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Current Affair 30 March 2021

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30 March Current Affairs

सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस “आनंदम

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आज वर्चुअल माध्‍यम से “आनंदम : द सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस” का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जम्‍मू-कश्‍मीर के उपराज्‍यपाल श्री मनोज सिन्‍हा और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्‍थापक श्री श्री रविशंकर भी उपस्थित थे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री पोखरियाल ने आई. आई. एम. जम्‍मू को इस नई पहल के लिए बधाई दी और “आनंदम : द सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस” की आवश्‍यकता का प्रतिपादन किया। उन्‍होंने कहा कि छात्रों के लिए अकादमिक पाठ्यक्रम में आनंद का सामंजस्‍य करना राष्‍ट्र को सशक्‍त बनाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण कदम है। यह कदम हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था को उन ऊंचाइयों तक ले जाएगा, जहां प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला जैसे हमारे भारतीय विश्‍वविद्यालय हुआ करते थे। उन्‍होंने बताया कि “आनंदम : द सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस” किस तरह 2021 तक हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था में पूरी तरह बदलाव लाने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने में हमारी राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ सामंजस्‍य रखता है। उन्‍होंने अपने भाषण का समापन करते हुए देश के अन्‍य संस्‍थानों को अपने खुद के सेंटर फॉर हैप्‍पीनेस बनाने को प्रोत्‍साहित किया ताकि छात्र तनावमुक्‍त जीवन जी सकें।

श्री पोखरियाल ने कहा कि छात्रों और अध्‍यापकों को अंतिम समय-सीमा, पाठ्यक्रम, पठन-पाठन के दबाव और पेशेगत तथा निजी जीवन के दबावों से गुजरना पड़ता है। इससे उनमें अवसाद और व्‍यग्रता बढ़ती है। यह केंद्र छात्रों और शिक्षकों दोनों को मानसिक तनाव से उबरने और सकारात्‍मकता का प्रसार करने में मदद करेगा। इसके साथ ही यह आई. आई. एम. जम्‍मू के सभी हितधारकों में समग्र विकास की भावना को प्रोत्‍साहित करेगा और उसका प्रसार करेगा।

उन्‍होंने कहा कि आई. आई. एम. जम्‍मू में आनंदम की स्‍थापना का उद्देश्‍य सबका कल्‍याण और सबकी भलाई सुनिश्चित करना है। केंद्र में कराए जाने वाले नियमित शारीरिक व्‍यायाम से छात्रों और शिक्षकों दोनों का शारीरिक स्‍वास्‍थय बेहतर होगा। श्री पोखरियाल ने कहा

कि केंद्र का लक्ष्‍य है कि सभी लोग सचेत प्रयासों के ज़रिए आनंद की स्थिति को प्राप्‍त कर सकें। केंद्र में स्‍वशन अभ्‍यास जैसे प्राणायाम और सचेतन अभ्‍यास कराए जाएंगे, जो कि जीवन शक्ति को बढ़ाने में सहायक होंगे। इसके अलावा वहां ध्‍यान और चिंतन के अभ्‍यास को भी प्रोत्‍साहित किया जाएगा।

श्री पोखरियाल ने बताया कि “आनंदम : द सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस” की परिकल्‍पना के तहत पांच व्‍यापक श्रेणियों में कुछ प्रमुख गतिविधयां कराई जाएंगी, जिनमें काउंसलिंग, समग्र कल्‍याण, आनंद के विकास, अनुसंधान और नेतृत्‍व तथा विषय संबंधी विकास जैसे कुछ चुनिंदा पाठ्यक्रम शामिल हैं। केंद्र के लिए विशेषज्ञों का एक सलाहकार मंडल होगा जिनमें अकादमिक, अनुसंधान और उद्योग क्षेत्रों के विभिन्‍न विशेषज्ञ शामिल होंगे।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जम्‍मू-कश्‍मीर के उपराज्‍यपाल श्री मनोज सिन्‍हा ने आनंद (हैप्पीनैस) के संबंध में अपने विचार प्रस्‍तुत किए और इसके लिए उन्‍होंने भारत के पडोसी देश भूटान का उदाहरण दिया जो हैप्‍पीनैस इंडैक्‍स में काफी उच्‍च स्‍थान पर है। उन्‍होंने कहा, “सम्‍पत्ति को नापने का सही तरीका आनंद को मापना है धन को नहीं”। उन्‍होंने योग, ध्‍यान तथा अन्‍य आध्‍यात्मिक अभ्‍यासों के लाभ गिनाते हुए कहा कि इनसे छात्र अपने समग्र प्रदर्शन को बहुत बेहतर बना सकते हैं, उन्‍हें यह सीखना है कि खुश रहना ही वह सबसे अच्‍छी प्रार्थना है जो वे ईश्‍वर से कर सकते हैं और यही आनंद प्राप्ति का वास्‍तविक रास्‍ता है।

