Current Affair 30 September 2021

Current Affairs – 30 September, 2021

स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0 और अमृत 2.0

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एक ऐतिहासिक पहल के तहत 01 अक्टूबर, 2021 को सुबह 11 बजे डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 और इसके साथ ही कायाकल्प एवं शहरी सुधार के लिए अटल मिशन 2.0 का शुभारंभ करेंगे।

प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, एसबीएम-यू 2.0 और अमृत 2.0 को हमारे सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ और ‘जल सुरक्षित’ बनाने की आकांक्षा को साकार करने के लिए तैयार किया गया है। ये प्रमुख मिशन भारत में तेजी से शहरीकरण की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ने का संकेत देने के साथ-साथ सतत विकास लक्ष्य 2030 की उपलब्धि में योगदान करने में भी मददगार होंगे।

आवास एवं शहरी मामलों के केन्‍द्रीय मंत्री एवं राज्य मंत्री तथा राज्यों एवं केन्‍द्रशासित प्रदेशों के शहरी विकास मंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के बारे में

एसबीएम-यू 2.0 सभी शहरों को ‘कचरा मुक्त’ बनाने और अमृत के अंतर्गत आने वाले शहरों के अलावा अन्य सभी शहरों में धूसर और काले पानी के प्रबंधन को सुनिश्चित करने, सभी शहरी स्थानीय निकायों को ओडीएफ+ और 1 लाख से कम जनसंख्‍या वाले को ओडीएफ++ के रूप में तैयार करने की परिकल्पना करता है, जिससे शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित स्वच्छता के लक्ष्‍य को पूरा किया जा सके। मिशन के तहत ठोस अपशिष्ट के स्रोत पृथक्करण, 3-आर,  रिड्यूस (कम करें) रियूज (पुन: उपयोग), रिसाइकल (पुर्नचक्रण) के सिद्धांतों का उपयोग करने, सभी प्रकार के शहरी ठोस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और प्रभावी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए डंपसाइट के सुधार पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। एसबीएम-यू 2.0 का परिव्यय लगभग 1.41 लाख करोड़ रुपये है।

अमृत 2.0 के बारे में

अमृत 2.0 का लक्ष्य लगभग 2.64 करोड़ सीवर/सेप्टेज कनेक्शन प्रदान करके लगभग 2.68 करोड़ नल कनेक्शन और 500 अमृत शहरों में सीवरेज और सेप्टेज का शत-प्रतिशत कवरेज करते हुए, लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों में सभी घरों में पेयजल की आपूर्ति का शत-प्रतिशत कवरेज प्रदान करना है, जिससे शहरी क्षेत्रों में 10.5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा।अमृत 2.0 सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों को अपनाएगा और सतह एवं भूजल निकायों के संरक्षण और कायाकल्प को बढ़ावा देगा। मिशन नवीनतम वैश्विक प्रौद्योगिकियों और कौशल का लाभ उठाने के लिए जल प्रबंधन और प्रौद्योगिकी उप-मिशन में डेटा आधारित शासन को बढ़ावा देगा। शहरों के बीच प्रगतिशील प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए ‘पेयजल सर्वेक्षण’ आयोजित किया जाएगा। अमृत 2.0 का परिव्यय लगभग 2.87 लाख करोड़ रुपये है।

 एसबीएम-यू और अमृत का प्रभाव-एसबीएम-यू और अमृत ने पिछले सात वर्षों के दौरान शहरी परिदृश्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन दोनों प्रमुख मिशनों ने नागरिकों को जल आपूर्ति और स्वच्छता की बुनियादी सेवाएं प्रदान करने की क्षमता में वृद्धि की है। स्वच्छता आज जन आंदोलन बन गया है। सभी शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया है और 70 प्रतिशत ठोस कचरे को अब वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जा रहा है। अमृत 1.1 करोड़ घरेलू नल कनेक्शन और 85 लाख सीवर कनेक्शन जोड़कर जल सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटा है, जिससे 4 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे।

