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Current Affair 6 April 2021

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6 April Current Affairs

ब्रिक्स वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की पहली बैठक

भारत ने 6 अप्रैल 2021 को ब्रिक्स वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की पहली बैठक की वर्चुअल मेजबानी की। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांता दास ने संयुक्त रूप से की। बैठक में ब्रिक्स देशों के वित्त मंत्री और उनके केंद्रीय बैंकों के गवर्नर शामिल थे।

2021 में भारत की अध्यक्षता में ब्रिक्स वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की यह पहली बैठक थी। बैठक के दौरान ब्रिक्स के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों गवर्नरों ने 2021 के लिए भारत द्वारा निर्धारित वित्तीय सहयोग एजेंडे पर चर्चा की है। इसके तहत वैश्विक आर्थिक आउटलुक और कोविड-19 महामारी का असर, न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की गतिविधियां, सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग और डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग, सीमा शुल्क से संबंधित मुद्दों पर सहयोग, आईएमएफ में सुधार, एसएमई के लिए फिनटेक और वित्तीय समावेशन, ब्रिक्स रैपिड सूचना सुरक्षा चैनल और ब्रिक्स बॉन्ड फंड पर चर्चा की गई।

वित्त मंत्री ने कोविड-19 के संकट को देखते हुए नीतियों के समर्थन और अंतर्राष्ट्रीय समन्वय बढ़ाने के लिए ब्रिक्स के महत्व पर जोर दिया। श्रीमती सीतारमण ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन अभियान चला रहा है। भारत ने 84 देशों को 6.45 करोड़ वैक्सीन डोज की आपूर्ति की है। सामाजिक बुनियादी ढांचे के महत्व और डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर बोलते हुए, वित्त मंत्री ने निजी क्षेत्र को साथ जुड़ने और नए कर्ज के मॉडल तैयार करने में निजी क्षेत्र के महत्तव पर भी जोर दिया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि परिणाम आधारित फंडिंग मॉडल का उपयोग करने वाली प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना ने स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में निजी निवेश की भूमिका को सबके सामने पेश किया है। इसके जरिए वंचित लोगों तक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो रहा है।

Source –PIB

 

न्यायमूर्ति श्री नथालपति वेंकट रमण को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया

राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति श्री नथालपति वेंकट रमण को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया है। इस संबंध में विधि एवं न्याय मंत्रालयके न्याय विभाग द्वारा आज अधिसूचना जारी की गई है। न्यायमूर्ति श्री एन वीरमण को नियुक्ति पत्र और नियुक्ति-अधिसूचना की एक प्रति सौंपी गई है।

न्यायमूर्ति श्री नथालपति वेंकट रमण, 24 अप्रैल, 2021 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभालेंगे। वे भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश होंगे।

वे पहली पीढ़ी के वकील हैं और किसान परिवार से आते हैं। वे आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के पोन्नवरम गांव के निवासी हैं। वे किताबें पढ़ने के शौकीन हैं तथा साहित्य में उनकी गहरी रूचि है। वे कर्नाटक संगीत भी बहुत पसंद करते हैं।

उन्हें 10.02.1983 को बार में पंजीकृत किया गया था। उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय, केन्द्रीय और आंध्र प्रदेश प्रशासनिक न्यायाधिकरण और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की है। उन्हें संवैधानिक, सिविल, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में विशेषज्ञता हासिल है। उन्होंने अंतर-राज्य नदी न्यायाधिकरण के समक्ष भी अपना पक्ष प्रस्तुत किया है।

वकालत करने के दौरान, वे विभिन्न सरकारी संगठनों के पैनल अधिवक्ता थे। वे हैदराबाद स्थित केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में रेलवे के अधिवक्ता थे। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता के रूप में सेवाएं प्रदान की।

न्यायमूर्ति श्री नथालपति वेंकट रमण ने 17.02.2014 से भारत के सर्वोच्च न्यायालय के उप न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उन्होंने 7 मार्च, 2019 से 26 नवंबर, 2019 तक सर्वोच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। उन्होंने 27.11.2019 से राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है।

प्रारंभ में उन्हें 27.06.2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10.3.2013 से 20.5.2013 तक इस उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया था।

