Current Affairs – 29 September, 2021
राष्ट्रव्यापी स्वच्छ भारत कार्यक्रम
युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय (भारत सरकार) का युवा कार्यक्रम विभाग आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में एक अक्टूबर, 2021 से 31 अक्टूबर, 2021 तक राष्ट्रव्यापी स्वच्छ भारत कार्यक्रम का आयोजन करेगा। यह कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) से संबद्ध युवा मंडलों (यूथ क्लब) और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) से संबद्ध संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से देश भर के 744 जिलों के छह लाख गांवों में आयोजित किया जा रहा है।
स्वच्छता अभियान का शुभारंभ युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर द्वारा उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अभियान का उद्देश्य पूरे देश में कचरे की सफाई, मुख्य रूप से सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे की सफाई को लेकर जागरूकता पैदा करना, लोगों को संगठित करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है। सचिव ने साथ ही कहा कि इस महा पहल के माध्यम से, 75 लाख किलो कचरे, मुख्य रूप से प्लास्टिक कचरे को एकत्र किया जाएगा और नागरिकों की मदद एवं स्वैच्छिक भागीदारी से उसका निपटान जाएगा।
स्वच्छ भारत कार्यक्रम में मुख्य रूप से गांवों पर ध्यान दिया जाएगा, जनसंख्या के विशिष्ट वर्ग जैसे धार्मिक संगठन, शिक्षक, कॉर्पोरेट निकाय, टीवी एवं फिल्म अभिनेता, महिला समूह और अन्य भी एक विशेष निर्दिष्ट दिन पर स्वच्छ भारत कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। इस भागीदारी का उद्देश्य अभियान के प्रति उनकी एकजुटता का प्रदर्शन करना और इसे एक सार्वजनिक आंदोलन का रूप देना है। जिला प्रशासन एवं नगर निगम के सहयोग से चिन्हित स्थानों पर कचरा संग्रह थैलों में एकत्रित कर उसका निपटान करने की विशेष योजना बनायी गयी है। इसके अलावा, एकत्र किए गए कचरे के थैलों का वजन रसीद की पावती से मापा जाएगा। स्वच्छता अभियान ऐतिहासिक/प्रसिद्ध स्थलों और पर्यटन स्थलों, बस स्टैंड/रेलवे स्टेशनों, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं शैक्षिक संस्थानों जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर भी चलाए जाएंगे।भारत केवल एक कार्यक्रम नहीं है बल्कि यह आम आदमी की वास्तविक चिंताओं और सफाई से जुड़ी समस्या को हल करने के उसके संकल्प को दर्शाता है।
स्वच्छता अभियान
स्वच्छता अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2014 में की गयी थी और तब से, इस संबंध में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। स्वच्छ भारत कार्यक्रम नए सिरे से ध्यान दिए जाने और प्रतिबद्धता के साथ प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली पहल को आगे बढ़ा रहा है।
यह वास्तव में हम सभी के लिए स्वच्छ भारत पहल का हिस्सा बनने का एक बड़ा अवसर होने जा रहा है। युवाओं और नागरिकों के सामूहिक प्रयासों तथा सभी हितधारकों की मदद से, भारत निस्संदेह स्वच्छता अभियान शुरू करेगा और अपने नागरिकों के लिए जीने की बेहतर दशाओं का निर्माण करेगा।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
वयो नमन कार्यक्रम
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 1 अक्टूबर, 2021 को प्रातः 11:55 से 1 बजकर 5 मिनट तक प्लेनरी हॉल, विज्ञान भवन, नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान में ‘वयो नमन’ कार्यक्रम का आयोजन करेगा। मंत्रालय वृद्धजनों के लिए हर वर्ष 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाता है।
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे और ‘वयोश्रेष्ठ सम्मान’ पुरस्कार प्रदान करेंगे। श्री नायडू इस अवसर पर एल्डरली लाइन 14567 को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और सीनियर एबल सिटिजन रिएम्प्लॉयमेंट इन डिग्निटी (एसएसीआरईडी) और सीनियर केयर एजिंग ग्रोथ इंजन (सीएजीई) पोर्टल्स का शुभारंभ करेंगे।
प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर का दिन अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में
अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाने की शुरुआत सन् 1990 में की गई थी। विश्व में बुजुर्गों के प्रति होने वाले दुर्व्यवहार और अन्याय को रोकने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए 14 दिसंबर 1990 को यह निर्णय लिया गया। तब यह तय किया गया कि हर साल 1 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाएगा, और 1 अक्टूबर 1991 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया गया।
हालांकि इसके पहले भी बुजुर्गों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए, उनके लिए इस तरह की पहल की जा चुकी थी। सन् 1982 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा, “वृद्धावस्था को सुखी बनाइए” का नारा देकर “सबके लिए स्वास्थ्य” अभियान शुरू किया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1991 में अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस की शुरुआत के बाद 1999 को “अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग वर्ष” के रूप में मनाया गया था।
इस दिन को पूरी तरह से बुजुर्गों के लिए समर्पित किया गया है। उनके लिए वृद्धाश्रमों में भी कई तरह के आयोजन किए जाते हैं, और उनकी खुशी व सम्मान का पूरा ध्यान रखा जाता है। खास तौर से उनकी सुविधाओं और समस्याओं पर विचार किया जाता है, एवं उनके स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता से ध्यान दिया जाता है। बुजुर्ग हमारे लिए ईश्वर का अवतार होते हैं, जिनके आशीर्वाद से हमारा पालन पोषण होता है, उनके प्रति मन में सम्मान और अटूट प्रेम होना स्वाभाविक सी बात है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण होता है, उस अवस्था में उनके साथ होना, जब वे असहाय और अक्षम होते हैं। यही उनके प्रति हमारे प्रेम और सच्ची श्रद्धा होती है। भले ही समयाभाव में यह हमेशा संभव न हो, लेकिन इस एक दिन हम उनके प्रति जितने समर्पित हो सकते हैं होना चाहिए, क्योंकि उन्हें सिवाए प्रेम के और कुछ नहीं चाहिए।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
सशक्त ‘विवाद निवारण तंत्र’ के गठन
केंद्रीय विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर. के. सिंह द्वारा ‘स्वतंत्र अभियंता’ (आईई) के माध्यम से एक “विवाद निवारण तंत्र” के गठन को मंजूरी दी गई है। जल विद्युत परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाले सीपीएसई के निर्माण अनुबंधों में एक तीसरे पक्ष के ‘स्वतंत्र इंजीनियरों’ की अगुवाई में एक टीम की नियुक्ति करना अनिवार्य है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख बुनियादी परियोजनाओं में इस तरह के स्वतंत्र इंजीनियरों की टीम का व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। स्वतंत्र इंजीनियरों टीम के पास परियोजना के बारे में विशेषज्ञता होती है। इसके साथ-साथ ही वाणिज्यिक और कानूनी सिद्धांतों के विषय में विशेषज्ञता होती है। स्वतंत्र इंजीनियरों की टीम सभी प्रमुख हितधारकों के साथ सीधे बात करने के साथ परियोजना की नियमित निगरानी कर सकता है और ठेकेदार और नियोक्ता के बीच विवाद न हो इसके लिए प्रभावी भूमिका निभा सकता है। स्वतंत्र टीम प्रारंभिक असहमति के मुद्दो को बातचीत से हल निकालकर उसे विवाद के रूप में लेने से रोकता है। साथ ही उचित और निष्पक्ष तरीके से असहमति के बिंदु को शीघ्र समाप्त करने का प्रयास करता है। इससे समय और पैसे की बर्बादी रोकने में मदद मिलेगी। इससे परियोजनाओं का काम समय पर पूरा करना सुनिश्चित किया जा सकेगा।
हाइड्रो सीपीएसई लगातार इस बात को लेकर सवाल उठाता रहा है कि हाइड्रो पावर क्षेत्र में विवाद समाधान का वर्तमान तंत्र नियोक्ता और ठेकेदार के बीच विवाद सुलझाने के लिए पर्याप्त नहीं है। इस क्षेत्र में स्थापना से लेकर अब तब दोनों पार्टियों के बीच विवाद नोटिफाई हो जाने के बाद ही इस पर ध्यान दिया जाता है। इसको देखते हुए फिल्ड स्तर के मुद्दों और और इन मुद्दों के समाधान पर पहुंचने में आने वाली कठिनाइयों का अध्ययन करने के लिए बोर्ड स्तर के अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिस पर मंत्रालय में विचारविमर्श किया गया।
