CURRENTS AFFAIRS – 30th APRIL
राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि का क्षेत्र हमारे देश की बड़ी आबादी को कवर करने के साथ ही रोजगार प्रदान करता है। हमारे गांवों व कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है, जिसके सहारे हम अनेक प्रतिकूलताओं से उबरते हैं। कृषि क्षेत्र ने तमाम प्रतिकूलताओं में भी अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध किया है। किसानों के परिश्रम, भारत सरकार की कृषि हितैषी नीतियों व राज्य सरकारों के प्रयत्नों से कृषि क्षेत्र ने सकारात्मक योगदान दिया है और जीडीपी में भी कृषि क्षेत्र की ग्रोथ प्रतिकूलताओं के बावजूद बढ़ी है। श्री तोमर ने कहा कि खेती-किसानी के विकास के लिए राज्यों को किसी भी तरह की तकलीफ नहीं आने दी जाएगी, भारत सरकार राज्यों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती रहेगी।
केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात शुक्रवार को राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन में कही। श्री तोमर ने खरीफ की अच्छी फसल के लिए शुभकामनाएं देते हुए राज्यों से आग्रह किया कि खेती के क्षेत्र में देश में बहुत अच्छी प्रगति हो रही है, तिलहन व दलहन की दृष्टि से भी सभी को और मिल-जुलकर, मिशन मोड पर काम करना चाहिए। इस दिशा में भारत सरकार सबके सहयोग से काम कर रही है और उम्मीद है कि हम इनमें भी आत्मनिर्भर हो सकते हैं। श्री तोमर ने सराहना की कि सभी किसानों व राज्य सरकारों ने मिलकर काम किया है तथा आशा जताई कि आगे भी योजनाबद्ध ढंग से काम करते रहेंगे। उन्होंने जैविक खेती व जीरो बजट खेती को लेकर भी मार्गदर्शन दिया तथा सभी राज्यों में आर्गेनिक खेती का रकबा बढ़ाने पर जोर दिया। श्री तोमर ने कहा कि राज्यों को पहचान करना चाहिए कि वे कौन-कौन से हिस्सों को पूरी तरह आर्गेनिक कर सकते हैं तथा किसानों को समय पर मार्केट उपलब्ध करा सकते हैं। देश में 307 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, जिसे हासिल करने के लिए श्री तोमर ने शुभकामनाएं दी।
खरीफ सम्मेलन में राज्यों ने भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि लॉकडाउन अवधि के दौरान दी गई छूट से किसानों को बिना किसी बाधा के कृषि कार्य करने की सुविधा मिली है। सम्मेलन के दौरान विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण मुद्दों की पहचान करने, कृषि आदानों का मूल्यांकन और आवश्यकता एवं उनकी स्थिति का पता लगाने में सहायता हुई, जिससे महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों का मार्ग प्रशस्त हुआ है। सम्मेलन से देश में खाद्य उत्पादन के वांछित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोडमैप और कार्यनीति विकसित करने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।
SOURCE-PIB
लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेजिंग रूल्स 2011)
वर्तमान में कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए और चिकित्सा उपकरणों की मांग को पूरा करने के लिए भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने चिकित्सा उपकरणों के आयातकों को 28.04.2021 से तीन महीने के लिए निम्नलिखित श्रेणियों के चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति दी है। आयातकों को इन नियमों के तहत आवश्यक सभी घोषणाएं करनी होंगी जो आयात/ कस्टम क्लीयरेंस के तुरंत बाद और स्टैम्पिंग या ऑनलाइन प्रिंटिंग के माध्यम से बिक्री से पहले, जैसा कि मामला हो सकता है :
- नेबुलाइजर्स
- ऑक्सीजन कॉन्सट्रेटर
- सीपीएपी उपकरण
- बीआईपीएपी उपकरण
- फ्लो मीटर, रेगुलेटर, कनेक्टर और ट्यूबिंग के साथ ऑक्सीजन कॉन्सट्रेटर
- वैक्यूम दबाव स्विंग अवशोषण (वीपीएसए) और दबाव स्विंग अवशोषण (पीएसए) ऑक्सीजन संयंत्र, क्रायोजेनिक ऑक्सीजन वायु पृथक्करण इकाइयाँ (एएसयू) जो तरल/गैसीय ऑक्सीजन का उत्पादन करती हैं।
- ऑक्सीजन कनस्तर
- ऑक्सीजन फिलिंग सिस्टम
- ऑक्सीजन सिलेंडर जिसमें क्रायोजेनिक सिलेंडर शामिल हैं
- ऑक्सीजन जेनरेटर
