Current Affair 29 March 2021

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29 March Current Affairs

अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित

महिला ओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप एस्ट्रम ने एक अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया है जो टेलीकॉम ऑपरेटरों को उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाली विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं देने में मदद करेगा। यह फाइबर की कीमत के कुछ हिस्से में ही फाइबर की बैंडविड्थ प्रदान करता है।

भारत जैसे देशों में दूरदराज के स्थानों तक इंटरनेट पहुंचना मुश्किल है क्योंकि फाइबर बिछाना बहुत महंगा है। वायरलेस बैकहॉल उत्पादों की आवश्यकता है जो कम लागत, उच्च डेटा क्षमता और व्यापक पहुंच प्रदान कर सकें। वर्तमान में उपलब्ध, वायरलेस बैकहॉल उत्पाद या तो पर्याप्त डेटा गति या आवश्यक सीमा प्रदान नहीं करते हैं या उन्हें लगाना बहुत महंगा है।

गीगा मेश नामक वायरलेस उत्पाद दूरसंचार ऑपरेटरों को 5 गुना कम लागत पर गुणवत्ता, उच्च गति वाले ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तैनात करने में सक्षम बना सकता है। ग्रामीण संपर्क ग्राहक और रक्षा क्षेत्र के ग्राहक जिन्होंने पहले ही इस उत्पाद के लिए साइन अप कर लिया है, जल्द ही एस्ट्रम द्वारा इस उत्पाद के प्रदर्शन का गवाह बनेंगे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में इस स्टार्टअप को तैयार किया गया है और इसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप प्रोग्राम द्वारा समर्थन प्राप्त है। इस स्टार्टअप ने अपने मिलीमीटर-वेव मल्टी-बीम टेक्नोलॉजी को 2018 में लैब में प्रमाणित किया था जिसके लिए कंपनी को भारत और अमेरिका में पेटेंट दिया गया है। तब सेप्रौद्योगिकी को गीगा मेश नामक एक शक्तिशाली और स्केलेबल उत्पाद में बदल दिया गया है, जो हमारे देश के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी टेलीकॉम जरूरतों का बहुत कुछ हल कर सकता है। उत्पाद ने खुद को अपने क्षेत्र में साबित किया है और इसके आगामी व्यावसायीकरण के लिए भागीदार उत्पादों के साथ भी एकीकृत किया गया है।

एस्ट्रम में सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. नेहा साटक ने कहा, “भारतीय विज्ञान संस्थान ने निवेशकों के साथ जुड़ने में मदद करने, व्यावसायिक सलाह प्रदान करने और हमारे उत्पाद क्षेत्र के परीक्षणों को संचालित करने के लिए हमें जगह देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।” उन्होंने यह बात डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप पहल के तहत सप्ताह भर की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए की जिसने अमेरिकी बाजार में लॉन्च के लिए तैयार करने के लिए यूएस वीसी इकोसिस्टम से बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

एस्ट्रम को कनेक्टिविटी में मोस्ट प्रॉमिसिंग इनोवेटिव सॉल्यूशन के लिए आईटीयू एसएमई अव़ॉर्ड भी मिला। यह इस उत्पाद के लिए इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन से मिली एक प्रमुख पहचान है। उन्हें ईवो नेक्सस नामक एक प्रतिष्ठित 5-जी त्वरक कार्यक्रम (क्वालकॉम द्वारा प्रायोजित) द्वारा भी चुना गया जो उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पाद को लॉन्च करने में मदद करेगा।

मल्टी-बीम ई-बैंड उत्पाद गीगा मेश, एक में 6 पॉइंट-टू-पॉइंट ई-बैंड रेडियो पैक करता है जिससे डिवाइस की लागत कई लिंक पर वितरित होती है और इसलिए पूंजीगत व्यय कम हो जाता है। रेडियो प्रत्येक लिंक पर लंबी दूरी और मल्टी-जीबीपीएस डेटा थ्रूपुट प्रदान करता है। स्वचालित लिंक अलाइनमेंट, लिंक के बीच गतिशील बिजली आवंटन, और दूरस्थ लिंक गठन जैसी विशेषताएं ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण परिचालन व्यय लागत में कमी लाने में मदद करती हैं।

एस्ट्रम वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्वविद्यालय परिसर) में एक क्षेत्र परीक्षण कर रहा है। इस फील्ड ट्रायल में कंपनी ने पहले ही कैंपस में मल्टी-जीपीएस स्पीड पर डेटा स्ट्रीमिंग हासिल कर ली है।

