CURRENT AFFAIRS – 17th JULY 2021

CURRENT AFFAIRS – 17th JULY 2021

एमएच-60 आर मल्टी रोल हेलीकॉप्टरों

भारतीय नौसेना ने दिनांक 16 जुलाई 2021 को सैन डिएगो के नॉर्थ आइलैंड नेवल एयर स्टेशन में आयोजित एक समारोह में अमेरिकी नौसेना से अपने एमएच-60आर मल्टी रोल हेलिकॉप्टर (एमआरएच) के पहले दो हेलिकॉप्टर को स्वीकार किया। समारोह में इन हेलीकॉप्टरों का अमेरिकी नौसेना से भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से स्थानांतरण किया गया, जिनको अमेरिका में भारतीय राजदूत महामहिम तरनजीत सिंह संधू ने स्वीकार किया। समारोह में अमेरिकी नौसेना के वाइस एडमिरल केनेथ व्हाइटसेल, कमांडर नेवल एयर फोर्सेज़ और वाइस एडमिरल रवनीत सिंह, नौसेना उप प्रमुख (डीसीएनएस), भारतीय नौसेना के बीच हेलीकॉप्टर दस्तावेजों का आदान-प्रदान भी हुआ।

लॉकहीड मार्टिन कॉर्पोरेशन, यूएसए द्वारा निर्मित एमएच-60आर हेलीकॉप्टर हर मौसम में कारगर एक हेलिकॉप्टर है जो अत्याधुनिक एवियोनिक्स/ सेंसर के साथ कई मिशनों के लिहाज से बनाया गया है। इनमें से 24 हेलीकॉप्टर अमेरिकी सरकार से विदेशी सैन्य बिक्री के तहत खरीदे जा रहे हैं। हेलीकॉप्टरों को भारत के अनेक प्रकार के उपकरणों और हथियारों के दृष्टिकोण से संशोधित भी किया जाएगा।

इन एमआरएच को शामिल करने से भारतीय नौसेना की त्रिविमीय क्षमताओं में और इजाफा होगा। इन शक्तिशाली हेलीकॉप्टरों पर प्रशिक्षण के लिए भारतीय पायलट दल का पहला जत्था इस समय अमेरिका में
है ।

SOURCE-PIB

 

 

सीमा सुरक्षा बल

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 18 वें अलंकरण समारोह में अदम्य साहस,शौर्य,वीरताव उत्कृष्ट सेवा के लिए बल के बहादुर अधिकारियों और कार्मिकों को अलंकरण प्रदान किए।गृह मंत्री ने रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान भी दिया। इस अवसर पर सीमा सुरक्षा बल पर एक वृत्तचित्र ‘बावा’ का प्रदर्शन भी किया गया।

