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Current Affair 7 June 2021

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7 June Current Affairs

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस

7 जून को हर साल विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस (World Food Safety Day 2021) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे खाद्य सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरुक करना है। दरअसल, बहुत से लोग अनहेल्दी खाने की वजह से तमाम बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में उन्हें खाद्य पदार्थों के प्रति जागरुक करना बेहद जरूरी हैं। हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन मिलना जरूरी होता है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के दिन खाने से जुड़ी बीमारियों को रोकने और उसके बारे में पता लगाने पर जोर डाला जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दूषित खाद्य या बैक्टीरिया युक्त खाद्य से हर साल 10 में से एक व्यक्ति बीमार होता है। दुनियाभर में बीमारों का यह आंकड़ा लगभग 60 करोड़ पार है जिसमें से 30 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। मृत्यु के इस आंकड़े को कम करने के लिए ही खाद्य सामग्रियों की गुणवत्ता के प्रति विशेष ध्यान दिया जाता है।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस की थीम

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के लिए इस साल का विषय ‘सुरक्षित भोजन आज स्वस्थ कल के लिए’ है जो सुरक्षित भोजन खाने और पैदा करने पर फोकस करता है। भोजन का सुरक्षित होना लोगों, धरती और अर्थव्यवस्था को तत्काल और लंबे समय में फायदा पहुंचाता है।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस का इतिहास

इस दिन को मनाये जाने की घोषणा दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा खाद्य और कृषि संगठन के सहयोग से की गई थी। यह खाद्य जनित रोगों के संबंध में दुनिया पर पड़ने वाले बोझ को पहचानने के लिए था। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं खाद्य और कृषि संगठन इस क्षेत्र से संबंधित अन्य संगठनों के सहयोग से विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाने के लिए मिलकर काम करते हैं। विश्व स्वास्थ्य सभा ने दुनिया में खाद्य जनित बीमारियों के कम को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा की दिशा में कोशिशों को मजबूत करने का फैसला लिया है। कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष इस दिन का आयोजन ऑनलाइन ही किया गया था। इस साल भी इसे ऑनलाइन ही मनाया जाना है।

SOURCE-https://www.newsnationtv.com/

 

बिटकॉइन माइनिंग फैसिलिटी

ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी (Jack Dorsey) के अनुसार, उनकी एक अन्य कंपनी स्क्वायर (Square) अमेरिका में एक ओपन-सोर्स, सौर-संचालित बिटकॉइन माइनिंग फैसिलिटी बनाने के लिए ब्लॉक-स्ट्रीम माइनिंग के साथ साझेदारी करेगा।

उद्देश्य

सौर-संचालित बिटकॉइन माइनिंग फैसिलिटी का लांच बिटकॉइन पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर अक्षय ऊर्जा को अपनाने और दक्षता को बढ़ावा देगा। यह साझेदारी यह प्रदर्शित करने का प्रयास करती है कि कैसे अक्षय ऊर्जा के साथ बिटकॉइन माइनिंग स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को चलाने में मदद कर सकता है।

मुख्य बिंदु

यह साझेदारी ऐसे समय में हुई है जब टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क (Elon Musk) ने सतत बिटकॉइन माइनिंग (sustainable bitcoin mining) को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी क्रिप्टो माइनर्स के साथ एक परिषद की स्थापना की। डोर्सी और मस्क दोनों की क्रिप्टोकरेंसी के विकास में बहुत रुचि है। उनका मानना है कि बिटकॉइन जल्द ही इंटरनेट की दुनिया की सबसे बड़ी मुद्रा बन जाएगी।

माइनिंग फैसिलिटी के लिए फंडिंग

स्क्वायर द्वारा सौर ऊर्जा संचालित बिटकॉइन माइनिंग फैसिलिटी में $5 मिलियन का निवेश किया जाएगा।

आवश्यकता

बिटकॉइन माइनिंग की अक्सर दुनिया भर में इसकी उच्च ऊर्जा-खपत (high energy-consumption) के लिए आलोचना की जाती है। एक अनुमान के अनुसार, यह प्रति वर्ष 22.9 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन उत्पन्न करता है जो श्रीलंका और जॉर्डन द्वारा उत्पादित उत्सर्जन स्तरों के बराबर है। इसके लिए कोयले से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग किया जाता है जिसका जीवाश्म ईंधन में सबसे खराब उत्सर्जन होता है। सौर ऊर्जा संचालित माइनिंग फैसिलिटी का विकास उत्सर्जन को कम करने में मदद करेगी।

 

न्यूनतम वैश्विक कॉर्पोरेट कर

वैश्विक स्तर पर न्यूनतम कॉरपोरेट कर की दर को 15 प्रतिशत पर रखने के करार से भारत को फायदा होगा। दुनिया के अमीर देशों के बीच शनिवार को इस आशय का समझौता हुआ है। कर विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में घरेलू कर की प्रभावी दर इस सीमा से ऊंची है। इससे भारत निवेश आकर्षित करता रहेगा। जी-7 देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, इटली और जापान ने शनिवार को बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर कराधान को लेकर ऐतिहासिक समझौता किया है। इसके तहत न्यूनतम वैश्विक कर की दर कम से कम 15 प्रतिशत रहेगी।

नई प्रणाली क्यों प्रस्तावित की गई?