- ऑक्सीजन के उत्पादन, परिवहन, वितरण या भंडारण के लिए उपकरणों के निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले भाग
- कोई अन्य उपकरण जिससे ऑक्सीजन उत्पन्न की जा सकती है
- वेंटिलेटर (नाक प्रवाह के साथ उच्च प्रवाह उपकरणों के रूप में कार्य करने में सक्षम); सभी सामान और ट्यूबिंग सहित कंप्रेशर्स; ह्यूमिडिफायर्स और वायरल फिल्टर
- सभी संलग्नक के साथ उच्च प्रवाह नाक प्रवेशिका उपकरण
- नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन के साथ उपयोग के लिए हेलमेट
- आईसीयू वेंटिलेटर के लिए नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन ओरोनेजल मास्क
- आईसीयू वेंटिलेटर के लिए नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन नेजल मास्क
उपभोक्ता मामले विभाग, कानूनी मेट्रोलॉजी अधिनियम 2009 का प्रबंधन करता है। यह अधिनियम माप और उपकरणों को मापने के लिए कानूनी आवश्यकताओं पर लागू होता है। कानूनी मेट्रोलॉजी का उद्देश्य सुरक्षा और वजन और माप की सटीकता के दृष्टिकोण से सार्वजनिक गारंटी सुनिश्चित करना है। कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज), नियम 2011 मुख्य रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि उपभोक्ता पूर्व-पैक वस्तुओं को खरीदने से पहले इन पर लिखी आवश्यक घोषणाओं के बारे में पढ़े और सही विकल्प चुनने में सक्षम हो।
देश में कोवि़ड-19 महामारी की दूसरी लहर के बीच इन सामानों की त्वरित मंजूरी को सक्षम करके ऊपर उल्लिखित चिकित्सा उपकरणों की मांग को पूरा करने के लिए सलाह जारी की गई है। भारत सरकार ने इस लचीलेपन को आवश्यक चिकित्सा उपकरणों को कस्टम क्लीयरेंस के लिए लेबल करने की अनुमति दी है लेकिन बिक्री से पहले इन जीवन रक्षक उपकरणों की शीघ्र निकासी के लिए यह प्रावधान किया गया है। जो आयातकर्ता, इस अनुमति के तहत चिकित्सा उपकरणों का आयात करते हैं, वे राज्य में निदेशक (कानूनी मेट्रोलॉजी) और नियंत्रक (कानूनी मेट्रोलॉजी) को आयात की गई मात्रा के साथ ऐसी सभी आयातित वस्तुओं के बारे में तुरंत सूचित करेंगे।
SOURCE-PIB
श्री सत्यजीत रे की जन्म शताब्दी
महान फिल्म निर्माता को श्रद्धांजलि देने के तहत सूचना और प्रसारण मंत्रालय देश-विदेश में स्वर्गीय श्री सत्यजीत रे का साल भर चलने वाला शताब्दी समारोह आयोजित करेगा।
श्री सत्यजीत रे एक प्रख्यात फिल्म निर्माता, लेखक, चित्रकार, ग्राफिक डिजाइनर एवं संगीतकार थे। उन्होंने विज्ञापन में अपने करियर की शुरुआत की और अपनी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ के लिए प्रेरणा उस समय प्राप्त की जब वे बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास के बाल संस्करण का चित्रण कर रहे थे। इस फिल्म ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति दिलाई। श्री रे ने इसके बाद चारुलता, आगंतुक और नायक जैसी अन्य बेहतरीन फिल्में बनाईं। वह एक रचनात्मक लेखक भी थे, जिन्होंने प्रसिद्ध जासूस फेलूदा और वैज्ञानिक प्रोफेसर शोंकू का किरदार प्रस्तुत किया जो बंगाली साहित्य का एक लोकप्रिय हिस्सा है। भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 1992 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा।
समारोह के हिस्से के रूप में सूचना और प्रसारण मंत्रालय की मीडिया इकाइयां यथा फिल्म समारोह निदेशालय, फिल्म प्रभाग, एनएफडीसी, एनएफएआई, और सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता अनेक कार्यकलापों की एक श्रृंखला की योजना बना रहे हैं। विदेश मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालय/विभाग भी इसमें सक्रिय भूमिका निभाएंगे। हालांकि, महामारी की स्थिति के मद्देनजर ये समारोह पूरे वर्ष के दौरान हाइब्रिड मोड यानी डिजिटल और फिजिकल दोनों ही मोड में आयोजित किए जाएंगे।
इस महान शख्सियत की विरासत को ध्यान में रखते हुए ‘सिनेमा में उत्कृष्टता के लिए सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ की शुरुआत इस साल से की गई है जिसे भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में हर साल दिया जाएगा और इसकी शुरुआत इसी वर्ष से होगी। पुरस्कार में 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण पत्र, शॉल, एक रजत मयूर पदक और एक स्क्रॉल शामिल हैं।
