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Current Affair 7 September 2021

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Current Affairs – 7 September, 2021

रोश हशनाह

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रोश हशनाह के मौके पर इजराइल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेत, इजराइल की मित्र जनता और दुनिया भर के यहूदी लोगों को हार्दिक शुभकामनायें दी।

रोश हशनाह (Rosh Hashanah) यहूदी नव वर्ष (Jewish New Year) है, जिसका अर्थ है वर्ष का प्रमुख या वर्ष का पहला। यह हिब्रू कैलैंडर (Hebrew Calendar) के सातवें महीने तिश्रेयी (Tishrei) के पहले दिन से शुरू होता है। यहूदी नव वर्ष का पर्व ग्रेगोरियन कैलेंडर के सितंबर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। इस साल रोश हशनाह 18 सितंबर से शुरू होकर 20 सितंबर को समाप्त होगा। माना जाता है कि रोश हशनाह शब्द का इस्तेमाल पहली बार छठी शताब्दी ई॰पू॰ में मिश्ना (Mishna) में किया गया था। यहूदी समुदाय के लोग इस पर्व को विभिन्न परंपराओं, रीति-रिवाजों, भोजन की तैयारी इत्यादि का पालन करके मनाया जाता है।

इस दिन विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं। इस अवसर पर लोग अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से मिलते हैं और बधाई देते हैं। यहूदी नव वर्ष के खास अवसर पर लोग एक-दूसरे को रोश हशनाह की बधाई देते हैं। इस अवसर पर पुरुष एक-दूसरे से लेशाना तोवाह तिकतेव विचित्तम (Leshana tovah tikatev v’tichatem) कहते हैं, जबकि महिलाएं लेशाना तोवाह तकिकतेवी विचित्तमी (Leshana tovah tikatevee v’tichatemee) कहती हैं। इस तरह से इस समुदाय के लोग एक-दूसरे को यहूदी नव वर्ष की बधाई देते हैं।

रोश हशनाह क्या है?

रोश हशनाह यहूदी नव वर्ष है जो हिब्रू कैलेंडर (Hebrew calendar) के सातवें महीने तिश्रेई (Tishrei) के पहले दिन पड़ता है। इसके अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करते हुए मनाया जाता है। रोश हशनाह के लिए इस समुदाय के लोग शाना तोवा कहकर भी दूसरों को नए साल की शुभकामनाएं दे सकते हैं, जिसका हिब्रू में अर्थ है अच्छा वर्ष। कभी-कभी लोग कहते हैं शनाह तोवह उमेतुका (shanah tovah u’metukah), जिसका शाब्दिक अर्थ है एक अच्छा और प्यारा नया साल। हिब्रू में रोश हशनाह का मतलब है कि वर्ष का प्रमुख (the head of the year)।

महत्व और परंपराएं

रोश हशनाह शोफर नाम के एक उपकरण को उड़ाने से शुरू होता है, जो राम के सींग से बना हुआ उपकरण है और इसे उड़ाना भगवान की आज्ञा माना जाता है। रोश हशनाह की शाम महिलाएं और लड़कियां मोमबत्तियां जलाती हैं और आशीर्वाद लेती हैं। दूसरी रात रात वो अपनी मोमबत्तियों को जलाने के लिए मौजूदा आग की लौ का इस्तेमाल करती हैं, जब मोमबत्तियां जलाई जाती हैं तो इस समुदाय के लोग शेखचियानु से आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

इस पर्व को सेलिब्रेट करने के लिए पारंपरिक दावत में मछली, अनार, शहद, अन्य फलों को शामिल किया जाता है। पहले दिन इसाक के जन्म (Isaac’s Birth) और हगर व इश्माएल (Hagar and Ishmael) के निर्वासन के बारे में पढ़ा जाता है। उसके बाद शमूएल पैगंबर (Samuel the Prophet) का एक वचन होता है। दूसरी सुबह अब्राहम के बेटे इसाक के प्रतीकात्मक बलिदान के बारे में पढ़ा जाता है।

योम किप्पुर क्या है?

