CURRENTS AFFAIRS – 29th MAY 2021
कोविड प्रभावित बच्चों का सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खो देने वाले बच्चों की सहायता करने के लिए उठाये जा सकने वाले कदमों के बारे में चर्चा और विचार-विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री ने वर्तमान कोविड महामारी से प्रभावित बच्चों के लिए कई सुविधाओं की घोषणा की। इन उपायों की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चे देश के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और देश बच्चों की सहायता एवं सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेगा ताकि वे मजबूत नागरिक के रूप में उभरें और उनका भविष्य उज्ज्वल हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे कठिन समय में एक समाज के रूप में यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों की देखभाल करें और उनमें एक उज्ज्वल भविष्य की आशा जगाएं। कोविड-19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से जीवित बचे या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता दी जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन उपायों की घोषणा की जा रही है, वे सिर्फ पीएम केयर्स फंड जोकि कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में सहायता करेगा, में उदार योगदान के कारण संभव हुए हैं।
बच्चे के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) :
पीएम केयर्स 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का कोष बनाने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई एक योजना के माध्यम से योगदान देगा। यह कोष :
18 वर्ष की आयु से अगले पांच वर्षों तक उच्च शिक्षा की अवधि के दौरान उनकी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने के लिए मासिक वित्तीय सहायता/छात्रवृति देने के लिए उपयोग किया जाएगा, और
23 वर्ष की आयु पूरी करने पर, उसे व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए एकमुश्त के रूप से कोष की राशि मिलेगी।
स्कूली शिक्षा : 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए
बच्चे को नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा।
अगर बच्चे का दाखिला किसी निजी स्कूल में होता है तो पीएम केयर्स से आरटीई के नियमों के मुताबिक फीस दी जाएगी।
पीएम केयर्स वर्दी, पाठ्य पुस्तकों और नोटबुक पर होने वाले खर्च का भी भुगतान करेगा।
स्कूली शिक्षा : 11 -18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए
बच्चे को केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसेकि सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा।
यदि बच्चे को अभिभावक/दादा-दादी/विस्तारित परिवार की देखरेख में रखा जाना है, तो उसे निकटतम केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा।
अगर बच्चे का दाखिला किसी निजी स्कूल में होता है तो पीएम केयर्स से आरटीई के नियमों के मुताबिक फीस दी जाएगी।
पीएम केयर्स वर्दी, पाठ्य पुस्तकों और नोटबुक पर होने वाले खर्च का भी भुगतान करेगा।
उच्च शिक्षा के लिए सहायता :
मौजूदा शिक्षा ऋण के मानदंडों के अनुसार भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों/उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की सहायता की जाएगी। इस ऋण पर लगने वाले ब्याज का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा।
विकल्प के रूप में ऐसे बच्चों को केंद्र या राज्य सरकार की योजनाओं के तहत स्नातक/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के शिक्षण शुल्क/पाठ्यक्रम शुल्क के बराबर की छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी। जो बच्चे मौजूदा छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत पात्र नहीं हैं, उनके लिए पीएम केयर्स एक समकक्ष छात्रवृत्ति प्रदान करेगा।
स्वास्थ्य बीमा
ऐसे सभी बच्चों को आयुष्मान भारत योजना (पीएम-जेएवाई) के तहत लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर होगा।
18 वर्ष की आयु तक के इन बच्चों के लिए प्रीमियम की राशि का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा।
SOURCE-PIB
परिवारों की मदद