Source-PIB

 

जलजीवन मिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वर्ष 2024 तक देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में पाइप से पेयजल पहुंचाने के लिए 15 अगस्त 2019 को की गई घोषणा के बाद से अबतक जलजीवन मिशन के अंतर्गत चार करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में पाइप (नल) से पेयजल आपूर्ति का नया कीर्तिमान स्थापित हुआ है। इस समय कुल ग्रामीण घरों के 1/3 से अधिक (38प्रतिशत) अर्थात 07 करोड़ 24 लाख ग्रामीण घरों में नल का पानी उपलब्ध हो गया है। गोवा देश का ऐसा पहला राज्य बन गया है जहां शत प्रतिशत ग्रामीण घरों में पाइप से पीने का पानी मिल रहा है। इसके बाद तेलंगाना एवं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह आते हैं। इन राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के अनथक प्रयासों से जलजीवन मिशन को 56 जिलों के 86,000 से अधिक गावों में रह रहे प्रत्येक परिवार को पेयजल आपूर्ति करना सुनिश्चित हो सका है। अब सभी राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए अपने[अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे है कि देश में हर व्यक्ति को सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल मिल सके और ‘कोई भी छूटे नहीं।

जल जीवन मिशन को राज्यों के सहयोग से लागू किया जा रहा है और इसका उद्देश्य नियमित एवं दीर्घ-कालिक आधार पर निर्धारित मानकों के अनुरूप गुणवत्ता का पेयजल पर्याप्त मात्र में उपलब्ध करवाना है। ‘नीचे से शुरुआत’ की अवधारणा को अपनाते हुए राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश इसके लिए व्यापक योजनाएं बना रहे है। तदनुसार ही उन्होंने प्रत्येक ग्रामीण आवास में पाइप के साथ ही नल लगा कर पेयजल आपूर्ति के लिए कार्य योजनाएं बनाई हैं। इन्हें लागू करते समय राज्य जल की गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों, सूखा सम्भावित एवं मरुस्थलीय क्षेत्रों, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति बहुल गाँवों, आकान्क्षीय जिलों और सांसद आदर्श ग्राम योजना वाले गाँवों को वरीयता दे रहे हैं।

चूंकि दूषित जल से सबसे अधिक बच्चों के रोगग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है, इसलिए देशभर के विद्यालयों और आश्रमशालाओं एवं आँगनवाड़ियों में नल से पानी पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया है ताकि जब भी विद्यालय दुबारा खुलें, बच्चों को पीने के लिए सुरक्षित स्वच्छ पेयजल मिल सके। नल के इस पानी का प्रयोग मध्याह्न भोजन तैयार करने, हाथ धोने की सुविधा और शौचालय में किया जा सकेगा।

पानी की गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति करना जलजीवन मिशन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। दूषित पानी विशेषकर आर्सेनिक और फ्लोराइड युक्त पानी की उपलब्धता वाले गाँवों में स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जलजीवन मिशन पीने का पानी वास्तव में पीने योग्य हो, को सबसे अधिक प्राथमिकता देता है। ऐसा होने से पानी से होने वाली बीमारियों में कमी आएगी और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। राज्य/ केन्द्रशासित प्रदेश अब पानी की गुणवत्ता की जांच करने वाली प्रयोगशालाओं को अद्यतन और उच्चीकृत करने के साथ ही आम लोगों के लिए खोल रहे हैं ताकि लोग नाममात्र का शुल्क देकर अपने यहाँ के पानी के नमूनों की जांच करवा सकें।

प्रधानमंत्री के आह्वान के बाद अब जलजीवन मिशन का प्रयास यह है कि हर व्यक्ति पानी से जुड़े अर्थात यह एज जन आन्दोलन बन जाए । प्रधानमंत्रीजी ने 22 मार्च 2021 को विश्व जल दिवस के अवसर पर ‘कैच द रेन’ अभियान शुरू करने के साथ ही लोगों से आह्वान किया था कि वे  वर्षा के पानी की हर बूँद को सहेजें । अतः इसी को आगे बढाते हुए इस काम में सभी हितधारकों को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