इस विचारविमर्श में हाइड्रो सीपीएसई के सीईए और बोर्ड स्तर के अधिकारियों ने भी भाग लिया। समिति ने पाया कि अनुबंधों के निष्पादन से संबंधित असहमति या दावों को संबोधित करने में देरी के परिणामस्वरूप वास्तव में समय और परियोजना लागत के अलावा महत्वपूर्ण वित्तीय और आर्थिक नुकसान होता है। स्थापना के चरण में अनुबंधों से संबंधित असहमति का उचित और न्यायसंगत समाधान, निर्धारित समयसीमा के अनुसार अनुबंध के पूरा होने की कुंजी है,जिससे बजट का प्रभावी उपयोग,समय और पैसे की बर्बादी रोकने में मदद मिल सकती है। ‘स्वतंत्र अभियंता’ (आईई) के माध्यम से “विवाद निवारण तंत्र” के लिए मॉडल अनुबंध प्रावधान की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार हैं:
- विद्युत मंत्रालय पारदर्शी और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया को अपनाकर ईमानदार और बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड वाले डोमेन विशिष्ट विशेषज्ञों का एक पैनल तैयार करेगा। इसके अलावा, पैनल में कोई भी बदलाव केवल मंत्रालय द्वारा किया जाएगा और मंत्रालय नियमित अंतराल पर पैनल को नवीनीकरण भी करता रहेगा।
- सीपीएसई और ठेकेदार संयुक्त रूप से कार्यों के प्रत्येक खंड के लिए विशेषज्ञों के उपरोक्त पैनल से केवल एक सदस्य का चयन करेंगे। विशेषज्ञ को प्रत्येक अनुबंध के लिए आईई के रूप में नामित किया जाएगा।
- जांच के दौरान आईई द्वारा मांगी गई आवश्यक जानकारी दोनों पक्षों द्वारा समय सीमा के अंदर प्रदान की जाएगी और इसका अनुपालन न करने पर दंड लगाया जाएगा, जिसका विस्तार अनुबंध की गंभीरता पर सीपीएसई द्वारा अपने संबंधित अनुबंधों में किया जाएगा।
- आईई संबंधित पक्षों द्वारा उठाए गए मुद्दों की जांच करेगा, जिसमें आगे की जांच करने और दोनों पक्षों के साथ सुनवाई/मध्यस्थता करने के लिए आवश्यक फील्ड जांच का भी आयोजन किया जाएगा।
- पार्टियों की प्रारंभिक सुनवाई के आधार पर, आईई असहमति की संख्या और प्रकृति के आधार पर समाधान समयरेखा निर्धारित करेगा जो अधिकतम तीस (30) दिनों की अवधि के अधीन या असाधारण परिस्थितियों में विस्तारित समयरेखा के भीतर और लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों के लिए होगा।
- आईई की नियुक्ति की प्रारंभिक अवधि पांच (5) वर्ष या अनुबंध अवधि, जो भी कम हो के लिए होगी। इसे वर्ष-दर-वर्ष आधार पर नवीनीकृत किया जा सकता है अगर सीपीएसई और ठेकेदार के बीच पारस्परिक रूप से सहमति हो। हालांकि, आईई की नियुक्ति में मंत्रालय द्वारा अंतिम अनुमोदन मान्य होगा।
- आईई के लिए हर दो महीने में एक बार साइट का दौरा करना अनिवार्य होगा ताकि वह चल रही परियोजना गतिविधियों के बारे में लगातार अवगत रहे और किसी भी स्थिति के बारे में निष्पक्ष विचार रखे जिस पर पार्टियों के बीच असहमति हो सकती है। इसके अलावा, जब कभी भी असहमति के मुद्दों को संबोधित करने के लिए कहा जाए, अतिरिक्त दौरे भी करने हो सकते हैं।
- सीपीएसई या ठेकेदार किसी भी स्थिति में आईई को बदलने में सक्षम नहीं होंगे। आईई के बारे में शिकायतें मिलने पर जैसे कि कर्तव्यों का पालन नहीं करना या सत्यनिष्ठा की शिकायतों के मामले आने पर उसे मंत्रालय द्वारा पैनल से ही हटा दिया जाएगा और सीपीएसई और ठेकेदार द्वारा संयुक्त रूप से पैनल से एक नए आईई से नए विशेषज्ञ का चयन किया जाएगा।
विद्युत परियोजनाओं को क्रियान्वित करने वाले सभी हाइड्रो सीपीएसई द्वारा उपर्युक्त नियम के अनुसार आईई के विवाद निवारण तंत्र को अपनाया जाएगा। आईई सभी मामलों में लागू किया जाएगा,भले ही ठेकेदार एक सीपीएसई या एक निजी पार्टी हो। मौजूदा अनुबंधों में डीआरबी या डीएबी के माध्यम से विवाद समाधान तंत्र को आपसी सहमति से आईई के माध्यम से उपरोक्त विवाद निवारण तंत्र द्वारा सम्मिलित किया जा सकता है। भविष्य के अनुबंधों के लिए, आईई के माध्यम से विवाद निवारण तंत्र का प्रावधान केवल विवाद समाधान बोर्ड या विवाद निर्णय बोर्ड के स्थान पर किया जाएगा। पारिश्रमिक की शर्तें भी बताई गई हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
पीएम पोषण योजना
केन्द्र सरकार ने 1.31 लाख करोड़ के वित्तीय परिव्यय के साथ ‘पीएम पोषण योजना’ को अगले पांच साल तक जारी रखने को मंजूरी दी है। पीएम पोषण योजना मौजूदा मध्याह्न भोजन योजना को समाहित कर देगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार 29 सितंबर को ‘पीएम पोषण-पीएम पोषण शक्ति निर्माण’ योजना से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। इसके लिए केन्द्र सरकार 54 हजार करोड़ रुपये और राज्य 31 हजार करोड़ रुपये खर्च करेंगे। इसके अलावा केन्द्र सरकार खाद्यानों पर होने वाले खर्च का 45 हजार करोड़ रुपये भी वहन करेगी।
5 वर्षों तक चलेगी योजना