बच्चों के लिए पीएम केयर्स – कोविड प्रभावित बच्चों का सशक्तिकरण’ के तहत घोषित उपायों के अलावा भारत सरकार ने उन परिवारों की मदद करने के लिए कई और उपायों की घोषणा की है, जिन्होंने कोविड के कारण कमाई करने वाले सदस्य को खो दिया है। इन उपायों के तहत कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को पेंशन दी जाएगी और इसके साथ ही बढ़ा हुआ एवं उदार बीमा मुआवजा प्रदान किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इन सभी परिवारों के साथ एकजुटता से खड़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि इन योजनाओं के जरिए इन परिवारों के सामने आने वाली वित्तीय कठिनाइयों को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।
कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के तहत पारिवारिक पेंशन
इन परिवारों को सम्मान के साथ जीवन जीने और अपने जीवन स्तर को अच्छा बनाए रखने में मदद करने हेतु रोजगार से संबंधित मृत्यु के मामलों के लिए ईएसआईसी पेंशन योजना का लाभ अब उन लोगों तक भी पहुंचाया जा रहा है जिनकी मृत्यु कोविड के कारण हो गई है। इन व्यक्तियों के आश्रित परिवारिक सदस्य मौजूदा मानदंडों के अनुसार संबंधित कर्मचारी या कामगार के औसत दैनिक वेतन या पारिश्रमिक के 90% के बराबर पेंशन का लाभ पाने के हकदार होंगे। यह लाभ पूर्वव्यापी प्रभाव से 24.03.2020 से और इस तरह के सभी मामलों के लिए 24.03.2022 तक उपलब्ध होगा।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन- कर्मचारी जमा संबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई)
ईडीएलआई योजना के तहत मिलने वाले बीमा लाभों को बढ़ाने के साथ-साथ उदार बना दिया गया है। अन्य सभी लाभार्थियों के अलावा यह योजना विशेषकर उन कर्मचारियों के परिवारों की मदद करेगी जिन्होंने कोविड के कारण अपनी जान गंवा दी है।
अधिकतम बीमा लाभ की राशि 6 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दी गई है।
2.5 लाख रुपये के न्यूनतम बीमा लाभ के प्रावधान को बहाल कर दिया गया है और यह पूर्वव्यापी प्रभाव से 15 फरवरी 2020 से अगले तीन वर्षों के लिए लागू होगा।
ठेके पर काम करने वाले/आकस्मिक कामगारों के परिवारों को लाभान्वित करने के लिए केवल एक ही प्रतिष्ठान में निरंतर रोजगार करने की शर्त को उदार बना दिया गया है, अब इसका लाभ यहां तक कि उन कर्मचारियों के परिवारों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है जिन्होंने अपनी मृत्यु से पहले पिछले 12 महीनों में अपनी नौकरी संभवत: बदल दी थी।
इन योजनाओं के विस्तृत दिशा-निर्देश श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी किए जा रहे हैं।
SOURCE-PIB
विलेज राइस’
भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात को भारी प्रोत्साहन देते हुए, एक स्टार्ट-अप उदय एग्रो फार्म ने आज तमिलनाडु के तंजावर जिला के कुंभकोणम से पेटेंट सुरक्षित ‘विलेज राइस’ की 4.5 एमटी की दो खेप भेजी गई। इस चावल को हवाई और समुद्री मार्ग से आज घाना व यमन को निर्यात किया गया।
प्रोटीन, फाइबर और कई खनिजों से संपन्न ‘विलेज राइस’ को सीधे तंजावर के किसानों से खरीदा गया, जिसे तमिलनाडु के चावल के कटोरे के रूप में भी जाना जाता है। एपिडा से सहायता प्राप्त उदय एग्रो फार्म की आने वाले महीनों में बड़े स्तर पर ‘विलेज राइस’ के निर्यात की योजना है।
2020-21 के दौरान, गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है। अप्रैल-मार्च, 2021 के दौरान 35,448 करोड़ रुपये (4796 मिलियन डॉलर) के गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ, जबकि अप्रैल-मार्च, 2020 में 14,400 करोड़ रुपये (2020 मिलियन डॉलर) का निर्यात हुआ था। इस प्रकार, 2020-21 में गैर बासमती चावल के निर्यात में रुपये में 146 प्रतिशत और डॉलर में 137 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
इस महीने की शुरुआत में, पारादीप इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल, ओडिशा से वियतनाम के लिए चावल की एक खेप का निर्यात किया गया था। हाल के वर्षों में यह पहली बार था कि पारादीप बंदरगाह से गैर बासमती चावल का निर्यात किया गया था।
