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Current Affair 7 July 2021

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Current Affairs – 7 July, 2021

श्री दिलीप कुमार

उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने प्रसिद्ध अभिनेता श्री दिलीप कुमार के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

उपराष्ट्रपति ने श्री दिलीप कुमार के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि उनके निधन ने सिनेमा के क्षेत्र में एक अपूरणीय शून्य पैदा कर दिया है। श्री नायडू ने असाधारण अभिनेता की बहुमुखी प्रतिभा को याद करते हुए कहा कि यद्यपि उन्हें ट्रेजेडी किंग के नाम से जाना जाता है, प्रसिद्ध अभिनेता सबसे बहुमुखी अभिनेताओं में से एक थे और सामाजिक नाटकों से लेकर रोमांटिक नायक तक की भूमिका समानरूप से उत्तम तरीके से निभाए।

सिनेमा जगत में उनके योगदान की चर्चा करते हुए श्री नायडू ने कहा कि हिंदी सिनेमा के कुछ महानतम अभिनेता अभिनय के विविध कौशलों को समझने में उनके अपार योगदान को स्वीकार करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने उनकी कुछ प्रतिष्ठित भूमिकाओं को याद करते हुए कहा कि अमर, नया दौर, गंगा जुमाना, मधुमती और राम और श्याम जैसी फिल्मों में उनकी कुछ भूमिकाएं याद में समाई हुई हैं। उन्होंने कहा कि स्वाभाविक अभिनेता को सार्वभौमिक रूप से अपने आप में एक संस्था के रूप में देखा जाता है और भारतीय सिनेमा में विधि अभिनय लाने का श्रेय दिया जाता है।

उपराष्ट्रपति ने श्री दिलीप कुमार के परिवार के सदस्यों और भारत और विदेशों में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

दिलीप कुमार (11 दिसंबर, 1922 – 7 जुलाई 2021) [2]; जन्म का नाम: यूसुफ़ ख़ान), हिन्दी फ़िल्मों के एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता थे जो भारतीय संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य रह चुके है। दिलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है, त्रासद या दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ‘ट्रेजिडी किंग’ भी कहा जाता था। उन्हें भारतीय फ़िल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से भी सम्मानित किया गया है। आज दिनाँक 7 जुलाई 2021 को दिलीप कुमार जी का दुःखद निधन सुबह 7:30 पर हो गया।

जीवन

दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ़ खान था। उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहाँ उन्होने हिन्दी फ़िल्मों में काम करना शुरू किया। उन्होने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हे हिन्दी फ़िल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिले।

दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं। 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी। वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य रहे।

1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ भी प्रदान किया गया।

करियर

उनकी पहली फ़िल्म ‘ज्वार भाटा’ थी, जो 1944 में आई।[2]1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फ़िल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया। दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई। यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई। उन्होने 1961 में गंगा जमुना फ़िल्म का निर्माण भी किया, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया।

1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फ़िल्मो में काम किया। इस समय की उनकी प्रमुख फ़िल्मे थी: विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991)। 1998 में बनी फ़िल्म किला उनकी आखरी फ़िल्म थी।उन्होने रमेश सिप्पी की फ़िल्म शक्ति में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया। इस फ़िल्म के लिए उन्हे फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार भी मिला।वे आज भी प्रमुख अभिनेताओ जैसे शाहरूख खा़न के प्रेरणास्रोत्र है।

SOURCE-PIB

 

गिलोय को लिवर की खराबी से जोड़ना
बिलकुल भ्रामक हैः आयुष मंत्रालय

आयुष मंत्रालय ने गौर किया है कि मीडिया में कुछ ऐसी खबरे आईं हैं, जिन्हें जर्नल ऑफ क्लीनिकल एंड एक्सपेरीमेंटल हेपेटॉलॉजी में छपे एक अध्ययन के आधार पर पेश किया गया है। यह इंडियन नेशनल एसोसियेशन फॉर दी स्टडी ऑफ दी लिवर (आईएनएएसएल)की समीक्षा पत्रिका है। इस अध्ययन में उल्लेख किया गया है कि टिनोसपोरा कॉर्डीफोलिया (टीसी) जिसे आम भाषा में गिलोय या गुडुची कहा जाता है, उसके इस्तेमाल से मुम्बई में छह मरीजों का लीवर फेल हो गया था।