सेंटर फॉर हैप्‍पीनैस को आनंदम का नाम भारतीय दर्शन और परंपरा के अनुसार दिया गया है जहां यह माना जाता है व्‍यक्ति की पवित्र चेतना ही आनंदम है। आनंदम का लक्ष्‍य सिर्फ प्रसन्‍नता हासिल करना ही नहीं, बल्कि सत्‍य की खोज, सर्वकल्‍याण और अपने आस-पास के प्राकृतिक सौन्‍दर्य का आनंद लेना है। ‘आनंदम’ की टैग लाइन इस विचार को निरंतर और सुदृढ़ करती है कि इससे सबका कल्‍याण होगा। “सर्वभूतहितेरताः” सूत्र का अर्थ है सदा सबके कल्‍याण के लिए प्रेरित हों।

SOURCE-PIB

 

नीति आयोग ने ‘भारत के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र में निवेश के अवसर’ विषयक रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने आज भारत के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा क्षेत्र के विभिन्‍न वर्गों जैसे अस्‍पतालों, चिकित्‍सकीय उपायों और उपकरणों, स्‍वास्‍थ्‍य बीमा, टेली मेडिसिन, घर पर स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और चिकित्‍सकीय यात्राओं के क्षेत्रमें निवेश के व्‍यापक अवसरों की रूपरेखा प्रस्‍तुत करने वाली एक रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट को नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वी. के. पॉल, सीईओ श्री अमिताभ कांत और अतिरिक्‍त सचिव डॉ. राकेश सरवाल ने जारी किया।

भारत का स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल उद्योग 2016 से 22 प्रतिशत की वार्षिक चक्रवृद्धि प्रगति दर से बढ़ रहा है। ऐसा अनुमान है कि इस दर से यह 2022 तक 372 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा। स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल क्षेत्र राजस्‍व और रोज़गार के संदर्भ में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक हो गया है।

नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने रिपोर्ट की प्रस्‍तावना में लिखा, “बहुत से तत्‍व भारतीय स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल क्षेत्र की प्रगति को बढ़ा रहे हैं इनमें बड़ी उम्र की आबादी, बढ़ता हुआ मध्‍य वर्ग, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का बढ़ना, पीपीपी पर बढ़ता जोर और डिजिटल प्रौद्योगिकियों को आत्‍मसात किया जाना शामिल है। कोविड-19 महामारी ने न सिर्फ चुनौतियां पेश कीं बल्कि भारत को विकास के अनंत अवसर भी मुहैया कराए। इन सभी तथ्‍यों ने मिलकर भारत के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल उद्योग को निवेश के लिए उचित स्‍थान बना दिया”।

रिपोर्ट में पहले खण्‍ड में, भारत के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल क्षेत्र का विहंगावलोकन पेश किया गया है जिसमें इसके रोजगार पैदा करने की संभावनाओं, मौजूदा व्‍यावसायिक और निवेश संबंधी माहौल के साथ-साथ व्‍यापक नीति परिदृष्‍य को शामिल किया गया है। दूसरे खण्‍ड में क्षेत्र की प्रगति के मुख्‍य कारकों को बताया गया है और तीसरे खण्‍ड में 7 मुख्‍य वर्गों – अस्‍पताल और अवसंरचना, स्‍वास्‍थ्‍य बीमा, फार्मास्‍युटिकल्‍स और जैव प्रौद्योगिकी, चिकित्‍सकीय उपकरण, चिकित्‍सकीय पर्यटन, घर में स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल तथा टेली मेडिसिन और अन्‍य तकनीक से जुड़ी स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के बारे में बताते हुए इसके संबंध में नीतियों और इसमें निवेश के अवसरों का विस्‍तार से ब्‍यौरा दिया गया है।