स्वच्छ भारत अभियान-स्वच्छ भारत अभियान (संस्कृत: स्वच्छभारताभियानम्) भारत सरकार द्वारा आरम्भ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना और कूड़ा साफ रखना है। यह अभियान 2 अक्टूबर, 2014 को आरम्भ किया गया। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देश को दासता से मुक्त कराया, परन्तु ‘स्वच्छ भारत’ का उनका सपना पूरा नहीं हुआ। महात्मा गांधी ने अपने आसपास के लोगों को स्वच्छता बनाए रखने सम्बन्धी शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट सन्देश दिया था। स्वच्छ भारत का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को कम करना या समाप्त करना है। स्वच्छ भारत मिशन विसर्जन उपयोग की निगरानी के जवाबदेह तन्त्र को स्थापित करने की भी एक पहल सरकार ने 2 अक्टूबर 2019, महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं वर्षगाँठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करके खुले में शौंच मुक्त भारत (ओडीएफ) को हासिल करने का लक्ष्य रखा है

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

डिजी सक्षम

श्रम और रोजगार मंत्री श्री भूपेंदर यादव ने डिजिटल कौशल प्रदान कर युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए आजएक डिजिटल कौशल कार्यक्रम – डिजी सक्षम का शुभारंभ किया। तेजी से प्रौद्योगिकी संचालित युग में यह आवश्यक है। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के साथ यह संयुक्त पहल ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के युवाओं को प्रोत्‍साहन देने के लिए सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रमों का विस्तार है।

डिजी सक्षम पहल के माध्यम से, पहले वर्ष में 3 लाख से अधिक युवाओं को बुनियादी कौशल के साथ-साथ अग्रिम कंप्यूटिंग सहित डिजिटल कौशल में मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। नौकरी की तालाश करने वाले राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल (www.ncs.gov.in) के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। यह पहल वंचित समुदायों से संबंधित अर्ध शहरी क्षेत्रों के नौकरी चाहने वालों को प्राथमिकता देती है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपनी नौकरी गंवा दी है।

डिजी सक्षम पहल के माध्यम से, पहले वर्ष में 3 लाख से अधिक युवाओं को बुनियादी कौशल के साथ-साथ अग्रिम कंप्यूटिंग सहित डिजिटल कौशल में मुफ्त प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। नौकरी की तालाश करने वाले राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल (www.ncs.gov.in) के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। यह पहल वंचित समुदायों से संबंधित अर्ध शहरी क्षेत्रों के नौकरी चाहने वालों को प्राथमिकता देती है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने कोविड-19 महामारी के कारण अपनी नौकरी गंवा दी है।

डिजीसक्षम पहल के पहले वर्ष में 300,000 से अधिक युवाओं को तकनीकी कौशल से लैस किया जाएगा और नौकरी चाहने वाले माइक्रोसॉफ्ट सीखने के संसाधनों जैसे प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, डेटा एनालिटिक्स, सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट फंडामेंटल्स और नेशनल करियर सर्विस (एनसीएस) पोर्टल पर उन्नत डिजिटल उत्पादकता तक पहुँच सकते हैं। यह पहल वंचित समुदायों से संबंधित अर्ध शहरी क्षेत्रों के नौकरी चाहने वालों को प्राथमिकता देती है, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के उम्मीदवारों, हाशिए पर रहने वाले समुदायों, जो लोग विस्थापित हो गए हैं या कोविड-19 के कारण नौकरी गंवा चुके हैं। माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने इस डिजिटल पहल को शुरू करने के लिए आगा खान रूरल सपोर्ट प्रोग्राम-इंडिया और इसके नॉलेज पार्टनर टीएमआई ई2ई एकेडमी को भी शामिल किया है। मैं इस अवसर पर डिजी सक्षम कार्यक्रम का शुभारंभ करता हूं और इस पहल में शामिल संगठनों की सफलता की कामना करता हूं।

श्रम और रोजगार मंत्रालय, राष्ट्रीय रोजगार सेवा (एनसीएस) परियोजना को मिशन मोड परियोजना के रूप में लागू कर रहा है ताकि रोजगार से संबंधित विभिन्न सेवाएं जैसे नौकरी उपलब्ध कराना, करियर परामर्श, व्यावसायिक मार्गदर्शन और कौशल विकास पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, इंटर्नशिप आदि के बारे में जानकारी प्रदान की जा सके।  एनसीएस के तहत सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं जो 2015 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित की गई थी। पोर्टल में उपलब्ध सभी सेवाएं नौकरी चाहने वालों, नियोक्ताओं सहित सभी हितधारकों, प्रशिक्षण प्रदाता और प्लेसमेंट संगठन के लिए मुफ्त हैं। एनसीएस पोर्टलों को सीधे या कैरियर केंद्रों (रोजगार एक्सचेंजों), सामान्य सेवा केंद्रों, डाकघरों, मोबाइल उपकरणों, साइबर कैफे आदि से प्राप्त किया जा सकता है।