योम किप्पुर (Yom Kippur) को प्रायश्चित के दिन के रूप में भी जाना जाता है, इसे यहूदी धर्म में वर्ष का सबसे पवित्र दिन माना जाता है। यहूदी पारंपरिक रूप से 25 घंटे उपवास करके प्रार्थना सेवाओं में भाग लेते हैं। इसका केंद्रीय विषय प्रायश्चित और पश्चाताप है। यौम किप्पुर 27 सितंबर की शाम से शुरू होगा और 28 सितंबर की शाम को समाप्त होगा।

यहूदी धर्म

यहूदी धर्म या यूदावाद (Judaism) विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से है, तथा दुनिया का प्रथम एकेश्वरवादी धर्म माना जाता है। यह सिर्फ एक धर्म ही नहीं बल्कि पूरी जीवन-पद्धति है जो कि इस्राइल और हिब्रू भाषियों का राजधर्म है। इस धर्म में ईश्वर और उसके नबी यानि पैग़म्बर की मान्यता प्रधान है। इनके धार्मिक ग्रन्थों में तनख़, तालमुद तथा मिद्रश प्रमुख हैं। यहूदी मानते हैं कि यह सृष्टि की रचना से ही विद्यमान है। यहूदियों के धार्मिक स्थल को मन्दिर व प्रार्थना स्थल को सिनेगॉग कहते हैं। ईसाई धर्मइस्लाम का आधार यही परम्परा और विचारधारा है। इसलिए इसे इब्राहिमी धर्म भी कहा जाता है।

बाबिल (बेबीलोन) के निर्वासन से लौटकर इज़रायली जाति मुख्य रूप से येरूसलेम तथा उसके आसपास के ‘यूदा’ (Judah) नामक प्रदेश में बस गया था, इस कारण इज़रायलियों के इस समय के धार्मिक एवं सामाजिक संगठन को यूदावाद (यूदाइज़्म/Judaism) कहते हैं।

उस समय येरूसलेम का मंदिर यहूदी धर्म का केन्द्र बना और यहूदियों को मसीह के आगमन की आशा बनी रहती थी। निर्वासन के पूर्व से ही तथा निर्वासन के समय में भी यशयाह, जेरैमिया, यहेजकेल और दानिएल नामक नबी इस यूदावाद की नींव डाल रहे थे। वे यहूदियों को याहवे के विशुद्ध एकेश्वरवादी धर्म का उपदेश दिया करते थे और सिखलाते थे कि निर्वासन के बाद जो यहूदी फिलिस्तीन लौटेंगे वे नए जोश से ईश्वर के नियमों पर चलेंगे और मसीह का राज्य तैयार करेंगे।

निर्वासन के बाद एज्रा, नैहेमिया, आगे, जाकारिया और मलाकिया इस धार्मिक नवजागरण के नेता बने। 537 ई॰पू॰ में बाबिल से जा पहला काफ़िला येरूसलेम लौटा, उसमें यूदावंश के 40,000 लोग थे, उन्होंने मन्दिर तथा प्राचीर का जीर्णोंद्धार किया। बाद में और काफिले लौटै। यूदा के वे इजरायली अपने को ईश्वर की प्रजा समझने लगे। बहुत से यहूदी, जो बाबिल में धनी बन गए थे, वहीं रह गए किन्तु बाबिल तथा अन्य देशों के प्रवासी यहूदियों का वास्तविक केन्द्र येरूसलेम ही बना और यदा के यहूदी अपनी जाति के नेता माने जाने लगे।

किसी भी प्रकार की मूर्तिपूजा का तीव्र विरोध तथा अन्य धर्मों के साथ समन्वय से घृणा यूदावाद की मुख्य विशेषता है। उस समय यहूदियों का कोई राजा नहीं था और प्रधान याजक धार्मिक समुदाय पर शासन करते थे। वास्तव में याह्वे (ईश्वर) यहूदियों का राजा था और बाइबिल में संगृहीत मूसा संहिता समस्त जाति के धार्मिक एवं नागरिक जीवन का संविधान बन गई। गैर यहूदी इस शर्त पर इस समुदाय के सदस्य बन सकते थे। कि वे याह्वे का पन्थ तथा मूसा की संहिता स्वीकार करें। ऐसा माना जाता था कि मसीह के आने पर समस्त मानव जाति उनके राज्य में संमिलित हो जायगी, किन्तु यूदावाद स्वयं संकीर्ण ही रहा।

