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CURRENT AFFAIRS – 04th JULY 2021

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CURRENT AFFAIRS – 04th JULY 2021

श्री पुष्कर सिंह धामी

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री के रूप में रविवार को शपथ ले ली। 45 वर्षीय धामी राज्य में सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। देहरादून में राज भवन में हुए हुए शपथ ग्रहण समारोह में मंत्री सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत और दूसरे बीजेपी नेता भी शामिल हुए।

धामी राज्य में चार महीने में तीसरे ऐसे बीजेपी नेता हैं जो मुख्यमंत्री बने हैं। वह राज्य के 11वें मुख्यमंत्री हैं। इनसे पहले तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उन्होंने 10 मार्च, 2021 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।

उत्तराखण्ड

उत्तराखण्ड (पूर्व नाम उत्तरांचल), उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है जिसका निर्माण ९ नवम्बर २००० को कई वर्षों के आन्दोलन के पश्चात भारत गणराज्य के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था। सन २००० से २००६ तक यह उत्तरांचल के नाम से जाना जाता था। जनवरी २००७ में स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य का आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। राज्य की सीमाएँ उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य हैं। सन २००० में अपने गठन से पूर्व यह उत्तर प्रदेश का एक भाग था। पारम्परिक हिन्दू ग्रन्थों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखण्ड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखण्ड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। राज्य में हिन्दू धर्म की पवित्रतम और भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं।

देहरादून, उत्तराखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। गैरसैण नामक एक छोटे से कस्बे को इसकी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है किन्तु विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है। राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है।

राज्य सरकार ने हाल ही में हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को बढ़ावा देने के लिये कुछ पहल की हैं। साथ ही बढ़ते पर्यटन व्यापार तथा उच्च तकनीकी वाले उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक कर योजनायें प्रस्तुत की हैं। राज्य में कुछ विवादास्पद किन्तु वृहत बाँध परियोजनाएँ भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएँ भी की जाती रही हैं, जिनमें विशेष है भागीरथी-भीलांगना नदियों पर बनने वाली टिहरी बाँध परियोजना। इस परियोजना की कल्पना १९५३ मे की गई थी और यह अन्ततः २००७ में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखण्ड, चिपको आन्दोलन के जन्मस्थान के नाम से भी जाना जाता है।

इस प्रदेश की नदियाँ भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उत्तराखण्ड अनेक नदियों का उद्गम स्थल है। यहाँ की नदियाँ सिंचाई व जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन है। इन नदियों के किनारे अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित हैं। हिन्दुओं की पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल मुख्य हिमालय की दक्षिणी श्रेणियाँ हैं। गंगा का प्रारम्भ अलकनन्दा व भागीरथी नदियों से होता है। अलकनन्दा की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मंदाकिनी है। गंगा नदी, भागीरथी के रूप में गौमुख स्थान से २५ कि॰मी॰ लम्बे गंगोत्री हिमनद से निकलती है। भागीरथी व अलकनन्दा देव प्रयाग संगम करती है जिसके पश्चात वह गंगा के रूप में पहचानी जाती है। यमुना नदी का उद्गम क्षेत्र बन्दरपूँछ के पश्चिमी यमनोत्री हिमनद से है। इस नदी में होन्स, गिरी व आसन मुख्य सहायक हैं। राम गंगा का उद्गम स्थल तकलाकोट के उत्तर पश्चिम में माकचा चुंग हिमनद में मिल जाती है। सोंग नदी देहरादून के दक्षिण पूर्वी भाग में बहती हुई वीरभद्र के पास गंगा नदी में मिल जाती है। इनके अलावा राज्य में काली, रामगंगाकोसीगोमतीटोंसधौली गंगा, गौरीगंगा, पिंडर नयार (पूर्व) पिंडर नयार (पश्चिम) आदि प्रमुख नदियाँ हैं।

पर्यटन

फुरसती, साहसिक और धार्मिक पर्यटन उत्तराखण्ड की अर्थव्यस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान और बाघ संरक्षण-क्षेत्र और नैनीताल, अल्मोड़ा, कसौनी, भीमताल, रानीखेत और मसूरी जैसे निकट के पहाड़ी पर्यटन स्थल जो भारत के सर्वाधिक पधारे जाने वाले पर्यटन स्थलों में हैं। पर्वतारोहियों के लिए राज्य में कई चोटियाँ हैं, जिनमें से नंदा देवी, सबसे ऊँची चोटी है और १९८२ से अबाध्य है। अन्य राष्टीय आश्चर्य हैं फूलों की घाटी, जो नंदा देवी के साथ मिलकर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