करियर काउंसलिंग पर सरकार के बढ़ते फोकस के साथ मंत्रालय ने 700 से अधिक करियर काउंसलरों का एक नेटवर्क तैयार किया है जो नियमित रूप से एनसीएस पोर्टल पर अपने कार्यक्रम प्रकाशित कर रहे हैं। मौजूदा परामर्श साहित्य को डिजिटाइज़ करके और इसे हितधारकों द्वारा अप-डेटिंग के लिए उत्तरदायी बनाकर कैरियर परामर्श सामग्री का ज्ञान भंडार बनाया गया है और विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए सुलभ बनाया गया है। कैरियर सूचना के अंतर्गत व्यवसायों के राष्ट्रीय वर्गीकरण 2015 के आधार पर 3600 से अधिक व्यवसायों पर व्यावसायिक जानकारी भी उपलब्ध है।

भारत सरकार ने मॉडल कैरियर केंद्र स्थापित करने के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की है और पहले ही 207 मॉडल कैरियर केंद्रों (7 गैर-वित्त पोषित एमसीसी सहित) को मंजूरी दे दी गई है तथा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 200 और कैरियर केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

जन योजना अभियान 2021 और वाइब्रेंट ग्राम सभा डैशबोर्ड

केंद्रीय पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने आज जन योजना अभियान 2021- सबकी योजना सबका विकास और वाइब्रेंट ग्राम सभा डैशबोर्ड का शुभारम्भ किया। उन्होंने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए योजनाओं की तैयारी को जन योजना अभियान-2021 पर एक बुकलेट और ग्रामोदय संकल्प मैगजीन के 10वें संस्करण का भी विमोचन किया।

इस साल के जन योजना अभियान को बेहतर जन भागीदारी के साथ चलाया जाना चाहिए और सहभागी योजना के भाग के रूप में होने वाली प्रत्येक गतिविधि से गांवों के सर्वांगीण विकास के सामान्य लक्ष्यों के लिए सभी नागरिकों के बीच सौहार्द और प्रतिबद्धता की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा, “यह हम सभी का दायित्व है कि देश की हर पंचायत को सोची-समझी ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करनी चाहिए, जिससे गांव आगामी वर्ष में समावेशी और स्थायी विकास हासिल कर सकें।”

2 अक्टूबर 2021 से सभी राज्यों में जन योजना अभियान शुरू किया जा रहा है और सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्यों ने इस अभियान में सक्रिय समर्थन और भागीदारी का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल कोविड-9 महामारी के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद, जन योजना अभियान को कोविड-19 प्रोटोकॉल / दिशा निर्देशों का पालन करते हुए सुचारू रूप से चलाया गया था। उन्होंने कहा, “ये बड़े सुकून की बात है कि बीते साल 2.56 लाख पंचायतों ने अपने जीपीडीपी को जीपीडीपी पोर्टल पर अपलोड किया था। हमें भरोसा है कि इस साल भी 100% पंचायतें जन योजना अभियान में भाग लेंगी। आज एक जीवंत ग्राम सभा डैशबोर्ड भी लॉन्च किया गया है और ये डैशबोर्ड ग्राम सभा की बैठक, ग्राम पंचायत की स्थायी समिति की बैठक, निर्वाचित पंचायत के जनप्रतिनिधियों की पूरे साल बैठक के जरिए अधिकतम भागीदारी बढ़ाने में भी मदद करेगा।”