यूदावाद अंतियोकुस चतुर्थ (175-164 ई॰पू॰) तक शान्तिपूर्वक बना रहा किन्तु इस राजा ने उसपर यूनानी संस्कृति लादने का प्रयत्न किया जिसके फलस्वरूप मक्काबियों के नेतृत्व में यहूदियों ने उनका विरोध किया था।

यहूदी त्यौहार

योम किपुर

शुक्कोह

हुनक्का

पूरीम

रौशन-शनाह

पासओवर

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

13वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नौ सितंबर 2021 को वर्चुअल माध्यम से 13वें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत और दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। याद रहे कि वर्ष 2021 में ब्रिक्स की अध्यक्षता भारत कर रहा है। इस बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति महामहिम श्री जाइर बोलसोनारो, रूस के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादीमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति महामहिम श्री शी चिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति महामहिम श्री साइरिल रामाफोसा उपस्थित रहेंगे। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोवाल, न्यू डेवलपमेंट बैंक के अध्यक्ष श्री मार्कोस ट्रॉयजो, ब्रिक्स बिजनेस काउंसिल के अस्थायी अध्यक्ष श्री ओंकार कंवर और ब्रिक्स विमेन्स बिजनेस एलायंस की अस्थायी अध्यक्ष डॉ. संगीता रेड्डी इस मौके पर शिखर सम्मेलन में उपस्थित राजाध्यक्षों के सामने अपने-अपने दायित्वों के तहत साल भर में किये काम काम का ब्योरा प्रस्तुत करेंगे।

शिखर सम्मेलन की विषयवस्तु ब्रिक्स@15: इंट्रा-ब्रिक्स कोऑपरेशन फॉर कंटीन्यूटी, कॉन्सॉलिडेशन एंड कंसेन्सस (ब्रिक्स@515: अंतर-ब्रिक्स निरंतरता, एकजुटता और सहमति के लिये सहयोग) है। अपनी अध्यक्षता में भारत ने चार प्राथमिक क्षेत्रों का खाका तैयार किया है। इन चार क्षेत्रों में बहस्तरीय प्रणाली, आंतक विरोध, सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये डिजिटल और प्रौद्योगिकीय उपायों को अपनाना तथा लोगों के बीच मेल-मिलाप बढ़ाना शामिल है। इन क्षेत्रों के अलावा, उपस्थित राजाध्यक्ष कोविड-19 महामारी के दुष्प्रभाव तथा मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी दूसरी बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इसके पहले वर्ष 2016 में उन्होंने गोवा शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की थी। इस वर्ष भारत उस समय ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है, जब ब्रिक्स का 15वां स्थापना वर्ष मनाया जा रहा है। शिखर सम्मेलन की विषयवस्तु में भी यह परिलक्षित होता है।

ब्रिक्स

ब्रिक्स (BRICS) उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ का शीर्षक है। इसके घटक राष्ट्र ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इन्हीं देशों के अंग्रेज़ी में नाम के प्रथमाक्षरों B, R, I, C व S से मिलकर इस समूह का यह नामकरण हुआ है। इसकी स्थापना २००९ में हुई,और इसके ५ सदस्य देश है। मूलतः, 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे “ब्रिक” के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडकर, ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। वर्ष २०१९ तक, पाँचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया की लगभग ४२% आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में ४ खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद १५ खरब अमेरिकी डॉलर का है। ब्रिक्स देशों का वैश्विक जीडीपी में 23% का योगदान करता है तथा विश्व व्यापार के लगभग 18% हिस्से में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसे R-5 के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इन पांचों देशों की मुद्रा का नाम ‘R’ से शुरू होता है। वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करता है। ब्रिक्स का १०वाँ शिखर सम्मेलन दक्षिण अफ्रीका में हुआ।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.2

 

पर्यावरण पर पहली भारत-जापान उच्च स्तरीय नीति वार्ता

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव और जापान के पर्यावरण मंत्री श्री कोइज़ुमी शिनजिरो के बीच पहली भारत-जापान उच्च स्तरीय नीति वार्ता 7 सितंबर 2021 को वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गई। इस बैठक में वायु प्रदूषण, सतत प्रौद्योगिकियां और परिवहन, जलवायु परिवर्तन, समुद्री कचरे, फ्लोरोकार्बन्स और सीओपी-26, आदि मुद्दों पर चर्चा की गई।