BSF के पहले महानिदेशक के एफ रुस्तमजी को श्रद्धांजलि देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सीमा सुरक्षा बल और देश के अन्य अर्धसैनिक बलों केशहीदोंकेकारण ही भारत विश्व के नक्शे पर अपनी गौरवमयी उपस्थिति दर्ज करा पा रहा है। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपके नाम मात्र से ही दुश्मनों का दिल दहल जाता है और इसी कारण देश लोकतंत्र के अपनाए हुए विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि लंबे समय से ही हम हमेशा एक विकट परिस्थिति में रहे कि लगभग 7,516 किलोमीटर की तटीय सीमा और 15 हज़ार किलोमीटर से लंबी भूमि सीमा से हमारे देश को आगे बढ़ना पड़ा और उसी वक्त जरूरत थी कि सीमा सुरक्षा पर ध्यान देकर इसकी संरचना की जाए, लेकिन लंबे अरसे तक इस पर समग्र रूप से विचार नहीं हुआ। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तब इसे गति देने का काम हुआ। अटल जी की सरकार में पहली बार ‘वन बॉर्डर, वन फ़ोर्स’ के सिद्धांत को स्वीकार किया गया और इसका एक स्ट्रक्चर्ड खाका शुरू हुआ और सबकी ज़िम्मेदारी तय हुई।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कि मोदी सरकार ने सीमाओं पर इन्फ़्रास्ट्रक्चर के काम को प्राथमिकता से लिया। उन्होंने कहा कि अगर तुलनात्मक तरीक़े से देखें तो वर्ष 2008 से 2014 तक 3,610 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ जबकि वर्ष 2014 से 2020 तक 4,764 किलोमीटर सड़क निर्माण हुआ। इसी प्रकार सड़क निर्माण का बजट 2008-2014 के दौरान 23,000 करोड़ रूपए से बढ़कर 2014-20 के दौरान लगभग 44,000 करोड़ रूपए हो गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का ये दृष्टिकोण है कि जब तक सीमाओं का मूलभूत ढांचा ठीक नहीं करेंगे, तो वहां से पलायन होता रहेगा और अगर वहां आबादी नहीं होगी तो सीमाओं की सुरक्षा करना बहुत कठिन हो जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा वर्ष 2008 से 2014 के दौरान 7,270 मीटर लंबे पुलों का निर्माण हुआ जबकि वर्ष 2014 से 2020 के दौरान ये दोगुना होकर 14,450 मीटर हो गया। वर्ष 2008-14 के दौरान मात्र एक सुरंग (road tunnels) का निर्माण हुआ जबकि वर्ष 2014-2020 के बीच छह नई सुरंगें(road tunnels)बन चुकी हैं और 19 अन्य पर निर्माण कार्य जारी है। एक अन्य महत्वपूर्ण आंकड़ा देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सीमाओं पर फ़ेंसिंग गैप्स को भरने के लिए मोदी सरकार ने संवाद करके अड़चनों को दूर किया। उन्होंने ये विश्वास दिलाया कि वर्ष 2022 तकसीमा पर फ़ेंसिंग में कोई गैप नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि ये तीन प्रतिशत गैप ही घुसपैठ के लिए संभावनाएं छोड़ता है और बाक़ी 97 प्रतिशत फ़ेंसिंग को बेकार कर देता है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने सीमांत क्षेत्रों के विकास और वहां से पलायन को रोकने के लिए भी ढेर सारी योजनाओं की शुरूआत की। इनके तहत दो वर्षों के लिए 888 करोड़ रुपये की सीमा विकास योजनाएँ शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि सभी अर्धसैनिक बलों को नोडल एजेंसी बनाने का काम मोदी सरकार ने किया। उन्होंने कहा कि एक सीमांत विकासोत्सव की शुरूआत गुजरात के कच्छ से हुई। इसके अंतर्गत कच्छ की सीमा से सटे गांवों के सरपंच, तहसीलदारों को बुलाकर उनके विकास के प्रश्नों को समझा गया। इससे निश्चित तौर पर गांवों का विकास होगा और वहां से पलायन रुकेगा। श्री अमित शाह ने कहा कि सरकार ने सीमाओं के क्षेत्रों को मज़बूत इन्फ़्रास्ट्रक्चर दिया, गांवों को विकसित किया, सभी पैरामिलिट्री फ़ोर्सेस को अच्छा माहौल दिया, उनकी ज़रुरतों को समझा, वहां रिक्त पदों को भरना जैसे काम किए और एक सुनियोजित योजना के साथ आगे बढ़े हैं।

यह भी कहा कि मोदी सरकार से पहले देश की स्वतंत्र रक्षा नीति ही नहीं थी और जो भी नीति थी वो देश की विदेश नीति से प्रभावित थी। मोदी सरकार आने के बाद रक्षा नीति स्वतंत्र हुई। उन्होंने कहा कि अच्छी रक्षा नीति के बिना ना तो देश का विकास हो सकता है और ना ही लोकतंत्र पनप सकता है। श्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों से ऐसे प्रयास करने का अनुरोध किया जिनसे सीमावर्ती इलाक़ों के गांवों से पलायन रुके क्योंकि ये हमारी ज़िम्मेदारी है कि वहां से पलायन रुके और विकास की सारी योजनाएं पहुंचें।

श्री अमित शाह ने कहा कि सीमा सुरक्षा का मतलब है राष्ट्रीय सुरक्षा और जिस देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं, वो राष्ट्र सुरक्षित नहीं रह सकता है। घुसपैठ, मानव तस्करी, गौ तस्करी, हथियारों की तस्करी, ड्रोन जैसी चुनौतियों का ज़िक़्र करते हुए श्री अमित शाह ने देश की पैरामिलिट्री फ़ोर्सेस की सजगता, समयानुकूल बदलाव लाने की उनकी क्षमता पर विश्वास जताया और कहा कि इन सब चुनौतियों को पार करके हम अपनी सीमाओं को सुरक्षित करेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल ने कई सुरंगों का पता लगाकर उनका वैज्ञानिक एनालिसिस करके एक बहुत अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन के बढ़ते ख़तरे के ख़िलाफ़ हमारी मुहिम आज बहुत महत्वपूर्ण है और इसे कम करने के लिए डीआरडीओ और अन्य एजेंसियां स्वदेशी तकनीक पर काम कर रही हैं और जल्द ही ड्रोन विरोधी स्वदेशी प्रणाली के साथ सीमाओं पर तैनाती बढ़ेगी।