देश में ग्राम पंचायतों की संख्या को देखते हुए यह अभियान बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा है। अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिला आदि समाज के कमजोर वर्गों की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं। पंचायत विकास योजना का उद्देश्य प्रभावी ग्राम सभा में डीएवाई-एनआरएलएम के तहत पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों और एसएचजी महिलाओं की भूमिका को मजबूत करना है। ग्राम पंचायत कार्यालय में सभी कार्यक्रमों का जनसूचना अभियान चलेगा। संरचित ग्राम सभा की बैठकें 2 अक्टूबर 2021 – 31 जनवरी 2022 तक आयोजित होंगी, जिसमें 29 क्षेत्रों – कृषि, भूमि सुधार, लघु सिंचाई, पशुपालन, मत्स्य पालन, सामाजिक वानिकी, लघु वन उपज पर फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं / पर्यवेक्षकों द्वारा भौतिक उपस्थिति और लघु उद्योग, खादी, ग्राम और कुटीर उद्योग, ग्रामीण आवास, पेयजल, ईंधन और चारा, सड़कें, ग्रामीण विद्युतीकरण, गैर-पारंपरिक ऊर्जा, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम, शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, वयस्क और अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक गतिविधियाँ बाजार और मेले, स्वास्थ्य और स्वच्छता, परिवार कल्याण, महिला और बाल विकास, समाज कल्याण, कमजोर वर्गों का कल्याण, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सामुदायिक संपत्ति का रखरखाव पर प्रस्तुति होगी।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

सतत धन प्रवाह पर एक विशेषज्ञ समिति का गठन

भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों को विकसित तथा विनियमित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) को एक एकीकृत नियामक के रूप में स्थापित किया गया है।

भारत, जलवायु परिवर्तन से निपटने की कार्रवाई में अग्रणी रहने की आकांक्षा रखता है, जो पेरिस समझौते के तहत इच्छित राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के प्रति उसकी प्रतिबद्धता में स्पष्ट है। इतने बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन कार्यों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए अतंर्राष्‍ट्रीय निवेशकों की सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है। आईएफएससीए, जीआईएफटी-आईएफएससी को टिकाऊ अर्थव्यवस्था के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में देखता है, जो भारत में विदेशी पूंजी को चैनलाइज करने के लिए प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।

आईएफएससीए ने आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने के अपने प्रयास में सतत वित्त हब के निर्माण के प्रस्ताव की सिफारिश करने और उसके लिए रोड मैप तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में पूर्व सचिव श्री सी.के. मिश्रा ने की। इस समिति में स्थायी वित्त स्पेक्ट्रम के नेता शामिल हैं, जिनमें अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां, मानक सेटिंग निकाय, फंड, शिक्षा और परामर्श भी शामिल हैं।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA):

  • IFSCA की स्थापना अप्रैल 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 के तहत की गई थी।
  • एक IFSC घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों को आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध कराता है।
  • इसका मुख्यालय गांधीनगर (गुजरात) की गिफ्ट सिटी (GIFT City) में स्थित है।
  • यह भारत में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के विकास तथा विनियमन के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण है।

  • इसकी स्थापना IFSC में ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस’ को बढ़ावा देने और एक विश्व स्तरीय नियामक वातावरण प्रदान करने के लिये की गई है।

लक्ष्य:

  • एक मज़बूत वैश्विक संपर्क सुनिश्चित करने और भारतीय अर्थव्यवस्था की ज़रूरतों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ पूरे क्षेत्र तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मंच के रूप में सेवा प्रदान करना।

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभूति आयोग संगठन (IOSCO):

  • स्थापना: अप्रैल 1983
  • मुख्यालय: मेड्रिड, स्पेन
    • IOSCO का एशिया पैसिफिक हब (IOSCO Asia Pacific Hub) कुआलालंपुर, मलेशिया में स्थित है।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन विश्व के प्रतिभूति नियामकों को एक साथ लाता है। IOSCO विश्व के 95% से अधिक प्रतिभूति बाज़ारों को कवर करता है तथा प्रतिभूति क्षेत्र के लिये वैश्विक मानक निर्धारक का कार्य करता है।
  • यह प्रतिभूति बाज़ारों की मज़बूती हेतु मानक स्थापित करने के लिये G20 समूह और वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) के साथ मिलकर काम करता है।
    • वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) एक अंतर्राष्ट्रीय निकाय है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली के संदर्भ में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करता है।
  • IOSCO के प्रतिभूति विनियमन के सिद्धांतों और लक्ष्यों को FSB द्वारा तर्कसंगत वित्तीय प्रणालियों के लिये प्रमुख मानकों के रूप में समर्थन प्रदान किया गया है।
  • IOSCO की प्रवर्तन भूमिका का विस्तार ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग मानक’ (IFRS) की व्याख्या के मामलों तक है, जहाँ IOSCO सदस्य एजेंसियों द्वारा की गई प्रवर्तन कार्रवाइयों का एक (गोपनीय) डेटाबेस रखा जाता है।
    • IFRS एक लेखा मानक है जिसे अंतर्राष्ट्रीय लेखा मानक बोर्ड (IASB) द्वारा वित्तीय जानकारी के प्रस्तुतीकरण में पारदर्शिता बढ़ाने के लिये एक सामान्य लेखांकन भाषा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