बैठक में, श्री भूपेंद्र यादव ने पर्यावरण पर भारत-जापान द्विपक्षीय सहयोग के महत्व को स्वीकार किया और भारत में नई प्रौद्योगिकियों को लाने में जापान द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। श्री यादव ने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला।

श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत और जापान विशेष रूप से चक्रीय अर्थव्यवस्था और संसाधन दक्षता, कम कार्बन उत्सर्जन की प्रौद्योगिकी, हरित हाइड्रोजन, आदि पर द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के बारे में पता लगा सकते हैं।

कम कार्बन उत्सर्जन प्रौद्योगिकी पर जापान की विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी को देखते हुए, पर्यावरण मंत्री ने जापान से उद्योग परिवर्तन के लिए नेतृत्व समूह में शामिल होने पर विचार करने का भी अनुरोध किया, जो भारत और स्वीडन के नेतृत्व में एक वैश्विक पहल है।

जापान के पर्यावरण मंत्री श्री कोइज़ुमी शिनजिरो ने उल्लेख किया कि दोनों देश संयुक्त क्रेडिट तंत्र (जेसीएम), कॉलीज़न फॉर डिज़ास्टर रिज़िलेंस इंफ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआई) के लिए गठबंधन के माध्यम से द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत कर सकते हैं और जी-20 द्वारा समर्थित क्षेत्रों में विशेष रूप से जलवायु, पर्यावरण और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग का पता लगा सकते हैं।

दोनों पक्ष पर्यावरण पर द्विपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़ करने और जेसीएम पर चर्चा को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।

जापान

जापान, एशिया महाद्वीप के पूर्व में स्थित देश है। जापान चार बड़े और अनेक छोटे द्वीपों का एक समूह है। ये द्वीप एशिया के पूर्व समुद्रतट, यानि उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में स्थित हैं। यह पश्चिम में जापान सागर (Sea of Japan) से घिरा है, और उत्तर में ओखोटस्क सागर (Sea of Okhotsk) से लेकर पूर्वी चीन सागर (East China Sea) तक और दक्षिण में ताइवान तक फैला हुआ है। इसके निकटतम पड़ोसी चीन, कोरिया तथा रूस हैं। जापान में वहाँ के मूल निवासियों की जनसंख्या ९८.५% है। बाकी ०.५% कोरियाई, ०.४ % चाइनीज़ तथा ०.६% अन्य लोग है। जापानी अपने देश को निप्पॉन (Japanese: 日本, Nippon [ɲippoꜜɴ] or Nihon [ɲihoꜜɴ]) कहते हैं, जिसका मतलब सूर्योदय है। रिंग ऑफ फायर का हिस्सा, जापान ६८५२ द्वीपों के एक द्वीपसमूह में फैला है, जो ३७७,९७५ वर्ग किलोमीटर (१४५,९३७ वर्ग मील) को कवर करता है; पांच मुख्य द्वीप होक्काइडो, होंशू, शिकोकू, क्यूशू और ओकिनावा हैं। जापान की राजधानी टोक्यो है और उसके अन्य बड़े महानगर योकोहामा, ओसाका, नागोया, साप्पोरो, फुकुओका, कोबे और क्योटो (जापान की पूर्ववर्ती राजधानी) हैं।

जापान दुनिया का ग्यारहवां सबसे अधिक आबादी वाला देश है, साथ ही सबसे घनी आबादी वाले और शहरीकृत देशों में से एक है। देश का लगभग तीन-चौथाई भूभाग पहाड़ी है, इसकी १२५.३६ मिलियन की आबादी संकीर्ण तटीय मैदानों पर केंद्रित है। जापान को ४७ प्रशासनिक प्रान्तों और आठ पारंपरिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। ग्रेटर टोक्यो क्षेत्र ३७.४ मिलियन से अधिक निवासियों के साथ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला महानगरीय क्षेत्र है। बौद्ध धर्म देश का प्रमुख धर्म है और जापान की जनसंख्या में ९६% बौद्ध अनुयायी है। यहाँ की राजभाषा जापानी है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.3

 

