Current Affairs – 9 December, 2021
संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संविधान सभा की महान हस्तियों को नमन किया
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संविधान सभा की महान हस्तियों को नमन किया है।
अपने श्रृंखलाबद्ध ट्वीटों में प्रधानमंत्री ने कहा हैः
“75 वर्ष पहले आज ही के दिन संविधान सभा की पहली बैठक हुई थी। भारत के विभिन्न भागों से, विभिन्न पृष्ठभूमि और यहां तक कि विभिन्न विचारधाराओं वाले महान लोग एकजुट हुये थे, जिनका एक ही उद्देश्य था कि भारतवासियों को एक शानदार संविधान प्रदान किया जाये। इन महान लोगों को नमन है।
संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा ने की थी, जो सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य थे।
उनके नाम का प्रस्ताव आचार्य कृपलानी ने किया था और उन्हें अध्यक्ष पद पर आसीन किया था।
आज, जब हम संविधान सभा की पहली ऐतिहासिक बैठक के 75 वर्ष पूरे होने को याद कर रहे हैं, मैं अपने युवा मित्रों से आग्रह करता हूं कि वे इस गरिमामयी सभा की कार्यवाही और इसमें शरीक होने वाली महान हस्तियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानें। ऐसा करने से बौद्धिक रूप से उनका अनुभव समृद्ध होगा।”
संविधान सभा में पहला दिन
संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर, 1946 को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हॉल, जिसे अब संसद भवन के केंद्रीय कक्ष के नाम से जाना जाता है, में हुई। इस अवसर के लिए कक्ष को मनोहारी रूप से सजाया गया था, ऊँची छत से और दीवारगीरों से लटकती हुई चमकदार रोशनी की लड़ियाँ एक नक्षत्र के समान सुशोभित हो रही थीं। उत्साह और आनन्द से अभिभूत होकर माननीय सदस्यगण अध्यक्ष महोदय की आसंदी के सम्मुख अर्धवृत्ताकार पंक्तियों में विराजमान थे। विद्युत के द्वारा गरम रखी जा सकने वाली मेंजों को हरे कालीन से आवृत ढ़लवाँ चबूतरे पर लगाई गई थी। पहली पंक्ति में जवाहरलाल नेहरू, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, आचार्य जे.बी. कृपलानी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, श्री हरे कृष्ण महताब, पं. गोविन्द वल्लभ पंत, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर, श्री शरत चंद्र बोस, श्री सी. राजगोपालाचारी और श्री एम. आसफ अली शोभायमान थे। नौ महिलाओं समेत दो सौ सात सदस्य उपस्थित थे।
उद्घाटन सत्र पूर्वाह्न 11.00 बजे आचार्य कृपलानी द्वारा संविधान सभा के अस्थाई अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा का परिचय कराने से आरंभ हुआ। डॉ. सिन्हा और अन्य सदस्यों का अभिवादन करते हुए आचार्य जी ने कहा : “जिस प्रकार हम प्रत्येक कार्य ईश्वर के आशीर्वाद से प्रारंभ करते हैं, हम डॉ. सिन्हा से इन आशीर्वादों का आह्वान करने की प्रार्थना करते हैं ताकि हमारा कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़े। अब, आपकी ओर से मैं एक बार फिर डॉ. सिन्हा को पीठासीन होने के लिए आमंत्रित करता हूं।”
अभिनन्दन के बीच पीठासीन होते हुए डॉ. सिन्हा ने विभिन्न देशों से प्राप्त हुए शुभकामना संदेशों का वाचन किया। अध्यक्ष महोदय के उद्घाटन भाषण और उपाध्यक्ष के नाम-निर्देशन के पश्चात् सदस्यों से अपने परिचय-पत्रों को प्रस्तुत करने का औपचारिक निवेदन किया गया। समस्त 207 सदस्यों द्वारा अपने-अपने परिचय-पत्र प्रस्तुत करने और रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के पश्चात् पहले दिन की कार्यवाही समाप्त हो गई। कक्ष की सतह से लगभग 30 फुट ऊपर दीर्घाओं में बैठकर पत्रकारों और दर्शकों ने इस स्मरणीय कार्यक्रम को प्रत्यक्ष रूप से देखा। आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र ने संपूर्ण कार्यवाही का एक संयुक्त ध्वनि चित्र प्रसारित किया।
कतिपय तथ्य