उत्तराखण्ड में, जिसे “देवभूमि” भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थान है और हज़ार वर्षों से भी अधिक समय से तीर्थयात्री मोक्ष और पाप शुद्धिकरण की खोज में यहाँ आ रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री, को क्रमशः गंगा और यमुना नदियों के उदग्म स्थल हैं, केदारनाथ (भगवान शिव को समर्पित) और बद्रीनाथ (भगवान विष्णु को समर्पित) के साथ मिलकर उत्तराखण्ड के छोटा चार धाम बनाते हैं, जो हिन्दू धर्म के पवित्रतम परिपथ में से एक है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है।

हरिद्वार में प्रति बारह वर्षों में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश से आए करोड़ो श्रद्धालू भाग लेते हैं। राज्य में मंदिरों और तीर्थस्थानों की बहुतायत है, जो स्थानीय देवताओं या शिवजी या दुर्गाजी के अवतारों को समर्पित हैं और जिनका सन्दर्भ हिन्दू धर्मग्रन्थों और गाथाओं में मिलता है। इन मन्दिरों का वास्तुशिल्प स्थानीय प्रतीकात्मक है और शेष भारत से थोड़ा भिन्न है। जागेश्वर में स्थित प्राचीन मन्दिर (देवदार वृक्षों से घिरा हुआ १२४ मन्दिरों का प्राणंग) एतिहासिक रूप से अपनी वास्तुशिल्प विशिष्टता के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। तथापि, उत्तराखण्ड केवल हिन्दुओं के लिए ही तीर्थाटन स्थल नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुण्ड साहिब, सिखों का तीर्थ स्थल है। मिंद्रोलिंग मठ और उसके बौद्ध स्तूप से यहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की भी उपस्थिति है।

SOURCE-PIB

 

 

 यूएसए के लोगों को उनके 245वें स्वतंत्रता दिवस

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति, महामहिम जो बाइडेन और अमेरिका के लोगों को उनके 245वें स्वतंत्रता दिवस पर बधाई दी है।

एक ट्वीट में, प्रधान मंत्री ने कहा, “@POTUS @JoeBiden और संयुक्त राज्य अमेरिका के लोगों को उनके 245वें स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं। जीवंत लोकतंत्र के रूप में, भारत और यूएसए स्वतंत्रता के मूल्यों को साझा करते हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी का वास्तव में वैश्विक महत्व है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) आज अपने स्वतंत्रता दिवस की 245वीं वर्षगांठ मना रहा है. साल 1776 में ब्रिटेन से स्वतंत्रा के बाद से अमेरिका में हर साल 4 जुलाई को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है. चार जुलाई 1776 को अमेरिकी कांग्रेस ने ब्रिटेन से स्वतंत्रता की घोषणा की थी.

ब्रिटिशर्स ने अमेरिका में भी लोगों पर खूब अत्याचार किया है. इसका परिणाम ये हुआ कि ब्रिटिशर्स और मूल अमेरिकियों (British and American) के बीच धीरे-धीरे टकराव बढ़ने लगा. लंबे संघर्ष के बाद 2 जुलाई 1776 को 13 अमेरिकी कॉलोनियों में से 12 ने आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन से अलग होने का फैसला किया और कॉन्टिनेंटल कांग्रेस द्वारा स्वतंत्रता की मांग की गई. इसके ठीक दो दिन बाद 4 जुलाई को सभी 13 कॉलोनियों ने स्वतंत्रता की घोषणा को अपनाने के लिए मतदान किया और एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर खुद को आजाद घोषित कर दिया. तभी से अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है.

इससे पहले 11 जून 1776 को कालोनियों की दूसरी महाद्वीपीय कांग्रेस (Colonies Second Continental Congress) ने फिलाडेल्फिया (Philadelphia) में मुलाकात की और एक समिति का गठन किया, जिसका उद्देश्य दस्तावेजों का एक मसौदा तैयार करना था, जो औपचारिक रूप से ग्रेट ब्रिटेन के साथ अपने संबंधों को तोड़ दे.