सीमा सुरक्षा बल (बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स,अंग्रेज़ी: Border Security Force – संक्षेप में सीसुब या बीएसएफ, BSF) भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है एवँ विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। जिसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था। इसकी जिम्मेदारी शांति के समय के दौरान भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकना है।[1] इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है और यह 6,385.39 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है जो कि पवित्र, दुर्गम रेगिस्तानों, नदी-घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली है। सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों में सुरक्षा बोध को विकसित करने की जिम्मेदारी भी बीएसएफ को दी गई है। इसके अलावा सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे तस्करी/घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने की जवाबदेही भी इस पर है।

आदर्श वाक्य

इस बल का आदर्श वाक्य है – “जीवन पर्यन्त कर्तव्य”

1 9 65 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान, सीमा प्रबंधन प्रणाली व्यक्तिगत राज्य पुलिस बलों के हाथों में थी, और ये सीमा खतरों से ठीक से निपटने में असमर्थ साबित हुई। इन एपिसोड के बाद, सरकार ने सीमा सुरक्षा बल को एक एकीकृत केंद्रीय एजेंसी के रूप में बनाया जो भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के विशिष्ट जनादेश के साथ था। भारतीय पुलिस सेवा से के एफ रुस्तमजी बीएसएफ के पहले महानिदेशक थे। 1 9 65 तक पाकिस्तान के साथ भारत की सीमाएं राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियन द्वारा बनाई गई थीं। पाकिस्तान ने 9 अप्रैल 1 9 65 को कच्छ में सरदार पोस्ट, छार बेट, और बेरिया बेट पर हमला किया। इसने सशस्त्र आक्रामकता से निपटने के लिए राज्य सशस्त्र पुलिस की अपर्याप्तता का खुलासा किया जिसके कारण भारत सरकार ने विशेष रूप से नियंत्रित सीमा सुरक्षा बल की आवश्यकता महसूस की, जिसे पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने के लिए सशस्त्र और प्रशिक्षित किया जाएगा। सचिवों की समिति की सिफारिशों के परिणामस्वरूप, सीमा सुरक्षा बल 1 दिसंबर 1 9 65 को के एफ रुस्तमजी के साथ अपने पहले महानिदेशक के रूप में अस्तित्व में आया।

1 9 71 के भारत-पाकिस्तानी युद्ध में बीएसएफ की क्षमताओं का इस्तेमाल उन क्षेत्रों में पाकिस्तानी ताकतों के खिलाफ किया गया था जहां नियमित बल कम फैल गए थे; बीएसएफ सैनिकों ने लांगवाला की प्रसिद्ध लड़ाई समेत कई परिचालनों में हिस्सा लिया। वास्तव में, बीएसएफ के लिए दिसम्बर ’71 में युद्ध वास्तव में टूटने से पहले पूर्वी मोर्चे पर युद्ध शुरू हो गया था।

बीएसएफ ने “मुक्ति बहनी” का हिस्सा प्रशिक्षित, समर्थित और गठित किया था और वास्तविक शत्रुताएं टूटने से पहले पूर्व पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश कर चुका था। बीएसएफ ने बांग्लादेश के लिबरेशन में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने भी स्वीकार किया था।

बीएसएफ, जिसे लंबे समय तक नर बुर्ज माना जाता है, ने अब सीमा पर महिला कर्मियों के अपने पहले बैच को महिलाओं के नियमित रूप से फिसलने के साथ-साथ सीमा के संरक्षण सहित अपने पुरुष समकक्षों द्वारा किए गए अन्य कर्तव्यों को पूरा करने के लिए तैनात किया है। भारत में अत्यधिक अस्थिर भारत-पाक सीमा पर 100 से ज्यादा महिलाएं तैनात की गई हैं, जबकि लगभग 60 भारतीयों को भारत-बांग्ला सीमा पर तैनात किया जाएगा। कुल मिलाकर, विभिन्न चरणों में सीमा पर 5 9 5 महिला कॉन्स्टेबल तैनात किए जाएंगे।

SOURCE-PIB

 

 