संविधान सभा ने स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के ऐतिहासिक कार्य को लगभग तीन वर्षों (दो वर्ष, ग्यारह माह और सत्रह दिन) में पूरा किया। इस अवधि के दौरान इसने ग्यारह सत्र आयोजित किए जो कुल 165 दिनों तक चले। इनमें से 114 दिन संवधिान के प्रारूप पर विचार-विमर्श में बीत गए। संविधान सभा का संघटन केबिनेट मिशन के द्वारा अनुशंसित योजना के आधार पर हुआ था जिसमें सदस्यों को प्रांतीय विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुना गया था। व्यवस्था इस प्रकार थी – (i) 292 सदस्य प्रांतीय विधान सभाओं के माध्यम से निर्वाचित हुए; (ii) 93 सदस्यों ने भारतीय शाही रियासतों का प्रतिनिधित्व किया; (iii) चार सदस्यों ने मुख्य आयुक्त प्रांतों का प्रतिनिधित्व किया। इस प्रकार सभा के कुल सदस्य 389 हुए। तथापि, 3 जून, 1947 की माउन्टबेटेन योजना के परिणामस्वरूप विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान के लिए एक पृथक संविधान सभा का गठन हुआ और कुछ प्रांतों के प्रतिनिधियों की संविधान सभा से सदस्यता समाप्त हो गई। जिसके फलस्वरूप सभा की सदस्य संख्या घटकर 299 हो गई। 13 दिसंबर, 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उद्देश्य संकल्प उपस्थित किया।
- यह संविधान सभा भारतवर्ष को एक स्वतंत्र संप्रभु तंत्र घोषित करने और उसके भावी शासन के लिए एक संविधान बनाने का दृढ़ और गम्भीर संकल्प प्रकट करती है और निश्चय करती है।
- जिसमें उन सभी प्रदेशों का एक संघ रहेगा जो आज ब्रिटिश भारत तथा भारतीय राज्यों के अंतर्गत आने वाले प्रदेश हैं तथा इनके बाहर भी हैं और राज्य और ऐसे अन्य प्रदेश जो आगे स्वतंत्र भारत में सम्मिलित होना चाहते हों; और
- जिसमें उपर्युक्त सभी प्रदेशों को, जिनकी वर्तमान सीमा (चौहदी) चाहे कायम रहे या संविधान-सभा और बाद में संविधान के नियमानुसार बने या बदले, एक स्वाधीन इकाई या प्रदेश का दर्जा मिलेगा व रहेगा। उन्हें वे सब शेषाधिकार प्राप्त होंगे जो संघ को नहीं सौंपे जाएंगे और वे शासन तथा प्रबंध सम्बन्धी सभी अधिकारों का प्रयोग करेंगे और कार्य करेंगे सिवाय उन अधिकारों और कार्यों के जो संघ को सौंपे जाएंगे अथवा जो संघ में स्वभावत: निहित या समाविष्ट होंगे या जो उससे फलित होंगे; और
- जिससे संप्रभु स्वतंत्र भारत तथा उसके अंगभूत प्रदेशों और शासन के सभी अंगों की सारी शक्ति और सत्ता (अधिकार) जनता द्वारा प्राप्त होगी; और
- जिसमें भारत के सभी लोगों (जनता) को राजकीय नियमों और साधारण सदाचार के अध्यधीन सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक न्याय के अधिकार, वैयक्तिक स्थिति व अवसर की तथा कानून के समक्ष समानता के अधिकार और विचारों की, विचारों को प्रकट करने की, विश्वास व धर्म की, ईश्वरोपासना की, काम-धन्धे की, संघ बनाने व काम करने की स्वतंत्रता के अधिकार रहेंगे और माने जाएंगे; और
- जिसमें सभी अल्प-संख्यकों के लिए, पिछड़े व आदिवासी प्रदेशों के लिए तथा दलित और अन्य पिछड़ें वर्गों के लिए पर्याप्त सुरक्षापाय रहेंगे; और
- जिसके द्वारा इस गणतंत्र के क्षेत्र की अखंडता (आन्तरिक एकता) रक्षित रहेगी और जल, थल और हवा पर उसके सब अधिकार, न्याय और सभ्य राष्ट्रों के नियमों के अनुसार रक्षित होंगे; और
- यह प्राचीन देश संसार में अपना उचित व सम्मानित स्थान प्राप्त करता है और संसार की शान्ति तथा मानव जाति का हित-साधन करने में अपनी इच्छा से पूर्ण योग देता है।
यह संकल्प संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। 14 अगस्त, 1947 की देर रात सभा केन्द्रीय कक्ष में समवेत हुई और ठीक मध्यरात्रि में स्वतंत्र भारत की विधायी सभा के रूप में कार्यभार ग्रहण किया।
29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने भारत के संविधान का प्रारूप तैयार करने के लिए डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति का गठन किया। संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श के दौरान सभा ने पटल पर रखे गए कुल 7,635 संशोधनों में से लगभग 2,473 संशोधनों को उपस्थित किया, परिचर्चा की एवं निपटारा किया।