मार्च, 2021 में असम से ‘लाल चावल’ की पहली खेप अमेरिका को निर्यात की गई थी। आयरन के लिहाज से संपन्न ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में पैदा होता है, जिसमें किसी रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो असमिया खाने का एक अभिन्न अंग है।
काकीनाडा, विशाखापट्टनम, चेन्नई, मुंद्रा और कृष्णापटनम जैसे भारत के कई बंदरगाहों से अफ्रीका और एशियाई देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ है। पारादीप जल्द ही चावल का निर्यात करने वाले देश के प्रमुख बंदरगाह के रूप में उभरेगा।
चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी ऐसे दौर में हुई है, जहां वैश्विक स्तर पर कोविड-19 महामारी के दौरान कई कमोडिटीज की आपूर्ति बाधित हुई है। चावल का निर्यात बढ़ने का श्रेय सरकार को जाता है, जिसने कोविड-19 से संबंधित सुरक्षा सावधानियों का ध्यान रखते हुए चावल का निर्यात सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं।
एपिडा दुनिया में भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात की संभावनाओं के दोहन के लिए किसानों, उद्यमियों, निर्यातकों और आयातकों जैसे विभिन्न हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रही है।एपिडा ने मूल्य श्रृंखला में विभिन्न हितधारकों के साथ भागीदारी के माध्यम से चावल के निर्यात को बढ़ावा दिया है। सरकार ने एपिडा की अगुआई में चावल निर्यात प्रोत्साहन मंच (आरईपीएफ) की स्थापना की है। आरईपीएफ में उद्योग, निर्यातकों, एपिडा, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों और पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सहित प्रमुख चावल उत्पादन राज्यों के कृषि निदेशकों को प्रतिनिधित्व दिया गया है।
SOURCE-PIB
युवा – प्रधानमंत्री योजना
शिक्षा मंत्रालय के तहत उच्च शिक्षा विभाग ने आज युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिए युवा – प्रधानमंत्री योजना की शुरुआत की। यह युवा और नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है, जिससे पढ़ने, लिखने और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके व वैश्विक स्तर पर भारत और भारतीय लेखन को प्रदर्शित किया सके।
युवा (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखकों) की शुरुआत युवा लेखकों को भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के बारे में लिखने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप है। 31 जनवरी, 2021 को मन की बात के दौरान, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने युवा पीढ़ी से स्वतंत्रता सेनानियों, स्वतंत्रता से जुड़ी घटनाओं, स्वतंत्रता संग्राम की अवधि के दौरान वीरता की गाथा के बारे में अपने-अपने संबंधित क्षेत्रों में लिखने का आह्वान किया था। उनका कहना था कि यह भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के अवसर पर भारत की स्वतंत्रता के नायकों को सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि के रूप में होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, “यह विचारशील नेताओं की एक श्रेणी भी तैयार करेगा जो भविष्य की दिशा तय करेगा।”
युवा, भारत@75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है। यह योजना विस्मृत नायकों, स्वतंत्रता सेनानियों, अज्ञात और भूले हुए स्थानों और राष्ट्रीय आंदोलन में उनकी भूमिका और अन्य विषय वस्तुओं पर लेखकों की युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को एक अभिनव व रचनात्मक तरीके से सामने लाने के लिए है। इस प्रकार यह योजना लेखकों की एक धारा विकसित करने में सहायता करेगी जो भारतीय विरासत, संस्कृति और ज्ञान प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए विषयों के अलग-अलग पहलुओं पर लिख सकते हैं।