पीएमएवाई-यूने

विश्व के सबसे बड़े किफायती आवास मिशनों में से एक प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (पीएमएवाई-यू)ने दो अनूठी पहल शुरू की है।पहली पहल खुशियों का आशियाना- लघु फिल्म प्रतियोगिता 2021 और दूसरी आवास पर संवाद- 75 सेमिनारों और कार्यशालाओं की श्रृंखला ‘सभी के लिए आवास’ के प्रधानमंत्री के विजन को आगे ले जाने के लिए है।

आवास और शहरी कार्य मंत्रालयद्वारा इन दोनों पहलों की घोषणा 25 जून,2021 को पीएमएवाई-यू की छठी वर्षगांठ के अवसर पर की गई थी। इस महत्वपूर्ण अवसर पर पीएमएवाई-यू ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की।मिशन के अंतर्गतकुल जारी केंद्रीय सहायता 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई। मिशन 1.12 करोड़ घरों के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगे बढ़ा है, 83 लाख से अधिक घरों के निर्माण के लिए आधार तैयार कर लिया गया है और 50 लाख से अधिक पूरा हो गया है।

दोनों पहलों को चुनौती और प्रतिस्पर्धा मोड में लागू किया जा रहा है और यह दोनों पहलें भारत सरकार के 75 वर्षों के प्रगतिशील भारत और उसके लोगों, संस्कृति और उपलब्धि के गौरवशाली इतिहास को मनाने के लिए कार्यक्रम ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के हिस्से के रूप में प्रस्तावित अन्य कई कार्यक्रमों में से एक हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना – शहरी

प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (पीएमएवाई-यू), भारत सरकार का एक प्रमुख मिशन है जिसका क्रियान्वयन आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए), द्बारा किया जा रहा है, जिसकी शुरूआत 25 जून 2015 को की गई। इस मिशन के तहत झुग्गी-झोपड़ी वासियों के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस/ एलआईजी और एमआईजी श्रेणियों के लिए आवास की कमी को पूरा करते हुए वर्ष 2022 तक जब राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा करेगा, सभी पात्र शहरी परिवारों को पक्के घर उपलब्ध करवाये जाने का लक्ष्य है। पीएमएवाई(यू) एक मांग संचालित दृष्टिकोण को अपनाता है जिसमें आवासो की कमी का आकलन राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों द्वारा मांग सर्वेक्षण के आधार पर किया जाता है। राज्य स्तरीय नोडल एजेंसियां ​​(एसएलएनए), शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी)/ कार्यान्वयन एजेंसियां ​​(आईए), केंद्रीय नोडल एजेंसियां ​​(सीएनए) और प्राथमिक ऋणदाता संस्थान (पीएलआई) मुख्य हितधारक हैं जो पीएमएवाई (यू) के कार्यान्वयन और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मिशन में संपूर्ण नगरीय क्षेत्र शामिल हैं, जिसमें वैधानिक नगर, अधिसूचित नियोजन क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य विधान के तहत कोई भी प्राधिकरण शामिल है जिसे नगरीय नियोजन के कार्य सोंपे गये हैं। पीएमएवाई (यू) के तहत सभी घरों में शौचालय, पानी की आपूर्ति, बिजली और रसोईघर जैसी बुनियादी सुविधाएं हैं। मिशन महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम से घरों का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है। विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर और समाज के कमजोर वगों को प्राथमिकता दी जाती है। पीएमएवाई (यू) आवास लाभार्थियों को सुरक्षा तथा स्वामित्व के गौरव के साथ सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करता है। पीएमएवाई (यू) भौगोलिक स्थितियों, स्थलाकृति, आर्थिक स्थितियों, भूमि की उपलब्धता, बुनियादी ढांचे आदि के आधार पर व्यक्तियों की आवश्यकताओं के अनुरूप एक कैफेटेरिया दृष्टिकोण को अपनाता है। योजना को नीचे दिए गए चार घटकों में विभाजित किया गया है:

  1. स्व-स्थाने स्लम पुनर्विकास (आईएसएसआर):