दरअसल, ऐसे कई अध्ययन हैं, जो बताते हैं कि अगर जड़ी-बूटियों की सही पहचान नहीं की गई, तो उसके हानिकारक नतीजे निकल सकते हैं। टिनोसपोरा कॉर्डीफोलिया से मिलती-जुलती एक जड़ी टिनोसपोरा क्रिस्पा है, जिसका लिवर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। लिहाजा, गिलोय जैसी जड़ी पर जहरीला होने का ठप्पा लगाने से पहले लेखकों को मानक दिशा-निर्देशों के तहत उक्त पौधे की सही पहचान करनी चाहिये थी, जो उन्होंने नहीं की। इसके अलावा, अध्ययन में भी कई गलतियां हैं। यह बिलकुल स्पष्ट नहीं किया गया है कि मरीजों ने कितनी खुराक ली या उन लोगों ने यह जड़ी किसी और दवा के साथ ली थी क्या। अध्ययन में मरीजों के पुराने या मौजूदा मेडिकल रिकॉर्ड पर भी गौर नहीं किया गया है।

गिलोय

गिलोय (अंग्रेजी : टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) (अन्य नाम – गुच्छ) की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि। ‘बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अँगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है। इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं।

बेल के काण्ड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर वर्ण की होती है, जिसे हटा देने पर भीतर का हरित मांसल भाग दिखाई देने लगता है। काटने पर अन्तर्भाग चक्राकार दिखाई पड़ता है। पत्ते हृदय के आकार के, खाने के पान जैसे एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। ये लगभग 2 से 4 इंच तक व्यास के होते हैं। स्निग्ध होते हैं तथा इनमें 7 से 9 नाड़ियाँ होती हैं। पत्र-डण्ठल लगभग 1 से 3 इंच लम्बा होता है। फूल ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे पीले रंग के गुच्छों में आते हैं। फल भी गुच्छों में ही लगते हैं तथा छोटे मटर के आकार के होते हैं। पकने पर ये रक्त के समान लाल हो जाते हैं। बीज सफेद, चिकने, कुछ टेढ़े, मिर्च के दानों के समान होते हैं। उपयोगी अंग काण्ड है। पत्ते भी प्रयुक्त होते हैं।

ताजे काण्ड की छाल हरे रंग की तथा गूदेदार होती है। उसकी बाहरी त्वचा हल्के भूरे रंग की होती है तथा पतली, कागज के पत्तों के रूप में छूटती है। स्थान-स्थान पर गाँठ के समान उभार पाए जाते हैं। सूखने पर यही काण्ड पतला हो जाता है। सूखे काण्ड के छोटे-बड़े टुकड़े बाजार में पाए जाते हैं, जो बेलनाकार लगभग 1 इंच व्यास के होते हैं। इन पर से छाल काष्ठीय भाग से आसानी से पृथक् की जा सकती है। स्वाद में यह तीखी होती है, पर गन्ध कोई विशेष नहीं होती। पहचान के लिए एक साधारण-सा परीक्षण यह है कि इसके क्वाथ में जब आयोडीन का घोल डाला जाता है तो गहरा नीला रंग हो जाता है। यह इसमें स्टार्च की उपस्थिति का परिचायक है। सामान्यतः इसमें मिलावट कम ही होती है, पर सही पहचान अनिवार्य है। कन्द गुडूची व एक असामी प्रजाति इसकी अन्य जातियों की औषधियाँ हैं, जिनके गुण अलग-अलग होते हैं। औषधीय गुणों के आधार पर नीम के वृक्ष पर चढ़ी हुई गिलोय को सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि गिलोय की बेल जिस वृक्ष पर भी चढ़ती है वह उस वृक्ष के सारे गुण अपने अन्दर समाहित कर लेती है तो नीम के वृक्ष से उतारी गई गिलोय की बेल में नीम के गुण भी शामिल हो जाते हैं अतः नीमगिलोय सर्वोत्तम होती है।

SOURCE-PIB

 