SOURCE-PIB

 

वुल्फ-रेएट तारे या डब्ल्यूआर तारे

भारतीय खगोलविदों ने एक दुर्लभ सुपरनोवा विस्फोट की निगरानी कीजिससे एक वुल्फ-रेएट तारे या डब्ल्यूआर तारे नाम से सबसे गर्म तारों में से एक के बारे में पता लगा है।

दुर्लभ वुल्फ-रेएट तारे सूर्य से एक हजार गुना अधिक प्रकाशमान होते हैं जिससे खगोलविद लंबे समय तक संशय में रहे। वह आकार में बहुत बड़े तारे हैं और उनका बाहरी हाइड्रोजन वाला हिस्सा खाली है और भीतर के बड़े कोर में हिलीयम के संलयन और अन्य तत्वों के साथ जुड़ा। इस प्रकार के बड़े प्रकाशमान सुपरनोवा विस्फोट की निगरानी से वैज्ञानिकों को इन तारों की जांच में सहयोग मिलेगा जो कि अब तक उनके लिए पहेली बने हुए थे।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन आने वाले नैनीताल स्थित स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरियस) से खगोलविदों की एक टीम ने अन्तर्राष्ट्रीय सहयोगियोंके साथ 2015 में मिले एनएसजी 7371 आकाशगंगा में इसी प्रकार के खाली-आवृत्त वाले सुपरनोवा एसएन 2015डीजे की ऑप्टिकल मॉनिटरिंग की। उन्होंने इस सितारे के द्रव्यमान की गणना की जो सुपरनोवा और इसके निष्कासन की ज्यामितीय की स्थापना के लिए ढेर हो गया था। यह कार्य हाल ही में ‘दएस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है।

वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि असली तारा दो सितारों का मिश्रण था- जिनमें से एक विशाल डब्ल्यूआर तारा था और दूसरा तारा द्रव्यमान में सूर्य से कम था। सुपरनोवा (एसएनई) ब्रह्मांड में होने वाले अत्यधिक ऊर्जावान विस्फोट होते हैं जिनमें बड़ी संख्या में ऊर्जा जारी होती है। इन विस्फोटों की दीर्घकालीन निगरानी विस्फोट वाले तारे की प्रकृति और विस्फोट के तत्वों को समझने में मदद करते हैं। यह विशालकाय तारों की गणना में भी मदद करते हैं।

SOURCE-PIB

 

वन धन विकास योजना

नजातीय कार्य मंत्रालय के अंतर्गत ट्राईफेड ने जनजातीय आबादी की आजीविका सुधारने में मदद देने के लिए अनेक कार्यक्रमों को लागू किया है। खासकर पिछले वर्ष कोविड महामारी से प्रभावित जनजातीय लोगों की मदद के लिए। विभिन्न कार्यक्रमों में वन धन जनजातीय स्टार्टअप तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य और मूल्य संवर्धन करके छोटे वन उत्पाद की मार्केटिंग व्यवस्था (एमएफपी) प्रमुख है। एमएफपी योजना के अंतर्गत उत्पाद एकत्रित करने वालों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान किया जाता है और जनजातीय समूहों और कलस्टरों के माध्यम से मूल्यवर्धन और मार्केटिंग की जाती है। पूरे देश में इन कार्यक्रमों को व्यापक रूप से स्वीकार किया गया है। खासर वन धन जनजातीय स्टार्टअप कार्यक्रम काफी सफल रहा है। आंध्र प्रदेश वन धन योजना से जनजातीय लोगों को लाभ देने वाला बेहतरीन उदाहरण है।