हीटवेव हॉटस्पॉट

भारत के उत्तर-पश्चिमी, मध्य और उससे आगे दक्षिण-मध्य क्षेत्र पिछली आधी सदी में तीव्र हीटवेव घटनाओं के नए हॉटस्पॉट बन गए हैं। एक अध्ययन में कहा गया है कि हाल के वर्षों में गम्भीर भारतीय हीटवेव में वृद्धि हुई है। अध्ययन में निवासियों के लिए विभिन्न खतरों पर ध्यान देने के साथ तीन हीटवेव हॉटस्पॉट क्षेत्रों में प्रभावी हीट एक्शन प्लान विकसित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है।

हीटवेव एक घातक स्वास्थ्य खतरे के रूप में उभरा, जिसने हाल के दशकों में दुनिया भर में हजारों लोगों की जान ले ली, साथ ही भारत में भी पिछली आधी सदी में आवृत्ति, तीव्रता और अवधि में तीव्रता आई है। इससे स्वास्थ्य, कृषि, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। ऐसे परिदृश्य में, तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप और गर्मी को कम करने के कठोर उपाय और अनुकूलन रणनीतियों को प्राथमिकता देने के लिए देश के सबसे अधिक गर्मी की चपेट में आने वाले क्षेत्रों की पहचान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. आर. के. माल के नेतृत्व में सौम्या सिंह और निधि सिंह सहित काशी हिंदू विश्वविद्यालय में जलवायु परिवर्तन के अनुसंधान के लिए महामना उत्कृष्टता केंद्र (एमसीईसीसीआर) ने पिछले सात दशकों में भारत के विभिन्न मौसम संबंधी उपखंडों में हीटवेव (एचडब्ल्यू) और गंभीर हीटवेव (एसएचडब्ल्यू) में स्थानिक और लौकिक प्रवृत्तियों में परिवर्तन का अध्ययन किया। इस कार्य के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के अंतर्गत सहयोग दिया गया है। जर्नल “इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लाइमेटोलॉजी” में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार हीटवेव और गम्भीर हीटवेव से भारत में मृत्यु दर से जोड़ कर प्रस्तुत करता है।

अध्ययन ने पश्चिम बंगाल और बिहार के गांगेय क्षेत्र से पूर्वी क्षेत्र से उत्तर-पश्चिमी, मध्य और आगे भारत के दक्षिण-मध्य क्षेत्र में हीटवेव की घटनाओं के स्थानिक-सामयिक प्रवृत्ति में बदलाव दिखाया है। अनुसंधान ने पिछले कुछ दशकों में एक खतरनाक दक्षिण की ओर विस्तार और एसएचडब्ल्यू घटनाओं में एक स्थानिक वृद्धि देखी है जो पहले से ही कम दैनिक तापमान रेंज (डीटीआर), या अंतर के बीच की विशेषता वाले क्षेत्र में अधिकतम और न्यूनतम तापमान एक दिन के भीतर और उच्च आर्द्रता वाली गर्मी के तनाव के अतिरिक्त अधिक आबादी को जोखिम में डाल सकती है। महत्वपूर्ण रूप से, एचडब्ल्यू/एसएचडब्ल्यू की घटनाओं को ओडिशा और आंध्र प्रदेश में मृत्यु दर के साथ सकारात्मक रूप से सहसंबद्ध पाया गया है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि मानव स्वास्थ्य गंभीर हीटवेव आपदाओं के लिए अतिसंवेदनशील है।

अत्यधिक तापमान की लगातार बढ़ती सीमा के साथ, एक गर्मी कम करने के उपाय भविष्य में समय की आवश्यकता है। खुली जगह पर कार्य संस्कृति के साथ घनी आबादी के कारण एक समान गर्मी प्रतिरोधी उपाय और अनुकूलन रणनीतियों की ज़रूरत है जो समाज के प्रत्येक वर्ग को उनकी कठिनाई के आधार पर कवर करती है। अध्ययन तीन हीटवेव हॉटस्पॉट क्षेत्रों में प्रभावी ग्रीष्म नियंत्रण कार्य योजना विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