26 नवंबर, 1949 को भारत का संविधान अंगीकृत किया गया और 24 जनवरी, 1950 को माननीय सदस्यों ने उस पर अपने हस्ताक्षर किए। कुल 284 सदस्यों ने वास्तविक रूप में संविधान पर हस्ताक्षर किए। जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर किए जा रहे थे, बाहर हल्की-हल्की बारिश हो रही थी, इस संकेत को शुभ शगुन माना गया।
26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हो गया। उस दिन संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया और इसका रुपांतरण 1952 में नई संसद के गठन तक अस्थाई संसद के रूप में हो गया।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
संपन्न परियोजना
एक लाख से अधिक पेंशनभोगियों को वर्तमान में संपूर्ण भारत में संचार लेखा के प्रधान नियंत्रक/संचार लेखा कार्यालयों के नियंत्रक द्वारा संपन्न (एसएएमपीएएनएन) परियोजना के माध्यम से सेवा दी जा रही है। इस व्यवस्था ने निम्नलिखित लाभों को सुनिश्चित करते हुए एकल खिड़की सेटअप प्रदान करके पेंशनभोगियों को सेवा प्रदान करने में सुधार किया है:
- पेंशन मामलों का समय पर निपटारा
- ई-पेंशन भुगतान आदेश का प्रावधान
- प्रत्येक पेंशनभोगी के लिए लॉगिन भुगतान इतिहास जैसी महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच को सक्षम बनाता है
- शिकायतों का ऑनलाइन प्रस्तुतिकरण और समय पर एसएमएस अलर्ट दिया जाना
इसने पेंशन के भुगतान के लिए बैंकों/डाकघरों को कमीशन के भुगतान के कारण भारत सरकार को आवर्ती मासिक बचत होना सुनिश्चित किया है और जो जून, 2021 तक लगभग 11.5 करोड़ रुपए है।
संपन्न (‘पेंशन के लेखा और प्रबंधन के लिए प्रणाली’– एसएएमपीएएनएन) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसे संचार लेखा महानियंत्रक, दूरसंचार विभाग, संचार मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। इस परियोजना को 29 दिसंबर, 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। यह दूरसंचार विभाग के पेंशनभोगियों के लिए एक सहज ऑनलाइन पेंशन प्रसंस्करण और भुगतान प्रणाली है। इससे पेंशनभोगियों के बैंक खातों में पेंशन सीधे ही जमा की जाती है।
इस प्रणाली ने विभाग को पेंशन मामलों के तेजी से निपटान, बेहतर समाधान/लेखापरीक्षा और लेखांकन को आसान बनाने में मदद की है।
संपन्न (‘पेंशन के लेखा और प्रबंधन के लिए प्रणाली’– एसएएमपीएएनएन) ने 6 महीने की अल्प अवधि में ही भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना 2019 के करीब 76,000 मामलों को निपटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संपन्न (एसएएमपीएएनएन) एक लचीली डिज़ाइन वाली प्रणाली है जो इसे लगातार बढ़ती आवश्यकताओं को समायोजित करने में सक्षम बनाती है।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.2
‘घरेलू ऊर्जा ऑडिट पर प्रमाणन पाठ्यक्रम’
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) ने “आजादी का अमृत महोत्सव” के तहत प्रतिष्ठित सप्ताह के रूप में “राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण सप्ताह: 8-14 दिसंबर 2021” के दौरान 8 दिसंबर, 2021 को वर्चुअल माध्यम से “घरेलू ऊर्जा ऑडिट (एचईए) पर प्रमाणन पाठ्यक्रम” को शुरू किया।
घरेलू ऊर्जा ऑडिट (एचईए) एक घर में विभिन्न ऊर्जा-खपत वस्तुओं और उपकरणों के ऊर्जा उपयोग के उचित लेखांकन, परिमाणीकरण, सत्यापन, निगरानी और विश्लेषण को सक्षम बनाता है। इसके अलावा यह ऊर्जा खपत को कम करने के लिए लागत-लाभ विश्लेषण व कार्य योजना के साथ ऊर्जा दक्षता में सुधार के लिए संगत समाधान और सिफारिशों की एक तकनीकी रिपोर्ट पेश करता है। इससे आखिर में उपभोक्ता के ऊर्जा खर्चों और कार्बन फुटप्रिंट में कमी आएगी।
यह प्रमाणन कार्यक्रम इंजीनियरिंग/डिप्लोमा कॉलेजों के छात्रों के बीच ऊर्जा ऑडिट, ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के महत्व और लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करेगा। इसके अलावा इससे ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर, जलवायु परिवर्तन शमन और स्थिरता में बढ़ोतरी होगी।
यह प्रमाणन पाठ्यक्रम सक्षम करेगा:
