन के दक्षिण-मध्य तिब्बत पर हिमालय का एक उपखंड है। यह रोलवलिंग हिमाल (Rolwaling Himal) और चो ओयू (Cho Oyu) के बीच नंगपा ला दर्रे (Nangpa La pass) से फैला हुआ है। इस श्रेणी में माउंट एवरेस्ट, ल्होत्से, मकालू और चो ओयू शामिल हैं जो पृथ्वी की छह सबसे ऊंची चोटियों में से चार हैं।

SOURCE-GK TODAY

 

Global Annual to Decadal Climate Update

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation) के नेतृत्व में यूनाइटेड किंगडम के मौसम कार्यालय द्वारा Global Annual to Decadal 10-year Climate Update जारी किया गया।

मुख्य बिंदु

इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया 2021-2025 के भीतर अस्थायी रूप से 5-सेल्सियस वार्मिंग के निशान को तोड़ देगी।

इसमें कहा गया है कि वार्षिक औसत वैश्विक तापमान की 40 प्रतिशत संभावना पूर्व-औद्योगिक तापमान से 5C को पार कर जाएगी।

2021-2025 की अवधि में एक वर्ष के रिकॉर्ड पर सबसे गर्म होने की 90% संभावना है।

वार्षिक औसत वैश्विक तापमान 2021-2025 के बीच पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में कम से कम 1C अधिक गर्म होगा।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)

WMO, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है, यह वायुमंडलीय विज्ञान, जल विज्ञान, जलवायु विज्ञान और भूभौतिकी पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है। WMO की उत्पत्ति अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन से मौसम डेटा और अनुसंधान के आदान-प्रदान के लिए हुई थी। 1947 के विश्व मौसम विज्ञान सम्मेलन के दौरान, आईएमओ की स्थिति और संरचना में सुधार के प्रस्ताव प्रस्तावित किए गए थे। यह कन्वेंशन 1950 में लागू हुआ जिसके बाद WMO ने संयुक्त राष्ट्र के भीतर एक अंतर सरकारी संगठन के रूप में अपना संचालन शुरू किया।

अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO)

IMO देशों के बीच मौसम की जानकारी के आदान-प्रदान के उद्देश्य से स्थापित पहला संगठन था।  1951 में IMO का स्थान विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा लिया गया था।

आरबीआई ने वार्षिक रिपोर्ट-2021

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की और इसमें बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता और पर प्रकाश डाला गया है।

पृष्ठभूमि

आरबीआई ने अपनी अर्ध-वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में पहले भी प्रकाश डाला था कि सितंबर 2021 तक बेसलाइन तनाव परिदृश्य के तहत बैंकों का खराब ऋण अनुपात 13.5% तक बढ़ सकता है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

अपनी रिपोर्ट में, आरबीआई ने आगाह किया कि “मार्च 2021 में गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) को वर्गीकृत करने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक हटाने के बाद बैंकों को ऋणदाता होने के नाते खराब ऋण की सही तस्वीर प्रदान करनी होगी।

इसके अनुसार, मार्च-अगस्त 2020 के दौरान स्थगन के लिए चुने गए सभी ऋण खातों पर चक्रवृद्धि ब्याज की छूट से बैंकों के वित्तीय स्वास्थ्य पर दबाव पड़ेगा।

बैंकों का सकल एनपीए अनुपात मार्च 2020 में 2% से घटकर दिसंबर 2020 में 6.8% हो गया।

बैंकों का प्रावधान कवरेज अनुपात (Provision Coverage Ratio – PCR) मार्च 2020 में 6% से बढ़कर दिसंबर 2020 तक 75.5% हो गया।

बैंकों का कैपिटल टू रिस्क-वेटेड एसेट रेशियो (CRAR) दिसंबर 2020 तक बढ़कर 9% हो गया, मार्च में यह 14.8% था।

गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFC) के लिए सकल एनपीए अनुपात मार्च में 8% से बढ़कर दिसंबर 2020 में 5.7% हो गया।

एनबीएफसी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात दिसंबर 2020 में 8% से बढ़कर मार्च में 23.7% हो गया।

SOURCE-GK TODAY

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