भविष्य में अत्यधिक गर्मी के विनाशकारी प्रभावों को कम करने और नए हॉटस्पॉट बनने के संभावित खतरों के मद्देनजर पर्याप्त अनुकूलन उपायों को तैयार करने के लिए, विश्वसनीय भविष्य के अनुमानों की आवश्यकता है। इसने सौम्या सिंह, जितेश्वर दधीच, सुनीता वर्मा, जे.वी. सिंह, और अखिलेश गुप्ता, और आर.के. माल की शोध टीम को भारतीय उपमहाद्वीप पर क्षेत्रीय जलवायु मॉडल (आरसीएम) का मूल्यांकन करने के लिए सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले आरसीएम को खोजने के लिए प्रेरित किया। ये भविष्य में हीटवेव की आवृत्ति, तीव्रता और स्थानिक वृद्धि का अध्ययन करने में मदद करेंगे। अध्ययन में पाया गया कि एलएमडीजेड-4 और जीएफडीएल-ईएसएम-2-एम मॉडल वर्तमान परिदृश्य में भारत में हीटवेव का अनुकरण करने में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले हैं, जिनका भविष्य के अनुमानों के लिए भी मज़बूती से उपयोग किया जा सकता है। यह अध्ययन हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल “एटमॉस्फेरिक रिसर्च” में प्रकाशित हुआ था। दो मॉडलों ने एक हीटवेव कम करने की भविष्य की तैयारी के लिए आधार तैयार किया है।

हीटवेव (लू) क्या है?

लम्बे समय तक अत्यधिक गर्म मौसम बरकरार रहने से हीटवेव बनता है। हीटवेव असल में एक स्थान के वास्तविक तापमान और उसके सामान्य तापमान के बीच के अन्तर से बनता है। आईएमडी के मुताबिक, यदि एक स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो हीटवेव चलती है। यदि वृद्धि 6.4 डिग्री से अधिक है और वास्तविक तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाए, तो इसे एक गम्भीर हीटवेव कहा जाता है। तटीय क्षेत्रों में, जब अधिकतम तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाए या तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाए तो हीटवेव चलता है।

हीटवेव के क्या कारण हैं?

हीटवेव को मोटे तौर पर एक जलवायु सम्बन्धी घटना के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसमें आस-पास के पर्यावरणीय कारक भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उच्च वायुमण्डलीय दबाव प्रणाली वायुमण्डल के ऊपरी स्तर पर रहने वाली हवा को नीचे लाकर घुमाती है। इससे हवा में संकुचन के कारण तापमान बढ़ता है और हवा वहाँ से निकल नहीं पाती। इससे हीटवेव कई दिनों तक टिका रहता है।

भारत में हीटवेव कितनी आम बात है?

भारत में गर्मी के महीनों में हीटवेव एक आम बात है। मॉनसून (जून) की शुरुआत से पहले के महीनों में देश के ज्यादातर क्षेत्र हीटवेव का सामना करते हैं। साल 2013 में एक अध्ययन के अनुसार उत्तरी, उत्तर-पश्चिमी, मध्य, पूर्वी और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों सहित करीब आधा भारत गर्मियों के दौरान लगभग 8 दिन हीटवेव झेलता है।

हीट एक्शन प्लान क्या है?

जिलास्तर पर आपदा राहत और ‘हीट एक्शन प्लान’ का इस्तेमाल जागरूकता फैलाने और देश में हीटवेव से जुड़े मृत्युदर को कम करने के लिये किया जा रहा है। अहमदाबाद द्वारा वर्ष 2013 में ‘हीट एक्शन प्लान’ अपनाने के बाद हाल ही में नागपुर और भुवनेश्वर ने भी इसको लेकर योजना जारी की है। उड़ीसा ने 1998 की विनाशकारी हीटवेव और 1999 में आए चक्रवात के बाद जिलास्तर पर आपदा राहत प्रबंधन का गठन किया। यही कारण था कि तेज हीटवेव के बावजूद 2003-2005 में मृत्युदर इतना अधिक नहीं था जितना कि इससे पहले की अवधि में इन प्लानों से मृत्युदर में कमी रिपोर्ट की गई है।

SOURCE-PIB

PAPER-G.S.1

 

कार्बी आंगलोंग शांति समझौता

ऐतिहासिक त्रिपक्षीय कार्बी आंगलोंग समझौते पर 4 सितंबर, 2021 को भारत सरकार, असम सरकार और कार्बी के छह गुटों के बीच हस्ताक्षर किए गए।