जेफरसन, जिन्हें सबसे अच्छा लेखक माना जाता था, उन्होंने मूल मसौदे के दस्तावेज तैयार किए. उनके मसौदे में कुल 86 बदलाव किए गए. इसके बाद कॉन्टिनेंटल कांग्रेस (Continental Congress) ने आधिकारिक तौर पर 4 जुलाई, 1776 को अंतिम संस्करण को अपनाया.

अगले दिन स्वतंत्रता की घोषणा की प्रतियां वितरित की गईं, और 6 जुलाई को, द पेनसिल्वेनिया इवनिंग पोस्ट (The Pennsylvania Evening Post) असाधारण दस्तावेज को छापने वाला पहला समाचार पत्र बन गया. इसके बाद से ही डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस (Declaration of Independence ) अमेरिका में मनाए जाने वाले जश्न का प्रतीक बन गया.

डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस किसने लिखा थी?
डिक्लेरेशन ऑफ इंडिपेंडेंस थॉमस जेफरसन द्वारा लिखा गया था. थॉमस जेफरसन (Thomas Jefferson) और जॉनएडम्स (John Adams), बेंजामिन फ्रैंकलिन ((Benjamin Franklin) ), रोजर शेरमेन (Roger Sherman) और रॉबर्ट लिविंगस्टन (Robert R. Livingston)समेत दूसरी कॉन्टिनेंटल कांग्रेस के चार अन्य सदस्यों ने 1776 में एक घोषणापत्र तैयार करने के लिए एक समिति बनाई, जो बाद में 56 पुरुषों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने से पहले दर्जनों परिवर्तनों से गुजरी. हालांकि जेफरसन को उस दस्तावेज को लिखने का श्रेय दिया जाता है. गौरतलब है कि घोषणा के प्रसिद्ध शब्द सभी तेरह उपनिवेशों पर लागू नहीं होते थे.

संयुक्त राज्य अमेरिका

अमेरिका के संयुक्त राज्य (अंग्रेज़ी: United States of America), जिसे सामान्यतः संयुक्त राज्य (सं॰रा॰; अंग्रेज़ी: United States या US) या अमेरिका कहा जाता हैं, उत्तरी अमेरिका में स्थित एक देश हैं, यह 50 राज्य, एक फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, पाँच प्रमुख स्व-शासनीय क्षेत्र, और विभिन्न अधिनस्थ क्षेत्र से मिलकर बना हैं48 संस्पर्शी राज्य और फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट, कनाडा और मेक्सिको के मध्य, केन्द्रीय उत्तर अमेरिका में हैं। अलास्का राज्य, उत्तर अमेरिका के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित है, जिसके पूर्व में कनाडा की सीमा एवं पश्चिम मे बेरिंग जलसन्धि रूस से घिरा हुआ है। वहीं हवाई राज्य, मध्य-प्रशान्त में स्थित हैं। अमेरिकी स्व-शासित क्षेत्र प्रशान्त महासागर और कॅरीबियाई सागर में बिखरें हुएँ हैं।

32.4 करोड़ से अधिक जनसंख्या के साथ, संयुक्त राज्य कुल क्षेत्रफल के अनुसार विश्व का तीसरा सबसे बड़ा (और भूमि क्षेत्रफल के अनुसार, चौथा सबसे बड़ा) देश हैं। ३०.५ करोड़ की जनसंख्या के साथ यह चीन और भारत के बाद जनसंख्या के अनुसार तीसरा सबसे बड़ा देश हैं। यह विश्व के सबसे संजातीय आधार पर विविध और बहुसांस्कृतिक राष्ट्रों में से एक हैं, जिसका मुख्य कारण अन्य कई देशों से बड़े पैमाने पर आप्रवासन रहा हैं। इस देश की राजधानी वॉशिंगटन, डी॰ सी॰ हैं, और सबसे बड़ा शहर न्यूयॉर्क हैं। अन्य प्रमुख महानगरीय क्षेत्रों में लॉस एंजेलिस, शिकागो, डैलस, सैन फ़्रांसिस्को, बोस्टन, फिलाडेल्फिया, ह्युस्टन, अटलांटा, और मियामी शामिल हैं। इस देश का भूगोल, जलवायु और वन्यजीवन बेहद विविध हैं।

