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CURRENT AFFAIRS – 18th JULY 2021

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CURRENT AFFAIRS – 18th JULY 2021

विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया

केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि पुराने (विंटेज) वाहनों को बढ़ावा देने और इस विरासत को संरक्षित रखने के उद्देश्य से, विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया को औपचारिक रूप दिया गया है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि विभिन्न राज्यों में पंजीकरण-प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए कोई नियम मौजूद नहीं है। नए नियम, पहले से पंजीकृत वाहनों के लिए पुराने नंबर को बनाए रखने और नए पंजीकरण के लिए “वीए” श्रृंखला (विशिष्ट पंजीकरण चिह्न) समेत सरल प्रक्रिया की सुविधा देंगे।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने विंटेज मोटर वाहनों की पंजीकरण प्रक्रिया को औपचारिक रूप देते हुए सीएमवीआर, 1989 में संशोधन किया है। इसका उद्देश्य भारत में पुराने वाहनों की विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।

मुख्य विशेषताएं

  • सभी 2/4 पहिया, 50+ वर्ष पुराने, अपने मूल रूप में सुरक्षित रखे गए और जिनमें कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुआ है, उन्हें विंटेज मोटर वाहन के रूप में मान्यता दी जायेगी।
  • पंजीकरण/पुन: पंजीकरण के लिए आवेदन फॉर्म 20 के अनुसार जमा किया जाएगा और इसके साथ बीमा पॉलिसी, आवश्यक शुल्क, आयातित वाहनों के मामले में एंट्री बिल और भारत में पहले से पंजीकृत वाहन के मामले में पुरानी आर सी जमा की जानी चाहिए।
  • राज्य पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा 60 दिनों के भीतर फॉर्म 23ए के अनुसार पंजीकरण का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
  • पहले से पंजीकृत वाहन अपने मूल पंजीकरण चिह्न को बरकरार रख सकते हैं। हालांकि, नए पंजीकरण के लिए, पंजीकरण चिह्न “एक्सएक्स वीए वाईवाई 8” के रूप में निर्दिष्ट किया जाएगा, जहां वीए विंटेज के लिए है, एक्सएक्सराज्य कोड है, वाईवाईदो-अक्षर की श्रृंखला होगी और “8” राज्य पंजीकरण प्राधिकरण द्वारा आवंटित 0001 से 9999 के बीच की संख्या होगी।
  • नया पंजीकरण शुल्क- 20,000 रुपये और बाद में पुन: पंजीकरण के लिए 5,000 रुपये।
  • नियमित/व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए, विंटेज मोटर वाहनों का संचालन सड़कों पर नहीं किया जा सकेगा।

SOURCE-PIB

 

 

अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की जयंती को चिह्नित करने के लिए हर साल 18 जुलाई को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस मनाया जाता है।

महत्व

इस दिन का पालन इस विचार का जश्न मनाने का प्रयास करता है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास दुनिया को बदलने की शक्ति है, एक प्रभाव बनाने की क्षमता है। इसका उद्देश्य व्यक्तियों को बेहतरी के लिए दुनिया को बदलने में मदद करने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना है।

पृष्ठभूमि

  • नवंबर 2009 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने शांति और स्वतंत्रता की संस्कृति में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति के योगदान के सम्मान में आधिकारिक तौर पर 18 जुलाई को “अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस” ​​घोषित किया था।
  • यह नस्लीय संबंधों के क्षेत्र में लोकतंत्र, नस्लीय न्याय और मानव अधिकारों के मूल्यों को बढ़ावा देने और मानवता की सेवा के लिए उनके समर्पण के प्रति रंगभेद विरोधी आइकन की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

नेल्सन मंडेला

नेल्सन रोलीह्लला मंडेला (ख़ोसा: Nelson Rolihlahla Mandela; 18 जुलाई 1918 – 5 दिसम्बर 2013) दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत भूतपूर्व राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे दक्षिण अफ्रीका में सदियों से चल रहे रंगभेद का विरोध करने वाले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस और इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो वे सिजवे के अध्यक्ष रहे। रंगभेद विरोधी संघर्ष के कारण उन्होंने 27 वर्ष रॉबेन द्वीप के कारागार में बिताये जहाँ उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था। 1990 में श्वेत सरकार से हुए एक समझौते के बाद उन्होंने नये दक्षिण अफ्रीका का निर्माण किया। वे दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गये। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया ।

प्रारम्भिक जीवन

मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे। स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला। उनके पिता ने इन्हें ‘रोलिह्लाला’ प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी

राजनीतिक संघर्ष

1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। जीवनयापन के लिये वे एक कानूनी फ़र्म में क्लर्क बन गये परन्तु धीर-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती चली गयी। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया।[3]

5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।[3]

1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।

विचारधारा

नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था और उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।

व्यक्तिगत जीवन

मंडेला के तीन शादियाँ कीं जिन से उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे। अक्टूबर 1944 को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परन्तु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।

मृत्यु

5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी। मृत्यु के समय ये 95 वर्ष के थे और उनका पूरा परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की

पुरस्कार एवं सम्मान

जोहनसबर्ग में स्थित नेल्सन मंडेला ब्रिज

दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक” “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था।[8] 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदीबा कह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है।

नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं:

1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार

  • प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम
  • ऑर्डर ऑफ़ लेनिन
  • भारत रत्न
  • निशान-ए–पाकिस्तान
  • 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार

SOURCE-PIB

 

 

कादंबिनी गांगुली

हाल ही में गूगल ने कादंबिनी गांगुली के 160वें जन्मदिन पर उनके सम्मान में एक डूडल बनाया है। गौरतलब है कि कादंबिनी गांगुली भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक थीं।

मुख्य बिंदु

कादंबिनी गांगुली अपने समय के दौरान 1884 में प्रतिष्ठित कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में भाग लेने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उस समय किसी महिला के लिए यह काफी बड़ी बात थी, इससे उन्होंने कई और महिलाओं को भी प्रेरित किया। उनका नाम अक्सर आनंदी गोपाल जोशी (Anandi Gopal Joshi) के साथ याद किया जाता है। दोनों ने 1886 में एक साथ डिग्री प्राप्त की, जिससे उन्हें चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति मिली।

कादंबिनी गांगुली (Kadambini Ganguly)

कादम्बिनी गांगुली का जन्म चंदसी नामक गाँव में हुआ था, जो पश्चिम बंगाल (अब बांग्लादेश का एक हिस्सा) के बारीसाल जिले में है। उन्होंने पहले ढाका और फिर कलकत्ता में अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की।

उन्हें चिकित्सा का अध्ययन करने की इच्छा थी। हालांकि, देश के मेडिकल कॉलेजों में अभी भी छात्राओं को प्रवेश नहीं दिया जाता था।

जब उन्होंने 1884 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया, तब देश में महिलाओं के लिए डॉक्टर बनने के अपने सपनों को पूरा करने के दरवाजे खुल गए। 1892 में, वह मेडिसिन के क्षेत्र में आगे की पढ़ाई के लिए यूनाइटेड किंगडम चली गईं। वह एडिनबर्ग और डबलिन में प्राप्त प्रमाणपत्रों के साथ भारत वापस आई।

अपनी निजी प्रैक्टिस शुरू करने के साथ-साथ, कादम्बिनी गांगुली अपने समय के दौरान सामाजिक आंदोलनों में शामिल होने के लिए भी जानी जाती हैं। उन्होंने महिला कोयला खनिकों की स्थिति में सुधार और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। 1915 में, उन्होंने छात्राओं को प्रवेश नहीं देने के लिए कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की खुले तौर पर आलोचना की ।

1923 में उनका निधन हो गया था। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कादम्बिनी गांगुली ने बहुमूल्य योगदान दिया

SOURCE-GK TODAY

 

 

State Power Distribution Utilities के लिए एकीकृत

रेटिंग शुरू की गई

विद्युत मंत्री आर.के. सिंह ने विद्युत वित्त निगम (Power Finance Corporation – PFC) के 36वें स्थापना दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में राज्य विद्युत वितरण इकाइयों के लिए 9वीं एकीकृत रेटिंग जारी की।

मुख्य बिंदु

  • राज्य विद्युत वितरण उपयोगिताओं के लिए एकीकृत रेटिंग जारी करते हुए, मंत्री ने रेखांकित किया कि, सभी उपयोगिताओं की भागीदारी के साथ 41 राज्य विद्युत वितरण उपयोगिताओं को कवर करते हुए रेटिंग अवधि 2019-20 के लिए वार्षिक एकीकृत रेटिंग अभ्यास पूरा कर लिया गया है।
  • मंत्री के अनुसार, वितरण क्षेत्र की सही स्थिति के निष्पक्ष और सटीक आकलन से भारतीय बिजली क्षेत्र को लाभ होगा।यह  प्रदर्शन का आकलन और सुधार करने में भी मदद करेगा।
  • यह अभ्यास राज्य सरकारों, ऋण देने वाली संस्थाओं और अन्य हितधारकों को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भी सहायता करेगा।

बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020

इस दौरान मंत्री ने रेखांकित किया कि इन नियमों को सरकार द्वारा उपभोक्ता सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था। यह पहल उपभोक्ता को केंद्र-स्तर पर रखेगी। यह भारत में ईज ऑफ लिविंग (Ease of Living) और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease of Doing Business) को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार भी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (Deendayal Upadhyaya Gram Jyoti Yojana) और एकीकृत विद्युत विकास योजना (Integrated Power Development Scheme) जैसी योजनाओं की मदद से सभी घरों में 24×7 बिजली आपूर्ति प्रदान करने के लिए वितरण प्रणाली को मजबूत करने में राज्यों का समर्थन कर रही है।

पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (Power Finance Corporation Ltd. – PFC)

PFC विद्युत मंत्रालय के तहत एक भारतीय वित्तीय संस्थान है। इसकी स्थापना 1986 में हुई थी। PFC भारतीय विद्युत क्षेत्र की वित्तीय रीढ़ के रूप में कार्य करता है। यह 8वां सबसे अधिक लाभ कमाने वाला CPSE और भारत का सबसे बड़ा NBFC है। यह भारत की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी भी है।

SOURCE-GK TODAY

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