Current Affairs – 3 September, 2021
छठे पूर्वी आर्थिक मंच 2021
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 3 सितंबर 2021 को व्लादिवोस्तोक में आयोजित छठे पूर्वी आर्थिक मंच (ईईएफ) के पूर्ण सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित किया। उल्लेखनीय है कि पीएम 2019 में 5वें ईईएफ के मुख्य अतिथि थे, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए पहला अवसर था।
रूसी सुदूर-पूर्व के विकास के लिए राष्ट्रपति पुतिन के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने भारत की “एक्ट ईस्ट नीति” के तहत रूस के एक विश्वसनीय भागीदार होने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने रूसी सुदूर-पूर्व के विकास में भारत और रूस की प्राकृतिक अनुपूरकता को रेखांकित किया।
‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी’ के अनुरूप प्रधानमंत्री ने दोनों पक्षों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक सम्बन्ध को अधिक से अधिक मज़बूत करने पर जोर दिया। उन्होंने महामारी के दौरान सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के रूप में उभरे- स्वास्थ्य और फार्मा क्षेत्र – के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने हीरा, कोकिंग कोल, स्टील, लकड़ी समेत आर्थिक सहयोग के अन्य संभावित क्षेत्रों का भी उल्लेख किया।
भारतीय राज्यों के मुख्यमंत्रियों की ईईएफ-2019 की यात्रा को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने रूस के सुदूर-पूर्व के 11 क्षेत्रों के राज्यपालों को भारत आने के लिए आमंत्रित किया।
कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद, केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल, जिसमें प्रमुख भारतीय तेल और गैस कंपनियां शामिल हैं, ईईएफ के तहत भारत-रूस व्यापार वार्ता में भाग ले रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी और रूस के सखा-याकूतिया प्रांत के राज्यपाल के बीच ईईएफ के दौरान 2 सितंबर को एक ऑनलाइन बैठक हुई। विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित भारतीय कंपनियों के
ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम :
इस मंच की स्थापना साल 2015 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी। यह मंच रूस के साथ सुदूर पूर्व में स्थित देशों के विकास तथा एशिया प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने हेतु काम करता है। इस फोरम का यह पांचवा आयोजन है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे।
- इस फोरम की बैठक प्रत्येक वर्ष रूस के शहर व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में आयोजित की जाती है।
- यह फोरम विश्व अर्थव्यवस्था के प्रमुख मुद्दों, क्षेत्रीय एकीकरण, औद्योगिक तथा तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रूस और अन्य देशों के सामने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- यह रूस और एशिया प्रशांत के देशों बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करने की रणनीति पर चर्चा करने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में उभरा है।
- इस फोरम का मुख्यालय व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में स्थित है।
विश्व आर्थिक मंच
विश्व आर्थिक फ़ॉरम स्विट्ज़रलैंड में स्थित एक ग़ैर-लाभकारी संस्था है। इसका मुख्यालय जिनेवा में है। स्विस अधिकारीयों द्वारा इसे एक निजी-सार्वजनिक सहयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसका मिशन विश्व के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों में अग्रणी लोगों को एक साथ ला कर वैशविक, क्षेत्रीय और औद्योगिक दिशा तय करना है।