जलजीवन मिशन केवल आधारभूत अवसंरचना का निर्माण भर करने के लिए नहीं है। अपितु इसके अंतर्गत स्थानीय लोगों का सशक्तिकरण करते हुए उन्हें ‘सेवा प्रदाता’ बनाने पर जोर दिया जाता है जिससे कि वे स्थानीय स्तर पर जल प्रदाता बन सकें। अब चूँकि ग्रामीण क्षेत्र के हर घर में पाइप से नल के माध्यम से पेयजल पहुँच रहा है इसलिए लोगों को जागरूक भी करना है ताकि वे मिलने वाले पानी का आवश्यकतानुसार समुचित उपयोग ही करें। यह संकल्पना की गई है कि ग्राम पंचायत और/ अथवा उसकी उप-समितियां: जैसे ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति  (वीडब्ल्यूएससी)/ पानी समिति इत्यादि गांव की जलापूर्ति प्रणाली के लिए योजना बनाने, उसे क्रियान्वित करने, उसके प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव में प्रमुख भूमिका निभाएंगी। जवाबदेह और सकारात्मक नेतृत्व तैयार करना यह सुनिश्चित करेगा कि बनने वाली जलापूर्ति प्रणालियाँ स्थायी और दीर्घकालीन होने के साथ साथ अपनी निर्धारित अवधि तक सुचारू रूप से काम कर सकें।

SOURCE-PIB

 

ज्वालामुखी माउंट मेरापी

इंडोनेशिया के माउंट मेरापी ज्वालामुखी में 27 मार्च, 2021 को फिर से विस्फोट हो गया। इसके बाद बड़ी मात्रा लावा और धूल का गुबार उत्पन्न हुआ। इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं थी। 2,968 मीटर ऊंचा यह ज्वालामुखी प्राचीन शहर याग्याकार्टा (Yogyakarta) के निकट घनी आबादी वाले जावा द्वीप पर है।

मुख्य बिंदु

यह माउंट मेरापी पर्वत का सबसे बड़ा लावा प्रवाह था।

इस विस्फोट की आवाज 30 किलोमीटर दूर तक सुनी गई।

मेरापी का अंतिम बड़ा विस्फोट 2010 में हुआ था जिसमें 347 लोग मारे गए थे।

माउंट मेरापी (Mount Merapi)

माउंट मेरापी पर्वत इंडोनेशिया में स्थित है।

यह एक सक्रिय स्ट्रैटोवोल्केनो है जो इंडोनेशिया के मध्य जावा और याग्याकार्टा प्रांतों के बीच की सीमा पर स्थित है।

इसे इंडोनेशिया में सबसे सक्रिय ज्वालामुखी माना जाता है और इसमें 1548 के बाद से लगातार विस्फोट हो रहा है।

यह दक्षिणी जावा में ज्वालामुखियों का सबसे छोटा समूह है जो इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट और सुंडा प्लेट के एक उप-क्षेत्र जोन में स्थित है।

इंडोनेशिया (Indonesia)

इंडोनेशिया, 270 मिलियन लोगों का द्वीपसमूह, भारतीय और प्रशांत महासागरों के बीच दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में स्थित है। इसमें जावा, सुमात्रा, जावा, सुलावेसी, बोर्नियो (कालीमंतन) और न्यू गिनी (पापुआ) सहित सत्रह हजार से अधिक द्वीप शामिल हैं।  यह देश दुनिया का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला देश भी है। यह सबसे अधिक आबादी वाला मुस्लिम बहुल देश भी है। इंडोनेशिया का सबसे अधिक आबादी वाला द्वीप जावा है। यह देश भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधि से ग्रस्त है क्योंकि यह “पैसिफिक रिंग ऑफ फायर” के साथ स्थित है।

पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire)

यह क्षेत्र प्रशांत महासागर के रिम के आसपास है जो ज्वालामुखी विस्फोटों और भूकंपों से ग्रस्त है। यह एक घोड़े की नाल के आकार की बेल्ट है जिसकी लंबाई लगभग 40,000 किमी है। इसमें पश्चिमी प्रशांत महासागर क्षेत्रों के अलावा दक्षिण अमेरिका, उत्तरी अमेरिका और कामचटका इत्यादि शामिल है।

SOURCE-PIB

 

भारत और बांग्लादेश

भारत और बांग्लादेश ने आपदा प्रबंधन, व्यापार, एनसीसी, आईसीटी के क्षेत्र में 5 MoU पर हस्ताक्षर किए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2-दिवसीय आधिकारिक यात्रा के समापन के दिन खेल सुविधाओं की स्थापना के लिए भी समझौते पर हस्ताक्षर किये गये।

