Current Affairs – 29 August, 2021
जापानी बुख़ार
अगस्त महीने का आख़िरी सप्ताह चल रहा है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 100 नंबर वॉर्ड के बाहर दर्जनों की संख्या में लोग अपने बच्चों को भर्ती कराने की कोशिश में हैं। कुछ लोगों के बच्चे कई दिनों से भर्ती भी हैं। ज़्यादातर बच्चों को तेज़ बुख़ार के साथ झटके भी आते हैं जो कि जापानी इंसेफ़ेलाइटिस का प्रमुख लक्षण है।
क्यों होती है बीमारी?
पूर्वांचल में गोरखपुर-बस्ती मंडलों के सात ज़िलों के अलावा बिहार और नेपाल के तराई इलाक़ों में मॉनसून के बाद जल-जमाव और अन्य वजहों से मच्छरों के पनपने के कारण बड़ी संख्या में इंसेफ़ेलाइटिस की बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। आमतौर पर इसे दिमाग़ी बुख़ार भी कहा जाता है क्योंकि इसकी वजह से तेज़ बुख़ार के साथ बच्चों में झटके आना यानी मतिभ्रम की स्थिति आ जाती है।
पहले माना जाता था कि दिमाग़ी बुख़ार जापानी इंसेफ़ेलाइटिस वायरस की वजह से होते हैं, जो मच्छरों से फैलता है। लेकिन बाद की जांच से पता चला कि इनमें से सिर्फ़ 13 प्रतिशत मामले जापानी इंसेफ़ेलाइटिस की वजह से थे। इसीलिए इस तरह के लक्षणों वाले मरीजों को एईएस यानी एक्यूट इंसेफ़ेलाइटिस सिंड्रोम नाम के बीमारी के एक समूह के तहत रख दिया गया। एईएस की बीमारियां कुओं के गंदे पानी और हैंडपंप के पानी पीने की वजह से भी फैलती हैं। गंदगी तो प्रमुख वजह है ही।
पूर्वांचल में यह बीमारी यूं तो सत्तर और अस्सी के दशक से ही बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है, लेकिन साल 2005 के बाद बीमार बच्चों की संख्या और इसकी वजह से होने वाली मौतों में भी काफ़ी बढ़ोत्तरी हुई। उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहते हुए साल 1998 से ही इस मुद्दे को संसद में उठा रहे हैं और मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने योजनाबद्ध तरीक़े से इसके ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने की शुरुआत की।
इंसेफ़ेलाइटिस से निपटने के लिए ज़रूरी हैं ये 6 उपाय
- साफ़-सफ़ाई पर जागरूकता बढ़ानी होगी
चाहे इंसेफ़ेलाइटिस हो या फिर नवजातों की मौत, सफ़ाई का अभाव इनके पीछे बड़ी वजह है।
ग्रामीण इलाकों में अभी भी ‘सौर’ (घर में नवजात और प्रसूता के लिए बनाया गया कमरा) में पर्याप्त साफ़-सफ़ाई नहीं होती जिससे नवजात को संक्रमण का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है।
- निचले स्तर पर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की तैनाती हो
मेडिकल कॉलेज तक पहुंचने वाले 50 फ़ीसदी बच्चों में ब्रेन डैमेज की स्थिति आ चुकी होती है।
दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकने लगती है, दिल और गुर्दे काम करना बंद करने लगते हैं।
ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि बच्चे को इलाज मिलने में देर हो गई होती है।
ज़रूरत इस बात की है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर ऊपरी चिकित्सा केन्द्रों पर ऐसे मामलों की पहचान कर सकने के लिए शिक्षित-प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी नियुक्त हों।
यदि हम पंचायत स्तर पर आशा कर्मियों की तरह ही ऐसे कार्यकर्ता तैनात कर सकें तो इंसेफ़ेलाइटिस से लड़ने में भी बड़ी मदद मिलेगी।
- ब्रेस्ट फीडिंग काउंसलर लगाए जाएं
नवजात शिशुओं की बहुत सी समस्याएं केवल स्तनपान से भी ठीक हो सकती हैं, इसलिए निचले स्तर पर स्तनपान परामर्शक तैनात किए जाएं।
इससे मृत्युदर में बहुत कमी लाई जा सकती है।
- भीड़ के अनुरूप संसाधन बढ़ाना ज़रूरी
