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Current Affair 5 September 2021

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Current Affairs – 5 September, 2021

स्वतंत्रता सेनानी वी.ओ. चिदंबरम पिल्लई

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी वी.ओ. चिदंबरम पिल्लई को उनकी जयंती परयाद किया है।

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा;

“दूरदर्शी वी.ओ. चिदंबरम पिल्लई को उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। उन्होंने हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी योगदान दिया। उन्होंने एक आत्मनिर्भर भारत की भी परिकल्पना की और इसके लिए उन्होंने बंदरगाहों और पोत परिवहन क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रयास किए। वह हमारे लिए विशेष प्रेरणा के स्रोत हैं।”

वल्लियप्पन उलगनाथन चिदम्बरम पिल्लै (1872–1936) तमिलनाडु के एक राजनेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे बालगंगाधर तिलक के शिष्य थे। वे ‘वी.ओ.सी.’ नाम से विख्यात तथा ‘कप्पलोट्टिय तमिलन’ नाम से भी जाने जाते हैं। उन्हें भारतीय जलयान उद्योग को सम्मान जनक स्थान दिलवाने के लिए याद किया जाता है, पर वे एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। भारतीय जहाज कंपनी शुरू करने के कारण उन्हें अंग्रेज सरकार ने अत्यधिक प्रताड़ित किया। वे लंबे समय तक जेल में भी बंद रहे, जहाँ उन्हें कोल्हू तक में जोता गया। श्री पिल्लै एक प्रखर वकील भी थे। अपने जीवन का अंतिम चरण उन्होंने साहित्य सेवा में व्यतीत किया।

‘कप्पलोट्टिय तमिलन’ मतलब ‘जहाज चलाने वाला तमिल आदमी’।

वी.ओ. चिदम्बरम पिल्लै का जन्म 5 सितंबर 1872 को भारत के तमिलनाडु राज्य के अन्तगर्त तूत्तुक्कुडि जिला स्थित ओट्टपिडारम में हुआ था। वे एड्वोकेट उलगनातन पिल्लै और उनकी पत्नी परमाई अम्माल के सबसे बडे पुत्र थे। 6 वर्ष की आयु में चिदम्बरम अपने गुरु वीरपेरुमाल अण्णावी से तमिल भाषा सीखे। वे अपनी दादी मां से भगवान शिव की और दादाजी से रामायण की कथा सुनी। अल्लिक्कुलम सुब्रमण्य पिल्लै से उन्होंने महाभारत की कहानियां सुनी। बचपन से वे गोली, कबड्डी, घुड़सवारी, तैराकी, सर्प की तरह रेंगना, धनुर्विद्या, कुश्ती और शतरंज खेलना सीखे।

वे शाम को तालुका आफ़िसर कृष्णन से अंग्रेजी सीखे। चिदम्बरम के पिताजी ने ग्रामीणों की मदद से स्कूल का निर्माण किया और एट्टैयापुरम में रहनेवाले अरम्वलर्थ्नादन पिल्लै को अंग्रेजी शिक्षक के रूप में नियुक्त किया। वह स्कूल पुधियमुतूर के पाद्री फ़ाद्र एड्म्सन के द्वारा संचालित था। 14 वर्ष की आयु में चिदम्बरम अपने पढ़ाई चालू रखने के लिए तूत्तुक्कुडि गये। वे सेंट जेवियर हाईस्कूल, काल्ड्वेल हाईस्कूल तूत्तुक्कुडि और हिन्दू कालेज हाईस्कूल तिरुनेल्वेली में पढे।