उत्तरी हिमालय में दुनिया के पहले एकल मोटरसाइकिल अभियान

सुश्री कंचन उगुसंडी द्वारा उत्तरी हिमालय पर्वतमाला में 18 अत्यंत कठिन पर्वतीय मार्गों को कवर करते हुए शुरू किया गया दुनिया के पहले एकल मोटरसाइकिल अभियान का समापन बुधवार (07 जुलाई, 2021) को नई दिल्ली के सीमा सड़क भवन में हुआ। इस अभियान को रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 जून, 2021 को नई दिल्ली से रवाना किया था।

महीने भर चलने वाले इस अभियान में एक अकेली महिला सवार ने कई चीजें पहली बार की। मिस उगुसंडी उमलिंगला दर्रे को फतह करने, 18 पास को कवर करने और एक ही बार में नई दिल्ली-मनाली-लेह-उमलिंगला-दिल्ली से 3,187 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली पहली अकेली महिला बाइकर बन गई हैं।

मिस उगुसंडी ने 18 पर्वतीय मार्ग पार कर 25 दिनों में यह दूरी तय की और सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा बनाए गए 19,300 फीट पर दुनिया के सबसे ऊंचे वाहन चलाने योग्य उमलिंगला दर्रे को पार किया। अभियान के सफल समापन पर सीमा सड़क संगठन के महानिदेशक (डीजीबीआर) ने बेहद कठोर इलाके से अभियान शुरू करने में उनके दृढ़ निश्चय और दृढ़ता के लिए मिस उगुसंडी की सराहना की और सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क अवसंरचना के विकास के लिए बीआरओ के कर्मयोगियों के साहस और सर्वोच्च बलिदान का सम्मान भी किया।

एकल मोटरसाइकिल अभियान ने सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और कोविड सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने में भी अहम भूमिका निभाई। डीजीबीआर ने कहा कि यह अनूठा मोटर साइकिल अभियान भारतीय महिलाओं के मजबूत संकल्प को दर्शाता है, जो अपने बारे में प्रचलित मिथ्या धारणाओं को तोड़ रही हैं और उन चुनौतियों का सामना कर रही हैं जिनका सामना अब तक नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि यह महिला सशक्तिकरण का भी द्योतक होगा।

SOURCE-PIB

 

न्यूजऑनएयर रेडियो लाइव-स्ट्रीम ग्लोबल रैंकिंग

निया के शीर्ष देशों (भारत को छोड़कर), जहां ‘न्यूजऑनएयर एप’ पर ऑल इंडिया रेडियो लाइव-स्ट्रीम सबसे लोकप्रिय हैं, की नवीनतम रैंकिंग में फिजी 5वें स्थान से ऊपर चढ़कर दूसरे पायदान पर पहुंच गया है, जबकि सऊदी अरब ने शीर्ष 10 में अपनी वापसी कर ली है। कुवैत और जर्मनी ने शीर्ष 10 में अपनी जगह बना ली है, जबकि फ्रांस और न्यूजीलैंड अब शीर्ष 10 में नहीं हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका अब भी नंबर 1 बना हुआ है।

एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के तहत ऑल इंडिया रेडियो की तेलुगू और तमिल लाइव-स्ट्रीम सेवाएं संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय हैं, जबकि एआईआर पंजाबी सेवा ब्रिटेन में लोकप्रिय है।

विश्व स्तर पर (भारत को छोड़कर) शीर्ष एआईआर स्ट्रीम की रैंकिंग में आए बड़े बदलावों के तहत एआईआर न्यूज 24×7 सातवें पायदान से एक स्थांन ऊपर चढ़कर छठे पायदान पर पहुंच गई है, जबकि एआईआर तमिल छठे पायदान से काफी नीचे खिसक कर 10वें पायदान पर आ गई है।

आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) की 240 से भी अधिक रेडियो सेवाओं का ‘न्यूजऑनएयर एप’ पर सीधा प्रसारण (लाइव-स्ट्रीम) किया जाता है, जो प्रसार भारती का आधिकारिक एप है। ‘न्यूजऑनएयर एप’ पर उपलब्धी आकाशवाणी की इन स्ट्रीम के श्रोतागण बड़ी संख्या में हैं जो न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में 85 से भी अधिक देशों में और विश्वम भर के 8000 शहरों में भी हैं।