अस्‍पताल खण्‍ड में निजी क्षेत्र के टीयर-2 और टीयर-3 तक विस्‍तार, महानगरों के अलावा अन्‍य स्‍थानों तक उनकी पहुंच तय करने तथा आकर्षक निवेश अवसर प्रस्‍तुत करने का काम किया गया है। फार्मास्‍युटिकल के संबंध में बताया गया है कि भारत अपने घरेलू निर्माण को बढ़ाकर और आत्‍मनिर्भर भारत पहल के तहत हाल में लागू की गई सरकारी योजनाओं का सहारा लेकर प्रदर्शन से जुड़े लाभ प्राप्‍त कर सकता है। चिकित्‍सकीय उपकरणों और उपायों के खण्‍ड में डायग्‍नोस्टिक और पैथोलॉजी सेंटर्स का विस्‍तार और लघु निदान तकनीकों की वृद्धि की उच्‍च संभावना के बारे में बताया गया है। इसके साथ ही मेडिकल वैल्‍यू ट्रेवल खासतौर से चिकित्‍सकीय पर्यटन के विकास की काफी संभावना बताई गई है क्‍योंकि भारत में वैकल्पिक चिकित्‍सा का मजबूत आधार है। इसके अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्‍ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकीयों वियरेबल्‍स तथा अन्‍य मोबाइल प्रौद्योगिकी के साथ ही इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स भी बहुत से निवेश अवसर मुहैया कराता है।

SOURCE-PIB

 

राजस्‍थान दिवस

राजस्थान दिवस (अंग्रेज़ी: Rajasthan Diwas) अथवा राजस्थान स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को मनाया जाता है। 30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

राजस्थान शब्द का अर्थ है- ‘राजाओं का स्थान’ क्योंकि यहां गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था। ब्रिटिश शासकों द्वारा भारत को आज़ाद करने की घोषणा करने के बाद जब सत्ता-हस्तांतरण की कार्रवाई शुरू की, तभी लग गया था कि आज़ाद भारत का राजस्थान प्रांत बनना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय एक दूभर कार्य साबित हो सकता है। आज़ादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना के देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़ सी मच गयी थी, उस समय वर्तमान राजस्थान की भौगोलिक स्थिति के नजरिये से देखें तो राजपूताना के इस भूभाग में कुल बाईस देशी रियासतें थी।

राजस्थान दिवस समारोह 2015, जयपुर

इनमें एक रियासत अजमेर मेरवाडा प्रांत को छोड़ कर शेष देशी रियासतों पर देशी राजा महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाडा प्रांत पर ब्रिटिश शासकों का कब्जा था। इस कारण यह तो सीघे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष इक्कीस रियासतों का विलय होना यानि एकीकरण कर ‘राजस्थान’ नामक प्रांत बनाया जाना था। सत्ता की होड़ के चलते यह बड़ा ही दूभर लग रहा था क्योंकि इन देशी रियासतों के शासक अपनी रियासतों के स्वतंत्र भारत में विलय को दूसरी प्राथमिकता के रूप में देख रहे थे। उनकी मांग थी कि वे सालों से खुद अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका दीर्घकालीन अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को ‘स्वतंत्र राज्य’ का दर्जा दे दिया जाए। करीब एक दशक की ऊहापोह के बीच 18 मार्च 1948 को शुरू हुई राजस्थान के एकीकरण की प्रक्रिया कुल सात चरणों में 1 नवंबर 1956 को पूरी हुई। इसमें भारत सरकार के तत्कालीन देशी रियासत और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल और उनके सचिव वी. पी. मेनन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। इनकी सूझबूझ से ही राजस्थान के वर्तमान स्वरूप का निर्माण हो सका।