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के गंभीर रोगियों के इलाज का भार वहन करने वाले इस मेडिकल कॉलेज में नियोनेटल आईसीयू में कुल 44 बेड हैं।
जबकि भर्ती बच्चों की संख्या अक्सर 100 के करीब होती है।
संक्रमण रोकने के लिए आदर्श स्थिति यह है कि एक से दूसरे बेड के बीच 3 फ़ीट का फ़ासला रहे मगर यहां एक-एक बेड पर 3-3 बच्चे हैं।
इससे संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे में क्षमता बढ़ाना ज़रूरी है।
- संसाधन और तकनीक पर ज़ोर
संसाधनों के मामले में हमें अपनी स्थिति और सोच दोनों को बदलना होगा।
हम साल भर में ऐसे आईसीयू को एक-दो बार संक्रमण मुक्त करके स्थितियों में सुधार नहीं ला सकते। ऐसा प्रतिदिन दो बार करना होगा।
नवजात बच्चों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए स्पेशल ट्रांसपोर्टेशन और स्पेशल वॉर्मर इस्तेमाल करने होंगे।
इसी तरह नवजात बच्चों के लिए इंट्राकैथ इस्तेमाल करने के बजाय आईवी फ्लूइड लाइन जैसे उपाय अपनाने चाहिए।
- भ्रष्टाचार रोकिए
इन सारे उपायों के लिए ज़रूरी है कि अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों को अपने नियमित बजट रिलीज़ कराने के लिए लखनऊ के चक्कर न काटने पड़ें।
यह भ्रष्टाचार को जन्म देता है। सरकार को इस पर निगरानी रखनी होगी वरना बच्चों की मौत के मामले इसी तरह सामने आते रहेंगे।
SOURCE-BBC NEWS
PAPER-G.S.3
पोषण माह
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सितंबर 2021 में पोषण माह आयोजित करने और मनाने की योजना पर प्रकाश डाला है।
पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan)
पोषण अभियान गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली मां, बच्चों और किशोरियों के लिए पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। यह मिशन 8 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लांच किया गया था। पोषण (POSHAN) का अर्थ “Prime Minister’s Overarching Scheme for Holistic Nutrition” अभियान है। इस मिशन की घोषणा 2021-2022 के बजट में की गई थी।
मिशन का उद्देश्य
पोषण अभियान कुपोषण की समस्या की ओर देश का ध्यान आकर्षित करता है और इसे मिशन-मोड में संबोधित करता है। यह मिशन पोषण अभियान, मिशन पोषण 2.0 के उद्देश्यों पर केंद्रित है। यह पोषण सामग्री, वितरण और परिणामों को मजबूत करने का प्रयास करता है ताकि बीमारियों के साथ-साथ कुपोषण, स्वास्थ्य, कल्याण और प्रतिरक्षा पर समुचित ध्यान दिया जा सके।
जन आंदोलन
पोषण अभियान एक जन आंदोलन है। इसमें स्थानीय निकायों के जन प्रतिनिधियों, राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी विभाग, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र और सामाजिक संगठनों की समावेशी भागीदारी शामिल है।
पोषण माह (POSHAN Maah)
पोषण माह सितंबर के महीने में मनाया जाता है ताकि समुदाय को संगठित किया जा सके और लोगों की भागीदारी को बढ़ाया जा सके। वर्ष 2021 में भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, इस महीने को समग्र पोषण में सुधार के लिए एक केंद्रित और समेकित दृष्टिकोण के साथ साप्ताहिक विषयों में विभाजित किया गया है। यह मोटे तौर पर ग्राम पंचायतों, आंगनवाड़ी, स्कूल परिसर आदि में पोषण वाटिका के लिए वृक्षारोपण अभियान पर ध्यान केंद्रित करेगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2
अवनी लेखारा
टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय निशानेबाज़ अवनी लेखारा ने पहला स्वर्ण पदक जीता। अवनी पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वालीं पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। उन्होंने 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में यह स्वर्ण पदक जीता।