यहां भारत के अलावा उन शीर्ष देशों की भी एक झलक पेश की गई है, जहां ‘न्यूजऑनएयर एप’ पर एआईआर लाइव-स्ट्री म सबसे लोकप्रिय हैं; दुनिया के बाकी हिस्सों में ‘न्यूजऑनएयर एप’ पर उपलब्ध आकाशवाणी की शीर्ष स्ट्रीम की भी एक झलक पेश की गई है।

SOURCE-PIB

 

किसानमित्र एवं केवीके

इस सेंसर के इस्तेमाल से डीजल और पानी, दोनों, की बचत हुई है (जिसे उन्होंने 15-20 घंटे तक पंप चलाने के रूप में निरूपित किया)। यह सेंसर मिट्टी की निचली परतों में नमी का पता लगाने में सक्षम है। उन्होंने इस सेंसर के इस्तेमाल के कारण फसल की उपज और मिट्टी की सेहत में सुधार देखा। यह सेंसर एक एग्रीटेक स्टार्टअप का बनाया हुआ उत्पाद है।

कृषि प्रौद्योगिकी से जुड़े स्टार्ट-अप के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक किसानों, एफपीओ और कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), जोकि उनके अंतिम उपयोगकर्ता हैं, तक पहुंचना है। इस चुनौती के समाधान के लिए किसानमित्र की परिकल्पना की गई और यह उपाय आपूर्ति को मांग पक्ष के साथ जोड़ने में सफल रहा है। इस किस्म के स्टार्ट-अप कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के जरिए किसानों का सहयोग कर सकते हैं और किसान अपनी कुछ चुनौतियों का समाधान ढूंढ सकते हैं।

किसानों के लिए इन स्थानीय भाषा में सत्रों के आयोजन की सुविधा प्रदान करने वाले स्वैच्छिक संगठनों में वीआईटी स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल इनोवेशन एंड एडवांस लर्निंग, वीएआईएएल (तमिल), और ग्रामीणा इनक्यूबेशन सेंटर (तेलुगु) शामिल हैं। गुजराती, मराठी और राजस्थानी भाषा में इस किस्म के सत्र के आयोजन के लिए टीमें अन्य लोगों के साथ बातचीत कर रही हैं। तमिल और तेलुगु भाषा में आगामी सत्र क्रमशः 10 जुलाई और 17 जुलाई को आयोजित किए जाने की योजना है। आने वाले महीनों में, इन सत्रों को अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रसारित करने की योजना है क्योंकि और अधिक संख्या में कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से जुड़े भागीदार इस पहल में शामिल होंगे।

किसानमित्र के बारे में:

किसान मित्र या ‘किसानों के मित्र’, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की एक पहल है। इस परियोजना का उद्देश्य सरकार के विभिन्न विभागों से प्राप्त विभिन्न डेटा स्रोतों की जानकारी के आधार पर भारतीय किसानों को अंतर्दृष्टि और सिफारिशें प्रदान कर उन्हें और अधिक आत्मनिर्भर बनाना है।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के बारे में:

नवंबर 1999 में, कैबिनेट सचिवालय ने भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय की स्थापना की। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय का उद्देश्य विभिन्न सरकारी विभागों, संस्थानों और उद्योग के साथ साझेदारी में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे, आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग पर ध्यान देने के साथ-साथ विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार से संबंधित मामलों के बारे में प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को व्यावहारिक और उद्देश्यपूर्ण सलाह प्रदान करना है।

कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) के बारे में:

कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) “प्रौद्योगिकीय मूल्यांकन और इसके अनुप्रयोग और क्षमता विकास के लिए प्रदर्शन” के मैंडेट की दिशा में काम करते हैं। ये केंद्र राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) का एक हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन, शोधन और प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि और संबद्ध उद्यमों में स्थान-विशिष्ट प्रौद्योगिकी मॉड्यूल का मूल्यांकन करना है। कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), कृषि प्रौद्योगिकी के ज्ञान और संसाधन के ऐसे केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं जो जिले की कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्रों द्वारा की जाने वाली पहलों को सहयोग दे रहे हैं और एनएआरएस को विस्तार प्रणाली और किसानों के साथ जोड़ रहे हैं।