कार्यक्रम और कार्यकलाप
फिल्म समारोह निदेशालय, फिल्म प्रभाग और विदेश मंत्रालय भारत में और विदेश स्थित भारतीय मिशनों के माध्यम से सत्यजीत रे फिल्म समारोहों का आयोजन करेंगे, जहां श्री सत्यजीत रे की फिल्मों और उन पर बनी फिल्मों एवं वृत्तचित्रों को दिखाया जाएगा। 74वें कान फिल्म समारोह में श्री रे की फिल्मों पर विशेष पूर्वावलोकन पेश करने के साथ-साथ उन्हें दिखाने की योजना बनाई जा रही है।
फिल्म समारोह निदेशालय भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई), 2021 में एक विशेष पूर्वावलोकन आयोजित करेगा। इस पूर्वावलोकन की शिरकत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में होगी।
फिल्म प्रभाग अपनी पहल के तहत मुंबई स्थित भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय में एक विशेष सत्यजीत रे अनुभाग बनाएगा। इस अनुभाग, जो पूरे वर्ष के दौरान देश के विभिन्न संग्रहालयों में भी शिरकत करेगा, में श्री रे के जीवन के यादगार लम्हे फिजिकल एवं डिजिटल दोनों ही मोड में दर्शाए जाएंगे। इनमें उनकी फिल्मों, साक्षात्कार आदि के सर्वश्रेष्ठ शॉट्स भी शामिल होंगे।
भारतीय राष्ट्रीय फिल्म अभिलेखागार (एनएफएआई) श्री रे की सभी उपलब्ध फिल्मों और प्रचार सामग्री का परार्वतन एवं डिजिटलीकरण करेगा। यह उनकी फिल्मों के पोस्टरों की एक आभासी प्रदर्शनी भी आयोजित करेगा।
एनएफडीसी अपने ओटोटी प्लेटफॉर्म पर एक फिल्म समारोह ‘सिनेमाज ऑफ इंडिया’ का आयोजन करेगा जिसमें उनकी पांच फिल्में दिखाई जाएंगी।
सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता अपने परिसर में श्री सत्यजीत रे की प्रतिमा का अनावरण करेगा। इस महान फिल्म निर्माता की विशिष्ट प्रतिभा को समझने के लिए इस संस्थान में उनके उत्कृष्ट कार्यकलापों पर एक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। बच्चों के लिए श्री रे के कार्यकलापों का एक पैकेज भी विकसित किया जा रहा है जिसे स्कूलों को दिया जा सकता है। श्री रे की फिल्मों की थीम पर अंतर-कॉलेज प्रतियोगिताओं का आयोजन फिल्म स्कूलों के बीच कराया जाएगा।
संस्कृति मंत्रालय सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करेगा और कला एवं साहित्य में श्री रे के व्यक्तित्व और कार्यकलापों के विभिन्न परिप्रेक्ष्य को प्रदर्शित करेगा।
इन कार्यकलापों की निगरानी के लिए सचिव (सूचना एवं प्रसारण) की अध्यक्षता में एक कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है। इस समिति में नामित सदस्य के रूप में वरिष्ठ फिल्म निर्माता श्री धृतिमन चटर्जी और सूचना एवं प्रसारण, संस्कृति और विदेश मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।
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‘ट्राइफेड’ ने जनजातीय विकास के लिए ‘द लिंक फंड’ के साथ हाथ मिलाया
जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण में मुख्य संस्था के रूप में काम कर रही ट्राइफेड का ध्यान भारत में जनजातीय लोगों की आजीविका और उनके जीवन को बेहतर करने के लिए नए विकल्पों और उपायों की तलाश पर है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ट्राइफेड ने “जनजातीय परिवारों की टिकाऊ आजीविका” संबंधी एक परियोजना पर जनहित में कार्यरत संस्था ‘द लिंक फंड’ के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य जनजातीय समूहों में अति गरीबी को दूर करना और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करना है।
ट्राइफेड और द लिंक फंड ने 29 अप्रैल, 2021 को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इसके अंतर्गत दोनों संगठन साथ मिलकर जनजातीय समूहों के विकास और उनके द्वारा निर्मित किए जा रहे उत्पादों में गुण संवर्धन हेतु मदद उपलब्ध कराकर रोजगार सृजन, टिकाऊ आजीविका के लिए कार्य करने के साथ-साथ उनकी आय बढ़ाने हेतु मूल्य संवर्धन, कौशल प्रशिक्षण और सूक्ष्म वन उत्पादों के लिए गुण संवर्धन, उनके द्वारा तैयार किए जा रहे वन उत्पादों में विविधिकरण के लिए तकनीकि हस्तक्षेप से सहायता उपलब्ध कराएंगे।