आंध्र प्रदेश के 13 जिलों में कुल जनजातीय आबादी 59,18,073 है। इन 13 जिलों में से 7 जिले वन धन विकास केन्द्र (वीडीवीके) द्वारा कवर किए जाएंगे। आंध्र प्रदेश में कुल 263 वीडीवीके स्थापित किए जा रहे हैं, जिसमें से इस वित्त वर्ष के लिए 188 वीडीवीके को मंजूरी दी गई है। इनमें से 49 में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए गए हैं और राज्य में 7 वन धन विकास केंद्र काम कर रहे हैं। इन केंद्रों से राज्य के 78,900 जनजातीय उद्यमियों को लाभ होगा। विशाखापत्तनम जिले में जिला क्रियान्वयन एजेंसी/क्रियान्वयन एजेंसी के रूप में आईटीडीए पाडेरू काम कर रहा है और 39 अड्डापत्ता प्लेट हाइड्रॉलिक मशीनें स्थापित की गई हैं, 390 सिलाई मशीनें खरीदी गई हैं और स्वीकृत 54 वीडीवीके के लिए 40 समकोणीय आकार की इमली बनाने की हाइड्रॉलिक मशीनें लगाई गई हैं।

चालू 7 वीडीवीके ने 3.48 लाख रुपए मूल्य की बिक्री की है। इन वीडीवीके में प्रसंस्कृत किए जाने वाले लघु वन उत्पादों में पहाड़ी झाड़ू घास, बांस, इमली तथा अड्डा पत्ता शामिल है। देवरापल्ली वीडीवीके में 15 स्वयं सहायता समूह के लाभार्थियों को बांस का मूल्य संवर्धन करने तथा दीया और मोमबत्ती स्टेंड जैसे उत्पाद तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। इन

मूल्यवर्धित उत्पादों की 2.5 लाख रुपए से अधिक की बिक्री हुई है। लम्मासिंगी वीडीवीके में लाभार्थी 500 ग्राम तथा एक किलो वजन के बीज निकाली हुई इमली समकोषणीय आकार में तैयार कर रहे हैं। समकोणीय आकार की बीज निकाली हुई इमली की आकर्षक रूप से पैकेजिंग और ब्रांडिंग की जाती है। दक्षिण भारत के व्यंजनों में इमली का काफी उपयोग किया जाता है।

कोराई वीडीवीके में 25 स्वयं सहायता समूहों के जनजातीय लाभार्थी बांस के पहाड़ी झाड़ू विभिन्न वजनों के अनुसार तैयार करने के लिए बांस के छड़ियों से पहाड़ी झाड़ू की प्रोसेसिंग करते हैं। पेड्डाबयुलु वीडीवीके में विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के लाभार्थी (मुख्यतः महिलाएं) अड्डापत्तों को प्रसंस्कृत कर रही हैं और उन पत्तों से पर्यावरण अनुकूल कप और प्लेट बनाकर मूल्य संवर्धन कर रही हैं। इन वन धन केंद्रों में तैयार उत्पाद बाजार में बेचे जा रहे हैं। इस कार्यक्रम की खूबसूरती यह है कि बिक्री से प्राप्त सभी लाभ सीधे तौर पर जनजातीय उद्यमियों को जाते हैं।

SOURCE-PIB

 

ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (सेवा के युक्तिकरण और शर्तों) अध्यादेश, 2021

संघर्ष के केंद्र में द ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (युक्तिकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश है जिसे रविवार को प्रख्यापित किया गया था। भारत की अपीलीय संरचना का हिस्सा समाप्त करने के लिए अध्यादेश ने पार्टी नेताओं के साथ कांग्रेस को end to विश्वास के एक भयानक उल्लंघन ” का विरोध करने के लिए पत्र लिखा।

भारत के राष्ट्रपति ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (सेवा के युक्तिकरण और शर्तों) अध्यादेश, 2021 को प्रख्यापित किया है, जिसके द्वारा नौ अधिनियमों के तहत अपीलीय अधिकारियों को खत्म किया गया है और क़ानून के तहत अपील सुनने का अधिकार उच्च न्यायालयों को दिया गया है।

ज्यसभा के सभापति को लिखे पत्र में, रमेश ने कहा, “मैं अध्यादेश के गुणों पर आपको नहीं लिख रहा हूं। मैं यह करना चाहता हूं कि विश्वास के भयानक उल्लंघन पर अपनी घृणा व्यक्त की जाती है, जहां तक बिल को स्थायी रूप से संबंधित करने की बात नहीं है। ”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संचालित कानून का उद्देश्य कम से कम आठ मौजूदा अपीलीय न्यायाधिकरणों को भंग करना और उच्च न्यायालयों सहित अन्य निकायों को उनकी जिम्मेदारियों को हस्तांतरित करना है।