सात चरणों में बना राजस्थान

18 मार्च, 1948 को अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली रियासतों का विलय होकर ‘मत्स्य संघ’ बना। धौलपुर के तत्कालीन महाराजा उदयसिंह राजप्रमुख व अलवर राजधानी बनी।

25 मार्च, 1948 को कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, किशनगढ़ व शाहपुरा का विलय होकर राजस्थान संघ बना।

18 अप्रॅल, 1948 को उदयपुर रियासत का विलय। नया नाम ‘संयुक्त राजस्थान संघ’ रखा गया। उदयपुर के तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह राजप्रमुख बने।

30 मार्च, 1949 में जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।

15 अप्रॅल, 1949 को ‘मत्स्य संघ’ का वृहत्तर राजस्थान संघ में विलय हो गया।

26 जनवरी, 1950 को सिरोही रियासत को भी वृहत्तर राजस्थान संघ में मिलाया गया।

1 नवंबर, 1956 को आबू, देलवाड़ा तहसील का भी राजस्थान में विलय हुआ, मध्य प्रदेश में शामिल सुनेल टप्पा का भी विलय हुआ।

SOURCE-Bharatdiscovery

 

न्यायिक रिव्यू (JUDICIAL REVIEW)

वसीम रिज़वी द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है कि कुरान के 26 छंदों को असंवैधानिक, गैर-प्रभावी और इस आधार पर गैर-कार्यात्मक घोषित किया जाए कि ये चरमपंथ और आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं।

भारतीय कानून के तहत, केवल एक “कानून” को असंवैधानिक के रूप में चुनौती दी जा सकती है। अनुच्छेद 13 (3) कानून को परिभाषित करता है, जिसमें किसी भी अध्यादेश, आदेश, कानून, नियम, विनियम, अधिसूचना, प्रथा या कानून के बल क्षेत्र में होने वाले उपयोग शामिल हैं। संविधान की शुरुआत पर “कानून लागू” में विधायिका या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिनियमित कानून शामिल हैं।

इस परिभाषा में कुरान सहित किसी भी धार्मिक ग्रंथ को शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह, अनुच्छेद 13 के तहत न तो वेदों और न ही गीता, और न ही बाइबल, और न ही गुरु ग्रंथ साहिब को “कानून” कहा जा सकता है और इस तरह उन्हें कानून की अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

ईश्वरीय पुस्तकें कानून का स्रोत हो सकती हैं, लेकिन स्वयं में कानून नहीं। इस प्रकार, अनुच्छेद 13 के प्रयोजनों के लिए कुरान अपने आप में “कानून” नहीं है।

यह इस्लामी कानून का सर्वोपरि स्रोत है और मुस्लिम न्यायविद इसकी व्याख्या के माध्यम से कानून निकालते हैं और कानून के अन्य स्रोतों जैसे कि हदीस (पैगंबर की बातें), इज्मा (न्यायिक सहमति), कियास (समसामयिक कटौती), उरफ (सीमा परम्परा) इतिशासन (न्यायिक प्राथमिकता) और इतिसिला (सार्वजनिक हित)को ध्यान में रखते हैं।

SOURCE-THE HINDU

 

समान नागरिक संहिता (UCC)

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबडे ने गोवा के यूनिफॉर्म सिविल कोड की सराहना की, और इसके बारे में और जानने के लिए राज्य में जाने के लिए “शैक्षणिक वार्ता” में शामिल “बुद्धिजीवियों” को प्रोत्साहित किया।

समान नागरिक संहिता क्या है?

समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ का मूल भावना है। … यह किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है।

देश में संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता को लेकर प्रावधान हैं। इसमें कहा गया है कि राज्य इसे लागू कर सकता है। इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर किसी भी वर्ग विशेष के साथ होने वाले भेदभाव या पक्षपात को खत्म करना है।

संविधान सभा में उठा था मसला

1947 में आजादी के बाद नए शासन तंत्र व व्यवस्थाओं के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया गया था। जून 1948 हुई इसकी एक बैठक में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू को बताया था कि पूरे हिंदू समाज में जो छोटे-छोटे अल्पसंख्यक समूह हैं, उनके विकास के लिए हिंदू कानूनों यानी पर्सनल लॉ में मूलभूत बदलाव जरूरी है, लेकिन कई दिग्गज नेताओं ने हिंदू कानूनों में सुधार का विरोध किया।

इसी कारण समान नागरिक संहिता को नीति-निर्देशक तत्वों में शामिल किया गया न कि अनिवार्य प्रावधान के रूप में।

हिंदू कोड बिल के वक्त भी विरोध

दिसंबर 1949 में जब हिंदू कोड बिल पर बहस हुई थी, तब 28 में से 23 वक्ताओं ने इसका विरोध किया था। 1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि यदि ऐसा बिल पास हुआ तो वह अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करेंगे। बाद में तत्कालीन पीएम नेहरू ने इस हिंदू कोड बिल को तीन अलग-अलग कानूनों में बांट दिया और प्रावधान नरम कर दिए थे।

मुस्लिम भी पक्ष में नहीं

संविधान के अनुच्छेद 44 से मुस्लिम पर्सनल लॉ को निकलवाने के कई बार प्रयास करने वाले मोहम्मद इस्माइल कहना है कि एक धर्म निरपेक्ष देश में पर्सनल लॉ में दखलंदाजी नहीं होना चाहिए। मुस्लिम विचारकों का कहना है कि भारत की छवि अनेकता में एकता की है और इतनी विविधता वाले देश में क्या पर्सनल कानूनों में एकरूपता संभव है? ऐसे भिन्न-भिन्न विचारों के बीच भारत में समान नागरिक संहिता कैसे अस्तित्व में आ पाएगी, कहना मुश्किल है।

SOURCE-AMAR UJJALA

 

हार्ट ऑफ एशिया – इस्तांबुल प्रक्रिया

  मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इस्तांबुल प्रक्रिया का एक हिस्सा है – एक स्थिर और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान के लिए सुरक्षा और सहयोग पर एक क्षेत्रीय पहल – जिसे 2 नवंबर, 2011 को तुर्की में लॉन्च किया गया था। सम्मेलन में, लगभग 50 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधि युद्धग्रस्त देश में शांति प्रक्रिया पर क्षेत्रीय सहमति बनाने पर चर्चा करेंगे।

तब से, अफ़गानिस्तान हार्ट ऑफ़ एशिया क्षेत्र के चौदह भाग लेने वाले देशों और क्षेत्र से परे 16 सहायक देशों के साथ-साथ 12 क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठन के समर्थन से इस प्रक्रिया का नेतृत्व और समन्वय कर रहा है।

यह बातचीत और विश्वास बहाली उपायों (सीबीएम) के माध्यम से अफगानिस्तान पर केंद्रित क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच है।

अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय का क्षेत्रीय सहयोग के लिए महानिदेशालय इस प्रक्रिया के वास्तविक सचिवालय के रूप में कार्य कर रहा है।

हार्ट ऑफ एशिया रीजन: एचओए-आईपी के 15 सहभागी देशों को कवर करने वाले भौगोलिक क्षेत्र को हार्ट ऑफ एशिया रीजन के रूप में परिभाषित किया गया है। यह दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है, जो 40 मिलियन वर्ग किमी से अधिक के सामूहिक भौगोलिक क्षेत्र के साथ पृथ्वी के 27% भूमि क्षेत्र को कवर करता है।

SOURCE-DANIK JAGARAN

 

रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र

हाल ही में, भारत ने बांग्लादेश के साथ एक समझौता किया जहां भारतीय कंपनियां बांग्लादेश रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Rooppur Nuclear Power Plant) की ट्रांसमिशन लाइनों का विकास करेंगी। रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य इस प्रकार हैं :

यह बांग्लादेश में एक निर्माणाधीन 4 GWe परमाणु ऊर्जा संयंत्र है।

इसका निर्माण बांग्लादेश के पाबना जिले के पद्मा नदी के किनारे रूपपुर में किया जा रहा है।

इस प्लांट की दो इकाइयाँ हैं जिनके क्रमशः 2022 और 2024 में पूरा होने की उम्मीद है। प्रत्येक इकाई 1200MW बिजली का उत्पादन करेगी।

यह बांग्लादेश का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र होगा।

रूपपुर परियोजना तीसरे देशों में परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भारत-रूस समझौते के तहत पहली पहल है।

मार्च 2018 में त्रिपक्षीय मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर रूस, बांग्लादेश और भारत के बीच रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिए हस्ताक्षर किए गए थे।

इसका निर्माण रूसी Rosatom State Atomic Energy Corporation द्वारा किया जायेगा।

जून 2018 में हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (HCC) को रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए अनुबंध दिया गया था।

यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय कंपनी देश के बाहर किसी भी परमाणु परियोजना में शामिल होगी। चूंकि भारत एक परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) का सदस्य नहीं है, इसलिए वह परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण में सीधे भाग नहीं ले सकता है।

SOURCE-G.K.TODAY

 

स्वेज नहर में फंसे हुए मालवाहक जहाज Ever Given को मुक्त कराया गया

कार्गो शिप ‘एवर गिवन’ जिसने स्वेज नहर को लगभग एक सप्ताह के लिए अवरुद्ध कर दिया है, को मुक्त कर दिया गया है और अब वह आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एवर गिवन लगभग 45 किमी दूर नहर के साथ ग्रेट बिटर झील के लिए आगे बढ़ रहा था।

मुख्य बिंदु

कार्गो शिप ‘एवर गिवन’ 23 मार्च, 2021 को स्वेज़ नहर में फंस गया था। दरअसल यह कार्गो शिप तेज़ हवाओं के कारण अनियंत्रित होकर नहर के किनारे मिट्टी में फंस गया था। उसके बाद, बड़ी संख्या में मालवाहक पोत स्वेज़ नहर में फंस गये थे, क्योंकि स्वेज़ नहर एक संकीर्ण मानव निर्मित नहर है।

स्वेज़ नहर

स्वेज़ नहर मिस्र में स्थित एक नहर है, यह भूमध्यसागर को लाल सागर से जोड़ती है। यह एशिया और अफ्रीका को विभाजित करती है। इस नहर का निर्माण 25 सितम्बर, 1859 को शुरू हुआ था। यह कार्य 17 नवम्बर, 1869 को पूरा हुआ था। इसकी लम्बाई 193.3 किलोमीटर है।

 

‘Exam Warriors’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लिखित ‘Exam Warriors’ का नया संस्करण अब छात्रों और अभिभावकों के लिए कई नए मंत्रों के साथ उपलब्ध है। यह रिटेल स्टोर्स के साथ-साथ ऑनलाइन भी उपलब्ध है। ‘Exam Warriors’ मॉड्यूल NaMo ऐप पर भी उपलब्ध है।

मुख्य बिंदु

ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा की इस पुस्तक के नए संस्करण को छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों से मूल्यवान जानकारी के साथ समृद्ध किया गया है। विशेष रूप से नए भागों को जोड़ा गया है जो विशेष रूप से माता-पिता और शिक्षकों के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि पुस्तक एक परीक्षा से पहले तनाव मुक्त रहने की आवश्यकता पर बल देती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसमें छात्रों और अभिभावकों के लिए कई इंटरैक्टिव गतिविधियाँ हैं।

इस पुस्तक का उद्देश्य युवाओं को परीक्षाओं के कठिन क्षणों का सामना करने और नई ऊर्जा के साथ जीवन के लिए प्रेरित करना है। यह खेल, नींद और यहां तक कि यात्रा के महत्व पर जोर देता है।

इस पुस्तक को रंगीन चित्रण, गतिविधियों, योग अभ्यासों के साथ मजेदार ढंग से लिखा गया है। इसे पेंगुइन इंडिया ने प्रकाशित किया है। वर्तमान में, यह अंग्रेजी में उपलब्ध है और जल्द ही कई भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा। इसमें प्रधानमंत्री से लेकर शिक्षकों और अभिभावकों का भी एक पत्र शामिल है।

SOURCE-PIB

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