मुख्य बिंदु
भारत ने अब तक टोक्यो पैरालंपिक में 7 पदक जीते हैं। अवनी के अलावा योगेश ने डिस्कस थ्रो में रजत पदक जीता। जबकि दो बार के गोल्ड मेडलिस्ट देवेंद्र झाझरिया इस बार स्वर्ण पदक से चूक गए और उनको रजत पदक से संतोष करना पड़ा। भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में रजत पदक जीता। निषाद कुमार ने ऊँची कूद ने रजत पदक जीता है। उनके अलावा सुंदर सिंह गुर्जर ने जैवलिन थ्रो में कांस्य पदक जीता और विनोद कुमार ने डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता।
अवनी लेखारा
अवनी लेखारा का जन्म 8 नवम्बर, 2021 को राजस्थान के जयपुर में हुआ था। वे एक राइफल शूटर हैं, वे वर्तमान में विश्व में पांचवें स्थान पर है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1(PRE)
ब्रिक्स-कृषि अनुसंधान मंच
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने 27 अगस्त, 2021 को ब्रिक्स की 11वीं बैठक की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु
- ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका के कृषि मंत्रियों ने वर्चुअली “BRICS Partnership for Strengthening Agrobiodiversity for Food and Nutrition Security” थीम तहत बैठक की।
- ब्रिक्स समूह दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है। यह विश्व की जनसंख्या का 41% है, विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 24% का योगदान है और विश्व व्यापार में इसकी 16% हिस्सेदारी है।
- BRCS मंत्रियों ने ब्रिक्स देशों में मजबूत कृषि अनुसंधान आधार की आवश्यकता को स्वीकार किया, ज्ञान का दोहन और साझा करने की आवश्यकता, प्रयोगशाला से भूमि तक प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा, कृषि जैव विविधता को बनाए रखने के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को सुनिश्चित करने पर सहमती प्रकट की गयी।
सतत विकास लक्ष्यों के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदम
- केंद्रीय मंत्री के अनुसार, ब्रिक्स देश भूखमरी और गरीबी उन्मूलन के 2030 सतत विकास लक्ष्यों के उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करने के लिए अग्रणी भूमिका निभाने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। कृषि उत्पादन को बढ़ाकर इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।इससे किसानों की बढ़ती आय, आय असमानता और खाद्य कीमतों में उतार-चढ़ाव की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
- उन्होंने पौधों, जानवरों, कीड़ों, मछलियों और कृषि रूप से महत्वपूर्ण सूक्ष्मजीवों के लिए राष्ट्रीय जीन बैंकों की स्थापना और रखरखाव के माध्यम से कृषि-जैव विविधता के संरक्षण में भारत द्वारा किए गए प्रयासों का उल्लेख किया।
- भारत तिलहन, दलहन, राष्ट्रीय बांस मिशन, बागवानी फसलों और राष्ट्रीय ताड़ के तेल मिशन जैसे कार्यक्रमों की मदद से कृषि-खाद्य प्रणालियों के विविधीकरण को भी बढ़ावा दे रहा है।
- ये सभी कार्यक्रम किसानों की आय बढ़ाने और खेत और थाली में विविधीकरण प्रदान करने के उद्देश्य से चल रहे हैं।
2021-24 की कार्य योजना
ब्रिक्स देशों ने भी ब्रिक्स देशों के कृषि सहयोग के लिए 2021-24 की कार्य योजना को अपनाया। यह कार्य योजना ब्रिक्स देशों के बीच कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का प्रावधान करती है। यह खाद्य सुरक्षा, खाद्य और कृषि उत्पादन प्रणालियों की लचीलापन, किसानों के कल्याण, कृषि जैव विविधता के संरक्षण, डिजिटल कृषि समाधानों को बढ़ावा देने आदि जैसे विषयों पर केंद्रित है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2