उद्देश्य:

  • निवेशकों की सुरक्षा, निष्पक्ष, कुशल और पारदर्शी बाज़ारों को बनाए रखने तथा प्रणालीगत जोखिमों को दूर करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त एवं विनियमन, निरीक्षण व प्रवर्तन के मानकों का पालन सुनिश्चित करने, लागू करने और बढ़ावा देने में सहयोग करना।
  • प्रतिभूति बाज़ारों की अखंडता में सूचना के आदान-प्रदान और कदाचार के खिलाफ प्रवर्तन में सहयोग तथा बाज़ारों एवं बाज़ार के मध्यस्थों की निगरानी में सहयोग के माध्यम से निवेशकों की सुरक्षा व विश्वास को बढ़ावा देने के लिये।
  • बाज़ारों और बाज़ार के मध्यस्थों की निगरानी तथा कदाचार के खिलाफ प्रवर्तन में मज़बूत सूचना विनिमय एवं सहयोग के माध्यम से प्रतिभूति बाज़ारों की अखंडता के प्रति निवेशकों के विश्वास व उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देना।
  • बाज़ारों के विकास में सहायता, बाज़ार के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने और उचित विनियमन को लागू करने के लिये अपने अनुभवों के आधार पर वैश्विक तथा क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिये।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

नीति आयोग ने जिला अस्पतालों के कामकाज में अपनाये जा रहे

तौर-तरीकों पर रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने आज भारत में जिला अस्पतालों की प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट जारी कर दी है, जिसका शीर्षक जिला अस्पतालों के कामकाज में अपनाये जा रहे तौर-तरीके है। इस रिपोर्ट को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ इंडिया ने आपसी सहयोग से तैयार किया है। क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के एक घटक बोर्ड नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ने ऑन-ग्राउंड डेटा का सत्यापन किया है।

रिपोर्ट की प्रस्तावना में नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने स्वस्थ समुदायों के निर्माण में जिला अस्पतालों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया, जो स्वास्थ्य सेवाओं की एक व्यापक पहुंच प्रदान करते हैं और एक बड़ी आबादी के सभी व्यक्तियों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। उन्नत माध्यमिक देखभाल प्रदान करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, दुर्भाग्य से कुछ कमियां भी हैं, चाहे वह मानव संसाधनों की कमी हो, क्षमता, उपयोग और सेवा में वृद्धि की बात हो। उन्होंने कहा, “सभी के लिए स्वास्थ्य” को एक वास्तविकता बनाने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक नागरिक की सुरक्षित तथा विश्वसनीय स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच हो, इन कमियों को दूर किये जाने की आवश्यकता है। नीति आयोग द्वारा किया गया जिला अस्पताल प्रदर्शन मूल्यांकन उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अमिताभ कांत ने कहा कि यह रिपोर्ट देश भर में किए गए जिला अस्पतालों के कामकाज का पहला मूल्यांकन है। यह डेटा-संचालित शासन की ओर स्वास्थ्य सेवा वितरण प्रणाली में एक प्रमुख बदलाव का प्रतीक है और यह हमें स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने वाले समुदायों तथा लोगों के और भी करीब ले जाता है। इस मूल्यांकन का संपूर्ण उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध स्वास्थ्य सेवाओं की अधिक जानकारीपूर्ण सोच का मार्ग प्रशस्त करना है।