चिदम्बरम के पिताजी ने उन्हें कानून की पढाई करने के लिए तिरुचिरापल्ली भेजा। इसके पहले वे तालुका ऑफिस में क्लर्क के पद पर कुछ समय तक काम किए। वे 1894 में वकालत की परीक्षा पास की। 1895 में ओट्ट्पिडारम लौट आए और वकालत शुरू कर दी। चेन्नई में उनकी मुलाकात संत रामकृष्णान्तर से हुई जो स्वामी विवेकानन्द आश्रम से संबंधित थे, जिन्होंने उन्हें देश के हित में कुछ करने की प्रेरणा दी। यह चिदम्बरम को राजनीति की तरफ मोड़ा। सन 1900 के बाद चेन्नई में वे तमिल कवि भारतीयार से मिले और दोनों लोग एक दूसरे के अभिन्न मित्र बन गए। सन 1890 और 1900 के दशक में भारतीय स्वतंत्रता और स्वदेशी आंदोलन की मांग उठ रही थी जिसका नेतृत्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बालगंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय कर रहें थे। सन 1892 से चिदम्बरम तिलक महराज के व्यक्तित्व से बडे प्रभावित होकर उनके शिष्य बन गए। सुब्रमण्य सिवा और सुब्रमण्य भारती के साथ-साथ चिदम्बरम मद्रास प्रेसिडेंसी के मुख्य प्रवक्ता बन गए। चिदम्बरम ने स्वदेशी प्रचार सभा, धर्म संघ नेसवु सालै, नेशनल गोडौन, मद्रास अग्रो इन्ड्स्ट्रियल लिमिटेड और देशाभिमान संगम जैसी संस्थाओं का निर्माण किया।

ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेविगेशन कम्पनी ने एकाधिकार व्यापार किया। चिदम्बरम ने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कम्पनी शुरु किया। अक्टूबर 1906 में उन्होंने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कम्पनी का पंजीकरण कराया। उस समय कंपनी की पूंजी 10 लाख रुपये थी। शेयरों संख्या 40,000 थी। प्रत्येक शेयर का मूल्य 25 रु था। कोई भी आशिया निवासी शेयर खरीद सकता था। कंपनी का निर्देशक श्री पाण्डि तुरै तेवर थे। वे एक जमीनदार और मदुरै तमिल संगम के अध्यक्ष थे। जनाब हाजी मोहम्मद बकीर सेठ 8,000 शेयर ख्रीद कर कम्पनी को 2 लाख रुपया सहायता दिए। यही कम्पनी की प्रारंभिक पूंजी थी।

प्रारंभ में कंपनी के पास कोई पानी का जहाज नहीं था। शालयन स्टीमर कम्पनी से किराये में जहाज लाये। ब्रिटिश इंडिया स्टीम नेविगेशन कम्पनी ने शालयन स्टीमर कम्पनी को पट्टा रद्द कर्ने के लिए दबाब डाला। फलस्वरूप चिदम्बरम ने श्रीलंका से एक बडा जहाज को माल लादने वाला पट्टे पर लिया। अब उन्होंने स्वदेशी शिपिंग कम्पनी के लिए स्वयं का जहाज की आवश्यकता को समझकर लिया। कम्पनी की पूंजी में वृद्धि कर्ने के लिये चिदम्बरम पूरा भारत भ्रमण किए। उन्होंने प्रतिघ्णा की कि “मैं जहाज के साथ लौटूंगा नहीं तो समुद्र में दूब मरूंगा।” कम्पनी का पहला पानी का जहाज एस. एस. गालिया खरीद ने के लिए पर्याप्त धन संग्रह करने में वे सफ़ल रहे। शीघ्र ही इसके बाद फ़्रांस से एस. एस. लाओ को प्राप्त कर्ने में भी वे सफ़ल रहे।

नई स्पर्धा के फलस्वरूप बी. ऐ. एस. एन. सी. ने प्रति फ़ेरी व्यक्ति एक रुपया भाडा कम कर दिया। इस्के फलस्वरूप स्वदेशी कम्पनी ने आधा रुपया अर्थात 8 आना भाडा कर दिया। अंग्रेजी कम्पनी ने आगे चलकर यात्रियों को नि:शुल्क सेवा के साथ एक मुफ़्त का छाता भी देना शुरू कर दिया। परंतु राष्ट्रीय सदभावना के चल्ते मुफ़्त की सेवा का कोई लाभ नहीं उठ्ता था। बी. ऐ. एस. एन. सी. ने चिदम्बरम को खरीदने को बहुत प्रयत्न किया। परंतु उन्होंने इस सौदे को ठुकरा दिया। स्वदेशी पानी की जहाज ब्रिटिश व्यापारियों और राजशाही सत्ता के विरोध के बावजूद नियमित तूत्तुक्कुडि और श्रीलंका के बीच चलाता रहा।