इस सहयोग के अंतर्गत दोनों संगठन महिला केंद्रित बुनियादी ढांचा विकसित करने और नवाचार तथा नव उद्यमिता के लिए मिलकर काम करेंगे। द लिंक फंड संस्था का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित है, जो अत्यंत पिछड़े समुदायों में गरीबी उन्मूलन तथा जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से उनको बचाने के लिए काम करती है।
अल माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम के अवसर पर अपने संबोधन में श्री कृष्णा ने ट्राइफेड द्वारा शुरू की गई विभिन्न पहलों के बारे में बात की। विशेषकर वन धन स्टार्टअप अभियान के बारे में उन्होंने विस्तार से चर्चा की जो जनजातीय हस्तशिल्पियों और वनों में रहने वाले लोगों के लिए रोजगार अवसर सृजन में बड़ी भूमिका अदा कर रहा है। ट्राइफेड का मुख्य उद्देश्य जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण करना है। उन्होंने कहा कि उनके उत्पादों के लिए बेहतर कीमत दिलाने, उनके मूल उत्पादों में गुण संवर्धन, बड़े बाज़ारों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करने, या उनके बेहतर जीवन के लिए साझेदारी के लिए हमारे प्रयास जारी हैं। हमें इस बात की प्रसन्नता है कि हम द लिंक फंड के साथ साझेदारी से भारत के जनजातीय समूहों को बेहतर और आधुनिकतम मदद मुहैया कराएंगे।
द लिंक के सीईओ टोनी काम ने कहा कि द लिंक, ट्राइफेड के नेतृत्व में इस साझेदारी के तहत काम करने को लेकर उत्साहित है। उन्होंने कहा कि हम ट्राइफेड के साथ मिलकर विस्तृत परियोजना क्रियान्वयन योजना और प्रभावी कार्यान्वयन तथा धन के खर्च इत्यादि के लिए बजट का अनुमान तैयार करेंगे। द लिंक फंड इस कार्यक्रम में अपनी तकनीकि विशेषज्ञता को लागू करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस परियोजना के लिए अपने संगठन की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत करते हुए सीखने की व्यवस्था पर काम किया जाएगा और कच्चे माल तथा तैयार उत्पादों के रूप में एनटीएफ़पी उत्पादों के लिए बाज़ार विकसित करना एक महत्वपूर्ण आयाम होगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के माध्यम से सूक्ष्म वन उत्पादों के विपणन का तंत्र विकसित करने और एमएफ़पी योजना के लिए मूल्य शृंखला विकसित करने संबंधी इस महत्वाकांक्षी योजना ने जनजातीय लोगों की परिस्थितिकी को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया है। 21 राज्यों की सरकारी एजेंसियों के सहयोग से ट्राइफेड द्वारा क्रियान्वित की गई इस योजना के अंतर्गत जनजातीय परिस्थितिकी में अप्रैल 2020 से 3000 करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ है। मई 2020 में सरकार की सहायता से इस योजना के अंतर्गत सूक्ष्म वन उत्पादों (एमएफ़पी) की कीमतों में 90% की वृद्धि दर्ज की गई और इस एमएफ़पी की सूची में 23 नए उत्पादों को शामिल किया गया। जनजातीय कार्य मंत्रालय की इस महत्वाकांक्षी योजना को वन अधिकार अधिनियम 2005 से संबल मिलता है, जिसका लक्ष्य देश के वनों में रहने वाले लोगों को उनके उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें उपलब्ध कराना है।
वन धन विकास केंद्र और जनजातीय स्टार्टअप्स इस योजना के एक महत्वपूर्ण घटक है जिसने एमएसपी की कमी को बखूबी पूरा किया है और यह जनजातियों और वनवासी लोगों तथा वनों में रहने वाले हस्तशिल्पियों के लिए रोजगार का एक महत्वपूर्ण श्रोत बनकर उभरा है। इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इससे यह सुनिश्चित होता है कि मूल्य संवर्धित उत्पादों की बिक्री का लाभ सीधे जनजातिय लोगों को मिलता है।
इसी के अगले चरण के क्रम में ट्राइफेड जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण हेतु संगठनों, सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और अकादमिक जगत के साथ मिलकर सभी संभावनाएं तलाश रहा है। इसका उद्देश्य सक्षम उपायों-विकल्पों को एकजुट कर आदिवासी समूहों की आय को बढ़ाने के लिए मदद करना है।