इस मंच की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबन्धन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब द्वारा की गई थी। उस वर्ष यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन प्रोद्योगिकी संगठन के सौजन्य से इस संगठन की पहली बैठक हुई थी। इसमें प्रोफेसर श्वाब ने यूरोपीय व्यवसाय के 444 अधिकारीयों को अमेरिकी प्रबन्धन प्रथाओं से अवगत कराया था। वर्ष 1987 में इसका नाम विश्व आर्थिक फ़ॉरम कर दिया गया और तब से अब तक, प्रतिवर्ष जनवरी महीने में इसके बैठक का आयोजन होता है। प्रारम्भ में इन बैठकों में प्रबन्धन के तरीकों पर चर्चा होती थी। प्रोफेसर ने एक मॉडल बनाया था जिसके अनुसार सफल व्यवसाय वही माना जाता था जिसमें अधिकारी अंशधारी और अपने ग्राहकों के साथ अपने कर्मचारी और समुदाय जिनके बीच व्यस्वसाय चलता है, उसका भी पूरा खयाल रखते हैं। वर्ष 1973 में जब नियत विनिमय दर से विश्व के अनेक देश किनारा करने लगे और अरब-इजराइल युद्ध छिड़ने के कारण इस बैठक का ध्यान आर्थिक और सामाजिक मुद्दों की और मुड़ा और पहली बार राजनीतज्ञों को इस बैठक के लिए निमंत्रित किया गया। राजनीतज्ञों ने इस बैठक को अनेक बार एक तटस्थ मंच के रूप में भी इस्तेमाल किया। 1988 में ग्रीस और तुर्की ने यहीं पर आपसी युद्ध को टालने का एलान किया था। 1992 में रंगभेद नीति को पीछे रखते हुए, तत्कालीन दक्षिण अफ़्रीकी राष्ट्रपति और नेल्सन मंडेला, जिन्होंने रंगभेद नीति के विरोध में जीवन पर्यन्त संघर्ष किया था, पहली बार सार्वजनिक रूप से एक साथ देखे गए थे। 1994 में इजराइल और पलेस्टाइन ने भी आपसी सहमति से मसौदे पर मुहर लगाई थी। प्रोफेसर क्लाउस श्वाब 1971 में दावोस में यूरोपीय प्रबंधन फ़ॉरम के उद्घाट्न समारोह में।
इस संस्था की सदस्यता अनेक स्तर पर होती है और ये स्तर उनकी संस्था के कार्य कलापों में सहभागिता पर निर्भर करती है। सदस्यता के लिए वह कम्पनी जाते हैं जो विश्व भर में अपने उद्योग में अग्रणी होते हैं अथवा किसी भौगोलिक क्षेत्र के प्रगति में अहम भूमिका निभा रहे होते हैं। कुछ विकसित अर्थव्यवस्था में कार्यरत होते हैं या फिर विकासशील अर्थव्यवस्था में।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
“आयुष आपके द्वार” अभियान
आयुष मंत्रालय ने आज देशभर में 45 से अधिक स्थानों पर “आयुष आपके द्वार” अभियान शुरू किया। आयुष राज्यमंत्री डॉ. मुंजापारा महेंद्रभाई ने आयुष भवन में कर्मचारियों को औषधीय पौधे वितरित कर इस अभियान की शुरुआत की। इस अवसर पर, एक सभा को संबोधित करते हुए डॉ. मुंजापारा ने लोगों से औषधीय पौधों को अपनाने और अपने परिवार के एक अंग के रूप में उनकी देखभाल करने की अपील की।
इस अभियान की शुरूआत से जुड़ी गतिविधियों में आज कुल 21 राज्य भाग ले रहे हैं और इस दौरान दो लाख से अधिक पौधे वितरित किए जायेंगे। आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल भी मुंबई से इस अभियान की शुरूआत करेंगे। इस अभियान का उद्देश्य एक वर्ष में देशभर के 75 लाख घरों में औषधीय पौधे वितरित करना है। इन औषधीय पौधों में तेजपत्ता, स्टीविया, अशोक, जटामांसी, गिलोय/गुडुची, अश्वगंधा, कुमारी, शतावरी, लेमनग्रास, गुग्गुलु, तुलसी, सर्पगंधा, कालमेघ, ब्राह्मी और आंवला शामिल हैं।
‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के तहत वाई-ब्रेक ऐप की शुरूआत, रोगनिरोधी आयुष दवाओं के वितरण सहित कई अन्य कार्यक्रम पहले ही शुरू किए जा चुके हैं। स्कूल और कॉलेज के छात्रों के लिए कल व्याख्यान श्रृंखला आयोजित की जाएगी और 5 सितंबर को वाई-ब्रेक ऐप पर एक वेबिनार का आयोजन किया जाना है।
‘आयुष’ शब्द का अर्थ