आईएसएसआर घटक के तहत निजी डेवलपर्स की भागीदारी के साथ संसाधन के रूप में भूमि का उपयोग करके पात्र झुग्गी निवासियों के लिए बनाए गए सभी घरों के लिए ₹1 लाख प्रति घर केंद्रीय सहायता स्वीकार्य है। दिशानिर्देशों के तहत पुनर्विकास के बाद, राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश सरकार द्वारा ऐसे स्लमों के लिए अधिसूचना को रद्द करने की सिफारिश की जाती है। अन्य स्लमों के पुनर्विकास के लिए इस केंद्रीय सहायता को उपयोग करने के लिए राज्यों/ शहरों को छूट/नम्यता दी गई है। राज्य/ शहर परियोजनाओं को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स / फर्श क्षेत्र अनुपात या हस्तांतरण विकास अधिकार प्रदान करते हैं। निजी स्वामित्व वाली भूमि पर स्लमों के लिए, राज्य/ शहर अपनी नीति के अनुसार भूस्वामी को अतिरिक्त एफएसआई/ एफएआर या टीडीआर प्रदान करते हैं। ऐसे मामले में कोई केंद्रीय सहायता स्वीकार्य नहीं है।

  1. ऋण आधारित ब्याज सब्सिडी योजना (सीएलएसएस):

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस)/ निम्न आय वर्ग (एलआईजी), मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) -I और मध्यम आय वर्ग (एमआईजी)-II के लाभार्थी जो बैंकों, आवास वित्त कंपनियों और अन्य ऐसे संस्थाओं से आवास ऋण की मांग कर रहे हैं वे मकानों को अधिग्रहण, निर्माण या वृद्धि ( केवल ई डब्ल्यू एस/ निम्न आय वर्ग के लिए मान्य) के लिए ₹ 6 लाख, ₹ 9 लाख और ₹ 12 लाख की ऋण राशि पर क्रमानुसार 6.5%, 4% और 3% ब्याज सब्सिडी के लिए पात्र हैं। मंत्रालय ने आवास और शहरी विकास निगम (हुडको), राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को केंद्रीय नोडल एजेंसियों (सीएनए) के रूप में नामित किया है ताकि वे ऋणदाता संस्थाओं के माध्यम से लाभार्थियों को व्यवस्थित तरीके से सब्सिडी प्रदान कर सकें और प्रगति की निगरानी कर सकें। एमआईजी श्रेणी के लिए योजना को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ाया गया है। सीएलएपी पोर्टल ने सीएलएसएस घटक के तहत प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है जिससे मंत्रालय द्वारा शिकायतों को कम करने में भी सुविधा हुई है।

iii. भागीदारी में किफायती आवास (एएचपी):

एएचपी के तहत, भारत सरकार द्वारा केंद्रीय सहायता ₹ 1.5 लाख प्रति ईडब्ल्यूएस आवास प्रदान की जाती है। एक किफायती आवास परियोजना विभिन्न श्रेणियों के लिए घरों का मिश्रण हो सकती है, परन्तु केंद्रीय सहायता की पात्रता के लिए परियोजना में कम से कम 35% आवास ईडब्ल्यूएस श्रेणी के होना आवश्यक हैं। राज्यों/ संघ शासित प्रदेश ईडब्ल्यूएस आवासों के विक्रय हेतु एक अधिकतम मूल्य निर्धारित करते हैं ताकि लाभार्थियों के लिए उन्हें किफायती और सुलभ बनाया जा सके। राज्य और शहर अन्य रियायतें जैसे कि उनका राण्यांश, सस्ती दर पर जमीन, स्टांप शुल्क में छूट आदि देते हैं।

  1. लाभार्थी आधारित व्यक्तिगत आवास का निर्माण/ विस्तार (बीएलसी-एन/ बीएलसी-ई):

ईडब्ल्यूएस श्रेणियों से संबंधित पात्र परिवारों को व्यक्तिगत आवास निर्माण/ विस्तार के लिए ₹1.5 लाख प्रति ईडब्ल्यूएस आवास की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है। शहरी स्थानीय निकाय लाभार्थी द्वारा प्रस्तुत सूचना और भवन निर्माण योजना को प्रमाणित करते हैं ताकि भूमि के स्वामित्व और आर्थिक स्थिति एवें पात्रता जैसे अन्य विवरणों का पता लगाया जा सके। राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा केंद्रीय सहायता, राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र / यूएलबी की हिस्सा राशि के साथ, यदि कोई हो, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के बैंक खातों में जारी की जाती है।

SOURCE-PIB

 

 

अपेक्षित नुकसान-आधारित’ रेटिंग पैमाना

भारतीय सुरक्षा विनिमय बोर्ड (Security Exchange Board of India – SEBI) ने “अपेक्षित हानि-आधारित रेटिंग पैमाने” (expected loss-based rating scale) के लिए एक नया ढांचा पेश किया है।