1920 में गांधी के साथ सैद्धान्तिक मतभेद के चलते चिदम्बरम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया। वे मदरास में रहकर मजदूर यूनियन पर ध्यान देने और लेख लिखने लगे। कोयम्बटूर आने के बाद चिदम्बरम बैंक मैनेजर के पद पर कार्य किये। परंतु इससे होने वाली आय से असंतुष्ट होकर उन्होंने कोर्ट से अपील की कि उन्हें फ़िर से वकालत शुरू करने की अनुमति दी जाए। न्यायमूर्ति इ.एच. वालेस ने चिदम्बरम की रद्द की गई वकालत की लाइसेंस को वापस लौटा दिया। फलस्वरूप वे पुन: वकालत करने लगे। इस घटना की यादगार में चिदम्बरम ने अपने सबसे छोटे लड़के का नाम वालेस्वरन रखा। चिदम्बरम कोविल्पट्टी गए और वकालत करने लगे। उन्होंने पुन: 1927 में कांग्रेस में प्रवेश किया और सेलम आयोजित तीसरे राजनीतिक सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में उल्लेखनीय बदलाव के कारण उन्हें प्रसन्नता हुई और वे पुन: कांग्रेस में लौट आये है। मगर सेलम अधिवेशन के बाद चिदम्बरम ने कांग्रेस से फिर सम्बन्ध तोड़ लिया। सन 1932 में वे तूत्तुक्कुडि गए और वहां रहकर वे अपना समय लेखन कार्य में और तमिल पुस्तक प्रकाशन में व्यतीत करने लगे।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

आईएनएस तबर

पनी निरंतर जारी विदेशी तैनाती के अंतर्गत आईएनएस तबर ने 03 सितंबर 2021 को मिस्र में अलेक्जेंड्रिया बंदरगाह में प्रवेश किया। इस जहाज का मिस्र की नौसेना और भारतीय रक्षा अटैश के अधिकारियों ने स्वागत किया।

मिस्र में भारत के राजदूत श्री अजीत गुप्ते ने जहाज का दौरा किया, उन्हें जहाज पर घुमाया गया एवं उसकी तैनाती से संबंधित गतिविधियों की ब्रीफिंग प्रदान की गई।

बाद में शाम को जहाज पर एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें अलेक्जेंड्रिया नेवल बेस के कमांडर रियर एडमिरल अयमान अल-डेली मुख्य अतिथि थे। इस कार्यक्रम में मिस्र की नौसेना के कई वरिष्ठ अधिकारी, अलेक्जेंड्रिया सरकार एवं बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी शामिल थे। इसके अलावा हेलेनिक नेवी जहाजों हाइड्रा और लेस्बोस और साइप्रस नेवी के जहाज एंड्रियास लोनाइड्स, जो मिस्र के साथ एक्सरसाइज ब्राइट स्टार के लिए अलेक्जेंड्रिया का दौरा कर रहे हैं, के कमांडिंग ऑफिसर और अधिकारी रिसेप्शन के लिए भी मौजूद थे।

आईएनएस तलवार (एफ़40) [अंग्रेज़ी : INS Talwar (F40)] भारतीय नौसेना का पोत है, जिसका निर्माण रूस में किया गया था।

  • यह भारतीय नौसेना की तलवार श्रेणी का पोत है।
  • 18 जून, 2003 को इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
  • शामिल किये जाने के बाद से ही इस पोत को कई नौसैनिक ऑपरेशन में शामिल किया गया है।
  • यह पोत अपने साथ एचएएल ध्रुव (HAL Dhruv) हेलिकॉप्टर ले जाने की क्षमता भी रखता है।
  • इसकी लम्बाई 8 मीटर तथा चौड़ाई 15.2 मीटर है।
  • आईएनएस तलवार (एफ़40) की रफ़्तार 30 नोट्स (56 कि.मी. प्रति घण्टा) है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