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए आज कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश भर के 11.20 लाख से अधिक सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को मध्याह्न भोजन प्रदान करने के लिए पीएम पोषण योजना शुरू करने की मंजूरी दी है। यह योजना 5 साल तक चलेगी और इसमें 1.31 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह योजना राज्य सरकारों के साथ साझेदारी में चलाई जाएगी लेकिन इसमें बड़ा योगदान केंद्र सरकार का होगा।
जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना का लाभ 11.20 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले 11.80 करोड़ बच्चों तक पहुंचेगा। इसके तहत छात्रों को प्रकृति और बागवानी का अनुभव भी दिया जाएगा। इसके अलावा आकांक्षी जिलों और अनिमिया के प्रभावित जिलों में पोषक तत्वों के लिए अलग से खुराक दी जाएगी। सभी स्तरों पर खाना बनाने की प्रतियोगिता को प्रोत्साहित किया जाएगा।
क्या है पीएम पोषण योजना?
पीएम पोषण योजना के तहत अगले 5 वर्ष तक देश के करोड़ों बच्चों को मुफ्त भोजन दिया जाएगा। यह योजना राज्य शिक्षा विभाग से जुड़ी है और इसमें देश के करोड़ों बच्चे जो निर्धन परिवारों से आते हैं, उन्हें पोषण योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार ने अतिरिक्त फंड का भी निर्णय लिया है। जो बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए जाते हैं, उनके लिए यह योजना शुरू की जाएगी। इसका नाम प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना रखा गया है। सरकारी स्कूलों में जाने वाले विद्यार्थियों के साथ सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा।
मध्याह्न भोजन योजना (Midday Meal Scheme)
परिचय:
- मध्याह्न भोजन योजना (शिक्षा मंत्रालय के तहत) एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसकी शुरुआत वर्ष 1995 में की गई थी।
- यह प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये विश्व का सबसे बड़ा विद्यालय भोजन कार्यक्रम है।
- इस कार्यक्रम के तहत विद्यालय में नामांकित I से VIII तक की कक्षाओं में अध्ययन करने वाले छह से चौदह वर्ष की आयु के हर बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
उद्देश्य:
- भूख और कुपोषण समाप्त करना, स्कूल में नामांकन और उपस्थिति में वृद्धि, जातियों के बीच समाजीकरण में सुधार, विशेष रूप से महिलाओं को ज़मीनी स्तर पर रोज़गार प्रदान करना।
गुणवत्ता की जाँच:
- एगमार्क गुणवत्ता वाली वस्तुओं की खरीद के साथ ही स्कूल प्रबंधन समिति के दो या तीन वयस्क सदस्यों द्वारा भोजन का स्वाद चखा जाता है।
खाद्य सुरक्षा:
- यदि खाद्यान्न की अनुपलब्धता या किसी अन्य कारण से किसी भी दिन स्कूल में मध्याह्न भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकार अगले महीने की 15 तारीख तक खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान करेगी।
विनियमन:
- राज्य संचालन-सह निगरानी समिति (SSMC) पोषण मानकों और भोजन की गुणवत्ता के रखरखाव के लिये एक तंत्र की स्थापना सहित योजना के कार्यान्वयन की देखरेख करती है।
पोषण स्तर:
- प्राथमिक (I-V वर्ग) के लिये 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक (VI-VIII वर्ग) के लिये 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन के पोषण मानकों वाला पका हुआ भोजन।
कवरेज़:
- सभी सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल, मदरसे और मकतब जो सर्व शिक्षा अभियान (SSA) के तहत समर्थित हैं।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
एल्डर लाइन (Elder Line) 14567 क्या है
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भारत की पहली अखिल भारतीय हेल्पलाइन शुरू की है, जिसे “एल्डर लाइन” (Elder Line) कहा जाता है, जिसका टोल-फ्री नंबर 14567 है। यह वरिष्ठ नागरिकों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों और समस्याओं में सहायता प्रदान करेगी।
मुख्य बिंदु
एल्डर लाइन वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन के मुद्दों, कानूनी मुद्दों, दुर्व्यवहार के मामलों में हस्तक्षेप, भावनात्मक समर्थन, बेघर वरिष्ठ नागरिकों के लिए बचाव और देखभाल आदि पर मुफ्त जानकारी और मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करेगी।
यह हेल्पलाइन नंबर क्यों लॉन्च किया गया?