अमेरिका के संयुक्त राज्य एक अत्यधिक विकसित देश है, नाममात्र, सकल घरेलू उत्पाद के माध्यम से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और क्रय-शक्ति समता के अनुसार दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हालांकि इसकी आबादी दुनिया के कुल का केवल 4.3% है, अमेरिका में दुनिया में कुल संपत्ति का लगभग 40% हिस्सा है। औसत मजदूरी, मानव विकास, प्रति व्यक्ति जीडीपी, और प्रति व्यक्ति उत्पादकता सहित कई सामाजिक आर्थिक प्रदर्शन के मामलें में अमेरिका के संयुक्त राज्य सबसे ऊपर है। हालांकि सं॰रा॰ को औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिये जाना जाता है, आज उसका सेवाओं और ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रभुत्व हासिल है, वहीं विनिर्माण के क्षेत्र मे यह दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्थान है। वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग एक चौथाई और वैश्विक सैन्य खर्च के एक तिहाई के साथ, अमेरिका के संयुक्त राज्य दुनिया की अग्रणी आर्थिक और सैन्य शक्ति है। अमेरिका के संयुक्त राज्य, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख राजनीतिक और आर्थिक शक्ति है, और वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी नवाचारों में अग्रणी है।

व्युत्पत्ति

अमेरिका के संयुक्त राज्य, यह नाम थॉमस पेन द्वारा सुझाया गया था और 4 जुलाई, 1776 के स्वतंत्रता के घोषणापत्र में आधिकारिक रूप से प्रयुक्त किया गया। लघु रूप से इसके लिए बहुधा संयुक्त राज्य का भी उपयोग किया जाता है। हिन्दी भाषा में ‘संयुक्त राज्य’ या ‘अमेरिका के संयुक्त राज्य’ के स्थान पर केवल ‘अमेरिका’ या’अमरीका’ (अब प्राय: अप्रचलित) कहने का ही प्रचलन है, जो इस देश के लघु नाम के रूप मे उपयोग में लाया जाता

राजधानी

वॉशिंगटन डी॰ सी॰ (डिस्ट्रिक्ट अव कोलंबिया)

SOURCE-PIB

 

एनआईपीयूएन (निपुण) भारत

स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय कल यानी 5 जुलाई, 2021 को बेहतर समझ और संख्या के ज्ञान के साथ पढ़ाई में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीय पहल (निपुण-नेशनल इनीशिएटिव फॉर प्रोफिसीएंसी इन रीडिंग विद अंडरस्टैंडिंग एंड न्यूमरैसी) निपुण भारत शुरू करेगा। इसे वर्चुअल माध्यम से केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ द्वारा लॉन्च किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान निपुण भारत पर एक छोटा वीडियो, गान और क्रियान्वन के दिशानिर्देश भी लॉन्च किए जाएंगे। इस कार्यक्रम में सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के स्कूल शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, और विभिन्न शिक्षा संस्थानों के प्रमुख, विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।

29 जुलाई 2020 को जारी की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वन के लिए उठाए गए कदमों की श्रृंखला के तहत  निपुण भारत का शुभारंभ स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम है।

निपुण भारत मिशन का विजन, शिक्षा का एक ऐसा वातावरण तैयार करना है जिसमें साक्षरता और संख्या ज्ञान की नींव तैयार हो सके। जिससे प्रत्येक बच्चा 2026-27 तक ग्रेड 3 की पढ़ाई पूरी करने पर पढ़ाई, लिखाई और अंकों के ज्ञान में जरूरी निपुणता हासिल कर सके। निपुण भारत को स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा लागू किया जाएगा। और केंद्र द्वारा प्रायोजित समग्र शिक्षा योजना के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय-राज्य-जिला-ब्लॉक-स्कूल स्तर पर एक पांच स्तरीय क्रियान्वन तंत्र स्थापित किया जाएगा।

SOURCE-PIB

 

 