निपाह वायरस

केरल के कोझीकोड जिले में निपाह वायरस का एक मामला सामने आया है।

केरल के कोझीकोड जिले से 3 सितंबर 2021 को एन्सेफलाइटिस और मायोकार्डिटिस के लक्षण के साथ 12 साल के एक लड़के में निपाह वायरस का एक संदिग्ध मामला सामने आया था।

यह वायरस चमगादड़ों की लार से फैलता है। लड़का अस्पताल में भर्ती था और आज सुबह उसकी मौत हो गई।

केंद्र सरकार ने एनसीडीसी की एक टीम को राज्य के लिए रवाना किया है जो आज वहां पहुंच रही है। यह टीम राज्य को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगी।

केंद्र सरकार द्वारा तत्काल निम्नलिखित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की सलाह दी गई है:

  1. परिवारों, गांवों और समान भौगोलिक क्षेत्र (विशेषकर मलप्पुरम) में सक्रिय मामले की खोज।
  2. पिछले 12 दिनों के दौरान सक्रियता से संपर्क (किसी भी संपर्क के लिए) की पहचान।
  3. संपर्क में आने वाले लोगों को सख्‍ती से क्वारंटाइन करना और किसी भी संदिग्ध को आइसोलेट करना।
  4. प्रयोगशाला परीक्षण के लिए नमूनों का संग्रह और परिवहन।

गौरतलब है कि 2018 में भी केरल के कोझीकोड और मलप्पुरम जिलों में निपाह वायरस का प्रकोप हुआ था।

क्या है निपाह वायरस?

निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। निपाह वायरस फ्लाइंग फॉक्स (फ्रूट बैट) से जानवरों और मनुष्यों में फैलता है। आम तौर पर, यह सूअर, कुत्ते और घोड़ों जैसे जानवरों को प्रभावित करता है। यदि यह मनुष्यों में फैलता है, तो निपाह वायरस गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निपाह वायरस कई जानवरों को संक्रमित करता है और लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बनता है। यह इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का कारण बनाता है।” डब्ल्यूएचओ निपाह वायरस पर अपने दिशानिर्देशों में कहता है, “संक्रमित लोगों में, यह एसिम्प्टोमैटिक (सबक्लिनिकल) संक्रमण से लेकर तीव्र श्वसन बीमारी और घातक एन्सेफलाइटिस तक कई बीमारियों का कारण बनता है।”

निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण :

1. दिमागी बुखार, 2. लगातार खांसी के साथ बुखार और सांस लेने में तकलीफ, 3. तीव्र श्वसन संक्रमण (हल्का या गंभीर), 4. इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण – बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश, चक्कर आना, उनींदापन, 5. न्यूरोलॉजिकल संकेत जो एन्सेफलाइटिस का संकेत देते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कुछ मामलों में लोगों को निमोनिया भी हो सकता है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

ब्राइट स्टार अभ्यास

‘ब्राइट स्टार’ अभ्यास (Exercise Bright Star) एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है, जो मिस्र में हर दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है। इस वर्ष के अभ्यास में अमेरिका सहित 21 देशों की भागीदारी होगी। इस तरह का पहला अभ्यास वर्ष 1980 में मिस्र और इज़रायल के बीच शांति संधि पर हस्ताक्षर करने के बाद आयोजित किया गया था। अंतिम ब्राइट स्टार अभ्यास 2018 में आयोजित किया गया था, जिसमें 16 प्रतिभागी राष्ट्र शामिल थे।

‘ऑपरेशन ब्राइट स्टार मिस्र में हर दो साल में एक संयुक्त बहु-पार्श्व, बहु-राष्ट्रीय सैन्य अभ्यास होता है। यह आमतौर पर संयुक्त और संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यासों की एक श्रृंखला है, जिसके नेतृत्व में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा मिस्र के सैनिक बल। यह अभ्यास 1980 के बाद शुरू हुआ शिविर डेविड समझौते हस्ताक्षर किए गए – मिस्र और संयुक्त राज्य के सैन्य बल मिस्र में गठबंधन प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए सहमत हुए।[1]