मुख्य बिंदु

  • इस नए ढांचे के तहत, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को उन परियोजनाओं और उपकरणों के लिए अपेक्षित हानि-आधारित रेटिंग प्रदान करना आवश्यक है जो बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़े हैं।
  • सेबी ने जो अपेक्षित हानि-आधारित रेटिंग पेश की, उसे सात स्तरों के पैमाने में विभाजित किया गया है।
  • इस नए पैमाने का उपयोग क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा बुनियादी ढांचा क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं या उपकरणों को रेट करने के लिए किया जाएगा।
  • रेटिंग स्केल के मानकीकरण से संबंधित प्रावधान को छोड़कर नवीनतम परिपत्र में सभी प्रावधान क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए ‘तत्काल प्रभाव’ से लागू होंगे।
  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्डअधिनियम, 1992 की धारा 11(1) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए परिपत्र (circular) जारी किया गया था ।

नुकसान के सात स्तर

सेबी द्वारा निर्धारित नए पैमाने पर नुकसान के सात अपेक्षित स्तर में शामिल हैं :

  1. सबसे कम अपेक्षित नुकसान
  2. बहुत कम अपेक्षित नुकसान
  3. कम अपेक्षित नुकसान
  4. मध्यम अपेक्षित नुकसान
  5. उच्च अपेक्षित नुकसान
  6. बहुत अधिक अपेक्षित नुकसान
  7. सबसे ज्यादा अपेक्षित नुकसान।

रेटिंग पैमानों का मानकीकरण

रेटिंग पैमानों के उपयोग को मानकीकृत करने के लिए, रेटिंग एजेंसियों को अपने रेटिंग पैमानों को वित्तीय क्षेत्र के नियामक या प्राधिकरण द्वारा निर्धारित रेटिंग पैमानों के साथ संरेखित करने के लिए कहा गया है। दिशानिर्देशों के अभाव में, सेबी द्वारा निर्धारित रेटिंग पैमानों का पालन किया जाएगा।

क्रेडिट रेटिंग एजेंसी

वह कंपनी जो क्रेडिट रेटिंग प्रदान करती है और देनदार की ऋण चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन करती है, उसे “क्रेडिट रेटिंग एजेंसी” के रूप में जाना जाता है।

SOURCE-GK TODAY

 

 

मंकीपॉक्स

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, टेक्सास में दुर्लभ मानव मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था।

मुख्य बिंदु

  • एक अमेरिका निवासी में मंकीपॉक्स का पता चला था, जिसने हाल ही में नाइजीरिया से अमेरिका की यात्रा की थी।
  • हालांकि यह एक दुर्लभ वायरल बीमारी है लेकिन वर्तमान में यह जनता के लिए खतरे का कारण नहीं है।
  • CDC में प्रयोगशाला परीक्षण के अनुसार, रोगी मंकीपॉक्स के स्ट्रेन से संक्रमित है जो आमतौर पर नाइजीरिया सहित पश्चिम अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
  • मंकीपॉक्स के इस स्ट्रेन से घातक संक्रमण 100 में से 1 व्यक्ति को होता है।
  • इस मामले से पहले यूनाइटेड किंगडम, इज़रायल और सिंगापुर में नाइजीरिया से लौटने वाले यात्रियों में मंकीपॉक्स के 6 मामले सामने आए हैं।

मंकीपॉक्स (Monkeypox) 

  • मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन संभावित रूप से गंभीर वायरल बीमारी है जो फ्लू जैसी बीमारी और लिम्फ नोड्स की सूजन से शुरू होती है और चेहरे और शरीर पर व्यापक दाने के रूप में विकसित होती है।
  • अधिकांश संक्रमण 2-4 सप्ताह तक चलते हैं।
  • यह चेचक के समान ही वायरस के परिवार को साझा करता है, लेकिन हल्के संक्रमण का कारण बनता है।

मंकीपॉक्स वायरस (MPV)

MPV एक डबल स्ट्रैंडेड DNA और एक जूनोटिक वायरस है। यह परिवार Poxviridae में जीनस ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) से संबंधित है। यह मानव ऑर्थोपॉक्सविरस में से एक है जिसमें वेरियोला, काउपॉक्स और वैक्सीनिया वायरस शामिल हैं। यह वायरस चेचक के समान रोग का कारण बनता है। मंकीपॉक्स वायरस प्राइमेट सहित जानवरों में पाया जाता है। इस वायरस को पहली बार 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में प्रीबेन वॉन मैग्नस (Preben von Magnus) द्वारा केकड़े खाने वाले मकाक बंदरों में पहचाना गया था।

SOURCE-GK TODAY

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