वैश्विक कराधान (global taxation) की पुरानी प्रणाली की वर्षों से आलोचना की जा रही थी क्योंकि इसने बड़ी कंपनियों को अपने अधिकार क्षेत्र को स्थानांतरित करके कर बिलों में अरबों डॉलर बचाने की अनुमति दी थी। प्रमुख डिजिटल कंपनियां कई देशों में पैसा कमा रही थीं और केवल अपने देश में ही करों का भुगतान कर रही थीं। इस प्रकार, यह प्रस्ताव बनाया गया था जो कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे फेसबुक, अमेज़न और गूगल जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर उन देशों में कर का भुगतान करने के लिए एक अतिरिक्त कर लगाएगा जहां उनके सामान या सेवाएं बेची जाती हैं।

न्यूनतम वैश्विक कर दर (Minimum Global Tax Rate)

इस नई कर प्रणाली के तहत, जिन देशों में बड़ी फर्में काम करती हैं, उन्हें कम से कम 20% मुनाफे का ‘कर का अधिकार’ मिलेगा।

भारत पर प्रभाव

भारत को वैश्विक न्यूनतम 15 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर दर सौदे से लाभ होने की संभावना है क्योंकि प्रभावी घरेलू कर दर इस सीमा से ऊपर है और यह निवेश को आकर्षित करना जारी रखेगा।

नांगिया एंडरसन इंडिया के चेयरमैन राकेश नांगिया ने कहा कि जी-7 का वैश्विक न्यूनतम कर की दर को 15 प्रतिशत पर रखने के फैसले से अमेरिका और पश्चिमी यूरोप के ज्यादातर देशों को फायदा होगा। हालांकि, कुछ निचले कर वाले यूरोपीय देश मसलन नीदरलैंड, आयरलैंड और लक्जमबर्ग और कुछ कैरिबियाई देश बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए कर की दर पर निर्भर करते हैं। परामर्शक कंपनी एकेएम ग्लोबल के कर भागीदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि भारत को इस फैसले से फायदा होगा क्योंकि यह प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए एक बड़ा बाजार है। ईवाई इंडिया के नेशनल टैक्स लीडर सुधीर कपाड़िया ने कहा कि वैश्विक कॉरपोरेट कर करार ऐतिहासिक है। विशेष रूप से इससे भारत जैसे बड़े और विकासशील देश को फायदा होगा। भारत के लिए हमेशा से देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए कॉरपोरेट कर की दर को कृत्रिम रूप से निचले स्तर पर रखना मुश्किल होता था। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के महासचिव मैथायस कॉरमैन ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि जी-7 के वित्त मंत्रियों के बीच सहमति विशेष रूप से वैश्विक कराधान के न्यूनतम स्तर पर करार एक ऐतिहासिक कदम है। इससे आगे अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली में सुधार में मदद मिलेगी।

SOURCE-INDIAN EXPRESS

 

बिम्सटेक

6 जून को 24वें बिम्सटेक दिवस पर बधाई देते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि बिम्सटेक एक आशाजनक क्षेत्रीय समूह के रूप में उभरा है और इसमें कनेक्टिविटी समेत कई क्षेत्रों में प्रगति की है

बिम्सटेक (BIMSTEC), जिसका पूरा रूप बंगाल की खाड़ी बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है, बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है। इसमें नवम्बर 2016 में बांग्लादेश, भारत, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैण्ड, भूटान और नेपाल सदस्य थे।[3][4] पाकिस्तान इसका सदस्य नहीं है।

इस संगठन का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना और साझा हितों के मुद्दों पर समन्वय स्थापित करने के लिए सदस्य देशों के बीच सकारात्मक वातावरण बनाना है। बैंकॉक घोषणा के तहत 1997 में इस क्षेत्रीय संगठन को स्थापित किया गया था। आरम्भ में इसमें केवल चार सदस्य देश थे और इसे ‘बीआईएसट-ईसी’ (अर्थात् बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैण्ड आर्थिक सहयोग संगठन) कहा गया था।

SOURCE-GK TODAY

 

State of India’s Environment Report 2021

भारत की पर्यावरण स्थिति रिपोर्ट 2021 (State of India’s Environment Report 2021) के अनुसार, 17 सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर 2020 की रैंकिंग की तुलना में भारत की रैंक दो स्थान गिरकर 117 हो गई है।

हाल ही में सेंटर फॉरसाइंस एंड  एन्वायरनमेंट (Centre for Science and Environment – CSE) द्वारा सेंटर फॉर एन्वायरनमेंट रिपोर्ट, 2021 (State of Environment Report, 2021) जारी की गई है।

CSE नई दिल्ली स्थित एक सार्वजनिक हित अनुसंधान और परामर्शकारी संगठन है, जो सतत् और न्यायसंगत विकास की वकालत करता है और इससे संबंधित विभिन्न पहलुओं पर शोध करता है

इस रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड और बिहार 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सबसे कम तैयार हैं।