सीटीआरआई पोर्टल

भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों हो रहे चिकित्सीय परीक्षण या क्लीनिकल ट्रायल को अब विश्व व्यापी पहचान मिलने की राह और मजबूत हो गई है। आयुर्वेद के तहत किए जा रहे चिकित्सीय परीक्षणों को क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री-इंडिया में आयुर्वेद की शब्दावली में ही शामिल किए जाने से यह संभव हो पाया है। सीटीआरआई पोर्टल में इस आयुर्वेद अंश को शामिल करने का लोकार्पण सोमवार को आयुष मंत्री श्री किरेन रिजिजू के हाथों होगा। ध्यान रहे कि इस काम को अंजाम देने में आईसीएमआर का विशेष सहयोग रहा है। इसके साथ ही केन्द्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित चार अन्य पोर्टलों का भी लोकार्पण आयुष मंत्री करेंगे।

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के अनुसार मानवों पर दवा, उपचार आदि का किसी भी तरह का क्लीनिकल ट्रायल सार्वजनिक रूप की किसी भी रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना जरूरी है और भारत में यह काम विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से प्रमाणित सीटीआर-इंडिया पोर्टल पर किया जा रहा है।

ऐसा नहीं है कि आयुर्वेद में अभी तक क्लीनिकल ट्रायल नहीं हो रहे थे। आयुर्वेद में क्लीनिकल ट्रायल लगातार हो रहे हैं। आयुर्वेद की अपनी चिकित्या पद्धति है और उसमें चिकित्सीय परीक्षण की अपनी शब्दावली है। यह शब्दावली अभी तक सीटीआरआई का हिस्सा नहीं बन पाई थी। इस वजह से आयुर्वेद में क्लीनिकल ट्रायल करने वालों को अनुवाद और ऐलोपैथी की चिकित्सीय शब्दावली का सहारा लेना पड़ता था।

अब भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान-राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान सांख्यिकी संस्थान ने सीटीआरआई पोर्टल में आयुर्वेद की चिकित्सीय शब्दावाली को शामिल कर लिया है। इसके लिए आयुष मंत्रालय की ओर से पूर्व में विकसित किए गए नमस्ते, (एनएएमएएसटीई) पोर्टल का सहारा लिया गया। इस पोर्टल में आय़ुष मंत्रालय की ओर से आर्युवेद शास्त्र में दर्ज रोगों को इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन आफ डिजीज के मानकों के हिसाब से कोड कर दर्ज किया गया है।

सीटीआरआई रजिस्ट्री में नमस्ते पोर्टल से 3866 कोड इस तरह के लिए गए हैं। मतलब यह कि आयुर्वेद के तहत क्लीनिकल ट्रायल में अब ट्रायल की जानकारी, परिणाम आदि की जानकारी आयुर्वेद की शब्दावली में ही उपलब्ध हो सकेगी।

क्या होते हैं  क्लीनिकल ट्रायल………….

किसी भी दवा, उपचार आदि को सार्वजनिक रूप से लोगों को उपलब्ध कराने से पहले यह देखा जाना जरूरी होता है कि दवा, उपचार आदि का मानव पर प्रभाव क्या है। इसका परीक्षण खुद को प्रस्तुत करने वालों पर वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है। यह ठीक ऐसे ही है जैसे की कोविड की वैक्सीन को बाजार में उतारने से पहले कुछ लोगों से आग्रह किया गया था कि वे वैक्सीन देखें। इन लोगों को विशेषज्ञों की निगरानी में लगाकर यह टीका लगाया गया था और टीके के आशाजनक परिणाम सामने आने पर अन्य लोगों के लिए टीका उपलब्ध कराया गया।

क्यों जरूरी है क्लीनिकल रजिस्ट्री

दुनिया में नई दवा की खोज, रोगों के इलाज आदि के लिए क्लीनिकल ट्रायल लगातार किए जा रहे हैं।परेशानी यह है कि इन परीक्षणों के परिणाम सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं हो पाते और इस कारण ट्रायल की सही जानकारी उपलब्ध न होने की आशंका बनी रहती है। इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य
संगठन ने क्लीनिकल ट्रायल की ऑनलाइन रजिस्ट्री बनाना अनिवार्य किया। भारत में यह काम  सीटीआरआई के माध्यम से किया जा रहा है और यह रजिस्ट्री विश्व स्वास्थ्य संगठन की रजिस्ट्री का भी हिस्सा है।

