3 June Current Affairs
स्टार्टअप इंडिया
स्टार्टअप इंडिया 16 जनवरी, 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई भारत सरकार की एक प्रमुख योजना है। इसका उद्देश्य स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत में इन्नोवेशन और उद्यमिता के लिए एक मजबूत और समावेशीपारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार (डीपीआईआईटी) स्टार्टअप पहल के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करता है। 3 जून, 2021 तक, डीपीआईआईटी द्वारा 50,000 स्टार्टअप को मान्यता दी गई है, जिनमें से 19,896 स्टार्टअप को 1 अप्रैल, 2020 के बाद मान्यता मिली है।
स्टार्टअप इंडिया योजना के शुभारंभ के साथ, मान्यता प्राप्त स्टार्टअप का विस्तार अब 623 जिलों तक हो गया हैं। इस समय प्रत्येक राज्य और संघ राज्य क्षेत्र में कम से कम एक स्टार्टअप है। 30 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों ने स्टार्टअप को समर्थन देने के लिए विशिष्ट स्टार्टअप नीतियों की घोषणा की है। महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और गुजरात में स्टार्टअप्स की संख्या सबसे ज्यादा है।
विशेष रूप से अहम बात यह है कि पिछले 10,000 स्टार्टअप को जोड़ने में केवल 180 दिन लगे। जबकि योजना जब शुरू हुई थी, उस वक्त 808 दिन में 10,000 स्टार्टअप जुड़ पाए थे। योजना के पहले वर्ष 2016-2017 में 743 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई थी। वहीं वर्ष 2020-2021 में अकेले 16,000 से अधिक स्टार्टअप्स को मान्यता प्राप्त हुई है जो कि स्टार्टअप की तेजी को दर्शाता है।
सबसे ज्यादा ‘खाद्य प्रसंस्करण’, ‘उत्पाद विकास’, ‘एप्लीकेशन डेवलपमेंट’, ‘आईटी परामर्श’ और ‘व्यावसायिक सहायता सेवाएं’ क्षेत्र में स्टार्टअप का पंजीकरण हुआ है। अहम बात यह है कि 45% स्टार्टअप ऐसे हैं जिनके नेतृत्व टीम में एक महिला उद्यमी है। यह प्रवृति ज्यादा से ज्यादा महिला उद्यमियों को अपने आइडिया को स्टार्टअप में परविर्तित करने के लिए प्रेरित करेगी।
डीपीआईआईटी के जरिए स्टार्टअप इंडिया ने हमारी स्टार्टअप अर्थव्यवस्था के लिए पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ फंड्स स्कीम और 945 करोड़ रुपये के स्टार्टअप इंडिया सीडफंड स्कीम (एसआईएसएफएस) के जरिए स्टार्टअप्स के लिए पूंजी जुटाने के अवसर बढ़े हैं।
डीपीआईआईटी द्वारा तैयार की गई और उसके द्वारा क्रियान्वित कई कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय स्टार्टअप पुरस्कार, राज्य रैंकिंग फ्रेमवर्क, वैश्विक वीसी शिखर सम्मेलन, प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन ने स्टार्टअप के पारिस्थितिकी तंत्र में कई भागीदारों के साथ जुड़ने, उनके योगदान के लिए मान्यता देने और उस कार्य को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया है।
डीपीआईआईटी पारिस्थितिकी तंत्र में विकास के अवसरों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए हितधारकों के साथ जुड़ना जारी रखेगा, जिससे भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
SOURCE-PIB
भारत का व्यापार प्रदर्शन
मई 2021 में व्यापारिक निर्यात के अनंतिम आंकड़ों में मई 2020 के स्तर पर 67.39 प्रतिशत और मई 2019 के स्तर पर 7.93 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। मीडिया से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि पीओएल और रत्न और आभूषण को छोड़कर व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात के क्षेत्र मेंमई 2021 में 2020-21 की समान अवधि के मुकाबले 45.96 प्रतिशत और 2019-20 की समान अवधि के मुकाबले11.51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। मई 2021 के दौरान, पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में, व्यापारिक वस्तुओं के आयात में 68.54 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। मई 2019 की तुलना में मई 2021 के दौरान आयात में (-) 17.47 प्रतिशत की गिरावट आई है।
मई 2021* में अनुमानित सेवा निर्यात 17.85 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा, जिसमें मई 2020 की तुलना में 6.44प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है। मई 2020 की तुलना में, मई 2021* में सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 0.30 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज करते हुए 9.97 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा जबकि, मई 2021* के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 7.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जिसमें मई 2020 की तुलना में 15.39 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज होने की संभावना है।