SOURCE-PIB
Patania II
एक गहरे समुद्र में खनन करने वाला रोबोट पटानिया II प्रशांत महासागर के तल पर फँस गया गया।
मुख्य बिंदु
पटानिया II रोबोट को 13,000 फीट की गहराई पर प्रशांत महासागर में निकेल और कोबाल्ट में समृद्ध चट्टानों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।जब इसका पहला परीक्षण पूरा होने के करीब था, तो रोबोट का Umbilical केबल अलग हो गया। कोबाल्ट और निकेल निम्न कार्बन प्रौद्योगिकियों (low carbon technologies) के लिए आवश्यक हैं।
मशीन की रिकवरी की योजना बनाई जा रही है।
यह खोज प्रशांत महासागर के क्लेरियन क्लिपर्टन जोन (Clarion Clipperton Zone) में हो रही है।
मामला क्या है?
इस रोबोट का वजन पच्चीस टन है। इसे Global Sea Mineral Resources (GSR) द्वारा विकसित किया गया था। GSR कंपनी को क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन में 75,000 वर्ग किलोमीटर अनुबंध क्षेत्र प्रदान किया गया था। यह बेल्जियम के आकार का 2.5 गुना है।
क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन (Clarion Clipperton Zone)
यह एक भूगर्भीय पनडुब्बी फ्रैक्चर ज़ोन है जो 7,240 किलो मीटर लम्बी है।यह प्रशांत महासागर का एक फ्रैक्चर ज़ोन है। प्लेट टेक्टोनिक्स के कारण फ्रैक्चर जोन बनते हैं। यह एक रेखीय महासागरीय विशेषता है जो हजारों किलोमीटर लंबी चलती है।
क्लेरियन क्लिपर्टन ज़ोन को इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी द्वारा प्रशासित किया जाता है। प्राधिकरण ने इस क्षेत्र को 16 खनन दावों में विभाजित किया है।प्रत्येक खदान में 1,60,000 वर्ग किलो मीटर है।
अंतर्राष्ट्रीय सीबेड अथॉरिटी के अनुसार, इस क्षेत्र में27 बिलियन टन निकल, 0.05 बिलियन टन कोबाल्ट और 0.23 बिलियन टन तांबा है।
यह क्षेत्र जैव विविधता में समृद्ध है।2017 में, इस क्षेत्र में 34 से अधिक नई प्रजातियों की खोज की गई थी।
भारत का समुद्रयान प्रोजेक्ट (Samudrayaan Project of India)
यह भारत की एक प्रस्तावित गहन सागर खनन परियोजना है। इस परियोजना को राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (National Institute of Ocean Technology) द्वारा कार्यान्वित किया जाना है।
आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience Initiative)
27 अप्रैल, 2021 को भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने औपचारिक रूप से आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience Initiative) लांच की। वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में चीन के प्रभुत्व का मुकाबला करने के लिए यह पहल शुरू की गई है। इसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में आये व्यवधान को रोकना है। यह पहल मुख्य रूप से निवेश के विविधीकरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने पर केंद्रित होगी।
आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल के उद्देश्य
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाना और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को “आर्थिक पावरहाउस” में बदल देना।
भागीदार देशों के बीच पूरक संबंधों का निर्माण
अस्तित्वगत आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क का निर्माण करना
आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience Initiative)
यह जापान द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
इसका मुख्य उद्देश्य चीन पर निर्भरता कम करना है।
महत्व
भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry – CII) के अनुसार, भारत में चीनी आयात का हिस्सा 5% था।चीनी आयात इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, मोटर वाहन पुर्जों, रसायन, शिपिंग और कपड़ा पर हावी है। चीन से भारत के आयात में केवल इलेक्ट्रॉनिक्स का 45% हिस्सा है। COVID-19 के दौरान, ये सभी क्षेत्र अत्यधिक प्रभावित हुए क्योंकि भारत अपने कच्चे माल के लिए विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में चीन पर बहुत अधिक निर्भर था।
SOURCE-GK TODAY