मुख्य बिंदु

  • इस समझौते के अनुसार, सशस्त्र समूह कार्बी आंगलोंग शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की तारीख के एक महीने के भीतर हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे, अपने हथियारों को आत्मसमर्पण कर देंगे और अपने संगठनों को भंग कर देंगे।
  • इसके तहत कार्बी समूहों के कब्जे वाले सभी शिविरों को तुरंत खाली कर दिया जाएगा।
  • हजारों उग्रवादी मुख्य धारा में लौट आएंगे और अपने पास मौजूद करीब 300 अत्याधुनिक हथियार भी डाल देंगे।

इस समझौते की मुख्य विशेषताएं

  • यह समझौता व्यवस्था करता है कि, असम सरकार कार्बी को KAAC की आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित करने के लिए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (Karbi Anglong Autonomous Council – KAAC) के प्रस्ताव पर अनुकूल रूप से विचार करेगी।
  • अंग्रेजी, हिंदी और असमिया का उपयोग आधिकारिक भाषाओं के रूप में जारी रहेगा।
  • भारत सरकार KAAC के विकास के लिए 500 करोड़ रुपये (प्रति वर्ष 100 करोड़ रुपये) आवंटित करेगी।
  • असम सरकार उन विकास परियोजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित करेगी जिन्हें विशेष पैकेज के हिस्से के रूप में लिया जाएगा।
  • कार्बी युवाओं की भर्ती के लिए सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस को विशेष अभियान चलाना होगा।
  • सशस्त्र समूहों के खिलाफ दायर गैर-जघन्य मामलों को असम सरकार द्वारा कानून के अनुसार वापस ले लिया जाएगा। हालाँकि, जघन्य मामलों के लिए मामला-दर-मामला आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
  • असम सरकार स्वायत्त राज्य की मांग को लेकर आंदोलन में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजनों को 5 लाख रुपये का वित्तीय मुआवजा प्रदान करेगी।

संस्थागत तंत्र

इस समझौते के अनुसार लंबित विधायी मामलों, वित्तीय लेनदेन और राजस्व के प्रवाह जैसे पारस्परिक चिंता के मुद्दों को हल करने के लिए समय-समय पर असम सरकार और KAAC के बीच समन्वय के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाएगा।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

TOPIC –SECURTY

 

तमिलनाडु भारत का पहला डुगोंग संरक्षण रिजर्व

तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में दक्षिण-पूर्वी तट पर पाक खाड़ी में भारत का पहला डुगोंग संरक्षण रिजर्व (Dugong Conservation Reserve) स्थापित करने की अपनी योजना की घोषणा की।

मुख्य बिंदु

  • डुगोंग या सी काऊ (sea cow) एक लुप्तप्राय समुद्री स्तनपायी है। यह निवास स्थान के नुकसान, समुद्री प्रदूषण और समुद्री घास के नुकसान के कारण विलुप्त होने का सामना कर रहा है।
  • डुगोंग मन्नार की खाड़ी और तमिलनाडु में पाक खाड़ी में पाया जाता है।
  • मन्नार की खाड़ी तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी छोर और पश्चिमी श्रीलंका के बीच एक उथला खाड़ी क्षेत्र है।
  • समुदाय की भागीदारी की मदद से, सरकार इस प्रजाति की रक्षा के लिए मन्नार की खाड़ी और पाक खाड़ी क्षेत्र में एक डुगोंग समुद्री संरक्षण रिजर्व का भी निर्माण करेगी।
  • पाक खाड़ी में 500 किमी के क्षेत्र में समुद्री संरक्षण रिजर्व स्थापित किया जाएगा।

डुगोंग (Dugong)

डुगोंग एक समुद्री स्तनपायी है और यह सिरेनिया क्रम की एकमात्र जीवित प्रजाति है। यह स्तनपायी समुद्री घास के कारण तटीय निवास स्थान तक ही सीमित है, जो इसके आहार का एक प्रमुख हिस्सा है। इसकी सबसे करीबी रिश्तेदार Steller’s Sea Cow है, जो 18वीं शताब्दी में विलुप्त हो गई थी। IUCN ने डुगोंग को “विलुप्त होने वाली प्रजातियों के लिए कमजोर” के रूप में सूचीबद्ध किया है।

SOURCE-GK TODAY

PAPER-G.S.3

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