जयराम ने दावा किया कि जब बजट सत्र नज़दीक आ रहा था, तब सरकारी प्रबंधकों ने उन्हें सूचित किया कि विधेयक पारित होने के लिए नहीं लिया जाएगा और उन्हें सदन के पैनल में भेजा जाएगा।

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक पत्र लिखा और तर्क दिया कि बिल का अध्याय 12 वित्त विधेयक की धारा 184 में बड़े संशोधन का परिचय देता है और 19 प्रमुख न्यायाधिकरणों के कामकाज और संरचना को सीधे प्रभावित करता है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून 19 न्यायाधिकरणों के तंत्र पर “पूर्ण नियंत्रण” की परिकल्पना करता है और कहा, “प्रस्तावित संशोधनों में किसी भी अंतर्निहित कमजोरियों की गहन समीक्षा के लिए विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए।” इस शक्ति के

दुरुपयोग के माध्यम से किए जा सकने वाले कमजोर पड़ने या संशोधन की सरासर डिग्री को देखते हुए, आप निश्चित रूप से इस बात से सहमत होंगे कि संशोधनों को जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए”।

एनडीए का अध्यादेश मार्ग और संसदीय पैनल की समीक्षा के बिना विधेयक पारित करना विपक्ष के लिए चिंता का विषय रहा है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “17 वीं लोकसभा में, अब तक, शुरू किए गए विधेयकों में से 11% को एक समिति में भेजा गया है; 14 वीं (60%), 15 वीं (71%) और 16 वीं (27%) लोक सभाओं की तुलना में बहुत कम है”।

वित्त अधिनियम, 2017 की धारा 184 में संशोधन किया गया है ताकि केंद्र सरकार को सशक्त बनाने के लिए योग्यता, नियुक्ति, कार्यालय की अवधि, वेतन और भत्ते, त्यागपत्र, निष्कासन और अन्य नियमों और शर्तों के लिए नियम बना सकें।

  • वित्त अधिनियम के दायरे से इन अधिकरण / अपीलीय प्राधिकारियों को अध्यादेश मुक्त करता है:

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट, 1994 के तहत एयरपोर्ट अपीलेट ट्रिब्यूनल की स्थापना

ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999 के तहत अपीलीय बोर्ड की स्थापना

आयकर अधिनियम, 1961 के तहत स्थापित अथॉरिटी  फॉर एडवांस रूलिंग

सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत फिल्म प्रमाणन अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना

  • इसके अलावा, यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत स्थापित राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के साथ पूर्ववर्ती उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग को प्रतिस्थापित करता है।

SOURCE –THE HINDU

 

चैफ़ प्रौद्योगिकी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नौसैनिक पोतों को शत्रु के मिसाइल हमलें से बचाने के लिए आधुनिकतम चैफ़डफभ प्रौद्योगिकी का विकास किया है। डीआरडीओ की प्रयोगशाला, रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर (डीएलजे) ने इस अतिमहत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रकारों का स्वदेश में विकास किया है। ये हैं कम दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (एसआरसीआर), मध्यम रेंज चैफ़ रॉकेट (एमआरसीआर) और लम्बी दूरी की मारक क्षमता वाला चैफ़ रॉकेट (एलआरसीआर)। इन प्रकारों का विकास भारतीय नौसेना की गुणात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है। रक्षा प्रयोगशाला जोधपुर द्वारा आधुनिकतम चैफ़ प्रौद्योगिकी का सफल विकास ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक अन्य कदम है।

हाल में भारतीय नौसेना ने अरब सागर में भारतीय नौसैनिक पोतों से इन तीनों प्रकार के रॉकेटों का प्रायौगिक परीक्षण किया और इनके प्रदर्शन को संतोषजनक पाया।