मुख्य बिंदु

शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई। दोनों नेताओं ने स्वास्थ्य, व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, विकासात्मक सहयोग और कई क्षेत्रों में हासिल की गई प्रगति पर चर्चा की। उन्होंने वाणिज्य और व्यापार, जल संसाधन, सुरक्षा और रक्षा, बिजली और ऊर्जा के क्षेत्रों को कवर करने वाले द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान वर्चुअली कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया।  इस दौरान रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Rooppur Nuclear Power Plant) से बिजली की निकासी सुविधाओं के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आधारशिला रखी गयी। बंगबंधु-बापू डिजिटल प्रदर्शनी (Banagabandhu-Bapu Digital Exhibition) के बांग्लादेश संस्करण का उद्घाटन भी दोनों प्रधानमंत्रियों द्वारा किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री हसीना ने बांग्लादेश-भारत की मित्रता के 50 वर्षों के अवसर पर संबंधित देशों के डाक विभागों के स्मारक डाक टिकटों का अनावरण भी किया।

दोनों नेताओं ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम (1971 Liberation War of Bangladesh) में भारतीय सशस्त्र बलों के शहीदों को सम्मानित करते हुए आशूगंज में एक स्मारक के निर्माण की आधारशिला भी रखी।

भारत ने बांग्लादेश को 109 लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस और कोविशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) की 1.2 मिलियन खुराक दी। भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ तीन सीमा हाट भी खोले गए।

इस यात्रा के दौरान कई घोषणाएँ की गईं।  ‘मिताली एक्सप्रेस’ (Mitali Express) नाम की एक सीधी पैसेंजर ट्रेन ढाका और न्यू जलपाईगुड़ी के बीच चलाई जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के 50 युवा उद्यमियों को भारत के स्टार्ट -अप इकोसिस्टम से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया। अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट स्तरों पर भारत में अध्ययन करने के लिए बांग्लादेशी छात्रों के लिए 1000 स्वर्ण जयंती छात्रवृत्ति (Subarno Jayanti Scholarship) की घोषणा की गई थी। बांग्लादेश अध्ययन की सुविधा के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बंगबंधु चेयर की स्थापना की जाएगी।

दोनों देश असैन्य परमाणु और अंतरिक्ष क्षेत्रों में सहयोग का एक नया क्षेत्र शुरू करने पर सहमत हुए। इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने तुंगिपारा (Tungipara) में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के जन्मस्थान का दौरा किया और बांग्लादेश के राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित की।  प्रधानमंत्री मोदी ने सतखिरा में जशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) का दौरा किया।

उन्होंने ओरकंडी में हरिमंदिर की यात्रा की और मतुआ समुदाय (Matua Community) के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। उन्होंने लड़कियों के लिए एक मौजूदा मध्य विद्यालय के अपग्रेडेशन और एक प्राथमिक विद्यालय की स्थापना करने की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लिए रवाना होने से पहले बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद (Abdul Hamid) से मुलाकात की।

SOURCE-G.K.TODAY

 

नौसैनिक अभ्यास ‘PASSEX’

भारत और अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में दो दिवसीय नौसैनिक अभ्यास शुरू कर दिया है, यह दोनों देशों की रक्षा और सैन्य साझेदारी में बढ़ती साझेदारी को दर्शाता है।

मुख्य बिंदु

भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोत शिवालिक (Shivalik) और लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान P8I को ‘PASSEX’ अभ्यास में तैनात किया, जबकि अमेरिकी नौसेना की ओर से यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट (USS Theodore Roosevelt) कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने इसमें भाग लिया।

यह कैरियर स्ट्राइक ग्रुप एक विशाल नौसैनिक बेड़ा है जिसमें एक एयरक्राफ्ट कैरियर शामिल है, जिसमें बड़ी संख्या में डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट और अन्य जहाज शामिल हैं। पहली बार, भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के लड़ाकू विमानों को भी इस अभ्यास में शामिल किया गया है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन (Lloyd Austin) के भारत दौरे के एक हफ्ते बाद यह अभ्यास शुरू हुआ, जिसने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र (Indo-Pacific Region) में अपने करीबी सहयोगियों के साथ संबंधों को बढ़ावा देने के लिए जो बाईडेन प्रशासन की मजबूत प्रतिबद्धता का संकेत दिया। इस यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों ने सैन्य साझेदारी के माध्यम से अपने मजबूत रक्षा सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया।

SOURCE-G.K.TODAY

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