- उपभोक्ताओं की जरूरतों के आधार पर घरेलू ऊर्जा ऑडिट करने के लिए पेशेवरों के एक पूल का निर्माण;
- संबंधित एसडीए प्रमाणित घरेलू ऊर्जा ऑडिटरों से उपभोक्ताओं के घरेलू ऊर्जा का लेखा परीक्षण;
- ऊर्जा का लेखा परीक्षण, ऊर्जा दक्षता व संरक्षण के महत्व और लाभों के बारे में इंजीनियरिंग/डिप्लोमा/आईटीआई के छात्रों, ऊर्जा पेशेवरों और उद्योग साझेदारों के बीच सूचना का प्रचार-प्रसार व जागरूकता बढ़ाना।
इस पहल के लिए केरल स्थित ऊर्जा प्रबंधन केंद्रको मेंटर एसडीए के रूप में चिह्नित किया गया है। अन्य 11 राज्य की ओर से मनोनीत एजेंसियों (एसडीए) ने अपने राज्यों में संबंधित हितधारकों के लिए एचईए पर प्रमाणन पाठ्यक्रम को संचालित करने की इच्छा व्यक्त की है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दमन व दीव, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, सिक्किम और तेलंगाना शामिल हैं। एसडीए प्रमाणन पाठ्यक्रम के सफल समापन परयोग्य छात्रों/कार्मिकों को प्रमाणपत्र प्रदान करेगी।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के सचिव श्री आर के राय और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के संयुक्त निदेशक श्री अभिषेक शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। साथ ही, इस कार्यक्रम का सारांश भी प्रस्तुत किया। इसके बाद ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के महानिदेशक श्री अभय बकरे ने उद्घाटन भाषण दिया।
केरल स्थित ऊर्जा प्रबंधन केंद्र के निदेशक डॉ. आर. हरिकुमार ने “घरेलू ऊर्जा ऑडिट पर प्रमाणन पाठ्यक्रम के लिए अवलोकन और आगे की राह” पर एक प्रस्तुति दी। इस समारोह में पूरे देश के विभिन्न इंजीनियरिंग/डिप्लोमा कॉलेजों के कुलपति, अध्यक्ष, प्रबंध निदेशक, शिक्षक व छात्रों और सभी राज्य मनोनीत एजेंसियों (एसडीए) के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। इस वेबीनार में देशभर के 50 कॉलेजों/संस्थानों के 300 से अधिक छात्रों ने भाग लिया।
SOURCE-PIB
PAPER-G.S.1 PRE
केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना
6 दिसंबर, 2021 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रमुख उत्तर भारतीय राज्यों के चुनावों से पहले केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना (Ken-Betwa River Interlinking Project) को मंजूरी दी।
मुख्य बिंदु
- केन-बेतवा नदी को जोड़ने की परियोजना 44,605 करोड़ रुपये की है।
- यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी के मुद्दे को हल करने का प्रयास करेगी।
- इस परियोजना से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई गरीबी प्रभावित क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इस परियोजना की औपचारिक रूप से आधारशिला रखेंगे।
परियोजना के लिए अनुदान
इस परियोजना के लिए कुल 44,605 करोड़ रुपये में से केंद्र सरकार 39,317 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगी। इसमें 36,290 करोड़ रुपये का अनुदान और 3,027 करोड़ रुपये का ऋण शामिल है।
केन-बेतवा परियोजना (Ken-Betwa Project)
- केन-बेतवा नदी इंटरलिंकिंग परियोजना का उद्देश्य सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र को सिंचित करने के लिए मध्य प्रदेश में केन नदी से अधिशेष पानी को उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है।
- बुंदेलखंड क्षेत्र दो राज्यों के जिलों में फैला है:
- उत्तर प्रदेश में बांदा, झाँसी, ललितपुर और महोबा।
- मध्य प्रदेश में टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर जिले।
- केन-बेतवा भारत में परिकल्पित 30 नदियों को जोड़ने वाली परियोजनाओं में से एक है।
- 6 दिसंबर को मंजूरी मिलने से पहले, कई बार राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण इस परियोजना में देरी हो चुकी है।
- इस परियोजना के तहत दौधन बांध (Daudhan Dam) और दोनों नदियों को जोड़ने वाली नहर का निर्माण किया जाएगा।
परियोजना के तहत वार्षिक सिंचाई
यह परियोजना सुनिश्चित करेगी:
- 06 मिलियन हेक्टेयर पर वार्षिक सिंचाई