चैफ़ एक अप्रतिरोधी विस्तार योग्य इलेक्ट्रॉनिक जवाबी प्रौद्योगिकी है जो विश्वभर में नौसैनिक पोतों को शत्रु के रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी मिसाइल साधकों से संरक्षण देती है। यह प्रौद्योगिकी इसलिए महत्वपूर्ण है कि इसमें नौसैनिक पोतों को शत्रु के मिसाइल हमले से बचाने के लिए बहुत कम मात्रा में चैफ़ सामग्री को प्रलोभन के तौर पर हवा में छोड़ा जाता है।

डीआरडीओ ने भविष्य में शत्रु से होने वाले खतरों से बचाव से हथियार निर्माण में विशेषज्ञता प्राप्त कर ली है। यह प्रौद्योगिकी बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए उद्योगों को सौंप दी गई है।

रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ, भारतीय नौसेना और उद्योगों को बधाई दी।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी ने भारतीय नौसैनिक पोतों की सुरक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी के स्वदेश में विकास से जुड़े समूहों के प्रयासों की प्रशंसा की।

नौसेना के वाइस चीफ ऑफ स्टाफ वाइस एडमिरल जी. अशोक कुमार ने बहुत कम समय में स्वदेशी तौर पर रणनीति के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण इस प्रौद्योगिकी के विकास के लिए और इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की स्वीकृति देने के लिए डीआरडीओ की प्रशंसा की।

SOURCE –PIB

 

हाइड्रोजन मार्केट

दुनिया की सबसे बड़ी सौर कंपनी लॉन्गी ग्रीन हाइड्रोजन बाजार में प्रवेश करने जा रही है। Longi Green एक चीनी कंपनी है जो सोलर पैनल, वेफर्स और सोलर सेल बनाती है। वर्तमान में कई ऐसी सौर कंपनियां हाइड्रोजन बाजार में प्रवेश कर रही हैं।  क्योंकि हाइड्रोजन एक कार्बन-मुक्त ईंधन है जिसे पानी के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा उत्पादित किया जा सकता है और फिर स्टील मिलों को विद्युत जनरेटर के लिए स्टोर किया जाता है।

Longi Green

Longi Green की स्थापना 2000 में हुई थी। Longi Green का मुख्यालय शीआन, चीन में स्थित है। Longi Green ग्रीन के भारत, मलेशिया और चीन में प्लांट हैं। 2019 में, Longi Green भारत में 300 MW मोनोक्रिस्टलाइन PV उत्पादों को लाया।

भारत में हाइड्रोजन बाजार (Hydrogen Market in India)

भारत में हाइड्रोजन बाजार का मूल्य 50 मिलियन अमरीकी डॉलर है। इसके 2025 तक 81 मिलियन अमरीकी डालर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत में, हाइड्रोजन रिफाइनिंग उद्योग में हाइड्रोजन का प्रमुख उपयोग होता है। यहां, कच्चे तेल को परिष्कृत करने के लिए हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता है।

यद्यपि भारत स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ रहा है, उच्च परिवहन और उच्च भंडारण लागत देश में हाइड्रोजन बाजार के विकास में बाधा है। हालांकि, उभरते तरल कार्बनिक हाइड्रोजन वाहक प्रौद्योगिकियां (LOHC) हाइड्रोजन के भंडारण और परिवहन को आसान बनाएगी।

तरल कार्बनिक हाइड्रोजन वाहक (Liquid Organic Hydrogen Carriers – LOHC)

वे कार्बनिक यौगिक हैं जो रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हाइड्रोजन को अवशोषित करते और छोड़ते हैं। इस प्रकार, LOHCs हाइड्रोजन भंडारण और परिवहन के लिए आदर्श हैं।

2020 में, जापान ने LOHC का उपयोग करके दुनिया में पहली अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोजन आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण किया था।

SOURCE-G.K.TODAY

 

विश्व स्वास्थ्य दिवस

हर साल, 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। विश्व को सुरक्षित और स्वस्थ रखने में उनकी भूमिका के लिए मिडवाइव्स और नर्सों के काम को सम्मानित करने के लिए यह दिन मनाया जाता है।

मुख्य बिंदु

विश्व स्वास्थ्य दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कई अन्य संगठनों के साथ मनाया जाता है।

इतिहास

डब्ल्यूएचओ (WHO) ने 1948 में पहली विश्व स्वास्थ्य सभा आयोजित की थी। डब्ल्यूएचओ की स्थापना को चिह्नित करने के लिए प्रति वर्ष यह दिवस मनाया जाता है। डब्ल्यूएचओ आधिकारिक तौर पर केवल आठ अभियानों को चिह्नित करता है। विश्व स्वास्थ्य दिवस उनमें से एक है। अन्य अभियानों में विश्व मलेरिया दिवस, विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व टीकाकरण सप्ताह, विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व एड्स दिवस, विश्व हेपेटाइटिस दिवस और विश्व रक्तदाता दिवस शामिल है।

एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हाल ही में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना मंच (Integrated Health Information Platform) का शुभारंभ किया। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ऐसा उन्नत निगरानी प्रणाली अपनाने वाला पहला देश है।

मुख्य बिंदु

एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme) के तहत संचालित किया जायेगा।

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होता है।

इस प्लेटफार्म का उद्देश्य देश में रोग निगरानी को मजबूत करना है।महामारी प्रवण रोगों के लिए विकेंद्रीकृत राज्य-आधारित निगरानी प्रणाली की स्थापना करके इसे प्राप्त किया जाना है।

इस प्लेटफार्म की प्रमुख विशेषताएं मोबाइल एप्लिकेशन के उपयोग के माध्यम से रियल टाइम डेटा रिपोर्टिंग, स्वास्थ्य सुविधाओं की जियो-टैगिंग आदि हैं।

इस प्लेटफार्म का उद्देश्य बेहतर देखभाल प्रदान करना और गोपनीय स्वास्थ्य डेटा को बनाए रखना है।

यह प्लेटफार्म देश के विभिन्न जिलों में बीमारी के प्रसार की जानकारी रखेगा।यह जानकारी आशा कार्यकर्ताओं और ANM के माध्यम से एकत्र की जाएगी।

जानकारी कैसे एकत्र की जाती है?

इस प्लेटफार्म के लिए जानकारी निम्नलिखित तरीके से एकत्र की जाएगी :

प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता को एक प्रकार का फॉर्म S, P और L प्रदान किया जायेगा।

इस सर्वेक्षण में शामिल जमीनी कार्यकर्ताओं को S-फॉर्म प्रदान किया जाएगा।वे बीमारी की व्यापकता के बारे में जानकारी एकत्र करने में मदद करेंगे।

डॉक्टरों को P-फॉर्म दिया जायेगा। इस फॉर्म के माध्यम से, डॉक्टर अपने निदान के साथ रोगी का नाम, पता, संपर्क नंबर एकत्र करेंगे।

प्रयोगशाला कर्मियों को L-फॉर्म प्रदान किया जायेगा। इस फॉर्म के माध्यम से, वे पैथोलॉजिकल जांच का विवरण एकत्र करेंगे।

एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (Integrated Disease Surveillance Programme)

IDSP को 2004 में लॉन्च किया गया था। इस कार्यक्रम को विश्व बैंक द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बीमारी के प्रकोपों का शीघ्रता से पता लगाना और प्रतिक्रिया देना है।

SOURCE-G.K.TODAY

 

NFT मार्केटप्लेस

प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों में से एक, WazirX ने हाल ही में NFT के लिए भारत का पहला मार्केटप्लेस लॉन्च किया है। NFT का अर्थ Non-Fungible Tokens है। यह लांच अब भारतीय रचनाकारों को नीलामी के लिए अपनी डिजिटल संपत्ति (जैसे कि चित्र या वीडियो, संगीत आदि) रखने और रॉयल्टी अर्जित करने की अनुमति देगा।

Non-Fungible Token क्या है?