इसके लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में शिक्षा मंत्रालय के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत संरक्षण के सुव्यवस्थित चरणों के तहत इस योजना के चरणबद्ध निष्पादन को सुनिश्चित करेगा। इस योजना के तहत तैयार की गई पुस्तकों का प्रकाशन नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत करेगा। इसके अलावा संस्कृति और साहित्य के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिए इनका अन्य भारतीय भाषाओं में भी अनुवाद किया जाएगा, जिससे ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को बढ़ावा मिलेगा। वहीं चयनित युवा लेखक विश्व के कुछ बेहतरीन लेखकों के साथ बातचीत करेंगे और साहित्यिक उत्सवों आदि में भाग लेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने युवा दिमागों के सशक्तिकरण और एक सीखने वाला इकोसिस्टम बनाने पर जोर दिया है, जो युवा पाठकों/सीखने वालों को भविष्य की दुनिया में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए तैयार कर सकता है। इस संदर्भ में, युवा रचनात्मक संसार के भविष्य के नेताओं की नींव रखने में एक लंबा सफर तय करेगा।
SOURCE-PIB
Bal Swaraj (Covid-Care)
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 109 के अंतर्गत एक निगरानी प्राधिकरण के रूप में अपने कार्य को आगे बढ़ाते हुए और कोविड-19 से प्रभावित बच्चों से संबंधित बढ़ती समस्या को देखते हुए देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल “Bal Swaraj” (Covid-Care Link) तैयार किया है। आयोग का यह पोर्टल देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के लिए ऑन लाइन ट्रैकिंग तथा डिजिटल रियल टाइम व्यवस्था के उद्देश्य से बनाया गया है। आयोग ने इस पोर्टल के उपयोग को कोविड-19 के दौरान माता-पिता या उनमें से किसी एक को खो देने वाले बच्चों की ट्रैकंग के लिए बढ़ाया है और संबंधित अधिकारी/विभाग द्वारा ऐसे बच्चों का डाटा अपलोड करने के लिए “Covid care” के नाम से लिंक प्रदान किया है।
जिन बच्चों ने पारिवारिक समर्थन खो दिया है या निर्वाह के किसी भी स्पष्ट साधन के बिना हैं, वे किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 2(14) के अंतर्गत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे हैं और ऐसे बच्चों के लिए अधिनियम के तहत दी गई सभी प्रक्रियाओं का पालन किया जाना चाहिए ताकि बच्चों की भलाई और सर्वोत्तम हित सुनिश्चित किया जा सके।
“Bal Swaraj-COVID-Care” पोर्टल का उद्देश्य बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष बच्चों को पेश किए जाने से लेकर उनके माता-पिता/अभिभावक/रिश्तेदारों को सौंपने और उसके बाद की कार्रवाई तक कोविड-19 से प्रभावित बच्चों की ट्रैकिंग करना है। प्रत्येक बच्चे के लिए जिला अधिकारियों और राज्य के अधिकारियों द्वारा पोर्टल में भरे गए डाटा के माध्यम से आयोग इस बारे में जानकारी प्राप्त करने में सक्षम होगा कि क्या बच्चा अपनी पात्रता, लाभ और मौद्रिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम है जिसके लिए बच्चा हकदार है। आयोग यह भी जान सकेगा कि क्या बच्चे को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के समक्ष पेश किया गया है और उसके लिए आदेश दिए जा रहे हैं। आयोग यह पता भी कर सकता है कि क्या राज्य को बच्चों के लिए क्रियान्वित योजनाओं के तहत लाभ देने के लिए अधिक धन प्राप्त करने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।
एनसीपीसीआर एक संवैधानिक संस्था है और भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।
SOURCE-PIB
Steadfast Defender 21 युद्ध अभ्यास
रूस के साथ तनाव बढ़ने पर उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) यूरोप में “Steadfast Defender 21 War Games” सैन्य अभ्यास आयोजित कर रहा है।
मुख्य बिंदु
इस युद्ध अभ्यास में नाटो सैनिक, युद्धपोत और दर्जनों विमान भाग ले रहे हैं। यह अभ्यास पूरे अटलांटिक, यूरोप और काला सागर क्षेत्र में हो रहे हैं।
Steadfast Defender 21
अपने किसी एक सदस्य पर हमला होने पर जवाबी कार्यवाई करने के उद्देश्य से इस युद्ध अभ्यास का आयोजन किया जा रहा है। यह अमेरिका से सैनिकों को तैनात करने के लिए नाटो की क्षमता का परीक्षण करना चाहता है।
यह युद्ध अभ्यास यूक्रेन के साथ सीमा क्षेत्र में हजारों सैनिकों को भेजने के रूस के फैसले के बाद शुरू किया गया है। इसने सैन्य गठबंधन पर चिंता जताई है जिसने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर रूसी सैनिकों द्वारा अधिग्रहण के बाद अब तक की सबसे बड़ी रक्षा खर्च पहल शुरू की थी।
क्या इन सैन्य अभ्यासों का लक्ष्य रूस है?