मूल्यांकन ढांचे में संरचना और आउटपुट के डोमेन में 10 प्रमुख प्रदर्शन संकेतक शामिल किये गए हैं। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 707 जिला अस्पतालों ने इस मूल्यांकन में भाग लिया। वर्ष 2017-18 के स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) के आंकड़ों को इस कार्य के लिए आधार रेखा के रूप में इस्तेमाल किया गया है। इसके अनुसार अस्पतालों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है: छोटे अस्पताल (200 बिस्तरों से कम या उसके बराबर), मध्यम आकार के अस्पताल (201-300 बिस्तरों के बीच) और बड़े अस्पताल (300 बिस्तरों से अधिक)। रिपोर्ट 10 संकेतकों में प्रत्येक अस्पताल श्रेणी में शीर्ष प्रदर्शन करने वाले जिला अस्पतालों के कुछ सर्वोत्तम क्रियाकलापों का दस्तावेजीकरण करती है।

कुल मिलाकर 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 जिला अस्पताल बिस्तर, मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ, कोर हेल्थ और डायग्नोस्टिक टेस्टिंग सेवाओं की उपलब्धता से लेकर बेड ऑक्यूपेंसी रेट और प्रति सर्जन सर्जरी की संख्या जैसे संकेतकों पर शीर्ष प्रदर्शन करने वाले के रूप में उभर कर सामने आये हैं।

रिपोर्ट में स्वास्थ्य प्रणाली के सामने आने वाले कुछ प्रमुख मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया है और देश में जिला अस्पतालों की स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ स्थायी समाधान प्रदान किए गए हैं, जिसमें मुख्य रूप से एचएमआईएस में डेटा रिपोर्टिंग में सुधार करना और जिला अस्पतालों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए अधिक जवाबदेही लाने हेतु इस तरह के प्रदर्शन मूल्यांकन अभ्यास को प्रोत्साहित करना शामिल है।

यह रिपोर्ट देश में उन्नत और बेहतर जिला अस्पतालों के विकास के लिए कार्ययोजना के एक आधार के रूप में काम कर सकती है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

नजला बौडेन रोमधाने

नजला बौडेन रोमधाने (Najla Bouden Romdhane) 29 सितंबर, 2021 को ट्यूनीशिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं।

मुख्य बिंदु

  • राष्ट्रपति कैस सैयद (Kais Saied) के पदभार ग्रहण करने के दो महीने बाद, पूर्व प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने और संसद को निलंबित करने के दो महीने बाद उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया गया है।
  • 2014 के संविधान के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों की तुलना में रोमधाने के पास कम प्रत्यक्ष शक्ति होने की उम्मीद है। ऐसा इसलिए है क्योंकि राष्ट्रपति सईद ने आपातकाल के दौरान घोषणा की थी कि नई सरकार राष्ट्रपति के प्रति जिम्मेदार होगी।

चुनौतियाँ

  • रोमधाने को राजनीतिक और आर्थिक संकट का सामना करना होगा।
  • हाल ही में राष्ट्रपति सैयद नेफरमान जारी किए और एक संक्रमणकालीन सरकार बनाने की योजना की घोषणा की। उन्होंने नए चुनावी नियमों की भी घोषणा की।
  • ट्यूनीशिया भी अधिकांश राज्यों में COVID-19 उपभेदों के प्रकोप का सामना कर रहा है।

नजला बौडेन रोमधाने (Najla Bouden Romdhane)

रोमधाने ट्यूनिस में नेशनल स्कूल ऑफ इंजीनियर्स में भूविज्ञान की प्रोफेसर हैं। उनका जन्म वर्ष 1958 में ट्यूनीशिया के केंद्रीय कैरौं प्रांत में हुआ था। प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त होने से पहले, उन्हें उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय द्वारा विश्व बैंक के साथ कार्यक्रमों को लागू करने का कार्य सौंपा गया था। 2011 में, उन्होंने उच्च शिक्षा मंत्रालय में गुणवत्ता के प्रभारी महानिदेशक के रूप में काम किया।

ट्यूनीशिया

ट्यूनीशिया अफ्रीका का सबसे उत्तरी देश है। इसकी सीमा अल्जीरिया, लीबिया और भूमध्य सागर से लगती है। इसमें एटलस पर्वत का पूर्वी छोर और सहारा रेगिस्तान का उत्तरी भाग भी शामिल है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

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