जिन वस्तुओं/वस्तु समूहों ने मई 2021 और मई 2020 के दौरान सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है, वे हैं अन्य अनाज (823.83 प्रतिशत), जूट एमएफजी, फ्लोरकवरिंग समेत (255.77 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (199.85 प्रतिशत), हस्तशिल्प, हस्तनिर्मित कालीन समेत (192.05 प्रतिशत), रत्न और आभूषण (179.16 प्रतिशत), चमड़ा और चमड़ा निर्माता (155.06 प्रतिशत), मानव निर्मित यार्न/फैब्रिक/मेड-अप आदि (146.35 प्रतिशत), मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद (146.19 प्रतिशत), सूती धागे/फैब्रिक/मेड-अप, हथकरघा उत्पाद आदि (137.92 प्रतिशत), सभी
वस्त्रों का आरएमजी (114.15 प्रतिशत), कालीन (107.97 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (90.8 प्रतिशत), सिरेमिक उत्पाद और कांच के बने पदार्थ (81.39 प्रतिशत), अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रसंस्कृत खनिजों सहित खनिज (74.95 प्रतिशत), भुना अनाज और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं (53.66 प्रतिशत), इंजीनियरिंग सामान (53.14 प्रतिशत), काजू (38.4 प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (33.59 प्रतिशत), लौह अयस्क (25.68 प्रतिशत), प्लास्टिक और लिनोलियम (20.44 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (20.11 प्रतिशत), तंबाकू (15.06 प्रतिशत), चावल (12.22 प्रतिशत), तिलहन की खली (8.28 प्रतिशत), मसाले (1.37 प्रतिशत) और कॉफी (1.07 प्रतिशत)।
लौह अयस्क का निर्यात 2020-2021 के दौरान और 2021-22 के पहले दो महीनों में लगातार बढा है। चावल का निर्यात 2020-2021, अप्रैल 2021 और मई 2021 के दौरान अप्रैल 2020 के महीने को छोड़कर लगातार बढ़ रहा है। भुने अनाज और विविध प्रसंस्कृत वस्तुएं, अन्य अनाज और तिलहन की खली का निर्यात जून 2020 से लगातार बढ़ रहा है। फ्लोरकवरिंग सहित जूट एमएफजी और कालीन का निर्यात जुलाई 2020 से लगातार बढ़ रहा है। हस्तशिल्प, हस्तनिर्मित कालीन, सूती धागे/फैब्रिक/मेड-अप, हथकरघा उत्पाद आदि, सिरेमिक उत्पाद और कांच के बने पदार्थ, मसाले और ‘अन्य’ श्रेणियों का निर्यात सितंबर 2020 से लगातार बढ़ रहा है। अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रसंस्कृत खनिजों सहित खनिज निर्यात अक्टूबर 2020 से लगातार बढ़ रहा है। चमड़ा और चमड़े के उत्पाद, मानव निर्मित यार्न/फैब्रिक/मेड-अप आदि और समुद्री उत्पाद जैसे क्षेत्रों में, जो महामारी (2020-2021) के दौरान नकारात्मक वृद्धि का प्रदर्शन कर रहे थे, मार्च 2021 से तेजी आई है।
SOURCE-PIB
इंडसबेस्टमेगाफूड पार्क
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के साथ केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली की उपस्थिति में वर्चुअल रूप में इंडसबेस्टमेगाफूड पार्क का उद्घाटन किया।
छत्तीसगढ़ में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के विकास को गति देने के लिए मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में मेगाफूड पार्क को मंजूरी दी है जिसे मेसर्सइंडसबेस्टमेगाफूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
मेसर्स इंडस बेस्ट मेगाफूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड को 63.8 एकड़ भूमि में 145.5 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से स्थापित किया गया है। इस मेगाफूड पार्क के सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) में कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा बनाई गई सुविधाओं में कोल्डस्टोरेज – 3,745 एमटी, पैक हाउस – 10 एमटी/घंटा, ड्राईवेयरहाउस – 12,000 एमटी, बॉयलर – 8 एमटी, एसेप्टिकपल्पिंग और पैकेजिंग लाइन- आम के लिए 6 मीट्रिक टन/घंटा और टमाटर के लिए 12 मीट्रिक टन, आईक्यूएफ और डीपफ्रीज2एमटी/घंटा और 1500 मीट्रिक टन, अत्याधुनिक सक्षम बुनियादी ढांचे के अलावा खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला शामिल हैं। पार्क में उद्यमियों के कार्यालय और अन्य उपयोग के लिए सामान्य प्रशासनिक भवन और रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग जिलों में 03 प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र भी हैं, जिसमें किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए जलग्रहण क्षेत्र में खेतों के पास प्राथमिक प्रसंस्करण और भंडारण की सुविधा है। इस मेगाफूड पार्क से रायपुर जिले के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों के लोगों को भी लाभ होगा।