एनएसआरसीईएल के बारे में:

आईआईएमबी का एनएसआरसीईएल विशेष रूप से लाभ उपक्रमों और सामाजिक उपक्रमों के साथ-साथ छात्र और महिला उद्यमियों के लिए भी अपने कार्यक्रमों के साथ स्टार्टअप से जुड़े इकोसिस्टम के विभिन्न पक्षों को अपना सहयोग प्रदान करता है। एनएसआरसीईएल स्टार्टअप, उद्योग सलाहकारों, अपने मूल संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बैंगलोर के प्रख्यात शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को एक मंच पर लाता है जो कृषि से जुड़े सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक पक्षों के बारे में निरंतर विचार – विमर्श के साथ आगे बढ़ते हैं।

SOURCE-PIB

 

पश्चिम बंगाल ने विधान परिषद (Legislative Council) बनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया

ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 169 के तहत राज्य में विधान परिषद (legislative council) के निर्माण के लिए 6 जुलाई, 2021 को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित किया।

मुख्य बिंदु

  • सरकार 196 मतों के साथ प्रस्ताव पारित करने में सफल रही।
  • बंगाल में विधान सभा में 294 सदस्य है। हालांकि, मतदान के दौरान केवल 265 ही मौजूद रहे।

पृष्ठभूमि

विधान परिषद का निर्माण ममता बनर्जी का एक प्रमुख चुनावी वादा था। विधानसभा चुनावों के लिए ममता बनर्जी ने कहा था, जिन टीएमसी नेताओं को टिकट नहीं मिला, उन्हें विधान परिषद में भेजा जाएगा।

कानून क्या कहता है?

कानून के अनुसार, पश्चिम बंगाल में विधान परिषद में अधिकतम 94 सदस्य हो सकते हैं, जो कुल विधानसभा सीटों का एक तिहाई है।

क्या राज्यों में विधान परिषद हो सकती है?

हाँ। वर्तमान में छह राज्य; उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में विधान परिषद है। पश्चिम बंगाल में भी विधान परिषद थी। यह 1937 में उच्च सदन वाला पहला राज्य था। लेकिन 1969 में, विधान परिषद को समाप्त कर दिया गया था क्योंकि तत्कालीन सरकार ने इसे “अभिजात्यवाद का प्रतीक” (symbol of elitism) माना था।

विधान परिषद पर हाल की मांग

तमिलनाडु में तीन दशकों से विधान परिषद का गठन विवाद का विषय रहा है। असम विधानसभा और राजस्थान विधानसभा ने भी 2010 और 2012 में विधान परिषदों के गठन का प्रस्ताव पारित किया था। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश ने विधान परिषद को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पारित किया है। इस विधेयक को संसद में पेश किया जाना बाकी है। जम्मू और कश्मीर में भी एक विधान परिषद थी। हालांकि, 2019 में राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में डाउनग्रेड किए जाने के बाद इसे भंग कर दिया गया था।

विधान परिषद

विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतन्त्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमण्डल का अंग है। आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के रूप में, (भारत के राज्य तथा केन्द्र-शासित प्रदेश) (इकतीस में से) छः राज्यों में विधान परिषद है। इसके अतिरिक्त, राजस्थान, असम, ओडिशा को भारत की संसद ने अपने स्वयं के विधान परिषद बनाने की स्वीकृति दे दी है।

केंद्र शासित प्रदेशों में विधान परिषद समाप्त की गई।

गठन

संविधान के अनुच्छेद 169, 171(1) एवं 171(2) में विधान परिषद के गठन का प्रावधान है। इसकी प्रक्रिया निम्न प्रकार है :

विधानसभा में उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव को संघीय संसद के पास भेजा जाता है।

तत्पश्चात अनुच्छेद 171(2) के अनुसार लोकसभा एवं राज्यसभा साधारण बहुमत से प्रस्ताव पारित करती है।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हेतु इस प्रस्ताव को उनके पास प्रेषित (भेजना) कर दिया जाता है।

राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही विधान परिषद के गठन की अनुमति मिल जाती है।[1]

सदस्य कार्यकाल

इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं। एक राज्य के विधान सभा (निम्न सदन) के साथ इसके विपरीत, विधान परिषद (उच्च सदन) में एक स्थायी निकाय है और भंग नहीं किया जा सकता है,[2] विधान परिषद का प्रत्येक सदस्य (एमएलसी) 6 वर्ष की अवधि के लिए कार्य करता है। एक परिषद के सदस्यों में से एक तिहाई की सदस्यता हर दो साल में समाप्त हो जाती है। यह व्यवस्था राज्य सभा, के सामान है।

संरचना

राज्य की विधान परिषद का आकार राज्य की विधान सभा में स्थित सदस्यों की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक नहीं और किसी भी कारणों से 40 सदस्य से कम नहीं हो सकता।

निर्वाचन

परिषद के लगभग एक तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों द्वारा ऐसे व्यक्तियों में से चुने जाते हैं जो इसके सदस्य नहीं हैं।

एक तिहाई (1/3) निर्वाचिका द्वारा, जिसमें नगरपालिकाओं के सदस्य, जिला बोर्डों और राज्य में अन्य प्राधिकरणों के सदस्यों सम्मलित हैं, द्वारा चुने जाते हैं।

एक बटा बारह (1/12) का चुनाव निर्वाचिका द्वारा ऐसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है जिन्होंने कम से कम तीन वर्षों तक राज्य के भीतर शैक्षिक संस्थाओं (माध्यमिक विद्यालयों से नीचे नहीं) में अध्यपन में लगे रहे हों।

अन्य एक बटा बारह (1/12) का चुनाव पंजीकृत स्नातकों द्वारा किया जाता है जो तीन वर्ष से अधिक समय पहले पढ़ाई समाप्त कर लिए हैं।

शेष सदस्य राज्यपाल द्वारा साहित्य, विज्ञान, कला, सहयोग आन्दोलन और सामाजिक सेवा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों में से नियुक्त किए जाते हैं।

योग्यताएँ

एमएलसी बनने हेतु योग्यताएँ:

भारत का नागरिक होना चाहिए।

न्यूनतम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

मानसिक रूप से असमर्थ, व दिवालिया नहीं होना चाहिए।

इसके अतिरिक्त उस क्षेत्र (जहाँ से वह चुनाव लड़ रहा हो) की मतदाता सूची में उसका नाम भी होना आवश्यक है।

समान समय में वह संसद का सदस्य नहीं होना चाहिए।

प्रस्तावित विधान परिषद

2010 में तमिलनाडु की विधानसभा ने 1986 में बन्द की जा चुकी विधान परिषद को पुनः आरम्भ करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। विधेयक में 78 सीटों का प्रावधान किया गया।

28 नवम्बर 2013 को असम में विधान परिषद से जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी गयी। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल ने असम में विधान परिषद की स्थापना को अनुमति दी। असम में स्वतंत्रता के बाद ऊपरी सदन को समाप्त कर दिया गया था। प्रस्ताव के अनुसार असम में 42 सदस्यीय विधान परिषद होगी। ओडिशा राज्य कर्नाटक और महाराष्ट्र में एक अध्ययन के आयोजन के बाद एक विधान परिषद की स्थापना करने की योजना बना रहा है। जम्मू-कश्मीर की विधान परिषद् समाप्त कर दी है।

SOURCE-DANIK JAGARAN

 

सहकारिता मंत्रालय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कैबिनेट फेरबदल से पहले 6 जुलाई, 2021 को एक नया “सहकारिता मंत्रालय” (Ministry of Cooperation) बनाने की घोषणा की।

मुख्य बिंदु

  • यह मंत्रालय भारत में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा।
  • यह मंत्रालय ‘सहकार से समृद्धि’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए बनाया गया है।
  • यह मंत्रालय सहकारिताओं (cooperatives) के लिए व्यापार करने में आसानी के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और बहु-राज्य सहकारी समितियों के विकास को सक्षम बनाने के लिए काम करेगा।
  • इस मंत्रालय के बनने से अब केंद्र सरकार के कुल 41 मंत्रालय हो जाएंगे।