- लगभग 2 मिलियन लोगों को पेयजल आपूर्ति
- 103 मेगावॉट जलविद्युत और 27 मेगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन।
परियोजना का महत्व
यह परियोजना बुंदेलखंड क्षेत्र के पानी की कमी वाले जिलों के लिए वरदान के रूप में काम करेगी जहां किसान मानसून पर निर्भर हैं। इंटरलिंकिंग से उनके फसल चक्र में जल गहन, वृक्षारोपण और नकदी फसलों को शामिल करके क्षेत्र द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3
विश्व मलेरिया रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 6 दिसंबर, 2021 को अपनी विश्व मलेरिया रिपोर्ट (World Malaria Report) 2021 जारी की।
मुख्य बिंदु
- इस रिपोर्ट में, WHO कहा है कि ‘मलेरिया से निपटने के वैश्विक प्रयासों को 2020 में कोरोनावायरस बीमारी के कारण नुकसान उठाना पड़ा।
- इस रिपोर्ट में आगे चेतावनी दी गई है कि, यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई, तो दुनिया में मलेरिया के फिर से तेज़ी से फ़ैल सकता है, विशेष रूप से अफ्रीका में।
मलेरिया से मौतें
- 2020 में, अनुमानित रूप से 6,27,000 मौतें मलेरिया से हुईं। 2019 की तुलना में मौतों की संख्या में 12% की वृद्धि हुई है।
- अतिरिक्त 69,000 मौतों में से लगभग 47,000 COVID-19 महामारी के बीच मलेरिया निदान, उपचार और रोकथाम के प्रावधान में व्यवधान से जुड़ी हुई थीं।
- WHO अफ्रीकी क्षेत्र के देशों से मामलों की संख्या में अधिकांश वृद्धि दर्ज की गई।
WHO अफ्रीकी क्षेत्र में मामले
- WHO अफ्रीकी क्षेत्र में लगभग 95 प्रतिशत मामले दर्ज किये गये।
- दुनिया भर में मलेरिया के 96 प्रतिशत मामलों के लिए 29 देश जिम्मेदार थे।
- नाइजीरिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, युगांडा, मोज़ाम्बिक, अंगोला और बुर्किना फ़ासो नामक 6 देशों में दुनिया भर में सभी मामलों का लगभग 55% हिस्सा है।
भारत और WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया के मामले
- WHO दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में 83% मामलों के लिए भारत जिम्मेदार है।
- श्रीलंका को वर्ष 2016 में मलेरिया मुक्त प्रमाणित किया गया था और यह मलेरिया मुक्त बना हुआ है।
मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रगति
कोविड-19 महामारी से पहले ही मलेरिया के खिलाफ वैश्विक प्रगति कम हो गई थी। 2015 से, लगभग 24 देशों ने मलेरिया मृत्यु दर में वृद्धि दर्ज की है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.3
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस
प्रतिवर्ष विश्व भर में 9 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य भ्रष्टाचार के विरुद्ध जागरूकता फैलाना है।
हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया, उस सर्वेक्षण के मुताबिक एशिया के 74% लोगों का मानना है कि सरकारी भ्रष्टाचार उनके देशों को परेशान करने वाली सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के सर्वेक्षण में 17 देशों में 20,000 उत्तरदाता शामिल थे। पिछले 12 महीनों में सार्वजनिक सेवाओं तक पहुँचने के दौरान पाँच में से एक व्यक्ति (19 प्रतिशत) ने रिश्वत दी।
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस (International Anti-Corruption Day)
अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस की स्थापना 31 अक्टूबर, 2003 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्ताव पारित करने के बाद की गयी थी। वर्तमान में विश्व का कोई देश व क्षेत्र भ्रष्टाचार से अछूता नहीं है, भ्रष्टाचार का स्वरूप राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक हो सकता है। इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम तथा संयुक्त राष्ट्र ड्रग्स व अपराध कार्यालय द्वारा किया जाता है। इस दिवस पर कई सम्मेलन, अभियान इत्यादि शुरू किये जाते हैं, इसके द्वारा भ्रष्टाचार के सन्दर्भ में जागरूकता फैलाने का कार्य किया जाता है।
SOURCE-GK TODAY
PAPER-G.S.1 PRE