नाटो के अनुसार, यह सैन्य अभ्यास विशेष रूप से रूस को लक्षित नहीं करते हैं।
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो)
यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों का एक अंतर सरकारी सैन्य गठबंधन है। नाटो (North Atlantic Treaty Organization – NATO) उत्तरी अटलांटिक संधि को लागू करता है जिस पर 1949 में हस्ताक्षर किए गए थे। नाटो में सामूहिक रक्षा की एक प्रणाली शामिल है जिसमें स्वतंत्र सदस्य देश आपसी रक्षा प्रदान करते हैं यदि किसी सदस्य पर बाहरी पार्टी द्वारा हमला किया जाता है। इस संगठन का मुख्यालय बेल्जियम में है।
ओपन स्काईज संधि
बाईडेन के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन अब रूस के साथ ओपन स्काईज संधि (Open Skies Treaty) में फिर से शामिल नहीं होगा।
मुख्य बिंदु
यह संधि एक प्रमुख हथियार नियंत्रण समझौता है, जिसने अमेरिका और रूस को अपनी सैन्य सुविधाओं पर निगरानी विमान उड़ाने की अनुमति दी ।
अमेरिकी प्रशासन के अनुसार, रूस द्वारा इसका अनुपालन करने में विफलता के कारण अमेरिका इस समझौते में फिर से प्रवेश नहीं करेगा।
अब, “न्यू स्टार्ट संधि” (New START Treaty) दोनों देशों के बीच एकमात्र प्रमुख हथियार नियंत्रण समझौता है जिसे हाल ही में अमेरिका द्वारा पांच साल के लिए बढ़ाया गया था।
ओपन स्काइज संधि (Open Skies Treaty)
सोवियत संघ के विघटन के बाद 1992 में ओपन स्काइज संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह पहली बार 1955 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर द्वारा शीत युद्ध के तनाव को कम करने के लिए प्रस्तावित की गयी थी। नाटो के सदस्यों और पूर्व वारसा संधि देशों के बीच इस संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। 2002 में, 35 से अधिक देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें अमेरिका और रूस भी शामिल थे। भारत, ओपन स्काइज संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
प्रमुख विशेषताऐं
ओपन स्काईज संधि का लक्ष्य अपने हस्ताक्षरकर्ताओं के बीच विश्वास पैदा करना है। इस संधि के अनुसार, एक सदस्य देश सहमति प्राप्त करने के बाद ही मेजबान राष्ट्र के किसी भी हिस्से की जासूसी कर सकता है। साथ ही, कोई सदस्य राज्य 72 घंटे से पहले नोटिस देने के बाद मेजबान राज्य की हवाई तस्वीरें ले सकता है।
रूस और अमेरिका
अमेरिका ने आरोप लगाया है कि रूस ओपन स्काइज संधि के अनुरूप नहीं है। दूसरी ओर, रूस के अनुसार, इस संधि से अमेरिका की वापसी ने इसके कार्यान्वयन में असंतुलन पैदा कर दिया है। यही रूस के पीछे हटने का कारण है।
अन्य संधियाँ
अमेरिका और रूस ने 2019 में इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लियर फोर्स ट्रीटी (INF) को छोड़ दिया था। INF के अनुसार, दोनों देशों ने परमाणु हथियारों की दौड़ को कम करने के लिए घातक मिसाइल सिस्टम को नष्ट करने पर सहमति व्यक्त की।
SOURCE-GK TODAY
केलिडोस्कोप प्रभाव
हाल ही में, बैंगलोर के लोगों ने कुछ सेकंड के लिए सूर्य के चारों ओर एक चमकदार इंद्रधनुषी वलय (bright rainbow ring) देखा। यह एक दुर्लभ ऑप्टिकल और वायुमंडलीय घटना है जिसे केलिडोस्कोप प्रभाव (Kaleidoscope Effect) के रूप में जाना जाता है इसे “22-डिग्री गोलाकार प्रभामंडल” (22-degree circular halo) के रूप में भी जाना जाता है।
22-Degree Circular Halo क्या है?