आज़ादी में :- पारंपरिक और गैर-एलोपैथिक स्वास्थ्य परिचर्चा और उपचार पद्धतियां जिनमें आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी इत्यादि शामिल है।
मंत्रालय के बारे में
आयुष मंत्रालय को 9 नवंबर 2014 को, हमारे प्राचीन चिकित्सा पद्धति के गहन ज्ञान को पुनर्जीवित करने और स्वास्थ्य के आयुष प्रणालियों के इष्टतम विकास और प्रसार को सुनिश्चित करने की दृष्टि से शुरू किया गया था। एक पूर्ण मंत्रालय के रूप में, यह एक वैज्ञानिक तर्क के साथ इन पारंपरिक प्रणालियों के विकास के प्रति एन डी ए सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इससे पहले 1995 में भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी विभाग (ISM&H) का गठन इन सभी पद्यतियों के विकास के लिए किया गया। फिर इसे आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी में शिक्षा और अनुसंधान पर ध्यान देने के साथ नवंबर 2003 में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) विभाग के रूप में नामित किया गया था। 9 नवंबर 2014, आयुष मंत्रालय का गठन चिकित्सा की पारंपरिक भारतीय प्रणालियों के गहन ज्ञान को पुनर्जीवित करने और स्वास्थ्य के आयुष प्रणालियों के इष्टतम विकास और प्रसार को सुनिश्चित करने की दृष्टि से किया गयाl इससे पहले, भारतीय चिकित्सा पद्धति और होम्योपैथी विभाग (ISM&H) का गठन 1995 में किया गया, जो सभी पद्यतियों के विकास के लिए काम करती है। आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी के क्षेत्रों में शिक्षा और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के साथ इसका नाम बदलकर नवंबर 2003 में आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुष) विभाग के रूप में किया गया था।
मुख्य उद्देश्य :
- देश में इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन और होम्योपैथी कॉलेजों के शैक्षिक मानक को उन्नत करने के लिए।
- मौजूदा शोध संस्थानों को मजबूत बनाने और पहचान की गई बीमारियों पर समयबद्ध अनुसंधान कार्यक्रमों को सुनिश्चित करने के लिए जिनके लिए इन प्रणालियों का एक प्रभावी उपचार है।
- इन प्रणालियों में उपयोग किए जाने वाले औषधीय पौधों की खेती, बढ़ावा देने और पुनर्जीवित करने के लिए योजनाएं तैयार करना।
- इंडियन सिस्टम्स ऑफ मेडिसिन और होम्योपैथी दवाओं के फार्माकोपियोअल मानकों को विकसित करने के लिए।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.3
मिशन सागर
इन दिनों जारी मिशन सागर के अंतर्गत आईएनएस ऐरावत दिनांक 3 सितंबर 2021 को कोविड राहत सामग्री के साथ थाईलैंड के सट्टाहिप पहुंचा। जहाज थाईलैंड सरकार द्वारा चल रही कोविड-19 महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में अनुमानित आवश्यकता के आधार पर 300 ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर वितरित कर रहा है।
आईएनएस ऐरावत को दक्षिण पूर्व एशिया में उन मित्र देशों को कोविड राहत देनेके लिए तैनात किया गया है जो भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए मिशन सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फ़ॉर ऑल इन द रीजन) के तत्वावधान में कोविड 19 महामारी से जूझ रहे हैं। वर्तमान तैनाती में जहाज ने थाईलैंड पहुंचने से पहले इंडोनेशिया और वियतनाम को कोविड राहत सामग्री पहुंचाई है।
एक लैंडिंग शिप टैंक (लार्ज) क्लास का जहाज़ आईएनएस ऐरावत पूर्वी नौसेना कमान के तहत विशाखापत्तनम में पूर्वी नौसैनिक बेड़े का एक हिस्सा है। जहाज को स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया है और इसे प्रतिकूल तटों पर सैन्य वाहनों और कार्गो को शामिल करने के लिए बनाया गया है। उनकी अन्य भूमिका में मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (एचएडीआर) शामिल है। इस प्रकार यह जहाज़ इस मिशन के लिए पसंदीदा रहा है। जहाज ने अप्रैल 2021 से कोविड-19 से लड़ने के लिए देश के प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