मेगाफूड पार्क योजना के बारे में
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने पर फोकस कर रहा है ताकि कृषि क्षेत्र तेजी से बढ़े और किसान की आय को दोगुना करने में एक प्रमुख योगदानकर्ता बन जाए और प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रोत्साहित ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल आगे बढ़े।
जल्द खराब होने वाले उत्पादों पर विशेष ध्यान देने के साथ आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण में मूल्यवर्धन और खाद्य अपव्यय को कम करके खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय देश में मेगाफूड पार्क योजना लागू कर रहा है। मेगाफूड पार्क क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से मजबूत फॉरवर्ड और बैकवर्डलिंकेज के साथ खेत से बाजार तक मूल्य श्रृंखला के साथ खाद्य प्रसंस्करण के लिए आधुनिक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करते हैं। केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र में सामान्य सुविधाओं और सक्षम बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाता है और प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (पीपीसी) और संग्रह केंद्र (सीसी) के रूप में फार्म के निकट प्राथमिक प्रसंस्करण और भंडारण की सुविधाएं बनाई जाती हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार प्रति मेगाफूड पार्क परियोजना 50.00 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
SOURCE-PIB
न्यूनतम वेतन सीमा और राष्ट्रीय मजदूरी दर का निर्धारण
भारत सरकार के श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर न्यूनतम वेतन सीमा और राष्ट्रीय मजदूरी दर का निर्धारण करने के वास्ते तकनीकी इनपुट तथा सिफारिशें देने के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है। समूह का कार्यकाल सूचना जारी होने से तीन साल का होगा।
इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिकग्रोथ के निदेशक प्रोफेसर अजीत मिश्र की अध्यक्षता वाले इस समूह के अन्य सदस्यों में आईआईएम कोलकाता के प्रोफेसरतारिक चक्रवर्ती, एनसीएईआर की वरिष्ठ फैलो डॉ अनुश्रीसिन्हा, संयुक्त सचिव श्रीमति विभा भल्ला और वीवीजीएनएलआई के महानिदेशक डॉ एचश्रीनिवास शामिल हैं। इनके अलावा श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में श्रम एवं रोज़गार मामलों के वरिष्ठ सलाहकार श्री डीपीएस नेगी इस समूह के सदस्य सचिव होंगे।
यह विशेषज्ञ समूह भारत सरकार को न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय मजदूरी दर के निर्धारण के संबंध में अपनी सिफारिशें देगा। मजदूरी दर तय करने के लिए समूह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संबंध में जारी सबसे अच्छी व्यवस्थाओं पर विचार करेगा और मजदूरी दर को तय करने के लिए वैज्ञानिक मानदंड और प्रक्रिया तय करेगा।
SDG India Index
नीति आयोग ने SDG India Index और Dashboard 2020-21 का तीसरा संस्करण जारी किया। इस मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने “SDG India Index and Dashboard 2020-21: Partnerships in the Decade of Action” नामक एक रिपोर्ट जारी की।
मुख्य बिंदु
SDG India Index और डैशबोर्ड का उपयोग सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals -SDGs) की निगरानी के लिए किया जाता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, देश के समग्र SDG स्कोर में 6 अंकों का सुधार हुआ है, जो 2019 में 60 से 2020-21 में 66 हो गया है।इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में सकारात्मक कदम काफी हद तक स्वच्छ जल और स्वच्छता और सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा में अनुकरणीय देशव्यापी प्रदर्शन से प्रेरित है।
इस सूचकांक में सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं : केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड, सिक्किम और महाराष्ट्र। जबकि मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड शीर्ष तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्य हैं।
सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals -SDGs)
सतत विकास लक्ष में 17 वैश्विक गैर-बाध्यकारी लक्ष्य शामिल हैं, जो समावेशी, संपन्न व प्रगतिशील विश्व के लिए ज़रूरी हैं। इन लक्ष्यों को 2015 से 2030 के बीच पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश व पर्यावरण धरणीयता तथा सुशासन शामिल है।
SOURCE-GK TODAY
इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बोनाइजेशन इनिशिएटिव
भारत और यूनाइटेड किंगडम ने औद्योगिक ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए एक नया वर्कस्ट्रीमलांच किया है। स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (Clean Energy Ministerial – CEM) के इंडस्ट्रियल डीप डीकार्बोनाइजेशन इनिशिएटिव (Industrial Deep Decarbonization Initiative – IDDI) के तहत वर्कस्ट्रीम लॉन्च किया गया था।
क्लीनएनर्जीमिनिस्टीरियल (CEM)
12वें CEM का आयोजन चिली द्वारा वर्चुअल मोड में किया जा रहा है। यह 31 मई को शुरू हुआ था और 6 जून को समाप्त होगा।भारत और यूनाइटेड किंगडम ने एक नया वर्कस्ट्रीम लॉन्च किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) द्वारा भी समन्वित किया गया है।
Industrial Deep Decarbonization Initiative (IDDI)
Clean Energy Ministerial Industrial Deep Decarbonization Initiative (IDDI) एक वैश्विक गठबंधन है जिसमें सार्वजनिक और निजी संगठन शामिल हैं जो कम कार्बन औद्योगिक सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। IDDI कार्बन आकलन को मानकीकृत करने और सरकारों के सहयोग से महत्वाकांक्षी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के खरीद लक्ष्यों को स्थापित करने के लिए काम करता है। यह कम कार्बन उत्पाद और डिजाइन औद्योगिक दिशानिर्देशों में निवेश को भी प्रोत्साहित करता है। IDDI का समन्वय UNIDO द्वारा किया जाता है जबकि भारत और यूके द्वारा सह-नेतृत्व किया जाता है। इस पहल के अतिरिक्त सदस्य जर्मनी और कनाडा हैं।
IDDI का उद्देश्य
इस पहल का प्राथमिक उद्देश्य हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना और कम कार्बन वाली औद्योगिक सामग्री की मांग को प्रोत्साहित करना है।
बीज मिनीकिट कार्यक्रम
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने किसानों को तिलहन और दलहन की अधिक उपज देने वाली किस्मों के बीज वितरित करके एक बीज मिनीकिट कार्यक्रम (Seed Minikit Programme) का शुभारंभ किया।
बीज मिनीकिट कार्यक्रम (Seed Minikit Programme)
यह कार्यक्रम खेतों में नई किस्मों के बीजों को पेश करने के लिए एक प्रमुख उपकरण के रूप में शुरू किया गया है।
यह बीज प्रतिस्थापन दर (seed replacement rate) को बढ़ाने में भी मदद करेगा।
इस कार्यक्रम के तहत नैफेड (NAFED), राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation – NCS), और गुजरात राज्य बीज निगम (Gujarat State Seeds Corporation) द्वारा मिनीकिट प्रदान किए जा रहे हैं।
यह पूरी तरह से सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) के माध्यम से वित्त पोषित है।
बीज मिनीकिट का वितरण
इस मिशन के तहत बीजों का वितरण 15 जून, 2021 तक चलेगा। इस प्रकार, किसानों को खरीफ बुवाई का मौसम शुरू होने से पहले बीज मिल जाएंगे।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) के तहत सीधे किसानों को दलहन के लगभग 20,27,318 बीज मिनीकिट, मूंगफली के 74000 मिनीकिट और सोयाबीन के लिए 8 लाख मिनीकिट मुफ्त प्रदान किए जाएंगे।
कार्यक्रम का फोकस
यह मिशन तिलहन (oilseeds) और दलहन (pulses) के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शुरू किया गया था।
तिलहन और दालों का उत्पादन
सरकार ने 2014-15 से तिलहन और दलहन के उत्पादन पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। नतीजतन, तिलहन का उत्पादन 2014-15 में 27.51 मिलियन टन से बढ़कर 2020-21 में 36.57 मिलियन टन हो गया। इसी तरह दालों का उत्पादन इसी अवधि में 17.15 मिलियन टन से बढ़कर 25.56 मिलियन टन हो गया है।
SOURCE-GK TODAY
लाल पर्यटन
2021 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party – CCP) की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर, चीन ‘लाल पर्यटन’ (red tourism) को बढ़ावा दे रहा है, जिसका अर्थ है कि वह लोगों को उन स्थानों पर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है, जिनका कम्युनिस्ट पार्टी के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
वे जगहें कौन सी हैं?