ब्राइट स्टार के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए डिज़ाइन किया गया है मिस्र के सशस्त्र बल और यह संयुक्त राज्य मध्य कमान और युद्ध की स्थिति में मध्य पूर्व में अपने सहयोगियों को मजबूत करने के लिए अमेरिकियों की क्षमता को प्रदर्शित और बढ़ाता है। ये तैनाती आमतौर पर बड़े पैमाने पर केंद्रित होती है काहिरा वेस्ट एयर बेस। कुवैत की मुक्ति के बाद से ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म अभ्यास में 11 देशों और 70,000 कर्मियों को शामिल किया गया है। ब्राइट स्टार अभ्यास में शामिल होने वाले राष्ट्रों में यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ग्रीस, नीदरलैंड, जॉर्डन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।

युद्ध के माहौल में एक दूसरे के साथ काम करने के तरीके पर गठबंधन अंतर प्रशिक्षण के साथ अभ्यास शुरू होता है। वे तब कमांड पोस्ट एक्सरसाइज (CPX) के साथ चलते हैं जो कमांड और कंट्रोल प्रक्रियाओं को मानकीकृत करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, और एक बड़े पैमाने पर फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास (FTX) सब कुछ एक साथ अभ्यास करने के लिए।

पहला अभ्यास, ब्राइट स्टार ’81, अक्टूबर से दिसंबर 1980 (वित्तीय वर्ष 1981) तक आयोजित किया गया था। अमेरिकी सेना की त्वरित तैनाती इकाई (टास्क फोर्स “स्ट्राइक”, 1 बटालियन, 502 वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट) की 101 वा एयरबोर्न डिवीजन (वायु आक्रमण) और अमेरिकी वायु सेना के कर्मियों को तैनात किया गया था काहिरा वेस्ट एयर बेस अभ्यास के लिए मिस्र में। यह ऑपरेशन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इस क्षेत्र में लड़ाकू सैनिकों की पहली तैनाती थी। ब्राइट स्टार ’81 द्वारा शुरू किया गया था कार्टर प्रशासन के जवाब में ईरानी बंधक संकट साथ ही रूस का अफगानिस्तान में प्रवेश। लेकिन अमेरिकी सशस्त्र बल अभ्यास के लिए आंशिक रूप से तैयार नहीं थे। सैनिकों को रेगिस्तान छलावरण (जो 1980 में अमेरिकी सेना की सूची में नहीं था) और जल्दबाजी में स्थापित मिस्र के हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों के बदले में जंगल के थक्के जारी किए गए थे। लॉकहीड C-141 स्टारलिफ्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ऑपरेशन के बाद की ब्रीफिंग ने भविष्य की तत्परता और उसके बाद के सफल अभ्यासों के लिए सकारात्मक परिवर्तन को प्रभावित किया, कहा MSG Keefer (सेवानिवृत्त), ब्राइट स्टार ’81 के लिए डिब्रीफिंग टीम के एकमात्र सूचीबद्ध सदस्य। [प्रशस्ति पत्र की जरूरत]

अगले वर्ष, इसी तरह के नियमों का उपयोग करते हुए एक समान अभ्यास आयोजित किया गया था। यूएसएसकोरल सागर (CV-43) 1982 में भाग लिया। एक्सरसाइज ईस्टर्न विंड ’83 के बाद, ब्राइट स्टार ’83 का उभयचर भाग, द लॉस एंजेलिस टाइम्स एक राजनयिक ने कहा कि बताया गया कि “यह अभ्यास निराशाजनक रूप से विफल रहा। … सोमाली सेना ने किसी भी मानक पर काम नहीं किया।” … “सोमाली सशस्त्र बलों की अक्षमता विदेशी सैन्य पुरुषों के बीच प्रसिद्ध है।”[2]