यह एक डिजिटल लेज़र पर डेटा की एक इकाई है जिसे ब्लॉक चेन कहा जाता है। प्रत्येक NFT डेटा एक अद्वितीय डिजिटल आइटम का प्रतिनिधित्व करता है। यह ऑडियो, कला, वीडियो, वीडियो गेम या रचनात्मक कार्यों के अन्य रूप हो सकते हैं। इसमें केवल उन चीज़ों का उपयोग किया जा सकता है जिन्हें ऑनलाइन खरीदकर या डाउनलोड करके नीलामी के लिए यहां रखा जा सकता है। यदि कंप्यूटर का उपयोग करके एक कला कार्य बनाया गया है, तो इसे नीलामी के लिए यहां रखा जा सकता है।

इन ब्लॉकचनों में डिजिटल संपत्ति NFT बाजारों से खरीदी जा सकती है। ऐसा ही एक बाजार अब भारत में स्थापित किया गया है। इस प्रणाली में, मूल फ़ाइल की प्रतियों का उपयोग टोकन के मालिक तक सीमित नहीं है। चूंकि डिजिटल फाइलें असीम रूप से प्रतिलिपि प्रस्तुत करने योग्य होती हैं, इसलिए उनका प्रतिनिधित्व करने वाले एनएफटी खरीदारों को NFT के स्वामित्व के प्रमाण प्रदान करते हैं।

NFT क्रिप्टोकरेंसी से कैसे अलग है?

NFT एक क्रिप्टोग्राफिक टोकन है। हालांकि, क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, NFT पारस्परिक रूप से विनिमेय नहीं हैं।

NFT कैसे बनाया जाता है?

NFT तब बनाया जाता है जब NFT नीलामी बाज़ार में कला कार्य की एक फ़ाइल अपलोड की जाती है। तब से, फ़ाइल को क्रिप्टो मुद्रा के साथ खरीदा और बेचा जा सकता है।

दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन अध्यादेश, 2021

भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने हाल ही में दिवाला और दिवालियापन संहिता संशोधन अध्यादेश, 2021 को प्रख्यापित किया। यह अध्यादेश MSMEs के लिए प्री-पैकेज्ड इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया की अनुमति देगा। प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस को PIRP कहा जाता है।

अध्यादेश के बारे में

यह अध्यादेश MSME विकास अधिनियम, 2006 के तहत MSMEs के रूप में वर्गीकृत कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए एक प्री-पैकेज्ड इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया पेश करता है। अध्याय III-A को इस संशोधन के तहत इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 में पेश किया गया है।

अध्यादेश का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस अध्यादेश का उद्देश्य MSMEs के रूप में वर्गीकृत कॉर्पोरेट व्यक्तियों के लिए एक कुशल वैकल्पिक इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया प्रदान करना है।

अध्यादेश से कॉरपोरेट्स को क्या फायदा होगा?

यह अध्यादेश कॉर्पोरेट देनदार को रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल को “बेस रिज़ॉल्यूशन प्लान” प्रस्तुत करने की अनुमति देता है। हालांकि, देनदार के पास PIRP आरंभ करने के लिए लेनदारों से संपर्क करने से पहले योजना तैयार होनी चाहिए। यदि लेनदारों की समिति ने योजना को मंजूरी नहीं दी है, तो रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल विभिन्न योजनाओं को प्रस्तुत करने के लिए आवेदकों को आमंत्रित करेगा।

नया प्री-पैक ढांचा एमएसएमई पर लागू होता है जिसमें अधिकतम 1 करोड़ रुपये का डिफ़ॉल्ट मूल्य होता है।

एक PIRP CIRP के समानांतर नहीं चल सकता।CIRP का अर्थ Corporate Insolvency Resolution Process है।

PIRP में PIRP या CIRP के बंद होने से तीन साल की कूलिंग अवधि होनी चाहिए।

PIRP के दौरान कंपनी का नियंत्रण

PIRP ढांचे के तहत, कॉर्पोरेट देनदार के मामलों का प्रबंधन बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के साथ जारी रहेगा।

PIRP और सामान्य IBC प्रक्रिया में क्या अंतर है?

PIRP केवल MSMEs पर लागू होता है। दूसरी ओर, IBC सभी कॉर्पोरेट देनदारों पर लागू होता है।

PIRP की डिफ़ॉल्ट सीमा 1 करोड़ रुपये है। IBC की सीमा 1 करोड़ रुपये से अधिक है।

PIRP एक प्रस्ताव योजना प्रस्तुत करने के लिए 90 दिनों की समयावधि प्रदान करता है। दूसरी ओर, IBC 180 दिन प्रदान करता है।

SOURCE-G.K.TODAY

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