IA 2030 क्या है
IA 2030 का अर्थ Immunisation Agenda 2030 है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन, GAVI और यूनिसेफ द्वारा लॉन्च किया गया था। इसे “A Global Strategy to leave No One Behind” शीर्षक दिया गया है। इसका लक्ष्य टीकों के जीवनकाल को अधिकतम करना है। Immunisation Agenda 2030 को विश्व प्रतिरक्षण सप्ताह (World Immunisation Week) के दौरान लॉन्च किया गया था।
IA 2030 की मुख्य विशेषताएं
इसका लक्ष्य “जीवन भर टीकाकरण” को बढ़ावा देना है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यदि पूरी तरह से लागू किया जाता है, तो IA 2030 पचास मिलियन लोगों के जीवन को बचाया जा सकता है।इसमें से 75% कम आय वाले और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में होंगे।
IA 2030 के लक्ष्य क्या हैं?
इसका उद्देश्य शिशुओं, बच्चों और किशोरों को आवश्यक वैक्सीन की 90% कवरेज प्राप्त करना है।
इसके अलावा, IA 2030 एजेंडा का लक्ष्य 2030 तक टीकों से छूटने वाले बच्चों की संख्या को आधा करना है।
IA 2030 की प्राथमिकताएं
IA 2030 की सात प्राथमिकताएं इस प्रकार हैं :
- प्रतिबद्धता और मांग
- कवरेज और इक्विटी
- प्रकोप और आपात स्थिति
- एकीकरण
- आपूर्ति और स्थिरता
- अनुसंधान और नवाचार
पृष्ठभूमि
अगस्त 2020 में, 73वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने “IA 2030 एजेंडा” का प्रस्ताव पारित किया।
हालिया गतिविधियां
GAVI का अर्थ Global Alliance for Vaccines and Immunisation है। जनवरी 2021 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को GAVI बोर्ड में सदस्य के रूप में नामित किया गया था।
मई 2020 में, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को WHO कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।
मार्च 2021 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन को स्टॉप टीबी पार्टनर्स बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।
आयुष्मान भारत दिवस
हर साल, आयुष्मान भारत दिवस 30 अप्रैल को भारत में मनाया जाता है।
आयुष्मान भारत दिवस क्यों मनाया जाता है?
आयुष्मान भारत दिवस दो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है। वे गरीबों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना और उन्हें बीमा लाभ प्रदान करना है।
आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme)
- इस योजना को अप्रैल, 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था।
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना ने अब तक 75,532 आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र को शुरू किया है। इसने 2022 तक 5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य तय किया है।
- लाभार्थियों को सामाजिक-आर्थिक जनगणना डेटाबेस से चुना जायेगा।
- यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य कवर है।
- इसका लक्ष्य प्रति परिवार प्रति वर्ष पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करना है।
- यह योजना अस्पताल में भर्ती होने 15 दिन पहले और 15 दिनों के बाद को कवर करती है। इसमें दवाओं और टेस्ट का खर्च शामिल है।
- इस योजना में ऐसे पैकेज हैं, जिनमें केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की तुलना में 15% तक सस्ता घुटना रीप्लेसमेंट, बाईपास और अन्य उपचार शामिल हैं।
आयुष्मान मित्र (Ayushman Mitra)
- “आयुष्मान मित्र” पहल बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी। आयुष्मान मित्र पहल के तहत दस लाख से अधिक नौकरियां सृजित की गईं। आयुष्मान मित्र को सीधे निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों में तैनात किया गया था।
- इस योजना के तहत नियोजित युवाओं को 15,000 रुपये का वेतन मिलेगा। इसके अलावा, उन्हें प्रत्येक लाभार्थी पर 50 रुपये का प्रोत्साहन मिलता है।
- आयुष्मान मित्र लाभार्थियों को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। उन्हें रोगी के निर्वहन के बाद राज्य एजेंसी को सूचित करना पड़ता है।