1983 तक, शामिल बलों के आकार ने योजनाकारों को सालाना के बजाय हर दो साल में आयोजन करने के लिए प्रेरित किया। 1985 में शामिल किए जाने के साथ यह कवायद आगे चलकर विकसित हुई अमेरिका तथा मिस्र की वायु सेना। दोनों राष्ट्रों के संबंधित नौसेनाओं तथा विशेष ताकतें 1987 में अभ्यास में शामिल हुए।

एसोसिएटेड प्रेस ने 4 अगस्त, 1985 को एक कहानी में कहा था कि अमेरिकी सेनाएं उस दिन मध्य पूर्व में अपना सबसे बड़ा अभ्यास शुरू करेंगी। मिस्र, सोमालिया, जॉर्डन और ओमान को भाग लेने के रूप में सूचित किया गया था।

मिस्र के सूचना मंत्रालय ने पुष्टि की कि ब्राइट स्टार मिस्र में कमांड सेंटरों और पैंतरेबाज़ी क्षेत्रों में सैनिकों की कुछ आवाजाही को सक्रिय करने के साथ शुरू हुआ। वाशिंगटन में पेंटागन के प्रवक्ता ने कहा कि लगभग 9,000 अमेरिकी सप्ताह के अंत में मिस्र के चरण में भाग लेंगे, इस अभ्यास का मुख्य हिस्सा। प्रवक्ता ने कहा कि एक अनिर्दिष्ट छोटी संख्या में अमेरिकी सैनिक सोमालिया में भाग लेंगे और लगभग 520 जॉर्डन के हिस्से में शामिल होंगे। वाशिंगटन में पेंटागन के सूत्रों ने कहा कि ओमान में अमेरिकियों की एक छोटी संख्या भी प्रशिक्षण देगी।

1989 की घटना के बाद, इस अभ्यास को गर्मियों से गिरावट में ले जाया गया। ब्राइट स्टार अभ्यासों के नाम पर रखा गया है वित्तीय वर्ष जिस दौरान वे होते हैं; फलस्वरूप, वे कैलेंडर वर्ष में जगह लेते हैं, इससे पहले कि उनकी संख्या का संकेत हो। उदाहरण के लिए, ब्राइट स्टार 95 वास्तव में 1994 के पतन में हुआ।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

Air-Launched Unmanned Aerial Vehicle

भारत और अमेरिका ने जुलाई, 2021 के अंत में ‘एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल’ (Air-Launched Unmanned Aerial Vehicle) के लिए एक परियोजना समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

मुख्य बिंदु

  • रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (DTTI) के दायरे में एयर-लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल (ALUAV) लॉन्च किया जाएगा।
  • परियोजना समझौते पर 30 जुलाई को रक्षा मंत्रालय और अमेरिकी रक्षा विभाग के बीच वायु प्रणालियों पर संयुक्त कार्य समूह (JWG) के सह-अध्यक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
  • यह समझौता ALUAV प्रोटोटाइप को सह-विकसित करने के लिए सिस्टम के डिजाइन, विकास, प्रदर्शन, परीक्षण और मूल्यांकन के लिए भारतीय वायु सेना, वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला और रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (DRDO) के बीच सहयोग पर प्रकाश डालता है।

पृष्ठभूमि

ALUAV के लिए परियोजना समझौता अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन समझौता ज्ञापन के तहत है, जिस पर पहली बार जनवरी 2006 में दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते का नवीनीकरण जनवरी 2015 में किया गया था।

परियोजना का महत्व

यह परियोजना समझौता रक्षा उपकरणों का सह-विकास करके भारत और अमेरिका के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को गहरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

DTTI का उद्देश्य

रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (Defence Technology and Trade Initiative – DTTI) को दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक प्रौद्योगिकी विनिमय को बढ़ावा देने के लिए निरंतर नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह भारत और अमेरिका के सैन्य बलों की भावी प्रौद्योगिकियों के सह-उत्पादन और सह-विकास के अवसर पैदा करने का भी प्रयास करता है। इस पहल के तहत, संबंधित डोमेन में परस्पर सहमत परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भूमि, नौसेना, वायु और विमान वाहक प्रौद्योगिकियों पर एक संयुक्त कार्य समूह स्थापित किया गया है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.2

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