22 डिग्री वृत्ताकार प्रभामंडल (22-degree circular halo ) सूर्य के चारों ओर और कभी-कभी चंद्रमा के आसपास देखा जाता है। इसलिए इसे मून रिंग या विंटर हेलो भी कहा जाता है। यह घटना तब होती है जब सिरस बादलों (cirrus clouds) में मौजूद षट्कोणीय बर्फ के क्रिस्टल के माध्यम से सूर्य या चंद्रमा से किरणें अपवर्तित (refracted) हो जाती हैं।
इसे 22-डिग्री वृत्ताकार प्रभामंडल क्यों कहा जाता है?
क्योंकि, सूर्य या चंद्रमा के चारों ओर बनने वाले प्रभामंडल या वलय की स्पष्ट त्रिज्या 22 डिग्री होती है।
कौन सा बादल सर्कुलर हेलो उत्पन्न करता है?
वृत्ताकार प्रभामंडल सिरस बादलों (cirrus clouds) द्वारा निर्मित होते हैं।
सिरस बादल (Cirrus Clouds)
ये बादल 20,000 फीट की ऊंचाई पर वायुमंडल में बने पतले, अलग, बालों जैसे बादल हैं।
हेलो क्या है?
यह वृत्ताकार डिस्क के भीतरी किनारे पर मौजूद सबसे चमकीला हिस्सा है, जहां डिस्क के अंदर कोई प्रकाश नहीं होता है, क्योंकि छोटे कोणों से कोई प्रकाश अपवर्तित नहीं होता है।
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस
अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस (International Everest Day) हर साल 29 मई को मनाया जाता है। यह दिन काठमांडू, नेपाल और एवरेस्ट क्षेत्र में जुलूसों, स्मारक कार्यक्रमों और विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है।
पृष्ठभूमि
यह दिन हर साल माउंट की पहली चढ़ाई की याद में मनाया जाता है। 29 मई 1953 को एवरेस्ट की चढ़ाई न्यूजीलैंड के सर एडमंड हिलेरी (Sir Edmund Hillary) और नेपाल के तेनजिंग नोर्गे शेरपा (Tenzing Norgay Sherpa) ने की, जो यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले इंसान बने तय। 2008 में, नेपाल सरकार ने उस दिन को अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
माउंट एवरेस्ट
यह समुद्र तल से दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत है जिसकी ऊंचाई 8,848 मीटर है।
इसे नेपाली में सागरमाथा (Sagarmatha) और तिब्बती में चोमोलुंगमा (Chomolungma) के नाम से जाना जाता है ।
1830 से 1843 तक भारत के सर्वेयर जनरल सर जॉर्ज एवरेस्ट को श्रद्धांजलि के रूप में पहाड़ को ‘एवरेस्ट’ के रूप में नामित किया गया था।
SOURCE-GK TODAY