भारत में 2050 तक लगभग 30 करोड़ से अधिक वरिष्ठ नागरिकों की आबादी होगी। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि कई देशों की कुल आबादी ही 30 करोड़ से कम है। इस आयु वर्ग को कई मानसिक, वित्तीय, भावनात्मक, कानूनी और शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, यह हेल्पलाइन नंबर उन्हें समर्थन देने के लिए शुरू की गयी है।
‘एल्डर लाइन’ का उद्देश्य
‘एल्डर लाइन’ को भारत में सभी वरिष्ठ नागरिकों, या उनके शुभचिंतकों को एक मंच प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
एल्डर लाइन का संचालन कौन करता है?
एल्डर लाइन विजयवाहिनी चैरिटेबल फाउंडेशन के सहयोग से टाटा ट्रस्ट की पहल है। इसे 2018 में हैदराबाद में तेलंगाना सरकार के सहयोग से वहां के बुजुर्गों की मदद के लिए लॉन्च किया गया था। वर्तमान में, टाटा ट्रस्ट और NSE फाउंडेशन तकनीकी साझेदार के रूप में काम कर रहे हैं और एल्डर लाइन के संचालन में संयुक्त रूप से मंत्रालय का समर्थन कर रहे हैं। अब तक 17 राज्यों द्वारा अपने-अपने भौगोलिक क्षेत्रों के लिए एल्डर लाइन खोली गई है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.2
अमृत ग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम – ‘जनकेयर’
28 सितंबर, 2021 को केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा “जनकेयर” शीर्षक से “अमृत ग्रैंड चैलेंज प्रोग्राम” लॉन्च किया गया।
मुख्य बिंदु
- यह कार्यक्रम टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ, ब्लॉक चेन, बिग डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों में 75 स्टार्ट-अप इनोवेशन की पहचान करेगा।
- इस ग्रैंड चैलेंज का शुभारंभ आजादी का अमृत महोत्सव के साथ मेल खाता है, भारत में स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के लिए युवा स्टार्ट-अप और उद्यमियों के लिए अभिनव विचारों और समाधान पेश करना अधिक अनिवार्य हो गया है।
10वीं बायोटेक इनोवेटर्स मीट (Biotech Innovators Meet)
10वीं बायोटेक इनोवेटर्स मीट का आयोजन बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल (BIRAC) द्वारा नई दिल्ली में “विज्ञान से विकास” थीम के तहत किया गया। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्ट-अप को आइडिया से लेकर डिप्लॉयमेंट स्टेज तक पूरा सहयोग देने का संकल्प लिया। उन्होंने BIRAC को निर्देश दिया कि वे युवा स्टार्ट-अप की मदद और समर्थन के लिए सक्रिय रूप से पहुंचें। उनके अनुसार, स्थापित औद्योगिक केंद्रों की तुलना में युवा होनहार नवाचारों को मदद, समर्थन और हैंड-होल्डिंग के संबंध में प्राथमिकता मिलेगी।
भारत की जैव-अर्थव्यवस्था (India’s Bio-Economy)
भारत में जैव-अर्थव्यवस्था 150 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की राह पर है और 2024-25 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण में प्रभावी योगदान देगा।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3