फाइनेंशियल स्टैबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल
केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज यहां फाइनेंशियल स्टैबिलिटी (एफएसडीसी) की 24वीं बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में एफएसडीसी के विभिन्न क्षेत्रों वित्तीय स्थायित्व, वित्तीय क्षेत्र विकास, अंतर नियामकीय समन्वय, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन और अर्थव्यवस्था के व्यापक विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण सहित बड़े वित्तीय समूहों के कामकाज आदि पर विचार-विमर्श किया गया।
गौरतलब है कि सरकार और सभी नियामकों द्वारा वित्तीय स्थितियों पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है।
परिषद ने संकट में फंसी संपदाओं के प्रबंधन, वित्तीय स्थायित्व विश्लेषण, वित्तीय समावेशन, वित्तीय संस्थानों के समाधान के लिए फ्रेमवर्क और आईबीसी प्रक्रियाओं से जुड़े मुद्दों, विभिन्न सेक्टरों और सरकार को बैंक का एक्सपोजर, सरकारी प्राधिकरणों का डाटा शेयरिंग मेकैनिज्म, भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण और पेंशन क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया।
परिषद ने आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली एफएसडीसी उप समिति द्वारा कराई गई गतिविधियों और एफएसडीसी के पुराने फैसलों पर सदस्यों द्वारा उठाए गए कदम पर भी विचार किया गया।
वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद
- वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (Financial Stability and Development Council – FSDC) का गठन दिसंबर 2010 में किया गया था। परिषद की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा की जाती है।
- इसके सदस्यों में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव, वित्तीय सेवा विभाग के सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय, सेबी के अध्यक्ष, इरडा के अध्यक्ष, पी.एफ.आर.डी.ए. के अध्यक्ष को शामिल किया जाता है।
यह क्या कार्य करता है?
- परिषद का कार्य वित्तीय स्थिरता, वित्तीय क्षेत्र के विकास, अंतर-नियामक समन्वय, वित्तीय साक्षरता, वित्तीय समावेशन तथा बड़ी वित्तीय कंपनियों के कामकाज सहित अर्थव्यवस्था से जुड़े छोटे-छोटे मुद्दों का विवेकपूर्ण पर्यवेक्षण करना है।
- इसके अतिरिक्त इस परिषद को अपनी गतिविधियों के लिये अलग से कोई कोष आवंटित नहीं किया जाता है।
SOURCE-PIB
PAPER- G.S.3
‘ईट राइट स्टेशन’ प्रमाणन
2 सितंबर, 2021 को, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को 5-स्टार ‘ईट राइट स्टेशन’ प्रमाणन प्रदान किया।
मुख्य बिंदु
- यह प्रमाणन यात्रियों को उच्च गुणवत्ता वाला, पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए दिया गया है।
- 5-स्टार रेटिंग यात्रियों को सुरक्षित और स्वास्थ्यकर भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्टेशनों द्वारा किए गए अनुकरणीय प्रयासों को दर्शाती है।
ईट राइट स्टेशन सर्टिफिकेशन (Eat Right Station Certification)
‘ईट राइट स्टेशन सर्टिफिकेशन’ ‘ईट राइट इंडिया’ आंदोलन का हिस्सा है। यह सभी भारतीयों के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और सतत भोजन सुनिश्चित करने के लिए भारत में खाद्य प्रणाली को बदलने के लिए FSSAI द्वारा किया गया एक बड़े पैमाने पर प्रयास है।
किन स्टेशनों को यह सर्टिफिकेशन मिला है?