झेजियांग में नन्हू झील (Nanhu Lake), पूर्वी चीन और माओज़ेडोंग (Mao Zedong) का जन्मस्थान उन स्थानों में से हैं, जिन पर चीन प्रकाश डाल रहा है। नन्हू झील में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पहली राष्ट्रीय कांग्रेस 1921 में एक नाव पर आयोजित की गई थी। जबकि, माओज़ेडोंग की जन्मस्थलीशाओशान (Shaoshan) में हाल के दिनों में भारी संख्या में लोगों की भीड़ देखी गई।
लाल पर्यटन का महत्व
रेडटूरिज्म भारी राजस्व पैदा कर रहा है, जो बदले में कोविड-19 महामारी के बीच चीन के आर्थिक उछाल को बढ़ावा दे रहा है। यह लोगों को आधुनिक चीन की स्थापना के लिए कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के बलिदान की याद दिलाता है।
‘रेडटूरिज्म’ क्या है? (What is ‘red tourism’?)
रेडटूरिज्म को चीन द्वारा गढ़ा गया है जिसका अर्थ है “उन स्थलों का दौरा करना जो आधुनिक क्रांतिकारी विरासत है”। इसे 2004 में कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास के लिए ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व वाले स्थानों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह अपने मूल से शुरू होने वाली कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास के बारे में जागरूकता फैलाने का प्रयास करता है। इसमें रंगीन कार्यक्रम शामिल हैं जो आगंतुकों को क्रांतिकारी पोशाक पहनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं जब वे कम्युनिस्ट नेताओं के पूर्व आवासों और प्रदर्शनी हॉल आदि में जाते हैं।
SOURCE-GK TODAY
विश्व साइकिल दिवस
विश्व साइकिल दिवस (World Bicycle Day) 3 जून को दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाने के लिए सामूहिक सवारी का आयोजन करके विश्व स्तर पर मनाया जाता है।
पृष्ठभूमि
2018 में, संयुक्त राष्ट्रमहासभा (UNGA) ने 3 जून को साइकिल की “विशिष्टता, दीर्घायु और बहुमुखी प्रतिभा” के उत्सव के रूप में मनाने के लिए विश्व साइकिल दिवस के रूप में घोषित किया। मोंटगोमरीकॉलेज, मैरीलैंड, अमेरिका के प्रोफेसरलेस्ज़ेकसिबिल्स्की (Professor Leszek Sibilski) ने अपनी समाजशास्त्र कक्षा के साथ साइकिल दिवस घोषित करने और इसके सभी अच्छे गुणों को चिन्हित करने के लिए याचिका दायर की थी।
प्रोफेसरसिबिल्स्की और उनकी कक्षा ने तब विश्व साइकिल दिवस के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को बढ़ावा देने के लिए एक जमीनी अभियान का नेतृत्व किया, जिसने विश्व स्तर पर जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में चिह्नित करने के लिए नामित किया। इस अभियान को अंततः तुर्कमेनिस्तान और 56 अन्य देशों का समर्थन प्राप्त हुआ और अंततः 2018 में इसे अमल में लाया गया, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे विश्व अवकाश घोषित किया।
महत्व
यह दिन साइकिल को परिवहन के एक किफायती, विश्वसनीय, स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ साधन के रूप में भी उजागर करता है क्योंकि वे किसी भी वायु-जनितप्रदूषक, धुएं, ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन नहीं करती हैं और यहां तक कि देशों के कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करती हैं।
एम्स्टर्डम में सभी यात्रियों में से 40% लोग काम पर जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं।