Current Affair 30 May 2021

CURRENTS AFFAIRS – 30th MAY 2021

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायों में हुए व्यवधानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना के दायरे को और बढ़ा दिया है :

ईसीएलजीएस 4.0 : ऑन-साइट ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के लिए अस्पतालों/नर्सिंग होम/क्लीनिकों/मेडिकल कॉलेजों को 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए 100 प्रतिशत गारंटी कवर, ब्याज दर की सीमा 7.5 प्रतिशत;

ऋण लेने वाले, जो 05 मई, 2021 के आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्गठन के लिए पात्र हैं और जिन्होंने चार साल के समग्र कार्यकाल के ईसीएलजीएस 1.0 के तहत ऋण लिया था जिसमें पहले 12 महीनों के दौरान केवल ब्याज चुकाने के साथ बाद के 36 महीनों में मूलधन और ब्याज चुकाने का प्रावधान शामिल था, वे अब अपने ईसीएलजीएस ऋण के लिए पांच वर्ष की अवधि का लाभ उठाने में सक्षम होंगे अर्थात पहले 24 महीनों के लिए केवल ब्याज चुकाने के साथ बाद के 36 महीनों में मूलधन और ब्याज की अदायगी;

05 मई, 2021 के आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुसार पुनर्गठन के साथ, ईसीएलजीएस 1.0 के तहत कवर किए गए ऋण लेने वालों को 29 फरवरी, 2020 तक के बकाये के 10 प्रतिशत तक की राशि के बराबर की अतिरिक्त ईसीएलजीएस सहायता;

ईसीएलजीएस 3.0 के तहत पात्रता के लिए 500 करोड़ रुपये के ऋण बकाये की वर्तमान सीमा को हटाया जाएगा, बशर्ते प्रत्येक उधार लेने वाले को अधिकतम अतिरिक्त ईसीएलजीएस सहायता 40 प्रतिशत या 200 करोड़ रुपये, इनमें से जो भी कम हो, तक सीमित हो;

ईसीएलजीएस 3.0 के तहत नागरिक उड्डयन क्षेत्र पात्र होगा

ईसीएलजीएस की वैधता 30.09.2021 तक या 3 लाख करोड़ रुपये की गारंटी जारी होने तक बढ़ा दी गई है। इस योजना के तहत 31.12.2021 तक ऋण संवितरण की अनुमति है।

ईसीएलजीएस में किए गए ये संशोधन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को अतिरिक्त सहायता प्रदान करते हुए, आजीविका को सुरक्षित करते हुए और व्यवसायिक गतिविधियों को निर्बाध रूप से दोबारा शुरू करते हुए ईसीएलजीएस की उपयोगिता और प्रभाव को मजबूत करेंगे। इन बदलावों से उचित शर्तों पर संस्थागत ऋण के प्रवाह में और सुविधा होगी।

आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS)

पृष्ठभूमि : आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) की शुरुआत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मई 2020 में कोरोना वायरस महामारी तथा देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उत्पन्न संकट को कम करने के लिये विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को क्रेडिट प्रदान करने हेतु आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया था, जो कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।

उद्देश्य : वित्त मंत्री द्वारा घोषित इस योजना का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), व्यावसायिक उद्यमों, तथा मुद्रा योजना (MUDRA Yojana) के उधारकर्त्ताओं को पूरी तरह से गारंटी एवं संपार्श्विक (Collateral) मुक्त अतिरिक्त ऋण प्रदान करना है।

इस योजना के तहत प्रदान की जाने वाली राशि 29 फरवरी, 2020 तक उनकी कुल बकाया राशि की  20 फीसदी होगी।

इस योजना के तहत 100 प्रतिशत संपार्श्विक (Collateral) मुक्त ऋण की गारंटी राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (NCGTC) द्वारा प्रदान की जा रही है, जबकि बैंक और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFCs) योजना के तहत ऋण प्रदान करती हैं।

योग्यता : इस योजना के तहत वे उधारकर्त्ता ऋण प्राप्त करने के लिये पात्र होंगे जिनकी-

बकाया राशि 29 फरवरी, 2020 तक 50 करोड़ रुपए तक है।

वार्षिक कारोबार 250 करोड़ रुपए तक है।

अवधि : योजना के तहत प्रदत्त ऋण की अवधि चार वर्ष है, जिसमें मूलधन को चुकाने के लिये एक वर्ष की स्थगन अवधि दी गई है।

ब्याज दर : इस योजना के तहत बैंकों द्वारा जारी किये गए ऋण पर 9.25% ब्याज और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies – NBFCs) द्वारा जारी ऋण पर 14% ब्याज लागू होगा।

मौजूदा स्थिति : इस योजना के तहत अभी तक 60.67 लाख लोगों के लिये 2.03 लाख करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से 1.48 लाख करोड़ रुपए की राशि वितरित कर दी गई है।

SOURCE-PIB

 

सामाजिक सुरक्षा राहत

लते मौत की घटनाओं में बढ़ोतरी के कारण उनके परिवार के सदस्यों की बेहतरी के बारे में श्रमिकों के डर और चिंता का समाधान किया जा सके। नियोक्ता के हिस्से में अतिरिक्त खर्च डाले बगैर कर्मचारियों को ज्यादा सामाजिक सुरक्षा दिलाने की उम्मीद की गई है।

वर्तमान में ईएसआईसी के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के लिए, मौत या काम की वजह से चोट के कारण बीमित व्यक्ति की अक्षमता के बाद श्रमिक की औसत दैनिक मजदूरी के 90 फीसदी के बराबर पेंशन पति या पत्नी और विधवा मां को जीवनभर के लिए और बच्चों के लिए 25 वर्ष की उम्र होने तक के लिए उपलब्ध है। वहीं, बच्ची (लड़की) के लिए यह उनकी शादी होने तक के लिए है। ईएसआईसी योजना के तहत बीमित व्यक्तियों (आईपी) के परिवारों की सहायता करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि आईपी के परिवार के सभी आश्रित सदस्य जो ईएसआईसी के ऑनलाइन पोर्टल में कोविड बीमारी के निदान और इस रोग के कारण बाद में मौत से पहले पंजीकृत हैं, उन्हें भी काम के दौरान मरने वाले बीमित व्यक्तियों के आश्रितों को प्राप्त होने वाले लाभ और इसे समान स्तर पर ही हासिल करने के हकदार होंगे। यह निम्नलिखित पात्रता शर्तों के अधीन होगा :

ए. आईपी ​​को ईएसआईसी ऑनलाइन पोर्टल पर कोविड रोग के निदान और इसके चलते होने वाली मौत से कम से कम तीन महीने पहले पंजीकृत होना चाहिए।

बी. बीमित व्यक्ति निश्चित तौर पर वेतन के लिए नियोजित होना चाहिए और मृतक बीमित व्यक्ति के संदर्भ में कोविड रोग का पता चलने, जिससे मौत हुई हो, ठीक पूर्ववर्ती एक साल के दौरान कम से कम 78 दिन का अशंदान होना चाहिए। बीमित व्यक्ति, जो पात्रता की शर्तों को पूरा करते हैं और कोविड बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई है, उनके आश्रित अपने जीवन के दौरान बीमित व्यक्ति के औसत दैनिक वेतन का 90 फीसदी मासिक भुगतान प्राप्त करने के हकदार होंगे। यह योजना 24.03.2020 से दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी।

ईपीएफओ की कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) के तहत इस योजना के सदस्य की मौत होने पर उनके परिवार के सभी जीवित आश्रित सदस्य ईडीएलआई के लाभों को हासिल करने के योग्य होंगे। वर्तमान में इस योजना के तहत, कर्मचारी की मौत के मामले में दिए गए लाभों का विस्तार किया गया है, अब ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की जरूरत नहीं है, पारिवारिक पेंशन का भुगतान ईपीएफ और एमपी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है, कर्मचारी के बीमार होने और कार्यालय न आने की स्थिति में साल में 91 दिनों के लिए बीमारी लाभ के रूप में कुल मजदूरी का 70 फीसदी का भुगतान किया जाता है। मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में इसमें निम्नलिखित संशोधन किए गए हैं :

ए. मृतक कर्मचारी के परिजनों को मिलने वाली अधिकतम लाभ राशि को 6 लाख से बढ़ाकर 7 लाख कर दिया गया है।

बी. मृतक कर्मचारियों के पात्र परिवार के सदस्यों को 2.5 लाख रुपये का न्यूनतम आश्वासन लाभ, जो अपनी मौत से पहले एक या अधिक प्रतिष्ठानों में 12 महीने की निरंतर अवधि के लिए सदस्य था। मौजूदा प्रावधान में एक प्रतिष्ठान में 12 महीने तक लगातार रोजगार का प्रावधान है। इससे अनुबंधित/अनौपचारिक मजदूरों को लाभ होगा जो एक प्रतिष्ठान में लगातार एक वर्ष तक काम करने की स्थिति के कारण लाभ से वंचित थे।

सी. 15 फरवरी 2020 से पहले के प्रावधान के मुताबिक न्यूनतम 2.5 लाख रुपये मुआवजे के प्रावधान की बहाली।

डी. आगामी 3 वर्षों में, एक्चुअरी ने अनुमान लगाया है कि पात्र परिवार के सदस्यों को वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक ईडीएलआई फंड से 2185 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।

ई. योजना के तहत मृत्यु के कारण होने वाले दावों की संख्या प्रति वर्ष लगभग 50,000 परिवार होने का अनुमान लगाया गया है। इसमें लगभग 10,000 श्रमिकों की अनुमानित मौत को भी शामिल किया गया है, जो कोविड के कारण हो सकती है।

Goa Statehood Day

30 मई, 2020 को गोवा अपना स्थापना दिवस मना रहा है। गोवा भारत में शामिल होने वाला 25वां राज्य था।

इतिहास

15 अगस्त 1947 को जैसे ही भारत को स्वतंत्रता मिली, भारत ने पुर्तगालियों से उनके क्षेत्रों को सौंपने का अनुरोध किया। हालांकि, पुर्तगालियों ने इनकार कर दिया। 1961 में, भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) शुरू किया और दमन  व दीव, द्वीपों और गोवा को भारतीय मुख्य भूमि के साथ जोड़ लिया। 30 मई 1987 को इस क्षेत्र को विभाजित किया गया और गोवा का गठन किया गया। दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेश बने रहे। कोंकणी गोवा की राजभाषा है।

इतिहास में गोवा की भूमिका

गोवा ने भिक्षुओं और मिशनरियों को आकर्षित किया जिन्होंने गोवा की संस्कृति में बहुत छाप छोड़ी। इसके अलावा, गोवा 1370 में विजयनगर साम्राज्य का हिस्सा था और बाद में बीजापुर सल्तनत का भी हिस्सा रहा।

गोवा में पुर्तगाली

पुर्तगालियों ने 1510 में अफोंसो डी अल्बुकर्क (Afonso de Albuquerque) के नेतृत्व में गोवा पर विजय प्राप्त की। जैसे ही उन्होंने गोवा पर विजय प्राप्त की, उन्होंने मसाले के व्यापार पर नियंत्रण कर लिया।

MIS-C

दुनिया के सबसे मशहूर मेडिकल जर्नलों में से एक ‘द लैंसेट’ के अनुसार, बच्चों में होने वाला ‘मल्टीसिस्टम इनफ़्लामेट्री सिंड्रोम’ यानी एमआईएस-सी एक ऐसा गंभीर रोग है जिसे फ़िलहाल कोविड-19 (सार्स-कोविड-2) से जोड़कर देखा जा रहा है।

कैसे करें एमआईएससी की पहचान?

अमेरिकी संस्था सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) मई 2020 से इस बीमारी का अध्ययन कर रही है। सीडीसी के अनुसार, एमआईएस-सी एक रेयर (कम होने वाली), पर ख़तरनाक बीमारी है जिसे कोविड-19 से जोड़कर देखा जा रहा है। अमेरिकी संस्था के अनुसार, इस बीमारी से बच्चों के हृदय, फ़ेफ़ड़े, गुर्दे, आँतें, मस्तिष्क और आँखों पर असर हो सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं के मुताबिक़, एमआईएस-सी होने पर कुछ बच्चों में गर्दन के दर्द, शरीर पर दाने होना, आँखों का सुर्ख होना और लगातार थकान रहने जैसी शिकायतें भी देखी गई हैं।

संस्था के अनुसार, इस बात पर ध्यान देने की ज़रूरत है कि सभी बच्चों में एमआईएस-सी के लक्षण एक जैसे हों, यह ज़रूरी नहीं। अमेरिका में जून 2020 से इस बीमारी के कई मामले सामने आ चुके हैं।

शुरुआत छोटेछोटे लक्षणों से होती है

दुनिया के सबसे नामी मेडिकल जर्नल द लैंसेट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, “शोधकर्ताओं ने पाया कि इस बीमारी के बाद अस्पताल में रहने का औसत समय 7 से 8 दिन रहा। सभी बच्चों को बुखार था। क़रीब 73 प्रतिशत बच्चों को पेट दर्द या डायरिया की शिकायत थी और 68 प्रतिशत बच्चों को उल्टियाँ भी हो रही थीं।”

दुनिया के अन्य बड़े संस्थानों द्वारा बताये गए लक्षणों के अलावा, ब्रिटेन के मशहूर मेडिकल जर्नल द बीएमजे ने कंजंक्टिवाइटिस यानी आँखों के संक्रमण को भी एमआईएस-सी का एक प्रमुख लक्षण माना है।

द बीएमजे – दुनिया के सबसे पुराने मेडिकल जर्नलों में से एक है। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक़, कई बार एमआईएस-सी के लक्षण कावासाकी डिज़ीज़ से मिलते-जुलते होने की वजह से इन दोनों बीमारियों को जोड़कर भी देखा जा रहा है। लेकिन एमआईएस-सी एक अलग ही तरह का रोग है। एमआईएस-सी के रोगियों में हृदय और आँतों से जुड़ी परेशानियाँ देखी जा रही हैं जो कावासाकी डिज़ीज़ के लक्षणों से अलग हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार, एमआईएससी एक प्रोग्रेसिव (लगातार बढ़ने वाली) बीमारी है जिसकी शुरुआत छोटेछोटे लक्षणों से होती है, पर बिना इलाज के यह बहुत तेज़ी से बढ़ती है और कुछ ही दिन में इससे कई अंग प्रभावित होकर एक साथ काम करना बंद कर सकते हैं।

बच्चों पर इस बीमारी का कितना प्रभाव?

अमेरिकी संस्था सीडीसी के शोधकर्ता अब तक इसकी जानकारी नहीं जुटा पाये हैं कि किन बच्चों में ये बीमारी ज़्यादा हो रही है और क्यों हो रही है। हालांकि, जिन बच्चों में एमआईएस-सी के लक्षण पाये गए, वो या तो कभी कोविड-19 से प्रभावित थे या फिर किसी ऐसे के संपर्क में थे जिन्हें कोविड-19 हुआ था।

सीडीसी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि “अभी ये नहीं बताया जा सकता कि किस पूर्व-बीमारी वाले बच्चे को इससे ज़्यादा ख़तरा हो सकता है, किस तरह की सेहत वाले बच्चों को इससे ज़्यादा ख़तरा है और किन्हें एमआईएस-सी होने पर पहले उपचार दिया जाना चाहिए या किस पर ज़्यादा ग़ौर किये जाने की ज़रूरत है।”

हालांकि, लैंसेट के शोधकर्ताओं ने एमआईएस-सी से पीड़ित कुछ बच्चों का अध्ययन कर यह बताने की कोशिश ज़रूर की है कि ये बीमारी आख़िर किस तरह से असर कर रही है।

लैंसेट द्वारा किये गए शोध में पाया गया कि इस बीमारी का शिकार हुए सभी बच्चों की सीआरपी और ईएसआर जैसी ख़ून की कुछ बुनियादी जाँचों के नतीजे ख़राब आये थे। इनके अलावा काफ़ी बच्चों की डी-डाइमर (ख़ून में थक्के जमने की जाँच) और हृदय से संबंधित जाँचों के नतीजे भी ख़राब पाये गए। इस अध्य्यन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि लगभग 54 प्रतिशत बच्चों की ईसीजी (हृदय की जाँच) रिपोर्ट भी ठीक नहीं थी।

लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, एमआईएस-सी का शिकार हुए 22 प्रतिशत बच्चों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ी और जिन बच्चों में एमआईएस-सी की पुष्टि हुई, उनमें से 71 प्रतिशत को इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती करवाना पड़ा। वहीं एमआईएस-सी का शिकार हुए बच्चों में से 1.7 प्रतिशत की मौत हो गई। लैंसेट के मुताबिक़, एमआईएस-सी संभावित रूप से एक घातक बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और सही उपचार के ज़रिये अधिकांश बच्चों को बचाया जा सकता है। हालांकि, इस बीमारी के दीर्घकालिक परिणाम अभी ज्ञात नहीं हैं।

SOURCE-BBC NEWS

 

भारत और अमेरिका ने वैक्सीन साझेदारी पर चर्चा की

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) और अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) ने 28 मई, 2021 को वाशिंगटन में एक बैठक की।

मुख्य बिंदु

इस दौरान दोनों ने द्विपक्षीय सहयोग और क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों के विभिन्न पहलुओं पर एक उपयोगी चर्चा की। उन्होंने इंडो पैसिफिक और क्वाड, म्यांमार मामले, अफगानिस्तान मामले और UNSC मामलों पर चर्चा की। यह बैठक “भारत-अमेरिका वैक्सीन साझेदारी” पर भी केंद्रित थी।

भारतअमेरिका वैक्सीन पार्टनरशिप

इस साझेदारी का उद्देश्य टीकों की पहुंच का विस्तार करना और आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इस बैठक के बाद, अमेरिकी सरकार ने महत्वपूर्ण वैक्सीन निर्माण आपूर्ति के ऑर्डर्स को पुनर्निर्देशित किया। इससे अब भारत एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन की 20 मिलियन से अधिक अतिरिक्त खुराक का निर्माण कर सकता है।

कोविड-19 पर भारतअमेरिका सहयोग

अमेरिका ने जून 2021 से एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की 60 मिलियन खुराक अन्य देशों को भेजने की भी घोषणा की थी, जो महामारी से लड़ रहे थे। अमेरिकी सरकार ने भी महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई को मजबूत करने के लिए भारत को राहत आपूर्ति के रूप में 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक की राशि प्रदान की।

एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca)

ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा और जैव प्रौद्योगिकी कंपनी ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन विकसित की है। इसका मुख्यालय कैम्ब्रिज, इंग्लैंड में कैम्ब्रिज बायोमेडिकल कैंपस में है। इसके पोर्टफोलियो में ऑन्कोलॉजी, कार्डियोवैस्कुलर, संक्रमण, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, न्यूरोसाइंस और श्वसन के क्षेत्र में प्रमुख बीमारियों के उत्पाद शामिल हैं।

SOURCE-GK TODAY

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