आयुर्वेद में लगातार हो रहे हैं क्लीनिकल ट्रायल

आयुर्वेद में रोग और उपचार का संपूर्ण शास्त्र है और शताब्दियों के अनुभव और परीक्षण की इसकी अपनी विश्वसनीयता है। फिर भी वर्तमान समय में आधुनिक चिकित्सा शास्त्र के हिसाब से अधिक विश्वास अर्जित करने के लिए आयुर्वेद में भी क्लीनिकल ट्रायल किए जा रहे हैं। पिछले कुछ समय में ही  सीटीआरआई  रजिस्ट्री में कोविड से संबंधित इस तरह के कई ट्रायल दर्ज कराए गए हैं।

SOURCE-PIB

 

 

मोस्ट इनोवेटिव इन्वेस्टमेंट प्रमोशन एजेंसी 2021 का पुरस्कार

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने OCO Global द्वारा इन्वेस्ट इंडिया को दुनिया की सबसे नवोन्मेषी प्रोत्साहन एजेंसी 2021 का पुरस्कार दिए जाने पर बधाई दी।

इन्वेस्ट इंडिया (Invest India)

इन्वेस्ट इंडिया भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी है। यह 2009 में उद्योग और आंतरिक संवर्धन विभाग के गैर-लाभकारी उद्यम के रूप में स्थापित किया गया था।

इन्वेस्ट इंडिया का कार्य

इन्वेस्ट इंडिया ने निवेश प्रोत्साहन एजेंसियों और बहुपक्षीय संगठनों के साथ साझेदारी की है। यह क्षमता निर्माण और निवेश लक्ष्यीकरण, प्रोत्साहन और सुविधा क्षेत्रों में वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को लाने के लिए कई राज्यों के साथ सक्रिय रूप से काम करता है।

निवेश प्रोत्साहन एजेंसी (Investment Promotion Agency – IPA)

IPA एक सरकारी एजेंसी है जिसका मिशन देश, राज्य, क्षेत्र या शहर में निवेश आकर्षित करना है। IPAनिवेश के लिए आकर्षक गंतव्य के स्थान के बारे में जागरूकता बढ़ाकर विपणन गतिविधियों का उपयोग करके यह कार्य करता है। इसके चार मुख्य कार्य हैं, निवेश सृजन, एफडीआई होस्टिंग देश की छवि निर्माण, परियोजना प्रबंधन और सेवाएं प्रदान करना। यह विकसित देशों के लिए निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका कार्य चैंबर ऑफ कॉमर्स या बिजनेस कंसल्टिंग कॉर्पोरेशन के समान है।

SOURCE-GK TODAY

 

 

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस

हर साल, अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस (International Day of Cooperatives) जुलाई के पहले शनिवार को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में चिंताओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दुनिया का ध्यान आकर्षित करना है।

इतिहास

सहकारिता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस पहली बार वर्ष 1923 में मनाया गया था। इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन द्वारा की गई थी। 1995 में, अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन और संयुक्त राष्ट्र दोनों Committee on Promotions and Advancements of Cooperatives (COPAC)  की स्थापना करके इस दिवस के उत्सव को बढ़ावा देने के लिए एक साथ आए।

SOURCE-GK TODAY

 

 

गर्भवती महिलाएं भी अब कोविड का टीका लगा सकती हैं

टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने आज स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए जारी टीकाकरण दिशानिर्देशों पर डीडी न्यूज से बात की।

दो जिंदगियों की सुरक्षा का सवाल

डॉ. एन. के. अरोड़ा ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में वृद्धि के कारण यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, ‘दूसरी लहर के दौरान यह देखा गया कि कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में पहली लहर की तुलना में दो से तीन गुना वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में, यह महसूस किया गया कि गर्भवती महिलाओं को भी कोविड-19 वैक्सीन का टीका लगना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के मामले में, दो जिंदगियों की सुरक्षा शामिल है- मां और उसके गर्भ में पल रह शिशु। इसीलिए, देश ने गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का फैसला किया है।’

उन्होंने कहा कि इस टीके से माताओं को अधिक लाभ होगा। वे कोरोनावायरस संबंधी चिंता और डर से मुक्त रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘गर्भवती मां के टीकाकरण से मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी बचाया जा सकता है। अगर मां के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है तो यह बच्चे में भी चली जाएगी। वैक्सीन और मां के शरीर में विकसित रोग प्रतिरोधक क्षमता का असर बच्चे में कम से कम जन्म के समय तक बना रहेगा।’