झारखंड पांच सतत विकास लक्ष्यों में पीछे है जबकि बिहार सात कारकों पर पीछे है।

सर्वश्रेष्ठ समग्र स्कोर वाले राज्य और केंद्र शासित प्रदेश केरल, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की राह पर हैं।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

पेंडिमिक जनरेशन

भारत में 375 मिलियन बच्चों (नवजात शिशुओं से लेकर 14 साल के बच्चों तक) में ‘पेंडिमिक जनरेशन’ की शुरूआत देखी जा सकती है, जिसके दीर्घकालीन प्रभाव हो सकते हैं। कम वज़न, स्टंटिंग (कम ऊँचाई के साथ कम उम्र) तथा शिक्षा और कार्य उत्पादकता में कमी के चलते बाल मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।

स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि: 

कोविड-19 महामारी ने वैश्विक स्तर पर 500 मिलियन से अधिक बच्चों को  स्कूल से बाहर कर दिया गया जिनमें आधे से अधिक भारत के थे।

गरीबी में अत्यधिक वृद्धि:

कोविड-19 ने विश्व के गरीबों को और अधिक निर्धन बना दिया है। महामारी के चलते 115 मिलियन से अधिक अतिरिक्त लोग अत्यधिक गरीबी की चपेट में आ सकते हैं जिनमें से अधिकांश दक्षिण एशिया में रहते हैं।

प्रदूषण का बिगड़ता स्तर: 

वर्ष 2009 और 2018 के मध्य भारत में वायु, जल और भूमि प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, देश में 88 प्रमुख औद्योगिक क्लस्टर/समूहों (Industrial Clusters) में से 35 में समग्र पर्यावरणीय गिरावट, 33 में वायु गुणवत्ता का बिगड़ता स्तर, 45 में अधिक प्रदूषित जल  और 17 में भूमि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को चिह्नित किया गया है। महाराष्ट्र का तारापुर सबसे प्रदूषित क्लस्टर के रूप में उभरा है।

मुख्य बिंदु

2015 में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों द्वारा 2030 के एजेंडे के हिस्से के रूप में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाया गया था।

2020 में, भारत की रैंक 115 थी और SDG 2, SDG 5 और SDG 9 से संबंधित प्रमुख चुनौतियों के कारण दो स्थानों की गिरावट आई है।भारत का स्थान चार दक्षिण एशियाई देशों- नेपाल, श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश से नीचे था। भारत ने 100 में से 61.9 का समग्र एसडीजी स्कोर प्राप्त किया।

सतत विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals – SDG)

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने 17 SDG को अपनाया। कुछ SDG में शामिल हैं-

SDG 1- गरीबी की समाप्ति

SDG 2- भूखमरी की समाप्ति

SDG 3- अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण

SDG 4- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

SDG 5- लैंगिक समानता

SDG 6- स्वच्छ जल और स्वच्छता

SDG 9- उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा

SDG 10- कम असमानताएं

SDG 13- जलवायु क्रिया

सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा (2030 Agenda for Sustainable Development)

यह एजेंडा 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया था। यह लोगों के साथ-साथ वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखते हुए शांति और समृद्धि के लिए एक साझा खाका प्रदान करता है।

 

रायमोना

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के अनुसार, कोकराझार जिले में रायमोना (Raimona) आरक्षित वन को असम के छठे राष्ट्रीय उद्यान में अपग्रेड किया गया है। यह जंगल बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (Bodoland Territorial Region – BTR) के अंतर्गत आता है।

पृष्ठभूमि

असम में पांच राष्ट्रीय उद्यान हैं-

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान

मानस राष्ट्रीय उद्यान

नामेरी नेशनल पार्क

ओरंग राष्ट्रीय उद्यान और

डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान।

रायमोना राष्ट्रीय उद्यान (Raimona National Park)

असम का यह राष्ट्रीय उद्यान BTR के तहत कोकराझार जिले के गोसाईगांव उपमंडल में स्थित है। यह पार्क 422 वर्ग के क्षेत्र में सन्निहित वन का एक हिस्सा है। यह अधिसूचित रिपू रिजर्व फॉरेस्ट (Ripu Reserve Forest ) के उत्तरी भाग को कवर करता है जो मानस टाइगर रिजर्व का सबसे पश्चिमी बफर है। इस पार्क में सुनहरे लंगूर, बाघ, एशियाई हाथी, तेंदुए, जंगली भैंस, भारतीय गौर, हॉर्नबिल, चित्तीदार हिरण, पक्षियों की 170 प्रजातियां, तितलियों की 150 प्रजातियां और पौधों और ऑर्किड की 380 किस्में हैं।

मानस राष्ट्रीय उद्यान (Manas National Park)

यह राष्ट्रीय उद्यान एक यूनेस्को प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, हाथी रिजर्व, प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व और असम में एक बायोस्फीयर रिजर्व है। यह भूटान के रॉयल मानस नेशनल पार्क से सटा हुआ है। यह अपने दुर्लभ और लुप्तप्राय स्थानिक वन्यजीवों जैसे गोल्डन लंगूर, पिग्मी हॉग, कछुए और खरगोश के अलावा जंगली भैंस के लिए जाना जाता है।

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