पृष्ठभूमि

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 2019 में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने के बाद पहला फेरबदल बड़े पैमाने पर होने की संभावना है। इसमें कई नए चेहरों को मंत्री बनाया जाएगा। सहकारिता के लिए अलग प्रशासनिक ढांचा स्थापित करने का प्रस्ताव सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 में केंद्रीय बजट भाषण देते हुए रखा था। सहकार भारती (Sahakar Bharati) की ओर से भी राष्ट्रीय स्तर पर सहकारी क्षेत्र के लिए अलग मंत्रालय की मांग की गई थी।

मंत्रालयों के विलय की मांग

2014 से नौकरशाही पैनल की ओर से एक ही क्षेत्र से जुड़े मंत्रालयों के विलय की सिफारिशें की जा रही हैं। पहले कार्यकाल में, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने दो मंत्रालयों, शहरी विकास और आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन को मिला दिया था और 2017 में एक नया मंत्रालय “शहरी मामलों का मंत्रालय” बनाया गया था।

मोदी सरकार के तहत दूसरा मंत्रालय 2.0

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने के बाद 2019 के बाद से सहकारिता मंत्रालय बनाया जाने वाला दूसरा मंत्रालय है। 2019 में कार्यभार संभालने के बाद सरकार ने जल शक्ति मंत्रालय बनाया था। हालांकि, यह नए सहकारिता मंत्रालय से बिल्कुल अलग है। जल शक्ति मंत्रालय दो मौजूदा मंत्रालयों, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प, और पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को एकीकृत करके बनाया गया था। यह एकीकरण पीएम् मोदी के ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन’ (minimum government, maximum governance) के मंत्र के अनुरूप किया गया था।

SOURCE-GK TODAY

 

व्यक्तियों की तस्करी रिपोर्ट

व्यक्तियों की तस्करी रिपोर्ट 2021 (Trafficking in Persons Report 2021) हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी की गई। इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी ने मानव तस्करी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ा दी है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत तस्करी को खत्म करने के न्यूनतम मानकों को पूरा नहीं करता है।हालांकि, सरकार ने महत्वपूर्ण प्रयास किए, हालांकि ये विशेष रूप से बंधुआ मजदूरी के संबंध में अपर्याप्त थे।
  • चीनी सरकार जबरन श्रम में लगी हुई थी, जिसमें उइगरों, कज़ाकों, किर्गिज़ और अन्य मुसलमानों के बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया था।
  • देशों का वर्गीकरण देश की तस्करी की समस्या के परिमाण के आधार पर नहीं बल्कि मानव तस्करी के उन्मूलन के न्यूनतम मानकों को पूरा करने के प्रयासों के आधार पर किया गया था।

त्रिस्तरीय प्रणाली

देशों को त्रि-स्तरीय प्रणाली के आधार पर नामित किया गया था:

  1. टियर 1 देश वे देश जहां सरकारें तस्करी पीड़ित संरक्षण अधिनियम (Trafficking Victims Protection Act – TVPA) के न्यूनतम मानकों का पूरी तरह से पालन करती हैं। TVPA मानव तस्करी पर अमेरिका का कानून है। अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, बहरीन और दक्षिण कोरिया टियर 1 देश हैं।
  2. टियर 2 देश वे देश जिनकी सरकारें TVPA के न्यूनतम मानकों का पूरी तरह पालन नहीं करती हैं। हालांकि, वे उन मानकों का पालन करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। भारत इस श्रेणी में है।
  3. टियर 3 देश वे देश जहां सरकारें TVPA के न्यूनतम मानकों का पालन नहीं करती हैं और इसके लिए महत्वपूर्ण प्रयास नहीं कर रही हैं। अफगानिस्तान, चीन, बर्मा, उत्तर कोरिया, क्यूबा, इरिट्रिया, दक्षिण सूडान, ईरान, रूस, सीरिया और तुर्कमेनिस्तान इस श्रेणी में आते हैं।
  4. विशेष मामला यमन जैसे कुछ “विशेष मामले” हैं जहां नागरिक संघर्ष और मानवीय संकट से जानकारी हासिल करना मुश्किल हो जाता है।

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