गर्भवती महिलाओं के लिए टीके कितने सुरक्षित

गर्भवती महिलाओं के लिए टीके कितने सुरक्षित होंगे?इस पर एक सवाल के जवाब में डॉ. अरोड़ा ने कहा कि पूरी दुनिया अब सोच रही है कि माताओं को भी टीका लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल मां के शरीर में बल्कि बच्चे के लिए भी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी।’ उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर, हमारे टीके सुरक्षित पाए गए हैं। यहां तक कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में जहां एमआरएनए टीके दिए जा रहे हैं, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा रहा है। इन तथ्यों और आंकड़ों को देखते हुए, हमारे देश में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है।’

कुछ लोग पहले तीन महीनों में गर्भवती मां को टीका लगाने पर संदेह और भय व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि इस अवधि में बच्चे के अंग विकसित होने शुरू होते हैं। इन शंकाओं को दूर करते हुए, डॉ. अरोड़ा ने मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी वैक्सीन की सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं इन आशंकाओं को दूर करना चाहता हूं और लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे टीकों में कोई जीवित वायरस नहीं है जो संक्रमण का कारण बन सकता है। इस प्रकार से, ऐसा नहीं लगता है कि मां के गर्भ में पल रहे शिशु पर टीके का कोई बुरा प्रभाव पड़ेगा।’

उन्होंने आगे कहा कि टीके लगवाने वाली गर्भवती महिलाओं की निगरानीकी जाएगी जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा, ‘सभी गर्भवती महिलाओं को जिन्हें देशभर में टीका लगाया जाएगा, किसी भी तरह की असुविधा के लक्षणों की निगरानी के लिए एक नेटवर्क के माध्यम से देखरेख की जाएगी। मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर भी नजर रखी जाएगी। यह हमें आश्वस्त करेगा कि टीकाकरण के बाद हमारी माताएं, बहनें और बेटियां पूरी तरह सुरक्षित रहें।’

टीकाकरण के बाद गर्भवती महिलाओं को होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा, ’10 लाख में से एक महिला में रक्तस्राव और थक्के बनने का मामला सामने आया है। जो लक्षण प्रकट होते हैं उनमें गंभीर सिरदर्द, सिरदर्द के साथ उल्टी, उल्टी के साथ पेट में दर्द या सांस लेने में भी समस्या हो सकती है। कुल मिलाकर, इस तरह के तीन या चार लक्षण हो सकते हैं और सामान्य तौर पर यह टीकाकरण के बाद तीन से चार सप्ताह की अवधि के भीतर होता है। ऐसे मामलों में, परिवार के सदस्यों को गर्भवती महिला को जल्दी से अस्पताल ले जाना चाहिए जहां टीकाकरण किया गया है। अस्पताल में बीमारी के कारणों की जांच की जा सकती है और उसे आवश्यक उपचार मुहैया कराया जा सकता है।’

गर्भवती महिलाएं वैक्सीन की खुराक कब ले सकती हैं?

चेयरपर्सन ने कहा, ‘गर्भवती महिलाएं किसी भी समय टीका ले सकती हैं। लिए गए फैसले के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था का पता लगने के बाद कोविड-19 वैक्सीन किसी भी समय दी जा सकती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वैक्सीन पहली, दूसरी या तीसरी तिमाही में दी जा रही है।’

राष्ट्रीय टीकाकरण तकनीकी सलाहकार समूह (NITAG)

NITAG एक सलाहकार समिति है जिसमें विशेषज्ञों के बहु-विषयक समूह शामिल हैं जो सरकारों को टीकों से संबंधित जानकारी प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। यह जानकारी वैक्सीन और टीकाकरण नीति के संबंध में साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में मदद करती है। प्रत्येक देश में NITAG के अलग-अलग नाम हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में इसे Advisory Committee on Immunization Practices (ACIP) कहा जाता है, यूके में इसे Committee on Vaccination and Immunisation (JCVI) कहा जाता है और इसे भारत में National Technical Advisory Group on Immunisation (NTAGI) कहा जाता है।

SOURCE-PIB

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