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन यह प्रमाणन प्राप्त करने वाला भारत का पांचवां स्टेशन बन गया है। इस प्रमाणीकरण के साथ अन्य स्टेशनों में शामिल हैं – दिल्ली में आनंद विहार टर्मिनल रेलवे स्टेशन, मुंबई में छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मुंबई में मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन और वडोदरा में वडोदरा रेलवे स्टेशन।
SOURCE-GKTODAY
PAPER-G.S.1 PRE
इंडियन रॉयल जेली
पुणे स्थित शोधकर्ताओं के अनुसार, इंडियन रॉयल जेली थाईलैंड और ताइवान में उत्पादित उच्च गुणवत्ता वाले विक्रेताओं से आगे निकल गई है।
मुख्य बिंदु
- रॉयल जेली एक अच्छे एंटीऑक्सीडेंट के रूप में जानी जाती है। यह प्रजनन संबंधी समस्याओं वाली महिलाओं की मदद करती है।
- इंडियन रॉयल जेली 2019 में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निर्धारित ISO-निर्धारित मानकों को पूरा करती है।
- 2019 से पहले भारत में रॉयल जेली के लिए कोई निर्धारित मानक नहीं थे।
रॉयल जेली क्या है?
रॉयल जेली एक सफेद या हल्के पीले रंग का शहद और मधुमक्खियों के हाइपोफरीन्जियल और मेन्डिबुलर ग्रंथियों से निकलने वाले पदार्ध का मिश्रण है। इसमें 60-70% नमी या पानी, 1-10% लिपिड, 0.8-3% खनिज, 9-18% प्रोटीन, 7% चीनी आदि होते हैं। इसका उपयोग युवा लार्वा और वयस्क रानी मधुमक्खियों के भोजन के रूप में किया जाता है।
रॉयल जेली का संग्रहण
रॉयल जेली को उत्पादन के ठीक बाद, पैकेजिंग के दौरान और साथ ही उपभोक्ता के पास कम तापमान पर संग्रहीत किया जाता है। ताजी रॉयल जेली को स्टोर करने के लिए उचित तापमान -20 डिग्री सेल्सियस से नीचे है। नमी को दूर करने के लिए फ्रीज ड्रायर (एक विशेष मशीन) की आवश्यकता होती है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-GS 1
स्क्रब टाइफस
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से एक रहस्यमय बुखार सामने आया था। इसने एक सप्ताह में लगभग 40 लोगों की जान ले ली, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। इस वायरल बुखार की पहचान स्क्रब टाइफस के रूप में हुई है।
मुख्य बिंदु
- स्क्रब टाइफस के मामले मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद, आगरा, मैनपुरी, एटा और कासगंज जिलों से सामने आये हैं।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया और कहा कि लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की एक टीम बच्चों की मौत की जांच करेगी।
- स्थिति को देखने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक टीम को भी बुलाया गया था।
स्क्रब टाइफस क्या है?
स्क्रब टाइफस एक पुन: उभरता हुआ रिकेट्सियल संक्रमण (Rickettsial infection) है। यह वेक्टर जनित रोग पहले भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रिपोर्ट किया गया है।इस रोग के कारण बुखार और चकत्ते होते है। यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, हृदय प्रणाली, श्वसन प्रणाली, वृक्क प्रणाली और जठरांत्र प्रणाली को भी प्रभावित करता है। जटिल मामलों में, यह निमोनिया, मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस, गैस्ट्रो-आंत्र रक्तस्राव, गुर्दे की विफलता और श्वसन संकट सिंड्रोम का कारण बन सकता है।
पृष्ठभूमि
इस रोग का नाम “स्क्रब” रखा गया है, जो कि वेक्टर को आश्रय देने वाली वनस्पति के प्रकार के कारण है। इस रोग ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कुछ देशों में महामारी का रूप ले लिया था। भारत में यह बुखार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान असम और पश्चिम बंगाल में महामारी के रूप में निकला था।
स्क्रब टाइफस बुखार ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी (Orientia tsutsugamushi) नामक जीवाणु के कारण होता है यह रोग संक्रमित चिगर्स (chiggers) या लार्वा माइट्स (larval mites) के काटने से फैलता है।
SOURCE-DANIK JAGARAN
PAPER-G.S.3